विषयसूची:
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विद्युत मंत्रालय ने शक्ति नीति के तहत 4500 मेगावाट बिजली की खरीद के लिए योजना शुरू की:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
मुख्य परीक्षा:ऊर्जा मंत्रालय की शक्ति नीति बिजली की कमी का सामना कर रहे राज्यों की मदद और उत्पादन संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने किस प्रकार में सहायक होगी।
प्रसंग:
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ऊर्जा मंत्रालय ने शक्ति नीति के तहत प्रतिस्पर्धी आधार पर या वित्त, स्वामित्व और संचालन (FOO) आधार पर 4500 मेगावाट (मेगावाट) की कुल बिजली की खरीद के लिए एक योजना शुरू की है।
उद्देश्य:
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यह योजना बिजली की कमी का सामना कर रहे राज्यों की मदद करने और उत्पादन संयंत्रों को उनकी क्षमता बढ़ाने में मदद करने में सहायक होगी।
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योजना के तहत पीएफसी कंसल्टिंग लिमिटेड ने 4,500 मेगावाट की आपूर्ति के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं।
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बिजली की आपूर्ति अप्रैल 2023 से शुरू हो जाएगी।
विवरण:
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विद्युत मंत्रालय ने शक्ति नीति के बी (v) के तहत प्रतिस्पर्धी आधार पर या वित्त, स्वामित्व और संचालन (एफओओ) के आधार पर 4500 मेगावाट की कुल बिजली खरीद के लिए एक योजना शुरू की है।
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पीएफसी कंसल्टिंग लिमिटेड (पीएफसी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी) को विद्युत मंत्रालय ने नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया है।
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योजना के तहत पीएफसी कंसल्टिंग लिमिटेड ने 4,500 मेगावाट की आपूर्ति के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं।
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इस बोली में मध्यम अवधि के लिए एक संशोधित बिजली खरीद समझौता (PPA) का उपयोग किया जा रहा है।
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अप्रैल 2023 से बिजली की आपूर्ति शुरू हो जाएगी।
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कोयला मंत्रालय से इसके लिए करीब 27 एमटीपीए आवंटित करने का अनुरोध किया गया है।
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जिन कंपनियों ने योजना में रूचि दिखाई है, वे – गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड, महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड, मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, नई दिल्ली नगर निगम और तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड हैं।
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इस योजना से उत्पादन संयंत्रों को अपनी क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
पृष्ठ्भूमि:
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ऊर्जा मंत्रालय ने 25 अक्टूबर 2022 को शक्ति नीति के पैरा बी (v) के तहत वित्त, स्वामित्व और संचालन (FOO) के आधार पर बिजली की खरीद के लिए दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया था।
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शक्ति नीति के पैरा बी (v) के प्रावधानों के अनुसार कोयला आवंटन की कार्यप्रणाली 11 मई, 2022 को जारी की गई थी।
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दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम 2018:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
प्रारंभिक परीक्षा:’दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम 2018′ से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: ‘दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम 2018’ का महत्व।
प्रसंग:
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भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने अवांछित वाणिज्यिक संचार के खतरे से निपटने के लिए 19 जुलाई, 2018 को दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम, 2018 (टीसीसीसीपीआर, 2018) जारी किया था, जिसने अवांछित वाणिज्यिक संचार को नियंत्रित करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है। ये नियम 28.02.2019 से प्रभावी हुए थे।
उद्देश्य:
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दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम 2018 के प्रभावी क्रियान्वयन के माध्यम से अवांछित वाणिज्यिक संचार पर अंकुश लगेगा।
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वाणिज्यिक प्रमोटरों तथा टेलीमार्केटर्स को डीएलटी प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण करने और विभिन्न प्रकार के प्रचार संदेश प्राप्त करने के लिए ग्राहक की सहमति लेना आवश्यक होगा।
विवरण:
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अवांछित वाणिज्यिक संचार (UCC) उपभोक्ताओं के लिए असुविधा का एक प्रमुख स्रोत है और यह उनकी गोपनीयता को अनावश्यक रूप से प्रभावित करता है।
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सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSP) के सह-नियामक सहयोग से ब्लॉकचेन (डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी-डीएलटी) पर आधारित एक इकोसिस्टम तैयार किया गया है।
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डीएलटी ने दुनिया भर के दूरसंचार क्षेत्र में यूसीसी/स्पैम के प्रबंधन में अपनी तरह का पहला उपाय करते हुए टीएसपी व नियामक के बीच पारदर्शिता सुनिश्चित की है।
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नियमन के द्वारा सभी वाणिज्यिक प्रमोटरों एवं टेलीमार्केटर्स को डीएलटी प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण करने और अपनी पसंद के समय तथा दिन पर विभिन्न प्रकार के प्रचार संदेश वितरित करने के लिए ग्राहक की सहमति लेना अनिवार्य कर दिया है।
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लगभग 6,00,000 से अधिक हेडर के साथ करीब 2,50,000 प्रमुख संस्थाएं पंजीकृत हैं।
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इनके 55,00,000 स्वीकृत संदेश टेम्प्लेट हैं,जिन्हें पंजीकृत टेली मार्केटर्स और टीएसपी के माध्यम से डीएलटी प्लेटफॉर्म का उपयोग करके उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा रहा है।
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इसके परिणामस्वरूप पंजीकृत टेली मार्केटर्स (आरटीएम) के लिए ग्राहकों की शिकायतों में 60% तक की कमी आई है।
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अब अपंजीकृत टेली मार्केटर्स (UTM) के खिलाफ शिकायतें दर्ज की जा रही हैं, जहां पर विभिन्न प्रकार के UCC एसएमएस को बढ़ावा देने में वृद्धि देखी गई है।
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इसके अलावा, UCC कॉल भी उन प्रमुख चिंताओं में से एक हैं, जिनसे UCC एसएमएस के साथ समान रूप से निपटने की आवश्यकता है।
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भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण विभिन्न हितधारकों के साथ समन्वय कर यूटीएम से भी यूसीसी की जांच के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है।
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इन कदमों में अवांछित वाणिज्यिक संचार खोज प्रणाली का कार्यान्वयन, डिजिटल सहमति अधिग्रहण का प्रावधान, हेडर्स और मैसेज टेम्प्लेट्स की इंटेलिजेंट स्क्रबिंग, कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तथा मशीन लैंग्वेज (मशीन लैंग्वेज) आदि का उपयोग करना शामिल हैं।
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ट्राई ने संसाधनों का उपयोग करके वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए संयुक्त कार्य योजना तैयार करने के लिए स्वयं अर्थात भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और उपभोक्ता कार्य मंत्रालय (एमओसीए) के साथ मिलकर नियामकों की एक संयुक्त समिति (जेसीओआर) बनाने की पहल की है।
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10 नवंबर 2022 को आयोजित जेसीओआर की हालिया बैठक में, दूरसंचार विभाग (डीओटी) और गृह मंत्रालय (एमएचए) के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया, इस दौरान अवांछित वाणिज्यिक संचार को रोकने के उपायों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
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ट्राई उपभोक्ताओं को नियमों में प्रावधानों एवं सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक करने और ऐसे धोखाधड़ी संदेशों के प्रति सतर्क बनाने के उद्देश्य से शिक्षित करने के लिए विभिन्न अभियान भी चलाता है।
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भारत-मलेशिया संयुक्त सैन्य अभ्यास हरिमऊ शक्ति-2022:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय या वैश्विक समूह एवं भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
प्रारंभिक परीक्षा:’हरिमऊ शक्ति-2022′ से सम्बंधित तथ्य।
प्रसंग:
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भारत-मलेशिया संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘हरिमऊ शक्ति-2022’ 28 नवम्बर को मलेशिया के क्लांग स्थित पुलाई में शुरू हुआ जो 12 दिसम्बर, 2022 तक चलेगा।
उद्देश्य:
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“हरिमऊ शक्ति अभ्यास” भारतीय सेना और मलेशियाई सेना के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाएगा और इस तरह दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ावा देगा।
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संयुक्त अभ्यास कार्यक्रम में बटालियन स्तर पर रसद की योजना बनाने के अलावा एक संयुक्त कमांड पोस्ट, संयुक्त निगरानी केंद्र की स्थापना, हवाई संपत्ति विशेषज्ञता, तकनीकी प्रदर्शन, दुर्घटना प्रबंधन और हताहतों को निकालना शामिल है।
विवरण:
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हरिमऊ शक्ति अभ्यास भारत और मलेशियाई सेना के बीच किया जाने वाला वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास है और यह 2012 से आयोजित किया जा रहा है।
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इस वर्ष इस अभ्यास में भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट और मलेशियाई सेना की रॉयल मलय रेजिमेन्ट भाग ले रही हैं और वह इस दौरान अपने विभिन्न अभियानों से प्राप्त अनुभवों को एक दूसरे के साथ साझा करेंगी ताकि दुर्गम वन क्षेत्रों में किए जाने वाले विभिन्न अभियानों की योजना बनाने और उन्हें पूरा करने के संबंध में पारस्परिक समन्वय को बढ़ाया जा सके।
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इस अभ्यास के दौरान वन क्षेत्रों में पारम्परिक अभियानों के लिए बटालियन स्तर की कमांड प्लानिंग एक्सरसाइज़ (सीपीएक्स) और कंपनी स्तर की फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज़ (एफटीएक्स) की जाएगी।
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संयुक्त फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज़, संयुक्त युद्ध चर्चा और संयुक्त प्रदर्शन दो दिवसीय अभ्यास के साथ समाप्त होंगे, जहां सामरिक कौशल बढ़ाने, बलों के बीच अंतर-संचालन क्षमता बढ़ाने और सेना से सेना के संबंधों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जाएगा।
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चौथी भारत-फ्रांस वार्षिक रक्षा वार्ता आयोजित:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत-फ्रांस रक्षा वार्ता से सम्बंधित पहलु।
मुख्य परीक्षा: भारत-फ्रांस रक्षा वार्ता पर प्रकाश डालते हुए देश की सुरक्षा के लिए इस वार्ता के महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
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रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 28 नवंबर को नई दिल्ली में फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्री श्री सेबेस्टियन लेकोर्नू के साथ चौथी भारत-फ्रांस वार्षिक रक्षा वार्ता आयोजित की।
उद्देश्य:
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इस वार्ता में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, रक्षा एवं रक्षा औद्योगिक सहयोग के मुद्दों से जुड़े विभिन्न आयामों पर विस्तृत चर्चा की गई।
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रक्षा मंत्रालय द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ पर ध्यान देते हुए रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई।
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समुद्री सहयोग को मजबूत करने और द्विपक्षीय अभ्यासों का दायरा एवं गहराई बढ़ाने के तौर-तरीक़ों पर भी विचार-विमर्श किया गया।
विवरण:
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दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों के सैन्य बलों के बीच जारी सहयोग की समीक्षा की, जो हाल के वर्षों में काफी बढ़ा है।
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उन्होंने समुद्री सहयोग को मजबूत करने और द्विपक्षीय अभ्यासों के दायरे एवं गहराई को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
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उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि भारत और फ्रांस ने हाल ही में वायु सेना स्टेशन जोधपुर में अपने द्विपक्षीय वायुसेना-अभ्यास ‘गरुड़’ का सफलतापूर्वक आयोजन किया है।
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वार्ता के दौरान विचार के प्रमुख क्षेत्रों में ‘मेक इन इंडिया’ पर ध्यान देने के साथ-साथ रक्षा औद्योगिक सहयोग प्रमुख क्षेत्र था।
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भविष्य के सहयोग तथा संभावित सह-उत्पादन के अवसरों पर चर्चा की गई।
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दोनों मंत्रियों ने सहमति व्यक्त की कि दोनों देशों के तकनीकी समूहों को अगले साल की शुरुआत में मिलना चाहिए और सहयोग के प्रमुख मुद्दों को आगे बढ़ाना चाहिए।
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मंत्रियों ने अनेक रणनीतिक एवं रक्षा मुद्दों पर अपनी आपसी सहमति पर बातचीत की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान देने के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता साझा की।
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फ्रांस हिंद महासागर आयोग (आईओसी) और इंडिया स्कैन नेवल सिम्पोज़ियम (आईओएनएस) का वर्तमान अध्यक्ष है और दोनों देश इन मंचों में निकट सहयोगी हैं।
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भारत की अपनी यात्रा के अंतर्गत श्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने कल दक्षिणी नौसेना कमान मुख्यालय की एक दिवसीय यात्रा की और भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत का दौरा किया।
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फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्री ने कहा कि वह आईएनएस विक्रांत से बेहद प्रभावित थे।
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फ्रांस, भारत के सबसे भरोसेमंद रणनीतिक साझेदारों में से एक है और दोनों देश 2023 में अपनी रणनीतिक साझेदारी के 25 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए उत्सुक हैं।
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प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- संस्कृत में शूट की गई फिल्म यानम में भारत के ड्रीम प्रोजेक्ट मंगलयान का चित्रण:
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यानम गोवा में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 53वें संस्करण में भारतीय पैनोरमा खंड के तहत प्रदर्शित एक गैर-फीचर फिल्म है।
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यह पूर्व अंतरिक्ष अध्यक्ष पद्म भूषण डॉ. के. राधाकृष्णन की आत्मकथात्मक पुस्तक “माई ओडिसी: मेमोयर्स ऑफ द मैन बिहाइंड द मंगलयान मिशन” पर आधारित है।
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यानम फिल्म भारत के ड्रीम प्रोजेक्ट मंगलयान मिशन को चित्रित करती है।
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यह विश्व सिनेमा के इतिहास में संस्कृत भाषा में पहली विज्ञान वृत्तचित्र है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की क्षमता और विशेषज्ञता, अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के महत्वपूर्ण योगदान और संस्कृत भाषा के महत्व को दर्शाती है कि कैसे भारत ने पहले ही प्रयास में एक कठिन अंतर्ग्रहीय यात्रा को पार कर एक शानदार जीत हासिल की।
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इस फिल्म को 4 दक्षिणी राज्यों में अलग-अलग स्थानों पर फिल्म की शूट किया गया है- केरल में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा, कर्नाटक में इसरो मुख्यालय और तमिलनाडु में सबसे पुरानी वेधशाला।
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संस्कृत में इस फिल्म को बनाने का उद्देश्य यह है की “संस्कृत सबसे पुरानी भाषा है। साथ ही इस फिल्म का उद्देश्य इस भ्रांति को भी तोड़ना है कि यह भाषा केवल एक धर्म, एक समुदाय की है।
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भारत में 500 से अधिक कॉलेज हैं जो अब संस्कृत पढ़ाते हैं।
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28 नवंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 27 नवंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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