31 मई 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. चीन के प्रति अमेरिका के दृष्टिकोण में बदलाव:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

इतिहास एवं संस्कृति:

  1. सॉफ्ट पावर के एक उपकरण के रूप में बौद्ध धर्म का उपयोग करना:

अर्थव्यवस्था:

  1. स्वच्छ ऊर्जा कोष में वृद्धि, लेकिन ज्यादातर चीन, यूरोप, यू.एस. में:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. बृहस्पति के आकार के नए बाह्य ग्रह (एक्सोप्लैनेट) की खोज की गई:
  2. पुराने किले में खुदाई:
  3. तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. कोसोवो सर्ब शहर में संघर्ष के बाद नाटो सैनिक का पहरा:
  2. कंबोडिया के साथ संबंध मजबूत करना चाहता है भारत:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

चीन के प्रति अमेरिका के दृष्टिकोण में बदलाव:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव

प्रारंभिक परीक्षा: G7 और इसके शिखर सम्मेलनों से संबंधित जानकारी।

मुख्य परीक्षा: अमेरिकी-चीन द्विपक्षीय संबंधों की प्रवृत्ति और चीन के प्रति अमेरिका की नीति में बदलाव का विश्लेषण।

प्रसंग:

  • अमेरिका ने हाल के दिनों में व्यक्त किया है कि उसका प्राथमिक ध्यान चीन के प्रति अपनी नीति को पृथक्करण (डी-कपलिंग) से वि-जोखिमीकरण (डी-रिस्किंग) की ओर स्थानांतरित करने पर है। हिरोशिमा में हाल ही में संपन्न G-7 (G-7 ) शिखर सम्मेलन के दौरान इस नीति को एक बार फिर दोहराया गया।

“हिरोशिमा शिखर सम्मेलन” के बारे में अधिक जानकारी के लिए \29 मई 2023 का UPSC परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण का लेख देखें।

अमरीकी-चीनी संबंधों का अवलोकन:

  • वर्ष 1979 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद, दोनों देशों ने अपनी आर्थिक अन्योन्याश्रितता को बेहतर बनाने के प्रयास किए।
  • दोनों देशों में से, चीन को इन राजनयिक संबंधों की स्थापना के कारण अत्यधिक लाभ हुआ, क्योंकि इस कदम से चीन को शेष विश्व के साथ अपने राजनयिक और आर्थिक संबंधों को व्यापक और गहरा करने में भी मदद मिली।
  • चीनी आर्थिक और सैन्य शक्तियों में वृद्धि के साथ, अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अमेरिका के प्रभुत्व और प्रभाव को चुनौती देने की उसकी महत्वाकांक्षा में भी वृद्धि हो गई।
  • चीन के उदय ने न केवल वैश्विक भू-राजनीति में बल्कि इसके घरेलू उद्योग में भी अमेरिका के प्रभाव को प्रभावित किया।
  • जिस समय डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बने, उस समय चीन द्वारा प्रस्तुत तकनीकी-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने की तत्काल आवश्यकता थी।
  • इसने ट्रम्प प्रशासन को चीन के पक्ष में चल रहे व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए कई उपायों को अपनाने के लिए मजबूर किया।
  • अमेरिकी प्रशासन ने चीनी आयात पर शुल्क बढ़ाने के प्रयास किए और अमेरिका के उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र को चीन की पहुंच से बाहर रखा।
  • इसे “अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध” की शुरुआत के रूप में माना गया था और इसके कारण दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध ”पृथक्करण”(de-coupling) के कगार पर आ गये थे।
  • सत्ता की बागडोर संभालने वाला बाइडन प्रशासन चीन के प्रति इसी तरह की नीति पर चलता रहा। हालाँकि, समय के साथ, वर्तमान अमेरिकी प्रशासन ने “पृथक्करण” की नीति को “वि-जोखिमीकरण” से प्रतिस्थापित कर दिया है।

“वि-जोखिमीकरण” (de-risking) क्या है?

  • अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन के शब्दों में, “वि-जोखिमीकरण” (de-risking) शब्द मुख्य रूप से एक लचीली और प्रभावी आपूर्ति श्रृंखला तथा यह सुनिश्चित करने के लिए संदर्भित किया जाता है कि अमेरिका किसी अन्य देश के दवाब के अधीन नहीं है”।
  • “वि-जोखिमीकरण” का मुख्य उद्देश्य ऐसे प्रभाव को उन क्षेत्रों में सीमित करना है जहां यह यू.एस. की राष्ट्रीय सुरक्षा और औद्योगिक क्षमता को कम करता है, वहीं मूल रूप से पृथक्करण का उद्देश्य उस 40 साल पुरानी परियोजना को उलटना था, जिसने दोनों अर्थव्यवस्थाओं को आपस में उलझा दिया था।
  • “वि-जोखिमीकरण” की इस नीति को अमेरिकी प्रशासन द्वारा “अमेरिका-चीन आर्थिक संबंध” पर ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन और “अमेरिकी आर्थिक नेतृत्व का नवीनीकरण” पर अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन द्वारा हाल के ऐतिहासिक भाषणों में दोहराया गया है।
  • हाल के दिनों में अमेरिका द्वारा पारित विभिन्न कानूनों जैसे द्विदलीय अवसंरचना कानून, चिप्स (CHIPS) और विज्ञान अधिनियम और महंगाई न्यूनीकरण अधिनियम ने भी इस नए दृष्टिकोण को उजागर किया है।
  • इसके अलावा, अमेरिका की भू-आर्थिक पहलें जैसे कि वैश्विक अवसंरचना और निवेश और समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा (IPEF) भी “वि-जोखिमिकरण” की भावना के अनुरूप हैं।

पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (PGII) के बारे में अधिक जानने के लिए, निम्न वीडियो देखें: https://www.youtube.com/watch?v=EcUH_YHaYtE

अमेरिका की नीति में बदलाव के पीछे के तर्क – “वि-जोखिमिकरण” की आवश्यकता:

  • उच्च भू-राजनीतिक महत्व की कई घटनाओं की पृष्ठभूमि के खिलाफ नीति में बदलाव की घोषणा की गई है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था कोविड महामारी के बाद एक बदलाव की उम्मीद कर रही है।
  • ताइवान जलडमरूमध्य में संघर्ष और जासूसी गुब्बारे की घटना (spy balloon incident) के मद्देनजर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है।
  • शी जिनपिंग ने चीन में अपने दूसरे दशक के शासन की भी शुरुआत की, क्योंकि उन्हें चीन के जनवादी गणराज्य के राष्ट्रपति, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष के रूप में एक अभूतपूर्व तीसरा कार्यकाल सौंपा गया था।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध ने भी अमेरिका की नीति को चीन की ओर स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है क्योंकि चीन रूस का समर्थन करता रहा है।
  • इसके अलावा, “पृथक्करण” का विचार अमेरिकी सहयोगियों और यूरोपीय संघ (EU) को अपील करने में विफल रहा और अमेरिकी प्रशासन ने महसूस किया कि “वि-जोखिमिकरण” की नीतियां चीन का मुकाबला करने के लिए अपने यूरोपीय सहयोगियों को साथ लाने के उद्देश्य को बेहतर ढंग से प्राप्त कर सकती हैं।

“वि-जोखिमिकरण” के भू-राजनीतिक प्रभाव:

  • उम्मीद की जाती है कि “वि-जोखिमिकरण” की नीतियों से अमेरिका को अपने सहयोगियों को चीन के खिलाफ अपनी भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में करीब रखने में मदद मिलेगी। यह भावना हाल ही में संपन्न हुए G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान देखने को मिली।
  • शिखर सम्मेलन के बाद जारी की गई नेताओं की विज्ञप्ति में, नेताओं ने वि-जोखिमिकरण पर सहमति व्यक्त की जबकि पृथक्करण पर सहमति व्यक्त नहीं की है।
  • “वि-जोखिमिकरण” की नीतियों ने सहयोगियों के बीच एकजुट होने के रुख की सुविधा देकर चीन के उदय का मुकाबला करने के पश्चिम के कदमों को मजबूत किया है।
  • चीन ने पश्चिम के वि-जोखिमिकरण के दृष्टिकोण पर चिंता व्यक्त की है।
  • चीन ने इन आरोपों पर नाराजगी भी जताई है कि बढ़े हुए भू-राजनीतिक तनाव के लिए चीन जिम्मेदार है।
  • चीन के अनुसार, वर्तमान भू-राजनीतिक तनाव के लिए अमेरिका जिम्मेदार है और उसने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने शीत युद्ध की मानसिकता के साथ विभिन्न राजनीतिक और सैन्य हस्तक्षेप करके दुनिया भर में अस्थिरता पैदा की है।
  • हालाँकि, “वि-जोखिमिकरण” नीतियों की प्रभावशीलता और परिणाम भी संदिग्ध रहे हैं।
  • भारत जैसे देशों को “वि-जोखिमिकरण” रणनीतियों से लाभ होने की उम्मीद है क्योंकि ऐसे देश आकर्षक आपूर्ति श्रृंखला प्रदान करते हैं और चीन का सामना करने के लिए आवश्यक ताकत भी प्रदान करते हैं। हालांकि, इस तरह के लाभों की कीमत भी चुकानी पड़ सकती है और वे अल्पावधि के होते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, रूस-यूक्रेन संघर्ष और यूरोपीय गठबंधन का समेकन इस बदलाव के पीछे के प्रमुख कारण हैं, “वि-जोखिमिकरण” का विचार भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर अमेरिका के फोकस को कम कर सकता है।

सारांश:

  • उच्च भू-राजनीतिक महत्व की विभिन्न घटनाओं के मद्देनजर, अमेरिका ने चीन पर अपनी “पृथक्करण” की नीति को “वि-जोखिमिकरण” से प्रतिस्थापित करने की घोषणा की है। अमेरिका के इस नवीनतम कदम से वैश्विक भू-राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

सॉफ्ट पावर के एक उपकरण के रूप में बौद्ध धर्म का उपयोग करना:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

इतिहास एवं संस्कृति:

विषय: भारत की संस्कृति- बौद्ध धर्म।

मुख्य परीक्षा: बौद्ध धर्म एक सॉफ्ट पावर के रूप में।

प्रारंभिक परीक्षा: बौद्ध धर्म।

विवरण:

  • यह तर्क दिया जाता है कि चीन और भारत जैसी उभरती महाशक्तियां बौद्ध धर्म के भविष्य के अपने स्वयं के संस्करणों को परिभाषित कर रही हैं और इसे सॉफ्ट पावर के उपकरण के रूप में उपयोग कर रही हैं।
  • शाक्य के वंशजों को वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन जैसी बौद्ध सभाओं में आमंत्रित नहीं किया जाता है।

पृष्ठभूमि विवरण:

  • सिद्धार्थ शाक्य जो बाद में बुद्ध बन गए, कपिलवस्तु पर शासन करने वाले शाक्य वंश के थे।
  • बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद शाक्यों के पास सेना नहीं थी और सागरहवा में कई लोगों की हत्या कर दी गई थी। कबीले के शेष सदस्य मगध, गांधार (आधुनिक अफगानिस्तान), और बर्मा (म्यांमार) जैसे विभिन्न स्थानों पर भाग गए।
  • कुछ काठमांडू घाटी में भी स्थानांतरित हो गए। उन्हें वज्राचार्य पुजारियों के समान दर्जा दिया गया था। हालाँकि, उन्हें अपने परिवारों के बाहर पुरोहिती का अभ्यास करने की अनुमति नहीं थी।
    • इस प्रकार, हिरण्यवर्ण महाविहार (स्वर्ण मंदिर) में शाक्य मंदिर के वैकल्पिक अभीक्षक (केयरटेकर) हैं।
    • इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि जब नेपाल ने स्वर्ण मंदिर परिसर के कुछ हिस्सों के जीर्णोद्धार के लिए भारत से अनुदान स्वीकार किया, तो यह एक विवाद के रूप में सामने आया।
    • ऐसा माना जाता है कि भारत इस परियोजना में इसलिए रूचि रखता था क्योंकि यह चीनियों द्वारा सबसे अधिक (लुंबिनी के बाद) दौरा किया जाने वाला स्थल है।

भारत का बौद्ध धर्म:

  • बौद्ध धर्म ने आजादी के बाद भारत को शांति की पहचान प्रदान की।
  • विभाजन और हिंसा के कठिन समय से बचने के लिए अशोक स्तंभ या ध्वज में चक्र जैसे बौद्ध प्रतीकों का उपयोग किया गया था।
  • भारत ने पहले दावा किया था कि बौद्ध धर्म भारत का है। हालाँकि, भारत के प्रधानमंत्री ने 2014 में एक भाषण में नेपाल में संप्रभुता के लोकलुभावन नारे – ‘बुद्ध का जन्म नेपाल में हुआ’ को स्वीकार किया था।
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने लुंबिनी, नेपाल (मई 2022) में बौद्ध संस्कृति और विरासत के लिए भारतीय अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की आधारशिला रखी।
    • यह कहा जाता है कि यह भैरहवा, नेपाल में गौतम बुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के विकास का मुकाबला करने का एक प्रयास है, जिसे एक चीनी परियोजना माना जाता है।
  • संबद्ध चिंताएं:
    • तर्क दिया जाता है कि चीन को भड़काने के लिए भारत तिब्बती बौद्ध धर्म और दलाई लामा का इस्तेमाल करता है।
    • भारत में बुलाई गई अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ में नेपाल से न तो किसी संरक्षक और न ही सर्वोच्च धम्म परिषद के सदस्य को आमंत्रित किया गया था।
    • इसके अलावा, भूटान से किसी को भी आमंत्रित नहीं किया गया था, इस तथ्य के बावजूद कि यह एक बौद्ध राष्ट्र है।

चीनी बौद्ध धर्म:

  • चीन में लगभग 245 मिलियन बौद्ध, 28000 बौद्ध मठ, 16000 मंदिर और 2,40,000 बौद्ध भिक्षु और नन हैं।
  • विशेष रूप से, चीन लक्ष्य देश के आधार पर एक लचीला और बहुमुखी दृष्टिकोण का उपयोग करता है। यह पश्चिमी, बौद्ध बहुमत वाले या एशियाई देशों में भिन्न होता है।
  • स्तंभों पर नई रंजना लिपियों के उपयोग या नेपाली कलाकार अर्निको जो चीन में पूजनीय है के साथ इन मंदिरों के जुड़ाव के कारण चीन बौद्ध धर्म के स्रोत के रूप में भारत की अपेक्षा नेपाल का समर्थन करता है।
  • चीन ने श्रीलंका, लाओस और कंबोडिया में बुनियादी ढांचे के निवेश के लिए बौद्ध आख्यानों का भी इस्तेमाल किया।
  • चीन सॉफ्ट पॉवर के एक उपकरण के रूप में बौद्ध धर्म के अपने संस्करण का उपयोग करना पसंद करता है।

संबंधित लिंक:

Teachings of Buddha [Ancient Indian History NCERT Notes For UPSC]

सारांश:

  • भारत और चीन जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं सॉफ्ट पावर के लिए बौद्ध धर्म को एक उपकरण के रूप में उपयोग कर रही हैं। बौद्ध धर्म को लेकर ये भू-राजनीतिक तकरार नेपाल के बौद्धों को बेचैन कर रही है।

स्वच्छ ऊर्जा कोष में वृद्धि, लेकिन ज्यादातर चीन, यूरोप, यू.एस. में:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

विषय: ऊर्जा।

मुख्य परीक्षा: अक्षय ऊर्जा।

प्रारंभिक परीक्षा: विश्व ऊर्जा निवेश 2023।

विवरण:

  • ‘विश्व ऊर्जा निवेश 2023’ के अनुसार, हाल के वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा में निवेश बढ़ा है।
    • यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) द्वारा जारी की गई है।

चित्र: स्वच्छ ऊर्जा और जीवाश्म ईंधन में वैश्विक ऊर्जा निवेश (अरब डॉलर में)

स्रोत: The Hindu

  • परिवर्तन मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • अक्षय ऊर्जा में निवेश आमतौर पर उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और चीन में केंद्रित होते हैं।

चित्र: 2019-2023 के दौरान चुनिंदा देशों में वार्षिक स्वच्छ ऊर्जा निवेश

स्रोत: The Hindu

  • हालांकि, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की कीमतों में गिरावट पिछले दो वर्षों में थोड़ी उलट गई है।
  • यह दिखाया गया है कि महामारी के बाद की रिकवरी ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को महत्वपूर्ण रूप से प्रेरित किया है।
  • यह पाया गया है कि हरित ऊर्जा में वार्षिक निवेश 15% के मुकाबले 24% की वृद्धि दर्ज करते हुए जीवाश्म ईंधन में निवेश को पार कर गया है।
  • इसके अलावा, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण जीवाश्म ईंधन बाजार में अस्थिरता ने नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के प्रयोग को गति दी है।
  • EV और विद्युत में नवीकरणीय ऊर्जा बैटरी प्रौद्योगिकी, ताप पंप और परमाणु ऊर्जा द्वारा पूरित है।
  • यह अनुमान लगाया गया है कि 2023 में निम्न उत्सर्जन वाली ऊर्जा विद्युत उत्पादन में कुल निवेश का लगभग 90% आकर्षित करेगी।
    • 2023 में सौर ऊर्जा के प्रति दिन $1 बिलियन को पार करने का अनुमान है, वर्ष के लिए यह कुल $380 बिलियन है।
  • भारत ने सौर ऊर्जा में मजबूत निवेश का प्रदर्शन किया है।
  • ब्राजील भी लगातार वृद्धि की ओर है। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान जैसे पश्चिम एशियाई देशों में भी निवेश बढ़ रहा है।

संबद्ध चुनौतियां:

  • नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश को बाधित करने वाले कारक हैं:
    • उच्च ब्याज दरें
    • अस्पष्ट नीतियां
    • बाजार डिजाइन
    • वित्तीय बाधाएं
    • पूंजी की उच्च लागत
  • कई महत्वपूर्ण स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की कीमतों में 2021 और 2022 में वृद्धि हुई है। इस वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण खनिजों, अर्धचालकों और स्टील और सीमेंट जैसी थोक सामग्री के लिए बढ़ती इनपुट कीमतों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

संबंधित लिंक:

Indian Renewable Energy Development Agency (IREDA) | UPSC Notes

सारांश:

  • विश्व ऊर्जा निवेश रिपोर्ट 2023 इस बात पर प्रकाश डालती है कि हरित ईंधन की ओर प्रेरण मुख्य रूप से नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों द्वारा संचालित होता है। इसके अलावा, यह आमतौर पर उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और चीन में केंद्रित है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.बृहस्पति के आकार के नए बाह्य ग्रह (एक्सोप्लैनेट) की खोज की गई:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता

प्रारंभिक परीक्षा: नए बाह्य ग्रह (एक्सोप्लैनेट) की खोज से सम्बन्धित तथ्यात्मक जानकारी।

प्रसंग:

  • भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद के बाह्य ग्रह अनुसंधान समूह में प्रोफेसर अभिजीत चक्रवर्ती के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने बृहस्पति के आकार के एक नए बाह्य ग्रह की खोज की है।

विवरण

चित्र स्रोत: ISRO

  • आज तक ज्ञात ~14 g/cm3 के उच्चतम घनत्व वाला एक नया बृहस्पति के आकार का बाह्य ग्रह (एक्सोप्लैनेट) खोजा गया है।
  • खोजे गए नए बाह्य ग्रह का द्रव्यमान बृहस्पति से 13 गुना अधिक है।
  • यह खोज माउंट आबू में स्थित गुरुशिखर वेधशाला में स्वदेशी रूप से विकसित पीआरएल एडवांस्ड रेडियल-वेलोसिटी अबू-स्काई सर्च स्पेक्ट्रोग्राफ (PARAS) और पीआरएल 1.2m टेलीस्कोप का उपयोग करके की गई थी।
  • खोज में शामिल वैज्ञानिकों की टीम में भारत, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और अमेरिका के शोधकर्ता शामिल हैं।
  • खोजा गया नया बाह्य ग्रह TOI4603 या HD 245134 नामक तारे के आसपास पाया गया।
  • इस नए खोजे गए बाह्य ग्रह “TOI4603” को सबसे विशाल और घने विशालकाय ग्रहों में से एक माना जाता है, जो हमारे सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी के 1/10वें हिस्से से कम दूरी पर अपने मेजबान तारे के बहुत करीब परिक्रमा करता है।
  • यह नया खोजा गया ग्रह बड़े विशाल ग्रहों और कम द्रव्यमान वाले भूरे बौनों की संक्रमण द्रव्यमान श्रेणी में आता है।
    • बड़े विशाल बाह्य ग्रह वे हैं जिनका द्रव्यमान बृहस्पति के चार गुना से अधिक है।
    • कम द्रव्यमान वाले भूरे बौने वे होते हैं जिनका द्रव्यमान बृहस्पति के द्रव्यमान के 13 गुना के बराबर होता है।
  • ऐसा कहा जाता है कि यह बाह्य ग्रह जिसकी सतह का तापमान 1670 K है लगभग 0.3 के उत्केन्द्रता मान के साथ उच्च-विकेंद्रता वाले ज्वारीय स्थानांतरण से गुजर रहा है।
  • यह खोज K2-236b (2018 में) और TOI-1789b (2021 में) की खोजों के बाद भारत द्वारा और PRL वैज्ञानिकों द्वारा पारस (PARAS) स्पेक्ट्रोग्राफ और PRL 1.2 मीटर टेलीस्कोप का उपयोग करके तीसरे बाह्य ग्रह खोज को भी चिन्हित करती है।
  • ऐसे बाह्य ग्रह की खोज बड़े पैमाने पर बाह्य ग्रह के गठन, स्थानांतरण और विकास तंत्र के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करती है।

2. पुराने किले में खुदाई:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

इतिहास:

विषय: प्राचीन इतिहास

प्रारंभिक परीक्षा: पुराना किला और खुदाई के निष्कर्षों से सम्बन्धित तथ्यात्मक जानकारी।

प्रसंग

  • पुराना किला स्थल पर खुदाई के एक नए दौर में मौर्य काल से पूर्व के शहर के निरंतर इतिहास के प्रमाण मिले हैं।

विवरण:

चित्र स्रोत: PIB

  • उत्खनन के नए दौर में राजपूत काल के 900 साल पुराने वैकुंठ विष्णु के अवशेषों, मौर्य काल के 2,500 साल पुराने टेराकोटा रिंग वेल के संरचनात्मक अवशेषों, गुप्त काल की देवी गज लक्ष्मी की एक टेराकोटा पट्टिका, और शुंग-कुषाण काल के 2,300 साल पहले के चार कमरों के परिसर की भी खुदाई की गई है।
  • दिल्ली में पुराना किला स्थल के निष्कर्षों में चित्रित धूसर मृदभांड के टुकड़े शामिल हैं, जो लगभग 1200 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व के हैं। यहाँ से मोती, मुहरें, तांबे के सिक्के और एक हड्डी की सुई प्राप्त हुई है।
  • उत्खनन स्थलों में अब तक 136 से अधिक सिक्के और 35 मुहरें पाई गई हैं, जो इंगित करती हैं कि इस स्थल ने व्यापार गतिविधियों के केंद्र के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • 2013-14 और 2017-18 में किए गए उत्खनन के साथ-साथ नवीनतम उत्खनन प्रयासों से नौ सांस्कृतिक स्तरों का पता चला है जो विभिन्न ऐतिहासिक काल का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे कि पूर्व-मौर्य, मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त, उत्तर-गुप्त, राजपूत, सल्तनत, और मुगल।
  • यह भी कहा जा रहा है कि इस स्थल पर सितंबर 2023 में G-20 नेतृत्व शिखर सम्मेलन के दौरान किसी एक कार्यक्रम की मेजबानी की जा सकती है।

पुराने किले:

  • पुराना किला 16वीं शताब्दी का एक किला है जो वर्तमान नई दिल्ली शहर के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित है।
  • कहा जाता है कि पुराना किला शेर शाह सूरी और मुगल बादशाह हुमायूं ने बनवाया था।
  • ऐसा माना जाता है कि यह इंद्रप्रस्थ का स्थान था, जो महाभारत में वर्णित पांडवों की राजधानी थी।
  • किला हुमायूँ के शासन के दौरान दीन पनाह शहर का आंतरिक गढ़ था, जिसने 1533 में इसका जीर्णोद्धार किया था।
  • बाद में, शेर शाह सूरी, जो सूरी वंश का संस्थापक था, ने 1540 में हुमायूँ (Humayun) को हराने के बाद किले का नाम बदलकर शेरगढ़ कर दिया।
    • शेर शाह सूरी (Sher Shah Suri) ने अपने पांच साल के शासनकाल के दौरान परिसर में कई संरचनाएं बनवाईं।
  • वर्तमान पुराना किला परिसर इस प्रकार विभिन्न संरचनाओं का एक समूह है जो 300 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • पुराना किला एक विस्तृत खाई से घिरा हुआ था जो यमुना नदी से जुड़ा हुआ था – जिसका पानी कभी किले की पूर्वी दीवारों से टकराता था।

3. तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।

प्रारंभिक परीक्षा: तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन से सम्बन्धित तथ्यात्मक जानकारी।

प्रसंग:

  • चीन ने हाल ही में अपने तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा है और चीन 2030 तक चंद्रमा पर एक मानवयुक्त मिशन भेजने की योजना के बीच पहली बार एक नागरिक को कक्षा में भेजा है।

तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन:

चित्र स्रोत: The BBC

  • तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन जिसका चीनी भाषा में अर्थ “स्वर्गीय महल” होता है, चीन का स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन है।
  • चीन ने पहले दो अस्थायी परीक्षण अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च किए थे, जिन्हें तियांगोंग -1 और तियांगोंग -2 नाम दिया गया था।
  • तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन के तीन मॉड्यूल हैं:
    • तियान्हे: 2021 में लॉन्च किया गया कोर मॉड्यूल
    • वेंटियन: विज्ञान मॉड्यूल 1, 2022 में लॉन्च किया गया
    • मेंगटियन: विज्ञान मॉड्यूल 2, इसे भी 2022 में लॉन्च किया गया
  • तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन की योजना इस तरह से बनाई गई है कि यह ज़ुंटियन अंतरिक्ष टेलिस्कोप के साथ अपनी कक्षा साझा करे ताकि अंतरिक्ष यात्रियों को टेलीस्कोप की मरम्मत और अपग्रेड करने में आसानी हो।
  • सोवियत संघ और अमेरिका के बाद चीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने और अंतरिक्ष स्टेशन बनाने वाला इतिहास का केवल तीसरा देश बन गया।
  • चीन का मानना है कि तियांगोंग अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की जगह लेगा, जो 2031 में सेवामुक्त होने वाला है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. कोसोवो सर्ब शहर में संघर्ष के बाद नाटो सैनिक का पहरा:

चित्र स्रोत: BBC

  • इस संघर्ष में नाटो के 30 सैनिकों और 52 सर्ब प्रदर्शनकारियों के घायल होने के एक दिन बाद नाटो सैनिकों ने ज़्वेकान के कोसोवो शहर में एक नगरपालिका भवन को सुरक्षित कर लिया है।
  • हाल के दिनों में सर्बिया और कोसोवो के बीच तनाव बढ़ा है।
  • कोसोवो में मुख्य रूप से जातीय अल्बानियाई आबादी शामिल है जो पहले सर्बिया का एक प्रांत था।
  • कोसोवो ने 2008 में स्वतंत्रता की घोषणा की थी।
  • हालाँकि, सर्बिया ने कोसोवो को अलग देश का दर्जा देने से इनकार कर दिया है और इस क्षेत्र पर कोई औपचारिक नियंत्रण न होने के बावजूद अभी भी इसे सर्बिया का हिस्सा मानता है।
  • हालाँकि की स्वतंत्रता को अमेरिका सहित 100 से अधिक देशों ने मान्यता दी है। जबकि, रूस, चीन और पाँच यूरोपीय संघ के देशों जैसे देशों ने सर्बिया का पक्ष लिया है, जिसके परिणामस्वरूप गतिरोध उत्पन्न हुआ है।
  • अप्रैल में हुए चुनावों के बाद उत्तरी कोसोवो के सर्ब-बहुल क्षेत्र में जातीय अल्बानियाई महापौरों के पदभार ग्रहण करने के बाद इस क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया, जिसका सर्बों द्वारा बहिष्कार किया गया था।
  1. कंबोडिया के साथ संबंध मजबूत करना चाहता है भारत:
  • भारत के राष्ट्रपति ने माना है कि भारत पर्यटन और लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के अलावा कंबोडिया के साथ अपने रक्षा संबंधों को और उन्नत करने का इच्छुक है।
  • राष्ट्रपति भवन में कंबोडिया के राजा का स्वागत करते हुए, भारत की राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और कंबोडिया के बीच व्यापार और निवेश में और वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं।
  • भारत दक्षिण पूर्व एशियाई देश के साथ अपने रक्षा संबंधों को और मजबूत करने का इच्छुक है।
  • राष्ट्रपति ने आगे कहा कि कंबोडिया के राजा की भारत यात्रा इस महत्व को प्रदर्शित करती है कि कंबोडिया भारत के साथ अपने संबंधों को जोड़ता है क्योंकि दोनों देश एक समृद्ध और जीवंत संबंध साझा करते हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों में से कितने सही है/हैं? (स्तर – कठिन)

  1. 1961 में गोवा भारत का पूर्ण राज्य बन गया था।
  2. पुर्तगालियों द्वारा कब्जा किए जाने से पहले यह बीजापुर साम्राज्य का एक हिस्सा था।
  3. गोवा तथा दमन और दीव दोनों से पुर्तगालियों को खदेड़ने के लिए 1961 में ऑपरेशन विजय शुरू किया गया था।

विकल्प:

  1. केवल एक कथन
  2. केवल दो कथन
  3. सभी तीनों कथन
  4. कोई भी नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: गोवा पर 19 दिसंबर 1961 को भारत द्वारा अधिकार कर लिया गया था।
    • 30 मई 1987 को गोवा को राज्य का दर्जा मिला (जबकि दमन और दीव एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए)।
  • कथन 2 सही है: 1492 में, गोवा आदिल शाह की बीजापुर सल्तनत का हिस्सा बन गया, जिसने गोवा वेल्हा को अपनी दूसरी राजधानी के रूप में स्थापित किया।
    • गोवा की लड़ाई (1510) में पुर्तगालियों द्वारा गोवा पर कब्जा कर लिया गया और पश्चिमी तट पर यूरोपीय औपनिवेशिक शासन में शामिल होने वाला भारत का पहला हिस्सा बन गया।
  • कथन 3 सही है: ऑपरेशन विजय (1961) भारत की सेना द्वारा चलाया गया ऑपरेशन है जिसके माध्यम से पुर्तगालियों से गोवा, दमन और दीव तथा अंजेदिवा द्वीपों पर अधिकार वापस लिया गया।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कितने जल निकाय तुर्की की सीमा बनाते हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. एजियन सागर
  2. कैस्पियन सागर
  3. बोस्पोरस जलडमरूमध्य
  4. भूमध्य – सागर
  5. लाल सागर

विकल्प:

  1. केवल 2
  2. केवल 3
  3. केवल 4
  4. सभी 5

उत्तर: b

व्याख्या:

प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा /से सही है/हैं? (स्तर – कठिन)

  1. फ्लेवनॉल्स एक प्रकार का पोषक तत्व है जो कुछ फलों और सब्जियों में पाया जाता है।
  2. इनमें प्रतिउपचायक (एंटी-ऑक्सीडेंट) गुण होते हैं।
  3. मानव शरीर में उनकी कमी वृद्धावस्था से संबंधित स्मृति हानि से जुड़ी है।

विकल्प:

  1. केवल एक कथन
  2. केवल दो कथन
  3. सभी तीनों कथन
  4. कोई भी नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: फ्लेवनॉल्स विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
    • जिन फ्लेवनॉल्स पर सबसे अधिक अध्ययन किया गया है वे हैं: केम्फेरोल, क्वेरसेटिन, माइरिकेटिन और फिसेटिन।
  • कथन 2 सही है: फ्लेवनॉल्स पौधों में प्रतिउपचायक (एंटी-ऑक्सीडेंट), रोगाणुरोधी, फोटोरिसेप्टर, विज़ुअल अट्रैक्टर, फीडिंग रिपेलेंट्स और लाइट स्क्रीनिंग के रूप में कार्य करते हैं।
  • कथन 3 सही है: मनुष्यों में फ्लेवनॉल्स की कमी उम्र से संबंधित स्मृति हानि से जुड़ी है।

प्रश्न 4. “पॉलीजेनिक जोखिम स्कोर” है: (स्तर – मध्यम)

  1. सीवीडी (CVDs) से ग्रसित होने की अपने नागरिकों की प्रवणता के आधार पर देशों को दिया गया एक स्कोर।
  2. अंतर्जनित आपदाओं के प्रति किसी क्षेत्र की भेद्यता निर्धारित करने के लिए एक सूचकांक।
  3. एक क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराएगा या नहीं, इसकी गणना करने के लिए एक सूचकांक।
  4. हृदय रोग होने की किसी व्यक्ति की प्रवणता को निर्धारित करने के लिए एक आनुवंशिक परीक्षण।

उत्तर: d

व्याख्या:

  • पॉलीजेनिक जोखिम स्कोर किसी के जीन के कारण होने वाले रोग के जोखिम का माप प्रदान कर सकता है।
  • यह जीनोम-वाइड जीनोटाइप डेटा को एक एकल संख्या में सारांशित करता है जो एक लक्षण के लिए अनुवांशिक दायित्व का प्रतिनिधित्व करता है।
  • पॉलीजेनिक जोख़िम स्कोर एक तरीका है जिसके द्वारा लोग रोग से संबंधित परिवर्तनों की कुल संख्या के आधार पर अपने अंदर रोग विकसित होने के जोखिम के बारे में जान सकते हैं।

प्रश्न 5. भारत के संविधान की किस अनुसूची के अधीन जनजातीय भूमि का, खनन के लिए निजी पक्षकारों को अंतरण अकृत और शून्य घोषित किया जा सकता है? (PYQ 2020) (स्तर – सरल)

  1. तीसरी अनुसूची
  2. पाँचवीं अनुसूची
  3. नौवीं अनुसूची
  4. बारहवीं अनुसूची

उत्तर: b

व्याख्या:

  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने समाथा बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य के मामले में कहा गया कि अनुसूचित क्षेत्रों में सरकारी, आदिवासी और वन भूमि को खनन उद्देश्यों के लिए गैर-आदिवासी व्यक्तियों या निजी कंपनियों को पट्टे पर नहीं दिया जा सकता है।
  • अदालत ने कहा कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची ने आदिवासी व्यक्तियों के आर्थिक सशक्तिकरण, आर्थिक न्याय, सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान की रक्षा के लिए इन भूमियों को संरक्षित किया है।
  • न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि अनुसूचित क्षेत्रों में सभी भूमि, स्वामित्व की परवाह किए बिना, आदिवासी व्यक्तियों के लिए आजीविका के स्रोत के रूप में कृषि के महत्व के कारण पट्टे पर नहीं दी जा सकती है और इस प्रकार अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि के हस्तांतरण की अनुमति केवल शांति और भूमि के सुशासन के लिए दी जा सकती है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत की विदेश नीति में सॉफ्ट पावर कूटनीति की प्रासंगिकता की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (जीएस-2; अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

प्रश्न 2. चीन के साथ पृथक्करण (डी-कपलिंग) से वि-जोखिमीकरण (डी-रिस्किंग) की ओर अमेरिकी नीति में बदलाव के परिणाम बताइए। (250 शब्द, 15 अंक) (जीएस-2; अंतर्राष्ट्रीय संबंध)