‘संघ लोक सेवा आयोग’ (UPSC) द्वारा आयोजित की जाने वाली ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ (IAS) की परीक्षा की दृष्टि से ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी’ (Artificial Intelligence Technology) का टॉपिक बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। यह टॉपिक आईएएस परीक्षा प्रणाली के प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा, दोनों ही चरणों के दृष्टिकोण से विशेष महत्व का है। दोनों ही चरणों में प्रतिवर्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के खंड से प्रश्न पूछे जाते रहे हैं और आज जब वर्तमान दौर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निरंतर नए नवाचार हो रहे हैं, तो ऐसे में, इस टॉपिक की उपयोगिता स्वयमेव ही बहुत अधिक बढ़ जाती है। हाल के वर्षों में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आईएएस की परीक्षा में नवीन प्रौद्योगिकियों और उभरती प्रौद्योगिकियों से प्रश्न पूछे जाने की प्रवृत्ति बढ़ती हुई देखी गई है, इसलिए इस विषय की विशेष तैयारी करना भी प्रत्येक अभ्यर्थी के लिए अत्यंत आवश्यक हो जाता है। आपके अपने इस आलेख में हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के ही एक टॉपिक ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी’ को समझने का प्रयास करेंगे। इसमें भी अपने इस आलेख में हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में भारत द्वारा किए गए प्रयासों और उसकी संभावनाओं पर विशेष ध्यान देंगे, ताकि यदि भविष्य में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आईएएस की परीक्षा में ‘भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी’ से संबंधित प्रश्न पूछे जाएँ, तो आप सहजता पूर्वक उनका उत्तर दे पाने में सक्षम हो सकें।
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तो आइए, हम इस आलेख में अपने मूल विषय पर आने से पहले यह समझ लेते हैं कि आखिर कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी क्या होती है? यह प्रौद्योगिकी सामान्य प्रौद्योगिकी से किस प्रकार भिन्न है इन पहलुओं को समझने के बाद ही हम अपने मूल विषय को अधिक बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
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आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस – परिचय
- विश्व में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का सबसे पहले प्रयोग संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा किया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग सबसे पहले अंग्रेजी भाषा को रूसी भाषा में परिवर्तित करने तथा रूसी भाषा को अंग्रेजी भाषा में परिवर्तित करने के लिए किया था। कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का यह अनुप्रयोग संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा उस समय किया गया था, जब रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच शीत युद्ध चल रहा था। तो ऐसे में, सुरक्षा के दृष्टिकोण से संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूसी भाषा को अंग्रेजी भाषा में अनुदित करने के लिए इस तकनीक का विकास किया था।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी क्या है?
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसके अंतर्गत मशीनें ही इस प्रकार से व्यवहार करती हैं, जिस प्रकार से मानव अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग करता है। इसका अर्थ यह है कि मशीनें जब समय और परिस्थिति इत्यादि के विश्लेषण के बाद कोई निर्णय लेती है, तो मशीन की इस अवस्था को ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (Artificial Intelligence – AI) कहा जाता है। अतः कहा जा सकता है कि मशीनों द्वारा किया जाने वाला ऐसा व्यवहार, जो समय और परिस्थिति के आकलन के बाद किया जाता है, ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ कहलाता है और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अध्ययन विज्ञान की जिस शाखा के तहत किया जाता है, उसे ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी’ कहते हैं।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी एक अत्यंत विस्तृत क्षेत्र है। इसके अंतर्गत अन्य विभिन्न क्षेत्र शामिल किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, रोबोटिक्स, परिधेय प्रौद्योगिकी (Wearable Technology), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) इत्यादि कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी की ही अन्य उप शाखाएँ हैं। इन सभी क्षेत्रों में किए जाने वाले विभिन्न अनुप्रयोगों को समेकित रूप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के अंतर्गत ही शामिल किया जाता है। मुख्य रूप से इन अनुप्रयोगों का इस्तेमाल मानवीय जीवन को सहज और सरल बनाने की ओर प्रेरित होता है। हम इस आलेख के आगामी खंड में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से संबंधित विभिन्न पहलुओं को ‘संघ लोक सेवा आयोग’ (UPSC) द्वारा आयोजित की जाने वाली ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ (IAS) की परीक्षा के दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करेंगे।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के प्रकार
विशेषज्ञों के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी को उसकी कार्यशैली के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के ये 2 वर्ग हैं-
1. मजबूत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी
2. कमजोर कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी
- मजबूत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी
- यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का एक ऐसा प्रकार है, जिसके अंतर्गत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी समर्थित मशीन वे सभी कार्य करने में सक्षम हो जाती है, जो एक मानव कर सकने में सक्षम होता है। यानी इस मशीन द्वारा कार्य निष्पादन किये जाने के दौरान मानवीय हस्तक्षेप लगभग नगण्य होता है। इस प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी को ‘पूर्ण कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी’ अथवा ‘कृत्रिम सामान्य बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी’ के नाम से भी जाना जाता है।
- कमजोर कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी
- यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का एक ऐसा प्रकार है, जिसके अंतर्गत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी समर्थित मशीन वे सभी कार्य करने में पूर्ण रूप से सक्षम नहीं होती है, जो एक मानव कर सकने में सक्षम होता है। यानी इस मशीन के द्वारा कार्य निष्पादन किए जाने के दौरान बीच-बीच में पर्याप्त मानवीय हस्तक्षेप भी आवश्यक होता है। मशीनों के संचालन में उपयोग की जाने वाली ऐसी प्रौद्योगिकी को ‘कमजोर कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी’ के नाम से जाना जाता है।
भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में किए गए प्रयास
- वैसे तो भारत में तकनीकी विकास के लिए अनेक प्रकार के प्रयास किए जाते रहे हैं। नवीन तकनीक को अपनाने में भी भारतीय सदैव आगे रहते हैं। फिर जहाँ तक बात कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी को अपनाने की है, तो इस क्षेत्र में भी निजी और सार्वजनिक दोनों ही स्तर पर अनेक प्रयास किए गए हैं। लेकिन यहाँ पर हम मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा किए गए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के से संबंधित प्रयासों के विषय में चर्चा करेंगे।
- इस दिशा में कुछ प्रयास ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) द्वारा किए गए हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य संस्थाओं ने भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग से विभिन्न उपयोगी उपकरणों का निर्माण किया है। लेकिन हमारे लिए यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस दिशा में नीति आयोग ने ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित एक राष्ट्रीय रणनीति’ घोषित की है। नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए इस राष्ट्रीय रणनीति की घोषणा वर्ष 2018 में की थी। अपनी रणनीति में नीति आयोग ने यह दर्शाया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में भारत में कितना सामर्थ्य है तथा इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने में भारत आगे किस प्रकार का रुख अपनाने वाला है। नीति आयोग ने अपनी इस रणनीति में न केवल भारत, बल्कि उसके वैश्विक विस्तार पर भी ध्यान केंद्रित किया है। इसीलिए ‘संघ लोक सेवा आयोग’ (UPSC) द्वारा आयोजित की जाने वाली आईएएस की परीक्षा की तैयारी कर रहे प्रत्येक अभ्यर्थी के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह नीति आयोग द्वारा जारी की गई इस राष्ट्रीय रणनीति का विस्तार पूर्वक अध्ययन करें।
एआई के लिए राष्ट्रीय रणनीति के उद्देश्य
- नीति आयोग द्वारा जारी की गई इस कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित राष्ट्रीय रणनीति का उद्देश्य है कि सभी लोगों तक इसकी प्रभावी पहुँच सुनिश्चित करना तथा उन्हें आधारित तकनीक उपयोग करने के लिए समर्थ बनाना।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित इस राष्ट्रीय रणनीति का उद्देश्य यह भी है कि भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में कुशल विशेषज्ञता की कमी को दूर करने पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा।
- नीति आयोग की यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देने वाली राष्ट्रीय रणनीति इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करती है कि इस क्षेत्र में उपस्थित असंगत चुनौतियों का समाधान भी करना चाहिए, ताकि न सिर्फ मानव की क्षमताओं को बढ़ाया जा सकेगा, बल्कि उन्हें सशक्त बनाया जा सकेगा।
- एआई के लिए घोषित की गई राष्ट्रीय रणनीति के उद्देश्यों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित विभिन्न पहलों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना तथा उन पहलुओं के प्रभावी क्रियान्वयन के माध्यम से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए समाधान विकसित करना, व्यापक स्तर पर अनुसंधान को बढ़ावा देना और इसके माध्यम से आर्थिक विकास की गतिविधियों को गति देना भी शामिल है।
- नीति आयोग द्वारा घोषित की गई कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए यह राष्ट्रीय राजनीति इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करती है कि इसके माध्यम से एआई से संबंधित ना सिर्फ राष्ट्रीय स्तर की चुनौतियों से, बल्कि विश्व स्तर की चुनौतियों से भी निपटने का प्रयास करना चाहिए।
- भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित घोषित की गई इस राष्ट्रीय रणनीति के उद्देश्य में यह भी शामिल है कि इस क्षेत्र में आपसी सहयोग और साझेदारी के माध्यम से भी इस तकनीक का लाभ उठाना चाहिए ताकि सभी की सर्वांगीण समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।
- इस कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए नीति आयोग द्वारा घोषित की गई राष्ट्रीय रणनीति के उद्देश्यों में #AlforAll (#एआई_फॉर_ऑल) यानी सभी लोगों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के द्वार खोलना और उन्हें उसके उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना भी शामिल है।
एआई के लिए राष्ट्रीय रणनीति के घटक
नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देने के लिए देशभर में यह रणनीति घोषित की है। इस रणनीति के नीति आयोग द्वारा मुख्यतः तीन घटक निर्धारित किए गए हैं, ताकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता को एक उपयुक्त रणनीति के आधार पर संपूर्ण देश में इस प्रकार से बढ़ावा दिया जा सके कि वे भारत के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। नीति आयोग के द्वारा इस रणनीति के तहत निर्धारित किए गए 3 घटक निम्नानुसार हैं-
- ‘ग्रेटर गुड’ के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता : सामाजिक विकास और समावेशी विकास।
- अवसर : भारत के लिए आर्थिक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता
- विश्व के 40% लोगों के लिए ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता गैराज’
तो आइए, अब हम संक्षेप में इन तीनों घटकों को भी समझ लेते हैं और यह जान लेते हैं कि नीति आयोग ने इन तीनों घटकों के माध्यम से कौन से लक्ष्य प्राप्त करने का प्रयास किया है-
1. ‘ग्रेटर गुड’ के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता : सामाजिक विकास और समावेशी विकास-
- नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए घोषित की गई राष्ट्रीय रणनीति में इस घटक को शामिल करके यह लक्ष्य प्राप्त करने का प्रयास किया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के परिवर्तनकारी प्रभाव के माध्यम से ‘ग्रेटर गुड’ को बढ़ावा दिया जा सके। ‘ग्रेटर गुड’ का अर्थ यह है टिकट बुद्धिमत्ता के माध्यम से अधिक से अधिक अच्छा प्रभाव सुनिश्चित किया जा सके। इसके अंतर्गत जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और देश के एक बड़े हिस्से तक लोगों की पहुँच सुनिश्चित करना आदि शामिल हैं।
- नीति आयोग के अनुसार, ग्रेटर गुड संबंधी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस घटक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ते शहरीकरण की समस्या से निपटने के लिए भी किया जा सकता है। वास्तव में, शहरीकरण की तीव्र गति के कारण उस क्षेत्र में निवास करने वाली आबादी की माँगें भी तेज गति से बढ़ती हैं। ऐसे में, उनकी माँगों को पूरा करने के लिए स्मार्ट सिटी के विकास को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से साकार किया जा सकेगा तथा उन क्षेत्रों में आधारभूत ढाँचे के विकास को भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग के माध्यम से गति मिलेगी। इस प्रकार, अधिक से अधिक लोगों के जीवन को सुविधाजनक बनाने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा।
- नीति आयोग द्वारा घोषित किए गए ग्रेटर गुड से संबंधित कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस घटक का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र के सकारात्मक कायाकल्प के लिए भी किया जा सकता है। इसके अंतर्गत कृषकों को वास्तविक समय पर मौसम से संबंधित सलाह दी जा सकती है। इसके परिणाम स्वरूप किसान न सिर्फ अपनी फसल की उत्पादकता बढ़ाने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि मौसमी मार के कारण होने वाले फसल के अप्रत्याशित नुकसान से भी बच सकते हैं और अंततः अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं।
- इसके अलावा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग ऐसे अनेक मुद्दों को हल करने में भी किया जा सकता है, जो लोगों के जीवन स्तर में सुधार ला सकते हैं। इन मुद्दों के अंतर्गत देश में वित्तीय सेवाओं तक लोगों की प्रभावी पहुँच सुनिश्चित करना तथा देश के समावेशी विकास को बढ़ावा देना आदि शामिल है। इसके अंतर्गत देश की जनसंख्या के उस हिस्से को वित्तीय सेवाएँ प्रदान की जा सकती हैं, जो अभी तक इन वित्तीय सेवाओं से वंचित है। इस दिशा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
2. अवसर : भारत के लिए आर्थिक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता-
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए घोषित की गई अपनी राष्ट्रीय रणनीति में नीति आयोग ने इस घटक के अंतर्गत यह माना है कि भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी को आर्थिक विकास के लिए एक अवसर के रूप में लेना चाहिए। नीति आयोग के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के परिणाम स्वरूप पूंजी और श्रम जैसे उत्पादन के घटक अब भौतिक सीमाओं में बँधे नहीं रह सकेंगे।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से औद्योगिक क्षेत्र में भी नवाचारों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इसके माध्यम से न सिर्फ आर्थिक क्षेत्र की उत्पादकता में वृद्धि होगी, बल्कि इससे आर्थिक विकास को तेज करने सहायता मिलेगी। अपेक्षाकृत तीव्र गति से और अधिक मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन होने के परिणाम स्वरूप वस्तुओं के मूल्य कम होंगे और इससे अर्थव्यवस्था में माँग में वृद्धि होगी। इसके परिणाम स्वरूप देश के आर्थिक विकास का पहिया और तेज घूमने लगेगा, जिससे अंततः देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता के ये सकारात्मक परिणाम न सिर्फ वस्तुओं के उत्पादन से संबंधित औद्योगिक क्षेत्र में ही देखने को नहीं मिलेंगे, बल्कि सेवा क्षेत्र में भी इसका असर देखा जा सकेगा। इसके परिणाम स्वरूप सेवा क्षेत्र में सेवाओं की आपूर्ति में तो तेजी आएगी ही, साथ ही सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोगों और उसके आर्थिक प्रभाव के दृष्टिकोण से प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि वर्ष 2035 तक कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी भारत की विकास दर को लगभग 3% तक बढ़ा सकती है।
- इसके अलावा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके हम भारतीय अर्थव्यवस्था में मूल्यवृद्धि के न सिर्फ नए स्रोतों की तलाश कर सकेंगे, बल्कि आर्थिक विकास को भी गतिमान बना सकेंगे। इसके अंतर्गत ‘बुद्धिमत्ता पूर्ण स्वचालन’ (Intelligent Automation) का अनुकूलतम उपयोग किया जा सकेगा। इसके परिणाम स्वरूप विभिन्न भौतिक कार्यों को मशीनों के माध्यम से स्वचालित रूप में संपन्न किया जा सकेगा और अंततः इससे आर्थिक गतिविधियों की गति बहुत अधिक बढ़ जाएगी।
3. विश्व के 40% लोगों के लिए ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता गैराज’
- नीति आयोग अपने इस घटक के अंतर्गत यह स्पष्ट करता है कि भारत विश्व के विभिन्न उद्यमों और संस्थानों के लिए एक ऐसा आदर्श कार्यक्षेत्र सिद्ध हो सकता है, जहाँ पर वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से विभिन्न समस्याओं के ‘मापनीय समाधान’ (Scalable Solution) खोजे जा सकते हैं और इसके परिणाम स्वरूप विश्व की विभिन्न विकासशील और उभरती हुई अर्थव्यवस्था की अनेक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। नीति आयोग का यह मत है कि इस व्यवस्था के माध्यम से विश्व की लगभग उन सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है, जो विश्व के लगभग 40% लोगों को परेशान करती हैं।
- इस घटक के अनुसार, नीति आयोग का मानना है कि भारत में ऐसी आदर्श स्थितियाँ उपस्थित हैं, जिन के आलोक में हम विकासशील देशों की स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि इत्यादि से संबंधित अनेक समस्याओं का कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से समाधान खोज सकते हैं। यदि इस स्थिति को हम एक उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करें, तो ध्यान दें कि विश्व में ‘तपेदिक’ (TB) लोगों की मृत्यु होने के शीर्ष 10 कारणों में से एक है। भारत तपेदिक के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से अनुसंधान करने के दृष्टिकोण से एक बेहतरीन कार्य क्षेत्र साबित हो सकता है। ऐसे में, इसके परिणाम स्वरूप प्राप्त होने वाले तपेदिक के समाधान से संबंधित उपाय विश्व के उन विकासशील देशों में भी लागू किए जा सकते हैं, जो तपेदिक के कारण बहुत अधिक परेशानी का सामना कर रहे हैं। इन देशों में पूर्वी एशियाई देश और अफ्रीकी देश महत्वपूर्ण हैं।
- इसके अलावा, एक अन्य उदाहरण भी अगर देखें तो यह स्पष्ट है कि भारत में कृषि से संबंधित विभिन्न जलवायु क्षेत्र उपस्थित हैं। ऐसी स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र से संबंधित जलवायु परिवर्तन जनित उन कारकों के अनुसंधान को भी बढ़ावा दिया जा सकता है, जो कृषि को क्षति पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। फिर इन अनुसंधानों से प्राप्त होने वाले परिणामों को ऐसे विकासशील देशों में भी लागू किया जा सकेगा जहाँ की कृषि जलवायु भारत की कृषि जलवायु से समानता रखती है। इस अभ्यास के माध्यम से उन विकासशील देशों के कृषि क्षेत्र की रक्षा भी की जा सकेगी।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए राष्ट्रीय रणनीति के अंतर्गत नीति आयोग द्वारा चयनित क्षेत्र
- नीति आयोग ने अपनी इस राष्ट्र की रणनीति के अंतर्गत पाँच ऐसे क्षेत्रों का चयन किया है, जिनमें विकास की सबसे अधिक संभावनाएँ हैं। इन क्षेत्रों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से विकसित करने में प्राथमिकता दी जाएगी। नीति आयोग अपनी इस रणनीति के तहत इन पांच क्षेत्रों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोगों की दृष्टि से सबसे अधिक ध्यान केंद्रित करेगा। उसके अनुसार, ये ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें न सिर्फ लोगों के जीवन स्तर और उसकी गुणवत्ता में सुधार लाने की क्षमता है, बल्कि ये देश के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- नीति आयोग द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए घोषित की गई राष्ट्रीय रणनीति के अंतर्गत शामिल पाँचों क्षेत्र इस प्रकार हैं- शिक्षा और कौशल क्षेत्र; कृषि क्षेत्र; स्वास्थ्य क्षेत्र; स्मार्ट मोबिलिटी और परिवहन; स्मार्ट सिटी और बुनियादी ढाँचा।
भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने से संबंधित अन्य पहलें
- नीति आयोग ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ मिलकर ‘सामाजिक सशक्तीकरण के लिये ज़िम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता 2020’ (RAISE 2020) नामक एक मेगा वर्चुअल समिट का आयोजन किया था। इसका उद्देश्य भारत में सामाजिक सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के उपयोग को अधिक से अधिक बढ़ावा देना था और इस क्षेत्र में विभिन्न उपाय खोजना था।
- इसके अलावा, भारत में ‘युवाओं के लिये जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यक्रम’ का भी शुभारंभ किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के ग्रामीण शहरी तथा दूर सुदूर के क्षेत्रों में निवास करने वाले समस्त भारतीय युवाओं को ऐसे अवसर प्रदान करना है, ताकि वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश के आर्थिक और सामाजिक मसलों को हल करने के लिए आगे आ सकें तथा उनके समाधान के लिए बेहतर सुझाव दे सकें। सामान्य शब्दों में कहा जा सकता है कि ‘युवाओं के लिए जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यक्रम’ का मुख्य उद्देश्य युवाओं को कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना है तथा भारत के युवाओं की देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में भागीदारी को बढ़ावा देना है।
- इसके अलावा, भारत सरकार ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलकर एक ‘यूएस इंडिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहल’ (USIAI) का शुभारंभ किया है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित संबंधों को बढ़ावा देना है।
- हाल ही में, भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षरित किया है। इस हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन का उद्देश्य एकलव्य मॉडल वाले आवासीय विद्यालयों (EMRS) और आश्रम विद्यालयों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से डिजिटल परिवर्तन लाना है।
- वर्ष 2020 में, भारत एक विश्व स्तरीय समूह ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी’ (GPAI) में शामिल हुआ था। इसमें शामिल होने के साथ ही भारत इस विश्व स्तरीय भागीदारी समूह का संस्थापक सदस्य भी बन गया था। इस समूह का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से जिम्मेदार तरीके से मानव-केंद्रित विकास को प्रोत्साहित करना तथा उसके उपयोग को बढ़ावा देना है।
- भारत के ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) द्वारा एक ‘दक्ष’ (Daksh) नामक रोबोट तैयार किया गया है। यह रोबोट मानव जीवन के लिए घातक सिद्ध होने वाली वस्तुओं को नष्ट करने में सक्षम है। इसके माध्यम से संवेदनशील क्षेत्रों में कार्य कर रहे सुरक्षाबलों के जीवन को बचाया जा सकेगा तथा इसके माध्यम से उनकी कार्य क्षमता का विकास भी किया जा सकेगा।
- कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित ‘भारतीय विज्ञान संस्थान’ (IISc) के शोधकर्ताओं ने एक ‘कृत्रिम पत्ती’ (Artificial Leaf) का विकास किया है। यह पत्ती प्राकृतिक पत्ती की तुलना में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की अधिक क्षमता रखती है। यह कृत्रिम पत्ती कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की दृष्टिकोण से प्राकृतिक पत्ती की तुलना में 100 गुना अधिक दक्ष है। इसके परिणाम स्वरूप हरित गृह प्रभाव को कम करने की दिशा में हमें मदद मिलेगी और इससे पृथ्वी के निरंतर बढ़ते हुए तापमान को नियंत्रित करने में भी हमें सहायता मिलेगी।
- भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने हाल ही में एक सर्प रोबोट का भी निर्माण किया है। इस सर्प रोबोट के निर्माण का उद्देश्य आपदाओं के दौरान बचाव दलों को सहायता प्रदान करना है। इसके माध्यम से बचाव दल आपदा से ग्रस्त क्षेत्रों में ऐसे सँकरे स्थानों की भी जाँच पड़ताल कर सकेंगे, जहाँ तक सामान्यतः उन्हें पहुँचने में अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में, सँकरे क्षेत्रों में आपदा के कारण फँसे हुए लोगों की जान बचाने में यह रोबोट बहुत अधिक प्रभावी सिद्ध होगा।
- भारतीय रेलवे की एक शाखा ‘इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन’ (IRCTC) लिमिटेड ने एक ‘आस्कदिशा’ (ASKDISHA) नामक चैटबॉट का विकास किया है। यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी पर आधारित एक चैटबॉट है। इस चैटबॉट के माध्यम से रेलवे से कोई सुविधा प्राप्त करने वाला ग्राहक बोल कर अथवा लिख कर अपने प्रश्न पूछ सकता है। ग्राहक द्वारा पूछे गए प्रश्न का विश्लेषण करके यह चैटबॉट अपने आप ही ग्राहक के प्रश्नों का उत्तर देता है और उनकी समस्या का समाधान करता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी और भारत
- विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या निवास करती है। ऐसी स्थिति में, भारत में न सिर्फ समस्याओं की मात्रा और उनकी जटिलता अधिक है, बल्कि उनके समाधान की भी अपार संभावनाएँ मौजूद हैं। इसलिए भारत की इन तमाम समस्याओं के समाधान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अतः विशेषज्ञों का मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास के दृष्टिकोण से भारत एक आदर्श कार्यक्षेत्र सिद्ध हो सकता है। इसलिए भारत सरकार को इस क्षेत्र में अधिक से अधिक अनुसंधान को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए।
- नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के आधार पर भारत की संभावनाओं का विश्लेषण के आधार पर यह स्पष्ट किया कि यदि भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जाता है, तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी 2035 ईस्वी तक भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर का मूल्य वर्द्धन करने में सफल सिद्ध होगी।
- इस सर्वे के आधार पर स्पष्ट किया गया कि बेशक भारत में अभी भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के विकास की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं, लेकिन वर्तमान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के विकास के दृष्टिकोण से भारत विश्व के शीर्ष 5 देशों में शामिल है।
- इसके अलावा, एक रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि यदि भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का अनुकूलतम उपयोग किया जाता है, तो वर्ष 2035 तक ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी जनित गतिविधियाँ’ भारत की आर्थिक संवृद्धि में लगभग 3 प्रतिशत का योगदान दे सकती हैं।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के विकास में भारत के समक्ष चुनौतियाँ
- सबसे पहले तो भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देने में यह समस्या उत्पन्न होती है कि अभी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की इस शाखा के विषय में लोगों की अधिक समझ विकसित नहीं हुई है। ऐसे में, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी की निहित संभावनाओं पर कार्य करना अपेक्षाकृत जटिल सिद्ध होगा।
- इसके अलावा, एक सबसे बड़ी कमी निवेश से संबंधित भी है क्योंकि भारत में अभी निवेश की घरेलू परिस्थितियों बेहतर नहीं हैं। ऐसे में, इस क्षेत्र में विदेशी निवेश पर ही अभी हमारी निर्भरता बनी हुई है। इसलिए इस क्षेत्र में उपस्थित संभावनाओं का अनुकूल तरीके से दोहन करने के लिए हमें अत्यधिक विदेशी निवेश की आवश्यकता होगी। इसके बाद ही हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निहित व्यापक संभावनाओं का अधिक से अधिक दोहन करने में सक्षम हो सकेंगे और अपने राष्ट्रीय विकास और सामाजिक उत्थान में इसका योगदान सुनिश्चित कर सकेंगे।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से होने वाले लाभ
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी माध्यम से चिकित्सा क्षेत्र में बहुत अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इसके तहत जटिल ऑपरेशन करने में मानव की तुलना में मशीन कहीं अधिक क्षमता पूर्ण सिद्ध हो सकती है। इसके अलावा, ऐसे सुदूर दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ पर बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध नहीं है, वहाँ तक भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएँ सुनिश्चित कराई जा सकती हैं।
- विनिर्माण उद्योग में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का उपयोग बहुत अधिक लाभदायक सिद्ध हो सकता है। विनिर्माण उद्योग में तैनात की जाने वाली मशीनें यदि कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से परिपूर्ण होती हैं, तो उनसे न सिर्फ गलतियाँ होने की संभावना शून्य हो जाती हैं, बल्कि वे अपेक्षाकृत अधिक लंबे समय तक भी कार्य कर सकती हैं। इसके परिणाम स्वरूप कंपनी के विनिर्माण खर्च में कमी आती है और वस्तुओं के उत्पादन में भी अपेक्षाकृत कम लागत आती है इससे वस्तुओं का बाजार मूल्य गिर जाता है और महँगाई में कमी आती है।
- यदि कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का सुरक्षा के दृष्टिकोण से अवलोकन करें तो यह स्पष्ट होता है इस प्रौद्योगिकी का उपयोग न सिर्फ राष्ट्र की सुरक्षा को अधिक सुदृढ़ करने में किया जा सकता है, बल्कि इससे सैनिकों की जान के खतरे को भी कम किया जा सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का उपयोग संवेदनशील अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा करने में वर्तमान में भारत द्वारा किया जा रहा है। खतरनाक क्षेत्रों में रोबोट की तैनाती करके बिना किसी मानवीय क्षति के राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का प्रयोग वर्तमान में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी किया जा रहा है। इसके अंतर्गत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके वित्तीय लेन देन में होने वाली अनियमितताओं को कम किया जा सकता है, व्यापार प्रारूप में दुर्भावना से हस्तक्षेप करने वाले लोगों पर लगाम कसी जा सकती है। इसके अलावा, अन्य प्रकार की साइबर धोखाधड़ी पर भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से अंकुश लगाया जा सकता है।
- मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलापों के निष्पादन में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी आधारित रोबोट घरेलू व सार्वजनिक स्थलों की सफाई करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस तरह के कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी आधारित रोबोट के माध्यम से सफाई कार्य संपन्न कराए जाने के परिणाम स्वरूप इस कार्य में संलग्न मानवों की गरिमा का हनन होने से रोका जा सकता है तथा उन्हें अस्वस्थ होने से भी बचाया जा सकता है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का उपयोग विद्युत क्षेत्र में भी किया जा सकता है। इसका उपयोग बिजली के तार बिछाने के लिए, किसी क्षतिग्रस्त विद्युत के परिपथ को फिर से दुरुस्त करने के लिए और अन्य विद्युत से संबंधित कार्य संपन्न करने में किया जा सकता है। इस प्रकार से कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी आधारित उपकरणों का उपयोग करने के कारण मानव के समक्ष उत्पन्न होने वाले विद्युत जनित खतरे को टाला जा सकता है और मानव के जीवन की रक्षा की जा सकती है।
- इसके अलावा, खनन और अन्वेषण के क्षेत्र में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का शानदार उपयोग किया जा सकता है। इस क्षेत्र में गहरी खदानों में मानव को भेजने के बजाय कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित रोबोट को भेजा जा सकता है। जिसके परिणाम स्वरूप न सिर्फ मानव के जीवन की रक्षा की जा सकती है और मानव को होने वाली किसी क्षति से बचाया जा सकता है, बल्कि उस क्षेत्र का सटीक आकलन भी किया जा सकता है।
- परिवहन के क्षेत्र में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का बेहद प्रभावी उपयोग किया जा सकता है। वर्तमान में चालक रहित वाहन के निर्माण की चर्चा वैश्विक स्तर पर चल रही है और कुछ कंपनियों ने तो चालक रहित वाहनों का निर्माण भी कर दिया है। ये चालक रहित वाहन पूरी तरह से कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से समर्थित होते हैं। इन वाहनों के विकास के परिणाम स्वरूप सड़क दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली मौतों की संख्या में कमी आएगी। इस दृष्टि से परिवहन के क्षेत्र में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना मानव सभ्यता के लिए बहुत अधिक लाभदायक सिद्ध होगा।
- इन सबके अतिरिक्त, ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों को सुलझाने में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी बहुत अधिक कारगर सिद्ध हो सकती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी आधारित ऐसे उपकरण को मानव ब्रह्मांड में ऐसे खगोलीय पिंडों तक भेज सकता है, जिनके विषय में वह जानकारी प्राप्त करना चाहता है। इन कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी आधारित मशीनों के माध्यम से मानव ब्रह्मांड के विभिन्न परीक्षणों के दौरान प्राप्त किए गए आँकड़ों का विश्लेषण भी कर सकता है और वह अंततः ब्रह्मांड की उत्पत्ति और इससे संबंधित विभिन्न रहस्यों के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने में सक्षम हो सकता है।
- कृषि क्षेत्र में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का उपयोग बहुत अधिक लाभदायक हो सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में फसलों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है तथा अन्य जीव-जंतुओं और कीट पतंगों से फसल की रक्षा की जा सकती है। इसके परिणाम स्वरूप न सिर्फ देश में खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, बल्कि कृषि निर्यात में भी वृद्धि दर्ज की जा सकती है।
- शिक्षा के क्षेत्र में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का उपयोग बहुत अधिक प्रभावित हो सकता है क्योंकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में जटिल विषयों को विभिन्न इंफोग्राफिक दृश्य चित्रों इत्यादि के द्वारा समझाना संभव हो सकेगा। इसके परिणाम स्वरूप न सिर्फ विद्यार्थियों के अधिगम परिणाम में सुधार आएगा, बल्कि वे देश की विकास यात्रा में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकेंगे।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से होने वाली हानियाँ
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए बहुत अधिक मात्रा में डाटा की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में, यदि डाटा की कमी होती है, तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का अनुकूलता उपयोग किया जाना बहुत अधिक जटिल कार्य हो जाएगा।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी पर आधारित उपकरण निरंतर और जटिल कार्य करने के कारण अत्यधिक गर्म हो जाते हैं, ऐसी स्थिति में उन्हें ठंडा करने की आवश्यकता होती है। एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियाँ अपने कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी आधारित उपकरणों को ठंडा करने के लिए अपने कुल ऊर्जा उपभोग का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा इन उपकरणों को ठंडा करने में ही लगा देती है। इससे उन कंपनियों की लागत में वृद्धि हो जाती है और वह कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी आधारित उपकरणों का उपयोग अत्यधिक सोच समझ कर करती हैं। वर्तमान में कुछ कंपनियाँ तो इस समस्या से निजात पाने के लिए अपने डाटा सेंटर का स्थानांतरण साइबेरिया जैसे ठंडे प्रदेशों में कर रही है ताकि उन्हें उपकरणों को ठंडा करने के लिए अनावश्यक ऊर्जा खर्च न उठाना पड़े।
- हाल ही में, डाटा स्थानीयकरण का मुद्दा अत्यधिक चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके संबंध में भारतीय संसद कानून निर्माण की दिशा में भी आगे बढ़ रही है। वस्तुतः डाटा स्थानीयकरण का अर्थ यह होता है कि विभिन्न विदेशी कंपनियों को अपने डेटा से संबंधित सर्वर भारत में ही स्थापित करने पड़ेंगे और उन डाटा सेंटर्स को नियंत्रित करने में न सिर्फ उन्हें कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी आधारित उपकरणों की आवश्यकता होगी बल्कि उन्हें ठंडा करने के लिए भारी मात्रा में ऊर्जा उपभोग की भी आवश्यकता होगी और इसका सारा खर्च उन कंपनियों को ही उठाना पड़ेगा ऐसे में यह कंपनियाँ भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश करने से कतरा रही हैं।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी पर आधारित इन विशाल उपकरणों को ठंडा करने के लिए जो शीतलक प्रयोग में लाए जाते हैं, उनसे विभिन्न प्रकार के खतरनाक रसायन भी उत्पन्न होते हैं। जिसके कारण विभिन्न पर्यावरणीय प्रभाव देखे जा सकते हैं। इसके परिणाम स्वरूप कार्बन फुटप्रिंट में भी वृद्धि होती है, जो कि पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल नहीं कहा जा सकता है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में विकसित देश अधिक सक्षम है। इसीलिए इस प्रौद्योगिकी माध्यम से विकसित देश और अधिक तीव्र गति से विकास की अवस्था को प्राप्त कर रहे हैं। जबकि विकासशील और अल्प विकसित देश इस होड़ में पिछड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी विश्व की पारस्परिक विकास अवस्था तथा आर्थिक स्थिति में और अधिक अंतराल पैदा कर रही है। इसका अर्थ है कि अमीर देश और अधिक अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीब देश और अधिक गरीब होते जा रहे हैं। यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का एक नकारात्मक पहलू है।
- वैश्विक स्तर पर इस कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का उपयोग करने से लोगों की निजता का हनन भी होता है क्योंकि इसके माध्यम से विभिन्न कंपनियाँ जो डाटा इकट्ठा कर रही हैं, उसका कोई भरोसा नहीं है कि वे उस डाटा का इस्तेमाल अपने कौन से हितों को पूरा करने में करेंगी। इसके अलावा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से साइबर हमलों तथा साइबर धोखाधड़ी की संभावनाएँ भी बढ़ी हैं। ऐसी स्थिति में, व्यक्ति की निजता का अधिकार सुनिश्चित किया जाना अत्यंत जटिल कार्य हो गया है।
निष्कर्ष
- ऊपर किए गए विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी में छिपी हुई संभावनाएँ उनके द्वारा उत्पन्न की जाने वाली चुनौतियों की तुलना में कहीं अधिक सकारात्मक प्रभाव रखती हैं। इसीलिए विश्व के समस्त समुदायों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी को और अधिक बढ़ावा देने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए तथा इस प्रौद्योगिकी के माध्यम से वैश्विक भलाई और मानवीय भलाई की तरफ अग्रसर होना चाहिए। इस क्षेत्र में उपस्थित के चुनौतियों को क्रमिक रूप से समाप्त करने और उनके अधिक से अधिक मानव उपयोग की दिशा में काम करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।
- विशेष रूप से भारत के दृष्टिकोण से देखें तो भारत ने अभी तक इस दिशा में काफी सराहनीय कार्य किया है और वह निरंतर कर भी रहा है। भारत को इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास पर अपने खर्च को बढ़ाना चाहिए। तभी इस प्रौद्योगिकी के वास्तविक लाभ हासिल किए जा सकेंगे। इस प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक इस्तेमाल के माध्यम से भारत अपने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेगा तथा अपने देश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा।
इस प्रकार, हमने कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से संबंधित विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास किया और विशेष रूप से इस प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत में किए गए अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित किया। हमने इस आलेख को लिखते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखा है कि इस आलेख को पढ़ने के बाद ‘संघ लोक सेवा आयोग’ (UPSC) द्वारा आयोजित की जाने वाली ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ (IAS) की परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी इस आलेख से लाभ प्राप्त कर सकें। इस आलेख के अंतर्गत हमने भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से संबंधित विभिन्न पहलुओं को शामिल करने का प्रयास किया है और यह कोशिश की है कि इस टॉपिक से संबंधित परीक्षा के किसी भी चरण में आने वाले प्रश्न को आप हल करने की स्थिति में रहेंगे। हमें उम्मीद है कि आई एस की परीक्षा की तैयारी करने वाले प्रत्येक अभ्यर्थी के लिए यह आलेख बहुत अधिक उपयोगी सिद्ध होगा।
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