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ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट (GHMP)

NTPC की सहायक कंपनी NTPC- REL (national thermal power corporation renewable energy limited) ने 2021 में भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन परिवहन परियोजना (Green Hydrogen Mobility Project) स्थापित करने के लिए केंद्र -शासित प्रदेश लेह- लद्दाख के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया । जुलाई 2022 में इस परियोजना की आधारशिला रखी गई । ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट लद्दाख में स्थापित होने वाली भारत की पहली राष्ट्रीय हाइड्रोजन परिवहन परियोजना होगी । इस लेख में हम इस विषय से जुड़े हर महत्वपूर्ण पहलु पर चर्चा करेंगे । हिंदी माध्यम में UPSC से जुड़े मार्गदर्शन के लिए अवश्य देखें हमारा हिंदी पेज  IAS हिंदी

नोट : यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे  UPSC Prelims Syllabus in Hindi का अच्छी तरह से अध्ययन कर लें, और इसके बाद ही  अपनी तैयारी की योजना बनाएं ।

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क्या है हरित हाइड्रोजन परिवहन परियोजना?

एनटीपीसी आरईएल ने क्षेत्र में देश की पहली राष्ट्रीय हाइड्रोजन गतिशीलता परियोजना स्थापित करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं । लेह में सोलर -ट्री और सोलर कारपोर्ट के रूप में एनटीपीसी के पहले सोलर इंस्टालेशन के उद्घाटन के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए ।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन गतिशीलता परियोजना प्रधान मंत्री के “कार्बन तटस्थ” लद्दाख के दृष्टिकोण के अनुरूप है । यह परियोजना एनटीपीसी को अक्षय स्रोतों और हरित हाइड्रोजन पर आधारित कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था विकसित करने में लद्दाख की मदद करने में सक्षम बनाएगी । कम कार्बन फूटप्रिंट प्राप्त करने की दिशा में हरित हाइड्रोजन परियोजना एक महत्वपूर्ण कदम है । नेशनल हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट के साथ शुरुआत करने के लिए, एनटीपीसी की इस क्षेत्र में पांच हाइड्रोजन बसों को चलाने की योजना है और लेह में एक सौर संयंत्र और एक हरित हाइड्रोजन उत्पादन इकाई स्थापित करेगा । इसके साथ ही लेह ग्रीन हाइड्रोजन आधारित मोबिलिटी प्रोजेक्ट लागू करने वाला देश का पहला शहर बन जाएगा । यह सही मायने में जीरो एमिशन मोबिलिटी होगा । यह परियोजना भारत के राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन – एनएचईएम की पृष्ठभूमि में आती है, जिसमें सरकार जीवाश्म इंधन पर देश की निर्भरता को कम करने की योजना के हिस्से के रूप में उर्वरक संयंत्रों और तेल रिफाइनरियों के लिए हरित हाइड्रोजन खरीदना अनिवार्य करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है । 

भारत के लिए अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (आईएनडीसी) लक्ष्यों को पूरा करने और क्षेत्रीय और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, पहुंच और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हरित हाइड्रोजन ऊर्जा महत्वपूर्ण है । अपने ऊर्जा संक्रमण प्रयासों को बढ़ाने के लिए, भारत बिजली को हरित बनाने के लिए कार्य योजना विकसित करके अर्थव्यवस्था के विद्युतीकरण की दिशा में काम कर रहा है । 

इस योजना का उल्ल्लेख बजट 2023-24 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,700 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है । इस मिशन के तहत अर्थव्यवस्था को कम कार्बन तीव्रता और हरित अर्थव्यवस्था में बदलने की सुविधा प्राप्त हो सकेगी । इस साल के बजट में हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य 2030 तक 50 लाख टन के वार्षिक उत्पादन तक पहुंचना रखा गया है । केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा ऊर्जा ट्रांजिशन और शुद्ध शून्य उद्देश्यों, और ऊर्जा सुरक्षा के लिए ₹35,000 करोड़ के प्राथमिकता वाले पूंजी निवेश के लिए बजट प्रदान किया गया है । वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारत 2070 तक शुद्ध जीरो कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ रहा  है ।

एनटीपीसी गतिशीलता, ऊर्जा, रसायन, उर्वरक, इस्पात आदि जैसे क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन-आधारित समाधानों के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है । एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (एनटीपीसी आरईएल) एनटीपीसी महारत्न पीएसयू की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी है । 2032 तक 60 GW अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लक्ष्य को संशोधित किया है, और पहले के लक्ष्य को लगभग दोगुना कर दिया है । एनटीपीसी ने विशाखापत्तनम में 10 मेगावाट की भारत की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर परियोजना शुरू की है । एनटीपीसी लिमिटेड ने पहले ही दो पायलट परियोजनाओं की स्थापना के लिए वैश्विक रुचि की अभिव्यक्ति जारी की है: एक स्टैंडअलोन फ्यूल-सेल आधारित बैकअप पावर सिस्टम और इलेक्ट्रोलाइज़र का उपयोग करके हाइड्रोजन उत्पादन के साथ एक माइक्रोग्रिड प्रणाली ।

ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?

हाइड्रोजन प्राकृतिक तौर पर पाया जाने वाला एक आम तत्व है । यह अन्य यौगिकों जैसे पानी (H2O), इत्यादि के साथ संयोजन में पृथ्वी पर मौजूद है । इन यौगिकों से हाइड्रोजन अणु के उत्पादन की प्रक्रिया इलक्ट्रोलिसिस कहलाती है । यह प्रक्रिया ऊर्जा लेती है । नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे हवा, या सौर ऊर्जा) का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विखंडित करके जिस हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है उसे ही ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है । ग्रीन हाइड्रोजन में काफी कम कार्बन उत्सर्जन होता है । ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग उन क्षेत्रों को डी- कार्बोनाइज करने के लिए किया जा सकता है जो विद्युतीकरण के लिए कठिन हैं (जैसे स्टील और सीमेंट उत्पादन) और इस प्रकार यह जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करता है ।

इस प्रकार हाइड्रोजन, जब अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा उत्पादित किया जाता है, तो इसे ग्रीन हाइड्रोजन के रूप में जाना जाता है। 

ग्रीन हाइड्रोजन एक इलेक्ट्रोलाइज़र का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके उत्पादित किया जाता है जो अक्षय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न बिजली द्वारा संचालित हो सकता है । ग्रीन हाइड्रोजन का कोई कार्बन फूट प्रिंट नहीं है । रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से हाइड्रोजन को मुक्त करने के लिए जीवाश्म ईंधन और बायोमास जैसे कार्बनिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है । ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग रसायन, लोहा, इस्पात, उर्वरक और शोधन, परिवहन, ताप और बिजली जैसे क्षेत्रों में होता है ।

ग्रीन हाइड्रोजन के लाभ

ग्रीन हाइड्रोजन को बिना किसी हानिकारक उत्सर्जन के निर्मित किया जा सकता है । इसके लिए पानी के इलेक्ट्रोलिसिस हेतु अक्षय ऊर्जा (जैसे सौर पैनलों से) का उपयोग किया जाता है । यह एक स्वच्छ, जलने वाला अणु है, जो लोहा और इस्पात, रसायन और परिवहन सहित कई क्षेत्रों को ‘डी- कार्बोनाइज’ कर सकता है । भविष्य में नवीकरणीय ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन एक ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है । हाइड्रोजन एक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है जो केवल जल वाष्प का उत्सर्जन करता है और कोयले और तेल के विपरीत हवा में कोई अवशेष नहीं छोड़ता है । ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग लंबी दूरी तक परिवहन के लिए किया जा सकता है जैसे रेलवे, बड़े जहाजों, बसों या ट्रकों आदि में ।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • 2022 में, ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) ने असम के जोरहाट में भारत का पहला 99.99 प्रतिशत शुद्ध ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र शुरू किया था ।
  • अमेरिका की कम्पनी ओहमियम इंटरनेशनल ने कर्नाटक में भारत की पहली ग्रीन- हाइड्रोजन फैक्ट्री शुरू की है ।
  • नई ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी के तहत 2030 तक 50 लाख टन हाइड्रोजन बनाने की योजना है, जिसके तहत कई प्रकार के इंसेंटिव भी दिए जाएंगे ।.
  • हालाँकि हाइड्रोजन बहुत अधिक ज्वलनशील होती है, अतः इसके रख -रखाव में विशेष सावधानी की आवश्यकता है । 
  • NTPC- REL (renewable energy limited) ने 2021 में भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन परिवहन परियोजना (Green Hydrogen Mobility Project) स्थापित करने के लिए केंद्र -शासित प्रदेश लेह- लद्दाख के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया ।
  • यह NTPC की सहायक कंपनी है ।
  • ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट लद्दाख में स्थापित होने वाली भारत की पहली राष्ट्रीय हाइड्रोजन परिवहन परियोजना होगी ।

नोट : UPSC 2023 परीक्षा की तिथि करीब आ रही है, आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुड़ें, यहां हम महत्वपूर्ण जानकारियों को सरल तरीके से समझाते हैं ।

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