विषयसूची:
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1.17वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन:
सामान्य अध्ययन: 1
भारतीय विरासत:
विषय: भारतीय विरासत: प्रवासी भारतीयों का देश के विकास में योगदान।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) सम्मेलन से संबंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: प्रवासी भारतीयों का देश के विकास में योगदान के महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री ने 09 जनवरी को मध्य प्रदेश के इंदौर में 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन किया।
उद्देश्य:
- प्रवासी भारतीय दिवस (PDB) सम्मेलन भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है, जो प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़ने और प्रवासी भारतीय को एक दूसरे के साथ बातचीत करने में सक्षम बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है।
विवरण:
- इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सुरक्षित, कानूनी, व्यवस्थित और कुशल प्रवासन के महत्व को रेखांकित करने के लिए एक स्मारक डाक टिकट ‘सुरक्षित जाएं, प्रशिक्षित जाएं’ जारी किया और ‘आजादी का अमृत महोत्सव- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रवासी भारतीयों का योगदान’ विषय पर पहली बार डिजिटल पीबीडी प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
- इस पीबीडी सम्मेलन का विषय ‘प्रवासी: अमृत काल में भारत की प्रगति के लिए विश्वसनीय भागीदार’ है।
- इस वर्ष आयोजित हो रहा प्रवासी भारतीय दिवस चार साल के अंतराल के बाद आयोजित किया जा रहा है।
- यह आयोजन मध्य प्रदेश की धरती पर हो रहा है जो भारत का हृदयस्थल कहलाती है और नर्मदा के पवित्र जल, हरियाली, आदिवासियों, संस्कृति और आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस कई मायनों में विशेष है, क्योंकि भारत ने हाल ही में अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे किए हैं।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने सदियों पहले वैश्विक व्यापार की असाधारण परंपरा शुरू की थी।
- जब भारत के लोग एक कॉमन फैक्टर की तरह दिखते हैं, तो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना के साक्षात दर्शन होते हैं और जब भारत के अलग-अलग प्रांतों, अलग-अलग क्षेत्रों के लोग मिलते हैं, तो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सुखद एहसास होता है।
- प्रधानमंत्री ने भारत की कैशलेस अर्थव्यवस्था व फिनटेक के बारे में भी बताया और कहा कि दुनिया का 40 प्रतिशत रीयल-टाइम डिजिटल लेनदेन भारत में किया जा रहा है।
- उन्होंने भारत के सॉफ्टवेयर और डिजिटल प्रौद्योगिकी उद्योग पर भी प्रकाश डाला और कहा कि भारत की यह बढ़ती हुई ताकत आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ने वाली है।
- प्रधानमंत्री ने भारत की कैशलेस अर्थव्यवस्था व फिनटेक के बारे में भी बताया और कहा कि दुनिया का 40 प्रतिशत रीयल-टाइम डिजिटल लेनदेन भारत में किया जा रहा है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के पास न केवल ज्ञान केंद्र बल्कि दुनिया की ‘स्किल कैपिटल’ बनने का अवसर है।
पृष्ठ्भूमि:
- प्रवासी भारतीय दिवस (PDB) सम्मेलन भारत सरकार का प्रमुख आयोजन है जो प्रवासी भारतीयों के साथ संपर्क करने और जुड़ने और प्रवासी भारतीय को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने में सक्षम बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है।
- इंदौर में 08-10 जनवरी, 2023 तक मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से 17वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।
- लगभग 70 विभिन्न देशों के 3,500 से अधिक प्रवासी सदस्यों ने प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के लिए पंजीकरण कराया है।
- प्रधानमंत्री ने भारत की आजादी में हमारे प्रवासी भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को रेखांकित करने के लिए “आजादी का अमृत महोत्सव- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रवासी भारतीय का योगदान” विषय पर पहली डिजिटल पीबीडी प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
पीबीडी कन्वेंशन में पांच विषयगत पूर्ण सत्र होंगे:
- ‘नवाचारों और नई प्रौद्योगिकियों में प्रवासी युवाओं की भूमिका’ पर पहला सत्र।
- ‘अमृत काल में भारतीय हेल्थकेयर इको-सिस्टम को बढ़ावा देने में भारतीय डायस्पोरा की भूमिका: विजन @ 2047’ पर दूसरा सत्र।
- ‘भारत की सॉफ्ट पावर का लाभ उठाना – शिल्प, व्यंजन और रचनात्मकता के माध्यम से सद्भावना’ पर तीसरा सत्र।
- ‘भारतीय कार्यबल की वैश्विक गतिशीलता को सक्षम करना- भारतीय डायस्पोरा की भूमिका’ पर चौथा सत्र।
- ‘राष्ट्र निर्माण के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण की दिशा में प्रवासी उद्यमियों की क्षमता का उपयोग’ पर पांचवा सत्र।
- 17वें पीबीडी कन्वेंशन का महत्व है, क्योंकि यह चार साल के अंतराल के बाद और कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद पहली बार एक वास्तविक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया जा रहा है।
- महामारी के दौरान 2021 में पिछला पीबीडी सम्मेलन वर्चुअल तौर पर आयोजित किया गया था।
2.NHA ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जेएवाई योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों के प्रदर्शन का आकलन करने और उन्हें ग्रेड देने के लिए नई प्रणाली शुरू की:
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र /सेवाओं के विकास एवं उनसे प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA), आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) से संबंधित जानकारी।
प्रसंग:
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) अपनी प्रमुख योजना- आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) के तहत अस्पताल के प्रदर्शन को मापने और ग्रेड देने के लिए एक नई प्रणाली शुरू कर रहा है।
उद्देश्य:
- इस नई प्रणाली का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को रोगी केंद्रित सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए लाभान्वित और प्रोत्साहित करना एवं अस्पतालों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं की मात्रा की जगह स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के मूल्य के आधार पर उनके प्रदर्शन का आकलन करना है।
विवरण:
- आम तौर पर भुगतान करने वाले के दृष्टिकोण से स्वास्थ्य सेवा मॉडल को प्रदान की जाने वाली सेवाओं की मात्रा पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- इसमें प्रदान की गई सेवाओं की संख्या के आधार पर केस-आधारित एकमुश्त भुगतान किया जाता है।
- यह नई प्रणाली ‘मूल्य-आधारित सेवा’ की अवधारणा को सामने लाएगी, जहां भुगतान परिणाम आधारित होगा।
- इसमें प्रदान किए गए उपचार की गुणवत्ता के अनुरूप अस्पतालों को भुगतान किया जाएगा।
- नए प्रारूप के तहत रोगियों को उनके स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायता करने के लिए सेवा प्रदाताओं को पुरस्कृत किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप लंबी अवधि में लोगों के बीच रोग के प्रभाव को कम किया जा सकेगा।
- यह कदम समग्र स्वास्थ्य लाभ में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी का संकल्प व्यक्त करता है और रोगियों से लेकर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, भुगतानकर्ताओं व आपूर्तिकर्ताओं तक, यानी सभी संबंधित हितधारकों को इससे लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है।
- रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य परिणाम और उन्हें मिलने वाली सेवाओं से काफी संतुष्टि प्राप्त होगी और प्रदाता बेहतर देखभाल क्षमताओं को प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।
- इसी तरह भुगतानकर्ता किए गए खर्च से उत्पन्न स्वास्थ्य लाभ को अधिकतम करने में सक्षम होंगे।
- इसके अलावा एक मूल्य-आधारित स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में भुगतानकर्ता मजबूत लागत नियंत्रण भी कर सकते हैं।
- आपूर्तिकर्ता अपने उत्पाद व सेवाओं को सकारात्मक रोगी परिणामों और कम लागत के अनुरूप करने में सक्षम होने से लाभान्वित होंगे।
- व्यापक रूप से मूल्य-आधारित देखभाल, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को रोगी केंद्रित सेवाएं प्रदान करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए लाभान्वित और प्रोत्साहित करके भारत में स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में महत्वपूर्ण सुधार का संकल्प करता है।
- मूल्य-आधारित देखभाल के तहत AB PM-JAY सूचीबद्ध अस्पतालों के प्रदर्शन को पांच प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर आकलित किया जाएगा।
ये हैं-
- लाभार्थी संतुष्टि
- अस्पताल में भर्ती होने की दर
- आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय की सीमा
- पुष्ट की गई शिकायतें
- भर्ती रोगी के स्वास्थ्य से संबंधित जीवन की गुणवत्ता में सुधार।
- उपरोक्त संकेतकों के आधार पर अस्पतालों के प्रदर्शन को एक सार्वजनिक डैशबोर्ड पर भी उपलब्ध कराया जाएगा, जो लाभार्थियों को सूचना आधारित निर्णय लेने में सहायता करेगा।
- इस तरह अस्पताल का प्रदर्शन न केवल अस्पताल के वित्तीय प्रोत्साहन का निर्धारण करेगा बल्कि, PMJAY के तहत लाभार्थियों के गुणवत्तापूर्ण उपचार की मांग भी उत्पन्न करेगा।
- ये प्रदर्शन मूल्यांकन व मूल्य-आधारित प्रोत्साहन और स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता की निगरानी करने के लिए स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन व डिजिटल उपकरणों के उपयोग, सामूहिक रूप से AB PM-JAY और भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली को मात्रा-आधारित से मूल्य-आधारित स्वास्थ्य देखभाल वितरण प्रणाली में रूपांतरित कर देगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.राष्ट्रीय सुशासन केंद्र:
- बांग्लादेश, मालदीव और अरुणाचल प्रदेश के सिविल सेवकों के लिए दो सप्ताह का क्षमता निर्माण कार्यक्रम का उद्घाटन मसूरी स्थित राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG) में किया गया।
- इसमें बांग्लादेश (56वें बैच) के 39 प्रतिभागी, मालदीव (20वें बैच) के 26 प्रतिभागी और अरुणाचल प्रदेश के पहले क्षमता निर्माण कार्यक्रम में 22 प्रतिभागी शामिल हुए।
- यह कार्यक्रम सिविल सेवकों को उनके ज्ञान और कौशल को उन्नत करने में मदद करेगा, जिससे वे नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में तेजी ला सकें।
- इस कार्यक्रम को वैज्ञानिक रूप से भागीदारी के रूप में विकसित किया गया है, जिससे सिविल सेवकों को आम लोगों तक निर्बाध सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने के लिए समर्थ बनाया जा सके।
- इस कार्यक्रम की अवधारणा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के विजन और ‘पड़ोसी पहले’ वाली नीति के अनुरूप है, जिसे आगे बढ़ाते हुए NCGG ने विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से बांग्लादेश और मालदीव के सिविल सेवकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम की शुरूआत की है।
- NCGG पहले से ही जम्मू और कश्मीर के सिविल सेवकों के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है, जिसे बड़ी सफलता प्राप्त हो रही है।
- NCGG ने 2024 तक मालदीव के 1,000 सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण के लिए सिविल सेवा आयोग, मालदीव के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है जबकि 2024 तक 1,800 सिविल सेवकों के क्षमता निर्माण के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।
- पहली बार, अरुणाचल प्रदेश के सिविल सेवकों को भी 2022 में हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन के अनुसार NCGG के क्षमता निर्माण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
पृष्ठ्भूमि:
- राष्ट्रीय सुशासन केंद्र की स्थापना 2014 में भारत सरकार द्वारा देश के एक शीर्षस्थ संस्थान के रूप में की गई, जिसमें भारत के साथ-साथ अन्य विकासशील देशों के सिविल सेवकों के लिए सुशासन, नीतिगत सुधार, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर काम करने का जनादेश प्राप्त है।
- यह सरकार के थिंक टैंक के रूप में भी काम करता है।
- विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में, NCGG ने अब तक 15 देशों के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया है, जिसमें बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, भूटान, म्यांमार और कंबोडिया शामिल हैं।
- यह सरकार के थिंक टैंक के रूप में भी काम करता है।
2.83वाँ अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन:
- उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, 11 जनवरी 2023 को, जयपुर में आयोजित हो रहे 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे।
- अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन, भारत के विधायी निकायों की सर्वोच्च संस्था है जिसने 2021 में अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूर्ण किए।
- उस दौरान 2021 में शिमला में आयोजित 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को प्रधानमंत्री ने संबोधित किया था।
- पीठासीन अधिकारियों का पहला सम्मेलन भी 1921 में शिमला में ही आयोजित हुआ था।
- यह सम्मेलन चौथी बार जयपुर में आयोजित किया जा रहा है।
- 83वें सम्मेलन में निम्नलिखित समकालीन प्रासंगिक विषयों पर एक-दिवसीय विचार विमर्श किया जाएगा।
- जी- 20 को नेतृत्व प्रदान करने में, लोकतंत्र के जनक के रूप में भारत की भूमिका।
- संसद और विधान सभाओं को अधिक प्रभावी, जवाबदेह और सार्थक बनाने की आवश्यकता।
- प्रदेश की विधान सभाओं को डिजिटल संसद से जोड़ना।
- संविधान में निहित भावना के अनुरूप विधायिका तथा न्यायपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध।
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लिंक किए गए लेख में 08 जनवरी 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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