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06 फ़रवरी 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. लोकसभा ने संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया:
  2. लोकसभा ने ‘सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024’ पारित किया:
  3. EdCIL विद्यांजलि छात्रवृत्ति कार्यक्रम लॉन्च:
  4. श्री धर्मेंद्र प्रधान ने दो दिवसीय उल्लास मेले का उद्घाटन किया:
  5. ANRF अधिनियम के प्रावधान लागू किए गए:
  6. श्रेष्ठ योजना:
  7. इंडिया एजिंग रिपोर्ट-2023:
  8. नक्सल उन्मूलन अभियान के लिए केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी:
  9. पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी:

1. लोकसभा ने संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

मुख्य परीक्षा: अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024

प्रसंग:

  • लोकसभा ने संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित कर दिया।

उद्देश्य:

  • इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य (i) पहाड़ी जातीय समूह (ii) पदारी जनजाति (iii) कोली और (iv) गड्डा ब्राह्मण को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदान कर उन्हे सशक्त बनाना है। इन समुदायों के लोग लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे।

विवरण:

  • जम्मू और कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों की सूची में इन समुदायों को शामिल करने से गुज्जर और बकरवाल जैसे मौजूदा अनुसूचित जनजाति समुदायों को उपलब्ध आरक्षण के वर्तमान स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उनको जैसा आरक्षण मिल रहा था, उनका आरक्षण वैसा ही रहेगा।
  • नई सूचीबद्ध अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण इस प्रकार प्रदान किया जाएगा कि इसका उन समुदायों पर कोई प्रभाव न पड़े जो पहले से ही अनुसूचित जनजातियों के रूप में सूचीबद्ध हैं।
  • संसद द्वारा विधेयक पारित होने के पश्चात, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सरकार आरक्षण पर आवश्यक अधिसूचना जारी करेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि अनुसूचित जनजातियों की मौजूदा सूची में शामिल लोगों को समान स्तर का आरक्षण मिलता रहे।
  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार सबका साथ सबका विश्वास के मूलमंत्र के साथ समाज के हर वर्ग और समुदाय के सर्वसमावेशी विकास के प्रति कटिबद्ध है। संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 का पारित होना सबका साथ सबका विश्वास के मूलमंत्र की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

2. लोकसभा ने ‘सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024’ पारित किया:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

मुख्य परीक्षा: ‘सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024’ सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार रोकने में कहाँ तक सफल होगा।

प्रसंग:

  • लोकसभा ने यूपीएससी, एसएससी आदि भर्ती परीक्षाओं और एनईईटी, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रवेश परीक्षाओं में पेपर लीक, कदाचार के साथ-साथ संगठित कदाचार पर अंकुश लगाने के लिए ‘सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024’ पारित किया।

उद्देश्य:

  • इस विधेयक का उद्देश्य कुछ बेईमान तत्वों द्वारा भ्रष्ट आचरण पर अंकुश लगाना है जो हमारे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं, उनके करियर और आकांक्षाओं को नष्ट करते हैं और कभी-कभी घातक आत्महत्याओं का कारण बनते हैं।
  • इस कानून का उद्देश्य हमारे युवाओं की योग्यता की रक्षा करना और हमारे बच्चों की भलाई करना है।

विवरण:

  • लोकसभा ने ‘सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024’ पारित कर दिया, जिसका उद्देश्य यूपीएससी, एसएससी आदि भर्ती परीक्षाओं और एनईईटी, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रवेश परीक्षाओं में लीक, कदाचार के साथ-साथ संगठित कदाचार पर अंकुश लगाना है।
  • “अनुचित साधन निवारण विधेयक, 2024” संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाओं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा आयोजित सभी कंप्यूटर-आधारित परीक्षाओं को भी कवर करेगा।
  • इस विधेयक के अंतर्गत उम्‍मीदवार पर कार्रवाई का प्रावधान नहीं है। उम्‍मीदवार पर कार्रवाई संबंधित लोक परीक्षा प्राधिकरण के मौजूदा प्रशासनिक प्रावधानों के अंतर्गत ही होगी। इस विधेयक के अंतर्गत अपराध होने पर 3 से 10 साल तक की सजा तथा 10 लाख से एक करोड रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। इस विधेयक के अंतर्गत सभी अपराध संज्ञेय और गैर शमनीय होंगे तथा इन पर कोई जमानत नहीं मिलेगी।
  • उम्‍मीदवार इस विधेयक के दायरे में नहीं आएंगे और उन्‍हें उत्‍पीडन से सुरक्षा मिलेगी। यह विधेयक उन लोगों के लिए है जो परीक्षा की प्रक्रिया में बाधा डालते हैं या व्‍यवस्‍था को धोखा देने की कोशिश करते हैं।
  • इस विधेयक के जरिए परीक्षाओं को धीरे-धीरे और अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में कराये जाने पर बल दिया जाएगा।
  • इन परीक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों या उम्मीदवारों को विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है और आश्वासन दिया कि वे परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसियों के प्रावधानों के अनुसार शासित होते रहेंगे।
  • सरकार द्वारा पहली बार, यूपीएससी और एसएससी द्वारा आयोजित सभी परीक्षाएं अब 13 क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं और सभी क्षेत्रीय 22 अनुसूचित भाषाओं में परीक्षा आयोजित करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • बेईमान तत्वों द्वारा प्रौद्योगिकी का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है, इस खतरे से निपटने के लिए तकनीकी समाधानों का उपयोग किया जाएगा और उन चिंताओं को दूर करने के लिए एक निगरानी समिति का गठन किया जाएगा।
  • इस विधेयक को लाने का तर्क यह है कि यह विशेष रूप से परीक्षाओं के संचालन में अनुचित साधनों से संबंधित मुद्दों को संबोधित करता है जो भारतीय न्याय संहिता अधिनियम के दायरे में नहीं आते हैं।
  • सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक युवाओं की ताकत और क्षमताओं को समर्पित है।
  • विधेयक का उद्देश्य संगठित गिरोहों और संस्थानों को रोकना है जो मौद्रिक लाभ के लिए अनुचित तरीकों में शामिल हैं, लेकिन यह उम्मीदवारों को इसके प्रावधानों से बचाता है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. EdCIL विद्यांजलि छात्रवृत्ति कार्यक्रम लॉन्च:

  • केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने 6 फरवरी 2024 को नई दिल्ली में EdCIL विद्यांजलि छात्रवृत्ति कार्यक्रम लॉन्च किया।
  • यह कार्यक्रम शिक्षा की पहुंच और अवसरों के माध्यम से सशक्तिकरण के लिए पूरे समाज के दृष्टिकोण का प्रतीक है।
  • एनईपी 2020 में कल्पना की गई है, विद्यांजलि छात्रवृत्ति कार्यक्रम विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के छात्रों के लिए शिक्षा की पहुंच और अवसरों के माध्यम से सशक्तिकरण के लिए पूरे समाज के दृष्टिकोण का प्रतीक है।
  • एडसीआईएल (EdCIL) विद्यांजलि छात्रवृत्ति कार्यक्रम, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, एक शक्तिशाली शक्ति है जिसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उच्च शिक्षा संस्थानों तक पहुंच के अवसरों में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।
  • केवल नामांकन से आगे बढ़ते हुए, यह पहल माध्यमिक से उच्च शिक्षा तक निर्बाध संक्रमण की सुविधा प्रदान करके और साधनों की कमी वाले मेधावी नवोदय विद्यालय के छात्रों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षण प्रणालियों तक पहुंच की गारंटी देती है।
  • नवोदय विद्यालयों के आर्थिक रूप से हाशिए पर रहने वाले और मेधावी छात्रों को वित्तीय सहायता देने के अलावा, भारत सरकार का यह प्रयास कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करता है, जिससे सरकार और कॉर्पोरेट के बीच जुड़ने का रास्ता बनता है।
  • एक शिक्षित भारत की ओर, यह सुनिश्चित करना कि कोई भी बच्चा पीछे न छूटे।
  • यह आयोजन देश में शैक्षिक समावेशिता और सामाजिक-आर्थिक उत्थान को बढ़ावा देने में सरकार के प्रयासों को मजबूत करेगा।

2. श्री धर्मेंद्र प्रधान ने दो दिवसीय उल्लास मेले का उद्घाटन किया:

  • केन्‍द्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली में दो दिवसीय उल्लास मेले का उद्घाटन किया।
  • कार्यक्रम में श्री प्रधान ने कहा कि सौ फीसदी साक्षरता विकसित भारत का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है।
  • उल्लास उन लोगों के जीवन में नए रंग फैला रहा है जो शिक्षा का लाभ उठा सकते हैं और उन्हें मौलिक साक्षरता और गणना के साथ-साथ सामान्य जरूरतों से संबंधित विषयों में कुशल बना रहे हैं।
  • उन्होंने उन राज्यों के प्रयासों की सराहना की जिन्होंने एक ऐसा मॉडल अपनाया है जो अध्‍ययन को सरल और मनोरंजक बनाने के लिए खेल-आधारित है। ये मॉडलों को शिक्षार्थियों के बीच अधिक स्वीकार्य बनाते हैं।
  • उल्‍लास न केवल डिजिटल और वित्तीय साक्षरता पर ध्यान केन्‍द्रित करता है बल्कि महत्वपूर्ण जीवन-रक्षक कौशल भी प्रदान करता है। ऐसे लोगों की पहचान करनी चाहिए जो साक्षरता का अवसर चूक गए और उन्हें साक्षर बनने में सक्षम बनाएं और सभी के लिए पूर्ण साक्षरता तक पहुंचने के उद्देश्य से साक्षरता पहल में सहयोग करें।
  • सरकार 2030 तक 100 प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य हासिल करने के लिए, वित्त वर्ष 2022-2027 की अवधि के लिए नव भारत साक्षरता कार्यक्रम या न्यू इंडिया साक्षरता कार्यक्रम नामक एक केन्‍द्र प्रायोजित अभिनव योजना लागू कर रही है।
    • यह योजना लोकप्रिय रूप से उल्‍लास के नाम से जानी जाती है: अंडरस्‍टैंडिंग ऑफ लाइफलोंग लर्निंग फॉर ऑल इन सोसाइटी, अपहोल्डिंग द मोटो ‘जन-जन साक्षर’ (समाज में सभी के लिए आजीवन अध्‍ययन की समझ, आदर्श वाक्य “जन-जन साक्षर” को कायम रखना)।
    • यह योजना 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी गैर-साक्षरों पर लक्षित है। यह योजना, एनईपी 2020 के अनुरूप, उन वयस्कों (15 वर्ष और उससे अधिक आयु) को लक्षित करती है जो स्कूल नहीं जा सकते या औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते।
    • यह महत्वपूर्ण जीवन कौशल जैसे डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता, कानूनी साक्षरता, पर्यावरण साक्षरता, स्वास्थ्य और स्वच्छता आदि के माध्यम से मूलभूत साक्षरता और गणना (एफएलएन) प्रदान करने पर केन्‍द्रित है।
    • हाइब्रिड मोड में लागू, राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में ऑफ़लाइन, ऑनलाइन, या संयुक्त दृष्टिकोण में लचीलापन है।
  • इस योजना में पाँच घटक शामिल हैं: (i) मूलभूत साक्षरता और गणना; (ii) महत्वपूर्ण जीवन कौशल; (iii) बुनियादी शिक्षा; (iv) व्यावसायिक कौशल; और (v) निरंतर शिक्षा।
  • उल्लास को स्वैच्छिकवाद, नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने, राष्ट्र निर्माण के प्रति कर्तव्य या कर्तव्य बोध पर जोर देने के माध्यम से लागू किया जाना है।
    • यह योजना भारत को जन-जन साक्षर बनाकर भारत के विकास में योगदान देती है। उल्‍लास ऐप को शिक्षार्थियों, स्वयंसेवकों को पंजीकृत करने के लिए विकसित किया गया है और इसमें उनके लिए शिक्षण अध्‍ययन सामग्री भी शामिल है।
    • शिक्षार्थियों को सितंबर और मार्च में साल में दो बार मूल्यांकन के माध्यम से साक्षर के रूप में प्रमाणित किया जाता है।
  • अधिकांश राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में उल्लास के तहत पर्याप्त गतिविधियां संचालित की गई हैं। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय गतिविधियों को प्रदर्शित करने के लिए सीएनसीएल, एनसीईआरटी के सहयोग से 6-7 फरवरी, 2024 को उल्लास मेला का आयोजन कर रहा है।
  • इस कार्यक्रम में राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के उन नव-साक्षरों को सम्मानित करने सहित विभिन्न गतिविधियां शामिल होंगी, जिन्होंने फाउंडेशनल लिटरेसी न्यूमेरेसी असेसमेंट टेस्ट (एफएलएनएटी) में सफल प्रमाणित किया है, स्थानीय भाषाओं में राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के उल्लास संक्षिप्त प्राइमरों का शुभारंभ, ‘सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों’ पर सत्र, अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता सप्ताह के दौरान आयोजित, पैनल चर्चा, पोस्टर-मेकिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार वितरण शामिल होंगे।

3. ANRF अधिनियम के प्रावधान लागू किए गए:

  • देश की प्रगति और विकास के आधार के रूप में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के संबंध में सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (Anusandhan Research Foundation (ANRF)) अधिनियम के प्रावधानों को 5 फरवरी, 2024 को लागू किया गया है।
  • यह अधिनियम एएनआरएफ की स्थापना का प्रावधान करता है, जो अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) को बढ़ावा देगा और विकसित करेगा।
  • इसके अलावा यह भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों और अनुसंधान व विकास प्रयोगशालाओं में इसकी संस्कृति को संवर्द्धित करेगा।
  • केंद्र सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर को एएनआरएफ का अंतरिम मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया है।
  • एएनआरएफ प्राकृतिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता को लेकर उच्च स्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए सरकार का एक ठोस कदम है।
  • इनमें गणितीय विज्ञान, इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी, पर्यावरण व पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य व कृषि के साथ हर एक नागरिक के लिए दीर्घकालिक प्रभाव व परिणाम हैं।
  • डीएसटी की ओर से संचालित एएनआरएफ का उद्देश्य निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए उद्योग सहित विभिन्न स्रोतों से अनुसंधान व विकास के वित्तीय पोषण को बढ़ावा देना है।
  • इसके अलावा यह भारत को विकसित देशों की श्रेणी में आगे बढ़ाने और अमृतकाल के दौरान देश को वैश्विक विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में प्रमुख राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के साथ अंतःविषयक अनुसंधान को भी बढ़ावा देगा।
  • एएनआरएफ, राज्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों को कुशलता के साथ अनुसंधान व विकास के क्षेत्र से जोड़ेगा और भारत को नवीन क्षेत्रों में नए शोध का नेतृत्व करने वाले विकसित देशों के समूह में शामिल करेगा।

4. श्रेष्ठ योजना:

  • श्रेष्ठ योजना का उद्देश्य अनुदान सहायता संस्थानों (एनजीओ की ओर से संचालित) के प्रयासों और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर रहे आवासीय उच्च विद्यालयों के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के विकास संबंधित हस्तक्षेप की पहुंच को बढ़ाना और सेवा से वंचित अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्रों में कमियों को दूर करना है।
  • इस योजना का लक्ष्य 12वीं कक्षा तक शिक्षा पूरी करने के लिए सीबीएसई/राज्य बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त श्रेष्ठ निजी विद्यालयों की 9वीं और 11वीं कक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर अनुसूचित जातियों (एससी) का सामाजिक-आर्थिक उत्थान व समग्र विकास करना है।
  • इसके अलावा आवासीय, गैर-आवासीय विद्यालयों और पर्याप्त अवसंरचना वाले छात्रावासों के संचालन व एससी छात्रों के लिए अकादमिक गुणवत्ता बनाए रखने को लेकर गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ)/स्वैच्छिक संगठनों (वीओ) को भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • इस योजना में ब्रिज कोर्स का प्रावधान है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह दाखिल अनुसूचित जाति के छात्र कक्षा के अन्य छात्रों के साथ तालमेल बैठा सकें।
  • ब्रिज कोर्स का लक्ष्य विद्यालय के वातावरण को आसानी से अपनाने के लिए छात्रों की क्षमता में बढ़ोतरी करना है।
  • यह योजना दो मोड में कार्यान्वित की जा रही है। मोड-1 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनटीए) की ओर से आयोजित श्रेष्ठ के लिए राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा (एनईटीएस) के माध्यम से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में हर एक साल लगभग 3,000 प्रतिभावान एससी छात्रों का चयन किया जाता है और उन्हें सीबीएसई/राज्य बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त निजी आवासीय विद्यालयों में दाखिला प्रदान किया जाता है। मोड-2 के तहत अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित विद्यालय या छात्रावास परियोजना के संचालन को लेकर एनजीओ को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। एससी छात्रों के लिए हर साल 13,500 स्लॉट निर्धारित किए गए हैं।
  • इस योजना के मोड-1 के तहत 9वीं और 10वीं कक्षा में छात्रों का दाखिला किया जाता है और कक्षा 12 तक शिक्षा पूरी करने के लिए उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके बाद छात्र भावी अवसरों का लाभ उठाने के लिए आगे की पढ़ाई जारी रखने को लेकर छात्र मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति या टॉप क्लास शिक्षा योजना के लाभ उठा सकते हैं।

5. इंडिया एजिंग रिपोर्ट-2023:

  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) और अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) द्वारा भारत में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण पर “इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023” तैयार की गई है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

  • वरिष्ठ नागरिकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए समझाना और उनके दैनिक उपयोग के लिए प्रशिक्षण और आवश्यक गैजेट प्रदान करना एक चुनौती है।
  • समाज अभी भी डिमेंशिया और अल्जाइमर रोग जैसे मानसिक स्वास्थ्य के विषयों को एक कलंक मानता है।
  • भारतीय जनसंख्या की उम्र बढ़ने के साथ अक्षमता चिंता का प्रमुख विषय बन जाती है जो बदले में देखभाल के बोझ को बढ़ाती है।
  • गरीबी, वृद्धावस्था में सामाजिक सुरक्षा का अभाव, निम्न स्तरीय सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं, निरक्षरता तथा डिजिटल अज्ञानता ने अतिरिक्त चुनौतियां पैदा की हैं और सामान्य आपदा राहत
  • कार्यों में हाल तक अक्सर वृद्धजनों को एक अलग समूह के रूप में शामिल नहीं किया जाता था।
  • कॉर्पोरेट और गैर सरकारी संगठनों ने खुशहाल बुढ़ापे, सामाजिक सहायता, वृद्धाश्रमों के लिए प्रयास किए हैं।
  • भारत सरकार विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों, जैसे भारत के संविधान का अनुच्छेद 41; माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 जैसे कानूनों और बुजुर्गों से संबंधित राष्ट्रीय नीति, 1999 जैसी नीतियां; अटल वयो अभ्युदय योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना, अटल पेंशन योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना जैसी योजनाएं और कार्यक्रम के माध्यम से वृद्धजनों से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों पर काम कर रही है।
  • भारत सरकार क्षमता सृजन सहित अपने कार्यक्रमों को लागू करने के लिए अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से गैर-सरकारी/स्वैच्छिक संगठनों, क्षेत्रीय संसाधन प्रशिक्षण केन्द्रों और राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान के साथ सहयोग कर रही है।
  • निजी क्षेत्र में पहले से ही कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के प्रावधानों के अनुसार कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के माध्यम से बुजुर्ग कल्याण के क्षेत्र में काम करने का प्रावधान है।

6. नक्सल उन्मूलन अभियान के लिए केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी:

  • भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, पुलिस और सार्वजनिक या लोक व्यवस्था का संचालन राज्य सरकारें ही करती हैं। हालांकि, भारत सरकार वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए राज्यों के प्रयासों में आवश्‍यक सहयोग देती रही है।
  • 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, केंद्रीय करों की शुद्ध राशि में राज्यों की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दी गई।
  • इस कदम के माध्यम से राज्यों को अपनी स्थानीय आवश्यकताओं/आकांक्षाओं के अनुकूल योजनाओं/कार्यक्रमों की परिकल्पना करने एवं उन्हें लागू करने और पिछड़े जिलों के विकास में नजर आ रहे अंतर को पाटने के लिए पर्याप्त लचीलापन प्रदान किया गया था।
  • तदनुसार, नीति आयोग की शासी परिषद में लिए गए निर्णय पर अमल करते हुए वर्ष 2015 में केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के युक्तिकरण पर गठित मुख्यमंत्रियों के उप-समूह की सिफारिशों के अनुसार कुछ योजनाएं वर्ष 2017 से ही 60 (केंद्र):40 (राज्य) के अनुपात में साझा आधार पर कार्यान्वित की जाती रही हैं।
  • गृह मंत्रालय (एमएचए) की 03 प्रमुख योजनाएं यथा सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना, विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस) और विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजना हैं जिनके माध्यम से राज्यों को वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए धनराशि दी जाती है।
  • एसआरई के तहत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) पर राज्यों द्वारा किए गए व्यय की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाती है, जबकि अन्य मदों के लिए प्रतिपूर्ति 60 (केंद्र): 40 (राज्य) के अनुपात में हिस्सेदारी के आधार पर की जाती है।
  • एसआईएस को 60 (केंद्र): 40 (राज्य) के अनुपात में साझाकरण के आधार पर लागू किया जाता है।
  • एससीए के तहत वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित 30 जिलों में सार्वजनिक अवसंरचना और सेवाओं में नजर आ रहे महत्वपूर्ण अंतर को पाटने के लिए राज्यों को धनराशि प्रदान की जाती है। यह शत-प्रतिशत केन्द्र प्रायोजित योजना है।
  • इसके अलावा, वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से निपटने हेतु राज्यों को आवश्‍यक सहायता देने के लिए वार्षिक परिव्यय में काफी वृद्धि की गई है।
  • 2011-12 और 2016-17 के बीच के 06 वर्षों के दौरान वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ को 479.80 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी, जबकि 2017-18 और 2022-23 के बीच के पिछले 06 वर्षों के दौरान इन योजनाओं के तहत इस राज्य को 1666.40 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
  • इसी तरह 2011-12 और 2016-17 के बीच के 06 वर्षों के दौरान इन योजनाओं के तहत वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित सभी राज्यों को गृह मंत्रालय द्वारा 2172.79 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई थी, जबकि 2017-18 और 2022-23 के बीच के पिछले 06 वर्षों में 5601.28 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
  • वर्तमान में गृह मंत्रालय की वामपंथी उग्रवाद से संबंधित योजनाओं के अंतर्गत कवर किए जाने वाले राज्य आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और केरल हैं।

7. पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी:

  • पंचायतें मुख्य रूप से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी हैं, क्योंकि “स्थानीय शासन” राज्य का एक विषय है।
    • पंचायतें संबंधित राज्य के पंचायतीराज अधिनियमों के माध्यम से स्थापित और संचालित होती हैं।
    • हालांकि, पंचायतीराज संस्थानों (पीआरआई) को इसके अधिदेश के अनुरूप, स्थानीय शासन, सामाजिक परिवर्तन और स्थानीय आबादी की आकांक्षाओं को पूरा करने वाली सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए एक प्रभावी, कुशल और पारदर्शी माध्यम बनाने के लिए, पंचायतीराज मंत्रालय अपनी प्रमुख पहल/योजनाएं/नीति के माध्यम से हर संभव प्रयास करता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 243डी में अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्ग के नागरिकों और महिलाओं के लिए पंचायतों में सीटों के आरक्षण का प्रावधान है।
  • 21 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने संबंधित राज्य पंचायतीराज अधिनियमों/नियमों में, पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है।
  • अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी नागरिकों के लिए संविधान के अनुच्छेद 244 के खंड (1) में निर्दिष्ट, पंचायत प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 को संविधान के भाग IX के प्रावधानों के विस्तार के लिए अधिनियमित किया गया है।
  • यह अधिनियम आदिवासी लोगों की संस्कृति और आजीविका के संरक्षण के संबंध में ग्राम सभा को विशेष अधिकार प्रदान करता है।
  • मंत्रालय ने ग्राम सभा की बैठकों से पहले अलग-अलग वार्ड सभा और महिला सभा की बैठकें आयोजित करने की सुविधा के लिए राज्यों को सलाह भी जारी की है।
  • ग्राम सभा और पंचायत बैठकों में महिलाओं की उपस्थिति और भागीदारी बढ़ाने के लिए राज्यों को सलाह भी जारी की गई है।
  • इसके अलावा, यह मंत्रालय पंचायतों की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की क्षमता विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है, ताकि वे ग्राम पंचायतों में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें और अपनी नेतृत्व भूमिकाओं का उचित ढंग से निर्वहन कर सकें।
  • मंत्रालय ग्राम पंचायत विकास योजनाओं और पंचायतों द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं की तैयारी के लिए ग्राम सभा की बैठकों में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से पंचायतों के कामकाज में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को प्रोत्साहित कर रहा है।
  • पंचायती राज मंत्रालय ई-पंचायतों (एमएमपी-ईपंचायत) पर मिशन मोड परियोजना लागू कर रहा है, जो आरजीएसए योजना का एक केंद्रीय घटक है, जिसके तहत पंचायती राज संस्थाओं और इसके समग्र परिवर्तन के लिए विभिन्न ई-गवर्नेंस परियोजनाओं को कामकाज में दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए पंचायतों के डिजिटलीकरण की दिशा में वित्तपोषित किया जाता है।
  • देश भर में पंचायती राज संस्थाओं के कामकाज को मजबूत करने के लिए, इस मंत्रालय ने उपयोगकर्ता के अनुकूल एक वेब-आधारित पोर्टल eGramSwaraj लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य विकेंद्रीकृत योजना, प्रगति रिपोर्टिंग, वित्तीय प्रबंधन, कार्य-आधारित लेखांकन और बनाई गई संपत्तियों के विवरण में बेहतर पारदर्शिता लाना है।
    • इसके अलावा, पंचायत खातों यानी ग्राम पंचायतों की प्राप्तियों और व्ययों का समय पर ऑडिट सुनिश्चित करने के लिए, इस मंत्रालय ने एक ऑनलाइन एप्लिकेशन – ऑडिटऑनलाइन शुरू किया है।
    • यह एप्लिकेशन न केवल पंचायत खातों की ऑडिटिंग की सुविधा प्रदान करता है, बल्कि ऑडिट रिकॉर्ड को बनाए रखने की भी सुविधा प्रदान करता है।
    • यह एप्लिकेशन ऑडिट पूछताछ, ड्राफ्ट स्थानीय ऑडिट रिपोर्ट, ड्राफ्ट ऑडिट पैरा आदि के लिए प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है और इस प्रकार पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के लिए पंचायतों द्वारा खातों का उचित रखरखाव सुनिश्चित करता है।
    • ऑडिट अवधि 2021-22 के लिए 2.42 लाख ऑडिट रिपोर्ट तैयार की गई हैं।

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