विषयसूची:
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1. “विरासत” – भारत की हाथ से बुनी 75 साड़ियों का उत्सव’:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: समावेशी विकास एवं इससे उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: “विरासत” – भारत की हाथ से बुनी 75 साड़ियों का उत्सव से संबंधित तथ्य,राज्य एवं साड़ी की प्रमुख किस्में।
प्रसंग:
- “विरासत” – भारत की हाथ से बुनी 75 साड़ियों का उत्सव -साड़ी महोत्सव का दूसरा चरण 3 से 17 जनवरी, 2023 तक हथकरघा हाट नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
उद्देश्य:
- आजादी के 75 वर्ष “आजादी का अमृत महोत्सव” के कारण 75 हथकरघा बुनकरों द्वारा हथकरघा साड़ियों की प्रदर्शनी-सह-बिक्री का आयोजन किया जाएगा।
विवरण:
- इस उत्सव का आयोजन कपड़ा मंत्रालय कर रहा है।
- इस उत्सव के दूसरे चरण में देश के विभिन्न हिस्सों से भाग ले रहे 90 प्रतिभागी टाई एंड डाई, चिकन कढ़ाई वाली साड़ियों, हैंड ब्लॉक साड़ियों, कलमकारी प्रिंटेड साड़ियों, अजरख, कांथा और फुलकारी जैसी प्रसिद्ध दस्तकारी की किस्मों इस आयोजन का आकर्षण बढ़ा रहे हैं।
- ये जामदानी, इकत, पोचमपल्ली, बनारस ब्रोकेड, टसर सिल्क (चंपा), बलूचरी, भागलपुरी सिल्क, तंगैल, चंदेरी, ललितपुरी, पटोला, पैठनी आदि की विशेष हथकरघा साड़ियों के अलावा होंगी।
- तनचोई, जंगला, कोटा डोरिया, कटवर्क, माहेश्वरी, भुजोड़ी, शांतिपुरी, बोमकाई और गरद कोरियल, खंडुआ और अरनी सिल्क साड़ियां जैसी कई अन्य किस्म की हथकरघा साड़ियां भी उपलब्ध होंगी।
- “विरासत” – भारत की हाथ से बुनी 75 साड़ियों का उत्सव का पहला चरण 16 दिसंबर 2022 से शुरू होकर 30 दिसंबर 2022 को संपन्न हुआ।
- भारत में हथकरघा बुनकरों की सहायता करने के लिए एक सोशल मीडिया अभियान शुरू किया गया है।
इसमें आने वाले लोगों के लिए निम्नलिखित गतिविधियों की श्रृंखला की योजना बनाई गई है:
- विरासत-विरासत का उत्सव: हथकरघा साड़ियों का क्यूरेटेड प्रदर्शन।
- विरासत-एक धरोहर: बुनकरों द्वारा साड़ियों की सीधी खुदरा बिक्री।
- विरासत के धागे: करघे का सीधा प्रदर्शन।
- विरासत-कल से कल तक: साड़ी और टिकाऊपन पर कार्यशाला और चर्चा।
- विरासत-नृत्य संस्कृति: भारतीय संस्कृति के प्रसिद्ध लोक नृत्य।
प्रदर्शनी में भारत के कुछ आकर्षक स्थानों की हाथ से बुनी साड़ियां प्रदर्शन और बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। इनकी संक्षिप्त सूची निम्नलिखित है:
राज्य | साड़ी की प्रमुख किस्में |
आंध्र प्रदेश | उप्पदा जामदानी साड़ी, वेंकटगिरी जामदानी कॉटन साड़ी, कुप्पदम साड़ी, चिराला सिल्क कॉटन साड़ी, माधवरम साड़ी और पोलावरम साड़ी |
केरल | बलरामपुरम साड़ी और कसावू साड़ी |
तेलंगाना | पोचमपल्ली साड़ी, सिद्दीपेट गोलबम्मा साड़ी और नारायणपेट साड़ी |
तमिलनाडु | कांचीपुरम सिल्क साड़ी, अरनी सिल्क साड़ी, थिरुबुवनम सिल्क साड़ी, विलांदई कॉटन साड़ी, मदुरै साड़ी, परमाकुडी कॉटन साड़ी, अरुप्पुकोट्टई कॉटन साड़ी, डिंडीगुल कॉटन साड़ी, कोयम्बटूर कॉटन साड़ी, सलेम सिल्क साड़ी और कोयंबटूर (सॉफ्ट) सिल्क साड़ी और कोवई कोरा कॉटन साड़ी |
महाराष्ट्र | पैठनी साड़ी, करवत काठी साड़ी और नागपुर कॉटन साड़ी |
छत्तीसगढ | चंपा की टसर सिल्क साड़ी |
मध्य प्रदेश | महेश्वरी साड़ी और चंदेरी साड़ी |
गुजरात | पटोला साड़ी, तंगलिया साड़ी, अश्वली साड़ी और कुच्ची साड़ी/भूजोड़ी साड़ी |
राजस्थान | कोटा डोरिया साड़ी |
उत्तर प्रदेश | ललितपुरी साड़ी, बनारस ब्रोकेड, जंगला, तनचोई, कटवर्क और जामदानी |
जम्मू और कश्मीर | पश्मीना साड़ी |
बिहार | भागलपुरी सिल्क साड़ी और बावन बूटी साड़ी |
ओडिशा | कोटपाड साड़ी और गोपालपुर टसर साड़ी |
पश्चिम बंगाल | जामदानी, शांतिपुरी और तंगैल |
झारखंड | टसर और गिछा सिल्क साड़ी |
कर्नाटक | इल्कल साड़ी |
असम | मुगा सिल्क साड़ी, मेखला चादर (साड़ी) |
पंजाब | फुलकारी |
2. देश में आयुर्वेद में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने हेतु ‘स्मार्ट’ कार्यक्रम:
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग (NCISM), केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) से सम्बंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: देश में आयुर्वेद में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने हेतु ‘स्मार्ट’ कार्यक्रम के महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग (NCISM) और केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS), जो क्रमशः चिकित्सा शिक्षा का नियमन करने और वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीनस्थ दो प्रमुख संस्थान हैं, ने आयुर्वेद कॉलेजों और अस्पतालों के माध्यम से प्राथमिकता वाले स्वास्थ्य अनुसंधान क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘स्मार्ट (स्कोप फॉर मेनस्ट्रीमिंग आयुर्वेद रिसर्च इन टीचिंग प्रोफेशनल्स)’ कार्यक्रम शुरू किया है।
उद्देश्य:
- ‘प्रस्तावित पहल ऑस्टियोआर्थराइटिस, आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, डिस्लिपिडेमिया, रूमेटाइड अर्थराइटिस , मोटापा, मधुमेह मेलेटस, सोरायसिस, सामान्य चिंता विकार, गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग (NAFLD) सहित स्वास्थ्य अनुसंधान क्षेत्रों में अभिनव अनुसंधान विचारों की पहचान करने, आवश्यक सहायता करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है।’
विवरण:
- आयुष का उद्देश्य आयुर्वेद में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान के लिए ‘स्मार्ट’ पहल करके नए मार्ग प्रशस्त करना है।
- इस कार्यक्रम में आयुर्वेद में चिकित्सीय शोध या नैदानिक अनुसंधान में व्यापक बदलाव लाने की विशिष्ट क्षमता है।
- यह पाया गया कि आयुर्वेद शिक्षकों के विशाल समुदाय की अनुसंधान क्षमता का आम तौर पर उपयोग नहीं हो पाता है।
- अत: ‘स्मार्ट’ कार्यक्रम का आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुसंधान पर गहरा दीर्घकालिक कायाकल्प प्रभाव पड़ेगा, और यह राष्ट्र के लिए एक महान सेवा होगी।
- देश भर में आयुर्वेद कॉलेजों और अस्पतालों का विशाल नेटवर्क देश की स्वास्थ्य सेवा संबंधी जरूरतों के लिहाज से एक अहम संपत्ति है।
- यह नेटवर्क न केवल संकट काल में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता रहा है, बल्कि इसने देश में स्वास्थ्य अनुसंधान के संदर्भ में भी व्यापक योगदान दिया है।
- ‘स्मार्ट’ कार्यक्रम निश्चित रूप से शिक्षकों को स्वास्थ्य अनुसंधान के निर्दिष्ट क्षेत्रों में परियोजनाओं को अपने हाथ में लेने और एक बड़ा डेटाबेस तैयार करने के लिए प्रेरित करेगा।’’
3. कोयला मंत्रालय अतिरिक्त 19 फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (FMC) परियोजनाएं शुरू करेगा:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: पारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश एवं नवाचार ।
प्रारंभिक परीक्षा: फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (FMC) परियोजना से सम्बंधित तथ्य।
प्रसंग:
- कोयला मंत्रालय, कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और एससीसीएल के लिए अतिरिक्त 19 फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (FMC) परियोजनाएं शुरू करेगा, जिसकी क्षमता 330 मिलियन टन (MT) होगी और इन परियोजनाओं को वित्त वर्ष 2026-27 तक कार्यान्वित किया जाएगा।
उद्देश्य:
- भविष्य में सुचारू और पर्यावरण-अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए, मंत्रालय, कोयला खानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने समेत राष्ट्रीय कोयला लॉजिस्टिक योजना के विकास पर काम कर रहा है।
- कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2025 तक 1.31 बिलियन टन कोयले और वित्त वर्ष 2030 में 1.5 बीटी कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- इस संदर्भ में, लागत प्रभावी, तेज और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से कोयला परिवहन महत्वपूर्ण है।
विवरण:
- मंत्रालय,18000 करोड़ रुपए के निवेश से 526 एमटीपीए क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं (44-CIL, 5-SCCL और 3-NLCIL) पहले ही शुरू कर चुका है।
- इनमें से 95.5 MPTA क्षमता की आठ परियोजनाएं (6-CIL और 2-MCCL) चालू की जा चुकी हैं और शेष वित्त वर्ष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
- मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को समाप्त करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के क्रम में एक रणनीति तैयार की है और FMC परियोजनाओं के अंतर्गत यंत्रीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए हैं।
- कोल हैंडलिंग प्लांट्स (CHP) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो को कोयले को तोड़ने, कोयले को आकार देने और तेज कंप्यूटर आधारित लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
- राष्ट्रीय पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (NEERI), नागपुर के माध्यम से 2020-21 में अध्ययन किया गया था।
- NEERI रिपोर्ट ने वार्षिक कार्बन उत्सर्जन में कमी, ट्रक परिचालन के घनत्व में कमी और डीजल में 2100 करोड़ रुपये प्रति वर्ष की बचत का उल्लेख किया है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.मॉयल ने दिसंबर में रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज किया:
- मॉयल (मॉयल लिमिटेड (Manganese Ore (India) Limited (moil)): मॉयल लिमिटेड भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत अनुसूची-ए, मिनीरत्न श्रेणी-1 की सीपीएसई है।
- मॉयल ने दिसंबर, 2022 में 1,41,321 टन मैंगनीज अयस्क के साथ दिसंबर का सर्वश्रेष्ठ उत्पादन दर्ज किया है।
- अपनी निर्धारित क्षमता स्तर पर उत्पादन करते हुए नवंबर, 2022 की तुलना में उत्पादन में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
- मॉयल लगभग 45% बाजार हिस्सेदारी के साथ देश में मैंगनीज अयस्क की सबसे बड़ी उत्पादक है, जो महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्य में 11 खानों का संचालन करती है।
- इस कंपनी का 2030 तक अपने उत्पादन को लगभग दोगुना करके 3.00 मिलियन टन तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी विजन है।
- मॉयल मध्य प्रदेश राज्य के अन्य क्षेत्रों के अलावा गुजरात, राजस्थान और ओडिशा राज्य में भी व्यापार के अवसर तलाश रही है।
2. 63वें एनडीसी पाठ्यक्रम की शुरुआत हुई:
- 2 जनवरी, 2023 को 63वें राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय (NDC) पाठ्यक्रम की शुरुआत हुई।
- यह पाठ्यक्रम शासन, प्रौद्योगिकी, इतिहास व अर्थशास्त्र के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीति पर केंद्रित है।
- एनडीसी, 47 सप्ताह की अवधि वाले इस पाठ्यक्रम को रक्षा और सिविल सेवा (आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, डीआरडीओ आदि) के वरिष्ठ अधिकारियों को एक साथ लाने के लिए आयोजित करता है।
- विभिन्न भौगोलिक और भू-राजनीतिक संदर्भों में विविध सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में एनडीसी के पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता को देखते हुए पिछले पाठ्यक्रमों में एफएफसी से प्रतिनिधित्व में बढ़ोतरी देखी गई है।
- राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय (NDC) की स्थापना 1960 में हुई थी।
- यह रक्षा मंत्रालय के तहत एक प्रमुख अंतर-सेवा शैक्षणिक संस्थान है।
- इसे देश में रणनीतिक शिक्षा के लिए सर्वोच्च संस्थान माना जाता है।
3.पारादीप बंदरगाह ने दिसंबर माह में रिकॉर्ड मासिक कार्गो सम्बंधी कार्य-व्यापार दर्ज किया:
- पारादीप बंदरगाह ने देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों द्वारा कार्गो कार्य-कलाप के मद्देनजर दिसंबर माह 2022 में सबसे अधिक कार्गो कार्य-व्यापार किया।
- उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2022 में कार्गो कार्य-व्यापार 12.6 एमएमटी हुआ, जो अब तक का रिकॉर्ड है।
- इस प्रकार के कयास लगाए जा रहे हैं की वर्ष 2023 में यह बंदरगाह 100 एमएमटी कार्गो कार्य-व्यापार की अभीष्ट सीमा पार कर लेगा।
- बंदरगाह, यह सीमा इस वर्ष जनवरी में पार कर लेगा।
- दिसंबर 2022 तक पीपीए ने 96.81 एमएमटी कार्गो कार्य-व्यापार किया था, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 83.6 एमएमटी का कार्गो कार्य-व्यापार किया गया था।
- इसी वर्ष बंदरगाह ने विभिन्न सुधारात्मक उपाय किये, जिनकी बदौलत पिछले वर्ष की तुलना में 15.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- ताप बिजली घरों के लिये कोयला सम्बंधी तटीय कार्य-व्यापार में 68.11 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछले वित्तवर्ष की समानावधि में यह कुल कार्गो कार्य-व्यापार का लगभग 31.56 प्रतिशत था।
- पारादीप बंदरगाह देश के तटीय नौवहन स्थल-केंद्र के रूप में उभर रहा है।
- उसने राजस्थान, उत्तरप्रदेश और हरियाणा के ताप बिजली घरों के लिये समुद्री रास्ते से कोयला पहुंचाने की भी योजना बनाई है।
4.प्रधानमंत्री 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करेंगे:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तीन जनवरी, 2023 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन किया गया।
- इस कार्यक्रम की मेजबानी राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (आरटीएमएनयू) अपने अमरावती रोड परिसर में कर रहा है।
- इस वर्ष कार्यक्रम की विषयवस्तु “सांइस एंड टेक्नोलॉजी फॉर सस्टेनेबल डेवलप्मेंट विद विमेन एमपावरमेंट” (महिला सशक्तिकरण सहित सतत विकास के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी) है।
- 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के तकनीकी सत्र को 14 वर्गों में बांटा गया है, जिनके तहत विश्वविद्यालय के महात्मा ज्योतिबा फुले शैक्षिक परिसर के विभिन्न स्थलों पर समानान्तर सत्र चलाये जायेंगे।
- इन 14 वर्गों के अलावा, महिला विज्ञान कांग्रेस, किसान विज्ञान कांग्रेस, बाल विज्ञान कांग्रेस, जनजातीय समागम, विज्ञान व समाज तथा विज्ञान संचारकों की कांग्रेस के एक-एक सत्र का भी आयोजन किया जायेगा।
- पूर्ण सत्रों में नोबल पुरस्कार विजेताओं, भारत व विदेश के नामी गिरामी अनुसंधान कर्ताओं, विशेषज्ञों और विभिन्न क्षेत्रों के टेकनोक्रेटों पर सामग्री शामिल की गई है, जिसमें अंतरिक्ष, रक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी और चिकित्सा अनुसंधानों को रखा गया है।
- तकनीकी सत्रों में कृषि, वन विज्ञान, पशु, पशु चिकित्सा और मत्स्य विज्ञान, मानव व व्यवहार विज्ञान, रासायनिक विज्ञान, पृथ्वी प्रणाली विज्ञान, अभियांत्रिकी विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, सूचना व संचार विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, पदार्थ विज्ञान, गणितीय विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, नवीन प्राणी विज्ञान, भौतिक विज्ञान तथा पादप विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व व प्रयुक्त अनुसंधानों के बारे में दर्शाया जायेगा।
- कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण मेगा एक्सपो “प्राइड ऑफ इंडिया” (भारत का गौरव) है।
- प्रदर्शनी में भारतीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी द्वारा समाज के प्रति किये गये उन प्रमुख योगदानों, उनकी प्रमुख उपलब्धियों और प्रमुख विकासों को दिखाया जायेगा, जिनकी बदौलत पूरे वैज्ञानिक संसार के लिये सैकड़ों नये विचारों, नवोन्मेषों और उत्पादों को आकार मिला।
- भारत के गौरव के तहत सरकार, कॉरपोरेट, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों, अकादिक एवं अनुसंधान व विकास संस्थानों, पूरे देश के नवोन्मेषी और उद्यमियों की उपलब्धियों तथा उनकी क्षमताओं को पेश किया जायेगा।
- कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर होने वाला भारतीय विज्ञान कांग्रेस का पारंपरिक ‘विज्ञान ज्योति’ कार्यक्रमआयोजित किया गया।
- विज्ञान ज्योति की अवधारणा ओलम्पिक ज्योति के अनुरूप है।
- यह एक आंदोलन का स्वरूप है, जो समाज और विशेष रूप से युवाओं में वैज्ञानिक मानसिकता तैयार करने के लिये समर्पित है।
- यह ज्योति विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित की गई है और 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के समापन तक यह प्रज्ज्वलित रहेगी।
02 January PIB :- Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 01 जनवरी 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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