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22 फरवरी 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और गुयाना के बीच हवाई सेवा समझौते को मंजूरी दी:  
  2. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शिकागो संधि, 1944 में संशोधन से संबंधित अनुच्छेद 3 BIS और अनुच्छेद  50 (A) और अनुच्छेद 56 से जुड़े तीन प्रोटोकॉल की पुष्टि को मंजूरी दी: 
  3. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के 22वें विधि आयोग के कार्यकाल को 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ाने की मंजूरी दी:
  4. समुद्री सुरक्षा हेतु इन्फर्मेशन फ्यूजन सेंटर- इंडियन ओशन रीजन और क्षेत्रीय समन्वय संचालन केंद्र, सेशेल्स के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए:
  5. जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम, 1987 के अंतर्गत जूट पैकेजिंग सामग्री के लिए आरक्षण मानदंड:
  6. उत्तर प्रदेश में संपूर्ण ब्रॉड गेज नेटवर्क का पूर्ण विद्युतीकरण:
  7. शिक्षा मंत्रालय ने ग्रेड-I के लिए प्रवेश की आयु को एक समान 6+ वर्ष रखने का निर्देश दिया:

1. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और गुयाना के बीच हवाई सेवा समझौते को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

प्रारंभिक परीक्षा: हवाई सेवा समझौता (ASA)।  

मुख्य परीक्षा:हवाई सेवा समझौता (ASA) एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में उसकी महत्ता।    

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार और गुयाना सरकार के बीच हवाई सेवा समझौते पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी।

उद्देश्य:

  • भारत और गुयाना गणराज्य के बीच नया हवाई सेवा समझौता दोनों पक्षों की विमान सेवाओं को वाणिज्यिक अवसर प्रदान करते हुए उन्नत और निर्बाध कनेक्टिविटी के लिए सक्षम वातावरण प्रदान करेगा। 

विवरण:  

  • हवाई सेवा समझौता दोनों पक्षों के बीच राजनयिक आदान-प्रदान के बाद लागू होगा जो इस बात की पुष्टि करेगा कि प्रत्येक पक्ष ने इस समझौते के लागू होने के लिए आवश्यक आंतरिक प्रक्रिया पूरी कर ली है। 
  • गुयाना में अच्छी-खासी संख्‍या में भारतीय मौजूद हैं और 2012 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा सबसे बड़े जातीय समूह का है। 
    • गुयाना के साथ हवाई सेवा समझौते पर हस्ताक्षर करने से दोनों देशों के बीच हवाई सेवाओं के प्रावधान के लिए एक रूपरेखा तैयार होगी। 
    • बढ़ता विमानन बाजार और भारत में विमानन क्षेत्र के उदारीकरण जैसे घटनाक्रमों के बाद, अंतर्राष्ट्रीय हवाई संपर्क के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए अनेक देशों के साथ हवाई सेवा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
  • भारत और गुयाना अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन पर संधि (शिकागो संधि) के हस्ताक्षरकर्ता देश हैं। 

पृष्ठ्भूमि:

  • हवाई सेवा समझौता (ASA) दो देशों के बीच हवाई संचालन के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है जो राष्ट्रों की संप्रभुता, विमान सेवाओं की राष्ट्रीयता और प्रत्येक पक्ष की निर्दिष्‍ट एयरलाइनों के लिए वाणिज्यिक अवसरों के संदर्भ में पारस्परिकता के सिद्धांतों पर आधारित है। 
  • वर्तमान में भारत सरकार और गुयाना की सरकार के बीच कोई हवाई सेवा समझौता (ASA) नहीं है।

2.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शिकागो संधि, 1944 में संशोधन से संबंधित अनुच्छेद 3 BIS और अनुच्छेद  50 (A) और अनुच्छेद 56 से जुड़े तीन प्रोटोकॉल की पुष्टि को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध: 

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच- उनकी संरचना, और जनादेश।  

प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संधि “शिकागो संधि”, 1944  से संबंधित जानकारी। 

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संधि (शिकागो संधि), 1944 में संशोधन से संबंधित अनुच्छेद-3 BIS और अनुच्छेद  50 (A) और अनुच्छेद 56 से जुड़े तीन प्रोटोकॉल की पुष्टि को मंजूरी दी।

उद्देश्य:

  • यह पुष्टि अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संधि में निहित सिद्धांतों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराएगी।
  • यह पुष्टि भारत को अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन से संबंधित मामलों में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए बेहतर संभावनाएं एवं अवसर प्रदान करेगी।   

विवरण:  

  • शिकागो संधि के सभी अनुच्छेद संधि करने वाले सभी देशों के विशेषाधिकारों और दायित्वों को स्थापित करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन को विनियमित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय ICAO मानकों एवं अनुशंसित कार्यप्रणालियों (SARP) को अपनाने को बढ़ावा देते हैं।
  • पिछले 78 वर्षों के दौरान, शिकागो संधि में कुछ संशोधन हुए हैं और भारत समय-समय पर ऐसे संशोधनों की पुष्टि करता रहा है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संधि “शिकागो संधि”, 1944 में संशोधन से संबंधित निम्नलिखित तीन प्रोटोकॉल की पुष्टि को मंजूरी दी गई है:
  1. उड़ान भर रहे नागरिक विमानों के खिलाफ हथियारों के उपयोग का सहारा लेने से सदस्य देशों को रोकने के लिए शिकागो संधि, 1944 में अनुच्छेद 3 BIS को प्रविष्ट करने हेतु प्रोटोकॉल (प्रोटोकॉल पर मई, 1984 में हस्ताक्षर);
  2. ICAO परिषद की शक्ति को 36 से बढ़ाकर 40 करने के लिए शिकागो संधि, 1944 के अनुच्छेद  50 (A) में संशोधन करने हेतु प्रोटोकॉल (प्रोटोकॉल पर अक्टूबर, 2016 में हस्ताक्षर); और

iii. एयर नेविगेशन कमीशन की शक्ति को 18 से बढ़ाकर 21 करने के लिए शिकागो संधि, 1944 के अनुच्छेद 56 में संशोधन करने हेतु प्रोटोकॉल (प्रोटोकॉल पर अक्टूबर, 2016 में हस्ताक्षर)।

3.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के 22वें विधि आयोग के कार्यकाल को 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ाने की मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।  

प्रारंभिक परीक्षा: विधि आयोग से संबंधित जानकारी।  

मुख्य परीक्षा: विधि आयोग का महत्व एवं शासन व्यवस्था में उसकी भूमिका।    

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के 22वें विधि आयोग के कार्यकाल को 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ाने की मंजूरी दी है। 

विवरण:  

  • विभिन्न विधि आयोग, देश के कानून के प्रगतिशील विकास और संहिताकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम रहे हैं। 
    • विधि आयोग ने अब तक 277 रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं।
  • 22वें विधि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने हाल ही में कार्यालय में कार्यभार ग्रहण किया है तथा कार्य प्रगति पर होने के कारण जांच और रिपोर्ट की कई लंबित परियोजनाओं पर काम शुरू किया है। 
  • इसलिए, 22वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ा दिया गया है। 
  • इसमें पूर्व संरचना शामिल रहेगी, जो निम्नानुसार है:

(क) एक पूर्णकालिक अध्यक्ष;

(ख) चार पूर्णकालिक सदस्य (सदस्य-सचिव सहित)

(ग) पदेन सदस्य के रूप में विधि कार्य विभाग के सचिव;

(घ) पदेन सदस्य के रूप में विधायी विभाग के सचिव और

(ङ) अंशकालिक सदस्य पांच से अधिक नहीं।

  • विधि आयोग, विस्तारित अवधि के दौरान अपनी मौजूदा जिम्मेदारी का निर्वहन करना जारी रखेगा, जिसमें अन्य बातों के अलावा, निम्न शामिल हैं:

(क) उन कानूनों की पहचान करना, जो अब प्रासंगिक नहीं हैं और अप्रचलित तथा अनावश्यक अधिनियमों को निरस्त करने की सिफारिश करना;

(ख) नीति-निर्देशक सिद्धांतों को लागू करने और संविधान की प्रस्तावना में निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नए कानूनों को बनाने का सुझाव देना;

(ग) कानून और न्यायिक प्रशासन से संबंधित किसी भी विषय पर विचार करना और सरकार को अपने विचारों से अवगत कराना, जिसे विधि और न्याय मंत्रालय (विधि कार्य विभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा विशेष रूप से संदर्भित किया गया हो;

(घ) विधि और न्याय मंत्रालय (विधि कार्य विभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा किसी भी विदेशी देश के बारे में शोध प्रदान करने के अनुरोध पर विचार करना;

(ङ) समय-समय पर सभी मुद्दों, मामलों, अध्ययनों और आयोग द्वारा किए गए शोधों पर रिपोर्ट तैयार करना और केंद्र सरकार को प्रस्तुत करना और संघ या किसी राज्य द्वारा किए जाने वाले प्रभावी उपायों के लिए ऐसी रिपोर्टों की सिफारिश करना; और

(च) केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर सौंपे गए ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करना। 

पृष्ठ्भूमि:

  • भारत का विधि आयोग एक गैर-सांविधिक निकाय है, जिसका गठन भारत सरकार द्वारा समय-समय पर किया जाता है। 
  • आयोग को मूल रूप से 1955 में गठित किया गया था और समय-समय पर इसका पुनर्गठन किया जाता है। 
  • भारत के वर्तमान 22वें विधि आयोग का कार्यकाल 20 फरवरी, 2023 को समाप्त हो रहा था जिसे विस्तार दिया गया है।

4.समुद्री सुरक्षा हेतु इन्फर्मेशन फ्यूजन सेंटर- इंडियन ओशन रीजन और क्षेत्रीय समन्वय संचालन केंद्र, सेशेल्स के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध: 

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।  

प्रारंभिक परीक्षा: इन्‍फॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडिया ओशन रीजन (IFC-IOR), हिंद महासागर आयोग (IOC) । 

प्रसंग: 

  • समुद्री रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में मौजूदा सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए, इन्‍फॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडिया ओशन रीजन (IFC-IOR) ने 21 फरवरी 2023 को क्षेत्रीय समन्वय संचालन केंद्र (RCOC), सेशेल्स के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। 

उद्देश्य:

  • इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य समुद्री डोमेन जागरूकता, सूचनाओं का आदान-प्रदान और विशेषज्ञता विकास को बढ़ाने के लिए दोनों केंद्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।  

विवरण:  

  • भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित IFC-IOR की स्थापना 22 दिसंबर 2018 को भारत सरकार द्वारा गुरुग्राम में की गई थी, ताकि क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोगी समुद्री सुरक्षा को बढ़ाया जा सके। 
  • बेहतर आपसी सहयोग, संकुचित सूचना चक्र और समय पर इनपुट को सक्षम करने के लिए, IFC-IOR भागीदार देशों के अंतर्राष्ट्रीय संपर्क अधिकारियों (ILO) की मेजबानी भी करता है। 
  • आज तक केंद्र ने 12 भागीदार देशों – ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, इटली, जापान, मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, श्रीलंका, सेशेल्स, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका से अंतर्राष्ट्रीय संपर्क अधिकारियों की मेजबानी की है।
  • हिंद महासागर आयोग (IOC) द्वारा कार्यान्वित पश्चिमी हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा संरचना को RMIFC, RCOC और सात हस्ताक्षरकर्ता देशों (कोमोरोस, जिबूती, फ्रांस, केन्या, मेडागास्कर, मॉरीशस और सेशेल्स) के राष्ट्रीय केंद्र द्वारा समर्थन प्राप्त है।
  • स्थापना के बाद से, IFC-IOR ने कई बहुराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा केंद्रों के साथ संबंध स्थापित किए हैं और वर्तमान पहल IFC-IOR तथा RCOC के बीच गहन सहयोग को सक्षम बनाएगी। 
  • यह दृष्टिकोण केंद्र को गैर-पारंपरिक समुद्री सुरक्षा खतरों जैसे समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैती, मानव एवं वर्जित तस्करी, अवैध अनियमित और असूचित मत्स्ययन, हथियारों की तस्करी, अवैध शिकार और समुद्री आतंकवाद आदि का मुकाबला पश्चिमी हिंद महासागर पर विशेष ध्यान देते हुए करने के लिए एक सामान्य समुद्री समझ को प्रभावी ढंग से विकसित करने में मदद करेगा।
  • MoU पर हस्ताक्षर के दौरान RCOC और IFC-IOR समुद्र में कार्रवाई का संकेत देने के लिए सूचना साझा करने और विश्लेषण को बढ़ाने की आवश्यकता पर एकमत हुए।
  • यह समझौता ज्ञापन हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोगी समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा को आगे बढ़ाने की दिशा में केंद्रों के बीच विश्वास बढ़ाएगा और तालमेल में सुधार करेगा।

5.जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम, 1987 के अंतर्गत जूट पैकेजिंग सामग्री के लिए आरक्षण मानदंड:

सामान्य अध्ययन: 3

कृषि: 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता। 

प्रारंभिक परीक्षा:  जूट से संबंधित जानकारी। 

मुख्य परीक्षा: जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम, 1987 के अंतर्गत जूट पैकेजिंग सामग्री के लिए आरक्षण मानदंडों पर चर्चा कीजिए।    

प्रसंग: 

  • भारत सरकार ने जूट वर्ष 2022-23 के लिए चावल, गेहूं और चीनी की पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य उपयोग के लिए आरक्षण मानदंडों को स्वीकृति दे दी है।

उद्देश्य:

  • जूट उद्योग भारत की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में जहां लगभग 75 जूट मिलें संचालित होती हैं और लाखों श्रमिकों को आजीविका प्रदान करती हैं। 
  • यह जूट क्षेत्र में 40 लाख किसान परिवारों की सहायता करेगा। 
  • इस निर्णय से बिहार, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, मेघालय, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में जूट क्षेत्र को भी सहायता मिलेगी। 

विवरण:  

  • अनिवार्य मानदंड खाद्यान्नों की पैकेजिंग के लिए पूर्ण आरक्षण और जूट की थैलियों में चीनी की पैकेजिंग के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करते हैं, जो पश्चिम बंगाल के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन होगा।  
  • जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम के अंतर्गत आरक्षण मानदंड 3.70 लाख श्रमिकों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करते हैं और जूट क्षेत्र में लगभग 40 लाख किसान परिवारों के हितों की रक्षा करते हैं।
  • जेपीएम अधिनियम, 1987 जूट किसानों, श्रमिकों और जूट के सामान के उत्पादन में लगे व्यक्तियों के हितों की रक्षा करता है। 
  • जूट उद्योग के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत जूट सैकिंग बैग है, जिसमें से 85 प्रतिशत की आपूर्ति भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य खरीद एजेंसियों (SPAS) को की जाती है और शेष का सीधे निर्यात किया जाता या बेचा जाता है।
  • सरकार हर साल खाद्यान्न की पैकिंग के लिए लगभग 9,000 करोड़ रुपये का जूट सैकिंग बैग खरीदती है। यह जूट किसानों और श्रमिकों की उपज के लिए गारंटीकृत बाजार सुनिश्चित करता है।
  • जूट सैकिंग बैग का औसत उत्पादन लगभग 30 लाख गांठ (9 लाख मीट्रिक टन) है और सरकार जूट किसानों, श्रमिकों और जूट उद्योग में लगे व्यक्तियों के हितों की रक्षा के लिए जूट बैग के उत्पादन का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • आरक्षण मानदंड भारत में कच्चे जूट और जूट पैकेजिंग सामग्री के घरेलू उत्पादन के हित को आगे बढ़ाएंगे, जिससे देश, आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के अनुरूप स्वाबलंबी बनेगा। 
  • यह पर्यावरण की रक्षा में भी मदद करेगा क्योंकि जूट एक प्राकृतिक, जैव-निम्नीकरणीय, नवीकरणीय और पुन: प्रयोज्य फाइबर है और इसलिए सभी स्थिरता मानकों को पूरा करता है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.उत्तर प्रदेश में संपूर्ण ब्रॉड गेज नेटवर्क का पूर्ण विद्युतीकरण:

  • भारतीय रेल ने रेलवे विद्युतीकरण के मामले में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। उत्तर पूर्व रेलवे के तहत सुभागपुर-पछपेरवा ब्रॉड गेज (व्यस्त) मार्ग का विद्युतीकरण कार्य पूरा होने के साथ, भारतीय रेल ने उत्तर प्रदेश में सभी व्यस्त मार्गों के विद्युतीकरण का कार्य पूरा कर लिया है। 
  • प्रधानमंत्री ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि को हासिल करने के लिए भारतीय रेल की सराहना की है।
  • इस उपलब्धि के साथ, भारतीय रेल ने छह जोनल रेलवे अर्थात् पूर्वी तटीय रेलवे (ईस्ट कोस्ट रेलवे), उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर पूर्व रेलवे, पूर्व रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे, पश्चिम मध्य रेलवे के व्यस्त मार्गों के विद्युतीकरण का कार्य पूरा कर लिया है। 
  • कुल रूट किलोमीटर (RKM) के 85 प्रतिशत हिस्से के विद्युतीकरण के साथ, भारतीय रेल मिशन 100 प्रतिशत विद्युतीकरण को पूरा करने की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है और यह दुनिया में सबसे बड़ा हरित रेलवे नेटवर्क बन गया है।

2.शिक्षा मंत्रालय ने ग्रेड-I के लिए प्रवेश की आयु को एक समान 6+ वर्ष रखने का निर्देश दिया:

  • शिक्षा मंत्रालय ने राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को ग्रेड-I के लिए प्रवेश की आयु को एक समान 6+ वर्ष रखने का निर्देश दिया। 
  • राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को यह सलाह भी दी गई है कि वे अपने यहां प्री-स्कूल शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा (DPSE) पाठ्यक्रम तैयार करने और चलाने की प्रक्रिया प्रारंभ करें। 
  • इस पाठ्यक्रम को राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा डिजाइन किए जाने की आशा है तथा SCERT की देखरेख और दायित्‍व के अंतर्गत जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (DIET) के माध्यम से चलाया/कार्यान्वित किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 देश के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में ‘मूलभूत चरण’ चरण में बच्चों की शिक्षा को मजबूत बनाने की सिफारिश करती है। 
    • मूलभूत चरण में सभी बच्चों (3 से 8 वर्ष के बीच) के लिए 5 वर्ष सीखने के अवसर शामिल हैं, जिसमें 3 साल की प्री-स्कूल एजुकेशन और 2 साल की प्रारंभिक प्राथमिक ग्रेड-I और ग्रेड-II शामिल हैं। 
    • इस तरह यह नीति प्री-स्कूल से ग्रेड-II तक के बच्चों के निर्बाध शिक्षण और विकास को प्रोत्‍साहित करती है। 
    • यह केवल आंगनवाड़ियों या सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त, निजी और गैर-सरकारी संगठन द्वारा संचालित प्री-स्कूल केंद्रों में पढ़ने वाले सभी बच्चों के लिए तीन वर्ष की गुणवत्तापूर्ण प्री-स्कूल शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करके ही किया जा सकता है। 
    • इसके अतिरिक्‍त, मूलभूत चरण पर सबसे महत्वपूर्ण कारक योग्य शिक्षकों की उपलब्धता है जो विशेष रूप से उम्र तथा विकासात्मक रूप से उपयुक्त पाठ्यक्रम और शिक्षण शास्त्र में प्रशिक्षित हों। 
    • मूलभूत चरण के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF-FS) भी हाल ही में 20.10.2022 को लॉन्च किया गया है।
  • शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों को नीति के साथ प्रवेश के लिए अब आयु को समान रूप से 6+ वर्ष करने तथा 6+ वर्ष की आयु में ग्रेड-I में प्रवेश देने के निर्देशों को दोहराया है।

 

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लिंक किए गए लेख में 21 फरवरी 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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