विषयसूची:
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भारत सरकार,असम सरकार और आठ आदिवासी समूहों के प्रतिनिधियों ने ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए:
सामान्य अध्ययन: 3
आंतरिक सुरक्षा:
विषय: पूर्वोत्तर के राज्यों में शांति स्थापना हेतु सरकार द्वारा किये गए समझौते और इन क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: यह समझौता वर्ष 2025 तक उत्तर-पूर्व को उग्रवाद मुक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
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केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में नई दिल्ली में भारत सरकार, असम सरकार और आठ आदिवासी समूहों के प्रतिनिधियों ने ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए।
उद्देश्य:
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यह ऐतिहासिक समझौता 2025 तक उत्तर-पूर्व को उग्रवाद मुक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
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गृह मंत्रालय ने उत्तरपूर्व को शांत और समृद्ध बनाने के लिए पूर्वोत्तर की अद्भुत संस्कृति का संवर्धन और विकास करने, सभी विवादों का निपटारा कर चिरकालीन शांति स्थापित करने और पूर्वोत्तर में विकास को गति देकर देश के अन्य हिस्सों के समान विकसित बनाने का फैसला किया है।
विवरण:
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इस समझौते से असम में आदिवासियों और चाय बागान श्रमिकों की दशकों पुरानी समस्या समाप्त हो जाएगी।
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इस समझौते के कारण असम के आदिवासी समूहों के 1182 कैडर हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।
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समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले आठ समूहों में BCF, ACMA, AANLA, APA, STF, AANLA (FG), BCF (BT) और ACMA (FG) शामिल हैं।
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संवादहीनता और हितों के टकराव के कारण अलग-अलग गुटों ने हथियार उठा लिए थे जिसके कारण इन गुटों और राज्य सरकारों तथा केन्द्रीय सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ों में हज़ारों लोगों की जानें गईं।
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केन्द्र सरकार ने तय किया है कि 2024 से पहले पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच सीमा विवादों और सशस्त्र गुटों से संबंधित सभी विवादों को हल कर लिया जाएगा।
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गत तीन वर्षों में भारत सरकार, असम सरकार और इस क्षेत्र की अन्य सरकारों ने आपस में और विभिन्न उग्रवादी गुटों के साथ अनेक समझौते किए हैं।
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2019 में NLFT, 2020 में BRU-REANG और बोडो समझौता, 2021 में कार्बी आंगलोंग समझौता और 2022 में असम-मेघालय अंतरराज्यीय सीमा समझौते के तहत लगभग 65 प्रतिशत सीमा विवाद को हल कर दिया गया।
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भारत और असम सरकार, आज असम के आदिवासी समूहों के साथ हुए समझौते की शर्तों का पूरी तरह पालन सुनिश्चित करेंगी।
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इस समझौते के अनुसार आदिवासी समूहों की राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक आकांक्षाओं को पूरा करने की ज़िम्मेदारी भारत और असम सरकार की है।
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समझौते में आदिवासी समूहों की सामाजिक, सांस्कृतिक, जातीय और भाषाई पहचान को सुरक्षित रखने के साथ-साथ उसे और अधिक मज़बूत बनाने का भी प्रावधान किया गया है।
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समझौते में चाय बागानों का त्वरित और केंद्रित विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक आदिवासी कल्याण और विकास परिषद की स्थापना करने का भी प्रावधान किया गया है।
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इस समझौते में सशस्त्र कैडरों के पुनर्वास व पुनर्स्थापन और चाय बागान श्रमिकों के कल्याण के उपाय करने का भी प्रावधान है।
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आदिवासी आबादी वाले गांवों/क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पांच साल की अवधि में 1000 करोड़ रुपये (भारत सरकार और असम सरकार प्रत्येक द्वारा 500 करोड़ रुपये) का विशेष विकास पैकेज प्रदान किया जाएगा।
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वर्ष 2014 से अब तक लगभग 8,000 उग्रवादी हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। पिछले दो दशकों में सबसे कम उग्रवाद की घटनाएं वर्ष 2020 में दर्ज हुई हैं।
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2014 की तुलना में, 2021 में उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत की कमी आई है। इसी अवधि में सुरक्षा बलों की जानहानि में 60 प्रतिशत और आम नागरिकों की मृत्यु की संख्या में 89 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
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भारत सरकार और केन्द्रीय गृह मंत्रालय समूचे पूर्वोत्तर और उसके सबसे बड़े राज्य असम को ड्रग्स, उग्रवाद और विवाद मुक्त बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
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प्रधानमंत्री ने देश को अष्टलक्ष्मी का एक विज़न दिया है जिसके अंतर्गत पूर्वोत्तर के आठों राज्यों को भारत के विकास में योगदान देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
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तिरुपति में भारत के पहले लिथियम सेल उत्पादन संयंत्र का शुभारंभ किया जाएगा:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञानं एवं प्रोधोगिकी:
विषय: लिथियम सेल निर्माण संयंत्र का लाभ एवं इसका महत्व।
प्रारंभिक परीक्षा: लिथियम सेल
प्रसंग:
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इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर 15 सितम्बर को आंध्र प्रदेश के तिरुपति में भारत के पहले लिथियम सेल निर्माण संयंत्र के उत्पादन–पूर्व चरण का शुभारंभ करेंगे।
उद्देश्य:
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इस संयंत्र का उद्घाटन भारत को इलेक्ट्रानिक्स सामानों के उत्पादन का एक वैश्विक केन्द्र बनाने की दिशा में एक कदम होगा।
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यह अत्याधुनिक संयंत्र चेन्नई स्थित मुनोथ इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा 165 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ स्थापित किया गया है।
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यह संयंत्र 2015 में मंदिर वाले इस शहर में स्थापित दो इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण समूहों में से एक में स्थित है।
विवरण:
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वर्तमान में इस संयंत्र की स्थापित क्षमता प्रतिदिन 270 मेगावाट प्रतिघंटा की है और यह 10 एम्पीयर प्रतिघंटा (एएच) की क्षमता वाली 20,000 सेल का उत्पादन कर सकता है।
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इन सेलों का उपयोग पावर बैंक में किया जाता है और यह क्षमता भारत की वर्तमान जरूरतों का लगभग 60 प्रतिशत है।
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यहां मोबाइल फोन, सुनने योग्य और पहनने योग्य उपकरणों जैसे अन्य उपभोक्ता इलेक्ट्रानिक्स सामानों के सेलों का उत्पादन भी किया जाएगा।
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वर्तमान में भारत लिथियम-आयन सेल का आयात मुख्य रूप से चीन, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और हांगकांग से करता है।
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प्रधानमंत्री 17 सितंबर को मध्य प्रदेश की यात्रा पर जायेंगे:
सामान्य अध्ययन: 3
पारिस्थिकी एवं पर्यावरण:
विषय: पारिस्थिकी एवं पर्यावरण की रक्षा हेतु जैव विविधता का संरक्षण, उद्धार और वृद्धि के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण और मार्गदर्शक सिद्धांत।
प्रारंभिक परीक्षा: कुनो राष्ट्रीय उद्यान,दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम)
प्रसंग:
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प्रधानमंत्री 17 सितंबर को मध्य प्रदेश की यात्रा पर जायेंगे।
उद्देश्य:
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जहाँ वे कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को रहने के लिए मुक्त करेंगे।जिन चीतों को उद्यान में छोड़ा जाएगा, वे नामीबिया के हैं और उन्हें इस साल की शुरुआत में हुए समझौता ज्ञापन के तहत लाया गया है।
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कुनो राष्ट्रीय उद्यान में जंगली चीतों को रहने के लिए मुक्त करना; भारत के वन्य जीवन और वन्य जीवों के आवास को पुनर्जीवित करने एवं इसमें विविधता लाने के उनके प्रयासों का हिस्सा है।
विवरण:
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चीता को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
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भारत में चीता को फिर से बसाने का कार्य, प्रोजेक्ट चीता के तहत किया जा रहा है, जो बड़े मांसाहारी जंगली जानवर के अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण से जुड़ी दुनिया की पहली परियोजना है।
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चीता भारत में खुले जंगल और घास के मैदान के इकोसिस्टम की बहाली में मदद करेंगे।
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यह कार्यक्रम जैव विविधता के संरक्षण में मदद करेगा और इससे जल सुरक्षा, कार्बन अवशोषण और मिट्टी की नमी संरक्षण जैसी इकोसिस्टम प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी, जिससे समाज को बड़े पैमाने पर लाभ प्राप्त होगा।
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पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण के सन्दर्भ में प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता के अनुरूप इस प्रयास से पर्यावरण विकास और पर्यावरण पर्यटन गतिविधियों के जरिये स्थानीय समुदाय के आजीविका के अवसरों में वृद्धि होगी।
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प्रधानमंत्री श्योपुर के कराहल में आयोजित किए जा रहे एसएचजी सम्मेलन में भाग लेंगे। सम्मेलन में हजारों महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्य भाग लेंगी,जिन्हें दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत बढ़ावा दिया जा रहा है।
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डीएवाई-एनआरएलएम का लक्ष्य ग्रामीण गरीब परिवारों को चरणबद्ध तरीके से स्वयं सहायता समूहों में शामिल करना और उनकी आजीविका में विविधता लाने एवं उनकी आय तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए दीर्घकालिक सहायता प्रदान करना है।
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मिशन; घरेलू हिंसा, महिला शिक्षा और महिलाओं से जुड़ी अन्य चिंताओं, पोषण, स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने और व्यवहार परिवर्तन संवाद के माध्यम से महिला एसएचजी सदस्यों को सशक्त बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है।
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ऑनलाइन पोर्टल “ई-बाल निदान” को नया रूप दिया गया:
सामान्य अध्ययन: 3
आंतरिक सुरक्षा:
विषय: बाल संरक्षण हेतु शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ।
प्रारंभिक परीक्षा: “ई-बाल निदान” पोर्टल,राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर),राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर)
प्रसंग:
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बाल अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ शिकायतों के निवारण के लिए ऑनलाइन पोर्टल “ई-बाल निदान” को नया रूप दिया गया हैं।
उद्देश्य:
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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के समन्वित कामकाज और बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा 13(2) के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए, एनसीपीसीआर “ई-बाल निदान” पोर्टल पर सभी एससीपीसीआर तक पहुंच प्रदान करेगा।
विवरण:
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आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत अपने शासनादेश और कार्यों को पूरा करने के लिए 2015 में एक ऑनलाइन शिकायत प्रणाली “ई-बाल निदान” विकसित किया था।
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इस पोर्टल पर कोई भी व्यक्ति किसी बच्चे के खिलाफ किए गए किसी भी उल्लंघन के बारे में शिकायत दर्ज करा सकता है और इस तरह के पंजीकरण के बाद शिकायतकर्ता को शिकायत पंजीकरण संख्या मिल जाएगी।
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आयोग ने 2022 में नई सुविधाओं को शामिल करने के लिए इस पोर्टल को नया रूप दिया है, जो शिकायतों से निपटने के दौरान शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ आयोग के लिए भी फायदेमंद होगा।
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कुछ नई विशेषताओं में यंत्रीकृत और समयबद्ध तरीके से शिकायत की प्रकृति के आधार पर बाल अपराध न्याय, पॉक्सो, श्रम, शिक्षा जैसे विषयों में शिकायतों का विभाजन, आयोग में आंतरिक निगरानी और शिकायतों का हस्तांतरण उन की अधिक से अधिक ट्रैकिंग शामिल है।
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आयोग को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम, 2012 के उचित और प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी करना भी अनिवार्य है; बाल अपराध न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009, सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत निर्धारित कार्यों में से एक को आयोग को सौंपा गया है।
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यह बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए वर्तमान में लागू किसी कानून द्वारा या उसके तहत प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों की जांच और समीक्षा करने और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की सिफारिश करने का कार्य करता है।
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रिपोर्टिंग का यह ऑनलाइन तंत्र यह सुनिश्चित करता है कि शिकायतकर्ता को बिना किसी लागत के ऑनलाइन मोड के माध्यम से आयोग को शिकायत करने में आसानी हो। यह शिकायतकर्ता के लिए शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता है और मामलों के समय पर निपटान में मदद करता है।
पृष्ठ्भूमि
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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) (इसके बाद आयोग के रूप में संदर्भित) बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा 3 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
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प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन-‘आंगन 2022’ आयोजित:
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“इमारतों में शून्य-कार्बन परिवर्तन” विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन-‘आंगन 2022’ (ऑगमेंटिंग नेचर बाय ग्रीन अफोर्डेबल न्यू-हैबिटेट) का दूसरा संस्करण 14 सितंबर, 2022 को शुरू हुआ।
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आंगन 2.0, का आयोजन ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई), विद्युत मंत्रालय द्वारा इंडो-स्विस बिल्डिंग एनर्जी एफिशिएंसी प्रोजेक्ट (बीईईपी) के तहत स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (एसडीसी) के सहयोग से किया जा रहा है।
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इस सम्मेलन का उद्देश्य एक स्वस्थ इकोसिस्टम को बढ़ावा देना है जिसका उल्लेख ग्लासगो में आयोजित सीओपी 26 में प्रधानमंत्री ने लाइफ (लाइफस्टाइल एंड एनवायरनमेंट) और पंचामृत के जरिए किया था, जिसका लक्ष्य 2070 तक भारत को शून्य उत्सर्जन लायक बनाना है।
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इस सम्मेलन में भवन क्षेत्र में लागू विभिन्न निम्न कार्बन उत्पादों, प्रौद्योगिकियों और नवाचारों की एक प्रदर्शनी भी लगाई जायगी।
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सम्मेलन और प्रदर्शनी से कम कार्बन, ऊर्जा कुशल आवास को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रणनीतिक सहयोग, साझेदारी, नेटवर्क तथा सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
पृष्ठभूमि:
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इंडो-स्विस बिल्डिंग एनर्जी एफिशिएंसी प्रोजेक्ट (बीईईपी) भारत सरकार और स्विट्जरलैंड सरकार की संयुक्त परियोजना है।
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इस अवधि के दौरान, बीईईपी ने बीईई को इको-निवास संहिता (आवासीय भवनों के लिए ऊर्जा संरक्षण भवन कोड), लगभग 50 भवनों के डिजाइन और भवन क्षेत्र के 5000 से अधिक पेशेवरों को प्रशिक्षित करने में तकनीकी सहायता प्रदान की है।
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15 सितंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 14 सितंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें। सम्बंधित लिंक्स:
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