क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है । इसे “वर्चुअल करेंसी” भी कहते हैं । वास्तव में यह बाइनरी डेटा का एक सेट है । क्रिप्टो करेंसी शब्द 2 शब्दों से मिलकर बना है, “Crypto” जो कि लैटिन भाषा का एक शब्द है और “Currency” जिसका मतलब होता है मुद्रा । ‘क्रिप्टो’ का शाब्दिक अर्थ होता है “छुपा” हुआ । आमतौर पर दुनिया की सभी मुद्रा / करेंसी किसी न किसी देश की तरफ से जारी होती है, और देश की केन्द्रीय सरकारें अपने बैंकों की मदद से उन्हें नियंत्रित भी करती हैं । लेकिन क्रिप्टो करेंसी पर किसी देश की सरकार या बैंक का कोई नियंत्रण नहीं होता और न ही कोई संस्था क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) की कीमत तय कर सकती है । इस मुद्रा को पूरी तरह बाज़ार नियंत्रित करता है । यह एक काल्पनिक या आभासी मुद्रा है और इस मुद्रा के जरिए ऑनलाइन लेनदेन ही हो सकता है । यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में हमारी जेब में नहीं हो सकता । बिटकॉइन (bitcoin), ईथर, लिटकोइन (LTC), डॉगकॉइन (Dogecoin) फेयरकॉइन (FAIR), डैश (DASH), पीरकॉइन (PPC), रिपल (XRP) लाइटकॉइन, शिब (आई.एन.यू) और मोनेरो कुछ लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) हैं । इस लेख में हम क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े विभिन्न पहलुओं की चर्चा करेंगे । पाठक लिंक किए गए लेख में आईएएस हिंदी के बारे में जानकारी पा सकते हैं ।
नोट : यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे UPSC Prelims Syllabus in Hindi का अच्छी तरह से अध्ययन कर लें, और इसके बाद ही अपनी तैयारी की योजना बनाएं।
ब्लॉकचेन क्या है ?
ब्लॉकचेन एक प्रकार का डिजिटल सार्वजनिक “बही -खाता” होता है । इसी डिजिटल बही खाते के जरिए क्रिप्टो करेंसी का क्रय- विक्रय व संचालन होता है । क्रिप्टो करेंसी के प्रत्येक लेन -देन को इस सार्वजनिक बही खाते में रिकॉर्ड किया जाता है । ब्लॉकचेन तकनीक की यह विशेषता है कि यहां पर एक बार कोई लेन-देन दर्ज हो जाने के बाद इसे न तो यहां से हटाया जा सकता है और न ही इसमें कोई बदलाव किया जा सकता है । ब्लॉकचेन तकनीक को सॉफ़्टवेयर के ज़रिए इस्तेमाल किया जाता है । ब्लॉकचेन विनिमय की संपूर्ण जानकारी को एक स्थान पर सुरक्षित करने के बजाय कई कंप्यूटरों में एक साथ संरक्षित किया जाता है जिस तक किसी को भी पहुँच मिल सकती है । इसके माध्यम से लेन- देन में प्रयुक्त की गई डिजिटल मुद्रा इनक्रिप्टेड यानी कोडेड होती हैं जिसे एक डिसेंट्रेलाइज्ड (विकेंद्रीकृत) सिस्टम के जरिए मैनेज किया जाता है , अर्थात इसपर किसी सरकार या संस्था का नहीं बल्कि बाज़ार का नियंत्रण होता है । इसके जरिए की गई मुद्रा की खरीद- बिक्री को क्रिप्टो माइनिंग (Crypto- Mining) कहा जाता है क्योंकि हर जानकारी का एक डिजिटल डेटाबेस तैयार करना पड़ता है । जिनके द्वारा यह माइनिंग की जाती है, उन्हें ‘माइनर्स’ कहा जाता है। आज क्रिप्टो करेंसी का क्रय- विक्रय करना बहुत ही आसान हो गया है । कई ऐसे ऐप्प (applications) हैं जिनके जरीय क्रिप्टो करेंसी का क्रय- विक्रय किया जा सकता है ।
भारत का रुख
भारत सहित दुनिया के कई देशों की सरकारें क्रिप्टो करेंसी को शक़ की निगाहों से देखती हैं और इसे पारंपरिक करेंसी व यहाँ तक कि सरकारी प्रभुसत्ता के लिए एक ख़तरा भी मानती हैं । भारत की सरकार ने वर्ष 2017 में इस मुद्दे पर एक समिति का गठन किया था । इस समिति ने क्रिप्टो करेंसी पर पाबंदी लगाने का प्रस्ताव दिया था । समिति के सुझावों के आधार पर 2019 में वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा क्रिप्टो करेंसी प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक (Banning of Cryptocurrency & Regulation of Official Digital Currency Bill – 2019) 2019 प्रस्तुत किया गया । इस विधेयक के अनुसार, देश में सभी प्रकार की क्रिप्टो करेंसी का व्यापार व उनका संचयन प्रतिबंधित व गैर क़ानूनी होगा । क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार करने पर 10 वर्ष तक की सज़ा और जुर्माना/आर्थिक दंड (आर्थिक दंड के रूप में दोषी व्यक्ति द्वारा अर्जित लाभ या वित्तीय गड़बड़ी से हुई क्षति का तीन गुना (25 करोड़ रुपए तक) जुर्माना लगाया जा सकता है । इसके बाद भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भी बैंकों को क्रिप्टो करेंसी के लेन-देन से प्रतिबंधित कर दिया था । लेकिन RBI के उस आदेश को 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया गया था । वर्तमान स्थिति यह है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लेन देन पर कोई सरकारी प्रतिबंध नहीं है । हालाँकि वर्तमान में भारत में क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने वाला कोई विधान नहीं है । केंद्रीय बजट 2022- 2023 में आने वाले वित्तीय वर्ष में एक क्रिप्टो करेंसी पेश करने का प्रस्ताव है और सभी प्रकार के निजी क्रिप्टो करेंसी को प्रतिबंधित कर भारत सरकार की तरफ से एक RBI – समर्थित एक क्रिप्टो करेंसी लाए जाने की योजना है । बजट 2022 में यह प्रावधान भी किया गया कि किसी भी तरह के “वर्चुअल/ डिजिटल एसेट” के लेन -देन से होने वाली आय पर 30 प्रति शत का आय कर लगाया जाएगा । ऐसे वर्चुअल डिजिटल एसेट को ट्रांसफ़र (trading) करने पर भी 1 प्रति शत टी.डी.एस का भुगतान करना होगा । यहाँ तक कि गिफ़्ट में वर्चुअल करेंसी लेने वाले व्यक्ति को भी टैक्स का भुगतान करना होगा ।
कई देश अब क्रिप्टोकरेंसी से परिचित हैं । उनमें से, अल सल्वाडोर एक ऐसा देश है जिसने मुद्रा के रूप में क्रिप्टोकरेंसी को अपनाया है । अल साल्वाडोर में, क्रिप्टोकुरेंसी का उपयोग लेनदेन आइटम के रूप में भी किया जाता है । हाल के दिनों में, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि के कुछ विश्वविद्यालयों ने अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर शिक्षा शुल्क के रूप में क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार किया है ।
क्रिप्टो करेंसी के फायदे व नुकसान
क्रिप्टो करेंसी के अपने फायदे -नुकसान हैं ! जैसा की हम समझ चुके हैं , क्रिप्टोकरेंसी के लेन- देन के लिए बैंक या किसी अन्य मध्यस्थ संस्था की भूमिका की आवश्यकता नहीं होती है, अतः इसके माध्यम से किया गया विनिमय सस्ता (क्योंकि इस पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लगता) व तीव्र होता है । क्रिप्टोकरेंसी के लेन- देन के लिए किसी भी प्रकार के पहचान- पत्र आदि डॉक्यूमेंटेशन की आवश्यकता नहीं होती है, अतः क्रिप्टोकरेंसी का लेन-देन हर व्यक्ति के लिए सुगम है । क्रिप्टोकरेंसी का लेन-देन असीमित भी है , क्रिप्टो वॉलेट की मदद से किसी को भी, कितनी भी राशि का भुगतान किया जा सकता है , इसकी सीमा पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं है ।
हालाँकि क्रिप्टो करेंसी की कुछ मुश्किलें भी हैं, जिनमें कीमत में होने वाला उतार -चढ़ाव, ‘माइनिंग’ के लिए ऊर्जा/बिजली की ज्यादा खपत और इसका आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल है । लेकिन क्रिप्टो करेंसी को लेकर जो सबसे बड़ी चिंता है वो यह है कि अनियमित क्रिप्टो बाज़ार भविष्य में मनी लॉन्ड्रिंग और ‘टेरर फंडिंग’ के लिये एक सुगम मार्ग बन सकता है । इसका सबसे बड़ा कारण इसकी गोपनीयता है । किसी पहचान-पत्र /डॉक्यूमेंटेशन के अभाव में क्रिप्टो करेंसी के लेन -देन के दौरान लोगों की निजी -जानकारी गोपनीय रहती है, जिसका आसानी से गलत इस्तेमाल किया जा सकता है । मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के अतिरिक्त क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कुछ लोगों द्वारा अपनी आय के स्रोत को छिपाने के लिए, अवैध रूप से धन प्राप्त करने के लिए , व यहाँ तक कि ऑनलाइन मादक पदार्थों/ड्रग्स की खरीद- बिक्री के लिए भी किया जा सकता है।
साथ ही, एक बार क्रिप्टो करेंसी की कीमत बढ़ जाने पर उन्हें ‘हैकरों’ (साइबर अपराधियों) से बचा पाना भी बहुत मुश्किल हो जाता है । चूँकि ये ऑनलाइन होते हैं अतः इनकी साइबर सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है । क्रिप्टो करेंसी को बैंक जैसी कोई संस्था नियंत्रित नहीं करती अतः इसमें हमें किसी तरह की कोई गारंटी भी नहीं मिलती ! यदि कोई उपयोगकर्ता अपने क्रिप्टो वॉलेट की गोपनीय जानकारियां खो देता है या उसे कोई हैक कर लेता है , तो उसे वापस प्राप्त करना संभव नहीं । ऐसे में यूजर पर आर्थिक नुकसान का जोखिम हमेशा बना रहता है । क्रिप्टो करेंसी को हर देश ने अभी तक मान्यता नहीं प्रदान की है अतः यह हर जगह स्वीकार नहीं की जाती है, यह भी इसकी एक बड़ी कमी है । बिटकॉइन जैसे किसी क्रिप्टो करेंसी के उत्पादन की लागत, जिसके लिए बड़ी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है, इसके बाजार मूल्य से भी अधिक पाई गई है । क्रिप्टो करेंसी में लेन -देन के व्यवस्थित संचालन के लिये बड़ी संख्या में कंप्यूटरों का उपयोग किया जाता है, जो विशाल मात्रा में ऊर्जा की खपत करते हैं ।
अस्थिरता एक अन्य मुद्दा है जो इस मामले में उल्लेखनीय है । क्रिप्टोकरेंसी में अस्थिरता का खतरा अधिक होता है । क्रिप्टोक्यूरेंसी एक डिजिटल संपत्ति है । इसका मूल्य पूरी तरह से भरोसे पर निर्भर है । अर्थात क्रिप्टो करेंसी की कीमत का निर्धारण आपूर्ति और मांग के आधार पर होता है । अतः बाजार में होने वाले हर उतार चढाव का इस पर असर देखा जा सकता है । कुछ लोग तो यह मानते हैं की यह एक ऐसा बुलबुला है जो कभी भी फूट सकता है ।
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