UPSC वैकल्पिक विषय सूची में कुल 48 विषय हैं, जिनमें से एक कृषि है। UPSC कृषि पाठ्यक्रम उम्मीदवारों की विषय को विज्ञान के रूप में समझने और लोगों के सामने आने वाली समस्याओं पर ज्ञान को लागू करने की क्षमता पर केंद्रित है। IAS कृषि वैकल्पिक प्रश्नपत्र 250 अंकों का होता है, जिसमें कुल 500 अंक होते हैं। IAS Exam में मुख्य परीक्षा में नौ पेपर होते हैं।

यूपीएससी के लिए कृषि पाठ्यक्रम

सिविल सेवा परीक्षा में यूपीएससी कृषि वैकल्पिक विषय चुनने वाले उम्मीदवार पाएंगे कि पाठ्यक्रम दिलचस्प और देश में किसानों के सामने आने वाले मुद्दों के लिए प्रासंगिक है। दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले उम्मीदवारों के लिए तैयारी के लिए विषय अपेक्षाकृत आसान है। उनके पास पारंपरिक ज्ञान तक पहुंच है और वे किसानों के मुद्दों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। इस लेख में, हम आपको कृषि वैकल्पिक के लिए विस्तृत यूपीएससी पाठ्यक्रम और सिविल सेवा परीक्षा के लिए कृषि वैकल्पिक पाठ्यक्रम पीडीएफ भी प्रदान करते हैं।

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यूपीएससी कृषि वैकल्पिक पेपर I पाठ्यक्रम:

  1. पारिस्थितिकी एवं मानव के लिए उसकी प्रासंगिकता; प्राकृतिक संसाधन; उनके अनुरक्षण का प्रबंध तथा संरक्षण; सस्य वितरण एवं उत्पादन के कारकों के रूप में ऑतिक एवं सामाजिक पर्यावरण; कृषि पारिस्थितिकी; पर्यावरण के संकेतक के रूप मैं सस्य क्रम; पर्यावरण प्रदूषण एवं फसलों को होने वाले इससे संबंधित खतरे; पशु एवं मान; जलवायु परिवर्तन-अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय एवं भूमंडलीय पहल; ग्रीन हाउस प्रभाव एवं भूमंडलीय तापन; पारितंत्र विश्लेषण के प्रगत उपकरण, सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणालियां।
  2. देश के विभिन्‍न कृषि जलवायु क्षेत्रों में ससय क्रम; सस्यक्रम में विस्थापन पर अधिक पैदावार वाली तथा अल्पावधि किस्मों का प्रभाव; विभिन्‍न सस्यन एवं कृषि प्रणालियों की संकल्पनाएं; जैव एवं परिशुद्धता कृषि; महत्वपूर्ण अनाज; दलहन; तिलहन; रेशा; शर्करा; वाणिज्यिक एवं चार फसलों के उत्पादन हेतु पैकेज रीतियां।
  3. विभिन्‍न प्रकार के वनरोपण जैसे कि सामाजिक वानिकी; कृषि वानिकी एवं प्राकृतिक वनों की मुख्य विशेषताएं तथा विस्तार, वन पादपों का प्रसार; वनोत्पाद; कृषि वानिकी एवं मूल्य परिवर्धन; वनों की वनस्पतियों और जंतुओं का संरक्षण।
  4. खरपतवार, उनकी विशेषताएं; प्रकीर्णन तथा विभिन्‍न फसलों के साथ उनकी संबद्धता; उनका गुणन; खरपतवारों संबंधी जैव तथा रासायनिक नियंत्रण।
  5. मृदा-भौतिक; रासायनिक तथा जैविक गुणधर्म; मृदा रचना के प्रक्रम तथा कारक; भारत की मृदाएं; मृदाओं के खनिज तथा कार्बनिक संघटक तथा मृदा उत्पादकता अनुरक्षण में उनकी भूमिका; पौँधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व तथा मृदाओं और पादपों के अन्य लाअभकर तत्व; मृदा उर्वरता; मृदा परीक्षण एवं संस्तावना के सिद्धांत, समाकलित पोषकतत्व प्रबंध; जैव उर्वरक; मृदा में नाइट्रोजज की हानि; जलमग्न धान-मृदा में नाइट्रोजन उपयोग क्षमता; मृदा में नाइट्रोजन योगिकीकरण; फासफोरस एवं पोटेशियम का दक्ष उपयोग; समस्याजनक मृदाएं तथा उनका सुधार, ग्रीन हाउस; गैस उत्सर्जन को प्रभावी करने वाले मृदा कारक; मृदा संरक्षण; समाकलित जल-विभाजन प्रबंधन; मृदा अपरदन एवं इसका प्रबंधन; वर्षाधीन कृषि और इसकी समस्याएं, वर्षा पोषित कृषि क्षेत्रों में कृषि उत्पादन में स्थिरता लाने की प्रौद्योगिकी।
  6. सस्य उत्पादन से संबंधित जल उपयोग क्षमता; सिंचाई कार्यक्रम के मानदंड; सिंचाई जल की अपवाह हानि को कम करने की विधियां तथा साधन, ड्रिप तथा छिड़काव द्वारा सिंचाई; जलक्रांत मृदाओं से जलनिकास; सिंचाई जल की गुणवत्ता; जल मृदा तथा जल प्रदूषण पर औदयोगिक बहिस्त्रावों का प्रभाव; भारत में सिंचाई परियोजनाएं।
  7. फार्म प्रबंधन; विस्तार; महत्व तथा विशेषताएं; फार्म आयोजना; संसाधनों का इष्टतम उपयोग तथा बजटन; विभिन्‍न प्रकार की कृषि प्रणालियों का अर्थशास्त्र; विपणन प्रबंधन-विकास की कार्यनीतियां।
  8. बाजार आसूचना; कीमत में उतार-चढ़ाव एवं उनकी लागत, कृषि अर्थव्यवस्था में सहकारी संस्थाओं की भूमिका; कृषि के प्रकार तथा प्रणालियां और उनको प्रभावित करने वाले कारक; कृषि कीमत नीति; फसल बीमा।
  9. कृषि विस्तार; इसका महत्व और भूमिका; कृषि विस्तार कार्यक्रमों के मूल्यांकन की विधियां; सामाजिक – आर्थिक सर्वेक्षण तथा छोटे बड़े और सीमांत कृषकों व भूमिहीन कृषि श्रमिकों की स्थिति; विस्तार कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम; कृषि प्रौद्योगिकी के प्रसार में कृषि विज्ञान केन्द्रों की भूमिका; गैर सरकारी संगठन तथा ग्रामीण विकास के लिए स्व-सहायता उपागम।

यूपीएससी कृषि वैकल्पिक पेपर II पाठ्यक्रम:

  1. कोशिका संरचना; प्रकार्य एवं कोशिका चक्र; आनुवंशिक उत्पादन का संश्लेषण; संरचना तथा प्रकार्य; आनुवंशिकता के नियम; गुणवत्ता संरचना; गुणसूत्र विपथन; सहलग्नता एवं जीन विनिमय; एवं पुर्नयोजन प्रजनन में उनकी सार्थकता; बहुगुणिता; सुगुणित तथा असुगुणित; उत्परिवर्तन; एवं सस्य सुधार में उनकी भूमिका; वंशागतित्व; बंध्यता तथा असंयोज्यता; वर्गीकरण तथा सस्य सुधार में उनका अनुप्रयोग; कोशिका द्रव्यी वंशागति; लिंग सहलग्न; लिंग प्रभावित तथा लिंग सीमित लक्षण।
  2. पादप प्रजनन का इतिहास; जनन की विधियां; स्वनिशेचन तथा संस्करण; प्रविधियां; सस्य पादपों का उदगम, विकास एवं उपजाया जाना; उदगम केन्द्र; समजात श्रेणी का नियम; सस्य आनुवंशिक संसाधन- संरक्षण तथा उपयोग; सस्य पादपों का सुधार; आणविक सूचक एवं पादप सुधार में उनका अनुप्रयोग; शुद्ध वंशक्रम वरण; वंशावली; समूह तथा पुनरावर्ती वरण; संयोजी क्षमता; पादप प्रजनन में इसका महत्व; संकर ओज एवं उसका उपयोग; काय संस्करण; रोग एवं पीड़क प्रतिरोध के लिए प्रजनन।
  3. अंतराजातीय तथा अंतरावंशीय संकरण की भूमिका, सस्य सुधार में आनुवंशिक इंजीनियरी एवं जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका; आनुवंशिकता; रूपांतरित ससय पादप।
  4. बीज उत्पादन एवं प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियां; बीज प्रमाणन; बीज परीक्षण एवं भंडारण; डीएनए फिंगर प्रिटिंग एवं बीज पंजीकरण; बीज उत्पादन एवं विपणन में सहकारी एवं निजी स्रोतों की भूमिका; बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधी मामले।
  5. पादप पोषण पोषक तत्वों के अवशोषण; स्थानांतरण एवं उपापचय के संदर्भ में पादप कार्यिकी के सिद्धांत; मृदा – जल पादप संबंध।
  6. प्रकिण्व एवं पादप-वर्णक; प्रकाश संश्लेषण-आधुनिक संकल्पनाएं और इसके प्रक्रम को प्रआवित करने वाले कारक, आक्सी व अनाक्सी स्वशन; 03; 04 एवं ८५७॥ क्रियाविधियां; कार्बोहाइट्रेट; प्रोटीन एवं वसा उपापचय; वृद्धि एवं परिवर्धन; दीप्ति कालिता एवं वसंतीकरण; पादप वृद्धि उपादान एवं सस्य उत्पादन में इनकी भूमिका; बीज परिवर्धन एवं अनुकरण की कार्यिकी; प्रसूष्ति; प्रतिबल; कार्यिकी-वात प्रवाह; लवण एवं जल प्रतिबल; प्रमुख फल; बागान; फसल; सब्जियां; मसाले एवं पुष्पी फसल; प्रमुख बागवानी फसलों की पैकेज की रीतियां; संरक्षित कृषि एवं उच्च तकनीकी बागवानी; तुड़ाई के बाद की प्रौद्योगिकी एवं फलों व सब्जियों का मूल्यवर्धन; भूसुदर्शनीकरण एवं वाणिज्यिक पुष्प कृषि; औषधीय एवं एरोमेटिक पौँधे; मानव पोषण में फल्लों व सब्जियों की भूमिका, पीड़कों एवं फसलों; सब्जियों; फलोदयानों एवं बागान फसलों के रोगों का निदान एवं उनका आर्थिक महत्व; पीड़कों एवं रोगों का वर्गीकरण एवं उनका प्रबंधन; पीड़कों एवं रोगों का जीव वैज्ञानिक रोकथाम; जानपदिक रोग विज्ञान एवं प्रमुख फसलों के पीड़कों व रोगों का पूर्वानुमान, पादप संगरोध उपाय; पीड़क नाशक; उनका सूत्रण एवं कार्य प्रकार।
  7. भारत में खाद्य उत्पादन एवं उपभोग की प्रवृत्तिया; खाद्य सुरक्षा एवं जनसंख्या वृद्धि-इृष्टि 2020 अन्य अधिशेष के कारण, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीतियां; अधिप्राप्ति; वितरण की बाध्यताएं, खादयानों की उपलब्धता; खादूय पर प्रतिव्यक्ति व्यय; गरीबी की प्रवृत्तियां; जन वितरण प्रणाली तथा गरीबी की रेखा के नीचे की जनसंख्या; लक्ष्योन्मुखी जन वितरण प्रणाली (PDS); भूमंडलीकरण के संदर्भ में नीति कार्यान्वयन, प्रक्रम बाध्यताएं; खाद्य उत्पादन का राष्ट्रीय आहार, दिशा-निर्देशों एवं खाद्य उपभोग प्रवृत्ति से संबंध, क्षुधाशमन के लिए खादयाधारित आहार उपागम; पोषक तत्वों की न्यूनता-सूक्ष्म पोषक तत्व न्यूनता; प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण या प्रोटीन कैलोरी कुपोषण (PEM या PCM); महिलाओं और बच्चों की कार्यक्षमता के संदर्भ मैं सूक्ष्म पोषण तत्व न्यूनता एवं मानव संसाधन विकास; खाद्यान्न उत्पादकता एवं खादय सुरक्षा।

आईएएस के इच्छुक उम्मीदवार सफलता की गारंटी के लिए प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की तैयारी के साथ कृषि वैकल्पिक के लिए अपनी तैयारी को एकीकृत कर सकते हैं।

यूपीएससी कृषि वैकल्पिक पाठ्यक्रम पीडीएफ:- पीडीएफ यहां डाउनलोड करें

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