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28 फ़रवरी 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. भारत ने अबू धाबी में चल रहे विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन-13 में अपीलीय निकाय और विवाद निस्तारण सुधारों की बहाली का आह्वान किया:
  2. जल शक्ति मंत्रालय ने 6 नदियों का बेसिन प्रबंधन करने के लिए 12 तकनीकी शिक्षा संस्थानों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया:
  3. मंच कला क्षेत्र के छह प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों को अकादमी फेलो (अकादमी रत्न) के रूप में चुना गया:
  4. भारत और अमेरिका के बीच नई दिल्ली में होमलैंड सिक्युरिटी डायलॉग:
  5. भारत ने हीमोफिलिया ए (FVIII की कमी) के लिए जीन थेरेपी का पहला मानव नैदानिक ​​परीक्षण कर लिया है:

28 February 2024 Hindi PIB
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1. भारत ने अबू धाबी में चल रहे विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन-13 में अपीलीय निकाय और विवाद निस्तारण सुधारों की बहाली का आह्वान किया:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियां एवं मंच- उनकी संरचना, और जनादेश।

प्रारंभिक परीक्षा: विश्व व्यापार संगठन।

मुख्य परीक्षा: भारत द्वारा अबू धाबी में चल रहे विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन-13 में अपीलीय निकाय और विवाद निस्तारण सुधारों की बहाली के आह्वान की समीक्षा कीजिए।

प्रसंग:

  • विश्व व्यापार संगठन के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में 28 फरवरी, 2024 को विवाद निस्तारण (डीएस) सुधारों पर कार्य सत्र में भारत ने विश्व व्यापार संगठन में कुछ सदस्यों के बीच चल रही अनौपचारिक विवाद निस्तारण सुधार चर्चाओं को प्रभावी ढंग से औपचारिक बनाने के साथ-साथ अपीलीय निकाय को किसी भी सुधार प्रक्रिया की सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में बहाल करने का जोरदार आह्वान किया।

उद्देश्य:

  • कार्य सत्र में विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों ने कहा कि डीएस प्रणाली की अपीलीय शाखा-अपीलीय निकाय – अमेरिका द्वारा अपने सदस्यों की नियुक्ति को अवरुद्ध करने के कारण दिसंबर 2019 से गैर-क्रियाशील थी।
  • इसने विश्व व्यापार संगठन की समग्र विश्वसनीयता और नियम-आधारित व्यापार-व्यवस्था पर प्रश्न उठाया था।

विवरण:

  • भारत ने 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के डब्ल्यूटीओ सदस्यों के संकल्प को याद किया ताकि 2024 तक सभी सदस्यों के लिए पूरी तरह से और अच्छी तरह से काम करने वाली विवाद निस्तारण प्रणाली सुलभ हो सके।
  • भारत ने अपनी दीर्घकालिक स्थिति को दोहराया कि एक विश्वसनीय और भरोसेमंद डब्ल्यूटीओ डीएस प्रणाली एक न्यायसंगत, प्रभावी, सुरक्षित और पूर्वानुमेय बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का आधार है।
  • भारत ने इस बात पर बल दिया कि किसी भी सुधार प्रक्रिया के परिणाम में अपीलीय निकाय की बहाली की व्यवस्था होनी चाहिए, जो भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।
  • इसके अतिरिक्त भारत ने याद दिलाया कि पिछले एक वर्ष से यह प्रक्रिया के साथ कई कमियों के बावजूद कुछ सदस्यों के बीच सुविधा-संचालित अनौपचारिक डीएस सुधार चर्चाओं में विश्वास के साथ शामिल था।
    • अनौपचारिक चर्चाओं के प्रारूप और गति ने प्रारंभ से ही अधिकतर विकासशील देशों, विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश की थीं।
    • इन चर्चाओं के अनौपचारिक संगठन ने विकासशील देशों के लिए प्रभावी ढंग से भाग लेना बहुत कठिन बना दिया।
  • भारत ने आगे बढ़ने के तरीके के रूप में प्रक्रिया संबंधी और वास्तविक दोषों को दूर करके अनौपचारिक डीएस सुधार प्रक्रिया के तत्काल और प्रभावी औपचारिककरण और बहुपक्षीयकरण की मांग की।
    • भारत ने इसके लिए सदस्यों के समक्ष तीन-सूत्री कार्य योजना का प्रस्ताव किया।
  • सबसे पहले, एमसी 12 मंत्रिस्तरीय घोषणा के पैराग्राफ 3 और 4 के अधिदेशों को पूरा करने के लिए विवाद निस्तारण सुधारों पर चर्चा को प्राथमिकता के साथ विवाद निस्तारण निकाय अध्यक्ष के मार्गदर्शन में डब्ल्यूटीओ औपचारिक निकायों में बदलना।
  • दूसरा, यह सुनिश्चित करना कि परिवर्तन केवल एक औपचारिकता नहीं है बल्कि इसके परिणामस्वरूप विकासशील देशों के सदस्यों और एलडीसी की क्षमता और तकनीकी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सदस्य-चालित, खुला, पारदर्शी और समावेशी प्रक्रिया का एक प्रभावी बहुपक्षीयकरण होता है।
    • सदस्यों को किसी भी स्तर पर नए प्रस्ताव लाने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए और परिणाम स्वरूप जो भी सामग्री तैयार हो उसमें मौजूद समस्त प्रतिनिधियों के विचार शामिल हों तथा आम सहमति पर आधारित हों, जिसमें हाइब्रिड भागीदारी की अनुमति हो।
  • अंतिम, लेकिन अपीलीय निकाय की बहाली को हर हाल में प्राथमिकता दी जाए।
  • भारत ने वर्तमान और भविष्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के कार्य के मूल में विकास को रखने का मजबूत पक्ष रखा है।
    • भारत ने संगठन के विकास पर कार्य सत्र में, इस बात पर प्रकाश डाला कि ऐतिहासिक रूप से, विकास के मुद्दे पर, विकसित देशों द्वारा किए गए वादों की कोई कमी नहीं रही है, प्रत्येक मंत्रिस्तरीय बैठक में उच्च विचारों पर मंथन किया गया है।
    • कई वादे किए गए हैं, लेकिन बहुत कम कार्रवाई की गई है, जिसके कारण सबसे कम विकसित देश (एलडीसी) सहित विकासशील देशों की काठिनाईयां और बढ़ गई हैं।
  • भारत ने अबू धाबी मंत्रिस्तरीय घोषणा के मसौदे पर चर्चा में इस बात पर बल दिया कि विकासशील देशों के लिए प्रासंगिक मुद्दों पर ध्यान और प्रमुखता मिलनी चाहिए।
  • चर्चा के लिए भारत के सभी प्रस्तावों में इस प्राथमिकता को ध्यान में रखा गया।
    • भारत ने इस बात पर बल दिया कि मंत्रिस्तरीय घोषणाओं के लिए नए मुद्दों पर तब तक विचार नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि पिछले निर्णयों और अधूरी घोषणाओं पर कार्रवाई नहीं की जाती।
  • भारत ने कहा कि विकासशील देशों को वर्तमान नियमों के अनुकूलन की तत्काल आवश्यकता है।
  • विकासशील देशों में शिशु और युवा उद्योगों को अनुकूल नीतियों, प्रोत्साहनों, सब्सिडी और समान अवसर के माध्यम से सहायता की आवश्यकता है।
  • भारत ने बल देकर कहा कि औद्योगीकरण की अपनी यात्रा में, विकसित देशों ने उपलब्ध सभी नीतिगत उपकरणों का उपयोग किया है और उनसे लाभ उठाया है और अब भी अपने नए उद्योगों के लिए उनका उपयोग कर रहे हैं, जहां कई औद्योगिक नीति उपाय किए जा रहे हैं।
    • विडंबना यह थी कि अब, वही सदस्य उन सिद्धांतों का पालन नहीं कर रहे हैं।
  • भारत ने याद दिलाया कि विशेष और विभेदक उपचार के सिद्धांत जिन पर विकसित सदस्यों का हमला हो रहा था, वे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सामान्य नियमों के अपवाद नहीं थे और वास्तव में वे बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के अंतर्निहित उद्देश्य थे।
  • भारत ने कहा कि बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली आज दोराहे पर खड़ी है। जहां दुनिया कर्ज और भुगतान संतुलन जैसे कई संकटों से जूझ रही है, वहीं विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) स्वयं भीतर और बाहर दोनों तरफ से गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है।
    • परिणामस्वरूप, सबसे कम विकसित देश (एलडीसी) सहित विकासशील देश न केवल इन वैश्विक चुनौतियों से लड़ने में अपने सीमित संसाधन खर्च कर रहे हैं बल्कि इस बहुपक्षीय मंच में अपने हितों की रक्षा भी कर रहे हैं।

2. जल शक्ति मंत्रालय ने 6 नदियों का बेसिन प्रबंधन करने के लिए 12 तकनीकी शिक्षा संस्थानों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना, यूनेस्को,नमामि गंगे मिशन।

प्रसंग:

  • जल शक्ति मंत्रालय ने 6 नदियों का बेसिन प्रबंधन करने के लिए 12 तकनीकी शिक्षा संस्थानों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया हैं।

उद्देश्य:

  • इसका उदेश्य देश के जल संसाधनों को समृद्ध बनाना है।
    • इतना ही नहीं, विश्व के अन्य देश नदी बेसिन प्रबंधन पर भारत से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए तत्पर होंगे।

विवरण:

  • यह समझौता राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के अंतर्गत जल शक्ति मंत्रालय और शैक्षणिक संस्थानों के बीच किया गया है।
    • इस परियोजना के माध्यम से महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा और पेरियार के बेसिन प्रबंधन की स्थिति का मूल्यांकन एवं प्रबंधन योजना के लिए आवश्यक तकनीकी अनुसंधान, निगरानी और संग्रह करने की जिम्मेदारी 12 संस्थानों (विभिन्न आईआईटी, एनआईटी और नीरी) को प्रदान की गई है।
  • बेहतर योजना और उचित कार्यान्वयन के कारण यूनेस्को ने नमामि गंगे मिशन को विश्व के दस सर्वश्रेष्ठ संरक्षण एवं पुनरुद्धार अभियानों में शामिल किया है।
    • गंगा की पवित्रता और अविरल प्रवाह को निरंतर बनाए रखने के उद्देश्य से नदी संरक्षण को जन आंदोलन बनाने के लिए इसे आजीविका से जोड़ा और अर्थ गंगा का सिद्धांत दिया और उनकी पहल पर नदी संरक्षण एवं पुनरुद्धार योजना को ज्ञान आधारित बनाया।
    • इस प्रकार देश में नदी विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान एवं वैज्ञानिक प्रलेखन को बढ़ावा मिला और ज्ञान गंगा के रूप में एक अन्य स्तंभ इस अभियान में शामिल हुआ।
    • भारत ने गंगा बेसिन प्रबंधन के दौरान बहुत अनुभव प्राप्त किया है, जिसका उपयोग इन 6 नदियों के बेसिन प्रबंधन की योजना बनाने में किया जाना चाहिए।
    • नदी से संबंधित मामलों में अंतर-राज्यीय सहयोग और समन्वय बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. मंच कला क्षेत्र के छह प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों को अकादमी फेलो (अकादमी रत्न) के रूप में चुना गया:

  • संगीत, नृत्य और नाट्य कला से संबंधित संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली की जनरल काउंसिल, नेशनल ने 21 और 22 फरवरी 2024 को नई दिल्ली में आयोजित अपनी बैठक में सर्वसम्मति से मंच कला के क्षेत्र में छह (6) प्रतिष्ठित हस्तियों को अकादमी फेलो (अकादमी रत्न) के रूप में चुना है।
  • अकादमी की फेलोशिप सबसे प्रतिष्ठित और अपूर्व सम्मान है। यह फेलोशिप किसी भी खास समय में 40 व्यक्तियों को दी जाती है।
  • जनरल काउंसिल ने वर्ष 2022 और 2023 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (अकादमी पुरस्कार) के लिए संगीत, नृत्य, रंगमंच, पारंपरिक/लोक/जनजातीय संगीत/नृत्य/रंगमंच, कठपुतली और मंच कला में समग्र योगदान/छात्रवृत्ति के क्षेत्र से 92 कलाकारों का भी चयन किया।
  • इस प्रकार चुने गए फेलो और पुरस्कार विजेता समग्र रूप से राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आते हैं।
    • इसके अतिरिक्त ये ख्याति प्राप्त कलाकार संगीत, नृत्य, नाटक, लोक और जनजातीय कला, कठपुतली और संबद्ध रंगमंच कला रूपों आदि के रूप में मंच कला रूपों के संपूर्ण रूप को कवर करते हैं।
  • अकादमी की जनरल काउंसिल ने वर्ष 2022 और 2023 के लिए संगीत नाटक अकादमी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार के लिए 80 युवा कलाकारों का चयन भी किया है।
  • उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार में ताम्रपत्र और अंगवस्त्रम के अतिरिक्त 25,000 रुपये (केवल पच्चीस हजार रुपये) की राशि प्रदान की जाती है। ये पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष द्वारा एक विशेष समारोह में प्रदान किए जाएंगे।
  • अकादमी पुरस्कार 1952 से दिए जा रहे हैं।
    • ये सम्मान न केवल उत्कृष्टता और उपलब्धि के उच्चतम मानक के प्रतीक हैं, बल्कि निरंतर व्यक्तिगत कार्य और योगदान को भी मान्यता देते हैं।
    • अकादमी फेलो के सम्मान में 3,00,000 रुपये (तीन लाख रुपये) की नकद राशि होती है, जबकि अकादमी पुरस्कार में ताम्रपत्र और अंगवस्त्रम के अतिरिक्त 1,00,000 रुपये (एक लाख रुपये) की नकद राशि होती है।
  • राष्ट्रपति द्वारा विशेष अलंकरण समारोह में संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप और पुरस्कार दिए जाएंगे।

2. भारत और अमेरिका के बीच नई दिल्ली में होमलैंड सिक्युरिटी डायलॉग:

  • भारत और अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच नई दिल्ली में होमलैंड सिक्युरिटी डायलॉग (HSD) का आयोजन किया गया।
  • होमलैंड सिक्युरिटी डायलॉग के दौरान दोनों पक्षों ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभ रहे काउंटर टेररिज्म और सुरक्षा संबंधी विभिन्न क्षेत्रों में जारी सहयोग की समीक्षा की।
  • इस संदर्भ में दोनों पक्षों ने आतंकवाद, हिंसक चरमपंथ, ड्रग ट्रैफिकिंग, संगठित अपराध से मुकाबले के लिए द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदमों और परिवहन सुरक्षा सुनिश्चित करने पर चर्चा की।
  • होमलैंड सिक्युरिटी डायलॉग के दौरान दोनों पक्षों ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभ रहे काउंटर टेररिज्म और सुरक्षा संबंधी विभिन्न क्षेत्रों में जारी सहयोग की समीक्षा की।
  • इस संदर्भ में दोनों पक्षों ने आतंकवाद, हिंसक चरमपंथ, ड्रग ट्रैफिकिंग, संगठित अपराध से मुकाबले के लिए द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदमों और परिवहन सुरक्षा सुनिश्चित करने पर चर्चा की।
  • दोनों पक्षों ने सुरक्षित और वैध माइग्रेशन सुनिश्चित करने, अवैध माइग्रेशन, मानव तस्करी, धन शोधन, साइबर अपराधों से मुकाबला करने और आतंकवादियों की फंडिंग सहित अन्य अवैध गतिविधियों के लिए साइबर क्षेत्र के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाकर दोनों देशों के लोगों के बीच जीवंत संबंधों को मजबूत करने पर भी प्रतिबद्धता दोहराई।
  • डायलॉग के दौरान दोनों सह-अध्यक्षों ने सूचना के आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता तथा होमलैंड सिक्युरिटी डायलॉग के दायरे में गठित उप-समूहों की नियमित बैठकों के जरिए संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच परस्पर लाभकारी सहयोग को मजबूत करने को लेकर अपनी प्रगाढ़ इच्छा को दोहराया।

3. भारत ने हीमोफिलिया ए (FVIII की कमी) के लिए जीन थेरेपी का पहला मानव नैदानिक ​​परीक्षण कर लिया है:

  • केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024” कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बतया की भारत ने क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेल्लोर में हीमोफिलिया ए (FVIII की कमी) के लिए जीन उपचार (थेरेपी) का पहला मानव नैदानिक ​​परीक्षण कर लिया है।
  • यह कार्यक्रम जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी-डीबीटी) के इनस्टेम (आईएनएसटीईएम) बेंगलुरु की एक इकाई के सेंटर फॉर स्टेम सेल रिसर्च, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी), वेल्लोर में एमोरी यूनिवर्सिटी, संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के सहयोग से समर्थित है।
  • परीक्षणों में रोगी के स्वयं के हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल में FVIII ट्रांसजीन को व्यक्त करने के लिए एक लेंटिवायरल वेक्टर का उपयोग करने की एक नई तकनीक का उपयोग करना शामिल था जो फिर विशिष्ट विभेदित रक्त कोशिकाओं (स्पेसिफिक डिफ़रेंशिएटेड ब्लड सेल्स) से FVIII को व्यक्त करेगा।
  • इस वेक्टर का विनिर्माण भारत में शीघ्र ही शुरू होगा और यह आगे के नैदानिक ​​परीक्षणों के साथ प्रगति करेगा ।
  • यह कहते हुए कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस नोबेल पुरस्कार विजेता सर सीवी रमन द्वारा “रमन प्रभाव” की खोज के उल्लास का समारोह है, डॉ. जितेंद्र सिंह ने सी.वी. रमन के इन शब्दों को स्मरण किया कि भारत केवल विज्ञान, अधिक विज्ञान और आगे भी अधिक विज्ञान के माध्यम से प्रगति कर सकता है।
  • भारत की विशाल प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की जैव-अर्थव्यवस्था पिछले 10 वर्षों में 13 गुना बढ़कर 2014 में 10 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024 में 130 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर से अधिक की हो गई है।
  • भारत को विश्व के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में स्थान दिया गया है, जिसमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न और डीएसटी के तहत इनक्यूबेटर लगभग 1.5 लाख युवाओं को नौकरी के अवसर प्रदान कर रहे हैं। अरोमा मिशन और बैगनी क्रांति (पर्पल रिवोल्यूशन) विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि परिवर्तन के उदाहरण हैं, जिन्होंने कृषि-स्टार्टअप के लिए एक नया रास्ता भी दिया है।
  • भारत क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और मशीन लर्निंग में वैश्विक मानकों से मेल खाने के लिए तैयार है।
  • भारत वैज्ञानिक अनुसंधान प्रकाशनों में विश्व स्तर पर शीर्ष पांच देशों में से एक हैं और वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स -(जीआईआई) में 2015 में 81वें स्थान से उल्लेखनीय वृद्धि दिखाते हुए अब 40वें स्थान पर हैं और हमारी पेटेंट फाइलिंग 90,000 को पार कर गई है जो दो दशकों में सबसे अधिक है।
  • यह सब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- एआई), खगोल विज्ञान, सौर और पवन ऊर्जा, अर्धचालक (सेमीकंडक्टर्स), जलवायु अनुसंधान, अंतरिक्ष अनुसंधान और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ किए जाने के कारण है।
  • भारतीय वैज्ञानिक सफलताएँ प्रयोगशाला से चंद्रमा तक पहुँच गई हैं; और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ भारत यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला पहला देश बन गया है ।
  • इस अवसर पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘विकास: भारत ई-मोबिलिटी के लिए प्रौद्योगिकी आधारित पारिस्थितिकी तंत्र को उत्प्रेरित करना’ विषय पर एक श्वेत पत्र भी जारी किया।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी):

  • ‘रमन प्रभाव’ की खोज के उपलक्ष्य में हर वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) मनाया जाता है।
    • भारत सरकार ने 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) के रूप में नामित किया।
    • इस दिन सर सी.वी. रमन ने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की घोषणा की थी जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
    • इस अवसर पर पूरे देश में विषयवस्तु (थीम) आधारित विज्ञान संचार गतिविधियाँ की जाती हैं।
    • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 का विषय ‘विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक’ हैं।

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