02 मई 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था एवं शासन:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आर्थिक विकास:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: आंतरिक सुरक्षा:
भूगोल:
विज्ञान और प्रौद्योगिकी:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
आर्थिक विकास:
पश्चिम बंगाल में जूट उद्योग पर आया हालिया संकट:
विषय: देश के विभिन्न हिस्सों में प्रमुख फसल पैटर्न और इससे संबंधित मुद्दे एवं बाधाएं।
प्रारंभिक परीक्षा: जूट के बारे में जानकारी।
मुख्य परीक्षा: जूट उद्योग से जुड़े मुद्दे।
प्रसंग:
- हाल ही में, बैरकपुर के सांसद ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में जूट उद्योग से जुड़े मुद्दों को हल करने की मांग की हैं।
जूट:
- जूट एक नरम और अपेक्षाकृत लंबा फाइबर (रेशा) है जो मजबूत, मोटे धागे में काता जाने की क्षमता रखता है। जूट दुनिया में दूसरा सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला प्राकृतिक फाइबर (रेशा) है।
- जूट को गोल्डन फाइबर के रूप में जाना जाता है।
भारत में जूट उद्योग:
- बांग्लादेश और चीन के बाद भारत जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- भारत जूट एवं जूट उत्पादों का दुनिया में सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है।
- पश्चिम बंगाल में जूट का उत्पादन देश के कुल उत्पादन का लगभग आधा है।
- उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, मेघालय और उड़ीसा भी भारत के प्रमुख जूट उत्पादक राज्य हैं।
- पश्चिम बंगाल, बिहार और असम भारत के कुल उत्पादन का लगभग 99% उत्पादन करते हैं।
- भारत में जूट उद्योग के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Jute industry in India
जूट की कीमतें:
- सरकार द्वारा किसानों से कच्चे जूट की खरीद के लिए एक निश्चित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का निर्धारण किया जाता है, जो वर्ष 2022-23 के सीजन के लिए 4,750 रुपये प्रति क्विंटल है।
- वर्ष 2021 की एक अधिसूचना में सरकार द्वारा कहा गया था कि किसी भी संस्था को कच्चे जूट को 6,500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक कीमत पर खरीदने या बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- जूट उद्योग से जुड़ी समस्याएं: जूट मिलें अपना कच्चा माल सीधे किसानों से नहीं, बल्कि बिचौलियों के जरिए हासिल करती हैं। ऐसे में मिलें प्रसंस्करण के बाद कच्चे जूट को उसकी खरीद कीमतों से अधिक पर बेच रही।
- चक्रवात के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित: चक्रवात अम्फान की हालिया घटना ने जूट उत्पादकों के लिए स्थिति चिंताजनक बना दी है।
- इसके कारण जूट की फसल का रकबा (क्षेत्र) कम हुआ, जिसके कारण पिछले वर्षों की तुलना में कम उपज हुई।
- बड़े खेतों में जल-जमाव के कारण जूट फाइबर की गुणवत्ता कम हुई है।
- जमाखोरी को रोकने के लिए व्यवस्थित विनियमन का अभाव: किसानों से लेकर व्यापारियों तक सभी स्तरों पर जमाखोरी के साथ रकबे के मुद्दे थे क्योंकि शासन तंत्र में इसके सम्बन्ध में “व्यवस्थित विनियमन” का अभाव है।
- उत्पाद विविधीकरण का अभाव: जूट उद्योग के एक वर्ग ने केवल गैर-पैकेजिंग खंडों में विविधता लाई है। इससे जूट उत्पादकों की परेशानी बढ़ गई है।
- बुनियादी ढांचे की कमी: भारत बेहतर गुणवत्ता वाले जूट फाइबर का उत्पादन करने में पीछे है, क्योंकि पिछड़ापन, कृषि मशीनीकरण, और देश की कृषि-जलवायु के लिए उपयुक्त प्रमाणित बीजों और किस्मों की उपलब्धता की कमी संबंधित बुनियादी ढांचे की कमी है।
- निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता: बांग्लादेश विभिन्न अर्द्ध-तैयार और तैयार जूट उत्पादों के लिए नकद सब्सिडी प्रदान करता है।
- इसलिए, भारत के लिए निर्यात विकल्पों का पता लगाना एक चुनौती के रूप में उभर सकती है।
जूट पैकेजिंग:
- जूट पैकेजिंग सामग्री (पैकिंग वस्तुओं में अनिवार्य उपयोग) अधिनियम 1987 में जूट क्षेत्र को प्लास्टिक पैकेजिंग से बचाने के लिए अधिनियमित किया गया था।
- वर्ष 2020 में, सरकार ने फैसला किया कि जूट के बोरों में 100% खाद्यान्न और 20% चीनी अनिवार्य रूप से पैक की जाएगी।
सारांश:
|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था एवं शासन:
दिल्ली: दोहरे शासन की पहेली
विषय: संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे, चुनौतियाँ एवं शक्तियों का हस्तांतरण।
प्रारंभिक परीक्षा: अनुच्छेद 239AA, 69वां संविधान संशोधन अधिनियम।
मुख्य परीक्षा: दिल्ली में दोहरा शासन एवं इससे उत्पन्न होने वाली समस्याएं।
प्रसंग:
- हाल ही में केंद्र की इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण के विवाद से संबंधित मामले को पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा जाना चाहिए क्योंकि इसमें कानून के एक महत्वपूर्ण प्रश्न की व्याख्या शामिल है।
दिल्ली में दोहरा शासन:
- संविधान की अनुसूची 1 के तहत दिल्ली को एक केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त है।
- हालांकि, इसे अनुच्छेद 239 AA के तहत ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र’ के रूप में नामित किया गया है।
- अनुच्छेद 239AA दिल्ली को एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में एक विधान सभा के रूप में विशेष स्थिति प्रदान करता है जिसमें एक लेफ्टिनेंट गवर्नर (L-G) इसका प्रशासनिक प्रमुख होता है।यह व्यवस्था तब भी थी जब दिल्ली को दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) नाम दिया गया था।
- इस तथ्य ने दिल्ली में निर्वाचित मंत्रिपरिषद और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों को लेकर तनाव है।
- दिल्ली को राज्य का दर्जा देने के मुद्दे के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: issue of Statehood For Delhi
दोहरे शासन की दुविधाएं:
- दिल्ली के प्रशासक, जिसका नाम दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2021 (Government of NCT of Delhi (Amendment) Act, 2021, )के तहत उपराज्यपाल (L-G) कर दिया था, के कई मुद्दों जैसे एजेंसियों पर नियंत्रण, अर्थात् भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो, सिविल सेवाएं और बिजली बोर्ड आदि पर चुनी हुई सरकार के साथ मतभेद हैं।
- दिल्ली में लोक अभियोजक की नियुक्ति की शक्ति और जांच आयोग अधिनियम, आदि के तहत एक जांच आयोग नियुक्त करने की शक्ति से संबंधित मुद्दे संविधान की व्याख्या के लिए आवश्यक कानूनी प्रश्न थे।
इस सम्बन्ध में कोर्ट द्वारा अब तक की गई टिप्पणियां:
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली में एनसीटी सरकार बनाम भारत संघ 2017 में बताया कि मुख्यमंत्री न कि उपराज्यपाल (LG) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) सरकार के कार्यकारी प्रमुख हैं।
- दिल्ली के LG के पास सभी मामलों पर कोई स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं हैं।वे पुलिस से संबंधित मामलों को छोड़कर सभी मामलों पर दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद की “सहायता और सलाह” देने के लिए बाध्य थे।
- वर्ष 2018 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एनसीटी के प्रशासन के सम्बन्ध में एक नया न्यायशास्त्रीय अध्याय खोला:जिसमे उन्होंने कहा कि दिल्ली एक राज्य नहीं है, और इसकी एनसीटी की स्थिति अपने आप में अद्वितीय है।
- इसने उद्देश्यपूर्ण निर्माण के नियम का हवाला देते हुए कहा कि संविधान (उनसठवां संशोधन) (Constitution (Sixty-ninth Amendment) Act ) अधिनियम के पीछे के उद्देश्य अनुच्छेद 239AA की व्याख्या करने में सहायता करना है।
- उपराज्यपाल को मंत्रिपरिषद की “सहायता और सलाह” पर कार्य करना चाहिए,सिवाय इसके जब वह अंतिम निर्णय के लिए किसी मामले को राष्ट्रपति के पास भेजता है।
- भारत के संविधान का अनुच्छेद 239AA(4) का प्रावधान उपराज्यपाल को राष्ट्रपति के विचार के लिए “किसी भी मामले” को आरक्षित करने की अनुमति देता है, जहां उपराज्यपाल का मंत्रिपरिषद के साथ मतभेद है।
- पीठ ने स्पष्ट किया कि इस शक्ति का प्रयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में ही किया जा सकता है।
- साथ ही, कोर्ट ने फैसला सुनाया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को संवैधानिक योजना के तहत राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है।
- केंद्र और एनसीटी सरकार के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश:
केंद्र के अधिकार क्षेत्र के तहत क्या आता है? |
NCT सरकार के अधिकार क्षेत्र के तहत क्या आता है ? |
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो केंद्र के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत आता है। |
विद्युत अधिनियम 2003 के तहत NCT सरकार के अधीन विद्युत बोर्ड उपयुक्त प्राधिकारी है। |
1952 के अधिनियम के तहत केवल केंद्र सरकार के पास जांच आयोग गठित करने की शक्ति है। |
लोक अभियोजक नियुक्त करने की शक्ति राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार के पास निहित है। |
सारांश:
|
संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
आंतरिक सुरक्षा:
अफस्पा (AFSPA) की समाप्ति:
विषय: सुरक्षा चुनौतियां और उनका प्रबंधन।
मुख्य परीक्षा: भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियां और इनका समाधान करने के लिए सरकार के प्रयास।
सन्दर्भ:
- असम के दीफू में भारतीय प्रधान मंत्री ने ‘शांति, एकता और विकास रैली’ पर वार्ता के दौरान सम्पूर्ण पूर्वोतर क्षेत्र में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को समाप्त करने का संकेत दिया है।
पृष्टभूमि:
- सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) के तहत ‘अशांत क्षेत्रों’ के रूप में अधिसूचित क्षेत्रों में विगत कुछ वर्षों में उत्तरोत्तर कमी की गई है, जिसका मुख्य कारण सुरक्षा स्थिति में सुधार और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में दशकों से उग्रवाद से मुक्ति तथा शांति की वापसी है।
- 2015 में त्रिपुरा में और 2018 में मेघालय में AFSPA को रद्द कर दिया गया था।
- हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम, नागालैंड और मणिपुर में अशांत क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित क्षेत्रों में कमी की है।
- असम में, AFSPA को 23 जिलों में सम्पूर्ण तौर पर और एक जिले से आंशिक तौर पर हटा दिया गया था।
- नागालैंड में, सात जिलों के 15 पुलिस स्टेशनों को, जबकि मणिपुर में 15 पुलिस स्टेशनों को AFSPA से बाहर कर दिया गया।
महत्व:
- इस क्षेत्र से AFSPA को हटाने से क्षेत्र के नागरिकों को काफी राहत मिलेगी, क्योंकि अक्सर अधिनियम के परिणामस्वरूप नागरिकों को कठोर नियमों का का पालन करना पड़ता था।
- AFPSA को हटाने से क्षेत्र के विकास को भी गति मिलेगी।
सुझाव:
स्थिति को सामान्य बनाना और क्रमबद्ध रूप से AFSPA को हटाना:
- प्रशासन को क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति को बेहतर बनाने और विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के अतिरिक्त सभी प्रयास किए जाने चाहिए।
- सम्पूर्ण क्षेत्र से AFPSA को धीरे-धीरे हटाना प्रशासन का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
ज्यादतियों और अत्याचारों के प्रति जवाबदेह:
- लेखक का तर्क है कि AFSPA को पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि यह सशस्त्र बलों को असीमित शक्ति प्रदान करता है। चूंकि AFSPA अधिनियम के तहत सशस्त्र बलों को ज़्यदातर मामलों में सजा का प्रवधान नहीं है जिनके कारण उनकी ज्यादतियों और अत्याचारों में वृद्धि हुई है। साथ ही अधिनियम के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में कमी के साथ-साथ पूर्व में ज्यादतियों के शिकार लोगों को भी न्याय दिलाने के प्रयास करना चाहिए।
इस मुद्दे का राजनीतिक समाधान:
- राजनीतिक रूप से, शांति समझौते, युद्धविराम और उप-क्षेत्रीय प्रशासनिक व्यवस्था से संबंधित विवादों के संभावित राजनीतिक समाधान की दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
सारांश:
|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भूगोल:
बढ़ता पारा:
विषय: महत्वपूर्ण भौगोलिक घटनाएं।
प्रारंभिक परीक्षा: हीटवेव की क्या है तथा ला नीना, पश्चिमी विक्षोभ और हीट आइलैंड का प्रभाव।
सन्दर्भ:
भारत में रिकॉर्ड हीटवेव :
- अप्रैल में उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत का तापमान 122 वर्षों में सर्वाधिक स्तर पर रहा है।
- अप्रैल का औसत मासिक तापमान उत्तर पश्चिम भारत में 35.9 डिग्री सेल्सियस और मध्य भारत में 37.78 डिग्री सेल्सियस था।
- विशेष रूप से, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में तापमान 40 के दशक के मध्य के स्तर को भी पार कर गया है और इस प्रकार सामान्य से बहुत अधिक तापमान दर्ज किया गया है।
- मई में तापमान में वृद्धि की उम्मीद है, क्योंकि मई भारत का सबसे गर्म महीना होता है। मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने भविष्यवाणी है कि उत्तर और पश्चिम भारत में रिकॉर्ड हीटवेव जैसी स्थिति लगातार बनी रहेगी।
हीटवेव:
|
उच्च तापमान के कारण:
पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश का अभाव :
- पश्चिमी विक्षोभ के कारण अधिक बारिश न होना रिकॉर्ड हीटवेव जैसी स्थितियों का प्रमुख कारण है।
- पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले उष्णकटिबंधीय तूफान है जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भागों में बारिश का कारक बनते है।
- अप्रैल में पांच पश्चिमी विक्षोभों के निर्माण के बावजूद, इनमे से कोई भी इतना मजबूत नहीं था कि वह उत्तर भारत में पर्याप्त बारिश करवा कर तापमान को कम कर सके।
ला नीना की विफलता:
- आम तौर पर, ला नीना भारत में वर्षा करवाने में सहायक होती है, लेकिन इस वर्ष ला नीना भारत में वर्षा करवाने में विफल रही है।
- ला नीना एक समुद्री और वायुमंडलीय घटना है जो मध्य प्रशांत क्षेत्र में ठंडे तापमान की विशेषता है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
- जबकि अलग-अलग मौसम की घटनाओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़ा नहीं जा सकता है। ग्रीनहाउस गैस के बढ़ते स्तर से ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के कारण चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि हुई है।
- जहां उत्तरी और पश्चिमी भारत में रिकॉर्ड तापमान वृद्धि हुई है, वहीं दक्षिणी और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अप्रैल में रिकॉर्ड बारिश हुई, जो भारत में मौसम के पैटर्न में व्यवस्थित बदलाव का संकेत है।
हीट आइलैंड प्रभाव:
- बढ़ते शहरीकरण के कारण उत्पन्न हीट आइलैंड तापमान में वृद्धि कर रहा है।
- हीट आइलैंड्स शहरीकृत क्षेत्र हैं जहाँ बाहरी क्षेत्रों की तुलना में तापमान अधिक होता हैं।
- बढ़ती आबादी को समायोजित करने के लिए आवश्यक सड़कों, इमारतों और अन्य संरचनाओं ने वनस्पति को हीट आइलैंड्स के रूप में प्रतिस्थापित कर दिया है। ये संरचनाएं प्राकृतिक परिदृश्य से कही अधिक सूर्य की गर्मी को अवशोषित और पुन: उत्सर्जित करती हैं, जिससे सतह और समग्र परिवेश के तापमान में वृद्धि होती है।
सुझाव:
बेहतर तैयारी :
- गर्मी की लहरों और स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव से बेहतर तरीके से निपटने हेतु आपदा प्रबंधन योजनाएं बनाई जानी चाहिए।
- निजी और सार्वजनिक कार्यस्थलों को हीटवेव जोखिम से बेहतर ढंग से बचने के उपाय करने चाहिए।
मुआवज़ा:
- यह देखते हुए कि हीटवेव की मानव मृत्यु दर वृद्धि में भागीदारी है, ऐसे में हीटवेव से होने वाली मौतों को एक आपदा मानकर राज्य द्वारा मुआवजा दिया जाना चाहिए।
- IMD के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 50 वर्षों में लू के कारण मानव मौतों की संख्या 17,000 से अधिक हो गई है।
सारांश:
|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान और प्रौद्योगिकी:
भारतीय विज्ञान पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है:
विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां एवं प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण तथा नई प्रौद्योगिकी का विकास।
मुख्य परीक्षा: भारत में अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र से संबंधित चिंताएं।
भारत में अनुसंधान एवं विकास के सरोकार:
कम अनुसंधान एवं विकास व्यय:
- भारत में अनुसंधान एवं विकास व्यय सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.6% से 0.8% है। यह विगत एक दशक से इस स्तर पर बना हुआ है और इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है।
- भारत में अनुसंधान एवं विकास व्यय संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान, यूरोपीय संघ के देशों और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की तुलना में बहुत कम है। जबकि यू.एस. और चीन का वैश्विक अनुसंधान एवं विकास व्यय क्रमशः 25% और 23% था, भारत का वैश्विक कुल का केवल 1-3% हिस्सा था।
- इस प्रकार, भारत अनुसंधान एवं विकास में अंडर-फंडिंग से पीड़ित है।
योग्य शोधकर्ताओं का कम अनुपात:
- भारत की विशाल जनसंख्या को देखते हुए, योग्य शोधकर्ताओं का अनुपात बहुत कम है।
- विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारत में 2017 में प्रति मिलियन लोगों पर 255 शोधकर्ता थे, जबकि इज़राइल में प्रति मिलियन में 8,342, स्वीडन में 7,597 और दक्षिण कोरिया में 7,498 थे।
एकतरफा खर्च:
- उपलब्ध कुल धन का अधिकांश भाग DRDO, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग जैसे संगठनों को जाता है, केवल 30 से 40% भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) जैसी एजेंसियों को आवंटित होता है तथा व्यक्तिगत जांचकर्ताओं की मदद के लिए बहुत कम धन बचता है।
एक जीवंत निजी क्षेत्र की भागीदारी का अभाव:
- भारत में बुनियादी अनुसंधान का वित्त पोषण मुख्य रूप से सरकार द्वारा किया जाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र की बढ़ती उपस्थिति के बावजूद अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी बहुत कम है।
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन:
- नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत परिकल्पित एक स्वायत्त निकाय है। NRF का उद्देश्य देश में अनुसंधान को बढ़ावा देने वाले वातावरण का निर्माण, सुविधा और प्रचार करना है।
- NRF भारत में ‘अनुसंधान की गुणवत्ता’ के वित्तपोषण, परामर्श और स्थापना का कार्य करेगा। NRF का उद्देश्य शोधकर्ताओं को फंड देना है। यह HEIs, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और अन्य अनुसंधान संगठनों में एक जीवंत अनुसंधान और नवाचार संस्कृति को बढ़ावा और मदद देगा।
- फंड आवंटन की कमी को अक्सर भारत में शोधकर्ताओं की कमी के सबसे बड़े कारणों में से एक के रूप में उद्धृत किया गया है और NRF का उद्देश्य उसी कमी को पूरा करना है।
महत्व:
- NRF देश में अनुसंधान की संस्कृति के विकास में मदद करेगा और राज्य के विश्वविद्यालयों एवं अन्य सार्वजनिक संस्थानों में अनुसंधान को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए प्रमुख पहल करेगा जहां अनुसंधान क्षमता वर्तमान में सीमित है।
- एक स्वायत्त निकाय जिसे नौकरशाही के प्रभाव से दूर रखने की योजना है। इससे उसे नौकरशाही से जुड़ी कमियों को दूर करने में मदद मिलेगी।
- विशेष रूप से, NRF विज्ञान अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के अलावा सामाजिक विज्ञान में भी काम करेगा। यह सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान और विकास गतिविधियों की उपेक्षा को दूर करने में सहायक होगा।
- NRF के दायरे में हजारों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को लाने की उम्मीद है। इस प्रकार, यह देश में अनुसंधान और विकास गतिविधियों के लोकतंत्रीकरण में मदद करेगा।
सुझाव:
- भारत को भारत में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के लिए सकल घरेलू उत्पाद के वित्त पोषण का कम से कम 1% सुनिश्चित करने की योजना और रणनीति बनानी चाहिए।
- सरकारों को अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में शामिल होने और निवेश करने के लिए निजी क्षेत्रों को उपयुक्त प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
सारांश:
|
प्रीलिम्स तथ्य:
1. श्रमिकों के दुर्घटना दावों के निपटान हेतु ई-श्रम:
राजव्यवस्था एवं शासन:
विषय:विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां,हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: ई-श्रम पोर्टल।
प्रसंग:
- केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत असंगठित श्रमिकों द्वारा दुर्घटना बीमा दावों को संसाधित करने के लिए एक तंत्र की स्थापना करने पर काम कर रहा है।
विवरण:
- ई-श्रम पोर्टल को असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने और उनके लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।
- पोर्टलों को जोड़ना:बजट भाषण 2022-2023 में, वित्त मंत्री ने चार पोर्टलों – राष्ट्रीय कैरियर सेवा, ई-श्रम, उद्यम (UDYAM) (एमएसएमई शुरू करने में रुचि रखने वालों के लिए) और असीम (ASEEM )(आत्मानबीर कुशल कर्मचारी नियोक्ता मानचित्रण) को जोड़ने की घोषणा की थी।
- लाभ:इन चार पोर्टलों के जुड़ने से ई-श्रम पर पंजीकृत असंगठित कामगारों को NCS पर पंजीकरण करने और NCS के माध्यम से बेहतर रोजगार के अवसरों की तलाश करने में सक्षम बनाया है।
- ई-श्रम पोर्टल के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: e-Shram Portal
2. हीटवेव के मामलों के चलते स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त रखें :केंद्र
भूगोल:
विषय: महत्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएं।
प्रारंभिक परीक्षा: हीटवेव के बारे में जानकारी।
प्रसंग:
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भीषण गर्मी के बीच स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की समीक्षा करने की सलाह दी है।
हीटवेव क्या है?
- हीटवेव असामान्य रूप से गर्म मौसम की अवधि को संदर्भित करता है जो दो या अधिक दिनों तक बनी रहती है।
- हीट वेव ऐसी स्थिति को माना जाता है जब किसी मैदानी इलाके का अधिकतम तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच जाता है।
- जब अधिकतम तापमान 47 डिग्री को पार कर जाता हैं तो भीषण लू की घोषणा की जाती है।
हीटवेव की घटना कब घटित होती है?
- हीटवेव की घटना तब होती है जब उच्च वायुमंडलीय दबाव किसी एक क्षेत्र में चला जाता है और वह वहां दो दिनों तक रहता है।
- ऐसी स्थिति में हमारे वायुमंडल के ऊपरी स्तरों से हवा जमीन की ओर आ जाती है,इसके बाद यह संकुचित हो जाती है, जिससे तापमान में वृद्धि होती है।
- उच्च दबाव के कारण अन्य मौसम प्रणालियां क्षेत्र में जाने में प्रवेश नहीं कर पाती है।नतीजतन, हवा की आवाजाही बंद हो जाती है।
क्षेत्र |
हीट वेव्स के मानदंड |
मैदानी क्षेत्र |
जब किसी मैदानी क्षेत्र का अधिकतम तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच जाता है। |
पहाड़ी क्षेत्र |
जब किसी पहाड़ी क्षेत्र का अधिकतम तापमान कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच जाता है। |
तटीय क्षेत्र |
जब किसी तटीय क्षेत्र का अधिकतम तापमान कम से कम 37 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच जाता है। |
- उच्च दबाव प्रणाली बादलों को भी इस क्षेत्र में प्रवेश करने से भी रोकती है, जिससे सूरज की रोशनी यहाँ के क्षेत्र को और भी गर्म कर देती है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम” से लाभान्वित होने के पात्र हैं? [2011, कठिनाई स्तर: मध्यम]
(a) केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवारों के वयस्क सदस्य।
(b) गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवारों के वयस्क सदस्य।
(c) सभी पिछड़े समुदायों के परिवारों के वयस्क सदस्य।
(d) किसी भी घर के वयस्क सदस्य।
उत्तर: d
व्याख्या:
- महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम लोगों के काम करने के अधिकार की रक्षा के लिए बनाया गया एक सामाजिक सुरक्षा उपाय है।
- भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय (MRD) राज्य सरकारों के सहयोग से,इस योजना के संपूर्ण कार्यान्वयन की देखरेख कर रहा है।
- मनरेगा योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्रता मानदंड इस प्रकार हैं:
- एक भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- आवेदन के समय 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी नागरिक पात्र है।
- आवेदक ग्रामीण परिवार का सदस्य होना चाहिए।
- आवेदकों को अकुशल श्रम के लिए स्वेच्छा से तैयार होना चाहिए।
- बेरोजगारी लाभ उन परिवारों को मिलता है जिन्हें आवेदन करने के 15 दिन बाद भी काम नहीं मिला है।
- अत: विकल्प D सही है।
प्रश्न 2. कभी-कभी समाचारों में रहने वाला शब्द ‘पूर्व शिक्षण योजना की मान्यता’ का उल्लेख निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में किया जाता है: [2017, कठिनाई स्तर: आसान]
(a) पारंपरिक चैनलों के माध्यम से निर्माण श्रमिकों द्वारा अर्जित कौशल को प्रमाणित करना।
(b) दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालयों में व्यक्तियों का नामांकन।
(c) कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में ग्रामीण और शहरी गरीबों के लिए कुछ कुशल नौकरियों को आरक्षित करना।
(d) राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षुओं द्वारा अर्जित कौशल को प्रमाणित करना।
उत्तर: a
व्याख्या:
- पूर्व शिक्षण योजना की मान्यता (The Recognition of Prior Learning (RPL) ) योजना एक मूल्यांकन प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति के मौजूदा कौशल और अनुभव (औपचारिक या अनौपचारिक) का मूल्यांकन और प्रमाणीकरण किया जाता है।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) 2016 में शुरू की गई थी और RPL इसका एक हिस्सा है। इसकी देखरेख उद्यमिता और कौशल विकास मंत्रालय करता है।
- अत: विकल्प A सही है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित घटनाओं पर विचार करें: [2021, कठिनाई स्तर: मध्यम]
- लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई पहली कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार भारत के एक राज्य में बनी थी।
- भारत के तत्कालीन सबसे बड़े बैंक, ‘इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया’ का नाम बदलकर ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ कर दिया गया था।
- एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया और राष्ट्रीय वाहक बन गया।
- गोवा स्वतंत्र भारत का हिस्सा बन गया।
निम्नलिखित में से कौन-सा उपरोक्त घटनाओं का सही कालानुक्रमिक क्रम है?
(a) 4 – 1 – 2 – 3
(b) 3 – 2 – 1 – 4
(c) 4 – 2 – 1 – 3
(d) 3 – 1 – 2 – 4
उत्तर: b
व्याख्या:
- वर्ष 1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया था। 1953 में, भारत सरकार ने एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पारित किया और टाटा संस से एयरलाइन की बहुमत हिस्सेदारी खरीदी।
- वर्ष 1955 में, भारत सरकार ने इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक ने 60% हिस्सेदारी ली और नाम बदलकर भारतीय स्टेट बैंक कर दिया गया।
- वर्ष 1957 में भारत की पहली लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार एक राज्य में बनी थी।
- 1961 में गोवा ने पुर्तगालियों से स्वतंत्रता प्राप्त की और भारत का एक स्वतंत्र राज्य बन गया।
- भारत सरकार ने गोवा को भारत में फिर से मिलाने के लिए 18 दिसंबर, 1961 को ऑपरेशन विजय शुरू किया।
- अत: विकल्प B सही है।
प्रश्न 4. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कौन सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है? [2021, कठिनाई का स्तर: सरल ]
(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय मामलों के मंत्रालय
उत्तर: d
व्याख्या:
- अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों की वन भूमि में वन अधिकार और व्यवसाय (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 का उद्देश्य वन भूमि में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वन निवासियों के वन अधिकारों और कब्जे को मान्यता देना और उनके अधिकारों को निहित करना है जो जंगलों में पीढ़ियों से रह रहे हैं लेकिन उनके अधिकारों को मान्यता नहीं मिली है।
- जनजातीय मामलों का मंत्रालय अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय नोडल एजेंसी है।
- अत: विकल्प D सही है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से किसे “कानून के शासन” की मुख्य विशेषता माना जाता है? [2018, कठिनाई स्तर: सरल]
1. शक्तियों की सीमा।
2. कानून के समक्ष समानता।
3. सरकार के प्रति लोगों की जिम्मेदारी।
4. स्वतंत्रता और नागरिक अधिकार।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: c
व्याख्या:
- “कानून के शासन” की अवधारणा इंग्लैंड में उत्पन्न हुई।और भारत द्वारा इसे अपनाया गया है।
डाइसी के अनुसार, कानून के शासन की बुनियादी विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के लिए कानून द्वारा मान्यता प्राप्त कोई विशेष अधिकार नहीं हैं।
- कानून का शासन कार्यपालिका को पूर्ण और मनमानी शक्तियों का प्रयोग करने से रोकता है। अतः कथन 1 सही है।
- कानून धर्म, नस्ल, लिंग या अन्य कारकों के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव नहीं करता है। इसलिए कथन 2 सही है।
- सरकार लोगों के प्रति जिम्मेदार है, न कि सरकार के प्रति लोगों की। अतः कथन 3 सही नहीं है।
- निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को दंडित नहीं किया जा सकता है। उन सभी पर एक ही अदालत में और एक ही नियम के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।
- एक स्वतंत्र समाज में कानून के शासन का उद्देश्य व्यक्ति के राजनीतिक और नागरिक अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें मजबूत करना है। अतः कथन 4 सही है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. क्या सुप्रीम कोर्ट का फैसला (जुलाई 2018) उपराज्यपाल और दिल्ली की चुनी हुई सरकार के बीच राजनीतिक संघर्ष को ख़त्म कर सकता है? परिक्षण कीजिए। [PYQ: 2018, जीएस 2: राजव्यवस्था एवं शासन]
प्रश्न 2. सब्सिडी किसानों के फसल पैटर्न, फसल विविधता और अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है? छोटे और सीमांत किसानों के लिए फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और खाद्य प्रसंस्करण का क्या महत्व है?[PYQ:2017, GS3: अर्थव्यवस्था]
Comments