04 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
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A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: विज्ञान और प्रौद्योगिकी
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: पर्यावरण:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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नमक सेवन के लाभ
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान और प्रौद्योगिकी:
विषय: भोजन में रसायन।
मुख्य परीक्षा: बदलते आहार पैटर्न का स्वास्थ्य पर प्रभाव
संदर्भ: हाल ही के एक अध्ययन में नमक का सेवन कम करने के अत्यधिक लाभ देखे गए हैं।
मुख्य विवरण:
- अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में दिखाया गया है कि किसी व्यक्ति के भोजन में अधिक नमक शामिल करने से दिल के दौरे, हृदयाघात और स्ट्रोक की आवृत्ति बढ़ जाती है।
- इसमें खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाला नमक शामिल नहीं था।
- यूके बायोबैंक के 1.76 लाख से अधिक प्रतिभागियों का औसतन 11.8 वर्षों तक अध्ययन किया गया।
- इस अवधि के दौरान दिल के दौरे की लगभग 7,000 और हृदयाघात की लगभग 2,000 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं।
- अन्य सभी जोखिम कारकों के समायोजन के बाद, यह पाया गया कि भोजन में कम नमक शामिल करने से दिल के दौरे और हृदयाघात की घटनाओं में कमी आती है।
DASH आहार:
- नमक का सेवन कम करने से उन प्रतिभागियों में भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में कमी देखी गई, जो DASH आहार ((Dietary Approaches to Stop Hypertension/उच्च रक्तचाप को रोकने के लिए आहार संबंधी दृष्टिकोण) व्यवस्था का पालन कर रहे थे।
- DASH आहार में फल, सब्जियां, बिना चर्बी वाला मांस, पोल्ट्री, मेवे, साबुत अनाज खाना तथा संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और चीनी का सेवन कम करना शामिल है। हृदय प्रणाली संबंधी घटनाओं को रोकने के लिए यह सबसे अच्छा अनुशंसित आहार है।
भारत में नमक का सेवन:
- भारत में नमक के दैनिक सेवन का अनुमान लगाने वाले बड़े और विश्वसनीय अध्ययनों की कमी है।
- मौजूदा आंकड़े में प्रति दिन 10 ग्राम से अधिक की खपत देखी गई है, जो अनुशंसित मात्रा से कहीं अधिक है।
- यह बच्चों में और भी बदतर हो सकता है क्योंकि बच्चों के लिए अनुशंसित मात्रा लगभग आधी है।
- चेन्नई में स्कूल और कॉलेज के छात्रों के बीच सेपियन्स हीथ फाउंडेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन में उच्च रक्तचाप का 10% प्रसार देखा गया है।
- भारतीयों में नमक के सेवन संबंधी आकड़े और भी खराब हो सकते हैं क्योंकि भारत में लोग अचार का सेवन अक्सर जीवन की शुरुआत में शुरू कर देते हैं।
सोडियम की मात्रा:
- प्रसंस्कृत भोजन का बढ़ता उत्पादन, तेजी से शहरीकरण और बदलती जीवन शैली आहार पैटर्न को बदल रहे हैं। अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ रही और वे अधिक किफायती होते जा रहे हैं।
- दुनिया भर के लोग अधिक ऊर्जा-सघन खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं जिनमें संतृप्त वसा, ट्रांस वसा, शर्करा और नमक की मात्रा उच्च होती है।
- नमक सोडियम का प्राथमिक स्रोत है और सोडियम के अधिक सेवन से उच्च रक्तचाप और हृदय रोग और हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है।
- डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में अधिकांश लेबलों में सोडियम सामग्री दिखाई जाती है।
- 2.5 ग्राम नमक में 1 ग्राम सोडियम होता है।
- प्रसंस्कृत और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में एक बड़ा हिस्सा पृच्छन्न लवण का होता है।
नमक का प्रयोग कम करने के लिए सिफारिशें:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रतिदिन केवल 5 ग्राम नमक खाने की सलाह देता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देश 2025 तक वैश्विक आबादी द्वारा नमक की खपत को 30% तक कम करने पर सहमत हुए हैं।
- उपयोग किए जाने वाले सभी नमक को आयोडीन युक्त या “फोर्टिफाइड” किया जाना चाहिए, जो भ्रूण और छोटे बच्चे में स्वस्थ मस्तिष्क के विकास और सामान्य रूप से लोगों के मानसिक कार्य को अनुकूलित करने के लिए आवश्यक है।
- नमक कम करने के कार्यक्रम और वे कार्यक्रम जो नमक और मसालों के सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ फोर्टिफिकेशन को बढ़ावा देते हैं, एक दूसरे के पूरक हो सकते हैं।
- नीतिगत निर्णयों की जानकारी देने के लिए जनसंख्या द्वारा नमक के सेवन, आहार में नमक के स्रोत और उपभोक्ता ज्ञान, नमक से संबंधित दृष्टिकोण और व्यवहार की निगरानी करना।
सारांश: हाल ही के एक अध्ययन में नमक के सेवन की उच्च आवृत्ति और हृदय रोगों की घटनाओं में वृद्धि के बीच संबंध को दर्शाया गया है। आहार की आदतों में सुधार करना एक सामाजिक और साथ ही एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी है। यह जनसंख्या-आधारित, बहुक्षेत्रीय और सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक दृष्टिकोण की मांग करता है।
दूरसंचार उपकरणों का आयात
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विकास के लिए हस्तक्षेप।
मुख्य परीक्षा: दूरसंचार क्षेत्र के मुद्दे
संदर्भ: कई उपकरण निर्माताओं ने हाल ही में चीन से नेटवर्क गियर के आयात के बारे में चिंता व्यक्त की है, जिसे अन्य पड़ोसी देशों के माध्यम से भेजा जा रहा है।
मुख्य विवरण:
- हाल ही में, केंद्रीय संचार और आईटी मंत्री ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं(PLI Scheme) के लिए योग्य टेलीकॉम गियर निर्माता कंपनियों के 40 से अधिक CEOs से मुलाकात की और उन्हें बाजार समर्थन प्रदान करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में मूल्यवर्धन हेतु उनके व्यवसाय को सुव्यवस्थित करने के लिए 4-5 टास्क फोर्स स्थापित करने का निर्णय लिया।
- कंपोनेंट इकोसिस्टम बनाने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
- 4-5 चिप्स विकसित करने के लिए एक अन्य टास्क फोर्स का गठन किया गया है, फिर उन चिप्स को डिजाइन से उत्पादन तक ले जाया जाएगा।
- दूरसंचार क्षेत्र में अत्यधिक कुशल श्रमिकों, डिजाइनरों को लाने के लिए तीसरी टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
- आईआईटी मद्रास, टेलीकॉम इंजीनियरिंग सेंटर में टेस्ट बेड के उपयोग को अनुकूलित करने के लिए चौथा टास्क फोर्स स्थापित किया गया है।
- बैठक के दौरान, कई उपकरण निर्माताओं ने चीन से नेटवर्क गियर के आयात पर चिंता व्यक्त की, जिसे अन्य पड़ोसी देशों के माध्यम से भेजा जा रहा है।
- सरकार ने कहा कि वह उन पड़ोसी देशों से आयात को रोकने के लिए एक कार्यप्रणाली का निर्माण करेगी, जो दूरसंचार क्षेत्र के विश्वसनीय स्रोत नियमों के अनुरूप नहीं हैं।
- भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए दूरसंचार से लेकर बिजली तक के क्षेत्रों में उपयोग के लिए चीन से उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- ये प्रतिबंध आयातित उपकरणों में स्पाईवेयर या मैलवेयर एम्बेडेड होने जैसी चिंताओं से प्रेरित थे।
पृष्ठभूमि:
- 2020 के भारत-चीन सीमा गतिरोध के कारण, भारत सरकार ने चीनी गियर निर्माताओं हुआवेई और ZTE को भारतीय दूरसंचार ऑपरेटरों को 5G उपकरण की आपूर्ति करने से रोक दिया था।
- गैर-चीनी विक्रेताओं के लिए, एकमात्र बाधा यह थी कि वे जो उपकरण आपूर्ति करते हैं, उन्हें चीन में स्थित उनके कारखानों से आयात नहीं किया जाना चाहिए।
- दूरसंचार क्षेत्र पर राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश (NSDTS) का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला की उपयुक्त व्यवस्था को बनाए रखना है, जिसके तहत सरकार देश के दूरसंचार नेटवर्क में इंस्टॉलेशन के लिए विश्वसनीय स्रोतों और विश्वसनीय उत्पादों की सूची घोषित करेगी, जिसे 2021 में अनुमोदित किया गया था।
- विश्वसनीय स्रोत और उत्पाद की सूची उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता वाली समिति के अनुमोदन के आधार पर तय की जाएगी।
- इसमें नामित स्रोतों की सूची का भी उल्लेख है जहां से कोई खरीद नहीं की जानी है।
सारांश: चीन से नेटवर्क गियर के आयात, जिन्हें अन्य पड़ोसी देशों के माध्यम से भेजा जा रहा है, को लेकर उपकरण निर्माताओं की चिंताओं के बीच दूरसंचार क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु केंद्र सरकार NSDTS नीति के सख्त क्रियान्वयन की दिशा में काम कर रही है।
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
क्या गैंडा और हाथी संरक्षण के प्रयास सफल हैं?
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
पर्यावरण
विषय: पर्यावरण और प्रजाति संरक्षण।
प्रारंभिक परीक्षा: गैंडे और हाथियों की स्थिति।
मुख्य परीक्षा: गैंडा और हाथी संरक्षण।
विवरण:
- दुनिया भर में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाने वाला ग्रीन्स 2005 में सबसे बड़ी संरक्षण सफलता की कहानी बन गया क्योंकि इसने एक सदी पूरी कर ली।
- सफलता के पीछे प्रमुख कारण गैंडा सुरक्षा बल है जो कथित शिकारियों को देखते ही गोली मार देता है। 2012-13 के बाद से 1,300 वर्ग किमी टाइगर रिजर्व की सीमा के भीतर अनाधिकृत प्रवेश के लिए 55 से अधिक हथियारबंद लोगों को इन सुरक्षा बलों द्वारा मार डाला गया है।
भारतीय गैंडों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: Indian Rhinoceros: Characteristics, Behavior and Conservation
गैंडों की वर्तमान स्थिति:
- गैंडे शाकाहारी होते हैं जिनकी दृष्टि कमजोर होती है।
- वर्ष 1905 में जब काजीरंगा को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था तब एक सींग वाले गैंडों की आबादी लगभग 12 थी। यह स्थिति एक सदी में उलट गई और 2005 तक सफलता की एक बड़ी कहानी बन गई।
- स्टेट ऑफ राइनो रिपोर्ट 2022 के अनुसार, काजीरंगा में गैंडों की संख्या लगभग 2,613 है। यह भारत और नेपाल में ग्यारह आवासों में 4,014 की कुल आबादी का 65% से अधिक है।
- कई संरक्षणवादियों का विचार है कि गैंडों पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है। हालाँकि, इससे क्षेत्र के अन्य जानवरों को भी लाभ हुआ है। उदाहरण के लिए, असम में बाघों की संख्या भारत में कहीं और की तुलना में अधिक दर से बढ़ी है। 2010 के एक अनुमान के अनुसार, काजीरंगा में बाघों का घनत्व दुनिया में सर्वाधिक, लगभग 32.64 प्रति 100 वर्ग किमी है।
अवैध शिकार विरोधी उपायों का महत्व:
- एक विशेषज्ञ के अनुसार, भारत और नेपाल में अधिक जनशक्ति के साथ अवैध शिकार विरोधी प्रक्रिया को मजबूत करने, अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों की क्षमता निर्माण और बेहतर लड़ाकू गियर के साथ वन रक्षकों को लैस करने जैसे उपायों से गैंडों का संरक्षण सुनिश्चित करने में काफी मदद मिली है।
- इसके अलावा, मारे गए गैंडों की संख्या में तेज गिरावट के लिए स्थानीय निवासियों की भावनाएं भी एक महत्वपूर्ण कारक हैं। यह वर्ष 2013 और 2014 के लगभग 54 से गिरकर 2021 और 2022 में एक-एक हो गई है।
- पड़ोसी म्यांमार और विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया से परे क्षेत्र में अवैध वन्यजीव व्यापार के कारण शिकारियों से लगातार खतरा बना हुआ है।
- प्रमुख घास के मैदानों में विदेशी आक्रामक पौधों की प्रजातियाँ भी भारत और नेपाल में गैंडों के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में उभरी हैं।
गैंडों के संरक्षण के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: National Rhino Conservation Strategy | UPSC Notes
हाथियों की स्थिति
- भारत में लगभग 60% एशियाई हाथी हैं और प्रजातियों के अंतिम अनुमान (2017) के अनुसार इनकी संख्या लगभग 29,964 थी।
- हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भारत में हाथियों की आबादी का विस्तार हुआ है, हाथी को IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में ‘लुप्तप्राय’ के रूप में और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची I में सूचीबद्ध किया गया है।
- हाथियों की आबादी पूरे भारत में असमान रूप से वितरित है। भारत के दक्षिणी राज्यों (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु) में इसकी आबादी का लगभग 44% हिस्सा है।
- अगस्त्यमलाई एलीफेंट रिजर्व (2022) के साथ भारत में हाथी रिजर्व की कुल संख्या 32 है।
हाथी संरक्षण से जुड़ी चुनौतियाँ:
- हाथियों के लिए दो प्रमुख खतरे अवैध शिकार और मानव-पशु संघर्ष हैं।
- हालांकि हाथी दांत के लिए अवैध शिकार की घटनाओं में काफी कमी आई है, फिर भी मानव-हाथी संघर्ष लगातार बढ़ रहा है। उदाहरण के लिए, मानव-हाथी संघर्ष के कारण भारत में हर साल लगभग 500 इंसान और 100 हाथी मारे जाते हैं।
- पर्यावास विखंडन तथा रेलवे, सड़कों और बिजली के बुनियादी ढांचे के निर्माण के कारण कई हाथियों की मौत हुई है।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि प्रोजेक्ट एलिफेंट को 1992 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था। इस परियोजना का उद्देश्य हाथियों के अपने प्राकृतिक आवासों में लंबे समय तक जीवित रहना सुनिश्चित करना था।
- हाथी गलियारे हाथियों के आवासों को सुरक्षित करने और उन्हें संरक्षित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
- हाथी गलियारे रेखीय संकरे आवास लिंक हैं जिससे हाथी सुरक्षित आवासों के बीच स्थानांतरित होते हैं।
- भारत में लगभग 101 हाथी गलियारों की पहचान की गई है जिन्हें हाथी संरक्षण के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए।
संबंधित लिंक:
World Rhino Day (22 September) | UPSC Notes
सारांश:
सरकार और स्थानीय समुदाय के विभिन्न प्रयासों के कारण, भारत में गैंडों और हाथी दोनों प्रजातियों की अधिक मौजूदगी है। हालाँकि, अवैध शिकार और मानव-पशु संघर्ष जैसे कुछ मुद्दे अभी भी बने हुए हैं और इस प्रकार उन्हें समयबद्ध तरीके से सुलझाए जाने की आवश्यकता है।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का संरक्षण
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
पर्यावरण
विषय: जैव विविधता का संरक्षण
प्रारंभिक परीक्षा : ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
मुख्य परीक्षा: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की स्थिति और संरक्षण
संदर्भ : ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण पर सर्वोच्च न्यायालय का सवाल
विवरण:
- सर्वोच्च न्यायालय ने प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के संरक्षण के लिए भारत सरकार से सवाल किया।
- बिजली पारेषण लाइनों के कारण ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) की मौत से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली उच्चतम न्यायालय की एक विशेष पीठ ने गुजरात और राजस्थान के मुख्य सचिवों को चार सप्ताह के भीतर बिजली लाइनों की कुल लंबाई और डाइवर्टर की आवश्यकता की व्यापक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।
- उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल 2021 में भी हस्तक्षेप किया और अधिकारियों से एक वर्ष के भीतर ओवरहेड केबल के स्थान पर भूमिगत बिजली लाइनों (जहां भी संभव हो) के प्रयोग के लिए कहा।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड:
- GIB 1 मीटर की ऊंचाई और लगभग 15 से 18 किलोग्राम वजन वाले बड़े पक्षी होते हैं।
- ये उड़ने में उतने सक्षम नहीं होते हैं और उनकी पार्श्व दृष्टि व्यापक होती है जिससे वे शिकारियों की नजर में आ जाते हैं। हालाँकि, पक्षी की सामने की दृष्टि काफी संकीर्ण होती है।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को बिजली लाइनों से खतरा:
- सबसे महत्वपूर्ण खतरों में से एक जिसके कारण GIB आबादी में काफी गिरावट आई है, वह है बिजली की लाइनें।
- दुनिया भर के विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, डेनहम बस्टर्ड (दक्षिण अफ्रीका) और ग्रेट बस्टर्ड (स्पेन) की उच्च मृत्यु दर बिजली लाइनों के कारण देखी गई थी।
- संकीर्ण दृष्टि के कारण, GIB दूर से बिजली लाइनों का पता नहीं लगा पाते। इसके अलावा, चूंकि वे भारी होते हैं, इसलिए वे निकट दूरी के भीतर विद्युत लाइनों से बच कर निकल पाने में विफल रहते हैं।
- वे बिजली की लाइनों से टकराने के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं और उनकी मृत्यु मुख्य रूप से बिजली के झटके के बजाय टकराने से होती है।
- 2020 में भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा किए गए एक अध्ययन में 2017-20 से थार में बिजली लाइन की टक्कर के कारण GIB की मृत्यु के 6 मामलों की सूचना दी गई।
GIB की स्थिति और इसके संरक्षण के लिए किए गए उपाय:
- GIB भारत के साथ-साथ दुनिया भर में अत्यधिक संरक्षित हैं। ये CITES के परिशिष्ट I में भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध हैं।
- यह IUCN लाल सूची में गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध है। वर्ष 1969 में GIB की जनसंख्या लगभग 1,260 थी और पिछले तीन दशकों में इसमें 75% की गिरावट आई है।
- GIB पहले भारत के 11 पश्चिमी राज्यों में पाए जाते थे। हालाँकि, वर्तमान परिदृश्य में, पूरी आबादी काफी हद तक केवल राजस्थान और गुजरात तक ही सीमित है। इसकी छोटी आबादी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्यों में भी पाई जाती है।
- पूरे भारत में इसकी कुल आबादी 150 है, जिसमें से लगभग 128 पक्षी राजस्थान में पाए जाते हैं।
- सरकार ने बिजली पारेषण लाइनों के प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय किए हैं।
- जंगल से एकत्र किए गए अंडों से सोलह GIB चूजे कृत्रिम रूप से हैच किए गए थे। ये राजस्थान के जैसलमेर के सैम में स्थित सैटेलाइट संरक्षण प्रजनन सुविधा में भी पाले जाते हैं।
- ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के आवास सुधार और संरक्षण प्रजनन-एक एकीकृत दृष्टिकोण’ का उद्देश्य GIB की बद्ध (captive) आबादी का निर्माण करना और अंततः जंगल में चूजों को छोड़ना है।
- यह पहल शायद 20 से 25 साल तक चलेगी।
- WII के कई संरक्षण विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने राजस्थान में GIB प्राथमिकता/महत्वपूर्ण क्षेत्रों से गुजरने वाली सभी ऊपरी बिजली लाइनों को हटाने की मांग की है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने इस दिशा में एक टास्क फोर्स का गठन किया है।
GIB को अन्य खतरे:
- GIB धीमे प्रजनक हैं और जमीन पर अपना घोंसला बनाते हैं।
- इनका अतीत में शिकार हुआ है और अंडे के संग्रह के मामले भी देखे गए हैं।
- आवास के नुकसान का भी खतरा है क्योंकि सूखे घास के मैदानों को अन्य उपयोग के लिए प्रयोग किया जा रहा है।
- एक और बड़ी चुनौती कीटनाशक संदूषण है और खुले में रहने वाले कुत्तों, सूअरों और अन्य देशी शिकारियों की बढ़ती आबादी है जो घोंसलों और चूजों पर दबाव डालती है।
- हालांकि अधिकांश प्रजातियां जैसलमेर डेजर्ट नेशनल पार्क (DNP) तक ही सीमित हैं, इसलिए इस क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र से आगे बढ़ाया जाना चाहिए और इसे प्रजातियों के लिए उपयुक्त बनाया जाना चाहिए।
- यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर एक संरक्षण प्रयास शुष्क क्षेत्र के एक बड़े पक्षी के लिए काम नहीं कर सकता है क्योंकि यह संरक्षित क्षेत्र से बाहर भी निकल सकती है।
- प्रजातियों के प्रभावी और कुशल संरक्षण के लिए समुदाय-केंद्रित संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है।
संबंधित लिंक:
UPSC Exam Comprehensive News Analysis. Oct 22nd, 2022 CNA. Download PDF?
सारांश:
द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति है, जिसकी आबादी में पिछले कुछ वर्षों में काफी गिरावट आई है। सरकार और साथ ही स्थानीय समुदाय दोनों को विलुप्त होने से प्रजातियों को बचाना चाहिए और उसका संरक्षण करना चाहिए।
चीता और बाघ: भारत में बिग कैट्स की गाथा
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
पर्यावरण
विषय: प्रजाति संरक्षण
प्रारंभिक परीक्षा: भारत में चीतों और बाघों की स्थिति।
मुख्य परीक्षा: भारत में चीता का पुनर्वास
संदर्भ: कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को पुनः लाना।
पृष्ठभूमि विवरण:
- 17 सितंबर को महत्वाकांक्षी चीता री-इंट्रोडक्शन परियोजना के हिस्से के रूप में आठ नामीबिया चीतों को नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क (केएनपी), मध्य प्रदेश में स्थानांतरित किया गया।
- इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था।
- पांच मादा और तीन नर चीतों को उचित चिकित्सकीय देखरेख में भारत लाया गया। जंगल में उनके छोड़ने की क्रमिक प्रक्रिया का सावधानीपूर्वक अनुपालन किया जा रहा है ताकि ये भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल बन सकें। उन्हें शुरू में 6 ‘बोमास’ (बाड़ों) में रखा गया था और उन्हें भैंस का मांस दिया गया था।
- हाल की खबरों के अनुसार, नवंबर में शिकार के लिए उनमें से दो चीतों (फ्रेडी और एल्टन) द्वारा सफलतापूर्वक चीतल को मारने के बाद इन तीन जानवरों को ‘बोमास’ के बाहर एक बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया है। तीसरा जानवर (ओबन) भी नवंबर के मध्य में छोड़ा गया था।
- उन पर रेडियो-कॉलर लगाई गई है और एक समर्पित ट्रैकिंग टीम द्वारा उनकी गतिविधियों पर लगातार नज़र रखी जाती है।
- वन्यजीव वैज्ञानिकों, जीवविज्ञानियों, और एक प्रसिद्ध प्राणी विज्ञानी और चीता संरक्षण कोष के संस्थापक (लॉरी मार्कर) की एक टीम द्वारा इस पहल की बारीकी से निगरानी की जा रही है।
चीता री-इंट्रोडक्शन के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां पढ़ें: Re-introduction of Cheetah In India (UPSC) – Physical Features, Asiatic Vs African Cheetah, and Latest News
चीता पुनर्वास के कारण:
- भारत पहले चीतों का घर था, हालाँकि, ये बीसवीं शताब्दी के मध्य में भारत से विलुप्त हो गए।
- चीतों की वर्तमान जनसंख्या 8000 है, जो केवल नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका तक ही सीमित है।
- एक अन्य प्रजाति- एशियाई चीता (जो भारत में मौजूद था) केवल ईरान में पाया जाता है।
- उनके दीर्घकालिक अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए युवा चीतों को नामीबिया में संरक्षण प्रयासों के तहत पाला जा रहा है और फिर इसे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भेजा जा रहा है।
- कई विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि KNP में चीता के बाघों और शेरों जैसे अन्य शिकारियों के साथ सह-अस्तित्व में रहने के लिए सीमित स्थान है।
भारत में बाघ की स्थिति:
- नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार, बाघों की आबादी 2,967 है।
- ऐसा देखा गया कि बाघ की संख्या में प्रति वर्ष लगभग 6% की दर से वृद्धि हो रही है, लेकिन इसका आवास 2014 से लगभग 89,000 वर्ग किमी पर स्थिर बना हुआ है।
- बाघों की गणना एक परिष्कृत प्रणाली के साथ की जाती है जिसमें कैमरा ट्रैप और गणितीय विश्लेषण शामिल होता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि 2006 में बाघों की संख्या 1,411 के आँकड़े पर थी। यह 2010 में बढ़कर 1,706 और 2014 में 2,226 हो गई, क्योंकि बेहतर संरक्षण प्रयासों और नए आकलन के तरीके अपनाए गए हैं।
- प्रोजेक्ट टाइगर (1973 से) के उचित कार्यान्वयन और अवैध शिकार विरोधी उपायों ने बाघों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- भारत में कुल 53 टाइगर रिजर्व हैं। लेकिन यह भी देखा गया है कि बढ़ी हुई संख्या का मतलब है कि लगभग आधे बाघ संरक्षित क्षेत्रों से बाहर हैं, जिसके परिणामस्वरूप मानव-पशु संघर्ष के मामले बढ़ गए हैं।
बाघ संरक्षण के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: Tiger Conservation in India – Project Tiger, National Tiger Conservation Authority, Critical Tiger Habitats
संबंधित लिंक:
AIR Spotlight: Reintroduction of Cheetahs in India [UPSC Notes] Download PDF
सारांश:
भारत सरकार ने भारत में चीतों और बाघों दोनों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें कुनो नेशनल पार्क में चीतों का हालिया स्थानांतरण भी शामिल है। बाघों की आबादी में काफी वृद्धि हुई है और चीता संरक्षण के प्रयासों से भी इसी तरह की सफलता की उम्मीद है। हालाँकि, कुछ मुद्दे मौजूद हैं जिनका समय पर निवारण आवश्यक है।
प्रीलिम्स तथ्य:
1.चुनावी बॉन्ड:
सामान्य अध्ययन 02 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
प्रारंभिक परीक्षा: चुनावी बॉन्ड योजना; पंजीकृत राजनीतिक दल।
संदर्भ: हाल ही में सरकार ने चुनावी बॉन्ड की बिक्री हेतु एक और सप्ताह के लिए विंडो को खोल दिया है, जो 5 दिसंबर से शुरू होगा।
मुख्य विवरण:
- केंद्र सरकार ने देश भर में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की 29 शाखाओं के माध्यम से चुनावी बॉन्ड बिक्री की 24वीं किश्त की घोषणा की, भारतीय स्टेट बैंक की ये शाखाएँ 5 दिसंबर से 12 दिसंबर, 2022 तक बॉन्ड जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत हैं।
- इससे पहले, केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने “विधायिका वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधान सभा के लिए होने वाले आम चुनाव के वर्ष में” बॉन्ड बिक्री हेतु “15 दिनों की अतिरिक्त अवधि” प्रदान करने को लेकर योजना में संशोधन के लिए अधिसूचना जारी की थी।
- मूल योजना में उस वर्ष में जब लोकसभा चुनाव होते हैं, तीस दिनों की अतिरिक्त अवधि प्रदान की गई थी, जैसा कि सरकार द्वारा निर्दिष्ट किया गया था, जबकि संशोधन के माध्यम से और 15 दिन जोड़े गए।
चुनावी बॉन्ड के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: Electoral Bonds
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. अल-बदर:
- जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक विशेष शाखा, राज्य जांच एजेंसी (SIA) ने शनिवार को “आतंकवादी संगठनों के नेटवर्क” पर अपनी कार्रवाई जारी रखी और पूरे कश्मीर में कई स्थानों पर तलाशी ली।
- मामला पाकिस्तान के आतंकी संगठन अल-बदर के सदस्यों से जुड़ा है।
- अल-बदर कश्मीर क्षेत्र में सक्रिय एक इस्लामिक आतंकवादी समूह है। इसे भारत द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 2004 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था।
- इसे संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एक विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में भी नामित किया गया है। वर्तमान अल बदर नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका, इज़राइल और सऊदी अरब के शासन का भी विरोध करता है।
- पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) द्वारा कश्मीरी स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत करने और भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर को आजाद कराने और इसे पाकिस्तान में विलय करने के लक्ष्य के साथ कथित तौर पर इस समूह का गठन जून 1998 में किया गया था।
2.दिव्यांगों के लिए स्वतंत्र मंत्रालय:
- दिव्यांग व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर, महाराष्ट्र सरकार ने शैक्षिक और पेशेवर रूप से विशेष शारीरिक और मानसिक आवश्यकताओं वाले लोगों के लिए मुंबई में दिव्यांग मंत्रालय का उद्घाटन किया।
- दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (IDPD) हर साल 3 दिसंबर को मनाया जाता है।
- इस वर्ष की थीम है “समावेशी विकास के लिए परिवर्तनकारी समाधान: एक सुलभ और न्यायसंगत दुनिया को बढ़ावा देने में नवाचार की भूमिका।”
- महाराष्ट्र दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक स्वतंत्र मंत्रालय स्थापित करने वाला पहला राज्य बन गया है।
- मंत्रालय की परिकल्पना दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण और उनके लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए की गई है।
- पहले दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित सभी शिकायतों और मुद्दों का निराकरण सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री की अध्यक्षता में सामाजिक न्याय विभाग द्वारा किया जाता था।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1.निम्नलिखित कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं? (स्तर-कठिन)
- वायुमंडल में कार्बन का सर्वाधिक प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला समस्थानिक (isotope) कार्बन-14 है।
- कार्बन-14 कार्बन का रेडियोधर्मी समस्थानिक है और कार्बन तिथि निर्धारण (Dating) का आधार है।
- रेडियोकार्बन तिथि निर्धारण 60,000 वर्ष से अधिक पुरानी वस्तुओं के लिए सबसे सटीक परिणाम प्रदान करता है।
विकल्प:
- केवल एक कथन
- केवल दो कथन
- सभी तीनों कथन
- उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर: B
व्याख्या:
- कथन 01 गलत है: कार्बन-12 समस्थानिक सबसे प्रचुर कार्बन समस्थानिक है जो कुल प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले कार्बन का लगभग 98.89% है। यह सभी जैविक प्रणालियों में पाया जाता है।
- कथन 02 सही है: कार्बन-14 कार्बन का एक रेडियोधर्मी समस्थानिक है जिसमें 6 प्रोटॉन और 8 न्यूट्रॉन वाले परमाणु नाभिक होते हैं। कार्बनिक पदार्थों में इसकी उपस्थिति रेडियोकार्बन तिथि निर्धारण पद्धति का आधार है।
- कथन 03 सही है: रेडियोकार्बन तिथि निर्धारण एक रेडियोमेट्रिक तिथि निर्धारण पद्धति है जिसमें कार्बन 14 का उपयोग लगभग 60,000 वर्ष पुरानी कार्बनयुक्त पदार्थ का आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित संगीत वाद्ययंत्रों में से कितने तत वाद्य के रूप में वर्गीकृत हैं? (स्तर-कठिन)
- तानपुरा
- कामायचा
- पिल्लनकरोवी
- झांज
विकल्प:
- केवल एक
- केवल दो
- केवल तीन
- सभी चार
उत्तर: B
व्याख्या: तत वाद्य (Tata Vadya) संगीत वाद्ययंत्रों का एक समूह है जिसमें तार या तार के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है।
- पिल्लनकरोवी (बांसुरी) वुडविंड समूह में शास्त्रीय संगीत वाद्ययंत्रों का एक परिवार है। सभी वुडविंड की तरह, पिल्लनकरोवी एयरोफ़ोन हैं, जिसका अर्थ है कि वे हवा के एक स्तंभ को कंपित करके ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
- झांज एक सामान्य तालवाद्य है। अक्सर जोड़े में उपयोग किए जाने वाले, झांज में विभिन्न मिश्र धातुओं की पतली, सामान्य रूप से गोल प्लेटें होती हैं।
प्रश्न 3. निम्नलिखित युग्मों में से कौन से सुमेलित हैं? (स्तर-मध्यम)
जनजातिराज्य
- गोंड एवं कोरकू मध्य प्रदेश
- भूटिया एवं लेप्चा सिक्किम
- इरुला एवं टोडा छत्तीसगढ़
- सहरिया एवं अगरिया असम
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2, 3 और 4
- केवल 2 और 4
- केवल 1 और 3
उत्तर: A
व्याख्या:
- युग्म 01 सुमेलित है: गोंड और कोरकू जनजाति मध्य प्रदेश राज्य से संबंधित हैं।
- युग्म 02 सुमेलित है: भूटा-लेप्चा सिक्किम में भूटिया और लेप्चा समुदायों के लोगों से बना एक जातीय समूह है।
- युग्म 03 सुमेलित नहीं है: इरुला और टोडा कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में नीलगिरि की पहाड़ी जनजातियाँ हैं।
- युग्म 04 सुमेलित नहीं है: सहरिया मध्य प्रदेश का एक जातीय समूह है। वे राजस्थान के कुछ हिस्सों में भी पाए जाते हैं।
- अगरिया मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पाया जाने वाला एक समुदाय है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कितने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य पशु समान (common) हैं? (स्तर-मध्यम)
- असम
- दिल्ली
- कर्नाटक
- झारखंड
विकल्प:
- उपर्युक्त सभी
- केवल दो
- केवल तीन
- उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर: B
व्याख्या:
- एक सींग वाला गैंडा असम का राजकीय पशु है।
- दिल्ली का राजकीय पशु नीलगाय है।
- भारतीय हाथी कर्नाटक और झारखंड का राजकीय पशु है।
प्रश्न 5. M-STRIPES शब्द कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है? (PYQ-2017) (स्तर – मध्यम)
- वन्य प्राणिजात का बद्ध प्रजनन
- बाघ अभयारण्यों का रख-रखाव
- स्वदेशी उपग्रह दिक्चालन प्रणाली
- राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा
उत्तर: B
व्याख्या:
- M-STrIPES (Monitoring System for Tigers – Intensive Protection and Ecological Status/बाघों के लिए निगरानी प्रणाली – गहन संरक्षण और पारिस्थितिक स्थिति) 2010 में भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा भारतीय बाघ अभयारण्यों में शुरू की गई एक सॉफ्टवेयर आधारित निगरानी प्रणाली है।
- M-STrIPES गश्ती दल को वन अधिकारियों के गश्त, स्थान, मार्गों और समय की मैपिंग करते हुए संदिग्ध गतिविधि की बेहतर निगरानी में सक्षम बनाता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निरंकुश मानवजनित गतिविधियों के कारण दुनिया के वन्यजीव और जैव विविधता के सामने सबसे गंभीर ख़तरा उत्पन्न हो गया है। कुछ प्रजातियों पर इसके प्रभाव के उदाहरणों सहित चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (GS-3; पर्यावरण और पारिस्थितिकी)
प्रश्न 2. सर्वोच्च न्यायालय ने गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को बचाने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर जैसी पहल की मांग क्यों की है? विद्युत पारेषण लाइनें इन प्रजातियों के लिए एक बड़ा खतरा कैसे हैं? (250 शब्द; 15 अंक) (GS-3; पर्यावरण और पारिस्थितिकी)