विषयसूची:
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संयुक्त सैन्य अभ्यास ”ऑस्ट्रा हिन्द–22”:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय या वैश्विक समूह एवं भारत से जुड़े समझौते या भारत के हितों को प्रभावित करना।
प्रारंभिक परीक्षा: ”ऑस्ट्रा हिन्द–22” से सम्बंधित तथ्य।
प्रसंग:
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”ऑस्ट्रा हिन्द–22” द्विपक्षीय सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास भारतीय सेना और ऑस्ट्रेलियाई सेना की टुकड़ियों के बीच 28 नवंबर से 11 दिसंबर 2022 तक महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (राजस्थान) में आयोजित होने वाला है।
उद्देश्य:
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इस द्विपक्षीय सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास का उद्देश्य सकारात्मक सैन्य संबंध बढ़ाना और एक-दूसरे की बेहतरीन सैन्य कार्य-प्रणालियों को अपनाना है।
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साथ ही इसका लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना प्रतिबद्धता के तहत अर्ध-मरूस्थलीय देशों में शांति अभियानों को चलाने के लिए एक साथ कार्य करने की क्षमता को बढ़ावा देना है।
विवरण:
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ऑस्ट्रा हिन्द श्रृंखला का यह पहला अभ्यास है, जिसमें दोनों देशों की सेनाओं के सभी अंगों एवं सेवाओं की टुकड़ियां हिस्सा लेंगी।
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ऑस्ट्रा हिन्द सैन्य अभ्यास प्रत्येक वर्ष भारत और ऑस्ट्रेलिया में बारी-बारी से आयोजित किया जाएगा।
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यह संयुक्त अभ्यास दोनों सेनाओं को शत्रुओं के खतरों को बेअसर करने के उद्देश्य से कंपनी और प्लाटून स्तर पर सामरिक संचालन करने के लिए रणनीति, तकनीक एवं प्रक्रियाओं हेतु सर्वोत्तम कार्य-प्रणालियों को साझा करने में सक्षम बनाएगा।
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बटालियन/कंपनी स्तर पर आकस्मिक दुर्घटना प्रबंधन, दुर्घटना से उबरना एवं रसद नियोजन के अलावा स्थितिजन्य जागरूकता के उच्च स्तर को प्राप्त करने के लिए स्निपर, निगरानी व संचार उपकरण सहित नई पीढ़ी के उपकरण तथा विशेषज्ञ हथियार संचालन के प्रशिक्षण की भी योजना है।
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द्विपक्षीय सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास के दौरान दोनों देशों के सैनिक संयुक्त योजना, संयुक्त सामरिक अभ्यास, विशेष हथियारों के कौशल की मूल बातें साझा करने और शत्रुओं के लक्ष्य पर हमला करने जैसी विभिन्न गतिविधियों में शामिल होंगे।
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संयुक्त अभ्यास, दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी समझ एवं पारस्परिकता को बढ़ावा देने के अलावा, भारत तथा ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों को मजबूत करने में और मदद करेगा।
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स्वच्छ ऊर्जा हेतु छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) का विकास:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय:बुनियादी ढांचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
प्रारंभिक परीक्षा:एसएमआर (SMR) प्रौद्योगिकी से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) प्रौद्योगिकी पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए 300 मेगावाट क्षमता वाले छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) के विकास के लिए कदम उठा रहा है।
उद्देश्य:
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जलवायु प्रतिबद्धताओं के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए नई स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की खोज स्वच्छ ऊर्जा के रोडमैप के अनुरूप है।
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परमाणु ऊर्जा न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
विवरण:
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भारत में इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के विकास में निजी क्षेत्र और स्टार्टअप को भागीदारी करने की आवश्यकता है।
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SMR प्रौद्योगिकी की वाणिज्यिक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी साझाकरण और फंड की उपलब्धता दो महत्वपूर्ण लिंक हैं।
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SMR लागत और निर्माण समय में महत्वपूर्ण कमी लाता है और मोबाइल और दक्ष होने के साथ-साथ औद्योगिक डी-कार्बोनाइजेशन के लिए भरोसेमंद तकनीक है।
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भारत गैर-जीवाश्म आधारित ऊर्जा संसाधनों के लिए और 2070 तक पूर्ण रूप से शून्य प्राप्त करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में पहले ही कदम उठा चुका हैं, वह बेस लोड पावर के लिए परमाणु डी-कार्बोनाइजेशन रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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300 मेगावाट तक की क्षमता वाले छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) प्राकृतिक रूप से डिजाइन में लचीले होते हैं और इसमें छोटे फुटप्रिंट की आवश्यकता होती है।
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मोबाइल और दक्ष तकनीक होने के कारण, SMR पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों के विपरीत संयंत्रों में भी तैयार हो सकते हैं।
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इस प्रकार, SMR लागत और निर्माण समय में बहुत ही महत्वपूर्ण बचत करता है।
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SMR औद्योगिक डी-कार्बोनाइजेशन के लिए भरोसेमंद तकनीक है, विशेष रूप से जहां बिजली की आवश्यक और निरंतर आपूर्ति जरूरी होती है।
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कहा जाता है कि बड़े परमाणु संयंत्रों की तुलना में SMR सरल और सुरक्षित होता है।
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देश में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं तथा भारत आज पूरे विश्व में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में चीन, यूरोप और अमरीका के बाद चौथे नंबर पर है।
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यह आत्मनिर्भर भारत वाले लक्ष्य के अनुरूप हैं, जहां भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखला में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है।
पृष्ठ्भूमि:
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गौरतलब है कि भारत, जहां पर विश्व की आबादी के 17 प्रतिशत लोग रहते है, ने पिछले दशक में अपनी प्राथमिक ऊर्जा में 4 प्रतिशत की दर से बढ़ोत्तरी की है, जो कि वैश्विक विकास दर 1.3 प्रतिशत से लगभग दोगुना है।
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हालांकि, ऐतिहासिक रूप से, वैश्विक उत्सर्जन में हमारी हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से भी कम है।
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प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- शिल्प गुरु और राष्ट्रीय पुरस्कार:
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केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय द्वारा 28 नवंबर, 2022 को वर्ष 2017, 2018 और 2019 के लिए उत्कृष्ट शिल्पकारों को शिल्प गुरु और राष्ट्रीय पुरस्कारों का आयोजन किया जायेगा। भारत के उपराष्ट्रपतिश्री जगदीप धनखड़ ये पुरस्कार प्रदान करेंगे।
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हस्तशिल्प विकास आयुक्त का कार्यालय वर्ष 1965 से मास्टर शिल्पकारों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों की योजना को लागू कर रहा है और 2002 में शिल्प गुरु पुरस्कारों की शुरुआत की गई थी।
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ये पुरस्कार हर वर्ष हस्तशिल्प के प्रसिद्ध उस्ताद शिल्पकारों को प्रदान किए जाते हैं जिनके काम और समर्पण ने न केवल देश की समृद्ध और विविध शिल्प विरासत के संरक्षण के लिए बल्कि समग्र रूप से हस्तशिल्प क्षेत्र के पुनरुत्थान के लिए भी योगदान दिया है।
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इसका मुख्य उद्देश्य हस्तशिल्प क्षेत्र में उत्कृष्ट शिल्पकारों को पहचान देना है।
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पुरस्कार विजेता देश के लगभग सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ-साथ विभिन्न स्थानों की विभिन्न शिल्प शैलियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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महामारी के कारण पिछले तीन वर्षों के पुरस्कार एक साथ प्रदान किए जा रहे हैं।
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हस्तशिल्प क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में एक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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यह ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में शिल्पकारों के एक बड़े वर्ग को रोजगार प्रदान करता है और अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए देश के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा का भी सर्जन करता है।
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हस्तशिल्प क्षेत्र रोजगार सृजन और निर्यात में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
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27 नवंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 24 नवंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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