Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

क्रिप्स मिशन

द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। ऐसी स्थिति में भारतीयों का समर्थन प्राप्त करने के लिए मार्च 1942 में सर स्टैफोर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में एक मिशन भारत भेजा गया था। यह मिशन भारतीय राजव्यवस्था में कुछ संविधानिक सुधार करने के प्रस्ताव लेकर भारत आया था। इसके अध्यक्ष स्टैफोर्ड क्रिप्स होने के कारण इस मिशन को ‘क्रिप्स मिशन’ के नाम से जाना जाता है।

सर स्टैफोर्ड क्रिप्स ब्रिटेन के एक वामपंथी नेता थे। वे तत्कालीन हाउस ऑफ कॉमन्स के नेता थे। स्टैफोर्ड क्रिप्स तत्कालीन ब्रिटिश प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल के युद्ध मंत्रिमंडल में मंत्री भी थे। इन्होंने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन का सक्रिय समर्थन किया था।

IAS हिंदी से जुड़े हर अपडेट के बारे में लिंक किए गए लेख में जानें।

Explore The Ultimate Guide to IAS Exam Preparation

Download The E-Book Now!

Download Now! Download Now

क्रिप्स मिशन भारत क्यों भेजा गया?

  • वर्ष 1939 से 1945 के बीच द्वितीय विश्व युद्ध लड़ा गया था। इस दौरान भारत पर ब्रिटेन का शासन था और ब्रिटेन दक्षिण-पूर्व एशिया में पराजित हो रहा था। इसके अलावा, भारत पर जापान के आक्रमण का खतरा निरंतर बढ़ता जा रहा था। जापान भारत की पूर्वी सीमा पर दस्तक दे रहा था। ऐसे में, ब्रिटेन के लिए यह आवश्यक हो गया था कि वह जल्द से जल्द भारतीयों का समर्थन प्राप्त करे।
  • दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका, रूस, चीन जैसे मित्र राष्ट्रों द्वारा ब्रिटेन पर निरंतर यह दबाव बनाया जा रहा था कि वह यथाशीघ्र भारत का सहयोग प्राप्त करे।
  • भारतीय राष्ट्रवादियों का मत था कि यदि युद्ध के उपरांत भारतीयों को पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की जाए तो वे मित्र राष्ट्रों का समर्थन करने के लिए तैयार हो जाएँगे। ऐसी स्थिति में, ब्रिटेन के लिए यह आवश्यक हो गया था कि वे भारतीयों की माँग पर विचार करने के लिए जल्द से जल्द कोई कदम उठाए और भारत का सहयोग प्राप्त करे।

युद्ध में ब्रिटेन का सहयोग करने पर विभिन्न मत

  • दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन का समर्थन करने या नहीं करने के मुद्दे पर भी भारत के विभिन्न नेताओं अलग-अलग राय रखते थे। इस मुद्दे पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भी दो धड़े बन गए थे। महात्मा गांधी युद्ध में ब्रिटेन का साथ नहीं देने के पक्ष में थे। उनका मानना था कि युद्ध नैतिक रूप से सही नहीं होता है और उन्हें ब्रिटेन की मंशा पर भी शक था। इसीलिए वे युद्ध में ब्रिटेन का सहयोग नहीं करना चाहते थे।
  • सरदार बल्लभ भाई पटेल, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, मोहम्मद अली जिन्ना जैसे नेताओं ने युद्ध में ब्रिटेन का सहयोग करने की वकालत की थी और उनका मानना था कि इस संकट की घड़ी में ब्रिटेन का सहयोग करना चाहिए।
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अंग्रेजों से तत्काल पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करने की बात कही थी। मोहम्मद अली जिन्ना ने कांग्रेस के इस मत का तीखा विरोध किया था और पृथक पाकिस्तान के मुद्दे का पुरजोर समर्थन किया था।

क्रिप्स मिशन के मुख्य प्रावधान

  • इसके अंतर्गत कहा गया युद्ध के बाद भारत को डोमिनियन स्टेटस प्रदान किया जाएगा और भारत किसी भी घरेलू या बाहरी सत्ता के अधीन नहीं रहेगा। भारत अपनी इच्छा के अनुसार ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से संबंध विच्छेद भी कर सकेगा।
  • युद्ध के उपरांत प्रभुत्व स्थिति वाला भारतीय संघ स्थापित किया जाएगा। यह संघ राष्ट्रमंडल, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ अपने संबंध स्थापित करने के लिए स्वतंत्र होगा।
  • युद्ध के बाद एक संविधान निर्मात्री सभा गठित की जाएगी। इसके सदस्य अंशतः प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व द्वारा निर्वाचित होंगे और अंशतः रियासतों द्वारा मनोनीत होंगे।
  • यदि कोई प्रांत या देसी रियासत संघ में शामिल होने का इच्छुक नहीं होगा, तो उसे अपना अलग संविधान बनाने की अनुमति होगी।
  • ब्रिटिश सरकार संविधान बनाने वाले निकाय को सत्ता हस्तांतरित करते समय इस बात का ध्यान रखेगी कि उस संविधान में नस्लीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हों।
  • इस दौरान भारत की रक्षा की जिम्मेदारी ब्रिटिश सरकार की रहेगी और गवर्नर जनरल की शक्तियाँ यथावत बनी रहेंगी।

क्रिप्स मिशन का मूल्यांकन

  • इस मिशन के माध्यम से एक ऐसी संविधान सभा के निर्माण की बात कही गई थी जो पूरी तरह से भारतीयों द्वारा निर्मित होनी थी। इससे पूर्व अगस्त प्रस्ताव में जिस संविधान सभा के निर्माण की बात कही गई थी वह पूरी तरह से भारतीयों से निर्मित नहीं थी।
  • क्रिप्स मिशन के माध्यम से संविधान सभा के गठन की एक ठोस योजना प्रस्तुत की गई थी।
  • संविधान सभा का हिस्सा नहीं बनने की इच्छा रखने वाले प्रांत या देशी रियासत के लिए अलग संविधान बनाने का जो प्रावधान किया गया था, वह असल में, भारत के विभाजन का एक प्रयास था।
  • इसके अंतर्गत भारत को अपनी इच्छा से राष्ट्रमंडल का सदस्य बनने या नहीं बनने का विकल्प दिया गया था।
  • यह मिशन भारत के विभिन्न वर्गों की आकांक्षाओं को पूर्ण नहीं कर सका था और अंततः यह मिशन विफल हो गया था।
  • इस मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी सहित भारत के समस्त राष्ट्रवादी नेताओं को इस बात का आभास हो गया था कि अंग्रेज अभी भी वास्तविक रूप में भारत को सत्ता हस्तांतरित करने के पक्ष में नहीं है और वे सिर्फ लीपापोती करने की ही मंशा रखते हैं। इसी पृष्ठभूमि के आलोक में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने की योजना बनाई और अंततः वर्ष 1942 में ही भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ हो गया था।

कांग्रेस की आपत्ति

  • चूँकि क्रिप्स मिशन के अंतर्गत पूर्ण स्वतंत्रता के स्थान पर डोमिनियन स्टेटस प्रदान करने का प्रावधान किया गया था, इसलिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने क्रिप्स मिशन को अस्वीकार कर दिया था। इसके अलावा भारतीय संघ में शामिल न होने वाले राज्यों को पृथक संविधान बनाने का अधिकार भी दिया गया था इसके कारण भी कांग्रेस ने क्रिप्स मिशन को स्वीकृति प्रदान नहीं की थी।
  • महात्मा गांधी ने तो क्रिप्स मिशन को एक ‘उत्तर दिनांकित चेक’ तक कह दिया था। क्रिप्स मिशन के प्रावधानों पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस की तरफ से जवाहर लाल नेहरू और मौलाना अबुल कलाम आजाद को आधिकारिक तौर पर भेजा गया था।

मुस्लिम लीग की आपत्ति

  • मुस्लिम लीग ने एक भारतीय संघ बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और उसने मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में खुलकर पृथक पाकिस्तान बनाने की बात कही थी। क्रिप्स मिशन में भारत के विभाजन का स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण मुस्लिम लीग ने भी इसे अस्वीकार कर दिया था।

सम्बंधित लिंक्स:

Indus Valley Civilization in Hindi

Quit India Movement in Hindi

Ayushman Bharat Diwas in Hindi

Calling Attention Motion in Hindi

IAS Interview Questions with Answers in Hindi

CSAT Book for UPSC in Hindi