प्रतिवर्ष ‘संघ लोक सेवा आयोग’ (UPSC) द्वारा आईएएस की परीक्षा आयोजित कराई जाती है। प्रत्येक साल कोई ना कोई अभ्यर्थी इस परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त करता है। यह सिविल सेवा परीक्षा भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा है। इसमें सफल होने वाले अभ्यर्थी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय विदेश सेवा (IFS), भारतीय राजस्व सेवा (IRS) सहित कुल 24 सेवा में नियुक्त किए जाते हैं। किसी सफल अभ्यर्थी को कौन-सी सेवा मिलेगी, यह उसके द्वारा प्राप्त की गई रैंक पर निर्भर करता है। इस परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थी केंद्र सरकार के अधीन, विभिन्न राज्य सरकारों के अधीन तथा विदेशों में अपनी सेवाएँ देते हैं। इन सेवाओं की सामाजिक प्रतिष्ठा युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करती है, इसीलिए प्रतिवर्ष लाखों युवा इस परीक्षा में शामिल होते हैं और सिविल सेवक बनने के अपने सपने को पूरा करने का प्रयास करते हैं।
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परिचय
पिछले कुछ वर्षों के घोषित हुए परिणामों का विश्लेषण करें तो स्पष्ट होता है कि अन्य माध्यमों की अपेक्षा अंग्रेजी माध्यम में परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों की सफलता का अनुपात कहीं अधिक है। अंग्रेजी माध्यम की तुलना में अन्य माध्यमों से परीक्षा देने वाले सफल अभ्यर्थियों की संख्या अत्यंत कम देखी जा रही है। ऐसे में, अंग्रेजी माध्यम से इतर अन्य माध्यम से परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों का मनोबल गिरने लगता है, मगर धैर्य और आत्मविश्वास बनाए रखना इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने का मूल मंत्र होता है। इस परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों में एक बहुत बड़ा वर्ग हिंदी माध्यम से तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों का भी है और प्रतिवर्ष हिंदी माध्यम के भी कुछ अभ्यर्थी इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करते हैं। अपने इस आलेख में हम हिंदी माध्यम से सफलता प्राप्त करने वाले कुछ ऐसे अभ्यर्थियों की परीक्षा संबंधी रणनीति की चर्चा करेंगे, जिन्होंने शीर्ष 100 विद्यार्थी में अपनी जगह बनाई है।
हिंदी आईएएस टॉपर्स की रणनीति पर चर्चा
हमारी इस परिचर्चा का उद्देश्य हिंदी माध्यम के उन अभ्यर्थियों में आत्मविश्वास भरना है, जो आईएएस परीक्षा परिणामों में हिंदी माध्यम के प्रदर्शन को देखकर हतोत्साहित हो रहे हैं। हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी इस आलेख के माध्यम से हिंदी माध्यम से इस परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की रणनीति से कुछ सीख सकते हैं तथा अपनी परीक्षा की तैयारी को धार दे सकते हैं।
हिंदी आईएएस टॉपर्स और उनकी यूपीएससी रणनीति
तो आइए, अब हम हिंदी माध्यम से आईएएस की परीक्षा में सफलता अर्जित करने वाले कुछ ऐसे अभ्यर्थियों की रणनीति की चर्चा करते हैं, जिन्होंने इस कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त करके अपनी रणनीति को सिद्ध किया है।
1. गौरव बुडानिया : रैंक-13 (आईएएस, 2020)
- आजकल गौरव बुडानिया किसी परिचय के मोहताज नहीं है विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, अखबारों, कोचिंग संस्थानों इत्यादि में गौरव बुडानिया छाए हुए हैं। इसका प्रमुख कारण है कि उन्होंने वर्ष 2020 की आईएएस परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 13वीं रैंक हासिल की है और इन्होंने यह कीर्तिमान अपने आईएस के प्रथम प्रयास में ही रचा है।
- गौरव बुडानिया राजस्थान के चूरू जिले के एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं। उन्होंने अपनी विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात् आईआईटी का एग्जाम दिया और उसमें भी बेहतर रैंक हासिल की। परिणामस्वरूप इनका दाखिला आईआईटी बीएचयू में हो गया और वहाँ से इन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
- इसके पश्चात् उन्होंने आरएएस तथा आईएएस, दोनों परीक्षाओं की तैयारी आरंभ की। किसी भी इन्होंने समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि भी हासिल कर ली।
- गौरव बुडानिया ने कड़ी मेहनत के दम पर वर्ष 2018 में आयोजित हुई आरएएस परीक्षा में संपूर्ण राजस्थान में 12वाँ स्थान हासिल किया और एसडीएम के पद पर चयनित हुए।
- वर्ष 2020 में इन्होंने आईएएस की परीक्षा दी। इस दौरान गौरव बुडानिया एसडीएम का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे और इसी बीच वर्ष 2020 की आईएएस परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ और उन्होंने उसमें संपूर्ण भारत में 13वाँ स्थान हासिल किया। गौरव बुडानिया ने आईएएस की परीक्षा हिंदी माध्यम से उत्तीर्ण की है।
- गौरव बुडानिया ने आईएएस की परीक्षा में वैकल्पिक विषय के रूप में समाजशास्त्र को चुना था और इसी के दम पर उन्होंने प्रथम प्रयास में आईएएस की परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
- गौरव बुडानिया से जब उनकी परीक्षा उत्तीर्ण करने की रणनीति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कठिन परिश्रम और दृढ़ विश्वास के दम पर कोई भी परीक्षा उत्तीर्ण की जा सकती है।
- उन्होंने कहा आपकी पाठ्य सामग्री सीमित होनी चाहिए। अभ्यर्थियों को अत्यधिक पाठ्य सामग्री इकट्ठी नहीं करनी चाहिए।
- आईएएस की तैयारी करने वाले तमाम अभ्यर्थियों को सबसे पहले यूपीएससी द्वारा निर्धारित किए गए पाठ्यक्रम को गहराई से समझना चाहिए और उसी के अनुरूप अपनी तैयारी को आगे बढ़ाना चाहिए।
- तैयारी कर रहे समस्त अभ्यर्थियों को चुनिंदा किताबों तक ही अपने आप को सीमित रखना चाहिए। इसके अलावा पढ़ाई में नियमितता बनाए रखना इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने का सबसे अनिवार्य पहलू है।
- आगे गौरव बुडानिया ने कहा कि अभ्यर्थियों को अपनी तैयारी के दौरान हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए तथा पढ़ाई करते समय शॉर्ट नोट्स बनाने चाहिए। इससे अभ्यर्थियों को परीक्षा से ठीक पहले विषयवस्तु का दोहरान करने में आसानी होती है।
- उन्होंने कहा कि प्रत्येक अभ्यर्थी को उत्तर लेखन का अधिक से अधिक अभ्यास करना चाहिए तथा अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखना चाहिए। इनके अनुसार, प्रत्येक अभ्यर्थी कठिन परिश्रम और सही दिशा के आधार पर इस परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकता है।
2. गंगा सिंह राजपुरोहित : रैंक-33 (आईएएस, 2016)
- गंगा सिंह राजपुरोहित राजस्थान के बाड़मेर जिले के सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं। उन्होंने वर्ष 2016 में आयोजित हुई आईएएस की परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 33वीं रैंक हासिल की थी।
- गंगा सिंह राजपुरोहित अपनी 12वीं कक्षा में विज्ञान और गणित की पढ़ाई की इसके पश्चात् उन्होंने स्नातक स्तर पर बीएससी की पढ़ाई पूर्ण की।
- इसके बाद उन्होंने आईएएस की परीक्षा की विधिवत तैयारी आरंभ कर दी। इसी दौरान उन्होंने नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वहाँ पर हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने लगे।
- गंगा सिंह राजपुरोहित ने आईएएस की परीक्षा में हिंदी साहित्य को अपना वैकल्पिक विषय चुना तथा दूसरे प्रयास में यह सफलता अर्जित की। उन्होंने हिंदी माध्यम में आईएएस की परीक्षा दी थी।
- जो गंगा सिंह राजपुरोहित उनकी परीक्षा संबंधी रणनीति के विषय में बात की गई तो उन्होंने एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों को इस तैयारी का आधार बताया और उनके बार-बार रिवीजन करने पर जोर दिया।
- उन्होंने कहा कि पहले एनसीईआरटी की पुस्तकों का गहराई से अध्ययन करना चाहिए तथा उसके पश्चात् मानक पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए, इससे अभ्यर्थी की अवधारणा तक समझ अत्यंत विकसित हो जाती है और अंततः उसे इस परीक्षा में अत्यधिक लाभ मिलता है।
- उन्होंने कहा कि इतिहास विषय की तैयारी करने के लिए कुछ पाठ्य पुस्तकों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया की प्राचीन भारत के इतिहास के अध्ययन के लिए राम शरण शर्मा की पुस्तक, मध्यकालीन भारत के इतिहास के लिए सतीश चंद्र की पुस्तक और आधुनिक भारत के इतिहास के लिए बिपिन चंद्र की पुस्तक का अध्ययन करना लाभदायक होता है।
- इसके अलावा उन्होंने भारतीय राजव्यवस्था का अध्ययन करने के लिए एम लक्ष्मीकांत की पुस्तक को अत्यधिक उपयोगी बताया।
- उन्होंने यह भी कहा कि आईएएस परीक्षा प्रणाली में भूगोल खंड की तैयारी के लिए केवल एनसीआरटी की पुस्तकों पर भरोसा किया जा सकता है।
- गंगा सिंह राजपुरोहित ने बताया कि प्रत्येक अभ्यर्थी को अपने अध्ययन स्रोत सीमित रखने चाहिए तथा उनके बार-बार दोहरान पर बल देना चाहिए।
- जब उनसे शॉर्ट नोट बनाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा की शार्ट नोट प्रत्येक अभ्यर्थी को अपनी तैयारी के दौरान बनाने चाहिए क्योंकि इससे अभ्यर्थी को न सिर्फ विषयवस्तु का रिवीजन करने में आसानी होती है बल्कि परीक्षा से ठीक पहले संपूर्ण विषय वस्तु को शीघ्रता पूर्वक देखा जा सकता है।
- उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि तैयारी के दौरान प्रत्येक अभ्यर्थी को उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, उन्हें धैर्य बनाकर रखना चाहिए तथा निरंतर तार्किक दृष्टिकोण विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।
- गंगा सिंह राजपुरोहित ने कहा कि अभ्यर्थियों को अपनी तैयारी के दौरान अधिक से अधिक मॉक टेस्ट का अभ्यास करना चाहिए।
- उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रत्येक अभ्यर्थी को अपनी परीक्षा से पहले तथा परीक्षा के दौरान आत्मविश्वास रखना चाहिए तथा अपने आपको हमेशा मानसिक रूप से तैयार रखना चाहिए।
- उन्होंने परीक्षा के दौरान प्रश्न पत्र हल करने के विषय में भी सुझाव दिया कि प्रत्येक अभ्यर्थी को सबसे पहले वे प्रश्न करने चाहिएँ, जिनके उत्तर के बारे में वे पूर्णतया आश्वस्त हों।
- गंगा सिंह राजपुरोहित ने सीसैट के पेपर की तैयारी को लेकर भी कुछ सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक अभ्यर्थी को सीसैट के पेपर के विषय में भी अपनी क्षमताओं का आकलन पहले ही कर लेना चाहिए और यदि किसी अभ्यर्थी को यह महसूस होता है कि वह सीसैट के पेपर में सहज नहीं है तो उसे अपनी तैयारी के दौरान इस खंड को भी कुछ समय देना चाहिए।
- सीटेट का पेपर तैयार करने के लिए अभ्यर्थी पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को हल कर सकते हैं तथा इसके लिए भी वे मॉक टेस्ट दे सकते हैं।
- उत्तर लेखन अभ्यास के विषय में उन्होंने कहा कि प्रत्येक अभ्यर्थी को इसका निरंतर व नियमित अभ्यास करना चाहिए इससे न सिर्फ अभ्यर्थी के विषय वस्तु की गुणवत्ता बढ़ती है बल्कि उसकी उत्तर लेखन की गति भी बढ़ जाती है और अंततः उन्हें परीक्षा के दौरान इन समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
3. गौरव सिंह सोगरवाल : रैंक-46 (आईएएस, 2016)
- गौरव सिंह सोगरवाल की आईएस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने की यात्रा अत्यंत चुनौतियों से भरी हुई थी। इसीलिए यह उन अभ्यर्थियों के लिए अत्यधिक प्रेरणादायक हो सकती है, जो अपनी तैयारी के दौरान विभिन्न कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
- गौरव सिंह सोगरवाल राजस्थान के भरतपुर जिले से संबंध रखते हैं। उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। महज 3 वर्ष की आयु में ही उनकी माता जी का देहावसान हो गया और उनके पिता ने दूसरा विवाह किया।
- आगे 14 वर्ष की उम्र में उन्हें एक और झटका लगा और उम्र के इस पड़ाव में उनके पिताजी भी चल बसे। अब उन्हें अपने भाई-बहनों का पालन-पोषण खुद ही करना था।
- 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात उन्होंने पुणे स्थित भारती विद्यापीठ में दाखिला लिया और वहाँ से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई संपूर्ण की। इस दौरान उन्होंने अपनी आर्थिक तंगी दूर करने के लिए ट्यूशन पढ़ाना आरंभ कर दिया।
- वर्ष 2010 में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात उन्होंने आईएएस की परीक्षा की तैयारी आरंभ कर दी। उन्होंने आईएएस परीक्षा की तैयारी हिंदी माध्यम में करने का फैसला किया।
- इस तैयारी के दौरान उन्होंने संस्कृत साहित्य को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में चुना। वे अपने प्रथम प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने से महज़ 1 अंक दूर रह गए तथा दूसरे प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा को उत्तीर्ण कर गए, लेकिन मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने से 1 अंक दूर रह गए।
- इसी बीच उन्होंने ‘केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल’ (CAPF) की परीक्षा उत्तीर्ण की और ‘सीमा सुरक्षा बल’ (BSF) असिस्टेंट कमांडेंट का पद प्राप्त किया।
- तीसरे प्रयास में वर्ष 2015 में उन्होंने हिंदी माध्यम से आईएएस की परीक्षा दी। उनकी बीएसएससी ट्रेनिंग चल रही थी और इसी बीच वर्ष 2015 की आईएएस की परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ। इस बार उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर 99वीं रैंक हासिल की। इस आधार पर उन्हें भारतीय पुलिस सेवा प्राप्त हुई।
- लेकिन गौरव सिंह सोगरवाल यहीं नहीं रुकने वाले थे। उन्होंने वर्ष 2016 में पुनः हिंदी माध्यम से ही आईएएस की परीक्षा दी और इस बार उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर 46वाँ स्थान प्राप्त किया और भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य बन गए। वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश राज्य में आईएएस के रूप में कार्यरत हैं।
- उन्होंने कहा किस सिविल सेवाओं की सामाजिक प्रतिष्ठा उनके आकर्षण का मुख्य विषय रही तथा इस परीक्षा के लिए तैयारी करना उनके पिताजी उनके प्रमुख प्रेरणास्रोत रहे।
- उन्होंने परीक्षा की रणनीति के विषय में कहा कि हमें एनसीईआरटी की पुस्तकों का गहराई से अध्ययन करना चाहिए तथा अपने अध्ययन स्रोत सीमित रखने चाहिए।
- उन्होंने एक ही अध्ययन सामग्री के बार-बार रिवीजन करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि एक ही पुस्तक को बार-बार पढ़ने से परीक्षा में अत्यंत लाभ मिलता है।
- गौरव सिंह सोगरवाल ने इस परीक्षा के लिए अखबारों के नियमित अध्ययन को अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना। उन्होंने कहा कि आपका कोई भी दिन ऐसा नहीं जाना चाहिए, जिस दिन आपने अखबार ने पढ़ा हो। उनके अनुसार, अखबार पढ़ने से आईएएस की परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी के विचार परीक्षा की माँग के अनुरूप विकसित होते जाते हैं।
- उन्होंने उत्तर लेखन पर भी अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता बताई और कहा कि हमें उत्तर लिखते समय अपनी भाषा को सहज रखना चाहिए। गौरव सिंह सोगरवाल के अनुसार उत्तर लेखन का हमें अधिक से अधिक अभ्यास करना चाहिए इससे इस परीक्षा में सफल होने की आप की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है।
- गौरव सिंह सोगरवाल कहते हैं कि उत्तर लेखन करते समय जहाँ संभव हो सके, अपने व्यावहारिक जीवन के उदाहरण देने चाहिए। इससे आपके उत्तर की स्वीकार्यता बढ़ जाती है तथा आप को अपेक्षाकृत अधिक अंक मिलने की संभावना में वृद्धि होती है।
- इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा कि हमें विषय वस्तु के विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हमें न सिर्फ अपनी विश्लेषणात्मक समझ बढ़ानी चाहिए, बल्कि निरंतर अपने तार्किक दृष्टिकोण का विकास भी करना चाहिए।
- उन्होंने कहा कि प्रत्येक अभ्यर्थी को यूपीएससी द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम को गहराई से समझना चाहिए और इसके अनुसार सही दिशा में अपनी तैयारी को बढ़ाना चाहिए।
- उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा के विषय में कहा कि अभ्यर्थी को सामान्यतया प्रारंभिक परीक्षा से कम से कम 2 माह पूर्व सिर्फ प्रारंभिक परीक्षा पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- गौरव सिंह सोगरवाल कहते हैं कि आईएएस की परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी को प्रतिदिन औसतन 5-6 घंटे पढ़ाई करनी चाहिए और पढ़ाई में नियमितता बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
4. गौरव कुमार सिंघल : रैंक-31 (आईएएस, 2016)
- गौरव कुमार सिंघल उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के निवासी हैं। उन्होंने वर्ष 2016 में आयोजित हुई आईएएस की परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 31 वी रैंक हासिल की।
- उन्होंने आईएएस की परीक्षा देने के लिए हिंदी को अपना माध्यम चुना। वर्ष 2016 में उनके द्वारा दी गई आईएएस की परीक्षा उनका अंतिम छठा प्रयास था।
- इससे पूर्व वे सहायक वैज्ञानिक, बीडीओ इत्यादि अन्य कई पदों पर चयनित हो चुके थे। वर्ष 2016 के परीक्षा परिणामों में उन्होंने हिंदी माध्यम से प्रथम रैंक हासिल की थी। वर्तमान में गौरव कुमार सिंघल उत्तराखंड राज्य में अपनी सेवाएँ दे रही हैं।
- उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक अभ्यर्थी को अपने अध्ययन स्रोत सीमित रखने चाहिए और किसी अनुभवी व्यक्ति से मार्गदर्शन भी प्राप्त करना चाहिए।
- उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान इतिहास को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना। उन्होंने कहा कि प्रथम 2 प्रयासों में वे प्रारंभिक परीक्षा भी उत्तीर्ण नहीं कर सके थे।
- उन्होंने अपनी परीक्षा की रणनीति की चर्चा करते हुए कहा कि वैसे तो प्रत्येक अभ्यर्थी की अपनी अलग रणनीति होती है, लेकिन फिर भी अभ्यर्थियों को अपनी तैयारी के दौरान धैर्य रखना चाहिए और स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए।
- उन्होंने पुस्तक सूची पर बात करते हुए कहा कि अभ्यर्थियों को एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों से अपनी तैयारी की शुरुआत करनी चाहिए इसके पश्चात् मानक पाठ्य पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए।
- अभ्यर्थियों को अपनी सहूलियत के हिसाब से नोट्स बनाने चाहिए तथा उनका बार-बार रिवीजन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी सफल अभ्यर्थी कुछ अलग पुस्तक नहीं पढ़ते हैं, बल्कि वह भी उन्हीं पुस्तकों का अध्ययन करते हैं, जो तैयारी करने वाले अभ्यर्थी पढ़ रहे होते हैं। इसीलिए हमें अपनी पाठ्य सामग्री पर भरोसा रखना चाहिए।
- गौरव कुमार के अनुसार, मोटिवेशन और डिमोटिवेशन प्रत्येक अभ्यर्थी के तैयारी का हिस्सा होता है। इसलिए उन्हें अपनी तैयारी के दौरान आने वाले उतार-चढ़ाव के दौरान संयमित रहने की आवश्यकता है।
- प्रत्येक अभ्यर्थी को अपने मानसिक संतुलन के लिए पढ़ाई के साथ साथ खेल योग इत्यादि का भी सहारा लेना चाहिए। इससे उनकी पढ़ाई की दक्षता बढ़ जाती है।
5. अनुराधा पाल : रैंक-62 (आईएएस, 2015)
- अनुराधा पाल ने वर्ष 2015 में आयोजित हुई आईएएस परीक्षा में भारत अखिल भारतीय स्तर पर 62वीं रैंक हासिल की थी। ये उत्तराखंड के हरिद्वार की रहने वाली हैं।
- इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि बेहद सामान्य है। इनकी माताजी एक गृहणी हैं, जबकि इनके पिताजी दूध विक्रेता थे। इनके पिता जी का यही कार्य इनकी घरेलू आय का साधन भी था।
- इनके परिवार के लोग छोटी उम्र में ही इनकी शादी करना चाहते थे, लेकिन इनकी माताजी ने इस बात का विरोध किया और अनुराधा जी को आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
- अनुराधा पाल ने जवाहर नवोदय विद्यालय से अपनी विद्यालयी शिक्षा पूरी की तथा इसके बाद इन्होंने उत्तराखंड में ही गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वहाँ से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूर्ण की।
- इसके पश्चात उन्होंने आईएएस की परीक्षा की तैयारी करने का फैसला लिया और उसकी तैयारी में जुट गईं।
- इन्होंने आईएएस की परीक्षा की तैयारी हिंदी माध्यम से की। इस परीक्षा के दौरान उन्होंने इतिहास को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना।
- यह तैयारी करने के लिए अपने घर से दिल्ली आ गई और अपनी आर्थिक तंगी दूर करने के लिए इन्होंने ट्यूशन पढ़ाया। इन्होंने अपनी आर्थिक और सामाजिक परेशानियों को कभी अपनी सफलता में रोड़ा नहीं बनने दिया।
- अनुराधा पाल इस परीक्षा की तैयारी की रणनीति के विषय में कहती हैं कि प्रत्येक अभ्यर्थी को अपनी तैयारी एनसीईआरटी की पुस्तकों से आरंभ करनी चाहिए। इन पुस्तकों के अध्ययन से इस परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिलती है।
- उनके अनुसार, प्रत्येक अभ्यर्थी को अपनी तैयारी के दौरान अपने छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिएँ तथा उनके लिए विभिन्न समय अंतराल निर्धारित करनी चाहिए। फिर उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पूरे मनोयोग से आगे बढ़ना चाहिए।
- अनुराधा पाल को वर्ष 2012 में आईएएस की परीक्षा में 451वीं रैंक हासिल हुई थी। लेकिन उन्हें यहीं पर संतोष नहीं था और आगे बढ़ने की तमन्ना उनके भीतर अभी भी मौजूद थी। उन्होंने वर्ष 2015 में पुनः आईएएस की परीक्षा दी और इस बार उन्हें अखिल भारतीय स्तर पर 62वीं रैंक हासिल हुई।
- उन्होंने वैकल्पिक विषय के बारे में कहा कि अभ्यर्थी को अपनी रुचि के अनुसार वैकल्पिक विषय का चयन करना चाहिए। उन्होंने वैकल्पिक विषय के रूप में इतिहास का चयन इसलिए किया कि इससे न सिर्फ उन्हें सामान्य अध्ययन के प्रश्न पत्रों में मदद मिलने वाली थी, बल्कि इससे उन्हें निबंध के प्रश्न पत्र में भी काफी लाभ मिलता।
- इन्होंने भी उत्तर लेखन के अधिकाधिक अभ्यास पर बल दिया और कहा कि प्रत्येक अभ्यर्थी को लेखन के माध्यम से निरंतर अपनी तैयारी को मजबूत करना चाहिए।
- अनुराधा पाल के अनुसार, हमें अपनी परिस्थितियों को अपने लक्ष्य में आड़े नहीं आने देना चाहिए, बल्कि इसका डटकर सामना करना चाहिए और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ना चाहिए।
निष्कर्ष
पिछले कुछ वर्षों में आईएएस परीक्षा में हिंदी माध्यम से शीर्ष 100 स्थानों में अपनी जगह बनाने वाले 5 अभ्यर्थियों की हमने चर्चा की। हमने इन अभ्यर्थियों की पृष्ठभूमि, उनकी तैयारी के दौरान आने वाली चुनौतियों और परीक्षा को लेकर इनकी रणनीतियों का उल्लेख किया। अगर विश्लेषणात्मक दृष्टि से देखें तो यह स्पष्ट होता है कि प्रत्येक अभ्यर्थी लगभग इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि हमें अपनी अध्ययन सामग्री को सीमित रखना चाहिए तथा उनके बार-बार रिवीजन पर बल देना चाहिए। इसके अलावा, कठिन दौर प्रत्येक अभ्यर्थी की तैयारी के दौरान आते हैं। ऐसे में, प्रत्येक अभ्यर्थी को धैर्य बनाकर रखना चाहिए और दृढ़ विश्वास के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इन अभ्यर्थियों की सफलता की यात्रा का जायजा लेने से स्पष्ट हो जाता है कि वास्तव में, ‘परीक्षा का माध्यम’ किसी अभ्यर्थी की अंतिम सफलता में बाधक नहीं बन सकता है, बल्कि आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत के दम पर इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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