विषयसूची:
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ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच भारत की जल चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: भारत के हितों पर भारतीय परिदृश्य पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: पानी का दीर्घकालिक प्रबंधन भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण चुनौती है। इस चुनौती के समाधान हेतु दोनों देशों द्वारा मिलकर किये जा रहे प्रयासों के समबन्ध में चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
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पानी का दीर्घकालिक प्रबंधन ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण चुनौती है। जल शक्ति मंत्रालय, ऑस्ट्रेलियाई जल साझेदारी, पश्चिमी सिडनी विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी के समर्थन से की जा रही अनेक गतिविधियां दोनों देशों के बीच जल अनुसंधान, प्रशिक्षण और शिक्षा में सहयोग को तेजी से आगे बढ़ा रही है।
उद्देश्य:
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इस लक्ष्य के लिए, राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना, जल संसाधन विभाग, आरडी और जीआर, जल शक्ति मंत्रालय ने पश्चिमी सिडनी विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी के सहयोग से एक अभिनव युवा जल व्यावसायिक कार्यक्रम की शुरुआत की है, जो ऑस्ट्रेलिया भारत जल केंद्र का नेतृत्व कर रहा है।
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इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवा जल पेशेवरों (YWP) में क्षमता निर्माण करना और उन्हें नेतृत्व वाली भूमिकाएं और जिम्मेदारियों को स्वीकार कराते हुए देश के जल क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल, दृष्टिकोण और योग्यता प्रदान करना है।
विवरण:
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युवा जल पेशेवर कार्यक्रम लैंगिक समानता और विविधता पर केंद्रित है। इस कार्यक्रम के पहले चरण में, राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना की केंद्रीय और राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों से 20 युवा अधिकारियों का चयन किया गया है, जिसमें 10 पुरुष और 10 महिलाएं शामिल हैं।
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भारत और ऑस्ट्रेलिया प्राकृतिक भागीदार हैं और युवा जल पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के लिए शुरू किया गया यह सहयोग सही दिशा में आगे बढ़ने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है।
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इस अवसर पर,पश्चिमी सिडनी विश्वविद्यालय ने जल शक्ति मंत्रालय और ऑस्ट्रेलियाई जल भागीदारी के साथ किसानों और आम नागरिकों के लिए ‘माई वेल’ नामक एक ऐप भी जारी किया।
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यह भूजल, सतही जल, वर्षा, पानी की गुणवत्ता, बांध के जलस्तर की जांच और अन्य मापदंडों की सामूहिक निगरानी और मानसिक चित्रण करने के लिए एक नागरिक विज्ञान उपकरण है।
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इस ऐप का उपयोग ग्रामीणों को उनके भूजल संसाधनों का प्रबंधन करने में प्रशिक्षण देने के लिए किया जाएगा।
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YWP कार्यक्रम अद्वितीय है, क्योंकि कार्यक्रम का 70 प्रतिशत भाग वास्तविक दुनिया की स्थितियों और ग्राहकों के साथ परियोजना-आधारित ज्ञान पर केंद्रित है।
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यह न केवल तकनीकी क्षमता का निर्माण करता है, बल्कि यह भारत में जल संसाधनों और जल प्रबंधन सुधारों का प्रबंधन करने के लिए महत्वपूर्ण सोच, समस्या-समाधान, नेतृत्व और परियोजना प्रबंधन कौशल का भी विकास करता है।
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यह सहयोग ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों के लिए महत्वपूर्ण है और यह साझेदारी हमारे SDG प्रभाव को संचालित करती है, जिसमें यह महत्वपूर्ण नेटवर्क भी शामिल है जो दोनों देशों की महत्वपूर्ण जल चुनौतियों से निपटने के लिए प्रमुख खिलाड़ियों को एक मंच पर लेकर आता है।
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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी ने मॉनसून की बारिश का उपयोग करने के लिए देश में अतिरिक्त भंडारण की आवश्यकता पर बल दिया।
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भारतीय परिदृश्य में पानी के महत्व को ध्यान में रखते हुए, देश के युवाओं को जल संसाधनों के प्रबंधन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है।
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पश्चिमी सिडनी विश्वविद्यालय के सहयोग से आईआईटी गुवाहाटी सस्टेनेबल वाटर फ्यूचर्स में एक ऑनलाइन संयुक्त मास्टर प्रोग्राम की शुरुआत कर रहा है।
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यह डिग्री लघु पाठ्यक्रमों – माइक्रो-क्रेडेंशियल्स पर आधारित है और भारत-ऑस्ट्रेलिया जल केंद्र के ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय भागीदारों द्वारा संयुक्त वितरण के माध्यम से जल पेशेवरों में क्षमता निर्माण करने के लिए एक शानदार अवसर प्रदान करती है।
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भारत और इंडोनेशिया ने संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास गरुड़ शक्ति शुरू किया:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय:द्विपक्षीय, क्षेत्रीय या वैश्विक समूह एवं भारत से जुड़े समझौते या भारत के हितों को प्रभावित करना।
प्रारंभिक परीक्षा: अभ्यास गरुड़ शक्ति से सम्बंधित तथ्य।
प्रसंग:
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सेना-से-सेना में आदान-प्रदान करने के कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में, भारतीय विशेष सैनिकों बलों की एक टुकड़ी वर्तमान में सांगा बुआना प्रशिक्षण क्षेत्र, करावांग, इंडोनेशिया में एक द्विपक्षीय संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास गरुड़ शक्ति में लगी हुई है।
उद्देश्य:
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21 नवंबर 2022 को शुरू हुए इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं के विशेष बलों के बीच समझ, सहयोग और अंतर परिचालन को बढ़ावा देना है।
विवरण:
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अभ्यास गरुड़ शक्ति इस बैनर के तहत द्विपक्षीय अभ्यासों की श्रृंखला का आठवां संस्करण है।
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संयुक्त अभ्यास के दायरे में विशेष बलों के कौशल को उन्नत करने के लिए उन्मुखीकरण, हथियार, उपकरण, नवाचार, रणनीति, तकनीकी और प्रक्रियाओं पर जानकारी साझा करना तथा किए गए विभिन्न अभियानों से सीखे गए सबक, जंगल इलाके में विशेष बल संचालन, आतंकवादी शिविरों पर हमले और सैन्य सहयोग को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों की जीवन शैली और संस्कृति में परिज्ञान प्राप्त करने के अलावा बुनियादी और अग्रिम विशेष बलों के कौशल को एकीकृत करने वाले अभ्यास का सत्यापन शामिल है।
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संयुक्त प्रशिक्षण में उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, सामरिक अभ्यास, तकनीकों और प्रक्रियाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसके लिए एक व्यापक 13-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है। यह अभ्यास 48 घंटे लंबे सत्यापन अभ्यास के साथ समाप्त होगा।
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यह संयुक्त अभ्यास दोनों सेनाओं को एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानने और अंतरराष्ट्रीय वातावरण में आतंकवादी अभियानों से निपटने, क्षेत्रीय सुरक्षा संचालनों एवं शांति स्थापना कार्यों के बारे में अपने व्यापक अनुभवों को साझा करने में सहायता प्रदान करेगा।
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यह अभ्यास दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में अर्जित की गई महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
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प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार, 2022:
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मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 23 नवंबर 2022 को राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार,2022 की घोषणा की।
यह पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किया जाता है, अर्थात्:
1.स्वदेशी मवेशी/भैंस की नस्लों को पालने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान,
2.सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (AIT) और
3.सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी/ दूग्ध उत्पादक कंपनी/ डेयरी किसान उत्पादक संगठन।
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इन पुरस्कारों में प्रथम रैंक के लिए 05 लाख रुपये, दूसरी रैंक के लिए 03 लाख रुपये और तीसरी रैंक के लिए 02 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और प्रत्येक श्रेणी के लिए योग्यता प्रमाणपत्र और एक स्मृति चिन्ह प्रदान किया जाता हैं।
पृष्ठभूमि:
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राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार पशुधन और डेयरी क्षेत्र में सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक है, जिसका उद्देश्य स्वदेशी मवेशीयों को पालने वाले किसानों, सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों और डेयरी सहकारी समितियों/ दुग्ध उत्पादक कंपनी/ डेयरी किसान उत्पादक संगठनों की पहचान करना और उन्हें प्रोत्साहित करना है।
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पशुधन क्षेत्र वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिसमें कृषि और उससे संबद्ध क्षेत्र GVA का एक तिहाई हिस्सा शामिल है और इनका CAGR 08 प्रतिशत से ज्यादा है।
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साथ ही, पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन गतिविधियां लाखों लोगों को सस्ता और पौष्टिक भोजन प्रदान करने के अलावा, विशेष रूप से भूमिहीन, छोटे और सीमांत किसानों और महिला किसानों के लिए आय उत्पन्न करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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भारत में स्वदेशी गोजातीय नस्लें बहुत मजबूत हैं और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आनुवंशिक क्षमता रखती हैं।
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स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण पर एक विशिष्ट अभियान की कमी होने के कारण उनकी आबादी घट रही है और उनका प्रदर्शन वर्तमान में वास्तविक क्षमता से कम है।
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इसलिए मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत पशुपालन और डेयरी विभाग ने स्वदेशी गोजातीय नस्लों को संरक्षण प्रदान करने और उनका विकास करने के उद्देश्य से दिसंबर 2014 में राष्ट्रीय गोजातीय प्रजनन और डेयरी विकास कार्यक्रम के अंतर्गत “राष्ट्रीय गोकुल मिशन” की शुरुआत की थी।
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- ‘तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार’:
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भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने वर्ष 2021 के लिए ‘तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार (टीएनएनएए)’ नामक राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कारों की घोषणा की।यह पुरस्कार भारत की राष्ट्रपति द्वारा 30 नवंबर 2022 को प्रदान किया जाएगा।
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पुरस्कार विजेताओं में से प्रत्येक को लघु प्रतिमा, प्रमाण पत्र और 15 लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी जाती हैं।
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यह पुरस्कार लैंड एडवेंचर, वाटर एडवेंचर, एयर एडवेंचर और लाइफ टाइम अचीवमेंट नामक चार श्रेणियों में दिया जाएगा।
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यह पुरस्कार लैंड एडवेंचर, वाटर एडवेंचर, एयर एडवेंचर और लाइफ टाइम अचीवमेंट नामक चार श्रेणियों में दिया जाता है।
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इस वर्ष सचिव (युवा कार्यक्रम) की अध्यक्षता में राष्ट्रीय चयन समिति का गठन किया गया था। इस समिति में एडवेंचर क्षेत्र के विशेषज्ञ सदस्य शामिल थे। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय लिया है।
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तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार हर साल एडवेंचर के क्षेत्र में संबंधित व्यक्तियों की उल्लेखनीय उपलब्धियों को सराहने, युवा लोगों को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में धीरज, जोखिम लेने, सहकारी टीम वर्क और तुरंत, सक्षम एवं प्रभावकारी कदम उठाने की भावना विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने, और युवा लोगों को साहसिक गतिविधियों या कार्यों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए दिए जाते हैं।
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- अमृत सरोवर मिशन:
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जल संरक्षण एवं जल संचय के उद्देश्य से और देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट दूर करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर आजादी के 75वें साल में, आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने के संकल्प के साथ मिशन अमृत सरोवर दिनांक 24 अप्रैल 2022 को शुरु किया गया था।
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मिशन अमृत सरोवर के शुभारंभ के 6 महीने के भीतर 25,000 से अधिक अमृत सरोवर का निर्माण पूरा कर लिया गया है।
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15 अगस्त, 2023 तक 50,000 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। 17 नवंबर, 2022 तक अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए लगभग 90,531 स्थलों की पहचान की गई है, जिनमें से 52,245 स्थलों पर काम शुरू कर दिया गया है। यह संख्या अमृत सरोवर के रूप में वर्षा जल संरक्षण के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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मिशन अमृत सरोवर सरकार के एक सम्पूर्ण दृष्टिकोण (whole of government approach) पर आधारित मिशन है, जिसमें भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ जल शक्ति मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा तकनीकी सहयोग के लिए भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (BISAG-N), मिलकर काम कर रहे हैं।
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‘जनभागीदारी’ मिशन अमृत सरोवर के केन्द्र में स्थित है। इसलिये इसमें सभी स्तरों पर लोगों की भागीदारी को शामिल किया गया है।
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मिशन की शुरुआत से ही अमृत सरोवरों के निर्माण की आधारशिला का नेतृत्व स्वतंत्रता सेनानी एवं इनके परिवारजन, शहीदों के परिवारजन, पद्म पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति अथवा ग्राम पंचायत के सबसे वृद्ध व्यक्ति के हाथों में दिया गया है।
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अमृत सरोवर के निकट पर्यावरण को संजीवनी देने वाले दीर्घायु और छायादार पेड़ जैसे नीम, पीपल, बरगद इत्यादि का भी रोपण जनभागीदारी के जरिये किया जा रहा है।
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लाभ: बहुउद्देश्यीय स्वरुप में बन रहे अमृत सरोवरों के निर्माण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
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ग्रामीण, सरोवर में मछली पालन, मखाने की खेती एवं पर्याप्त सिंचाई व्यवस्था होने से खाद्यान का अधिक उत्पादन करके खुद को समृद्ध बना सकेंगे।
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- गुरु तेग बहादुर:
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श्री गुरु तेग बहादुर जी सिखों के नौवें गुरु थे।उनका जन्म वैशाख कृष्ण पंचमी विक्रमी संवत 1 अप्रैल, 1621 को गुरु हरगोबिंद साहिब और माता नानकी के यहाँ हुआ था।
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विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धान्त की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है।
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24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर जी का ‘शहीदी दिवस’ मनाया जाता हैं।
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गुरुजी का बलिदान न केवल धर्म पालन के लिए नहीं अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए बलिदान दिया था।
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1675 में मुगल शासक औरंगज़ेब ने उन्हे इस्लाम स्वीकार करने को कहा। पर गुरु साहब ने कहा कि सीस कटा सकते हैं, केश नहीं। इस पर औरंगजेब ने सबके सामने उनका सिर कटवा दिया।गुरु तेग बहादुर 24 नवंबर 1675 को शहीद हुए थे।
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गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था इसीलिए उनके बारे में सही ही कहा जाता है कि “सिर दिया पर सार न दिया।” उनके बलिदान को सदैव याद किया जाएगा।
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उनका यह बलिदान समस्त मानवता के लिए था, जिसके लिए उनको ‘हिन्द की चादर’ कहा गया है।
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23 नवंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 22 नवंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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