06 जनवरी 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

समाज:

  1. जापान टोक्यो से बाहर जाने के लिए धन की पेशकश क्यों कर रहा है?

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

  1. राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. अनिश्चितता के दौर में नेपाल के साथ संबंध:

शासन:

  1. भारत को एक अपलिंकिंग हब बनाना:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. तिरुपति में सबसे बड़ा तरल अपशिष्ट उपचार संयंत्र लगेगा:
  2. एशियाई हाथी:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. सीमाओं को फ्रीज़ करने के लिए दशकीय जनगणना को सितंबर तक टाला गया:
  2. विरोध के बाद केंद्र ने रोकी पारसनाथ परियोजना:
  3. सामरिक वार्ता में भारत और फ्रांस ने सुरक्षा और रक्षा सहयोग पर विचार साझा किये:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

विषय: पर्यावरण संरक्षण।

प्रारंभिक परीक्षा: हरित हाइड्रोजन।

मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen mission) – प्रमुख उद्देश्य, घटक, महत्व, चुनौतियां एवं भावी कदम।

संदर्भ:

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी है जिसका उद्देश्य ₹19,744 करोड़ के परिव्यय के साथ भारत को हरित हाइड्रोजन के उपयोग, उत्पादन और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है।

ग्रीन हाइड्रोजन:

  • हाइड्रोजन वर्तमान में उपयोग में आने वाले प्रमुख औद्योगिक ईंधनों में से एक है और इसका विभिन्न क्षेत्रों जैसे अमोनिया, स्टील, रिफाइनरियों और बिजली के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है।
  • अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा उत्पादित हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन के रूप में जाना जाता है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन गैस एक इलेक्ट्रोलाइज़र का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके उत्पादित किया जाता है जो सौर या पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न बिजली द्वारा संचालित हो सकता है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन का कोई कार्बन पदचिह्न नहीं है।

अन्य प्रकार:

  • ब्लैक या ब्राउन हाइड्रोजन: गैसीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से कोयले या अन्य पारंपरिक जीवाश्म ईंधन से उत्पादित हाइड्रोजन।
  • ग्रे हाइड्रोजन: प्राकृतिक गैस से उत्पादित हाइड्रोजन।
  • ब्लू हाइड्रोजन: जीवाश्म ईंधन स्रोतों से उत्पादित हाइड्रोजन और उत्सर्जित कार्बन को कार्बन-कैप्चर प्रक्रियाओं के माध्यम से कैप्चर किया जाता है।

ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Sansad TV Perspective: Green Hydrogen

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन:

  • इस मिशन का मुख्य उद्देश्य हाइड्रोजन के वाणिज्यिक उत्पादन को प्रोत्साहित करना और भारत को हरित हाइड्रोजन का शुद्ध निर्यातक बनाना है।
  • इस मिशन का उद्देश्य वर्ष 2030 तक भारत में लगभग 125 GW की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के अतिरिक्त हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता को कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष बढ़ाना है।
  • इस मिशन के माध्यम से सरकार का इरादा 8 ट्रिलियन रुपये के निवेश को आकर्षित करने और छह लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित करने का है।
  • केंद्र सरकार के एक अनुमान के अनुसार यह मिशन वर्ष 2030 तक वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 50 मिलियन मीट्रिक टन तक कम करने में मदद करेगा जिससे कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन के आयात को कम करने में भी मदद मिलेगी।

इसके अलावा, कार्यक्रम के तहत दो अम्ब्रेला उप-मिशन हैं:

  • हरित हाइड्रोजन संक्रमण के लिए सामरिक हस्तक्षेप (Strategic Interventions for Green Hydrogen Transition (SIGHT)):
    • यह कार्यक्रम इलेक्ट्रोलाइज़र के घरेलू निर्माण को वित्तपोषित करेगा, जो हरित हाइड्रोजन के उत्पादन को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
    • कुल परिव्यय में से इस SIGHT कार्यक्रम के लिए 17,490 करोड़ रुपये निर्धारित किए जाएंगे।
  • पायलट परियोजनाओं का समर्थन: यह मिशन उभरते अंतिम उपयोग क्षेत्रों में पायलट परियोजनाओं का भी समर्थन करेगा ।
    • आगामी पायलट परियोजनाओं के लिए ₹1,466 करोड़ रुपये निर्धारित किए जाएंगे।
  • ग्रीन हाइड्रोजन हब: ग्रीन हाइड्रोजन के बड़े पैमाने पर उत्पादन और उपयोग में मदद करने की क्षमता रखने वाले विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों को ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में पहचाना और विकसित किया जाएगा।
  • रणनीतिक नवाचार साझेदारी (SHIP): इसके अतिरिक्त, अनुसंधान और विकास (R&D) के लिए SHIP नाम का एक सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (PPP) ढांचा तैयार किया गया है।
    • मिशन के लिए कुल परिव्यय में से 400 करोड़ रुपये अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए आवंटित किए गए हैं।
    • इसके अलावा, अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं लक्ष्य-उन्मुख, समयबद्ध और वैश्विक मानकों के अनुरूप होंगी।

मिशन का महत्व:

  • मिशन ग्रीन हाइड्रोजन की मांग निर्माण, उत्पादन, उपयोग और निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा।
  • मिशन ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के लिए निर्यात के अवसरों को अनलॉक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • यह औद्योगिक, गतिशीलता और ऊर्जा क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करने में मदद करेगा साथ ही मिशन जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता को कम करने में भी मदद करेगा।
  • इसके अलावा, मिशन में स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं में सुधार, नौकरियों का सृजन तथा आधुनिक और उन्नत प्रौद्योगिकियों के विकास के संबंध में सकारात्मक परिणाम देने की क्षमता है।

भावी कदम:

  • प्रमुख औद्योगिक भागीदार भारत को हरित हाइड्रोजन अपनाने की सुविधा प्रदान करने की योजना बना रहे हैं।
  • हालांकि वे भारत की इस योजना का समर्थन तभी करेंगे जब देश घटक, बेहतर विनिर्माण तथा छोटे और मध्यम विनिर्माण उद्यमों के कौशल सेट एवं हाइड्रोजन की आपूर्ति करने वाले ट्रांसमिशन नेटवर्क के विकास के संदर्भ में विश्वसनीयता सुनिश्चित कर सके।
    • कई विकसित देशों ने भी हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए इसी तरह की नीतियां बनाई हैं और ये देश अपने उन्नत औद्योगिक बुनियादी ढांचे के कारण भारत के लिए प्रतिस्पर्धी के रूप में कार्य कर सकते हैं।
  • इसके अलावा, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास अभी भी प्रमुख मध्यस्थ चरणों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं है।
    • इसलिए भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह औद्योगिक उपयोगकर्ताओं को ग्रीन हाइड्रोजन की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे।
  • अतः भारत को पाइपलाइन, मध्यवर्ती भंडारण सुविधाओं और वितरण नेटवर्क जैसे आपूर्ति श्रृंखला के बुनियादी ढांचे के विकास पर भी ध्यान देना चाहिए।
  • सृजित रोजगार को बनाए रखने और सुनिश्चित करने के लिए कि कर्मचारियों के पास हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को अपनाने के लिए पर्याप्त कौशल उपलब्ध हो एक प्रभावी कौशल विकास कार्यक्रम भी समय की माँग है।

सारांश:

  • वैश्विक स्तर पर हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है और इसे स्वीकार करते हुए की भारत एक प्रमुख उत्पादक बनकर नेतृत्व कर सकता है, सरकार राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन लेकर आई है जो हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना का समर्थन करने के लिए मजबूत मानक और नियामक ढांचा निर्धारित करती है।

जापान टोक्यो से बाहर जाने के लिए धन की पेशकश क्यों कर रहा है?

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

समाज:

विषय : जनसंख्या और शहरीकरण, संबंधित मुद्दे, उनकी समस्याएं और उनके उपचार।

मुख्य परीक्षा: ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर उत्प्रवास के परिणाम एवं इसके संभावित समाधान।

संदर्भ:

  • जापान के एक नए नियम के मुताबिक जापान उन परिवारों को प्रति बच्चा दस लाख येन तक का भुगतान करेगा जो टोक्यो महानगरीय शहर क्षेत्र से बाहर जा रहे हैं।

महानगरीय क्षेत्र से बाहर जाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता:

  • टोक्यो महानगरीय क्षेत्र में टोक्यो, साइतामा प्रान्त, चिबा प्रान्त और कानागावा के क्षेत्र शामिल हैं।
  • 2019 में जापान द्वारा अपने शहरों, लोगों और नौकरियों पर जारी एक नीति के अनुसार, जापान की कुल जनसंख्या 2060 में वर्तमान 125 मिलियन से घटकर लगभग 90 मिलियन होने की आशंका है।
  • जापान के अनुसार प्रवासन का प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में तीव्रता से परिलक्षित हुआ है क्योंकि वहां के स्थानीय समुदाय के सदस्यों की संख्या में काफी कमी आई है जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय और लघु-स्तरीय अर्थव्यवस्था में मंदी आई है।
  • इस नीति दस्तावेज़ के अनुसार, ग्रामीण भीतरी इलाकों से प्रवासन की इस प्रवृत्ति ने जनशक्ति की कमी और स्थानीय अर्थव्यवस्था में गिरावट के कारण इन क्षेत्रों में आवश्यक सेवाओं को बनाए रखना भी मुश्किल बना दिया है।

जापान द्वारा निकाले गए समाधान:

  • यह स्वीकार करते हुए कि टोक्यो महानगरीय क्षेत्र भूकंप के प्रति संवेदनशील है, और जनसंख्या तथा अर्थव्यवस्था का अत्यधिक संकेंद्रण देश को नुकसान के प्रति संवेदनशील बना देगा, सरकार प्रोत्साहन के रूप में धन की आकर्षक राशि की पेशकश जैसी नीतियों का उपयोग करके ग्रामीण क्षेत्रों में आप्रवासन को प्रोत्साहित करना चाह रही है।
    • वर्तमान में क्षेत्रीय पुनरोद्धार प्रवासन सहायता परियोजना टोक्यो क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को महानगरीय क्षेत्र से बाहर जाने के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है।
  • टोक्यो जैसे शहरों में जनसंख्या के अत्यधिक संकेन्द्रण को कम करने के लिए, सरकार स्थानीय समुदायों के साथ अपने संबंधों को सुधारने, एक लाभदायक अर्थव्यवस्था विकसित करने और मन की शांति पर केंद्रित कार्य-जीवन संतुलन को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है।

सारांश:

  • यह महसूस करते हुए कि महानगरीय क्षेत्रों में जनसंख्या का अत्यधिक संकेन्द्रण और ग्रामीण क्षेत्रों से उत्प्रवास की बढ़ती खतरनाक दर ग्रामीण अर्थव्यवस्था, रोजगार और कल्याण पर प्रतिकूल श्रृंखला प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकती है, जापानी सरकार महानगरीय क्षेत्रों में अत्यधिक संकेन्द्रण में सुधार करने और ग्रामीण क्षेत्रों में एक जीवंत स्थानीय समुदाय विकसित करने के उपाय कर रही है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

अनिश्चितता के दौर में नेपाल के साथ संबंध:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।

मुख्य परीक्षा: भारत-नेपाल संबंधों में नई प्रगति

संदर्भ:

  • पुष्प कमल दहल “प्रचंड” ने नेपाल के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।

भूमिका:

  • सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल, जिन्हें ‘प्रचंड’ के नाम से जाना जाता है, ने नेपाल के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, नवंबर 2022 में हुए चुनावों के बाद जिसमें एक स्पष्ट विजेता का चयन नहीं हो पाया था महीने भर की राजनीतिक उथल-पुथल समाप्त हो गई।
  • इससे पहले, प्रचंड पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन में थे।
  • शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व में यह पांच दलों का गठबंधन चुनावों के बाद सबसे आगे था, जिसने खंडित जनादेश में सबसे अधिक सीटें जीतीं।
  • हालाँकि, प्रचंड अंतिम समय में गठबंधन से बाहर चले गए और के पी शर्मा ओली की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी- यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (CPN-UML) के साथ ही अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन कर लिया।
  • विशेष रूप से, प्रचंड और ओली ने बारी-बारी से देश पर शासन करने के लिए एक समझौता किया है, जिसमें ओली मांग के अनुसार प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर सहमत हुए हैं।

चुनाव परिणामों का अर्थ:

  • चुनाव के परिणामों ने स्पष्ट रूप से दिखाया कि मतदाताओं ने अधिक उत्तरदायी प्रशासन को प्राथमिकता दी और वे पारंपरिक राजनीतिक शक्ति संघर्षों के कारण क्षुब्ध हो गए थे जो वंचितों और युवाओं की आकांक्षाओं की अवहेलना करते थे।
  • इसने नेपाल में लोकतंत्र की सफलता की भी पुष्टि की, जिसका एक हिंदू राजशाही से एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य में परिवर्तन भारी संघर्ष, बलिदान और पूरे राजनीतिक स्पेक्ट्रम में वैचारिक बदलाव के बाद ही हुआ।
    • कुछ प्रमुख उपलब्धियों में माओवादी आंदोलन को लोकतांत्रिक ढांचे में शांतिपूर्ण मुख्यधारा में शामिल करना, नेपाल सेना में गुरिल्लाओं का एकीकरण, सत्ता का हस्तांतरण, एक संविधान को अपनाना और एक संघीय ढांचे का उदय शामिल है।
  • हालाँकि, अंतिम परिणामों द्वारा बनाई गई त्रिशंकु संसद आने वाले वर्षों में अस्थिरता और सरकार के परिवर्तन का कारण बन सकती है।
    • इसका परिणाम भारत-नेपाल सहयोग के ग्राफ में अधिक अनिश्चितता का कारण भी हो सकता है।
  • प्रचंड और यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (CPN-UML) दल के बीच वर्तमान गठबंधन चीन को अपने हितों को बढ़ावा देने और भारत के हितों को नुकसान पहुँचाने में मदद कर सकता है।

भारत के लिए लाभ:

  • करीबी पड़ोसी के रूप में, भारत और नेपाल मित्रता और सहयोग के विशिष्ट संबंधों को साझा करते हैं। दोनों देशों ने उच्च स्तरीय यात्राओं और नियमित बातचीत से अपने सामरिक संबंधों को और उन्नत किया है।
  • कई वर्षों से, भारत का ध्यान विशेष रूप से नेपाल के अप्रयुक्त जलविद्युत क्षेत्र में अन्योन्याश्रितता, लोगों से लोगों के संबंधों, संचार लिंक और समावेशी आर्थिक विकास के लिए निष्पक्ष समर्थन पर रहा है।
  • इसके अलावा, प्रचंड और श्री ओली जैसे नेता अपने दीर्घकालीन राजनीतिक हितों को लेकर बेहतर निर्णय लेने में सक्षम हैं, भले ही वे चीन और भारत के साथ “समानता” की रणनीति का पालन करने वाले नए प्रशासन का उल्लेख करते हैं।
    • श्री प्रचंड के साथ भारत के पुराने संबंध रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपने निर्वासन के दौरान भारत में महत्वपूर्ण समय बिताया था जब उन्होंने राजा की सेनाओं से लड़ाई लड़ी थी।
    • नेपाल की जनता अब चीनी महत्वाकांक्षाओं की वास्तविकता, कर्ज में फंसने के खतरों और भारत की तुलना में चीनी क्षमताओं की सीमाओं से अवगत है।

द्विपक्षीय संबंधों का नवीनीकरण:

  • बड़ी चुनौतियाों के साथ साथ पारस्परिक लाभ के लिए सहयोग का विस्तार करने और विविधता लाने के लिए बड़े अवसर भी मौज़ूद हैं।
  • भारत 1950 की भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि और सीमा मुद्दे जैसी पारंपरिक अड़चनों को खुले और पारदर्शी तरीके से सुलझाएगा।
  • भारत और नेपाल संयुक्त रूप से मानव कल्याण को बढ़ाने की दृष्टि से आर्थिक व्यवस्था पर पुनर्विचार करेंगे। पार्टी लाइनों, नौकरशाहों और सीमा के दोनों ओर नागरिक समाज के राजनीतिक वर्ग द्वारा आपसी सहानुभूति के परिणामस्वरूप स्थायी मैत्रीपूर्ण संबंध बनेंगे।
  • दोनों देश आर्थिक सुधार, द्विपक्षीय, उप-क्षेत्रीय और क्षेत्रीय सहयोग सहित आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्गठन; मानव और साथ ही पारंपरिक सुरक्षा; ऊर्जा सहयोग; विकास; लोगों से लोगों का संपर्क; और समावेशी विकास में तेजी लाने के लिए प्रौद्योगिकी की अप्रयुक्त क्षमता, और आपसी लाभ को अधिकतम करने के लिए सॉफ्ट पावर जैसे क्षेत्रों में अपने संबंधों को नवीनीकृत करेंगे।

सारांश:

  • नेपाल को भारत और चीन के बीच एक बफर जोन के रूप में एक नई भू-रणनीतिक शक्ति माना जा रहा है। भारत-नेपाल संबंधों के लिए विविध लेकिन संतुलित और रचनात्मक दृष्टिकोण अतीत की स्पष्ट समझ, वर्तमान प्रवृत्तियों के बारे में बेहतर जागरूकता और आने वाले वर्षों में संबंधों के उन्नयन के लिए नए रोडमैप में योगदान देगा।

भारत-नेपाल संबंधों के बारे में अधिक जानकारी के लिए: India-Nepal Relations

भारत को एक अपलिंकिंग हब बनाना:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और विकास के लिए हस्तक्षेप।

मुख्य परीक्षा: भारत को अपलिंकिंग हब बनाने के लिए नीतिगत दिशानिर्देशों का विश्लेषण।

संदर्भ:

  • इस लेख में भारत को अपलिंकिंग हब बनाने की दिशा में विभिन्न नीतिगत हस्तक्षेपों पर चर्चा की गई है।

भूमिका:

  • नवंबर 2022 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत से टेलीविजन चैनलों के अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए नीतिगत दिशानिर्देशों को मंजूरी दी।
    • समेकित नीति दिशानिर्देशों का उद्देश्य भारत को अपलिंकिंग का केंद्र बनाना है क्योंकि वे भारतीय टेलीपोर्ट्स को विदेशी चैनलों को अपलिंक करने की अनुमति देते हैं।
  • अपलिंक ग्राउंड स्टेशन से उपग्रह तक के लिंक को संदर्भित करता है, जबकि डाउनलिंक उपग्रह से नीचे एक या एक से अधिक ग्राउंड स्टेशन या रिसीवर को लिंक करना है।
  • 2021 में, केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 को केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के प्रावधानों के अनुसार टेलीविजन चैनलों द्वारा प्रसारित सामग्री से संबंधित दर्शकों की शिकायतों और शिकायतों के निवारण के लिए एक वैधानिक तंत्र को शामिल करने के लिए संशोधित किया गया था।
    • संशोधित नियम शिकायतों के निवारण के लिए एक मजबूत संस्थागत प्रणाली प्रस्तुत करते हैं तथा प्रसारकों और उनके स्व-नियामक निकायों को जवाबदेह और उत्तरदायी बनाते हैं।

भारत में केबल टेलीविजन:

  • भारत में टेलीविजन सितंबर 1959 में शुरू हुआ और 1990 के दशक की शुरुआत तक प्रसारण पूरी तरह से राज्य के नियंत्रण में था।
  • 1990 के दशक में भारत में केबल टेलीविजन का आगमन हुआ जिसने प्रसारण के लिए विदेशी उपग्रहों का उपयोग किया। केबल टेलीविजन नेटवर्क बेतरतीब ढंग से उभरे, और विदेशी टेलीविजन नेटवर्क ने अपने कार्यक्रमों के माध्यम से हमारी संस्कृति पर आक्रमण किया।
  • भारत का पहला निजी टेलीविजन चैनल, ज़ी टीवी, अक्टूबर 1992 में हांगकांग में कुछ अनिवासी भारतीयों की मदद से शुरू किया गया था, जिन्होंने कार्यक्रमों को अपलिंक करने के लिए पांच साल के लिए एशियासैट उपग्रह ट्रांसपोंडर लीज़ पर लिया था।
    • अगले कुछ वर्षों में, बिजनेस इंडिया टेलीविजन; एशिया टेलीविजन नेटवर्क और जैन टीवी ने भी संचालन शुरू किया और ये चैनल अपलिंकिंग के लिए हर दिन हांगकांग, सिंगापुर या मॉस्को टेप भेजते थे।
    • हांगकांग या सिंगापुर के उपग्रह की तुलना में रूसी उपग्रह का उपयोग करना सस्ता था।
  • इसने 1990 के दशक में प्रसारण को एक महंगा और बोझिल कार्य बना दिया।

भारत से अपलिंकिंग:

  • उद्योग को विनियमित करने और केबल ऑपरेटरों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने के लिए केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 लाया गया था।
    • भारतीय प्रसारकों को विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) के माध्यम से भारत से अपलिंक करने की अनुमति दी गई थी।
    • लेकिन 2000 में ही टेलीपोर्ट — एक अर्थ स्टेशन सुविधा जहां से टीवी सिग्नल को भूस्थैतिक उपग्रह से अपलिंक किया जा सकता है — स्थापित करने का पहला लाइसेंस दिया गया था।
    • सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB), भारत सरकार ने जुलाई 2000 में ‘भारत से अपलिंकिंग के लिए दिशानिर्देश’ अधिसूचित किए और निजी प्रसारकों को अपने स्वयं के अर्थ स्टेशन स्थापित करने और अपलिंक करने की अनुमति मिली।
  • पहला लाइसेंस टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड को नवंबर 2000 में दिया गया था, जिसने 31 दिसंबर, 2000 से आज तक चैनल शुरू किया।
    • आज तक अपने स्वयं के अर्थ स्टेशन से सिग्नलों को अपलिंक करने वाला पहला भारतीय निजी टेलीविजन चैनल बन गया।
    • 2001 में, पांच प्रसारकों ने अपलिंक की सुविधा के साथ अपने अर्थ स्टेशन स्थापित किए।
  • MIB ने निजी उपग्रह टीवी चैनलों और टेलीपोर्ट के लिए 2011 में अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग नीति दिशानिर्देश जारी किए।
  • 2022 में, सरकार ने प्रसारण प्रौद्योगिकी के विकास, बाजार के परिदृश्यों में बदलाव और प्रसारण उद्योग में अन्य परिचालन विकास से उत्पन्न कठिनाइयों के आलोक में नीति दिशानिर्देशों में संशोधन किया।
  • दिशा-निर्देशों का उद्देश्य एक मज़बूत नियामक ढांचे के आधार पर व्यापार सुगमता के सिद्धांत के अनुरूप एक अनुकूल वातावरण बनाना और भारत को अन्य देशों के लिए एक टेलीपोर्ट हब बनाना है।
    • पड़ोसी देश जैसे नेपाल, श्रीलंका, भूटान भी भारत को अपने टेलीविजन चैनलों को अपलिंक करने के लिए हब के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
  • केंद्र सरकार ने टेलीविजन चैनलों को अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए पिछले दो वर्षों में विदेशी उपग्रह ऑपरेटरों को प्रेषण के रूप में देने के लिए 102 मिलियन अमरीकी डॉलर की मंजूरी दी थी।
    • भारतीय उपग्रहों का उपयोग करके अपलिंकिंग इन विदेशी प्रेषणों को बहुत कम कर देगा।

सारांश:

  • उस समय से लेकर जब भारतीय प्रसारकों ने अपलिंकिंग के लिए विदेशों में टेप भेजे, उस समय तक जब विदेशी प्रसारकों ने अपलिंकिंग के लिए भारतीय टेलीपोर्ट को अपने टेप भेजे, टेलीविजन उद्योग ने भारी प्रगति की है। इस पहलू में, अपलिंकिंग पर नई नीति के दिशा-निर्देशों का भारत के ‘आजादी का अमृत काल’ में उत्सव मनाने की जरूरत है।

सामाजिक रूप से प्रासंगिक विषयों के प्रसारण पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Broadcasting of Socially Relevant Topics

प्रीलिम्स तथ्य:

1. तिरुपति में सबसे बड़ा तरल अपशिष्ट उपचार संयंत्र लगेगा:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं तकनीक:

विषय: प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण।

प्रारंभिक परीक्षा: तरल अपशिष्ट उपचार संयंत्र और फाइटोरिड (Phytorid) तकनीक।

प्रसंग:

  • तिरुपति नगर निगम (MCT) भारत का सबसे बड़ा तरल अपशिष्ट उपचार संयंत्र स्थापित करेगा।

विवरण:

  • स्मार्ट सिटी फंड के तहत 11 करोड़ रुपये की लागत से तरल अपशिष्ट उपचार परियोजना विकसित की जा रही है।
  • संयंत्र अपने संचालन के लिए फाइटोरिड तकनीक अपनाएगा।
  • फाइटोरिड तकनीक CSIR के राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) द्वारा विकसित की गई है।
  • फाइटोरिड तकनीक में ठोस पदार्थ को हटाने के लिए एक अवसादन प्रक्रिया के तहत अपशिष्ट जल का उपचार शामिल है, जिसके बाद पानी को सर्पील गति में एक उप-सतह कक्ष में प्रवाहित किया जाता है जिसमें कई बैरिकेड्स लगे होते हैं।
    • इसके अलावा, बजरी और पत्थरों वाले छिद्रित माध्यम के ऊपर पौधे लगाए जाते हैं जो कार्बनिक पदार्थों को हटाने करने में मदद करते हैं।
    • बाद में जैव-रासायनिक ऑक्सीजन की मांग को 5mg तक कम करने के लिए पानी को सक्रिय कार्बन फिल्टर के माध्यम से प्रवाहित किया जाता है, जो केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा निर्धारित10mg के राष्ट्रीय मानक से कम है।
  • फाइटोरिड तकनीक के प्रमुख लाभ हैं: यह लागत प्रभावी है, इसकी संचालन प्रक्रिया सरल है, यह एक छोटा पदचिह्न छोड़ता है और दुर्गंध नहीं छोड़ती है।

2. एशियाई हाथी:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

विषय: जैव विविधता संरक्षण।

प्रारंभिक परीक्षा: एशियाई हाथियों और बायोस्फीयर रिजर्व से संबंधित तथ्य।

संदर्भ:

  • हाल की रिपोर्टों में बताया गया है कि एशियाई हाथियों ने नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व (NBR) में अपना अधिकांश “इष्टतम” निवास स्थान खो दिया है।

भारत में बायोस्फीयर रिजर्व से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Biosphere Reserves in India

एशियाई हाथी (Asian Elephant):

  • एशियाई हाथी एशियाई महाद्वीप पर पाए जाने वाला सबसे बड़ा स्थलीय स्तनपायी जीव हैं।
  • एशियाई हाथी महाद्वीप की संस्कृति और धर्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • एशियाई हाथी अपने अफ्रीकी समकक्षों की तुलना में थोड़े छोटे होते हैं और इनके कान आनुपातिक रूप से छोटे होते हैं जो खुद को ठंडा रखने के लिए निरंतर गतिमान रहते हैं।
  • एशियाई हाथी की तीन उप-प्रजातियों में भारतीय, सुमात्रन और श्रीलंकाई शामिल हैं।
    • भारतीय हाथियों की महाद्वीप पर सबसे विस्तृत श्रृंखला है और शेष हाथियों में इनकी संख्या सर्वाधिक है।
  1. IUCN रेड लिस्ट स्थिति: संकटग्रस्त
  2. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: अनुसूची I
  3. CITES सूची: परिशिष्ट I

एशियाई हाथी के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Asian Elephant

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. सीमाओं को फ्रीज़ करने के लिए दशकीय जनगणना को सितंबर तक टाला गया:
  • दस वर्षीय जनगणना की कवायद को सितंबर 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्यों को सूचित किया है कि प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज़ करने की तारीख 30 जून तक बढ़ा दी गई है।
  • मौजूदा मानदंडों के अनुसार, प्रशासनिक इकाइयों की सीमा, जिसमें जिले, तालुका और पुलिस स्टेशन शामिल हैं, की सीमा को फ्रीज करने के तीन महीने बाद ही जनगणना की जा सकती है।
  • प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं को अंतिम रूप देने के लिए लगातार दो जनगणनाओं के बीच सभी न्यायिक परिवर्तनों को शामिल करने की आवश्यकता होती है।
  • आखिरी जनगणना वर्ष 2011 (census was held in 2011) में हुई थी।
  • कोविड-19 महामारी और टीकाकरण अभियान का हवाला देते हुए जनगणना 2021 (Census 2021) की कवायद को कई बार स्थगित किया गया है।
  • हालांकि, भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) के कार्यालय के नवीनतम पत्र में स्थगन का कारण नहीं बताया गया है।
  • जनगणना 2021 का पहला चरण जो राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने के साथ-साथ हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना है, यह अप्रैल-सितंबर 2020 से होनी चाहिए थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई थी।
  • इसके अलावा जनगणना अभ्यास का दूसरा चरण जो कि जनसंख्या गणना है, को 5 मार्च, 2021 तक पूरा किया जाना था।
  • आगामी जनगणना डिजिटल मोड और साथ ही पेपर मोड (प्रश्नावली/फॉर्म) दोनों में आयोजित की जाने वाली अब तक की पहली दशकीय जनगणना होगी।
  • सीएमएमएस पोर्टल को 24.84 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है ताकि जनगणना से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के डिजिटल डेटा संग्रह और प्रबंधन को सुगम बनाया जा सके।
  1. विरोध के बाद केंद्र ने रोकी पारसनाथ परियोजना:
  • जैन समुदाय के सदस्यों के विरोध के बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने झारखंड में पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य के आसपास के क्षेत्र में पर्यटन और पारिस्थितिक पर्यटन गतिविधियों के लिए अपनी अनुमति रद्द कर दी है।
  • झारखंड के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर पारसनाथ पहाड़ियों के आसपास के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र की कानूनी स्थिति के संबंध में उचित निर्णय लेने को कहा है।
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 (Environment Protection Act, 1986) के प्रावधानों के अनुसार, एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र के आसपास एक बफर जोन है।
  • संरक्षित क्षेत्रों में किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं है, जबकि पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों को पर्यटन को बढ़ावा देने की अनुमति दी जाती है, बशर्ते कि संबंधित राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को अनुमेय गतिविधियों को इंगित करने वाला एक मास्टर प्लान दिया जाए।
  • पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य का स्थान जैनियों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का है,और इस समुदाय के सदस्यों ने कहा है कि संबंधित क्षेत्र में पर्यटन और पारिस्थितिक पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के दौरान साइट की धार्मिक पवित्रता पर विचार नहीं किया गया था।
  1. सामरिक वार्ता में भारत और फ्रांस ने सुरक्षा और रक्षा सहयोग पर विचार साझा किये:
  • भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) ने अपने फ्रांसीसी समकक्ष के साथ भारत-फ्रांस सामरिक वार्ता के 36वें दौर का आयोजन किया और दोनों देशों ने “रणनीतिक स्वायत्तता की दिशा में” प्रयासों को तेज करने पर सहमति व्यक्त की है।
  • दोनों देश रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर वर्तमान वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य, अफगानिस्तान के संदर्भ में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला, साइबर सुरक्षा, भारत-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा सहयोग जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा में शामिल थे।
  • चर्चा के एजेंडे में भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के सभी पहलुओं को जैसे रक्षा और सुरक्षा सहयोग शामिल किया गया।
    • भारत नौसेना के विमानवाहक पोतों से उड़ान भरने के लिए एक फाइटर जेट की ख़रीद पर फैसला करना चाह रहा है, जिसके लिए बोइंग का F-18 सुपर हॉर्नेट और डसॉल्ट एविएशन का राफेल-M के बीच प्रतिस्पर्धा है।
    • इसके अलावा, फ्रांस का सफरान भी अन्य वैश्विक इंजन निर्माताओं के साथ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के साथ एक लड़ाकू जेट इंजन विकसित करने के लिए दौड़ में शामिल है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. मीठी क्रांति ( Sweet Revolution) से आप क्या समझते हैं ?

  1. इसका उद्देश्य शकरकंद और गन्ना उत्पादन को बढ़ावा देना है।
  2. इसका उद्देश्य मधुमेह के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
  3. इसका उद्देश्य भारत में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना है।
  4. यह FSSAI द्वारा खाद्य उत्पाद लेबलिंग में चीनी सामग्री में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यक्रम है।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • भारत में मीठी क्रांति, जिसे हनी मिशन के रूप में भी जाना जाता है, वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन और शहद के उत्पादन के विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी।
  • भारत के प्रधान मंत्री ने 2024 तक किसानों की आय को दोगुना करने की दृष्टि से 2016 में मीठी क्रांति का आह्वान किया था,जिसे मधुमक्खी पालन और संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इसे शुरू किया गया था।

प्रश्न 2. शीत लहर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह तब घोषित की जाती है जब न्यूनतम तापमान सामान्य न्यूनतम तापमान से 4.5-6.4 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है।
  2. इसे तब भी घोषित किया जा सकता है जब मैदानी क्षेत्र में किसी स्थान का न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है।

निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: एक शीत लहर को पिछले वर्षों के सामान्य तापमान की तुलना में उसी क्षेत्र और उसी तारीख पर तापमान में अचानक गिरावट के रूप में परिभाषित किया गया है।
    • शीत लहर की घोषणा तब की जाती है जब न्यूनतम तापमान सामान्य न्यूनतम तापमान से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है।
  • कथन 2 सही है: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, मैदानी इलाकों में शीत लहर तब आती है जब तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम होता है और न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. बचत पर दिए जाने वाले ब्याज को बढ़ाकर महंगाई को नियंत्रित किया जा सकता है।
  2. यदि मुद्रास्फीति अधिक है तो रिटर्न की वास्तविक दर कम होगी।
  3. छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें आरबीआई तय करती है।

कौन सा/से कथन सही है/हैं?

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: उच्च ब्याज दरें मुद्रास्फीति को नियंत्रित/कम करने में मदद करती हैं जबकि कम ब्याज दरों से मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है।
  • कथन 2 सही है: एक वास्तविक ब्याज दर वह है जिसे मुद्रास्फीति के लिए समायोजित किया गया है और यदि मुद्रास्फीति अधिक है तो रिटर्न की वास्तविक दर कम होगी।
  • कथन 3 गलत है: लघु बचत योजना पर ब्याज दरें केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय की जाती हैं।

प्रश्न 4. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. नई शिक्षा नीति किसी भी विदेशी विश्वविद्यालय को भारत में अपना परिसर खोलने की अनुमति देती है।
  2. इन विश्वविद्यालयों को प्रवेश प्रक्रिया और शुल्क संरचना तय करने की स्वायत्तता होगी।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: राष्ट्रीय शिक्षा नीति [NEP], 2020 में परिकल्पना की गई है कि दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों को भारत में संचालन की सुविधा प्रदान की जाएगी।
    • शीर्ष 500 वैश्विक रैंकिंग में रैंक वाला एक विदेशी विश्वविद्यालय या गृह अधिकार क्षेत्र में प्रतिष्ठित विदेशी शिक्षण संस्थान भारत में एक परिसर स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) में आवेदन कर सकता है।
  • कथन 2 सही है: विश्वविद्यालय अपनी प्रवेश प्रक्रिया, घरेलू और विदेशी छात्रों के प्रवेश के लिए मानदंड तैयार कर सकते हैं और इसकी शुल्क संरचना तय करने की स्वायत्तता भी रख सकते हैं।
    • विश्वविद्यालयों को भारतीय संस्थानों पर थोपी गई किसी भी ऊपरी सीमा का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन शुल्क “उचित और पारदर्शी” होना चाहिए।

प्रश्न 5. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (PYQ 2016)

  1. बोधिसत्त्व, बौद्धमत के हीनयान संप्रदाय की केन्द्रीय संकल्पना है।
  2. बोधिसत्त्व अपने प्रबोध के मार्ग पर बढ़ता हुआ करुणामय है।
  3. बोधिसत्त्व समस्त सचेतन प्राणियों को उनके प्रबोध के मार्ग पर चलने में सहायता करने के लिए स्वयं की निर्वाण प्राप्ति विलम्बित करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 2
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: बोधिसत्त्व की अवधारणा बौद्धमत के महायान संप्रदाय की केन्द्रीय संकल्पना है।
  • कथन 2 सही है: बोधिसत्त्व एक प्रबुद्ध और दयालु प्राणी को संदर्भित करता है।
  • कथन 3 सही है: बोधिसत्व दयालु रूप से दूसरों को बचाने के लिए निर्वाण में प्रवेश करने से विरत होते हैं और एक देवता के रूप में उनकी पूजा की जाती है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत में 2021 की जनगणना करने में चल रही देरी के संभावित निहितार्थ क्या हैं? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – सामाजिक न्याय)

प्रश्न 2. जनसंख्या में गिरावट एक राष्ट्र के लिए उतनी ही समस्या बन सकती है जितनी बढ़ती जनसंख्या। क्या आप इससे सहमत हैं? समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस I – समाज)