विषयसूची:
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1. कैबिनेट ने एक स्वायत्त निकाय, ‘मेरा युवा भारत’ की स्थापना को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: मेरा युवा भारत (एमवाई भारत) निकाय।
मुख्य परीक्षा: एक स्वायत्त निकाय, ‘मेरा युवा भारत’ की स्थापना के निहितार्थ स्पष्ट कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक स्वायत्त निकाय मेरा युवा भारत (एमवाई भारत) की स्थापना को मंजूरी दे दी है, जो युवा विकास और युवा नेतृत्व वाले विकास के लिए प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित एक व्यापक सक्षम तंत्र के रूप में कार्य करेगा और युवाओं को समान पहुंच प्रदान करेगा, ताकि वे अपनी आकांक्षाओं को साकार कर सकें तथा सरकार के संपूर्ण दायरे में विकसित भारत का निर्माण हो सके।
उद्देश्य:
- स्वायत्त निकाय, मेरा युवा भारत (एमवाई भारत), राष्ट्रीय युवा नीति में ‘युवा’ की परिभाषा के अनुरूप, 15-29 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं को लाभान्वित करेगा।
- इस कार्यक्रम के घटक, विशेष रूप से किशोरों के लिए बनाए गए हैं, जिसके लाभार्थी 10-19 वर्ष के आयु वर्ग के किशोर होंगे।
- मेरा युवा भारत (एमवाई भारत), युवा नेतृत्व वाले विकास पर सरकार का ध्यान केंद्रित करने और युवाओं को केवल “निष्क्रिय प्राप्तकर्ता” के रूप में रहने के स्थान पर विकास का “सक्रिय संचालक” बनाने में मदद करेगा।
- मेरा युवा भारत (एमवाई भारत) 31 अक्टूबर, 2023 को राष्ट्रीय एकता दिवस पर लॉन्च किया जाएगा।
प्रभाव:
- मेरा युवा भारत (एमवाई भारत) का प्राथमिक उद्देश्य इसे युवाओं के विकास हेतु एक संपूर्ण सरकार का मंच बनाना है।
- नई व्यवस्था के तहत, संसाधनों तक पहुंच और अवसरों के साथ जुड़ाव के माध्यम से युवा समुदायिक बदलाव के वाहक और राष्ट्र निर्माता बन जाएंगे, जिससे उन्हें सरकार एवं नागरिकों के बीच युवा सेतु के रूप में कार्य करने का मौका मिलेगा।
- यह व्यवस्था राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं की अपार ऊर्जा का उपयोग करेगी।
विवरण:
मेरा युवा भारत (एमवाई भारत) की स्थापना से निम्नलिखित बातों को बढ़ावा मिलेगा:
- युवाओं में नेतृत्व विकास:
- अलग-अलग व्यक्तिगत संपर्क की जगह प्रोग्रामेटिक कौशल का विकास कर अनुभवात्मक शिक्षा के माध्यम से नेतृत्व कौशल में सुधार होगा।
- युवाओं में अधिक निवेश करके उन्हें सामाजिक नवाचार और सामुदायिक नेता बनाने का कार्य किया जाएगा।
- युवा नेतृत्व वाले विकास पर सरकार का ध्यान केंद्रित करना और युवाओं को निष्क्रिय प्राप्तकर्ता की जगह विकास का “सक्रिय संचालक” बनाना।
- युवाओं की आकांक्षाओं और सामुदायिक आवश्यकताओं के बीच बेहतर तालमेल।
- मौजूदा कार्यक्रमों का सम्मिलन कर युवाओं की दक्षता में वृद्धि करना।
- युवा लोगों और मंत्रालयों के लिए वन स्टॉप शॉप के रूप में कार्य करना।
- एक केंद्रीकृत युवा डेटा बेस बनाना।
- युवा सरकारी पहलों और युवाओं के साथ जुड़ने वाले अन्य हितधारकों की गतिविधियों को जोड़ने के लिए दोतरफा संचार में सुधार।
- एक भौतिक इकोसिस्टम का निर्माण करते हुए पहुंच सुनिश्चित करना।
आवश्यकता:
- विजन 2047 को साकार करने के लिए एक ऐसी विशेष रूपरेखा की आवश्यकता है जो ग्रामीण युवाओं, शहरी युवाओं और रूर्बन युवाओं को एक मंच पर ला सके।
- एक ऐसी रूपरेखा तैयार करना अत्यंत आवश्यक है जो ग्रामीण, शहरी और रूर्बन युवाओं को एक साझे मंच पर एकजुट करे।
- ‘मेरा युवा भारत’ इस तरह की रूपरेखा तैयार करने में मददगार साबित हो सकता है।
- सरकार को युवाओं के साथ जुड़ने के लिए समकालीन प्रौद्योगिकी आधारित एक नया प्लेटफॉर्म स्थापित करने की आवश्यकता है- आज की तेज गति वाली दुनिया में, एक ऐसी दुनिया जिसकी विशेषता तीव्र संचार, सोशल मीडिया का प्रचलन, नए डिजिटल टूल का उद्भव और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां है, प्रौद्योगिकी आधारित प्लेटफॉर्म युवाओं को उन कार्यक्रमों से जोड़ सकता है जो उन्हें अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं और इसके साथ ही उन्हें सामुदायिक गतिविधियों से भी जोड़ सकते हैं।
- एक फिजिटल इकोसिस्टम बनाकर युवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना – ‘मेरा युवा भारत’ प्लेटफॉर्म इस तरह का ‘फिजिटल’ इकोसिस्टम तैयार करेगा और युवाओं को सामुदायिक बदलाव सुनिश्चित करने के लिए उत्प्रेरक बनने के लिए सशक्त करेगा।
- वे सरकार को अपने नागरिकों के साथ जोड़ने वाले ‘युवा सेतु’ के रूप में कार्य करेंगे।
- हाल ही में युवा कार्य विभाग के एक वेब पोर्टल yuva.gov.in ने ‘मेरी माटी मेरा देश’ नामक एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम को होस्ट किया, जिसमें 50 मिलियन युवाओं ने भाग लिया और उन्होंने देश भर में ‘अमृत वाटिकाएं’ बनाने के लिए 23 मिलियन पौधे लगाने में मदद की।
- ‘मेरा युवा भारत’ एक ऐसे फिजिटल इकोसिस्टम को बनाने और उसे बनाए रखने में मदद करेगा जो लाखों युवाओं को एक नेटवर्क में निर्बाध रूप से जोड़ता है।
- एक प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म आधारित ‘मेरा युवा भारत’ युवा कार्यक्रम विभाग के युवा संपर्क प्रयासों को बढ़ाने में अत्यंत मददगार साबित होगा।
पृष्ठ्भूमि:
- सरकार ने, तेजी से बदलती दुनिया में, जहां तीव्र गति का संचार, सोशल मीडिया, नए डिजिटल अवसर और उभरती प्रौद्योगिकियों का वातावरण है, युवाओं को शामिल करने और ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित उनका सशक्तिकरण करने के लिए यह निर्णय लिया है कि एक नए स्वायत्तशासी निकाय, अर्थात् मेरा युवा भारत (एमवाई भारत) के रूप में एक व्यापक सक्षम तंत्र स्थापित किया जाए।
2.केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और पपुआ न्यू गिनी के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई)।
मुख्य परीक्षा: भारत और पपुआ न्यू गिनी के बीच सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन के महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पपुआ न्यू गिनी के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या पैमाने पर लागू सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग के लिए 28 जुलाई, 2023 को हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन को अपनी मंजूरी दे दी।
उद्देश्य:
- समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों देशों की डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों को लागू करने में घनिष्ठ सहयोग, अनुभवों और डिजिटल प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों (यानी इंडिया स्टैक) के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
- समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के हस्ताक्षर की तारीख से प्रभावी होगा और 3 साल की अवधि तक लागू रहेगा।
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के क्षेत्र में जी2जी और बी2बी दोनों द्विपक्षीय सहयोगों को बढ़ाया जाएगा।
- समझौता ज्ञापन में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।
विवरण:
- एमईआईटीवाई आईसीटी क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अनेक देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है।
- यह देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए सरकार की डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया जैसी विभिन्न पहलों के अनुरूप है।
- इस बदलते परिप्रेक्ष्य में, आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यावसायिक अवसरों की खोज करने, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
- पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के कार्यान्वयन में नेतृत्व प्रदर्शन किया है और कोविड महामारी के दौरान भी जनता को सफलतापूर्वक सेवाएं प्रदान की हैं।
- परिणामस्वरूप, कई देशों ने भारत के अनुभवों से सीखने और भारत के साथ समझौता ज्ञापन में प्रवेश करने में रुचि दिखाई है।
- इंडिया स्टैक सॉल्यूशंस सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच और वितरण प्रदान करने के लिए जनसंख्या पैमाने पर भारत द्वारा विकसित और लागू एक डीपीआई है।
- इसका उद्देश्य कनेक्टिविटी बढ़ाना, डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सेवाओं तक निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाना है।
- ये खुली प्रौद्योगिकियों पर निर्मित हैं, अंतरसंचालनीय हैं और उद्योग और सामुदायिक भागीदारी का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं जो नवीन और समावेशी समाधानों को बढ़ावा देते हैं।
- हालांकि, डीपीआई के निर्माण में प्रत्येक देश की विशिष्ट आवश्यकताएं और चुनौतियां हैं, इसके बावजूद बुनियादी कार्यक्षमता समान है, जो वैश्विक सहयोग की अनुमति देती है।
3. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और फ्रांस के बीच डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में जी2जी और बी2बी द्विपक्षीय सहयोग।
मुख्य परीक्षा: भारत और फ्रांस के बीच डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित समझौता ज्ञापन से द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत गणराज्य के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और फ्रांस गणराज्य के अर्थव्यवस्था, वित्त और औद्योगिक एवं डिजिटल संप्रभुता मंत्रालय के बीच डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- इस एमओयू का उद्देश्य डिजिटल प्रौद्योगिकियों से संबंधित सूचनाओं के मामले में घनिष्ठ सहयोग एवं आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है और इस एमओयू के प्रावधानों के अनुरूप प्रत्येक भागीदार के अपने देश में डिजिटल प्रौद्योगिकी तक पहुंच को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य का पारस्परिक रूप से समर्थन करना है।
- डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में जी2जी और बी2बी द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इस एमओयू में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।
- इस एमओयू के तहत सहयोग दोनों प्रतिभागियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने की तारीख से शुरू होगा और पांच (5) वर्षों तक चलेगा।
विवरण:
- डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में जी2जी और बी2बी द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- इस एमओयू में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।
- एमईआईटीवाई को सहयोग के द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय ढांचे के तहत सूचना प्रौद्योगिकी के उभरते एवं अग्रणी क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का दायित्व सौंपा गया है।
- डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में, एमईआईटीवाई ने द्विपक्षीय या बहुपक्षीय मंचों पर विभिन्न देशों के समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ समझौता ज्ञापन/समझौते किए हैं।
- इस बदलते प्रतिमान में, ऐसे आपसी सहयोग के माध्यम से व्यावसायिक अवसरों की खोज करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
- भारत और फ्रांस भारत-यूरोपीय क्षेत्र में लंबे समय से रणनीतिक साझेदार हैं।
- भारत और फ्रांस एक ऐसा समृद्ध डिजिटल इकोसिस्टम विकसित करने और उस दिशा में साझेदारी का निर्माण करने हेतु प्रतिबद्ध हैं जो उनके नागरिकों को सशक्त बनाए और इस डिजिटल सदी में उनकी पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करे।
- वर्ष 2019 में घोषित साइबर सुरक्षा और डिजिटल प्रौद्योगिकी से संबंधित भारत-फ्रांस रोडमैप के आधार पर, भारत और फ्रांस उन्नत डिजिटल प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित वैश्विक साझेदारी (जीपीएआई) की रूपरेखा सहित सुपरकंप्यूटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं क्वांटम प्रौद्योगिकी, के क्षेत्र में एक महत्वाकांक्षी द्विपक्षीय सहयोग कर रहे हैं।
4.कैबिनेट ने डिजिटल बदलाव के लिए भारत तथा त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई)।
मुख्य परीक्षा: डिजिटल बदलाव के लिए भारत तथा त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच हुए समझौते पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत गणराज्य के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा त्रिनिदाद और टोबैगो गणराज्य के डिजिटल परिवर्तन प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच डिजिटल बदलाव के लिए पूरी आबादी के पैमाने पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग करने पर 11 अगस्त, 2023 को हस्ताक्षर किये गए एक समझौता ज्ञापन को अपनी मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- इस एमओयू का उद्देश्य दोनों देशों की डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों के कार्यान्वयन में घनिष्ठ सहयोग और अनुभवों व डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर आधारित समाधानों (जैसे इंडिया स्टैक) के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
- समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के हस्ताक्षर की तारीख से प्रभावी होगा और 3 साल की अवधि तक लागू रहेगा।
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के क्षेत्र में जी2जी और बी2बी दोनों तरह के द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाये जायेंगे।
- एमओयू में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।
विवरण:
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय आईसीटी क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है।
- इस अवधि के दौरान, मंत्रालय ने आईसीटी क्षेत्र में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के अपने समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ एमओयू/एमओसी/समझौते किये हैं।
- यह देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के क्रम में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया जैसी विभिन्न पहलों के अनुरूप है।
- इस बदलते प्रतिमान के साथ, आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यावसायिक अवसरों का पता लगाने, सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
- पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के कार्यान्वयन में अपने नेतृत्व का प्रदर्शन किया है और कोविड महामारी के दौरान भी जनता को सेवाओं की सफलतापूर्वक अदायगी की है।
- परिणामस्वरूप, कई देशों ने भारत के अनुभवों से सीखने और भारत के साथ समझौता ज्ञापन करने में रुचि दिखाई है।
- इंडिया स्टैक समाधान, सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच प्राप्त करने और सेवाओं की अदायगी के लिए पूरी आबादी के पैमाने पर भारत द्वारा विकसित और कार्यान्वित एक डीपीआई है।
- इसका उद्देश्य संचार-संपर्क को बढ़ाना, डिजिटल समावेश को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सेवाओं तक निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाना है।
- ये खुली प्रौद्योगिकियों पर निर्मित हैं, अंतर-संचालन योग्य हैं और उद्योग तथा सामुदायिक भागीदारी, जो नवाचार और समावेशी समाधानों को बढ़ावा देते हैं, का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
- हालांकि, डीपीआई के निर्माण के संदर्भ में प्रत्येक देश की अपनी आवश्यकताएँ और चुनौतियाँ हैं। चूँकि, प्राथमिक परिचालन समान है, इसलिए वैश्विक सहयोग संभव है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. मंत्रिमंडल ने तीन महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों- लिथियम, नायोबियम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स (आरईई) के खनन के लिए रॉयल्टी दरों को मंजूरी दी:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों लिथियम, नायोबियम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स (आरईई) के संबंध में रॉयल्टी की दर तय करने के लिए खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (‘एमएमडीआर अधिनियम’) की दूसरी अनुसूची में संशोधन को मंजूरी दे दी है।
- हाल ही में, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 संसद द्वारा पारित किया गया था, जो 17 अगस्त, 2023 से लागू हो गया है।
- संशोधन के जरिये अन्य बातों के अलावा, लिथियम और नायोबियम सहित छह खनिजों को परमाणु खनिजों की सूची से हटा दिया गया है, जिससे नीलामी के माध्यम से निजी क्षेत्र को इन खनिजों के लिए रियायतें देने की अनुमति मिल जाएगी।
- इसके अलावा, संशोधन में प्रावधान किया गया है कि लिथियम, नायोबियम और आरईई (यूरेनियम और थोरियम रहित) के साथ 24 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों (जो अधिनियम की पहली अनुसूची के भाग डी में सूचीबद्ध हैं) के खनन पट्टे और समग्र लाइसेंस की नीलामी केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
- रॉयल्टी की दर के मामले में केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी से केंद्र सरकार देश में पहली बार लिथियम, नायोबियम और आरईई के लिए ब्लॉकों की नीलामी करने में सक्षम होगी।
- इसके अलावा, इन खनिजों के औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) की गणना के लिए खान मंत्रालय द्वारा प्रणाली भी तैयार की गई है, जो बोली मापदंडों के निर्धारण को सक्षम करेगी।
- एमएमडीआर अधिनियम की दूसरी अनुसूची विभिन्न खनिजों के लिए रॉयल्टी दरें तय करती है।
- दूसरी अनुसूची की मद संख्या 55 में यह प्रावधान है कि जिन खनिजों की रॉयल्टी दर विशेष रूप से उपलब्ध नहीं की गई है, उनके लिए रॉयल्टी दर औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) का 12 प्रतिशत होगी।
- इस प्रकार, यदि लिथियम, नायोबियम और आरईई के लिए रॉयल्टी दर विशेष रूप से उपलब्ध नहीं की जाती है, तो उनकी डिफ़ॉल्ट रॉयल्टी दर एएसपी का 12 प्रतिशत होगी।
- यह अन्य महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की तुलना में काफी अधिक है।
- साथ ही, 12 प्रतिशत की यह रॉयल्टी दर अन्य खनिज उत्पादक देशों के बराबर नहीं है। इस प्रकार, लिथियम, नायोबियम और आरईई की उचित रॉयल्टी दर निम्नानुसार निर्दिष्ट करने का निर्णय लिया गया है:
(i) लिथियम – लंदन मेटल एक्सचेंज मूल्य का तीन प्रतिशत,
(ii) नायोबियम – औसत बिक्री मूल्य का तीन प्रतिशत (प्राथमिक और द्वितीयक स्रोतों दोनों के लिए),
(iii) आरईई- रेयर अर्थ ऑक्साइड के औसत बिक्री मूल्य का एक प्रतिशत
- देश में आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खनिज जरूरी हो गए हैं।
- ऊर्जा परिवर्तन और 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के प्रति भारत के संकल्प को मद्देनजर रखते हुए लिथियम और आरईई जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की अहमियत बढ़ गई है।
- लिथियम, नायोबियम और आरईई भी अपने उपयोग और भू-राजनीतिक परिदृश्य के कारण रणनीतिक तत्वों के रूप में उभरे हैं।
- स्वदेशी खनन को प्रोत्साहित करने से आयात में कमी आएगी और संबंधित उद्योगों तथा अवसंरचना परियोजनाओं की स्थापना होगी।
- इस प्रस्ताव से खनन क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की भी उम्मीद है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने हाल ही में आरईई और लिथियम ब्लॉक की अन्वेषण रिपोर्ट सौंपी है।
- इसके अलावा, जीएसआई और अन्य अन्वेषण एजेंसियां देश में महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की पड़ताल कर रही है।
- केंद्र सरकार लिथियम, आरईई, निकेल, प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट्स, पोटाश, ग्लौकोनाइट, फॉस्फोराइट, ग्रेफाइट, मोलिब्डेनम इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की नीलामी का पहला दौर शीघ्र ही शुरू करने की दिशा में काम कर रही है।
2. 9वें पी20 शिखर सम्मेलन से पहले कल ‘मिशन लाइफ पर संसदीय फोरम’ की बैठक होगी:
- दुनिया भर के सांसद 12 अक्टूबर, 2023 को नई दिल्ली में लाइफ पर संसदीय फोरम (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) की बैठक में सतत जीवन शैली को आगे बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए एकजुट हो रहे हैं।
- ‘मिशन लाइफ पर फोरम’ की बैठक दरअसल दो दिवसीय जी20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (पी20 शिखर सम्मेलन) के 9वें संस्करण से पहले आयोजित की जाएगी।
- पी20 शिखर सम्मेलन 13-14 अक्टूबर, 2023 के दौरान नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
- जून 2022 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किया गया ‘लाइफ’ जन आंदोलन एक विश्वव्यापी प्रयास है जो सतत जीवन शैली की हिमायत करने और हमारे पर्यावरण के संरक्षण के लिए समर्पित है।
- ‘लाइफ’ पर संसदीय फोरम का विशेष महत्व है, जो सांसदों के लिए अपनी-अपनी अंतर्दृष्टि का आदान-प्रदान करने और सतत जीवनयापन को बढ़ावा देने वाले सफल दृष्टिकोण को साझा करने के लिए एक विशेष प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है।
- इसके अलावा, यह ‘लाइफ’ जन आंदोलन और इसके प्रमुख उद्देश्यों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के दौरान एसडीजी के लिए एजेंडा 2030: उपलब्धियों को दर्शाना, प्रगति में तेजी लाना; हरित भविष्य के लिए सतत ऊर्जा परिवर्तन प्रवेश द्वार है; महिला-पुरुष समानता को मुख्यधारा में लाना- महिलाओं की प्रगति से लेकर महिलाओं के नेतृत्व में विकास तक; और सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से लोगों के जीवन में व्यापक बदलाव पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
- ये विषय आज हमारे सामने मौजूद महत्वपूर्ण वैश्विक समस्याओं से निपटने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
- इनमें समग्र रणनीति शामिल है जिसका उद्देश्य ऐसे अपेक्षाकृत अधिक न्यायसंगत, समावेशी, और सतत भविष्य का निर्माण करना है जिससे सभी लाभान्वित हों।
पी20 शिखर सम्मेलन पर अधिक जानकारी:
- नौवां जी20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (पी20) और संसदीय फोरम
- प्रधानमंत्री 13 अक्टूबर को नई दिल्ली में 9वें जी20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (पी-20) का उद्घाटन करेंगे
- जी20 देशों के पीठासीन अधिकारी 9वें पी20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत पहुंचने लगे हैं ।
5. बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन के लिए नए मानकीकृत प्रोटोकॉल की शुरुआत:
- केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी ने बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन के लिए एक नए मानकीकृत प्रोटोकॉल की शुरुआत की।
- बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन का यह प्रोटोकॉल भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है।
- इस प्रोटोकॉल का उद्देश्य स्वास्थ्य एवं कल्याण के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाना और कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिए स्पष्ट कदम उठाना है।
- यह जीवन के एक विशेष समय में पोषण की महत्ता पर जोर देता है और मानव विकास क्षमता को बढ़ाने के अवसर देता है।
- यह प्रोटोकॉल यह सुनिश्चित करेगा कि देशभर के सैम/मैम (उम्र के हिसाब से बेहद कम वजन और कम लंबाई वाले बच्चे/काफी हद तक कुपोषण से ग्रस्त बच्चे) बच्चों को समय पर और प्रभावी ढंग से समर्थन दिया जा सके।
- यह प्रोटोकॉल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं, महिला सुपरवाइजरों, बाल विकास परियोजनाओं के अधिकारियों और इसे लागू करने के जिम्मेदार पदाधिकारियों समेत सभी लोगों को स्पष्टता और मार्ग निर्देशन देता है।
- पोषण अभियान कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए 18 मंत्रालयों और राज्य सरकारों के बीच हुए अद्भुत समन्वय और सहकार का उदाहरण है।
- श्रीमती इरानी ने वर्ष 2019 से पोषण अभियान की उपलब्धियों पर चर्चा की और कहा कि इसमें पारदर्शिता और दक्षता के लिए और बिल्कुल निचले स्तर पर प्रणालियों को मजबूत करने के लिए गुणवत्ता आश्वासन, ड्यूटी करने वालों की भूमिका और जिम्मेदारियों आदि पर सुव्यवस्थित दिशानिर्देश जारी किए गए है।
- केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान तैयार किया गया पोषण ट्रैकर ऐप शुरुआत के सिर्फ पहले तीन महीनों में ही 13 लाख से ज्यादा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तक पहुंच बनाकर एक गेम चेंजर के रूप में उभरा है।
- उन्होंने बताया कि पोषण ट्रैकर ऐप पर मिले नतीजे बताते है कि एनएफएचएस-5 के नतीजों की तुलना में कुपोषण का स्तर काफी कम है।
- 7 करोड़ से ज्यादा बच्चों के आंकड़े दर्शाते है कि 0-5 साल की उम्र के 1.98 प्रतिशत बच्चे सैम (कुपोषण के कारण उम्र के हिसाब से बहुत कम वजन और लंबाई वाले और अधिक खतरे में) और 4.2 प्रतिशत बच्चे मैम (अपेक्षाकृत कम कुपोषित और कम खतरे में) है जबकि एनएफएचएस-5 (2019-21) के अनुसार 19.3 प्रतिशत बच्चे कम कुपोषित हैं।
- केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि राज्यों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने शौचालयों के निर्माण की लागत को 12,000 रुपये से बढ़ाकर 36,000 रुपये करने और पेयजल उपलब्ध कराने की सुविधा के लिए 10,000 रुपये से बढ़ाकर 17,000 रुपये करने का प्रावधान किया है।
- इसके अलावा आकांक्षी जिलो और ब्लॉकों के 40,000 से ज्यादा आंगनवाड़ी केन्द्रों का उन्नयन कर उन्हें सक्षम आंगनवाड़ी में बदलने का प्रावधान भी किया है, जिनमें एलईडी स्क्रीन और स्मार्ट दृश्य एवं श्रव्य तकनीकी उपकरणों को लगाया जाएगा।
- इसके अलावा सिक्किम, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांवों में भी आंगनवाड़ी केन्द्र बनाए जाएंगे।
- इसके अलावा सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मौजूदा टेलीफोनों को 5जी की सुविधा से युक्त मोबाइल फोनो में बदला जाएगा और इसके लिए कीमत से संबंधी नियमों को उसी के अनुरूप बदला जाएगा।
- इसके लिए हर 4 साल में मोबाइल फोन बदलने की एक नीति भी तैयार की जा रही है।
- केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि पोषण ट्रैकर ऐप की एक अन्य सुविधा से यह सुनिश्चित हुआ है कि एक गांव से दूसरे गांव या एक राज्य से दूसरे राज्य पलायन करने वाली लाभार्थियों को आंगनवाड़ी सेवा योजना के तहत लाभ मिलना जारी रहेगा।
- केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जिस नए प्रोटोकॉल की बाल रोग विशेषज्ञों एवं अन्य विशेषज्ञों ने प्रशंसा की है वह कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करने के मंत्रालय के पहले से जारी प्रयासों और प्रतिबद्धताओं को और अधिक सुदृढ़ बनाएगा।
- उन्होंने मंत्रालय की अनुपूरक पोषण कार्यक्रम में मोटे अनाज को शामिल करने की पहल और पोषण माह 2023 के दौरान जन-आंदोलन गतिविधियों को और अधिक सघन बनाने के कदमों पर प्रकाश डाला, जिसमें करीब 35 करोड़ गतिविधियां शामिल की गईं।
- केन्द्रीय मंत्री ने मोटे अनाजों की खपत को बढ़ावा देने और मार्च 2023 में हुए पोषण पखवाड़ा के दौरान मोटे अनाजों पर आधारित व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने से जुड़ी एक करोड़ गतिविधियों का भी जिक्र किया।
- कुपोषित बच्चों की पहचान और प्रबंधन के लिए नया लॉन्च किया गया प्रोटोकॉल आंगनवाड़ी स्तर पर कुपोषित बच्चों की पहचान और प्रबंधन के लिए विस्तृत कदम प्रदान करता है, जिसमें रेफरल, पोषण प्रबंधन और अनुवर्ती देखभाल के संबंध में निर्णय लेना शामिल है।
- प्रोटोकॉल में बताए गए प्रमुख चरणों में, विकास निगरानी और स्क्रीनिंग, सैम बच्चों के लिए भूख परीक्षण, चिकित्सा मूल्यांकन, देखभाल के स्तर के बारे में निर्णय लेना, पोषण प्रबंधन, चिकित्सा प्रबंधन, पोषण, स्वास्थ्य शिक्षा और वॉश प्रथाओं सहित परामर्श, घर का दौरा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और रेफरल द्वारा, निगरानी और अनुवर्ती देखभाल की अवधि शामिल हैं।
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