विषयसूची:
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1.जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अनुसूचित क्षेत्रों के जिला कलेक्टरों और परियोजना अधिकारियों (ITDA) के लिए सुशासन पर सफलतापूर्वक कार्यशाला आयोजित की।
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पहलू
मुख्य परीक्षा: जनजातीय कल्याण में सुशासन का महत्त्व
प्रसंग:
- जनजातीय कार्य मंत्रालय ने नई दिल्ली के सिविल सेवा अधिकारी संस्थान में अनुसूचित क्षेत्रों के जिला कलेक्टरों और परियोजना अधिकारियों (ITDA) के लिए “सुशासन पर कार्यशाला” आयोजित की।
उद्देश्य:
- नीति तथा कार्यान्वयन में अंतराल पर अनुभव साझा करना तथा अपने क्षेत्रों में परस्पर सीख के माध्यम से इस अंतराल को दूर करने के लिए अनुशंसाएं/सुझाव देना।
विवरण:
- केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में भाग लिया तथा अपने बहुमूल्य सुझाव प्रदान करते हुए कार्यशाला में सहभागिता की।
- यह कार्यशाला अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण, संवर्धन और विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी, ताकि इच्छित लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
- अपर सचिव और संयुक्त सचिवों तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित मंत्रालय के अधिकारियों ने विभिन्न समूह चर्चाओं को संचालित किया और निम्नलिखित चार प्रमुख विषयों पर प्रस्तुतियां दीं –
- भूमि हस्तांतरण विनियमों, जनजातीय भूमि विक्री तथा क्षतिपूर्ति मुआवजे, अत्याचार निवारण अधिनियम, राज्यपालों की विशेष शक्तियों का आह्वान और उसके कार्यान्वयन तथा ITDP/ITDA, MADA पॉकेट और अनुसूचित क्षेत्रों में क्लस्टर/सूक्ष्म परियोजनाओं के कामकाज पर विशेष ध्यान देने के साथ पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों के कार्यान्वयन का प्रशासन और समीक्षा तंत्र।
- अनुसूचित क्षेत्रों में, अनुसूचित क्षेत्र अधिनियम (PESA) 1996 में पंचायत विस्तार तथा वन अधिकार अधिनियम (FRA) 2006 के प्रावधानों के कार्यान्वयन का प्रशासन और समीक्षा तंत्र।
- अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए पीएमएएजीवाई, शैक्षिक, स्वास्थ्य, अन्य योजनाओं तथा केंद्र और राज्य की योजनाओं के एसटीसी का कार्यान्वयन और समीक्षा तंत्र।
- एमएफपी तथा वन धन विकास केंद्रों को (VDVK) आजीविका एमएसपी।
- कार्यशाला के परिणामों की परिकल्पना की गई थी:-
- निम्नलिखित पर अनुशंसाएं/सुझाव : नीति के संदर्भ में – जनजातीय जनसंख्या के समग्र और सर्वांगीण विकास की दिशा में फोकस।
- जनजातीय जनसंख्या और उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मुद्दों पर ध्यान देने की दिशा में सहभागी और केंद्रित दृष्टिकोण।
- विकास की दीर्घकालिक दृष्टि सुनिश्चित करने की योजना
- कार्यान्वयन के मुद्दों को सामने लाया जाना
- दस्तावेज़ीकरण, कार्यान्वयन की निगरानी और साक्ष्य-आधारित नीतियों के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग।
2.ट्राई ने ‘एकीकृत लाइसेंस के तहत डिजिटल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता प्राधिकरण को लागू करने पर परामर्श पत्र जारी किया।
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: वैधानिक, नियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति
मुख्य परीक्षा: डिजिटल क्षेत्र का नियमन
प्रसंग:
- भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने ‘एकीकृत लाइसेंस (UL) के तहत डिजिटल कनेक्टिविटी अवसंरचना प्रदाता प्राधिकरण को लागू करने पर परामर्श पत्र जारी किया है।
उद्देश्य:
- डिजिटल कनेक्टिविटी अवसंरचना के विकास के संदर्भ में, विभिन्न देशों ने संसाधनों के बढ़ते उपयोग (स्पेक्ट्रम सहित), लागत में कमी, निवेश को आकर्षित करने और अवसंरचना/नेटवर्क परत और सेवा/अनुप्रयोग परतों को अलग करके सेवा वितरण खंड को मजबूत करने के लिए अपने दूरसंचार लाइसेंसिंग ढांचे को संयोजित किया है।
विवरण:
- एक मजबूत डिजिटल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर (DCI) उत्पादकता को बढ़ाकर और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने वाली सुविधाएं प्रदान करके आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
- ऐसी संरचना का लाभ यह है कि ये लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाते हैं और प्रौद्योगिकियों के संयोजन पर विचार करते हुए बाजार के विकास व समाज के सामाजिक आर्थिक कल्याण में सुधार के लिए अधिक अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।
- राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (NDCP-2018) डिजिटल अवसंरचना पर अत्यधिक जोर देती है, जिसमें कहा गया है कि “डिजिटल अवसंरचना तथा सेवाएं देश के विकास और कल्याण के प्रमुख सक्षमकर्ताओं तथा महत्वपूर्ण निर्धारकों के रूप में तेजी से उभर रही हैं। NDCP-2018 भी अपने ‘प्रोपेल इंडिया’ मिशन को पूरा करने के लिए एक रणनीति के रूप में ‘’विभेदक लाइसेंसिंग के माध्यम से विभिन्न परतों (जैसे, अवसंरचना, नेटवर्क, सेवाओं और अनुप्रयोग परत) को खोलने में सक्षम बनाने” की भी परिकल्पना की गई है।
- DCI डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) और स्मार्ट शहरों के विकास के तहत विभिन्न सरकारी योजनाओं के सफल कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण और अग्रणी भूमिका निभाती है। हाल ही में लॉन्च किया गया 5G भारत को एक ब्रॉडबैंड सुपरहाइवे में रूपांतरित कर देगा और देश की सामाजिक-आर्थिक संरचना में सुधार लाएगा। इसके आलोक में यह भी अनिवार्य है कि सक्रिय और निष्क्रिय अवसंरचना के निर्माण के लिए अनुकूल लाइसेंसिंग ढांचे के माध्यम से नई कंपनियों को प्रोत्साहित किया जाए।
- इसके परिणामस्वरूप आम साझा करने योग्य डीसीआई और नेटवर्क संसाधनों में वृद्धि, लागत में कमी, निवेश को आकर्षित करने, सेवा वितरण खंड को मजबूत करने और उद्योग 4.0, उद्यम खंड और विभिन्न अन्य उपयोग के मामलों के लिए 5जी सेवाओं के प्रसार में उत्प्रेरक भी साबित हो सकती है।
पृष्ठभूमि:
- हाल ही में, ट्राई को दूरसंचार विभाग के पत्र दिनांक 11.08.2022 के माध्यम से एक संदर्भ प्राप्त हुआ, जिसमें ‘टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर लाइसेंस (TIL)’ लाइसेंस नाम से लाइसेंस की एक नई श्रेणी के निर्माण और ट्राई अधिनियम 1997 की धारा 11(1) (ए) के तहत ऐसे लाइसेंस के नियम और शर्तें, लागू लाइसेंस शुल्क आदि के बारे में अनुशंसाएं मांगी गई थीं।
3.पूर्वावलोकन – एयरो इंडिया
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: रक्षा प्रौद्योगिकी
मुख्य परीक्षा: नौसेना विमानन और आत्मनिर्भरता
प्रसंग:
- एयरो इंडिया 2023 का द्विवार्षिक कार्यक्रम 13 से 17 फरवरी 2023 से बेंगलुरु के येलहंका वायु सेना स्टेशन में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से रक्षा उद्योग को अपने नवीनतम उपकरण, हेलीकॉप्टर और विमान प्रदर्शित करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराया जाता है।
- इस आयोजन से रक्षा कर्मियों को मूल उपकरण निर्माताओं के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श करने और सशस्त्र बलों में भविष्य में शामिल होने के लिए परिकल्पित उत्पादों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने का अवसर भी प्राप्त होता है।
उद्देश्य:
- सेमिनार रक्षा मंत्रालय, उपयोगकर्ताओं, अनुरक्षकों, क्यूए एजेंसियों, डीआरडीओ, डीपीएसयू और भारतीय उद्योग के प्रमुख हितधारकों को सशस्त्र बलों के पास मौजूद मिसाइलों के रखरखाव के लिए सरकार की पहल और आगे की राह पर विस्तृत चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
विवरण:
- रक्षा उपकरण उत्पादन में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के राष्ट्र के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुसरण में भारतीय नौसेना ने हाल ही में स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर स्वदेशी प्रौद्योगिकी प्रदर्शक एयरक्राफ्ट (ट्विन इंजन डेक आधारित लड़ाकू के लिए नेतृत्व) हल्का लड़ाकू विमान (नौसेना) उतारा है। विमान को भारतीय नौसैनिक परीक्षण पायलट द्वारा उड़ाया गया था। यह क्षमता भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भर भारत की दीर्घकालिक दृष्टि का ही परिणाम है।
- एयरो इंडिया 2023 के दौरान भारतीय नौसेना कई गतिविधियों में भाग ले रही है। इस आयोजन के दौरान स्वदेशी विमान उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर एमके III और एमआर विमान पी8आई क्रमशः फ्लाई पास्ट तथा स्टैटिक डिस्प्ले में भाग लेंगे। आत्मनिर्भरता पर विशेष बल दिये जाने को ध्यान में रखते हुए मिग 29के विमान के इंजनों की मरम्मत करने हेतु एक संदर्भ दस्तावेज के रूप में उपयोग के लिए एचएएल द्वारा संकलित एक अनुकूलित ग्राफिक फोटो-वर्णन एचएएल के मुख्य प्रबंध निदेशक द्वारा नौसेनाध्यक्ष को प्रस्तुत किया जाएगा।
- इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हुए मिग 29के विमान के हेल्थ यूजेस एंड मॉनिटरिंग सिस्टम (HUMS) के विश्लेषण की एक परियोजना को डीआरडीओ द्वारा ‘लॉन्च ऑफ न्यू टेक्नोलॉजी’ के हिस्से के रूप में शामिल किया गया है।
- यह डाटा विश्लेषण के समय को काफी कम कर देगा और इसके परिणामस्वरूप विमान से सामान उतारने तथा लादने की प्रक्रिया तेजी से होगी और निवारक रखरखाव हेतु बेहतर प्रक्रिया साबित होगी। कार्यक्रमों की श्रृंखला में डीडीपी के सहयोग से भारतीय नौसेना द्वारा ‘एयरो आर्मामेंट सस्टेनेंस में आत्मनिर्भरता’ विषय पर एक सेमिनार भी आयोजित किया जा रहा है।
4.वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन: भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत प्राथमिकताओं में से एक
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: बुनियादी ढांचा : ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
प्रारंभिक परीक्षा: जैव ईंधन
मुख्य परीक्षा: जैव ईंधन के विकास में वैश्विक सहयोग की भूमिका
प्रसंग:
- प्रमुख जैव ईंधन उत्पादकों और उपभोक्ताओं के रूप में, भारत, अमेरिका, ब्राजील अन्य इच्छुक देशों के साथ मिलकर एक वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के विकास की दिशा में काम करेंगे।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य सहयोग को सुगम बनाना और परिवहन क्षेत्र सहित टिकाऊ जैव ईंधन के उपयोग में तेजी लाना है।
विवरण:
- यह बाजारों को सुदृढ़ बनाने, वैश्विक जैव ईंधन व्यापार को सुगम बनाने, ठोस नीति साझा करने और विश्व भर में राष्ट्रीय जैव ईंधन कार्यक्रमों के लिए तकनीकी सहायता के प्रावधान पर बल देगा। यह पहले से लागू सर्वोत्तम कार्य योजनाओं और सफलता मामलों पर भी बल देगा।
- यह गठबंधन विद्यमान क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ-साथ स्वच्छ ऊर्जा मंत्रालयी बायोफ्यूचर प्लेटफॉर्म, मिशन नवोन्मेषण जैव ऊर्जा पहलों, वैश्विक जैव ऊर्जा साझेदारी (GBEP) सहित जैव ऊर्जा, जैव आर्थिकी और ऊर्जा पारगमन क्षेत्रों में अधिक व्यापक रूप से पहलों के सहयोग से काम करेगा।
- वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन भारत के जी-20 अध्यक्षता के तहत प्राथमिकताओं में से एक है और इसकी घोषणा भारत ऊर्जा सप्ताह 2023 के दौरान पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस एवं आवास तथा शहरी कार्य मंत्री द्वारा की गई थी।
- जैव ईंधन कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने और स्वच्छ वातावरण को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह ग्रामीण क्षेत्रों के लिये अतिरिक्त आय और रोज़गार सृजन में भी मदद करेगा। यह न केवल भारत की ग्रामीण ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि परिवहन की बढ़ती मांगों को भी पूरा करेगा।
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