‘आतंकवाद’ शब्द की उत्पत्ति फ्राँसीसी क्रांति के दौरान उस समय हुई थी, जब वर्ष 1793-94 के दौरान वहाँ आतंक का राज स्थापित हुआ था। लेकिन मूल रूप से इसका आरंभ विश्व भर में 1950 के दशक में हुए वामपंथ के उत्थान के बाद से देखा जा सकता है। इसकी जद में यूरोप सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, जर्मनी और भारत जैसे अनेक देश आए। भारत में नक्सलवाद और माओवाद के रूप में आतंकवाद का स्वरूप काफी लंबे अरसे से उपस्थित रहा है। वर्तमान में तो भारत में धार्मिक आतंकवाद का असर कहीं ज्यादा देखने को मिल रहा है।
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आतंकवाद की परिभाषा
यूं तो आतंकवाद की कोई सीधी सटीक परिभाषा देना संभव नहीं है, लेकिन फिर भी अनेक संस्थाओं और कानूनों के माध्यम से आतंकवाद को परिभाषित करने का प्रयास किया गया है। उनमें से कुछ संस्थाओं व कानूनों के तहत दी गई आतंकवाद की परिभाषा निम्नानुसार है-
- वर्ष 2005 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकवाद को परिभाषित करते हुए कहा था कि “लोगों को भयभीत करने या सरकार या किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन को कोई कार्य करने अथवा नहीं करने के लिए विवश किए जाने के उद्देश्य से नागरिकों या निहत्थे लोगों को मारने या गंभीर शारीरिक क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया कृत्य आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाएगा।”
- भारतीय संसद ने वर्ष 1987 में ‘आतंकवादी और विघटनकारी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ पारित किया था। इसके तहत आतंकवाद को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि “जो कोई भी कानून द्वारा स्थापित सरकार को डराने या लोगों या लोगों के किसी समूह को आतंकित करने या उन्हें मारने या विभिन्न समूहों के मध्य सौहार्द को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के उद्देश्य से बम, डायनामाइट या अन्य विस्फोटक पदार्थ या ज्वलनशील पदार्थ या घातक हथियारों या ज़हर या हानिकारक गैसों या अन्य रसायनों या खतरनाक प्रकृति के अन्य किसी पदार्थ (जैविक या अन्य) का इस तरह से प्रयोग करते हुए कोई कार्य करता है, जिससे व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु हो या उन्हें कोई चोट पहुँचे या संपत्ति की हानि या विनाश हो या समुदाय के जीवन के लिये अनिवार्य आपूर्तियाँ अथवा सेवाओं में बाधा पहुँचे अथवा किसी व्यक्ति बाधित हो या सरकार या किसी अन्य व्यक्ति को कोई कार्य करने से अलग रहने के लिये विवश करने हेतु लोगों को मारने या घायल करने की धमकी देता है, उसका कृत्य आतंकवादी कार्य माना जायेगा।”
- वर्ष 2002 में पारित ‘आतंकवाद निवारण अधिनियम’ (POTA) के अंतर्गत आतंकवाद के वित्तीयन को भी आतंकवादी कृत्य माना गया है।
आतंकवाद के प्रकार
आतंकवाद को मुख्यतः निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है-
1. नृजातीय-राष्ट्रवादी आतंकवाद :
डेनियल बाइमैन के अनुसार, अपने उद्देश्य प्राप्ति हेतु किसी उप-राष्ट्रीय नृजातीय समूह द्वारा जान बूझकर की गई हिंसा ‘नृजातीय-राष्ट्रवादी आतंकवाद’ कहलाता है। ऐसी हिंसा पृथक राज्य के गठन या किसी नृजातीय समूह की अपेक्षा अपना स्तर सुधारने के लिये की जाती है। जैसे- श्रीलंकाई तमिल राष्ट्रवादी समूह, पूर्वोत्तर भारत में अलगाववादी समूह आदि।
2. धार्मिक आतंकवाद :
वर्तमान में यह आतंकवाद का अत्यधिक प्रचलित रूप है। हॉफमैन के अनुसार, पूर्णत: या अंशत: धार्मिक आदेशों से प्रेरित आतंकवादी हिंसा धार्मिक आतंकवाद कहलाती है। इससे प्रेरित आतंकवादी हिंसा का औचित्य सिद्ध करने के लिए विभिन्न धार्मिक साधनों का सहारा लेते हैं। भारत के इस आतंकवाद से अत्यधिक प्रभावित है।
3. विचारधारा-प्रेरित आतंकवाद :
I. वामपंथी आतंकवाद :
पूंजीवाद का विरोध करते हुए एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करने के उद्देश्य से की जाने वाली हिंसा वामपंथी आतंकवाद कहलाती है। जैसे- लेनिन, माओ त्से-तुंग और मार्क्स की विचारधारा पर आधारित हिंसा।
II. दक्षिणपंथी आतंकवाद :
एक समूह द्वारा प्राचीन संस्कृति की पुनर्स्थापना या उसके संरक्षण के लिए की जाने वाली हिंसा दक्षिणपंथी आतंकवाद कहलाती है। जैसे- जर्मनी में नाजीवाद, इटली में फासीवाद आदि।
4. राज्य प्रायोजित आतंकवाद :
जब किसी देश की सरकार के द्वारा किसी अन्य देश में हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिलाया जाता है, तो इसे राज्य प्रायोजित आतंकवाद कहा जाता है। इस प्रकार की हिंसा सामान्यतः विदेश नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए की जाती है। जैसे-
- रूस द्वारा बाल्कन क्षेत्र में स्लाव लोगों का समर्थन।
- प्रथम विश्व युद्ध के बाद बुल्गारिया द्वारा यूगोस्लाविया के विरुद्ध मैसेडोनिया के क्रांतिकारियों का इस्तेमाल।
- शीत युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों द्वारा साम्यवाद विरोधियों का समर्थन।
- भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद आदि।
5. स्वापक आतंकवाद :
मादक द्रव्यों की तस्करी में संलग्न गिरोहों द्वारा अपने उद्देश्यों के परिपूर्ति के लिए की जाने वाली हिंसा स्वापक आतंकवाद की श्रेणी में आती है। इसके अंतर्गत मादक द्रव्यों की तस्करी में संलग्न गिरोह अपने उद्देश्य की परिपूर्ति के लिए विभिन्न आतंकवादी संगठनों का सहारा लेते हैं। इसके परिणाम स्वरूप आतंकवादियों को आसानी से आर्थिक लाभ प्राप्त हो जाता है तथा मादक द्रव्यों की तस्करी करने वाले गिरोह अपने उद्देश्य में सफल हो जाते हैं, इसीलिए ये दोनों पक्ष आसानी से एक दूसरे का सहयोग करने के लिए तैयार हो जाते हैं। अतः कहा जा सकता है कि स्वापक आतंकवाद मुख्य रूप से आर्थिक हितों से प्रेरित होता है।
भारत में आतंकवाद के नियंत्रण हेतु उठाए गए कदम
भारत विश्व में आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित देशों में से एक है। ‘इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस’ की मानें तो वर्ष 2018 भारत आतंकवाद से 7 वाँ सर्वाधिक प्रभावित देश था। आजादी के बाद से ही भारत में अनेक आतंकवादी घटनाएं घटित होती रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2001 से 2018 के मध्य भारत में आतंकी हमलों के कारण 8000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। ऐसे में, भारत सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं, जो निम्नानुसार हैं-
- सभी प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए भारतीय संसद ने वर्ष 1967 में ‘गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम’ (UAPA) पारित किया था तथा इसे और प्रभावी बनाने के लिए वर्ष 2004 में इसमें संशोधन भी किया गया था।
- भारतीय संसद में वर्ष 1987 में आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए ‘आतंकवादी और विघटनकारी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ (TADA) पारित किया था।
- वर्ष 2002 में भारतीय संसद में ‘आतंकवाद निवारण अधिनियम’ (POTA) भी पारित किया था इसका उद्देश्य भी आतंकवादी गतिविधियों से निपटना था।
- भारत के मुंबई में हुए कुख्यात 26/11 आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय जांच एजेंसी’ (NIA) का गठन किया था।
- इसके अलावा, भारत सरकार ने विभिन्न खुफिया एजेंसियों का गठन किया है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए कार्य करती हैं। इनमें ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (RAW), ‘इंटेलिजेंस ब्यूरो’ (IB) आदि संस्थाएं प्रमुख हैं।
- भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड’ (NATGRID) का निर्माण भी किया है। इसका उद्देश्य विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के डेटाबेस को आपस में जोड़ना है, ताकि ये सुरक्षा एजेंसियां बेहतर सामंजस्य के साथ कार्य कर सकें।
- भारत सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए ‘राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड’ (NSG) नामक एक अर्ध सैनिक बल का गठन भी किया है।
- इसके अलावा, भारत ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (FATF) नामक अंतर्राष्ट्रीय संगठन का भी सदस्य है, जो मुख्य रूप से धन शोधन व आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने का कार्य करती है।
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