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16 मई 2022 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा के दौरान किये गए समझौते: 
  2. प्रधानमंत्री 5जी टेस्ट बेड लॉन्च करेंगे:
  3. कन्हेरी गुफाओं में जन-सुविधाओं का उद्घाटन: 
  4. भारतीय नौसेना के दो अग्रिम मोर्चे के युद्धपोतों का लोकार्पण:
  5. आईकेएस प्रभाग:

1. प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा के दौरान किये गए समझौते: 

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध: 

विषय: भारत के हितों पर पडोसी देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।  

प्रारंभिक परीक्षा: लुंबिनी,अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी)।    

मुख्य परीक्षा: भारत-नेपाल के बीच हुए समझौतों का महत्व। 

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री ने नेपाल के प्रधानमंत्री माननीय शेर बहादुर देउबा के निमंत्रण पर 16 मई, 2022 को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर नेपाल के लुंबिनी की आधिकारिक यात्रा की। 

उद्देश्य:

  • दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक द्विपक्षीय बैठक भी की। 
  • इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने 2 अप्रैल को नई दिल्ली में हुई अपनी बातचीत को आगे बढ़ाया।
  • उन्होंने संस्कृति, अर्थव्यवस्था, व्यापार, संपर्क, ऊर्जा एवं विकास साझेदारी सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने से संबंधित विशिष्ट पहल और विचारों पर चर्चा की।
  • प्रधानमंत्री के रूप में, श्री नरेन्द्र मोदी की यह नेपाल की पांचवीं और लुंबिनी की पहली यात्रा थी।

विवरण:  

  • दोनों प्रधानमंत्रियों ने मायादेवी मंदिर का दौरा किया। इस मंदिर के भीतर भगवान बुद्ध का जन्म स्थान है। 
  • दोनों प्रधानमंत्रियों ने ऐतिहासिक अशोक स्तंभ का दौरा किया जिस पर लुंबिनी के भगवान बुद्ध के जन्मस्थान होने से संबंधित पहला पुरालेख अंकित है।
  • दोनों नेताओं ने उस पवित्र बोधिवृक्ष को भी सींचा, जिसे 2014 में नेपाल की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा उपहार के रूप में लाया गया था।
  • इस स्तम्भ को सम्राट अशोक ने 249 ईसापूर्व में निर्मित कराया था। भगवान बुद्ध के लुम्बिनी में जन्म लेने का पहला अभिलेखीय प्रमाण इस स्तम्भ पर उत्कीर्ण है।
  • भारत के प्रधानमंत्री ने नेपाल के प्रधानमंत्री श्री देउबा के साथ नई दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) से संबंधित लुंबिनी अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति एवं विरासत केंद्र के निर्माण “शिलान्यास” समारोह में भाग लिया।
  • यह भूखंड लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट द्वारा आईबीसी को नवंबर 2021 में आवंटित किया गया था।
  • इस “शिलान्यास” समारोह के बाद, दोनों प्रधानमंत्रियों ने बौद्ध केंद्र के एक मॉडल का भी अनावरण किया, जिसकी परिकल्पना नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के अनुरूप एक विश्वस्तरीय सुविधा के रूप में की गई है जिसमें प्रार्थना कक्ष, ध्यान केंद्र, पुस्तकालय, प्रदर्शनी हॉल, कैफेटेरिया एवं अन्य सुविधाएं होंगी और यह दुनिया भर के बौद्ध तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए खुला रहेगा।
  • दोनों पक्ष लुंबिनी और कुशीनगर, जोकि बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में शामिल हैं और दोनों देशों के बीच साझी बौद्ध विरासत के प्रतीक हैं, के बीच सिस्टर सिटी का संबंध स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए।
  • दोनों प्रधानमंत्रियों ने हाल के महीनों में विद्युत क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के मामले में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया, जिसमें उत्पादन परियोजनाओं का विकास, विद्युत पारेषण अवसंरचना और विद्युत व्यापार शामिल है।
  • प्रधानमंत्री श्री देउबा ने भारतीय कंपनियों को नेपाल में पश्चिम सेती पनबिजली परियोजना के विकास में भागीदारी करने के लिए आमंत्रित किया।
  • प्रधानमंत्री ने नेपाल के पनबिजली क्षेत्र के विकास और इच्छुक भारतीय डेवलपर्स को इस संबंध में नई परियोजनाओं का तेजी से पता लगाने के लिए भारत के सहयोग का आश्वासन दिया।
  • दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के लोगों को करीब लाने के लिए शैक्षिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान का और अधिक विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की।
  • दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2566वीं बुद्ध जयंती समारोह को मनाने के लिए नेपाल सरकार के तत्वावधान में लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में भाग लिया।
  • इस कार्यक्रम में, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भिक्षुओं, अधिकारियों, गणमान्य व्यक्तियों और बौद्ध जगत से जुड़े लोगों की एक बड़ी सभा को संबोधित किया।
  • प्रधानमंत्री की नेपाल में लुंबिनी की यह यात्रा 1 से 3 अप्रैल 2022 के दौरान प्रधानमंत्री श्री देउबा की दिल्ली और वाराणसी की सफल यात्रा के बाद हुई है।
  • इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच बहुआयामी साझेदारी और विशेष रूप से शिक्षा, संस्कृति, ऊर्जा तथा दोनों देशों के लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को और गति प्रदान की है।
  • प्रधानमंत्री की लुंबिनी यात्रा भारत और नेपाल के बीच गहरे एवं समृद्ध सभ्यतागत जुड़ाव को सुदृढ़ करने तथा उसे प्रोत्साहित करने में दोनों ओर के लोगों के योगदान पर भी जोर देती है।
  • वैशाख पूर्णिमा का दिन लुम्बिनी में सिद्धार्थ के रूप में बुद्ध का जन्म हुआ। इसी दिन बोधगया में वो बोध प्राप्त करके भगवान बुद्ध बने और इसी दिन कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ।
  • प्रधानमंत्री की लुंबिनी, नेपाल यात्रा के दौरान किये गए समझौता ज्ञापनों/समझौतों की सूची इस प्रकार हैं :
    क्रमांक                                   समझौता ज्ञापन का नाम
1. भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के बीच बौद्ध अध्ययन के लिए डॉ. अम्बेडकर चेयर की स्थापना पर समझौता ज्ञापन
2. भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और सीएनएएस, त्रिभुवन विश्वविद्यालय के बीच भारतीय अध्ययन के आईसीसीआर चेयर की स्थापना पर समझौता ज्ञापन
3.  भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और काठमांडू विश्वविद्यालय (केयू) के बीच भारतीय अध्ययन के आईसीसीआर चेयर की स्थापना पर समझौता ज्ञापन
4.  काठमांडू विश्वविद्यालय (केयू), नेपाल और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी-एम), भारत के बीच सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन
5. काठमांडू विश्वविद्यालय (केयू), नेपाल और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटीएम), भारत के बीच समझौता पत्र (एलओए) [स्नातकोत्तर (मास्टर) स्तर पर संयुक्त डिग्री कार्यक्रम के लिए]
6. अरुण 4 परियोजना के विकास और कार्यान्वयन के लिए एसजेवीएन लिमिटेड और नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) के बीच समझौता

2. प्रधानमंत्री 5जी टेस्ट बेड लॉन्च करेंगे: 

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय:विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी संस्थान हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।  

प्रारंभिक परीक्षा:भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई),5जी ।     

मुख्य परीक्षा:  5जी से भारतीय उद्योग और स्टार्टअप्स को तथा अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों में अपने उत्पादों, प्रोटोटाइप, समाधान और एल्गोरिदम को सत्यापित करने में किस प्रकार मदद करेगा ?

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री 17 मई, 2022 को  भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के रजत जयंती समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करेंगे।  

विवरण:  

  • कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री आईआईटी मद्रास के नेतृत्व में कुल आठ संस्थानों द्वारा बहु-संस्थान सहयोगी परियोजना के रूप में विकसित 5जी टेस्ट बेड का भी शुभारंभ करेंगे। 
  • परियोजना में भाग लेने वाले अन्य संस्थानों में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी कानपुर, आईआईएस बैंगलोर, सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (एसएएमईईआर) और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वायरलेस टेक्नोलॉजी (सीईडब्लूआईटी) शामिल हैं।
  • इस परियोजना को 220 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है।
  • टेस्ट बेड भारतीय उद्योग और स्टार्टअप को एक सहायक इकोसिस्टम में सक्षम बनाएगा, जो इन्हें 5जी और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों में अपने उत्पादों, प्रोटोटाइप, समाधान और एल्गोरिदम को सत्यापित करने में मदद करेगा।

पृष्ठ्भूमि: 

  • ट्राई की स्थापना 1997 में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के अंतर्गत की गई थी।

3. कन्हेरी गुफाओं में जन-सुविधाओं का उद्घाटन: 

सामान्य अध्ययन: 1

भारतीय इतिहास:

विषय: प्राचीन भारत का इतिहास  

प्रारंभिक परीक्षा: पाषाण युग   

मुख्य परीक्षा:  

प्रसंग: 

  • केन्‍द्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्‍तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री ने बोरीवली के नजदीक संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कन्हेरी गुफाओं में विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन किया।

उद्देश्य:

  • इंडियन ऑयल फाउंडेशन राष्ट्रीय संस्कृति कोष (एनसीएफ) के माध्यम से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद कन्हेरी गुफाओं में पर्यटक बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर रहा है। 
  • परियोजना के तहत मौजूदा संरचनाओं के नवीनीकरण और उन्नयन की अनुमति दी गई थी क्योंकि यह कार्य स्मारक के संरक्षण की सीमा में आता है।
  • आगंतुक मंडप, कस्टोडियन क्वार्टर, बुकिंग कार्यालय जैसे मौजूदा भवनों का उन्नयन और नवीनीकरण किया गया।
  • हमारी विरासत की रक्षा, संरक्षण और प्रचार-प्रसार में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, कॉरपोरेट और सिविल सोसाइटी संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

विवरण:  

  • कन्हेरी गुफाओं में पाषाण युग के दौरान पत्थर को काटकर बनाई गई 110 से अधिक विभिन्न गुफाएं शामिल हैं। 
  • ये खुदाई मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के हीनयान चरण के दौरान किए गए थे, लेकिन इसमें महायान शैली की वास्तुकला के कई उदाहरण और साथ ही वज्रयान के कुछ आदेश भी मुद्रित हैं।
  • कन्हेरी नाम प्राकृत में ‘कान्हागिरी’ से लिया गया है और सातवाहन शासक वशिष्ठपुत्र पुलुमवी के नासिक शिलालेख में अंकित है।
  • कन्हेरी गुफाएं हमारी प्राचीन विरासत का हिस्सा हैं,और हमारे अतीत का प्रमाण हैं।
  • बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर इन कार्यों का शुभारंभ किया गया है। बुद्ध का संदेश संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए आज भी प्रासंगिक है।
  • अगर हम कन्हेरी गुफाओं या अजंता एलोरा गुफाओं जैसे विरासत स्थलों के वास्तुशिल्प और इंजीनियरिंग   को देखें तो यह कला, इंजीनियरिंग, प्रबंधन निर्माण, धैर्य और ज्ञान का प्रतीक है जो लोगों के पास था। उस समय ऐसे कई स्मारकों को बनने में 100 साल से अधिक का समय लगा था।
  • इतनी तकनीकी और इंजीनियरिंग विशेषज्ञता होने के बावजूद 21वीं सदी में भी ऐसी गुफाओं और स्मारकों का निर्माण करना अब भी मुश्किल है।
  • कन्हेरी एक निर्दिष्ट राष्ट्रीय उद्यान के भीतर सबसे खूबसूरत परिदृश्यों में से एक के बीच स्थित है और इसकी सेटिंग इसकी योजना का एक अभिन्न अंग है, जिसमें सुंदर प्रांगणों और रॉक-कट बेंचों के साथ प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है।
  • विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांतों में कन्हेरी का उल्लेख मिलता है।
  • कन्हेरी का सबसे पहला संदर्भ फा- हियान का है, जिन्होंने 399-411 ईस्वी के दौरान भारत की यात्रा की थी और बाद में कई अन्य यात्रियों द्वारा भी इसका उल्लेख किया गया।
  • इसकी खुदाई का माप और विस्तार, इसके कई जलकुंड, अभिलेख, सबसे पुराने बांधों में से एक, एक स्तूप दफन गैलरी और उत्कृष्ट वर्षा जल संचयन प्रणाली, एक मठवासी और तीर्थ केंद्र के रूप में इसकी लोकप्रियता का संकेत देते हैं।
  • कन्हेरी में मुख्य रूप से हीनयान चरण के दौरान की गई खुदाई शामिल है, लेकिन इसमें महायान शैली की वास्तुकला के कई उदाहरण हैं ।
  • इसका महत्व इस तथ्य से बढ़ जाता है कि यह एकमात्र केंद्र है जहां बौद्ध धर्म और वास्तुकला की निरंतर प्रगति को दूसरी शताब्दी सीई (गुफा संख्या 2 स्तूप) से 9वीं शताब्दी सीई तक एक अखंड विरासत के रूप में देखा जाता है।
  • कन्हेरी सातवाहन, त्रिकुटक, वाकाटक और सिलहारा के संरक्षण में और क्षेत्र के धनी व्यापारियों द्वारा किए गए दान के माध्यम से फला-फूला था I
  • जंगल के मुख्य क्षेत्र में इन गुफाओं के होने के कारण, यहां बिजली और पानी की आपूर्ति उपलब्ध नहीं है।
  • हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सोलर सिस्टम और जेनरेटर सेट उपलब्ध कराकर बिजली की व्यवस्था की गई। बोरवेल के माध्यम से पानी निकला जाता  है।

पृष्ठ्भूमि: 

  • कन्हेरी गुफाएं मुंबई के पश्चिमी बाहरी इलाके में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में बड़े पैमाने पर बेसाल्ट आउटक्रॉप में गुफाओं और कटी हुई चट्टानों से बने स्मारकों का एक समूह है।
  • इनमें बौद्ध मूर्तियां और नक्काशी, पेंटिंग और शिलालेख हैं, जो पहली शताब्दी सीई से 10वीं शताब्दी सीई तक के हैं।
  • पानी के अनेक जलाशयों के साथ खुदाई की सतह और क्षेत्र, शिलालेख, एक सबसे पुराना बांध, एक स्तूप दफन गैलरी और उत्कृष्ट वर्षा जल संचयन प्रणाली इसकी एक आश्रम और तीर्थ केन्‍द्र के रूप में लोकप्रियता का संकेत देती है।
  • कन्हेरी सातवाहन, त्रिकुटक, वाकाटक और सिलहारा के संरक्षण में और क्षेत्र के धनी व्यापारियों द्वारा किए गए दान से फला-फूला।

4. भारतीय नौसेना के दो अग्रिम मोर्चे के युद्धपोतों का लोकार्पण: 

सामान्य अध्ययन: 3

सुरक्षा: 

विषय:  देश में व्यापक भागीदारी और व्यापक आधार वाले स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोहत्साहन।  

प्रारंभिक परीक्षा:  यद्धपोत सूरत,व ‘उदयगिरि’।  

प्रसंग: 

  • स्वदेशी युद्धपोत निर्माण के इतिहास में राष्ट्र 17 मई, 2022 को एक ऐतिहासिक घटना का साक्षी बनने जा रहा है, जब भारतीय नौसेना के दो अग्रिम मोर्चे के युद्धपोतों का लोकार्पण किया जायेगा।  

उद्देश्य:

  • ये यद्धपोत हैं, सूरत, जो परियोजना 15बी का डिक्ट्रॉयर है और दूसरा है उदयगिरि, जो परियोजना 17ए का फ्रिगेट है। मुम्बई के मझगांव डॉक्स लिमिटेड (एमडीएल) में एक साथ दोनों का शुभारंभ किया जायेगा। 

विवरण:  

  • परियोजना 15बी श्रेणी के पोत भारतीय नौसेना के अगली पीढ़ी के स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर हैं, जिन्हें मझगांव डॉक्स लि. मुम्बई में बनाया जाता है। 
  • ‘सूरत’ परियोजना 15बी डिस्ट्रॉर श्रेणी का चौथा पोत है, जिसे पी15ए (कोलकाता श्रेणी) में कई परिवर्तन करके विकसित किया गया है।
  • इसका नाम गुजरात की वाणिज्यिक राजधानी और मुम्बई के बाद पश्चिमी भारत के दूसरा सबसे बड़े व्यापारिक केंद्र सूरत के नाम पर रखा गया है।
  • सूरत शहर का समृद्ध समुद्री और पोत निर्माण इतिहास रहा है।
  • यहां 16वीं और 18वीं शताब्दी में जहाज बनाये जाते थे, जो लंबे समय तक कार्यशील रहते थे, यानी जिनकी आयु 100 से अधिक की होती थी।
  • ‘सूरत’ का निर्माण ब्लॉक निर्माण पद्धित से हुआ है, जिसमें जहाज की पेंदी को दो विभिन्न भौगोलिक स्थानों पर निर्मित किया गया है।
  • बाद में इसे एमडीएल, मुम्बई में जोड़ा गया। इस श्रेणी के पहले पोत को 2021 में कमीशन किया गया था।
  • दूसरे और तीसरे पोत का शुभारंभ किया गया है और वह साजो-सामान/परीक्षण के विभिन्न चरणों में हैं।
  • ‘उदयगिरि’ का नाम आंध्रप्रदेश की पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है।
  • यह परियोजना 17ए का तीसरा फ्रिगेट है। इन्हें पी17 फ्रिगेट (शिवालिक श्रेणी) का अनुपालन करते हुये संशोधित स्टेल्थ विशेषताओं, उन्नत हथियारों, संवेदी उपकरणों और प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणालियों से लैस किया गया है।
  • ‘उदयगिरि’ दरअसल पुराने ‘उदयगिरि’ का अवतार है, जो लियेंडर क्लास एएसडब्लू फ्रिगेट था।
  • इस पोत ने 18 फरवरी, 1976 से 24 अगस्त, 2007 तक के तीन दशकों के दौरान असंख्य चुनौतीयों का सामना करते हुये राष्ट्र की सेवा की।
  • पी17 कार्यक्रम के तहत कुल सात पोतों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से चार पोत एमडीएल और तीन पोत जीआरएसई में बनाये जा रहे हैं।
  • एकीकृत निर्माण, मेगा ब्लॉक आउटसोर्सिंग, परियोजना डाटा प्रबंधन/परियोजना जीवन-चक्र प्रबंधन (पीडीएम/पीएलएम) जैसी नई अवधारणाओं तथा प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
  • इन सबको स्वदेशी युद्धपोत डिजाइन तथा निर्माण में पहली बार अपनाया जा रहा है। याद रहे कि पी17ए परियोजना के पहले दो जहाजों को एमडीएल और जीआरएसई में क्रमशः 2019 और 2020 में शुरू किया गया था।
  • 15बी और पी17ए, दोनों जहाजों के डायरेक्टोरेट ऑफ नैवल डिजाइन (डीएनडी) को घरेलू स्तर पर डिजाइन किया गया था।
  • यह देश के सभी युद्धपोतों की डिजाइन की गतिविधियों की गंगोत्री बना।
  • शिपयार्ड में निर्माण गतिविधियों के दौरान उपकरणों और प्रणालियों के लिये लगभग 75 प्रतिशत ऑर्डर स्वदेशी कंपनियों को मिले, जिनमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम शामिल थे। यह देश की ‘आत्मनिर्भर’ भावना का सच्चा प्रमाण है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

5. आईकेएस प्रभाग:

  • अक्टूबर 2020 में स्थापित भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) प्रभाग दरअसल एआईसीटीई, नई दिल्ली में शिक्षा मंत्रालय (एमओई) के अधीनस्‍थ एक अभिनव प्रकोष्ठ है। 
  • इसका उद्देश्य आईकेएस के सभी पहलुओं पर अंतर-विषयक अनुसंधान को बढ़ावा देना,शोध करना और समाज में व्‍यापक उपयोग के लिए आईकेएस को संरक्षित करना एवं प्रचार-प्रसार करना, और हमारे देश की समृद्ध विरासत एवं कला व साहित्य, कृषि, मूल विज्ञान, इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी, वास्तुकला, प्रबंधन, अर्थशास्त्र, इत्‍यादि के क्षेत्र में पारंपरिक ज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए सक्रिय रूप से संलग्न होना है। 

16 May 2022 : PIB विश्लेषण  :-Download PDF Here
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