विषयसूची:
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अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYOM) -2023:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: मुख्य फसलें- प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता-किसानों की सहायता के लिए ई-प्रौद्योगिकी।
प्रारंभिक परीक्षा: बाजरे की फसल,अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYOM)-2023 से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYOM)-2023 के महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
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अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYOM)-2023 बाजरा के वैश्विक उत्पादन को बढ़ाने, कुशल प्रसंस्करण और फसल चक्रण का बेहतर उपयोग करने तथा खाद्य बास्केट के एक प्रमुख घटक के रूप में बाजरे को स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगा।
उद्देश्य:
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYOM) घोषित किया गया है।
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इसका उद्देश्य इसके माध्यम से बाजरे की घरेलू और वैश्विक खपत को बढ़ावा देना है।
विवरण:
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कोविड, जलवायु परिवर्तन और युद्ध की पृष्ठभूमि में आज वैश्विक रूप से बाजरे की प्रासंगिकता बढ़ रही है।
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बाजरे के पोषण मूल्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत सरकार ने अप्रैल-2018 में बाजरे को पौष्टिक अनाज के रूप में अधिसूचित किया था और बाजरे को पोषण अभियान के अंतर्गत भी शामिल किया गया है।
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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFMS) के अंतर्गत 14 राज्यों के 212 जिलों में बाजरे के लिए पौष्टिक अनाज घटक लागू किया जा रहा है।
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इसके अलावा राज्यों की ओर से किसानों को अनेक प्रकार की सहायता प्रदान की जाती है।
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कृषि मंत्रालय द्वारा दीर्घकालिक उत्पादन का समर्थन, उच्च खपत के लिए जागरूकता सृजन बाजार और मूल्य श्रृंखला का विकास तथा अनुसंधान-विकास गतिविधियों का वित्त पोषण किया जा रहा है।
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सरकार बाजरे की खपत को बढ़ावा देने के लिए व्यंजनों और मूल्य-वर्धित उत्पादों में लगे स्टार्टअप उद्यमियों को सहायता प्रदान कर रही है।
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भारत में 500 से ज्यादा स्टार्टअप बाजरे की मूल्य-वर्धित श्रृंखला में काम कर रहे हैं जबकि भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान ने आरकेवीवाई-रफ्तार के अंतर्गत 250 स्टार्टअप को इनक्यूबेट किया है।
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नीति आयोग और विश्व खाद्य कार्यक्रम का उद्देश्य चुनौतियों की पहचान और उनका समाधान व्यवस्थित और प्रभावी रूप से करना है।
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यह साझेदारी बाजरा को मुख्यधारा में लाने पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी और अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में प्राप्त अवसरों का उपयोग करते हुए ज्ञान का आदान-प्रदान करने में भारत को वैश्विक रूप से अग्रणी भूमिका निभाने में सहायता करेगी।
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बाजरा एक जलवायु अनुकूल फसल है जिसका उत्पादन पानी की कम खपत, कम कार्बन उत्सर्जन और सूखे में भी किया जा सकता है।
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बाजरा सूक्ष्म पोषक तत्वों, विटामिन और खनिजों का भंडार है।
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अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष, खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए बाजरे के योगदान के बारे में जागरूकता सृजित करेगा, बाजरे का उत्पादन निरंतर करने और इसकी गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए हितधारकों को प्रेरित करेगा और अनुसंधान तथा विकास कार्यों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए ध्यान आकर्षित करेगा।
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एशिया और अफ्रीका बाजरे के प्रमुख उत्पादन और उपभोग करने वाले क्षेत्र हैं।
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भारत, नाइजर, सूडान और नाइजीरिया बाजरा के प्रमुख उत्पादक देश हैं। ज्वार और प्रोसो बाजरा (सामान्य बाजरा) क्रमशः 112 और 35 देशों में सबसे ज्यादा उगाए जाने वाले बाजरा हैं।
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ज्वार और पर्ल बाजरा 90 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र और उत्पादन को कवर करते हैं।
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शेष उत्पादन में रागी (फिंगर मिलेट्स), चीना (प्रोसो मिलेट्स), फॉक्सटेल मिलेट्स (कंगनी) और अन्य गैर-पृथक बाजरा शामिल हैं।
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भारत बाजरा का प्रमुख उत्पादक देश है जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी और छोटे बाजरा के साथ-साथ कंगनी, कुटकी या छोटा बाजरा, कोडोन, गंगोरा या बार्नयार्ड, चीना और ब्राउन टॉप शामिल हैं।
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भारत के अधिकांश राज्य एक या एक से ज्यादा बाजरे की प्रजातियों की खेती करते हैं।
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पिछले 5 वर्षों की अवधि में, हमारे देश में 13.71 से 18 मिलियन टन से अधिक बाजरे का उत्पादन हुआ जिसमें 2020-21 उच्चतम उत्पादन का वर्ष रहा है।
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वर्ष 2021-22 के लिए चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार, भारत में बाजरे का उत्पादन लगभग 16 मिलियन टन हुआ है, जो राष्ट्रीय खाद्यान्न बास्केट का लगभग 5 प्रतिशत है।
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इसकी बाजार में हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 9.62 मिलियन टन है, इसके बाद 4.23 मिलियन टन के साथ ज्वार का उत्पादन दूसरे स्थान पर है।
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रागी एक अन्य महत्वपूर्ण मोटा अनाज है, जो देश के उत्पादन में 1.70 मिलियन टन का योगदान करता है और अन्य मोटे अनाजों का उत्पादन 0.37 मिलियन टन है।
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शाकाहारी खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के लिए बाजरा एक वैकल्पिक खाद्य प्रणाली प्रदान करता है।
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बाजरा संतुलित आहार के साथ-साथ एक सुरक्षित वातावरण के निर्माण में योगदान देता है। ये मानव जाति के लिए एक प्रकृतिक उपहार है।
पृष्ठ्भूमि:
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कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने बाजरा को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ावा देने के लिए कई पहलों की शुरुआत की है।
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इस प्राचीन पौष्टिक अनाज (बाजरा) के संदर्भ में जागरूकता और सार्वजनिक भागीदारी की भावना उत्पन्न करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष-2023 के लिए माईगव प्लेटफॉर्म पर प्री-लॉन्च कार्यक्रमों और पहलों की एक श्रृंखला भी आयोजित की गई है।
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साइट्स कॉप-19:
सामान्य अध्ययन: 3
जैव विविधता:
विषय: जैव विविधता का संरक्षण एवं पर्यावरण।
प्रारंभिक परीक्षा:साइट्स कॉप-19, ताजे पानी में रहने वाले कछुये बटागुर कचुगा (बंगाल आदि में पाया जाने वाला लाल खोल वाला कछुआ) से सम्बंधित तथ्य।
प्रसंग:
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वनों के विलुप्तप्राय जंतुओं और वनस्पति के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी सम्मेलन (साइट्स) पर पक्षकारों की 19वीं बैठक (कॉप-19) का आयोजन पनामा सिटी में 14 नवंबर से 25 नवंबर, 2022 तक किया जा रहा है।
विवरण:
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कॉप-19 में, ताजे पानी में रहने वाले कछुये बटागुर कचुगा (बंगाल आदि में पाया जाने वाला लाल खोल वाला कछुआ) को संरक्षण सूची में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव का सभी पक्षकारों ने भारी समर्थन किया है। सभी पक्षकारों ने इसकी सराहना की और लागू करने की रजामंदी दी।
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साइट्स ने जमीन और ताजे पानी में रहने वाले कछुओं के संरक्षण के लिये भारत द्वारा किये जाने वाले कामों की भरपूर सराहना की।
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साइट्स ने देश में वन्यजीव अपराधों और कछुओं के गैर-कानूनी कारोबार के खिलाफ भी भारत के प्रयासों की प्रशंसा की।
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जमीन और ताजे पानी में रहने वाले कछुओं के बारे में साइट्स सचिवालय ने प्रस्ताव दस्तावेज पेश किया था, जिसमें भारत के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के ऑप्रेशन टर्टशील्ड के सकारात्मक परिणामों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
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इन प्रयासों के तहत ताजे पानी में रहने वाले कछुओं के शिकार और उनके गैर-कानूनी कारोबार से जुड़े अपराधियों की धर-पकड़ शामिल है।
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देश के विभिन्न भागों में एजेंसियों ने बड़ी मात्रा में जब्ती की कार्रवाई भी की है।
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साइट्स कॉप-19 में भारत ने देश में जमीन और ताजे पानी में रहने वाले कछुओं के संरक्षण के बारे में अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी।
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भारत ने जमीन और ताजे पानी में रहने वाले कछुओं की कई प्रजातियों को रेखांकित किया।
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ये कछुये विलुप्त होने की खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके हैं और इन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में सम्मिलित करके उच्चस्तरीय सुरक्षा दी जा रही है।
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भारत ने साइट्स परिशिष्ट II में कई प्रजातियों को शामिल करने का आग्रह किया है, जिसकी बदौलत वन्यजीव प्रजातियों को दुनिया भर में गैर-कानूनी कारोबार का शिकार बनने से सुरक्षा मिलेगी।
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भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व वन महानिदेशक व विशेष सचिव ने किया। शिष्टमंडल साइट्स के कॉप की मौजूदा बैठक में विलुप्तप्राय वन्यजीव तथा वनस्पति के संरक्षण और कारोबार से जुड़े सूचीबद्ध विषयों पर चर्चा कर रहा है।
पृष्ठ्भूमि:
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साइट्स-कॉप को विश्व वन्यजीव सम्मेलन के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें साइट्स के सभी 184 पक्षकारों को सम्मिलित होने, विचार के लिये सम्मेलन में प्रस्ताव पेश करने तथा सभी निर्णयों पर मतदान करने का अधिकार है।
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अब तक 52 प्रस्तावों को रखा गया है, जिनसे शार्क, सरी-सृपों, हिप्पो, सॉन्गबर्ड, गैंडों, वृक्षों की 200 प्रजातियों, आर्किड फूलों, हाथियों, कछुओं, आदि के अंतर्राष्ट्रीय कारोबार पर नियम बनाने में सुविधा होगी।
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साइट्स के बारे में:
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साइट्स एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जिसका स्वैच्छिक पालन शासकीय और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण संगठन करते हैं।
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यद्यपि साइट्स सभी पक्षकारों पर कानूनन बाध्य है– अन्य शब्दों में कहा जाये तो उन्हें प्रस्ताव को लागू करना है – लेकिन यह राष्ट्रीय कानून की जगह नहीं ले सकता।
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इसके बजाय इसके जरिये हर पक्षकार के लिये एक प्रारूप तैयार हो जाता है, जिसे वह अपने घरेलू कानून में शामिल करके साइट्स को राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वित कर सकता है।
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प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- लचित बरफुकन:
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प्रधानमंत्री 25 नवंबर को लचित बरफुकन की 400वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले उत्सव के समापन समारोह को संबोधित करेंगे।
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लचित बरफुकन अहोम साम्राज्य की शाही सेना के सेनापति थे, जिन्होंने 1671 में सरायघाट की लड़ाई में मुगलों को बुरी तरह पराजित किया था।
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सरकार का गुमनाम नायकों को उचित तरीके से सम्मानित करने का निरंतर प्रयास रहा है। इसी भावना के अनुरूप देश वर्ष 2022 को लचित बरफुकन की 400वीं जयंती वर्ष के रूप में मना रहा है।
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इस उत्सव का उद्घाटन इस वर्ष फरवरी में भारत के तत्कालीन माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद द्वारा गुवाहाटी में किया गया था।
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लचित बरफुकन (24 नवंबर, 1622 – 25 अप्रैल, 1672) असम के अहोम साम्राज्य की शाही सेना के प्रसिद्ध सेनापति थे, जिन्होंने मुगलों को हराकर औरंगजेब के अधीन मुगलों की लगातार बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को सफलतापूर्वक रोक दिया था।
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लचित बरफुकन ने 1671 में लड़ी गई सरायघाट की लड़ाई में असमिया सैनिकों को प्रेरित किया और मुगलों को एक करारी व अपमानजनक हार स्वीकार करने को बाध्य किया।
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लचित बरफुकन और उनकी सेना की वीरतापूर्ण लड़ाई हमारे देश के इतिहास में प्रतिरोध की सबसे प्रेरक सैन्य उपलब्धियों में से एक है।
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राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी (NDA) में वर्ष 1999 से बेस्ट कैडेट को लचित बोरफुकन गोल्ड मेडल दिया जाता है ताकि हमारे देश के सभी जांबाज़ जवान इस योद्धा से प्रेरणा ले सकें।
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इतिहासकारों के अनुसार सरायघाट की लड़ाई में लचित बोरफुकन ने मुगलों की बड़ी-बड़ी तोपों और जहाजों का सामना अपनी छोटी-छोटी नावों और हथियारों से लैस सेना के बल पर किया।
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लचित बोरफुकन की सेना राष्ट्रभक्ति की भावना से ओत प्रोत थी जबकि मुगल सेना में इसका अभाव था यही वजह थी कि संख्या, युद्ध की जानकारी, संसाधनों और हथियारों की दृष्टि से असमानता होते हुए भी लचित बोरफुकन की सेना ने लड़ाई में विजय प्राप्त की और अहोम राज्य की संप्रभुता, संस्कृति और सभ्यता को बचाया।
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बंगाल से लेकर कंधार तक कई युद्ध जीतने वाले रामसिंह ने लचित बोरफुकन की सेना से हारने के बाद आश्चर्य जताते हुए कहा था कि उन्होने नाव चलाने, तीर चलाने, खाइयाँ खोदने, बंदूकें और तोपें चलाने में माहिर असमिया सैनिकों की बहुमुखी प्रतिभा वाली ऐसी सैन्य टुकड़ी अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखी।
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ब्रह्मपुत्र के माध्यम से असम में लड़ाई लड़ने के लिए मजबूत नौसेना तैयार करने के लिए लचित बोरफुकन ने सेना के प्रत्येक जवान को नौसेना में पारंगत बनाया।
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- स्टार्टअप इंडिया ने मार्ग पोर्टल के लिए स्टार्टअप आवेदन लॉन्च किया:
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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने स्टार्टअप इंडिया द्वारा नेशनल मेंटरशिप प्लेटफॉर्म, मार्ग पोर्टल पर पंजीकरण के लिए स्टार्टअप आवेदनों के लिए एक कॉल लॉन्च किया है।
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भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम, जो वर्तमान में वैश्विक रूप से तीसरे स्थान पर है, को और बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप इंडिया का ध्यान स्टार्टअप संस्कृति को उत्प्रेरित करने तथा भारत में नवोन्मेषण एवं उद्यमशीलता के लिए एक मजबूत और समावेशी इकोसिस्टम का निर्माण करने पर केंद्रित है।
मार्ग पोर्टल के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
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स्टार्टअप्स को उनके पूरे जीवन चक्र तक के लिए सेक्टर फोकस्ड दिशानिर्देश, प्रारंभिक सहायता और सहयोग प्रदान करना।
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एक औपचारिक और संरचित प्लेटफॉम की स्थापना करना जो संरक्षकों तथा उनसे संबंधित सलाहकारों के बीच बुद्धिमत्तापूर्ण मैचमेकिंग की सुविधा प्रदान करता है।
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स्टार्टअप्स के लिए दक्ष और विशेषज्ञ संरक्षण की सुविधा प्रदान करना तथा एक परिणाम केंद्रित तंत्र का निर्माण करना जो मेंटर-मेंटी सहयोगों को ठीक समय पर ट्रैक करने में सक्षम बनाता है।
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स्टार्टअप्स अब विकास और कार्यनीति पर व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए कृत्रिम आसूचना (एआई) आधारित मैचमेकिंग के माध्यम से प्रभावी तरीके से विश्व भर के अन्य शिक्षाविदों, उद्योग विशेषज्ञ, सफल संस्थापकों, अनुभवी निवेशकों और अन्य विशेषज्ञों के साथ प्रभावी तरीके से जुड़ सकते हैं।
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पोर्टल की मुख्य विशेषताओं में इकोसिस्टम सक्षमकर्ताओं के लिए कस्टमाइजेबल मेंटरशिप प्रोग्राम, मोबाइल फ्रेंडली यूजर इंटरफेस, योगदान देने वाले संरक्षकों को सम्मान, वीडियो एवं ऑडियो कॉल ऑप्शन, आदि शामिल हैं।
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नवोन्मेषण किसी राष्ट्र के लिए विकास के अपरिहार्य वाहक होते हैं और केवल भारत में ही 82,000 से अधिक DPIIT मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स तथा 107 से अधिक यूनिकॉर्न हैं।
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उद्यमशीलता महान राष्ट्र की आर्थिक संपदा तथा समृद्धि की नींव है और हम रोजगार चाहने वाले देश से रोजगार सृजन करने वाले राष्ट्र के रूप में तेजी से रूपांतरित हो रहे हैं।
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- अग्नि -3 का सफल प्रशिक्षण लॉंच:
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भारत ने 23 नवंबर, 2022 को ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि -3 का सफल प्रशिक्षण लॉंच किया।
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यह सफल परीक्षण स्ट्रेटेजिक फोर्सेज़ कमांड के तत्वावधान में किए गए नियमित उपयोगकर्ता प्रशिक्षण लॉन्च के अंतर्गत था।
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यह लॉन्च एक पूर्व निर्धारित रेंज के लिए किया गया था और इस दौरान सिस्टम के सभी परिचालन मापदंडों को सत्यापित किया गया।
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24 नवंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 23 नवंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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