विषयसूची:
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1.जी-20 के वित्त मंत्रियों व केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की पहली बैठक और जी-20 के वित्त एवं केंद्रीय बैंक के प्रतिनिधियों की दूसरी बैठक, 22 से 25 फरवरी तक बेंगलुरु में आयोजित की जाएगी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय:महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान,संस्थाएं और मंच,उनकी संरचना,अधिदेश।
प्रारंभिक परीक्षा: जी-20 से संबंधित जानकारी ।
मुख्य परीक्षा: भारत की अध्यक्षता में जी-20 एफएमसीबीजी की पहली बैठक कुछ प्रमुख वैश्विक आर्थिक मुद्दों के समाधान के लिए व्यवहारिक और सार्थक दृष्टिकोण को लेकर मंत्रियों और गवर्नरों के बीच सार्थक विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दे सकती है। कथन का परीक्षण कीजिए।
प्रसंग:
- भारत की जी-20 की अध्यक्षता के अंतर्गत जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों (FMCBG) की पहली बैठक 24-25 फरवरी, 2023 को बेंगलुरु, कर्नाटक में आयोजित की जाएगी।
उद्देश्य:
- जी-20 एफएमसीबीजी की बैठक का उद्देश्य वर्ष 2023 में जी-20 वित्तीय ट्रैक के विभिन्न कार्यप्रवाहों के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण प्रदान करना है।
विवरण:
- वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास संयुक्त रूप से इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
- जी-20 एफएमसीबीजी की बैठक से पहले 22 फरवरी, 2023 को जी-20 के वित्त और केंद्रीय बैंक के प्रतिनिधियों (एफसीबीडी) की बैठक आयोजित की जाएगी, जिसकी सह-अध्यक्षता श्री अजय सेठ, सचिव (आर्थिक कार्य) और डॉ. माइकल डी पात्रा, डिप्टी गवर्नर, आरबीआई द्वारा की जाएगी।
- केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा युवा कार्य एवं खेल मंत्री, भारत सरकार अनुराग ठाकुर जी-20 एफसीबीडी की बैठक का उद्घाटन करेंगे।
- भारत की अध्यक्षता में जी-20 एफएमसीबीजी की पहली बैठक में जी-20 सदस्यों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों, आमंत्रित सदस्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों की सहभागिता होगी।
- भारत की अध्यक्षता ने बैठक की कार्यसूची को कुछ इस प्रकार तैयार किया है जो कुछ प्रमुख वैश्विक आर्थिक मुद्दों के समाधान के लिए व्यवहारिक और सार्थक दृष्टिकोण को लेकर मंत्रियों और गवर्नरों के बीच सार्थक विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दे सकती है।
- यह बैठक 24-25 फरवरी को तीन सत्रों में आयोजित की जाएगी, जिसमें 21वीं सदी की साझा वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करना, लचीला वित्तपोषण, समावेशी और टिकाऊ ‘भविष्य के शहर’, वित्तीय समावेशन और उत्पादकता लाभ को उन्नत करने के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) का लाभ उठाने जैसी मुद्दों को शामिल किया जाएगा।
- इस सत्र में वैश्विक अर्थव्यवस्था, वैश्विक स्वास्थ्य और अंतर्राष्ट्रीय कराधान से संबंधित मुद्दों को भी शामिल किया जाएगा।
- इन बैठकों के साथ-साथ डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, क्रिप्टो आस्तियों पर नीति परिप्रेक्ष्य और सीमा पार भुगतान में राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों की भूमिका जैसी विषयों पर मंत्रियों, गवर्नरों, प्रतिनिधियों और अन्य प्रतिनिधि मंडल के लिए कई कार्यक्रम की योजनाएं तैयार की गई है।
- “वॉक द टॉकः पॉलिसी इन एक्शन” शीर्षक से एक विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है, जिसमें मंत्री और गवर्नर भारतीय विज्ञान संस्थान का दौरा करेंगे और जी-20 सदस्य देशों द्वारा सामना की जा रही कई चुनौतियों के किफायती और मापनीय समाधान पर काम कर रहे प्रौद्योगिकी-नवोन्मेषकों और उद्यमियों से बात करेंगे।
- कर्नाटक एक ऐसी भूमि है जो कला और शिल्प के विविध रूपों के साथ अपनी गहरी सांस्कृतिक व कलात्मक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
- यह प्रदर्शन कर्नाटक के सांस्कृतिक लोकाचार और विरासत की कलात्मकता और भव्यता को दर्शाता है।
2. गुजरात में हजीरा बंदरगाह से सागर परिक्रमा चरण- III का शुभारंभ:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय:पशु-पालन सम्बन्धी अर्थशास्त्र।
प्रारंभिक परीक्षा: सागर परिक्रमा से संबंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: सागर परिक्रमा राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा और तटीय मछुआरा समुदायों की आजीविका और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के लिए समुद्री मत्स्य संसाधनों के उपयोग के बीच स्थायी संतुलन पर केंद्रित है। मछुआरा समुदायों के अंतराल को पाटने के लिए बनाई गई इस योजना के महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने 19 फरवरी 2023 से गुजरात के हजीरा बंदरगाह से सागर परिक्रमा चरण- III का शुभारंभ किया जो सूरत, गुजरात से शुरू होकर 21 फरवरी 2023 को सैसन डॉक, मुंबई में समाप्त होगा।
उद्देश्य:
- सागर परिक्रमा का मुख्य उद्देश्य सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही मत्स्य पालन संबंधी विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी का प्रसार करना, जिम्मेदार मत्स्य पालन को बढ़ावा देना, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करना और सभी मछुआरे लोगों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करना है।
विवरण:
- सागर परिक्रमा राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा और तटीय मछुआरा समुदायों की आजीविका और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के लिए समुद्री मत्स्य संसाधनों के उपयोग के बीच स्थायी संतुलन पर केंद्रित है, जो मछुआरा समुदायों के अंतराल को पाटने के लिए बनाई गई हैं।
- मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार, और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, मत्स्य पालन विभाग, गुजरात सरकार, मत्स्य आयुक्त, महाराष्ट्र सरकार, भारतीय तट रक्षक, मत्स्य सर्वेक्षण भारत, गुजरात समुद्री बोर्ड और मछुआरों के प्रतिनिधि इस आयोजन में भाग लेते हैं।
- सागर परिक्रमा एक ऐसा कार्यक्रम है जो सरकार की दूरगामी नीतिगत रणनीति को दर्शाता है जिससे तटीय क्षेत्रों के मुद्दों और मछुआरों से संबंधित समस्याओं को समझने के लिए मछुआरों और मछली किसानों के साथ सीधा संवाद होता है।
- ‘सागर परिक्रमा’ के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:
(i) मछुआरों, तटीय समुदायों और हितधारकों के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान करना ताकि सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न मत्स्य संबंधी योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी का प्रसार किया जा सके;
(ii) आत्मनिर्भर भारत की भावना के रूप में सभी मछुआरों, मछली किसानों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करना;
(iii) राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा और तटीय मछुआरा समुदायों की आजीविका के लिए समुद्री मत्स्य संसाधनों के उपयोग और
(iv) समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के बीच सतत संतुलन पर ध्यान देने के साथ जिम्मेदार मत्स्य पालन को बढ़ावा देना।
- गुजरात में ‘सागर परिक्रमा’ का चरण I कार्यक्रम आयोजित किया गया, जो 5 मार्च, 2022 को मांडवी से शुरू हुआ और 6 मार्च, 2022 को पोरबंदर, गुजरात में समाप्त हुआ।
- चरण II: चरण-द्वितीय कार्यक्रम के रूप में यात्रा सागर परिक्रमा 22 सितंबर 2022 को मांगरोल से वेरावल तक शुरू हुई और 23 सितंबर 2022 को मूल द्वारका से मधवाड़ तक मूल द्वारका में समाप्त हुई।
- सागर परिक्रमा कार्यक्रम सभी तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गुजरात, दीव, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप से पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग के माध्यम से मनाया जाता है।
- द्वीपों में तटीय मछुआरों की समस्याओं को जानने के लिए इन स्थानों में मछुआरों, मछुआरा समुदायों और हितधारकों के साथ बातचीत कार्यक्रम होगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में मछुआरों और मछुआरों के जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक कल्याण में सुधार करने और आजीविका के अधिक अवसर पैदा करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया गया है।
- बैठक में निम्नलिखित कार्यों पर प्रकाश डाला गया:
i) गुजरात समुद्री मछली उत्पादन में अग्रणी राज्य है, जो देश के कुल समुद्री मछली उत्पादन का 16.67 प्रतिशत साझा करता है।
ii) महाराष्ट्र राज्य भारत में समुद्री मछली उत्पादन में छठे स्थान पर है जो 4.33 लाख टन का योगदान देता है।
iii) 2021 के दौरान भारत में समुद्री मछली पकड़ने का हिस्सा 3.71 मिलियन टन है, और यह भी ध्यान देने योग्य बिंदु है कि हमारे देश की समुद्री मछली पालन कमजोर है।
iv) केसीसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए DOF बड़ी संख्या में मछुआरों और मछली किसानों के कवरेज को बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है, जिसमें समय-समय पर विशेष अभियान आयोजित करना, संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित करना, बड़े पैमाने पर और व्यक्तिगत विस्तार गतिविधियों जैसे वितरण शामिल है।
- पैम्फलेट, स्थानीय भाषाओं में जागरूकता अभियान चलाना, अखबारों के लेख, विज्ञापन आदि।
- सागर परिक्रमा एक ऐसा कार्यक्रम है जो सरकार की दूरगामी नीतिगत रणनीति को दर्शाता है जिससे तटीय क्षेत्रों के मुद्दों और मछुआरों से जुड़ी समस्याओं को समझने के लिए मछुआरों और मछली पालकों के साथ सीधा संवाद होता है।
- चरण I और II ने कई अन्य अनगिनत लाभों के बीच कृत्रिम रीफ और समुद्री पशुपालन की शुरुआत की है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.महाराष्ट्र के पुणे में शिवाजी के जीवन पर आधारित थीम पार्क ‘शिव सृष्टि’ के प्रथम चरण का लोकार्पण:
- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर महाराष्ट्र के पुणे में शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित थीम पार्क ‘शिव सृष्टि’ के प्रथम चरण का लोकार्पण किया।
- शिव सृष्टि के निर्माण में तकनीक और इतिहास दोनों का अद्भुत मिलन देखने को मिलता है, यहां होलोग्राफी प्रोजेक्ट मैपिंग, मिनिएचर्स मोशन, सिम्युलेशन, 3D-4D तकनीक और लाइट एंड साउंड तकनीक का अद्भुत सम्मिश्रण कर इतिहास को जीवित करने का प्रयास किया गया है
- 438 करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट के प्रथम चरण में 60 करोड़ रुपये की लागत से शिवाजी महाराज के जीवन की अनेक घटनाओं को संजोने का प्रयास किया गया है।
- इस थीम पार्क में यहां 3D में शिवकालीन दुर्गों का सफर, शिवाजी के राज्याभिषेक और उनके आगरा से मुगलों की चुंगल से निकलने जैसे कई प्रमुख प्रसंगों को संजोया गया है।
- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि स्वराज स्थापित कर शिवाजी महाराज ने पूरी दुनिया को संदेश दिया कि हिंदुस्तान पर कोई अत्याचार नहीं कर सकता, यहां की जनता को कोई अपमानित नहीं कर सकता, शिवाजी का ये संदेश सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भी दिखाई दिया।
- शिवाजी महाराज ने स्वराज की एक छोटी सी लड़ाई से शुरुआत कर 50 साल की आयु में राज्याभिषेक कर एक बहुत बड़े साम्राज्य के छत्रपति बनने का सफर तय किया।
- सन् 1680 के बाद भी शिवाजी के विचारों की यह यात्रा रुकी नहीं। उनके बाद भी कई छत्रपति व पेशवा बने और उन्होंने वर्ष 1818 तक इस परंपरा को आगे बढ़ाया।
- शिवाजी के स्वराज का उद्देश्य बहुत स्पष्ट था।
- भारतीय शासन व्यवस्था में पहली बार अष्टप्रधान मंडल की कल्पना व शासन के सूत्रों को लिपिबद्ध करने का कार्य शिवाजी महाराज ने किया।
- शिवाजी ने कई युद्धों में अद्भुत साहस का परिचय दिया। शायद ही किसी स्वराज के योद्धा ने फ्रंट फूट पर जाकर स्वराज की लड़ाई लड़ी होगी।
- शिवाजी आगरा में मुगल दरबार में शांति का आग्रह लेकर गये थे परन्तु औरंगजेब द्वारा हिंद स्वराज का अपमान किए जाने पर उन्होंने कड़ा विरोध किया और जेल चले गए जहां से मुगलों की आंखों में धूल झोंक कर सफलतापूर्वक निकल भी गये ।
- शिवाजी के स्वराज की यात्रा अटक से लेकर कटक तक और गुजरात से लेकर बंगाल तक पहुंची जिसने समग्र भारत को स्वतंत्रता की चेतना देने का काम किया।
- ‘शिव शाहिर’ बाबासाहब पुरंदरे जी ने शिवचरित्र को शब्दबद्ध करने के लिए देशभर में घूम-घूम कर अपना जीवन समर्पित किया जिससे शिवाजी महाराज की शौर्यगाथाएँ जन जन तक पहुँची।
2. राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO):
- केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) वैज्ञानिक संवाद 2023 का आयोजन किया।
- अंग और ऊतक प्रत्यारोपण से जीवन बचाया जा सकता है, इसलिए अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण क्षेत्र में उपायों और सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए सभी हितधारकों को एक मंच पर लाने के लिए इस संवाद का आयोजन किया गया था।
- कोविड के बाद प्रत्यारोपण गतिविधियों का तेजी से पुनरुत्थान हुआ है और देश में पहली बार एक वर्ष (2022) में 15,000 से अधिक प्रत्यारोपण किए गए हैं तथा प्रत्यारोपण की संख्या में 27 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज हुई है।
- इस अवसर पर तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का जिक्र किया गया जिनमें कार्यक्रम संबंधी पुनर्गठन, संचार रणनीति और पेशेवरों का कौशल शामिल है।
- साथ ही मौजूदा संरचनाओं और दिशा-निर्देशों को अपडेट करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा गया कि यद्यपि हमारे पास विभिन्न शासन स्तरों जैसे राष्ट्रीय स्तर पर (एनओटीटीओ), राज्य स्तरों पर (एसओटीटीओ) और क्षेत्रीय स्तरों पर (आरओटीटीओ), संरचनाएं मौजूद हैं, इसलिए यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वे अपने अधिदेश का पालन करते हुए एक व्यवस्थित कार्य प्रणाली के रूप में काम करें।
- साथ ही नवीनतम दिशा-निर्देशों, अधिवास आवश्यकता को समाप्त करने जैसे परिवर्तनों का स्वागत किया गया।
- देश में तकनीकी मानव शक्ति के तर्कसंगत उपयोग और उन्हें भौतिक बुनियादी ढांचे के अधिकतम उपयोग के साथ-साथ प्रभावी रूप से चैनलाइज करने और प्रशिक्षण देने तथा उन्हें तृतीयक देखभाल सुविधाओं जैसे उपकरणों से लैस करने की जरूरत पर जोर दिया गया।
- इस दिशा में सुधार हेतु चिकित्सा संस्थानों की क्षमता निर्माण की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि देश में 640 से अधिक मेडिकल अस्पताल और कॉलेज होने के बावजूद, प्रत्यारोपण कुछ अस्पतालों तक ही सीमित विशेष सेवा बन गई है। ऐसे संस्थानों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है, जहां सर्जरी और प्रत्यारोपण किए जा सकें।
- इस प्रकार देश में सर्जरी और प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए हमारे भौतिक बुनियादी ढांचे का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए।
- ‘हाई केस लोड’ वाले संस्थानों की पहचान करने और उन्हें एनओटीटी कार्यक्रम के नेटवर्क के तहत लाए जाने की जरूरत है।
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