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विषयसूची:

  1. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी:  
  2. सुन्नी बांध जल विद्युत परियोजना के लिए निवेश को स्वीकृति:
  3. केंद्रीय क्षेत्र की ‘प्रसारण अवसंरचना और नेटवर्क विकास (BIND)’ योजना को स्वीकृति:
  4. वॉटर विजन@2047: 
  5. आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS):
  6. कैप्टन शिवा चौहान कुमार पोस्ट में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं:
  7. गोवा हवाई अड्डे का नाम डॉ. मनोहर पर्रिकर के नाम पर रखा गया:

1. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय। 

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से संबंधित जानकारी। 

मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के महत्व पर चर्चा कीजिए।    

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी है। 

उद्देश्य:

  • मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के उत्पादन, इस्तेमाल और निर्यात के लिए एक वैश्विक हब बनाना है। 
  • यह मिशन भारत को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने और अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में मदद करेगा।   

विवरण:  

  • इस मिशन के लिए प्रारंभिक परिव्यय 19,744 करोड़ रुपये होगा, जिसमें साइट कार्यक्रम के लिए 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिए 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिए 400 करोड़ रुपये और अन्य मिशन घटकों के लिए 388 करोड़ रुपये शामिल हैं। 
  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) संबंधित घटकों के कार्यान्वयन के लिए योजना के दिशानिर्देश तैयार करेगा।

इस मिशन से 2030 तक निम्नलिखित संभावित परिणाम प्राप्त होंगे:

  • देश में लगभग 125 GW की संबद्ध अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के साथ प्रति वर्ष कम से कम 5 MMT (मिलियन मीट्रिक टन) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास,
  • आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक का कुल निवेश,
  • छह लाख से अधिक रोजगार का सृजन,
  • कुल मिलाकर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के जीवाश्म ईंधन के आयात में कमी,
  • वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 MMT की कमी।

लाभ:

  • मिशन से विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे, जैसे –
    • ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के लिए निर्यात के अवसरों का सृजन; औद्योगिक, आवागमन और ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी; 
    • आयातित जीवाश्म ईंधन और फीडस्टॉक पर निर्भरता में कमी; स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का विकास; रोजगार के अवसरों का सृजन; और अत्याधुनिक तकनीकों का विकास। 
    • भारत की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता कम से कम 5 MMT प्रति वर्ष तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें लगभग 125 GW की संबद्ध अक्षय ऊर्जा क्षमता शामिल है। 
    • 2030 तक 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का लक्ष्य है और 6 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है। 
    • 2030 तक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में प्रति वर्ष लगभग 50 MMT की कमी होने की संभावना है।
  • इस मिशन से ग्रीन हाइड्रोजन की मांग, उत्पादन, उपयोग और निर्यात की सुविधा प्राप्त होगी। 
    • ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम के लिए रणनीतिक क्रियाकलाप को लेकर, मिशन के तहत दो अलग-अलग वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र- इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू निर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को लक्षित किया जाएगा। 
    • मिशन उभरते अंतिम उपयोग वाले क्षेत्रों और उत्पादन मार्गों में पायलट परियोजनाओं का भी समर्थन करेगा। 
    • बड़े पैमाने पर उत्पादन और/या हाइड्रोजन के इस्तेमाल का समर्थन करने में सक्षम क्षेत्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
  • ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम की स्थापना का समर्थन करने के लिए एक सक्षम नीतिगत कार्यक्रम विकसित किया जाएगा। 
    • एक मजबूत मानक और नियमन संरचना भी विकसित की जाएगी। 
    • इसके अलावा, मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास (रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार भागीदारी- एसएचआईपी) के लिए एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी की सुविधा प्रदान की जाएगी; अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं लक्ष्य-उन्मुख, समयबद्ध और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए उपयुक्त रूप से बढ़ाई जाएंगी। 
    • मिशन के तहत एक समन्वित कौशल विकास कार्यक्रम भी चलाया जाएगा।
  • केंद्र और राज्य सरकारों के सभी संबंधित मंत्रालय, विभाग, एजेंसियां और संस्थान मिशन के उद्देश्यों की सफल उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए केंद्रित और समन्वित कदम उठाएंगे। 
  • मिशन के समग्र समन्वय और कार्यान्वयन के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय उत्तरदायी होगा।

2. सुन्नी बांध जल विद्युत परियोजना के लिए निवेश को स्वीकृति:

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास: 

विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।  

प्रारंभिक परीक्षा: सुन्नी बांध जल विद्युत परियोजना से संबंधित जानकारी।  

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2614.51 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से SJVN लिमिटेड द्वारा हिमाचल प्रदेश में 382 मेगावाट सुन्नी बांध जल विद्युत परियोजना को स्वीकृति दे दी है। 

उद्देश्य:

  • आत्मनिर्भर भारत अभियान के लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, SJVN द्वारा 382 मेगावाट सुन्नी बांध एचईपी की स्थापना के लिए वर्तमान प्रस्ताव स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं/स्थानीय उद्यमों/एमएसएमई को विभिन्न लाभ प्रदान करेगा और रोजगार को बढ़ावा देने के अलावा देश के भीतर उद्यमशीलता के अवसरों को प्रोत्साहित करते हुए क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करेगा।   

विवरण:  

  • इसमें बुनियादी ढांचे को सक्षम बनाने के लिए भारत सरकार की बजटीय सहायता के रूप में 13.80 करोड़ रुपये के निवेश को भी स्वीकृति दी गई है। 
  • इस परियोजना के कार्यान्वयन से इसके निर्माण की चरम अवस्था के दौरान लगभग 4000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का सृजन होगा।
  • 2,614 करोड़ रुपये की इस परियोजना लागत में 2246.40 करोड़ रुपये की वास्तविक लागत, निर्माण के दौरान ब्याज (IDC) के तौर पर 358.96 करोड़ रुपये और वित्तपोषण शुल्क (FC) के रूप में 9.15 करोड़ रुपये शामिल हैं। 
  • मात्रा परिवर्तन (जोड़ने/बदलाव/अतिरिक्त मदों सहित) के कारण लागत भिन्नताओं के लिए संशोधित लागत स्वीकृतियां और निर्माणकर्ता के लिए देय समय सीमा स्वीकृत लागत के 10 प्रतिशत तक सीमित होगी।

3. केंद्रीय क्षेत्र की ‘प्रसारण अवसंरचना और नेटवर्क विकास (BIND)’ योजना को स्वीकृति:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: समावेशी विकास एवं इससे उत्पन्न विषय। 

प्रारंभिक परीक्षा: प्रसार भारती से संबंधित जानकारी।

मुख्य परीक्षा: प्रसारण अवसंरचना और नेटवर्क विकास योजना देश के युवा वर्ग के समग्र विकास में किस प्रकार योगदान करेगी ? 

प्रसंग: 

  • आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रसार भारती यानी ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) और दूरदर्शन (डीडी) के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2,539.61 करोड़ रुपये की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की योजना “द ब्रॉडकास्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड नेटवर्क डेवलपमेंट” (बीआईएनडी) के संबंध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।  

उद्देश्य:

  • देश की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी तक पहुंचने के लिए आकाशवाणी के एफएम कवरेज को बढ़ाया जाएगा। 
  • दूरस्थ, जनजातीय, वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित, सीमावर्ती क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों में रहने वाले लोगों को 8 लाख डीडी फ्री डिश डीटीएच सेट टॉप बॉक्स (डीटीबी) वितरित किए जाएंगे।   

विवरण:  

  • मंत्रालय की “द ब्रॉडकास्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड नेटवर्क डेवलपमेंट” योजना प्रसार भारती को संगठन के बुनियादी ढांचे, कंटेंट के सृजन और सिविल वर्कर में प्रसारण के विस्तार और उन्नयन से संबंधित व्यय हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए है।
  • बीआईएनडी योजना सार्वजनिक प्रसारक को बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ अपनी सुविधाओं को व्यापक रूप से उन्नयन करने में सक्षम बनाएगी, जिससे वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों, सीमा एवं रणनीतिक क्षेत्रों सहित इनकी पहुंच को व्यापक रूप से बढ़ाते हुए श्रोताओं और दर्शकों को उच्च गुणवत्ता युक्त कंटेंट प्रदान किया जाएगा। 
  • इस योजना का एक अन्य प्रमुख प्राथमिकता वाला क्षेत्र घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के दर्शकों के लिए उच्च गुणवत्ता युक्त कंटेंट का विकास और अधिक चैनलों को समायोजित करने के लिए डीटीएच प्लेटफॉर्म की क्षमता उन्नयन द्वारा दर्शकों के लिए विविध कंटेंट की उपलब्धता को भी सुनिश्चित करना है। 
  • ओबी वैन की खरीद और डीडी एवं आकाशवाणी स्टूडियो को एचडी स्तर पर तैयार करने के लिए डिजिटल उन्नयन को भी परियोजना के हिस्से में शामिल किया जाएगा।
  • वर्तमान में, दूरदर्शन 28 क्षेत्रीय चैनलों सहित 36 टीवी चैनलों का संचालन करता है और ऑल इंडिया रेडियो 500 से अधिक प्रसारण केंद्रों का संचालन करता है। 
    • यह योजना देश में एआईआर एफएम ट्रांसमीटरों के कवरेज को भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार 59 प्रतिशत से बढ़ाकर 66 प्रतिशत और और आबादी के हिसाब से 68 प्रतिशत से बढ़ाकर 80 प्रतिशत कर देगी। 
    • इस योजना में दूरस्थ, जनजातीय, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को 8 लाख से अधिक डीडी फ्री डिश एसटीबी के निःशुल्क वितरण की भी परिकल्पना की गई है।
  • सार्वजनिक प्रसारण के दायरे को बढ़ाने के अलावा, ब्रॉडकास्टिंग उपकरणों की आपूर्ति और स्थापना से संबंधित निर्माण और सेवाओं के माध्यम से अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न करने की भी संभावना है। 
    • टीवी/रेडियो प्रोडक्शन, ट्रांसमिशन और संबद्ध मीडिया से जुड़ी सेवाओं समेत विभिन्न कंटेंट निर्माण के क्षेत्र में अनुभवी व्यक्तियों के लिए एआईआर और डीडी के कंटेंट निर्माण व रचनात्मक कंटेंट के क्षेत्र में अप्रत्यक्ष रोजगार की पर्याप्त संभावनाएं हैं। 
    • इसके अलावा, डीडी फ्री डिश की पहुंच के विस्तार की परियोजना से डीडी फ्री डिश डीटीएच बॉक्स के निर्माण में रोजगार के अवसरों का सृजन होने की भी उम्मीद है।
  • भारत सरकार दूरदर्शन और आकाशवाणी (प्रसार भारती) के बुनियादी ढांचे और सेवाओं के विकास, आधुनिकीकरण और मजबूती के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है, और यह एक सतत प्रक्रिया है। 

पृष्ठ्भूमि:

  • प्रसार भारती, देश के सार्वजनिक प्रसारक के रूप में, दूरदर्शन और आकाशवाणी के माध्यम से देश के दूर-दराज क्षेत्रों में लोगों के लिए सूचना, शिक्षा, मनोरंजन और सहभागिता का सबसे महत्वपूर्ण साधन है।
    • प्रसार भारती ने कोविड महामारी के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य संदेशों के प्रसारण और जनता को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.  वॉटर विजन@2047:

  • भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की परिकल्पना के अनुरूप, केंद्र सरकार कार्य-योजना और भारत परिकल्पना प्रलेख@2047 को तैयार करने के लिये चर्चा कर रही है। 
  • भारत@2047 के अंग के रूप में जल सुरक्षा की चुनौतियों के समाधान के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने ‘5पी’ का मंत्र दिया था, जिसमें पॉलिटिकल विल (राजनीतिक इच्छा शक्ति), पब्लिक फाइनेंसिंग (लोक वित्त), पार्टनरशिप (साझेदारी), पब्लिक पार्टीसिपेशन (जन भागीदारी) और परसुयेशन फॉर सस्टेनेबिलिटी (निरंतरता के लिये प्रेरणा) शामिल है। 
  • आने वाले वर्षों में ऊंचाइयां हासिल करने के भारत के प्रयासों में भारत का जल सेक्टर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
  • कार्य-योजना को आगे बढ़ाने के लिये जल शक्ति मंत्रालय “जल पर राज्यमंत्रियों के पहले अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन” का आयोजन कर रहा है, जिसका विषय “वॉटर विजन@2047” है। 
    • इसका आयोजन पांच और छह जनवरी, 2023 को भोपाल, मध्यप्रदेश में किया जा रहा है। 
    • इस दो दिवसीय सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य है राज्यों के विभिन्न जल हितधारकों से इंडिया@2047 और 5पी के लिये विचार प्राप्त करना। 
    • ऐसा करना इसलिये अभीष्ट है क्योंकि जल राज्य का विषय है। 
    • इसके साथ ही राज्यों के साथ संलग्नता व साझेदारी में सुधार करना तथा जल शक्ति मंत्रालय की पहलों व योजनाओं को राज्यों के साथ साझा करना भी उक्त कार्यक्रम का लक्ष्य है।
  • इस सम्मेलन की अंतर्दृष्टि को बढ़ाने के उद्देश्य से एक पूर्ण सत्र का भी आयोजन किया जायेगा, जो वॉटर विजन@2047 को केंद्र में रखते हुये सम्मेलन का एजेंडा निर्धारित करेगा। 

सम्मेलन में पांच विषयगत सत्र होंगेः

  1. जल की कमी, जल की अधिकता और पहाड़ी इलाकों में जल सुरक्षा;
  2. बेकार चले जाने वाले पानी/गदले पानी को दोबारा इस्तेमाल करने सहित जल उपयोगिता दक्षता;
  3. जल प्रशासन; (केंद्र की पहल पर विभिन्न राज्यों को साथ लाना, ताकि जल सेक्टर में भिन्नता को समाप्त किया जा सके)
  4. जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में सक्षम जल अधोरचना, और
  5. जल गुणवत्ता (जिसमें पेयजल, सतह पर मौजूद जल और भूजल की गुणवत्ता की समस्याओं पर विचार किया जायेगा)। 
  • विषयगत सत्रों को इस तरह तैयार किया गया है कि हम 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की बड़ी परिकल्पना को पूरा करने के लिये एकरूपता में बंधकर काम कर सकें।

2. आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS):

  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के आधार पर सांख्यिकीय और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) द्वारा “रोजगार-बेरोजगारी” पर आधिकारिक डेटा जारी किया जाता है। 
    • अखिल भारतीय स्तर पर अनुमानों के लिए सर्वेक्षण अवधि जुलाई, 2020 से जून, 2021 के लिए नवीनतम वार्षिक PLFS रिपोर्ट उपलब्ध है। 
    • शहरी क्षेत्रों के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा तिमाही PLFS रिपोर्ट भी जारी की जाती है। 
  • PLFS की उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार, श्रमिक जनसंख्या अनुपात यानी 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए जुलाई से सितंबर, 2022 के दौरान रोजगार दर 44.5 प्रतिशत के स्तर पर थी, जबकि वर्ष 2019 में इसी तिमाही के दौरान यह 43.4 प्रतिशत थी। 
    • जुलाई से सितंबर, 2022 के दौरान बेरोजगारी दर, जुलाई से सितंबर, 2019 में 8.3 प्रतिशत की तुलना में सितंबर 7.2 प्रतिशत के स्तर पर रही थी। 
    • इस प्रकार, PLFS के डेटा से संकेत मिलता है कि रोजगार बाजार न केवल कोविड-19 महामारी के झटके से उबर गया है, बल्कि महामारी से पूर्व के स्तर की तुलना में उचित स्तर पर भी है।

3. कैप्टन शिवा चौहान कुमार पोस्ट में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं:

  • फायर एंड फ्यूरी कोर अधिकारी कैप्टन शिवा चौहान सियाचिन ग्लेशियर पर कुमार पोस्ट के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान में सक्रिय रूप से तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं।
  • शिवा 15,632 फीट की ऊंचाई पर स्थित सबसे खतरनाक कुमार पोस्ट पर ड्यूटी कर रही हैं। 
    • ऐसा पहली बार हुआ है जब भारतीय सेना ने किसी महिला को इतने खतरनाक पोस्ट पर तैनात किया है। 
    • कुमार पोस्ट उत्तरी ग्लेशियर बटालियन का हेडक्वार्टर है।
  • प्रधान मंत्री ने फायर एंड फ्यूरी सैपर्स की कैप्टन शिवा चौहान की सराहना की है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में कठिन प्रशिक्षण पूरा करने के बाद कुमार पोस्ट में सक्रिय रूप से तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं।
  • फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स को आधिकारिक तौर पर 14वां कॉर्प्स कहा जाता है। 
    • इसका हेडक्वार्टर लेह में है। 
    • इनकी तैनाती चीन-पाकिस्तान की सीमाओं पर होती है। साथ ही ये सियाचिन ग्लेशियर की रक्षा करते हैं।

4. गोवा हवाई अड्डे का नाम डॉ. मनोहर पर्रिकर के नाम पर रखा गया:

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व रक्षा मंत्री एवं चार बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत श्री मनोहर पर्रिकर को श्रद्धांजलि के रूप में ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट मोपा, गोवा का नामकरण ‘मनोहर इंटरनेशनल एयरपोर्ट- मोपा, गोवा’ के रूप में करने को कार्योत्तर मंजूरी दे दी है।
  • गोवा राज्य के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु गोवा के माननीय मुख्यमंत्री ने ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मोपा, गोवा का नामकरण ‘मनोहर इंटरनेशनल एयरपोर्ट – मोपा, गोवा’ के रूप में करने के गोवा के राज्य सरकार के मंत्रिमंडल के सर्वसम्मत निर्णय से अवगत कराया था।
  • गोवा के मोपा में स्थित ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री द्वारा दिसंबर, 2022 में किया गया था। 
    • आधुनिक गोवा के निर्माण में पूर्व मुख्यमंत्री और भारत सरकार के पूर्व रक्षा मंत्री दिवंगत डॉ. मनोहर पर्रिकर के योगदान के सम्मान में इस हवाई अड्डे का नाम रखा गया है।

 

04 January PIB :- Download PDF Here

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