विषयसूची:
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1. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने “मिशन वात्सल्य योजना” के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए:
सामान्य अध्ययन: 2
जन कल्याणकारी योजनाएं:
विषय: शासन के जनादेश, महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता एवं जवाबदेही, प्रतिरूप, सफलताएं और सीमाएं।
प्रारंभिक परीक्षा: मिशन वात्सल्य योजना।
प्रसंग:
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए 2009-10 से एक केन्द्र प्रायोजित योजना “मिशन वात्सल्य” यानी बाल संरक्षण सेवा योजना शुरू की है।
उद्देश्य:
- मिशन वात्सल्य का लक्ष्य भारत के हर बच्चे के लिए एक स्वस्थ एवं खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना, उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता का पता लगाने के लिए अवसर प्रदान करना, हर क्षेत्र में विकास के लिए सहायता प्रदान करना, उनके लिए ऐसी संवेदनशील, समर्थनकारी और समकालिक इको-व्यवस्था स्थापित करना है जिसमें उनका पूर्ण विकास हो।
विवरण:
- इसके अन्य उद्देश्यों में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को किशोर न्याय कानून 2015 के अनुरूप सुविधाएं मुहैया कराने तथा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करना शामिल था।
- “मिशन वात्सल्य” अंतिम उपाय के रूप में बच्चों के संस्थागतकरण के सिद्धांत के आधार पर कठिन परिस्थितियों में बच्चों की परिवार-आधारित गैर-संस्थागत देखभाल को बढ़ावा देता है।
- “मिशन वात्सल्य” के मुख्य कार्यों में संवैधानिक निकायों के कामकाज में सुधार लाना, सेवा प्रदान करने के ढांचे को मजबूत बनाना, संस्थागत देखभाल और सेवाओं के स्तर में वृद्धि करना, गैर-संस्थागत समुदाय आधारित देखभाल को प्रोत्साहित करना, आपात स्थिति में पहुंच उपलब्ध कराना, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण शामिल हैं।
- सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने अपने यहां इस योजना को लागू करने के लिए मंत्रालय के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
- “मिशन वात्सल्य” को केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना के तौर पर केन्द्र तथा राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों की सरकारों के बीच निर्धारित लागत बंटवारा अनुपात के अनुरूप लागू किया जाएगा।
- मंत्रालय ने “मिशन वात्सल्य” योजना के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं और राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों से वर्ष 2022-23 के लिए इस संबंध में वित्तीय नियम दिशा-निर्देश के आधार पर अपने वित्तीय प्रस्ताव और योजनाएं तैयार करने को कहा है।
- “मिशन वात्सल्य” योजना के नियम एक अप्रैल 2022 से लागू होंगे।
2. अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए भारत को यूनेस्को के 2003 कन्वेंशन की अंतर सरकारी समिति में चुना गया:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: भारत के हितों पर विभिन्न अंर्तष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठनों की नीतियों और संरक्षण का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: यूनेस्को।
प्रसंग:
- भारत को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा हेतु 2022-2026 चक्र के लिए यूनेस्को के 2003 कन्वेंशन की अंतर-सरकारी समिति का सदस्य चुना गया है।
विवरण:
- एशिया-प्रशांत समूह के भीतर खाली चार सीटों के लिए भारत, बांग्लादेश, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया और थाईलैंड इन छह देशों ने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की थी।
- यहां उपस्थित और मतदान कर रहे 155 देशों के दलों की ओर से भारत को 110 वोट मिले।
- 2003 कन्वेंशन की अंतर-सरकारी समिति में 24 सदस्य होते हैं और इन्हें समान भौगोलिक प्रतिनिधित्व और रोटेशन के सिद्धांतों के अनुसार कन्वेंशन की आम सभा में चुना जाता है।
- इस समिति के सदस्य देश चार साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं।
- इस अंतर-सरकारी समिति के कुछ मुख्य कार्यों में कन्वेंशन के उद्देश्यों को बढ़ावा देना, सर्वोत्तम प्रथाओं को लेकर मार्गदर्शन देना और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के उपायों पर सुझाव देना शामिल है।
- ये समिति अपनी सूचियों में अमूर्त विरासत को शामिल करने के राष्ट्र दलों के अनुरोधों और साथ-साथ कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं के प्रस्तावों को भी जांचती है।
- अतीत में, भारत ने इस कन्वेंशन की अंतर-सरकारी समिति के सदस्य के रूप में दो कार्यकाल पूरे किए हैं।
- एक 2006 से 2010 तक और दूसरा 2014 से 2018 तक।
- अपने 2022-2026 के कार्यकाल के लिए भारत ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक स्पष्ट विज़न तैयार किया है।
- भारत जिन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा उनमें सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना, अमूर्त विरासत के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर अकादमिक अनुसंधान को बढ़ावा देना और कन्वेंशन के कार्यों को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप मिलाना शामिल है।
- इस विज़न को चुनाव से पहले कन्वेंशन के अन्य राष्ट्र दलों के साथ भी साझा किया गया था।
- भारत ने सितंबर 2005 में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए 2003 के कन्वेंशन की पुष्टि की थी।
- इस कन्वेंशन की पुष्टि करने वाले सबसे शुरुआती राष्ट्र दलों में से एक के रूप में भारत ने अमूर्त विरासत से संबंधित मामलों के प्रति खासी प्रतिबद्धता दिखाई है,और अन्य राष्ट्र दलों को इसकी पुष्टि करने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया है।
- मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में 14 धरोहरों के साथ भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में भी उच्च स्थान पर है।
- 2021 में दुर्गा पूजा को इसमें शामिल किए जाने के बाद भारत ने 2023 में विचार किए जाने के लिए गुजरात के गरबा का नामांकन प्रस्तुत किया था।
- अंतर-सरकारी समिति के एक सदस्य के रूप में भारत के पास 2003 के कन्वेंशन के कार्यान्वयन पर करीब से निगरानी रखने का मौका होगा।
- इस कन्वेंशन के दायरे और असर को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत अमूर्त विरासत को प्रभावी ढंग से सुरक्षित रखने के लिए दुनिया भर में विभिन्न कारकों की क्षमता को इकट्ठा करना चाहता है।
- साथ ही इस कन्वेंशन की तीन सूचियों – यानी, तत्काल सुरक्षा सूची, प्रतिनिधि सूची और सुरक्षा की अच्छी प्रथाओं का रजिस्टर, में धरोहरों का जो असंतुलन है उसे देखते हुए भारत पूरा प्रयास करेगा कि जीवंत विरासत की विविधता और महत्व को बेहतर तरीके से प्रदर्शित करने के लिए कन्वेंशन में राष्ट्र दलों के भीतर अंतर्राष्ट्रीय संवाद को प्रोत्साहित करे।
3. रक्षा मंत्रालय ने निजी क्षेत्र के तीन बैंकों को विदेशी खरीद में वित्तीय सेवाएं प्रदान करने की मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 1
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारत के निजी बैंकों को विदेशी खरीद एवं सरकारी कामकाज में शामिल करना और उनका देश की आधारभूत अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: समसामायकी,मिश्रित।
मुख्य परीक्षा: भारतीय अर्थव्यवस्था में बैंकिंग एवं उसके आधारभूत ढांचे का महत्व।
प्रसंग:
- वित्तीय सेवा विभाग द्वारा सरकारी कामकाज में निजी क्षेत्र के बैंकों को शामिल करने की व्यवस्था किए जाने के बाद अब रक्षा मंत्रालय ने भी निजी क्षेत्र के तीन बैंकों- एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक को मंत्रालय द्वारा की जाने वाली विदेशी खरीद के संबंध में ऋण पत्र जारी करने और प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण करने का अधिकार दिया है।
विवरण:
- इस संबंध में रक्षा मंत्रालय की ओर से प्रधान रक्षा लेखा नियंत्रक (पीसीडीए) ने हाल ही में नई दिल्ली में इन तीनों बैंकों के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
- अब तक रक्षा मंत्रालय को ये सेवाएं प्रदान करने के लिए केवल अधिकृत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का उपयोग किया जाता था।
- अब पहली बार निजी क्षेत्र के तीन बैंकों को भी रक्षा मंत्रालय ने विदेशी खरीद के लिए वित्तीय सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी है।
- चयनित बैंकों को पूंजी और राजस्व पक्ष पर एक वर्ष की अवधि के लिए 2000 करोड़ रुपये के ऋण पत्र जारी करने की समवर्ती आधार पर (पूंजी और राजस्व दोनों के तहत प्रत्येक बैंक के लिए 666 करोड़ रुपये) अनुमति दी जा सकती है।
- इन बैंकों के प्रदर्शन की नियमित रूप से निगरानी की जाएगी ताकि आवश्यक होने पर आगे कार्रवाई की जा सके।
4. प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की सफलता का जश्न मनाने के लिए सांस्कृतिक उत्सव ‘स्वनिधि महोत्सव’ का शुभारंभ:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी योजनाएं एवं हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथ्य क्रियान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना।
प्रसंग:
- आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय देश के 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 75 शहरों में 09 जुलाई से 31 जुलाई, 2022 तक प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना और लाभार्थी रेहड़ी-पटरी वालों (स्ट्रीट वेंडरों) तथा उनके परिवारों की सफलता का जश्न मनाने के लिए सांस्कृतिक उत्सव ‘स्वनिधि महोत्सव’ का आयोजन कर रहा है।
उद्देश्य:
- इस महोत्सव का उद्देश्य इन छोटे उद्यमियों के साथ भारत की आजादी के 75 साल का जश्न मनाना है और क्रेडिट अनुशासन, डिजिटल व्यवहार का प्रदर्शन करने और पीएम स्वनिधि योजना के साथ अपने सूक्ष्म व्यापार कौशल को प्रदर्शित करने की उनकी यात्रा का सम्मान करना है।
विवरण:
- रेहड़ी-पटरी वालों को कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा देने के लिए 1 जून, 2020 को पीएम स्वनिधि योजना शुरू की गई थी ताकि वे अपने व्यवसायों को फिर से शुरू कर सकें, जो कोविड-19 महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए थे।
- यह योजना रेहड़ी-पटरी वालों के वित्तीय समावेशन का पहला व्यापक प्रयास है।
योजना की विशेषताएं और इसकी सफलता के लिए किए गए उपाय:
- इस योजना में कार्यशील पूंजी ऋण के रूप में पहले वर्ष की अवधि के लिए 10,000 रुपये दिए जाते है, उसके बाद व्यवसाय के विस्तार के लिए, पहले के ऋणों के पुनर्भुगतान पर क्रमशः दूसरे और तीसरे साल में 20,000 रुपये और 50,000 रुपये के बढ़े हुए ऋण प्रदान किए जाते हैं।
- यह योजना प्रति माह 100 रुपये तक के कैशबैक के माध्यम से डिजिटल लेन-देन को अपनाने को प्रोत्साहित करती है जो बदले में ऋण देने वाले संस्थानों से भविष्य में ऋण लेने की सुविधा के लिए उनके क्रेडिट प्रोफाइल का निर्माण करेगी।
- यह योजना 7% ब्याज सब्सिडी के माध्यम से पुनर्भुगतान को प्रोत्साहित करती है।
- इस योजना की संरचना इस तरह से की गई थी कि यदि कोई स्ट्रीट वेंडर ऋण की ईएमआई तुरंत चुकाता है और आवश्यक संख्या में डिजिटल लेन-देन करता है, तो ब्याज सब्सिडी और प्राप्त कैशबैक ऋण को ब्याज मुक्त बना सके।
- मांग आधारित पंजीकरण को प्रोत्साहित करके नए स्ट्रीट वेंडरों को पहचानने के लिए ‘लेटर ऑफ सिफ़ारिश’ (एलओआर) की नई अवधारणा पेश की गई थी।
- एलओआर के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस उपकरण के माध्यम से 30 लाख से अधिक नए वेंडरों को मान्यता दी गई है, जिससे मान्यता प्राप्त रेहड़ी-पटरी वालों की संख्या दोगुनी होकर लगभग 60 लाख हो गई है।
- इस मंत्रालय की लगातार कोशिशों के कारण 25 राज्यों ने या तो पीएम स्वनिधि ऋणों पर स्टांप शुल्क में छूट दी है या 100 रुपये तक की मामूली राशि वसूल कर रहे हैं।
- इस योजना के कार्यान्वयन के लिए एक संपूर्ण आईटी समाधान विकसित किया गया है, जिसमें आधार, उद्यमी, सिडबी, एनपीसीआई, पैसा पोर्टल आदि के डेटा-बेस को एकीकृत करते हुए स्वनिधि से समृद्धि लाना शामिल है और इस प्रकार अर्थव्यवस्था के सबसे कमजोर वर्गों के लिए डिजिटल इंडिया पहल को बढ़ावा देना है।
- मंत्रालय द्वारा उठाए गए उपरोक्त सभी उपायों ने पीएम स्वनिधि को आजादी के बाद से सबसे तेजी से बढ़ने वाली सूक्ष्म ऋण योजना बना दिया है।
- लाभार्थियों को डिजिटल तौर पर जोड़ना पीएम स्वनिधि योजना का एक अभिन्न अंग है, जो रेहड़ी-पटरी वालों की क्रेडिट प्रोफाइल बनाने में मदद करता है।
- ऐसे विक्रेता 4,500 से अधिक शहरी स्थानों में डिजिटल संदेशवाहक के रूप में कार्य कर रहे हैं।
- डिजिटल तौर पर जोड़ने और प्रशिक्षण को और गति देने के लिए ‘मैं भी डिजिटल’ (एमबीडी) अभियान जनवरी-फरवरी 2021 में शुरू किया गया था।
- एमबीडी 2.0 को फिर से 1 जुलाई से 15 अगस्त, 2021 तक लागू किया गया था।
- एमडीबी 3.0 को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के समन्वय में लागू किया गया था और थर्ड पार्टी निजी डिजिटल भुगतान कर्ताओं ने (पेटीएम, फोन पे, भारत पे, एमस्वाइप और ऐसवेयर ने भाग लिया) 9 सितंबर से 30 नवंबर, 2021 तक 223 शहरों का चयन किया।
- अब तक, 12.8 लाख रेहड़ी-पटरी वाले डिजिटल रूप से सक्रिय हैं और उन्होंने 19 करोड़ डिजिटल लेनदेन दर्ज किए हैं। इन लाभार्थियों ने कैशबैक के रूप में 12 करोड़ रुपये का दावा किया है।
- स्वनिधि से समृद्धि योजना के माध्यम से, हम उन्हें समग्र विकास के लिए एक सुरक्षा नेट बनाने और उसे अपनाने लिए प्रोत्साहित करते हैं।
- स्वनिधि से समृद्धि योजना के माध्यम से, पीएम स्वनिधि लाभार्थियों और उनके परिवार के सदस्यों को केंद्र सरकार की 8 कल्याणकारी योजनाओं के लिए सिंगल विंडो एक्सेस प्रदान किया जाता है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
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