विषयसूची:
|
1. राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के अंतर्गत थीमैटिक-हब टी-हब स्थापित करने के लिए पूर्व-प्रस्तावों का आह्वान:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारत कि उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: थीमैटिक-हब टी-हब ।
मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय क्वांटम मिशन का महत्व।
प्रसंग:
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा थीमैटिक-हब टी-हब की स्थापना के लिए पूर्व-प्रस्तावों के आह्वान के शुभारंभ के साथ 20 जनवरी, 2024 को भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के 9वें संस्करण के अवसर पर राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) की यात्रा में एक नई उपलब्धि हुई है।
उद्देश्य:
- यह पूर्व प्रस्ताव क्वांटम गणना (क्वांटम कंप्यूटिंग), क्वांटम संचार (क्वांटम कम्युनिकेशन), क्वांटम संवेदन एवं मापन विज्ञान (क्वांटम सेंसिंग एंड मेट्रोलॉजी) और क्वांटम सामग्री तथा उपकरण (क्वांटम मैटेरियल्स एंड डिवाइसेज) में विषयात्मक केंद्र (थीमैटिक-हब टी-हब) स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) के उद्देश्यों के अनुरूप सामूहिक रूप (कंसोर्टिया मोड) में अभिनव पूर्व-प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए अकादमिक संस्थानों/अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं (आर एंड डी लैब्स) को आमंत्रित करते हैं।
विवरण:
- पूर्व-प्रस्ताव (कॉल) का शुभारम्भ करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने कहा कि “पूर्व प्रस्ताव का शुभारंभ पिछले साल केन्द्रीय मंत्रीमंडल द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय क्वांटम मिशन में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- विशेषज्ञता, क्षमता और अवसरों की पहचान करने के लिए शोधकर्ताओं के साथ शीघ्र ही निर्धारित विचार-मंथन सत्र के साथ, राष्ट्रीय क्वांटम मिशन में अगले कुछ महीनों में पर्याप्त प्रगति दिखने की सम्भावना है।
- एनक्यूएम अनुसंधान को तैनाती योग्य प्रौद्योगिकियों का अनुप्रयोग करने के लिए उद्योग और स्टार्टअप के साथ मिलकर भी काम करेगा।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) सब-मिशन की सफलता के लिए और शोधकर्ताओं को सुविधा प्रदान करने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करेगा ताकि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी स्थिति में विकसित हो सके।
- इन पूर्व-प्रस्तावों में क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग को आगे बढ़ाने के लिए क्वांटम प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन होना चाहिए।
- हाल ही में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) की मिशन प्रशासनिक बोर्ड (मिशन गवर्निंग बोर्ड -एमजीबी) की पहली बैठक में समिति ने कंसोर्टिया प्रारूप में एनक्यूएम के अंतर्गत चार प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्थापना के उद्देश्य से प्रस्ताव आमंत्रित करने के लिए पूर्व-प्रस्तावों के लिए कॉल आमंत्रित करने के निर्णय को स्वीकृति दी थी।
- एनक्यूएम की केंद्रीयता को देखते हुए, पूर्व-प्रस्तावों का अनुमोदन इस अनुमोदन के अनुवर्ती (फ़ॉलोअप) के रूप में किया गया था।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत वर्ष 19 अप्रैल 2023 को आठ वर्षों की अवधि के लिए 6003.65 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ डीएसटी द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) को स्वीकृति दी थी।
- इस मिशन का लक्ष्य वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करते हुए उसे बढ़ावा देना और आगे बढ़ाना तथा क्वांटम टेक्नोलॉजी (क्यूटी) में एक जीवंत और अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
- यह क्यूटी के नेतृत्व वाले आर्थिक विकास को गति देते हुए देश में पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करेगा और भारत को क्वांटम प्रौद्योगिकियां एवं अनुप्रयोग (क्वांटम टेक्नोलॉजीज एंड एप्लिकेशन्स-क्यूटीए) के विकास में अग्रणी देशों में से एक बना देगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. श्री राम मंदिर निर्माण को मुख्य चार प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा तकनीकी रूप से सहायता प्रदान की गई है:
- श्री राम मंदिर निर्माण को अन्य संस्थानों जैसे आईआईटी, इसरो के कुछ इनपुट के अलावा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत सीएसआईआर (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद) और डीएसटी (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग) के कम से कम चार प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा तकनीकी रूप से सहायता प्रदान की गई है।
- जिन चार संस्थानों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उनमें सीएसआईआर-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रूड़की,सीएसआईआर – राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद,डीएसटी – इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) बेंगलुरु और सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी) पालमपुर (एचपी) शामिल हैं।
- सीएसआईआर-सीबीआरआई रूड़की ने राम मंदिर निर्माण में प्रमुख योगदान दिया है; सीएसआईआर-एनजीआरआई हैदराबाद ने नींव डिजाइन और भूकंपीय सुरक्षा पर महत्वपूर्ण इनपुट दिए; डीएसटी-आईआईए बेंगलुरु ने सूर्य तिलक के लिए सूर्य पथ पर तकनीकी सहायता प्रदान की और सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर ने 22 जनवरी को अयोध्या में दिव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए ट्यूलिप खिलाए हैं।
- मुख्य मंदिर भवन, जो 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा है, राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से निकाले गए बलुआ पत्थर से बना है।
- इसके निर्माण में कहीं भी सीमेंट या लोहे और इस्पात का उपयोग नहीं किया गया है।
- 3 मंजिला मंदिर का संरचनात्मक डिजाइन भूकंप प्रतिरोधी बनाया गया है और यह 2,500 वर्षों तक रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता के मजबूत भूकम्पीय झटकों को बर्दाश्त कर सकता है।
- सीएसआईआर-सीबीआरआई रूड़की प्रारंभिक चरण से ही राम मंदिर के निर्माण में शामिल रहा है।
- संस्थान ने मुख्य मंदिर के संरचनात्मक डिजाइन, सूर्य तिलक तंत्र को डिजाइन करने, मंदिर की नींव के डिजाइन की जांच और मुख्य मंदिर की संरचनात्मक देखभाल की निगरानी में योगदान दिया है।
- सीबीआरआई के अलावा, सीएसआईआर-एनजीआरआई हैदराबाद ने भी नींव डिजाइन और भूकंपीय/भूकंप सुरक्षा पर महत्वपूर्ण इनपुट दिए।
- कुछ आईआईटी विशेषज्ञ सलाहकार समिति का भी हिस्सा थे और यहां तक कि भव्य भवन के निर्माण में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का भी उपयोग किया गया है।
- राम मंदिर की एक अनूठी विशेषता इसका सूर्य तिलक तंत्र है, जिसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि हर वर्ष श्रीराम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट के लिए सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी।
- राम नवमी हिंदू कैलेंडर के पहले महीने के नौवें दिन मनाई जाती है, यह आमतौर पर मार्च-अप्रैल में आती है, जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्मदिन का प्रतीक है।
- भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु ने सूर्य पथ पर तकनीकी सहायता प्रदान की और ऑप्टिका, बेंगलुरु लेंस और पीतल ट्यूब के निर्माण में शामिल है।
- ‘‘गियर बॉक्स और परावर्तक दर्पण/लेंस की व्यवस्था इस तरह की गई है कि शिकारा के पास स्थित तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को सूर्य पथ पर नज़र रखने के प्रसिद्ध सिद्धांतों का उपयोग करके गर्भ गृह तक लाया जाएगा।’’
- प्रतिष्ठा समारोह में सीएसआईआर भी शामिल होगा। सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर (एचपी) 22 जनवरी को अयोध्या में दिव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में ट्यूलिप ब्लूम्स भेज रहा है।
- इस मौसम में ट्यूलिप में फूल नहीं आते। यह केवल जम्मू-कश्मीर और कुछ अन्य ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में ही उगता है और वह भी केवल वसंत ऋतु में। इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी पालमपुर ने हाल ही में एक स्वदेशी तकनीकी विकसित की है, जिसके माध्यम से ट्यूलिप को उसके मौसम का इंतजार किए बिना पूरे वर्ष उपलब्ध कराया जा सकता है।
- रोजमर्रा की जिंदगी में सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अमृतकाल के दौरान आत्मनिर्भर और विकसितभारत@2047 के रूप में उभरने के शिखर पर है।
- देश भर में फैली सीएसआईआर प्रयोगशालाएं नए भारत के आधुनिक स्मारकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन्स (आईआईआईएम) जम्मू अरोमा मिशन और पर्पल रिवोल्यूशन का नेतृत्व कर रहा है।
- राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) लखनऊ ने ‘एनबीआरआई नमोह 108’नाम से कमल की एक नई किस्म विकसित की है। कमल की यह किस्म – नमोह 108- मार्च से दिसंबर तक खिलती है और यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है। यह पहली कमल की किस्म है, जिसका जीनोम इसकी विशेषताओं के लिए पूरी तरह से अनुक्रमित है।
2. अयोध्या में स्वदेशी मोबाइल अस्पताल (भीष्म) तैनात:
- अयोध्या में आगामी ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के दौरान चिकित्सीय तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाने के लिए दो आरोग्य मैत्री आपदा प्रबंधन क्यूब-भीष्म- अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से युक्त क्रांतिकारी मोबाइल अस्पताल तैनात किए गए हैं।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 22 जनवरी, 2024 को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए अयोध्या पहुंचेंगे और इस कार्यक्रम में 8,000 अतिथियों के शामिल होने की संभावना है।
- यह क्यूब “प्रोजेक्ट भीष्म”- भारत हेल्थ इनिशिएटिव फॉर सहयोग हित एंड मैत्री – नामक एक व्यापक पहल का हिस्सा है, जिसे त्वरित प्रतिक्रिया और समग्र देखभाल पर बल देते हुए 200 हताहतों तक के उपचार के लिए तैयार किया गया है।
- यह ऐड क्यूब आपात स्थितियों के दौरान आपदा प्रतिक्रिया और चिकित्सा सहायता में वृद्धि करने के लिए निर्मित कई नवोन्मेषी उपकरणों से युक्त है।
- यह क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं के प्रभावी समन्वय, वास्तविक समय में निगरानी और कुशल प्रबंधन को सुगम बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डेटा एनालिटिक्स को एकीकृत करता है।
- इस पूरी यूनिट में आसानी से परिवहन योग्य 72 संघटक हैं, जिन्हें आसानी से हाथ, साइकिल या यहां तक कि ड्रोन के द्वारा भी ले जाया जा सकता है, जो बेजोड़ अनुकूलशीलता प्रदान करते हैं।
- यह ऐड क्यूब बुनियादी सहायता से लेकर उन्नत चिकित्सा और शल्य चिकित्सा देखभाल तक की आवश्यकता वाले मास कैजुअल्टी इंसिडेंट्स (एमसीआई), होने के बावजूद आश्चर्यजनक रूप से 12 मिनट के भीतर तैनात होने की क्षमता रखता है।
- त्वरित गति से तैनात होने की इसकी क्षमता महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्राथमिक उपचार से निश्चित उपचार तक के महत्वपूर्ण समय के अंतराल को प्रभावी ढंग से पाटती है, जिससे आपात समय में उपचार की अविलंब आवश्यकता वाले अनेक लोगों की जान बचाई जा सकती है।
- विभिन्न विन्यासों के लिए डिज़ाइन किए गए ये क्यूब्स मजबूत, वॉटरप्रूफ और हल्के हैं, जो उन्हें विभिन्न आपातकालीन स्थितियों के लिए उपयुक्त बनाता है। एयरड्रॉप से लेकर भूतल परिवहन तक, इस क्यूब को तेजी से कहीं भी तैनात किया जा सकता है, जिससे तत्काल प्रतिक्रिया क्षमता सुनिश्चित होती है।
- उन्नत चिकित्सा उपकरण, कुशल रीपैकेजिंग और पुनः तैनाती के लिए आरएफआईडी-टैग, इस क्यूब की एक प्रमुख विशेषता है।
- अत्याधुनिक भीष्म सॉफ्टवेयर सिस्टम को टैबलेट में एकीकृत किया गया है, जो ऑपरेटरों को वस्तुओं का तुरंत पता लगाने, उनके उपयोग और समाप्ति पर नजर रखने और बाद की तैनातियों के लिए तैयारी सुनिश्चित रखने में समर्थ बनाता है।
3. पराक्रम दिवस- 2024 उत्सव:
- पराक्रम दिवस-2024 के अवसर पर दिल्ली के लाल किले में ऐतिहासिक प्रतिबिंबों और जीवंत सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों को एक साथ जोड़ते हुए एक बहुआयामी उत्सव मनाया जाएगा।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 जनवरी की शाम को इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे और यह उत्सव 31 जनवरी तक जारी रहेगा।
- इस बड़े उत्सव का आयोजन संस्कृति मंत्रालय की ओर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, साहित्य अकादमी और भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार जैसे अपने सहयोगी संस्थानों की सहभागिता में किया जा रहा है।
- इस उत्सव के एक हिस्से के तहत यह कार्यक्रम गतिविधियों की एक समृद्ध श्रृंखला की मेजबानी करेगा, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की समृद्ध विरासत को सामने लाएगी।
- लाल किले की नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका है।
- लाल किले के परिसर में एक संग्रहालय बोस और आईएनए की विरासत को संरक्षित व सम्मान देने के लिए समर्पित है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री मोदी ने साल 2019 में नेताजी के जन्मदिन के अवसर पर किया था।
- कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लों और कर्नल शाहनवाज खान के नाम इतिहास में लाल किला ट्रायल में प्रमुख व्यक्तियों के रूप में दर्ज हैं।
- भारत की आजादी को लेकर उनकी प्रतिबद्धता के कारण कुख्यात लाल किला बैरक मामला सामने आया था।यह एक ऐतिहासिक मामला था, जिसने आजाद हिंद फौज के अटूट संकल्प को प्रदर्शित किया।
- इस कार्यक्रम के दौरानप्रतिष्ठित लाल किले को पृष्ठभूमि में एक प्रोजेक्शन मैपिंग शो के माध्यम से एक कैनवास में बदल दिया जाएगा, जिसमें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के कलाकार मंच पर प्रदर्शन करेंगे औरइसकी दीवारों को इतिहास व कला के एक आश्चर्यजनक संयोजन में बहादुरी और बलिदान की कहानियों से रोशन किया जाएगा।
- साथ ही, भारतीय राष्ट्रीय सेना के दिग्गजों को विशेष सम्मान दिया जाएगा।
- इस कार्यक्रम में आगंतुक लाल किले में नेताजी और आजाद हिंद फौज की उल्लेखनीय यात्रा का विवरण देने वाली दुर्लभ तस्वीरों व दस्तावेजों को प्रदर्शित करते हुए अभिलेखागार की प्रदर्शनियों के जरिए एक समृद्ध अनुभव प्राप्त करेंगे।
- इसके अलावा पेंटिंग और मूर्तिकला कार्यशालाएं व्यावहारिक अनुभव प्रदान करेंगी, आधुनिक तकनीक एआर और वीआर प्रदर्शनी के साथ केंद्रीय स्तर पर होगी, जो ऐतिहासिक घटनाओं पर एक अद्वितीय और संवादात्मक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करेगी।
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में साल 2021 से हर साल पराक्रम दिवस मनाया जाता है।
- साल 2021 में उद्घाटन समारोह कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में हुआ। साल 2022 में इंडिया गेट पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया।
- वहीं, 2023 में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का नाम 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर रखा गया।
- साथ ही, नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के एक मॉडल का अनावरण किया गया, जिसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर स्थापित किया जाना था।
- पराक्रम दिवस- 2024 कार्यक्रम के दौरानप्रधानमंत्री गणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के साथ देश की विविधता को प्रदर्शित करने के लिए पर्यटन मंत्रालय की ओर से आयोजित किए जा रहे ‘भारत पर्व’ की डिजिटल रूप से शुरुआत भी करेंगे।
- 23 से 31 जनवरी, 2024 तक चलने वाले नौ दिवसीय कार्यक्रम में 26 मंत्रालय और विभाग नागरिक केंद्रित पहल, वोकल फॉर लोकल और विविध पर्यटक आकर्षणों को रेखांकित करेंगे।
- यह पूरे विश्व के लोगों को शामिल करने और राष्ट्र की पुनरुत्थान की भावना को प्रतिबिंबित करने व उत्सव मनाने के लिए एक मंच होगा।
Comments