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06 अगस्त 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. नमामि गंगे मिशन:
  2. DIR-V कार्यक्रम:
  3. उत्तर भारत की पहली नदी कायाकल्प परियोजना देविका:
  4. सहकारी समितियों के केन्द्रीय पंजीयक (CRCS) कार्यालय के डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ:

1. नमामि गंगे मिशन:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: नमामि गंगे मिशन, राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन (NMCG), विश्व बैंक।

मुख्य परीक्षा: नमामि गंगे मिशन की सफलता पर प्रकाश डालिये।

प्रसंग:

  • विश्‍व बैंक के कार्यकारी निदेशकों द्वारा भारत में बैंक की परियोजनाओं के परिवर्तनकारी प्रभाव का अध्‍ययन करने के लिए 5 अगस्‍त, 2023 को आगरा में एक बैठक का आयोजन किया गया था।

उद्देश्य:

  • बैठक में नदी संरक्षण के विभिन्न पहलुओं और विश्व बैंक की भूमिका पर बैंक के कार्यकारी निदेशकों के साथ विचार-विमर्श किया गया।
  • इसमें भारत के जल क्षेत्र में परिवर्तनकारी सुधारों और निजी क्षेत्र की विशेष रूप से नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत भागीदारी द्वारा जल-सुरक्षित राष्ट्र बनने के प्रयास की सराहना की।
  • इससे नदी संरक्षण के क्षेत्र में नमामि गंगे वैश्विक स्‍तर पर एक अलग भूमिका में सामने आया है।
  • विशेष रूप से हैम मॉडल, वन सिटी वन ऑपरेटर मॉडल, अर्थ गंगा पहल, नमामि गंगे मिशन के तहत सार्वजनिक भागीदारी के प्रयासों से प्रभावित हुए।

विवरण:

  • राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन (NMCG) के महानिदेशक ने नमामि गंगा परियोजना पर विश्‍व बैंक के दुनिया भर से आए कार्यकारी निदेशकों के समक्ष एक विस्‍तृत प्रस्‍तुति दी।

नमामि गंगे कार्यक्रम:

  • भारत के आर्थिक विकास के लिए पानी को सबसे महत्वपूर्ण घटक के रूप में पहचाना गया है और वर्ष 2019 में विभिन्न विभागों को एक साथ लाकर जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया था ताकि विवाद के बिना त्वरित निर्णय लिया जा सके।
    • जल क्षेत्र में कुछ प्रमुख पहलों में जल जीवन मिशन शामिल है, जिसका उद्देश्य 2024 तक सभी को घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करना है, भागीदारी दृष्टिकोण के माध्यम से भूजल के प्रभावी प्रबंधन के लिए अटल भूजल योजना और स्वच्छ भारत मिशन जिसके भाग के रूप में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया था, जिससे सभी के लिए स्वच्छता की दिशा में दुनिया का भार कम हो गया है।
  • कैच द रेन: व्हेयर इट फॉल्स, व्हेन इट फॉल्स अभियान को वर्षा जल के विकेन्द्रीकृत भंडारण (पानी का मूल स्‍थान पर भंडारण) के लिए शुरू किया गया था, जिसके भाग के रूप में लाखों, वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया गया था।
  • नमामि गंगे कार्यक्रम न केवल गंगा नदी को स्‍वच्‍छ करने के लिए बल्कि जन भागीदारी के माध्यम से पूरे नदी इकोसिस्‍टम को बहाल करने के लिए एक समग्र और एकीकृत नदी कायाकल्प कार्यक्रम है।
    • नमामि गंगे पांच महत्वपूर्ण स्तंभों पर आधारित है – निर्मल गंगा (अप्रदूषित नदी), अविरल गंगा (अप्रतिबंधित प्रवाह), जन गंगा (लोगों की भागीदारी), ज्ञान गंगा (ज्ञान और अनुसंधान आधारित हस्तक्षेप) और अर्थ गंगा (अर्थव्यवस्था के स्‍तम्‍भ के माध्यम से लोगों और नदी को जोड़ना)।
    • “लगभग 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की 442 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 193 सीवेज प्रबंधन से संबंधित हैं,” वित्तीय सहायता विश्व बैंक, JICA, एशियाई विकास बैंक आदि जैसे संगठनों से भी प्राप्त होती है।
  • प्राकृतिक विश्‍व को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे को दुनिया के शीर्ष दस पुनरुद्धार योजनाओं में से एक के रूप में चुना गया था।
    • दुनिया भर के 160 से अधिक पर्यावरण-बहाली कार्यक्रमों में से चुने गए नमामि गंगे को 13 दिसंबर, 2022 को मॉन्ट्रियल, कनाडा में जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (COP-15) के दौरान सम्मानित किया गया।
      • NMCG मार्च 2023 में न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र विश्व जल सम्मेलन में भाग लेने वाली भारत की एकमात्र संस्‍था थी।
  • गंगा डॉल्फिन और स्थानीय मछलियों जैसी जलीय प्रजातियों का दिखना और बढ़ना, गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता में सुधार का संकेत है।
  • नमामि गंगे के तहत गंगा बेसिन में सीवेज प्रबंधन परियोजनाओं के लिए उपयोग किए जाने वाले हाइब्रिड एन्युटी मॉडल के तहत, एसटीपी का विकास, संचालन और रखरखाव स्थानीय स्तर पर एक विशेष प्रयोजन वाहन (SOP) द्वारा किया जाता है।
    • इस मॉडल के अनुसार, पूंजीगत लागत का 40 प्रतिशत निर्माण के दौरान भुगतान किया जाएगा, जबकि शेष 60 प्रतिशत लागत का भुगतान अगले 15 वर्षों के लिए संचालन और रखरखाव लागत (O&M) खर्चों के साथ वार्षिकी के रूप में परियोजना के जीवनकाल में किया जाएगा।
  • नमामि गंगे के तहत नदी-शहर गठबंधन (RCA) पहल पर भी बात की, जिसे नवंबर 2021 में 30 सदस्यों के साथ शुरू किया गया था।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. DIR-V कार्यक्रम:
    • केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने आईआईटी मद्रास द्वारा चेन्नई में आयोजित डिजिटल इंडिया रिस्क-वी (DIR-V) संगोष्ठी को वर्चुअल माध्‍यम से संबोधित किया।
      • अपने संबोधन में उन्होंने DIR-V को लेकर सरकार के विजन पर जोर देते हुये कहा कि वर्तमान में इसका उद्देश्य प्रभावी सार्वजनिक-निजी भागीदारी और आईआईटी मद्रास जैसे उच्च शैक्षिक संस्थानों के सहयोग से रिस्क-वी के लिये एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
    • DIR-V कार्यक्रम की शुरुआत पिछले साल की गई थी, जिसका उद्देश्य अत्याधुनिक माइक्रोप्रोसेसर्स का सृजन कर भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देना था। DIR-V उद्योग के प्रत्येक उद्यमी के लिये टेक-अवसरों को पैदा करेगा जिससे कि यह भारत के टैकेड लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी भूमिका निभायेगा।
    • यह पहल भारत के टैकेड को परिभाषित करेंगी और यह विविध प्रौद्योगिकी अवसरों को प्रस्तुत करेंगी।
    • भारत के टैकेड का लक्ष्य इन तीन क्षे़त्रों में फैला है – इंटरनेट ऑफ थिंग्स के साथ आटोमोटिव इंडस्ट्रियल स्पेस, मोबिलिटी और कंप्यूटिंग, जिसमें उच्च- प्रदर्शन कंप्युटिंग क्षमता भी शामिल है।
    • भारत का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि इन सभी तीनों क्षेत्रों में DIR-V की पूरी गंभीरता के साथ उपस्थिति हो।
    • आने वाले वर्षों में DIR-V कार्यक्रम की सफलता के लिये — नवाचार, कार्यक्षमता और प्रदर्शन–यही मंत्र होंगे। भारत सरकार DIR-V को भारतीय आईएसए (इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर) बनाने के लिये प्रतिबद्ध है।
  2. उत्तर भारत की पहली नदी कायाकल्प परियोजना देविका:
    • उत्तर भारत की पहली नदी संरक्षण परियोजना देविका पूरी होने वाली है। ‘नमामि गंगा’ की तर्ज पर 190 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित, इस परियोजना को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा लॉन्च किया गया था।
    • देविका, जिसे पवित्र गंगा नदी की बहन माना जाता है, का एक महान धार्मिक महत्व है, यही कारण है कि देविका कायाकल्प परियोजना के तहत सभी घरों को जोड़ने वाले पाइप और मैनहोल के नेटवर्क के साथ तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना का निर्माण यूईईडी द्वारा किया जा रहा है।
    • परियोजना के लिए आवंटित 190 करोड़ रुपये की धनराशि में से आवंटन का हिस्सा केंद्र और केन्द्र शासित प्रदेश द्वारा क्रमश: 90:10 के अनुपात में है।
    • तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना के अतिरिक्‍त देविका कायाकल्प परियोजना के तहत एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना का भी निर्माण किया जाएगा, जो देविका नदी की पवित्रता की रक्षा के लिए कई पहलुओं से महत्वपूर्ण है।
  3. सहकारी समितियों के केन्द्रीय पंजीयक (CRCS) कार्यालय के डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ:
    • केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने 06 अगस्त 2023 को महाराष्ट्र के पुणे में सहकारी समितियों के केन्द्रीय पंजीयक (CRCS) कार्यालय के डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ किया।
    • शुरू हुए पोर्टल का फायदा देश की 1555 बहुराज्यीय सहकारी समितियों को मिलेगा और इन 1555 में से 42 प्रतिशत समितियां केवल महाराष्ट्र में हैं, ये बताता है कि यहाँ सहकारिता आंदोलन कितना मजबूत है।
    • इसके बाद इसी पैटर्न पर राज्यों की सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के कार्यालयों का भी कम्प्यूटरीकरण करने जा रहे हैं, जिससे देशभर की 8 लाख कोऑपरेटिव सोसायटीज़ के साथ संवाद सुगम बन जाएगा।
    • देश में PACS को व्यवहार्य बनाने का निर्णय लिया गया है। सरकार ने अगले 5 सालों में देशभर में 3 लाख नए PACS बनाकर सहकारिता आंदोलन को हर गांव तक पहुंचाने का निर्णय लिया है।
    • PACS अब Common Service Centre (CSC) हैं जो कई प्रकार की गतिविधियां कर सकते हैं।
    • राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बनाने का 95% काम पूरा हो चुका है।
      • एक नई कोऑपरेटिव पॉलिसी भी लेकर आ रहे हैं, हम कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी भी बना रहे हैं जिसके माध्यम से कोऑपरेटिव और इसके सभी एक्सटेंशंस की तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था भी इसके साथ जुड़ जाएगी।
      • 3 नई मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाने का काम किया है।
      • बहुराज्यीय ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग के लिए एक सोसाइटी बनाई है, जो प्राकृतिक खेती के उत्पादों की मार्केटिंग भारत ब्रांड के साथ कर इसका पूरा मुनाफा किसान के खाते में भेजने का काम सुनिश्चित करेगी।
    • इसी प्रकार, छोटे किसान बीज उत्पादन नहीं कर पाते हैं, लेकिन अब छोटे किसान भी, जिनके पास कम भूमि है, बीज उत्पादन कर सकेंगे और ये सोसायटी उनके बीज लेकर उसे सर्टिफिकेट देगी और अपने ब्रांड के साथ भारत और विश्‍व के बाजार में बेचेगी।
    • इन तीनों मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसायटीज़ के माध्यम से देशभर के 10 करोड़ से ज्यादा किसानों के जीवनस्तर में सुधार आएगा और ये सोसायटीज़ आने वाले दिनों में देश के करोड़ों किसानों की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेंगी।

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