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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 05 May, 2022 UPSC CNA in Hindi

05 मई 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

  1. पेरारीवलन की याचिका में राष्ट्रपति की कोई भूमिका नहीं: SC

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. मोदी ने नॉर्डिक नेताओं के साथ की द्विपक्षीय वार्ता की:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. जीएसटी मुआवजा बकाया की स्थिति:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

अर्थव्यवस्था:

  1. आरबीआई द्वारा रेपो दर में वृद्धि हैरान करने वाली:
  2. मुद्रास्फीति नियंत्रण के एक और मॉडल की जरूरत:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. पीएम मोदी द्वारा नॉर्डिक देशों के नेताओं को दिए गए उपहारों की सूची:
  2. शिगेला सोनी बैक्टीरिया (Shigella Sonnie bacteria):

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. इसरो ने दिसंबर 2024 तक शुक्र के लिए एक मिशन की योजना बनाई:
  2. लद्दाख में जन्म के समय उच्चतम लिंगानुपात:
  3. उत्तर कोरिया ने बैलिस्टिक मिसाइल दागी:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

मोदी ने नॉर्डिक नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता की:

विषय: भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: भारत के लिए नॉर्डिक देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का महत्व।

प्रसंग:

  • भारत के प्रधान मंत्री ने विभिन्न यूरोपीय देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता में भाग लिया।
  • भारत के प्रधान मंत्री ने कोपेनहेगन में दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के मौके पर नॉर्डिक देशों (डेमार्क, नॉर्वे, स्वीडन, आइसलैंड और फिनलैंड) के नेताओं से मुलाकात की।

बैठक का महत्व:

  • भारत-नॉर्डिक के बीच मजबूत संबंधों में वैश्विक समृद्धि और सतत विकास को प्राप्त करने और उसमे योगदान करने की बड़ी क्षमता निहित है।
  • हाल ही में घोषित भारत की आर्कटिक नीति में नॉर्वे की महत्वपूर्ण भूमिका है।Arctic Policy
  • स्वीडन भारत को सुरक्षा,आईटी,अनुसंधान और नवाचार जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करता है जिससे दोनों देशों को लाभ होता है।
  • भारत के प्रधान मंत्री ने व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, संस्कृति और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए अपने फिनलैंड समकक्ष के साथ भी चर्चा की।
  • प्रधान मंत्री ने जर्मन चांसलर से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच साझेदारी की प्रतिबद्धता को दोहराया।
  • जर्मनी ने द्विपक्षीय सहयोग के लिए €10 बिलियन के निवेश की घोषणा की है।
  • जर्मनी ने यह भी कहा कि भारत एशिया में उसका प्रमुख साझेदार देश है।
  • यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की पृष्ठभूमि में यूरोपीय नेताओं के साथ भारतीय प्रधान मंत्री की बैठक की भी अपनी महत्ता है क्योंकि इस युद्ध पर भारत के तटस्थ रुख की पश्चिम द्वारा काफी आलोचना की गई है।
  • साथ ही यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में अब यूरोप की विदेश नीति के सन्दर्भ में अधिक सुरक्षित दृष्टिकोण अपनाये जाने की उम्मीद है।
  • भारत के लिए डेनमार्क के महत्व के बारे में अधिक जानकारी के लिए 4 मई 2022 का यूपीएससी परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण देखें।

सारांश:

  • शीत युद्ध के बाद,भारत पश्चिम और रूस दोनों के साथ मजबूत संबंध बनाने में कामयाब रहा है, लेकिन बहु-दिशात्मक साझेदारी के इस युग को रूस को यूक्रेन पर आक्रमण के कारण कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है साथ ही इस समय भारत के सामने बड़ी चुनौती रूस के साथ अपनी महत्वपूर्ण पारंपरिक रणनीतिक साझेदारी को बाधित किए बिना,पश्चिम के साथ एक मजबूत रणनीतिक भविष्य का निर्माण करना है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

पेरारीवलन की याचिका में राष्ट्रपति की कोई भूमिका नहीं: SC

विषय: विभिन्न संवैधानिक कार्यालयों की शक्तियां, कार्य और जिम्मेदारियां

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रपति और राज्यपालों की क्षमादान शक्तियां

मुख्य परीक्षा: A.G. पेरारिवलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विवरण।

प्रसंग:

  • सुप्रीम कोर्ट ने माना कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद के तहत 30 से अधिक साल जेल में काट चुके A.G. पेरारिवलन को रिहा करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को मानने के लिए तमिलनाडु के राज्यपाल बाध्य हैं।

पृष्ठभूमि:

  • इस मुद्दे की विस्तृत पृष्ठभूमि के लिए 6 फरवरी 2021 का यूपीएससी परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण देखें।

सुप्रीम कोर्ट के विचार:

  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया हैं कि अदालत को तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक कि राष्ट्रपति A.G. पेरारिवलन की दया याचिका पर फैसला नहीं ले लेते, जिसे तमिलनाडु के राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास भेज दिया था।
  • अदालत ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजने के राज्यपाल के अधिकार पर सवाल उठाया हैं,क्योंकि राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत सितंबर 2018 में तमिलनाडु मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सहायता और सलाह को मानने के लिए बाध्य थे।
  • अदालत ने कहा कि राज्यपाल के पास पहले तो राष्ट्रपति को दया याचिका स्थानांतरित करने का अधिकार नहीं था और संविधान के अनुसार इस मामले में राष्ट्रपति की कोई भूमिका नहीं थी।
  • साथ ही अदालत ने केंद्र द्वारा राज्यपाल की पैरवी पर भी सवाल उठाया हैं।

अनुच्छेद 161:

  • संविधान के अनुच्छेद 161 में राज्यपाल की क्षमादान शक्ति का उल्लेख किया गया है।
  • अनुच्छेद के अनुसार राज्यपाल को राज्य की कार्यपालिका के अधीन आने वाले सभी विषियों पर किसी विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलंबन, विराम या परिहार करने की अथवा दंडादेश में निलंबन, परिहार या लघुकरण की शक्ति होगी।
  • राज्यपाल और राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियों के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Governor और President

सारांश:

  • यह स्वीकार करते हुए कि राष्ट्रपति और राज्यपाल को क्रमशः अनुच्छेद 72 और 161 के तहत दया की दो अलग-अलग शक्तियों के साथ अधिकृत किया गया है, सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि राज्यपाल अनुच्छेद 161 के तहत राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा दी गए सलाह मानने के लिए बाध्य है और यदि राज्यपाल की एक अलग राय है, तो वह इसे वापस राज्य को भेजता है ।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

जीएसटी मुआवजा बकाया की स्थिति:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं योजना से संबंधित मुद्दे, संसाधन जुटाना, विकास और रोजगार ।

मुख्य परीक्षा: राज्यों की जीएसटी मुआवजे की स्थिति और राज्यों को समय पर धन जारी करने की आवश्यकता।

प्रसंग:

  • प्रधान मंत्री ने जैसे ही राज्यों से ईंधन उत्पादों पर करों में कटौती करने का आग्रह किया,तो प्रतिउत्तर में राज्यों ने यह कहते हुए प्रतिवाद किया कि लंबित जीएसटी मुआवजे के बकाए ने ईंधन पर लगने वाले शुल्कों को कम करना मुश्किल बना दिया है।

राज्यों को जीएसटी मुआवजा:

  • जीएसटी कर व्यवस्था (GST regime) को वर्ष 2016 में लागू किया गया था जिसके तहत कई राज्य व केंद्रीय शुल्कों को बदल कर एक सरल कर प्रणाली बनाई गई ।
  • इसके परिणामस्वरूप राज्यों को अपनी कई कराधान शक्तियां खोनी पड़ीं और केंद्र ने आश्वासन दिया कि राजस्व के इस नुकसान की भरपाई केंद्र द्वारा पांच साल की अवधि तक की जाएगी।
  • एवं मुआवजे की यह गणना जीएसटी में सम्मिलित राज्य करों से राजस्व पर 14% वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि को मानकर की जानी थी।
  • क्षतिपूर्ति उपकर निधि, उपकर विलासिता की वस्तुओं जैसे पान मसाला, तंबाकू, कोयला और कारों पर आरोपित किया जाता है।

राज्यों को बकाया जीएसटी मुआवजे की स्थिति:

  • वित्त मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2021-22 में राज्यों को बकाया जीएसटी मुआवजा 78,704 करोड़ रुपये रहा था, जो इस तरह के उपार्जन के चार महीने के बराबर है।
  • इससे पता चलता है कि अप्रैल से नवंबर 2021 के बीच के आठ महीने की अवधि की बकाया राशि राज्यों को दे दी गई है।
  • दिसंबर 2021 से मार्च 2022 की अवधि के लिए राज्यों को लंबित ₹78,704 करोड़ के अलावा, अप्रैल से जून की अवधि के मुआवजे को भी संसाधित करने की आवश्यकता है।
  • विशेषज्ञों का सुझाव है कि राज्यों को भुगतान किया जाने वाला कुल बकाया 1.4 लाख करोड़ रुपये के करीब है।
  • मंत्रालय ने पिछली बार मार्च 2022 में राज्यों को ₹18,252 करोड़ का जीएसटी मुआवजा जारी किया था और मुआवजा उपकर संग्रह कोष में ‘अपर्याप्त शेष’ के कारण तुरंत बकाया भुगतान करने में असमर्थता दोहराई थी।

भावी कदम:

  • हालाँकि विशेषज्ञों का मानना है कि हाल के महीनों में रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह राज्यों को जीएसटी संग्रह का बड़ा हिस्सा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। लेकिन जीएसटी मुआवजा उपकर संग्रह कुल जीएसटी संग्रह की तुलना में बहुत कम है।
  • केंद्र से राज्यों को यह स्पष्ट करने की उम्मीद है कि बकाया कब जारी किया जाएगा क्योंकि इससे राज्यों को बेहतर योजना बनाने में मदद मिलती है।
  • ज्ञातव्य हैं की जुलाई 2023 से जीएसटी मुआवजा देने की अपेक्षित समाप्ति के साथ-साथ लंबित धनराशि जारी करने में लगा समय राज्य की उधार योजनाओं को प्रभावित करेगा।

सारांश:

  • जैसा कि राज्यों से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अपने पूंजीगत व्यय में वृद्धि की उम्मीद है,ऐसे में केंद्र से जीएसटी मुआवजा समय पर जारी होने से राज्यों को सार्वजनिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की योजना बनाने और उन्हें बेहतर ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

आरबीआई द्वारा रेपो दर में वृद्धि हैरान करने वाली:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना से संबंधित मुद्दे, संसाधन जुटाना, विकास और रोजगार।

प्रारंभिक परीक्षा: महत्वपूर्ण शब्दावली- रेपो रेट, SDF, MSF और CRR।

मुख्य परीक्षा: भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का दबाव तथा इसके कारण और प्रभाव।

प्रसंग:

  • मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने एक ऑफ-साइकिल बैठक में ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला किया है।

विवरण:

  • रेपो दर को 40 आधार अंक (bps) बढ़ाकर 4.4% कर दिया गया है। यह वृद्धि महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि रेपो दर में अगस्त 2018 के बाद पहली बार वृद्धि हुई थी।
    • जब वाणिज्यिक बैंक RBI से पैसा उधार लेते हैं तो वह जो ब्याज दर वसूलता है उसे रेपो दर कहा जाता है।

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Image courtesy: The Hindu

  • वृद्धि के हिस्से के रूप में, स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर 4.15% हो जाएगी और सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) और बैंक दर 4.65% हो जाएगी।
    • स्थायी जमा सुविधा (SDF) एक मौद्रिक उपाय है जो आरबीआई को सरकार समर्थित प्रतिभूतियों (G-Secs) जैसे संपार्श्विक के आदान-प्रदान के बिना वाणिज्यिक बैंकों से अतिरिक्त तरलता को अवशोषित करने में सक्षमा बनाती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने समायोजनात्मक मौद्रिक नीति के पाठ्यक्रम को सामान्य बनाने के उद्देश्य से एक स्थायी जमा सुविधा की शुरुआत की थी।
    • सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) भारतीय रिजर्व बैंक का एक प्रावधान है जिसके माध्यम से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक रातोंरात तरलता प्राप्त कर सकते हैं।
  • RBI ने भी नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 4.5% कर दिया ताकि अर्थव्यवस्था में तरलता अधिशेष समाप्त हो।
    • नकद आरक्षित अनुपात (CRR) के तहत, वाणिज्यिक बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास एक निश्चित न्यूनतम राशि रखनी होती है।
  • यद्यपि उपरोक्त उपायों का उद्देश्य महामारी के कारण हुए आर्थिक संकट के दौरान अपनाई गई समायोजन नीति को वापस लेना है हलाकि अभी भी MPC ने अपने ‘समायोजन’ नीति रुख को बरकरार रखा है।

इस कदम का तर्क:

  • नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि का मुख्य कारण मुद्रास्फीति के स्तर में तेजी पर अंकुश लगाना है।
  • वैश्विक और घरेलू स्तर पर भी मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ता जा रहा हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अप्रैल की रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि यूक्रेन युद्ध न केवल 2022 में वैश्विक विकास को धीमा करने, बल्कि विकसित और विकासशील दोनों ही अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति का कारण बनेगा और निकट भविष्य में इसकी सबको बड़ी कीमत भी चुकानी होगी।
    • वर्तमान में घरेलू मुद्रास्फीति उच्च रही है और आगामी महीनों में भी इसके उच्च स्तर पर रहने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति दो वर्षो से अधिक समय से RBI की 6% की ऊपरी सहिष्णुता सीमा से काफी ऊपर बनी हुई हैं।
  • मौद्रिक नीति का निर्णय +/- 2% के बैंड के भीतर 4% का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति के लिए मध्यम अवधि के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप है।

उच्च मुद्रास्फीति का प्रभाव:

गरीबों पर असर :

  • निरंतर उच्च मुद्रास्फीति ने गरीब वर्गों की क्रय शक्ति को कमजोर कर उन्हें प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है।

विकास की संभावनाओं का प्रभाव:

  • निरंतर उच्च घरेलू मुद्रास्फीति, अर्थव्यवस्था की मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
  • उच्च मुद्रास्फीति उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति और अर्थव्यवस्था में मांग को कम करती है। यह अर्थव्यवस्था में बचत और निवेश को भी नुकसान पहुंचाती है जिससे अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा और उत्पादन वृद्धि प्रभावित होती है। इस प्रकार, उच्च मुद्रास्फीति महामारी के बाद के चरण में आर्थिक सुधार को कमजोर कर सकती है और गतिरोध उत्पन्न कर सकती है।

वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव:

  • मुद्रास्फीति को, दीर्घकालिक जोखिम वाले ‘डी-एंकरिंग मुद्रास्फीति अपेक्षाओं’ और परिणामी वित्तीय अस्थिरता के मौजूदा स्तरों से ऊंचा रखना।

उच्च मुद्रास्फीति में योगदान करने वाले कारक:

राजनीतिक तनाव:

  • वर्तमान यूक्रेन संघर्ष, रूस पर प्रतिबंध और उसकी जवाबी कार्रवाई के परिणामस्वरूप कमोडिटी और वित्तीय बाजारों में अस्थिरता और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न हुआ है। इससे गेहूं, खाद्य तेल, कच्चे तेल और कोयले सहित कई वस्तुओं की कीमतों को बढ़ा दिया है।
  • वर्तमान संघर्ष का कोई अंत होता नहीं दिख रहा है, इस कारण भू-राजनीतिक तनाव से केवल जोखिम में वृद्धि हुई हैं।

नीति सामान्यीकरण का प्रभाव:

  • यू.एस. फेडरल रिजर्व के नेतृत्व में विकसित अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंक नीति सामान्यीकरण का मार्ग अपना रहे हैं। जिससे पूंजी प्रवाह के स्तर में उच्च अस्थिरता पैदा होगी और इसका भारतीय विनिमय दर पर प्रभाव पड़ेगा
  • रुपये के घटते मूल्य से आयातित मुद्रास्फीति का जोखिम बढ़ जाएगा।

दूसरे दौर के प्रभाव का खतरा:

  • दूसरे दौर के प्रभाव, मूल्य-निर्धारण करने वाली फर्मों और मजदूरी-निर्धारण श्रम की कीमतों एवं मजदूरी में वृद्धि (मार्क-अप या उच्च सीमांत लागत के माध्यम से) करने की क्षमता से उत्पन्न होते हैं इसलिए वस्तुओं और सेवाओं की सामान्य कीमतें, सापेक्ष मूल्य आघातों की प्रतिक्रिया होती हैं।

महामारी से जुड़ी अनिश्चितता:

  • महामारी का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है और जैसा कि चीन में संक्रमण की ताजा लहर का प्रकोप देखा गया है, ऐसी स्थितियां मुद्रास्फीति की अनिश्चितता को काफी बढ़ा देंगी।

तेल की कीमतें:

  • कच्चे तेल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं
  • इसके अलावा, भारत में पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए गए उच्च करों के परिणामस्वरूप पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू कीमतों में वृद्धि हुई है, जिसका भारत में मुद्रास्फीति पर काफी प्रभाव पड़ा है।

चुनौतियां:

  • उच्च ब्याज दरों का एक संभावित निकट-अवधि का प्रभाव सस्ते ऋण की उपलब्धता में कमी के कारण उत्पादन पर प्रतिकूल होगा।

सुझाव:

मुद्रास्फीति पर काबू पाने के अन्य उपाय:

  • बेंचमार्क ब्याज दरों को बढ़ाने से मुद्रास्फीति को कुछ हद तक कम करने में मदद मिलेगी, RBI और राजकोषीय अधिकारियों को मुद्रास्फीति के स्तर को कम रखने के लिए ईंधन करों में कटौती सहित अन्य संभावित उपाय करने पर भी विचार करना चाहिए।

विकास की चिंता दूर करने के उपाय:

  • RBI को दर वृद्धि के द्वारा पड़ने वाले प्रतिकूल अल्पकालिक प्रभावों को कम करने तथा अर्थव्यवस्था की उत्पादक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त तरलता की उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहिए। जो विकास को बढ़ावा देते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य सीमा के भीतर रखने में सहायक होगा।

सारांश:

  • ब्याज दरों में वृद्धि एक स्वागत योग्य कदम है, क्योंकि मुद्रास्फीति की दरें बढ़ रही है। उच्च मुद्रास्फीति का गरीब क्षेत्रों पर स्पष्ट रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और साथ ही निरंतर उच्च घरेलू मुद्रास्फीति मध्यम अवधि के विकास की संभावनाओं के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

मुद्रास्फीति नियंत्रण के एक और मॉडल की जरूरत:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना से संबंधित मुद्दे, संसाधन जुटाना, विकास और रोजगार।

मुख्य परीक्षा: मौजूदा मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण मॉडल से जुडी चिंताएं और सुझाव।

सन्दर्भ:

  • वर्तमान में मुद्रास्फीति के भारतीय अर्थव्यवस्था पर बढ़ते प्रभाव के कारण एक प्रमुख चिंता का विषय बनी हुई है।
  • थोक मूल्य मुद्रास्फीति विगत 12 महीनों से अधिकतम समय तक दहाई अंक में रही है।
  • उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति लगातार तीन महीने से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 6% की ऊपरी सीमा से अधिक रही है।
  • मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए रेपो दर को 40 आधार अंक (bps) बढ़ाकर 4.4% कर दिया है।
  • इस संदर्भ में, लेखक मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की RBI की ‘मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण’ की नीति की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक मूल्यांकन करता है।

पृष्टभूमि:

पश्चिमी मॉडल के अनुसार मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को समझना:

  • पश्चिमी केंद्रीय बैंकों द्वारा अपनाए गए मॉडल के अनुसार, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपनाया गया है, मुद्रास्फीति अपने ‘प्राकृतिक’ स्तर पर उत्पादन की अधिकता को दर्शाती है।
    • 2014 की RBI रिपोर्ट ने मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण की सिफारिश की थी।
  • मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण में ब्याज दर को बढ़ाना होता है अर्थात् वह दर जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उधार देता है। उधार की यह बढ़ी हुई दर फर्मों को अपनी निवेश योजनाओं, इन्वेंट्री तथा उत्पादन को कम करने के लिए प्रेरित करती है। जो उत्पादन को कम करने में सहायक होगा और उत्पादन, उत्पादन के प्राकृतिक स्तर के बराबर हो जाएगा और इस प्रकार मुद्रास्फीति को यह कम करेगा।

वर्तमान दृष्टिकोण से संबंधित चिंता:

अमूर्त पैरामीटर का उपयोग:

  • उत्पादन के प्राकृतिक स्तर को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना बहुत कठिन है। जिसकी कल्पना या मापन नहीं किया जा सकता है, उसे वित्तीय स्थिरता के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है

घरेलू कारकों की अनदेखी:

  • कुछ अध्ययनों और शोधों ने भारत में मुद्रास्फीति के लिए कृषि वस्तुओं की कीमतों और कुछ हद तक आयातित तेल को जिम्मेदार माना है।
  • RBI द्वारा अपनाया गया मॉडल इस मुख्य पहलू की उपेक्षा करता है। क्योकि RBI की मौद्रिक नीति न तो कृषि वस्तुओं और न ही आयातित तेल की कीमतों को नियंत्रित कर सकती है।

मौद्रिक नीति का अवांछित प्रभाव:

  • उत्पादन में कमी को विकास की निराशाजनक संभावनाओं और रोजगार के अवसरों की कीमत पर प्राप्त किया जाता है।

अप्रभावीता:

  • मौद्रिक नीति युद्धाभ्यास, RBI द्वारा रेपो दर को बढ़ाना, विशिष्ट कृषि मूल्य-संचालित मुद्रास्फीति का उचित समाधान नहीं है।

सुझाव:

  • यह विदित है कि भारत की मुद्रास्फीति कृषि वस्तुओं की कीमतों द्वारा प्रेरित है, ऐसे में कृषि वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ाने और सस्ती कीमतों पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। सस्ते भोजन तक पहुंच गैर-कृषि वस्तुओं पर खर्च करने के लिए घर के बजट के पर्याप्त हिस्से की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी।
  • स्थायी मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिए कृषि उत्पादन को स्थिर रखने की आवश्यकता है। साथ ही, कृषि उत्पादकता को लगातार बढ़ाने की दिशा में आवश्यक उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
  • इस बात को ध्यान में रखते हुए, औसत खपत टोकरी में खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे कि फल और सब्जियां एवं प्रोटीन, जैसे दूध और मांस एवं चावल तथा गेहूं जैसे मुख्य अनाज के साथ ऐसे उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • मुख्य रूप से राजनीतिक कारणों से प्रेरित खरीद कीमतों में लगातार वृद्धि के दुष्परिणामों को समझने और इन चिंताओं को दूर करने के लिए आवश्यक उपाय करने की आवश्यकता है।

सारांश:

  • भारत को इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अधिक प्रासंगिक मानकों के आधार पर मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए एक मॉडल अपनाने की जरूरत है। भारत में मुद्रास्फीति कृषि वस्तुओं और आयातित तेल की कीमतों पर अधिक निर्भर है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.पीएम मोदी द्वारा नॉर्डिक देशों के नेताओं को दिए गए उपहारों की सूची:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय विरासत और संस्कृति;

विषय: कला रूपों के मुख्य पहलू

प्रारंभिक परीक्षा: समाचारों में विभिन्न भारतीय कला रूप

A.डोकरा (Dokra):

प्रसंग:

  • डेनमार्क के क्राउन प्रिंस को छत्तीसगढ़ की एक डोकरा नाव भेंट की गई।
  • ढोकरा एक गैर-लौह धातु कास्टिंग (ढलाई) प्रक्रिया है जिसमें लॉस्ट वैक्स कास्टिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है।
  • लॉस्ट वैक्स कास्टिंग तकनीक का उपयोग भारत में 4,000 से अधिक वर्षों से किया जा रहा है और अभी भी इसका उपयोग किया जा रहा है।

प्रक्रिया:

  • मूर्तिकला की एक छवि मोम से बनाई जाती है और एक कास्ट या मोल्ड से ढकी होती है। मोल्ड को गर्म किया जाता है, जिससे मोम निकल जाता है।फिर, पिघले हुए कांसे को सांचे में डाला जाता है और ठंडा किया जाता है।
    • (लॉस्ट वैक्स तकनीक में मिट्टी की मूर्ति का मॉडल बनाकर मोम के तार से मिट्टी के मॉडल पर लपेटते हैं। फिर उसके ऊपर मिट्टी लगाते हैं। धूप में सुखाकर दोबारा मिट्टी लगाते हैं। सूखने के बाद भट्टी में मॉडल को गरम करते है, जिससे खाली जगह में उबलता हुआ पीतल या कांसे को डाला जाता है।)

B. रोगन पेंटिंग (Rogan painting):

प्रसंग:

  • गुजरात की एक रोगन पेंटिंग डेनमार्क की रानी को उपहार में दी गई थी।
  • रोगन पेंटिंग भारत के गुजरात के कच्छ जिले में प्रचलित कपड़ा छपाई की एक कला है।
  • फारसी में ‘रोगन’ शब्द का अर्थ है वार्निश या तेल।
  • वस्त्रों को रंगने के लिए उबले हुए तेल और वनस्पति रंगों से बने पेंट का उपयोग किया जाता है।
  • पेंटिंग या तो धातु ब्लॉक (मुद्रण) ( metal block (printing) ) या एक लेखनी (पेंटिंग)(stylus (painting)) का उपयोग करके की जाती है।
  • रोगन पेंटिंग बनाने की प्रक्रिया श्रमसाध्य है और इसके लिए कुशल कारीगरों की आवश्यकता होती है।

प्रक्रिया:

  • कलाकार अपनी हथेलियों में थोड़ी मात्रा में पेंट लगाते हैं और धातु की छड़ का उपयोग करके पेंट को सावधानीपूर्वक रूपांकनों और छवियों में बदल दिया जाता है। इसके बाद, कारीगर अपने डिजाइनों को एक खाली कपड़े में मोड़ता है, जिससे उसकी दर्पण छवि प्रिंट होती है।

C. बनारस मीनाकारी (Banaras Meenakari):

प्रसंग:

  • वाराणसी से चांदी की मीनाकारी पक्षी की आकृति डेनमार्क की क्राउन प्रिंसेस को उपहार में दी गई थी।
  • पिछले 500 वर्षों से वाराणसी में चांदी के इनेमलिंग की कला का अभ्यास किया जा रहा है।
  • कला की जड़ें फारस से जुडी हुई हैं।
  • इसका आधार एक चांदी की चादर होती है, जो धातु के बेस पर आधारित होती है।

प्रक्रिया:

  • ‘मीना’ को बारीक पीसकर अनार के दानों के साथ पानी में मिला दिया जाता है।
  • बाद में, इसे उत्पाद के विभिन्न हिस्सों पर ‘कलम’ (qalam’) नामक एक सपाट धातु उपकरण के साथ बिछा दिया जाता है अंत में, उत्पाद को अर्ध-कीमती पत्थरों और मोतियों से सजाया जाता है।

D. ‘ट्री ऑफ लाइफ’ (Tree of Life):

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री ने यूरोप यात्रा के दौरान फिनलैंड के अपने समकक्ष को पीतल की धातु से बनी एक पेड़ की प्रतिमा भेंट की है।
  • दरअसल पेड़ की ये प्रतिमा राजस्थान की बनी हुई है जिसे ‘ट्री ऑफ लाइफ’ (Tree of Life) कहा जाता है। यह हाथ से तैयार की जाती है और भारत की उत्कृष्ट शिल्प कौशल का प्रतीक है।
  • जीवन का वृक्ष जीवन के विकास और संवृद्धि का प्रतीक है।
  • इस पेड़ की शाखाएँ ऊपर की ओर बढ़ती और विकसित होती हैं और इसमें विभिन्न जीवन रूप होते हैं जो समावेशिता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • पेड़ की जड़ें पृथ्वी के साथ संबंध दर्शाती हैं; पत्ते और पक्षी जीवन को दर्शाते हैं और मोमबत्ती स्टैंड प्रकाश को दर्शाता है।

E. कोफ्तगिरी कला (Koftgiri Art):

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री ने नॉर्वे के प्रधानमंत्री को राजस्थान की कोफ्तगिरी कला ‘ढाल’ उपहार में दी।
  • धातु पर तारकाशी की कोफ्तगिरी भारत में हथियारों और कवच को सजाने के साधन की एक पारंपरिक कला है।
  • कोफ्तगिरी शिल्प का उद्देश्य उस धातु की सतह को मजबूत करना है जिस सामग्री से इसे बनाया गया है।

F. कच्छ कढ़ाई (Kutch Embroidery):

प्रसंग:

  • डेनमार्क के प्रधान मंत्री को उपहार के रूप में कच्छ कढ़ाई से बनी वाल हैंगिंग उपहार में दी हैं।
  • कच्छ कढ़ाई गुजरात में कच्छ जिले के आदिवासी समुदाय की एक हस्तशिल्प और वस्त्र हस्ताक्षर कला परंपरा है।
  • अपने समृद्ध डिजाइनों के साथ इस कढ़ाई ने भारतीय कढ़ाई परंपराओं में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
  • यह कढ़ाई मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा की जाती है और आमतौर पर सूती कपड़े पर रेशम या असंख्य रंगों के सूती धागे का उपयोग करके जाल के रूप में की जाती है। रेशम और साटन पर कुछ पैटर्न भी तैयार किए जाते हैं।
  • रंगीन कढ़ाई का हस्ताक्षर प्रभाव तब चमकता है जब ‘अभला’ नामक छोटे दर्पणों को ज्यामितीय आकार के डिजाइनों पर सिल दिया जाता है।

G. पश्मीना स्टोल/शॉल (Pashmina stole):

  • पीएम ने स्वीडन के पीएम को जम्मू-कश्मीर का एक पश्मीना स्टोल भेंट किया।
  • पश्मीना स्टोल विलासिता और लालित्य का प्रतीक है।
  • कश्मीरी पश्मीना स्टोल अपनी दुर्लभ सामग्री, उत्तम शिल्प कौशल और स्मरणकारी डिजाइनों के लिए जाने जाते हैं।
  • पश्मीना स्टोल बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ऊन हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाने वाले कश्मीरी बकरी की एक विशेष नस्ल से आता है।
  • पश्मीना ऊन का उत्पादन चांगपा के नाम लोगों द्वारा किया जाता है, जो खानाबदोश लोग हैं जो इस क्षेत्र में निवास करते हैं।

2. शिगेला सोनी बैक्टीरिया (Shigella Sonnie bacteria):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान और प्रौद्योगिकी:

विषय:दैनिक जीवन में विकास और उनके अनुप्रयोग और प्रभाव।

प्रारंभिक परीक्षा: शिगेला सोनी बैक्टीरिया (Shigella Sonnie bacteria)

प्रसंग:

  • केरल सरकार शिगेला बैक्टीरिया के प्रसार को रोकना चाहती है।

शिगेला सोनी बैक्टीरिया:

  • शिगेला बैक्टीरिया को शिगेलोसिस नामक संक्रमण का कारण माना जाता है।
  • शिगेला संक्रमण वाले लोग दस्त (कभी-कभी खूनी), बुखार और पेट में ऐंठन का अनुभव करते हैं।
  • शिगेला संक्रमण के खिलाफ कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
  • शिगेलोसिस से बचाव का सबसे अच्छा तरीका साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना है।
  • कहा जाता है कि शिगेला बैक्टीरिया एंटीबायोटिक प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर रहा है।
  • एशियाई और अफ्रीकी क्षेत्रों में बहुऔषध प्रतिरोध की बढ़ती दर के कारण,शिगेलोसिस को एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया की WHO प्राथमिकता रोगजनक सूची द्वारा नए और प्रभावी एंटीबायोटिक उपचार के अनुसंधान और विकास के लिए एक मध्यम प्राथमिकता के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. इसरो ने दिसंबर 2024 तक शुक्र के लिए एक मिशन की योजना बनाई:

  • चंद्रमा और मंगल पर मिशन के बाद, इसरो ने शुक्र की कक्षा में एक अंतरिक्ष यान भेजने की योजना बनाई है।
  • इस मिशन का उद्देश्य यह अध्ययन करना होगा कि सौर मंडल के सबसे गर्म ग्रह की सतह के नीचे सल्फ्यूरिक एसिड बादलों के नीचे के रहस्यों को भी उजागर करना है।
  • इसरो अध्यक्ष ने कहा कि वीनस मिशन की कल्पना की गई है और वैज्ञानिकों से उच्च प्रभाव परिणामों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया है।

2. लद्दाख में जन्म के समय उच्चतम लिंगानुपात:

  • 2020 की सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम रिपोर्ट पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार लद्दाख में वर्ष 2020 में देश में जन्म के समय सबसे अधिक लिंगानुपात दर्ज किया है।

3. उत्तर कोरिया ने बैलिस्टिक मिसाइल दागी:

  • उत्तर कोरिया ने अपने नेता द्वारा देश के परमाणु शस्त्रागार को बढ़ावा देने की कसम खाने के एक सप्ताह (मई 2022) बाद एक बैलिस्टिक मिसाइल दागी है।
  • उत्तर कोरिया ने जनवरी 2022 से अब तक 14 हथियारों का परीक्षण किया है, जिसमें 2017 के बाद से पहली बार पूरी रेंज में एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल दागना शामिल है।
  • दक्षिण कोरियाई अधिकारियों द्वारा इस कदम की “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन” के रूप में आलोचना की गई है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित जोड़े पर विचार कीजिए: (स्तर: सरल )

टाइगर रिजर्व राज्य

  1. अचानकमार छत्तीसगढ़
  2. अन्नामलाई तमिलनाडु
  3. कवल तेलंगाना

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a)केवल 1 और 2

(b)केवल 2 और 3

(c)केवल 1 और 3

(d)1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

टाइगर रिजर्व

राज्य

अचानकमार वन्यजीव अभयारण्य

छत्तीसगढ

अनामलाई टाइगर रिजर्व (इंदिरा गांधी वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान)

तमिलनाडु

कवल टाइगर रिजर्व

तेलंगाना

  • सभी जोड़े सही सुमेलित हैं। अत: विकल्प d सही है।
  • भारत में टाइगर रिजर्व की सूची के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Tiger Reserves in India

प्रश्न 2. यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO अधिनियम) के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर: मध्यम)

  1. POCSO अधिनियम के तहत यौन अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए कोई समय या आयु सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
  2. यह एक लिंग-तटस्थ कानून है।

विकल्प:

(a)केवल 1

(b)केवल 2

(c)1 और 2 दोनों

(d)न तो 1, न हीं 2

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: वर्ष 2018 में, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि POCSO अधिनियम के तहत यौन अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए कोई समय या आयु सीमा निर्धारित नहीं है।
  • कथन 2 सही है: इस अधिनियम के अनुसार “बच्चे” 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को माना गया हैं और यह अधिनियम लिंग-तटस्थ है, अर्थात यह पुरुष और महिला दोनों पर लागू होता है।

प्रश्न 3. साहित्य अकादमी पुरस्कार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर: मध्यम)

  1. यह भारत का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार है।
  2. साहित्यिक कृति एक भारतीय द्वारा लिखी होनी चाहिए तथा उसका प्रकाशन भारत में होना चाहिए।
  3. यह पुरस्कार उन लेखकों को प्रदान किया जाता है जो केवल “अनुसूचित भाषाओं” में से किसी एक भाषा में अपनी कृति का लेखन करते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं?

(a)केवल 1 और 2

(b)केवल 2

(c)केवल 1 और 3

(d)केवल 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है: साहित्य अकादमी पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा साहित्यिक पुरस्कार है।
  • कथन 2 सही है: साहित्यिक कृति एक भारतीय द्वारा लिखी जानी चाहिए और भारत में प्रकाशित होनी चाहिए।
  • कथन 3 सही नहीं है: यह अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त 24 भारतीय भाषाओं में प्रकाशित उत्कृष्ट कृतियों के लिए 24 लेखकों को प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।
  • साहित्य अकादमी ने भारतीय संविधान में उल्लिखित 22 भाषाओं के अलावा अंग्रेजी और राजस्थानी को मान्यता दी है।

प्रश्न 4. “बे ऑफ पिग्स” आक्रमण निम्नलिखित में से किस देश से संबंधित है? (स्तर: सरल)

(a)क्यूबा

(b)ईरान

(c)लीबिया

(d)यूक्रेन

उत्तर: a

व्याख्या:

  • क्यूबा की क्रांति का विरोध करने वाले क्यूबा के निर्वासितों द्वारा 1961 में बे ऑफ पिग्स आक्रमण क्यूबा में एक असफल लैंडिंग ऑपरेशन था।
  • यह आक्रमण भी क्यूबा के क्रांतिकारी फिदेल कास्त्रो की हत्या का CIA द्वारा किया गया पहला प्रयास था, जिसने 1959 से 2008 तक क्यूबा का नेतृत्व किया था।

प्रश्न 5. भट्टी तेल (Furnace oil) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (स्तर: मध्यम)

  1. यह तेल परिष्करणियों (रिफाइनरियों) का एक उत्पाद है।
  2. कुछ उद्योग इसका उपयोग उर्जा (बिजली) उत्पादन के लिए करते हैं।
  3. इसके उपयोग से वातावरण में गंधक (सल्फर) का उत्सर्जन होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a)केवल 1 और 2

(b)केवल 2 और 3

(c)केवल 1 और 3

(d)1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: भट्टी तेल (Furnace oil) एक गहरे रंग का चिपचिपा अवशिष्ट ईंधन है जो कच्चे तेल के भारी घटकों को मिलाकर बनता है और कच्चे तेल की रिफाइनरियों के उत्पाद के रूप में उत्पादित किया जाता है।
  • कथन 2 सही है: भट्टी के तेल का उपयोग घरों को गर्म करने, औद्योगिक उपयोग के लिए भाप बनाने और बिजली पैदा करने में किया जाता है।
  • कथन 3 सही है: भट्टी तेल (Furnace oil) उच्च सल्फर-डाय-ऑक्सीडाइज्ड (SO2) उत्सर्जन और द्वितीयक सल्फेट संरचनाओं के कण पदार्थ (पीएम) के रूप में योगदान देता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. भारत में किसी राज्य के राज्यपाल की क्षमादान शक्तियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए और भारत के राष्ट्रपति को दी गई क्षमादान शक्तियों के साथ इसकी तुलना कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – राजनीति)

प्रश्न 2. जीएसटी मुआवजा उपकर क्या है? क्या राज्य सरकारों द्वारा जीएसटी मुआवजे को 5 साल और बढ़ाने की मांग में दम है?(250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – आर्थिक विकास

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