06 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

  1. LGBTQIA+ समुदाय के लिए रूपांतरण चिकित्सा (Conversion Therapy) पर प्रतिबंध:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. सीट बेल्ट, सिर की सुरक्षा हेतु हेलमेट/हेड रेस्ट्रेंट और सुरक्षा नियम:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. भारत-पाकिस्तान के बीच शांति का रास्ता कठिन:

सामाजिक न्याय:

  1. सार्वजनिक स्वास्थ्य का नेतृत्व केवल डॉक्टरों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए:
  2. सार्वजनिक शिक्षा का वित्तपोषण:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. 2021 में निवारक निरोध बढ़ा:
  1. जीवन की लागत का संकट गहराते ही यूरोप में मंदी की आहट:
  2. हसीना के दिल्ली पहुंचने पर पानी, बिजली, रक्षा पर समझौता संभव:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

सीट बेल्ट, सिर की सुरक्षा हेतु हेलमेट/हेड रेस्ट्रेंट और सुरक्षा नियम:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- दैनिक जीवन में विकास और उनके अनुप्रयोग एवं प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: वाहनों में सीट बेल्ट, सिर की सुरक्षा हेतु हेलमेट/हेड रेस्ट्रेंट और अन्य सुरक्षा उपकरणों का महत्व तथा भारत में मौजूदा सुरक्षा नियमों का विश्लेषण।

संदर्भ:

  • एक कार एक्सीडेंट में साइरस मिस्त्री की मौत ने कारों में सीट बेल्ट और हेड रेस्ट्रेंट जैसी सुरक्षा सुविधाओं के महत्व पर फिर से ध्यान आकर्षित किया है।

कारों में सीट बेल्ट और उनका महत्व:

  • निल्स एवर बोहलिन ( Nils Evar Bohlin) नाम के एक स्वीडिश मैकेनिकल इंजीनियर ने तीन सूत्री सीट बेल्ट विकसित की थी। जिसे पहली बार वर्ष 1959 में वोल्वो कंपनी द्वारा एक कार में लगाया गया था।
  • थ्री-पॉइंट सीट बेल्ट (तीन सूत्री सीट बेल्ट) एक कम लागत वाली बेल्ट प्रणाली है जो कार के दुर्घटनाग्रस्त होने या वाहन के टकराने पर उसमें सवार व्यक्ति को आगे की तरफ लगने वाले झटके से बचाती है।

इसके अलावा, सीट बेल्ट निम्न में मदद करती है:

  • व्यक्ति की गति को वाहन की समान गति के अनुसार धीमा करना,
  • दुर्घटना होने पर श्रोणि और छाती जैसे शरीर के मजबूत हिस्सों में शारीरिक बल का वितरण करना।
  • वाहन के भीतर की वस्तुओं के साथ टकराव को रोकना।
  • एक्सीडेंट होने पर अचानक लगे झटके से व्यक्ति को बचाना जो उसे बाहर फेंक सकता है।
  • पारंपरिक तरीकों के स्थान पर अब नए तरीकों का परीक्षण किया जा रहा है जो बेल्ट सेंस को अचानक बल देने में मदद करते हैं और एयरबैग को सुरक्षित रूप से हिट करने के लिए केवल उतना ही बल लगाते हैं जितना आवश्यक है।
  • सीट बेल्ट अब भारत और दुनिया भर के अन्य देशों में बेची जाने वाली कारों में एक मानक है।
  • यू.एस. के राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात सुरक्षा प्रशासन के अनुसार, वर्ष 2016 में हुई दुर्घटनाओं के कारण होने वाली सभी मौतों में ड्राइवरों और यात्रियों की संख्या 48 प्रतिशत से अधिक है।
  • दुर्घटना के समय,विशेष रूप से यदि वाहन मध्यम से उच्च गति पर चल रहा है, तो बिना सीट बेल्ट वाली कार में सवार व्यक्ति उसी गति से आगे बढ़ना जारी रखता हैं, जब तक कि कोई वस्तु उसे रोक न दे, जिससे व्यक्ति को गंभीर चोटें आती हैं।
  • न्यू साउथ वेल्स के परिवहन विभाग में सड़क सुरक्षा केंद्र के अनुसार ऑस्ट्रेलिया जिसने 1971 से एक अनिवार्य सीट बेल्ट नियम लागू किया है, “क्योंकि भले ही वाहन में एयरबैग लगा हो, लेकिन जिस बल पर एक अनियंत्रित यात्री एयरबैग से टकराता है, वह गंभीर रूप से घायल हो सकता है।
  • बिना एयरबैग और बिना सीट बेल्ट के,एक गंभीर दुर्घटना की स्थिति में पीछे की सीट पर बैठे लोग सीट माउंटिंग और सीट संरचनाओं के विफल होने पर पर्याप्त बल के कारण सामने की सीट पर आगे आ जाते है।
  • अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि पिछली सीट पर बैठे जिन यात्रियों ने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी और उन यात्रियों की गंभीर रूप से घायल होने की संभावना आठ गुना अधिक थी।

हेड रेस्ट्रेंट का महत्व एवं विशेषताएं:

Image Source: carsafetyfeature.weebly.com

  • हेड रेस्ट्रेंट फीचर्स सीटों पर एडजस्टेबल या मोल्डेड मॉडल होते हैं जो व्हिपलैश इंजरी (गर्दन की तेज, तेज गति से आगे-पीछे होने के कारण होने वाली गर्दन की चोट) को रोकते हैं।
  • व्हिपलैश की चोटें आमतौर पर तब लगती हैं, जब वाहन पीछे से टकराता है।
  • इस तरह की चोटों में गर्दन की मांसपेशियां, वर्टेब्रल डिस्क, नसें और टेंडन शामिल होते हैं, और गर्दन में गंभीर अकड़न, दर्द, सुन्नता, कानों का बजना, धुंधली दृष्टि और नींद न आना इनका कारण बनता है।
  • इसके अलावा, चोटों को रोकने के लिए, हेड रेस्ट्रेंट सिस्टम को गर्दन के साथ ठीक से संरेखित और डिज़ाइन किया जाना चाहिए।
  • अमेरिका में राजमार्ग सुरक्षा बीमा संस्थान के एक अध्ययन के अनुसार,,यदि वाहन में सीटें और रेस्ट्रेंट शामिल होते हैं तो गर्दन की चोटों की सम्भावना में 11% कमी देखी गयी, साथ ही इन्हे अन्य वाहनों की तुलना में अच्छा दर्जा प्रदान किया जाता हैं।

भारत में सुरक्षा नियम:

Image Source: The Quint

  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने फरवरी 2022 में एक मसौदा अधिसूचना जारी की,जिसमें यह अनिवार्य किया गया था कि एम1 श्रेणी के अंतर्गत आने वाले सभी वाहनों में तीन-बिंदु सीट बेल्ट को अपनाया जाना चाहिए, जो चालक की सीट सहित आठ से अधिक सीटों वाली यात्रियों वाहन के लिए आवश्यक होगी।
  • मसौदा अधिसूचना में यह भी निर्देश दिया गया है कि निर्माताओं द्वारा सीट बेल्ट और रिमाइंडर सिस्टम दोनों के लिए प्रासंगिक भारतीय मानकों का पालन किया जाना चाहिए जो व्यक्तियों को उन्हें पहनने के लिए सचेत करते हैं।
  • मोटर वाहन अधिनियम में पेश किए गए संशोधन में यात्री वाहन में यात्रा करने वाले व्यक्तियों के लिए सीट बेल्ट का उपयोग करना अनिवार्य है।
  • मोटर वाहन अधिनियम की धारा 194 (बी) के अनुसार, जो कोई भी बिना सुरक्षा बेल्ट पहने मोटर वाहन चलाता है या बिना सीट बेल्ट पहने यात्रियों को ले जाता है, उस पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • हालांकि कई नियमों के बावजूद, देश में पीछे की सीट पर बैठने वाले व्यक्तियों पर सीट बेल्ट के नियमों को लागू नहीं किया जा रहा है।
  • यू.एस. में विभिन्न अध्ययनों से संकेत मिलता है कि कमजोर कानूनों वाले राज्यों में सीट बेल्ट का उपयोग कम किया जाता था और टैक्सी सेवाओं के यात्री उच्च जोखिम वाले समूह में आ जाते हैं।
  • सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2017 में सीट बेल्ट का उपयोग न करने के कारण 26,896 से अधिक मौतें हुईं और उनमें से लगभग 16,876 यात्री थे।

सिफारिशें:

  • तेज गति में जब वाहन के टकराने की संभावना अधिक होती है तो वाहनों में मौजूदा उन्नत सुरक्षा सुविधाओं को उपयुक्त रूप से अपनाने की आवश्यकता होती है,जैसे वाहन की गति को कम करने के लिए एक उन्नत आपातकालीन ब्रेकिंग तकनीक जो स्वचालित रूप से चालू हो जाते हैं।
  • इसके अलावा, कारों को दुर्घटना रिकॉर्डर और उच्च गुणवत्ता वाले डैश कैमरों से लैस करने से दुर्घटनाओं को रिकॉर्ड करने, उनका कारण जानने और यदि आवश्यक हो तो सुधार के प्रयास करने में मदद मिलेगी।

सारांश:

  • नई तकनीकों को अपनाने के साथ-साथ पिछली सीट पर बैठने वालों सहित कारों में सीट बेल्ट के उपयोग को अनिवार्य करने वाली नीतियों का पूरी तरह से कार्यान्वयन और प्रवर्तन जो सीट बेल्ट पहने बिना वाहन को स्टार्ट करना असंभव बना देता है, देश में ऐसी दुर्घटनाओं के कारण हर साल हजारों लोगों की जान बचाने में मदद कर सकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

LGBTQIA+ समुदाय के लिए रूपांतरण चिकित्सा (Conversion Therapy) पर प्रतिबंध:

सामाजिक न्याय:

विषय: कमजोर वर्गों की सुरक्षा और बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थान और निकाय।

मुख्य परीक्षा: रूपांतरण चिकित्सा और इससे जुड़े जोखिम।

संदर्भ:

  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (The National Medical Commission (NMC)) ने सभी राज्य चिकित्सा परिषदों को रूपांतरण चिकित्सा पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है और इसे “पेशेवर कदाचार” कहा है।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग(The National Medical Commission (NMC)):

  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) भारत में चिकित्सा पेशेवरों का सर्वोच्च नियामक निकाय है।
  • सितंबर 2020 में तत्कालीन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को बदल कर इसके स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) गठित कर दिया गया हैं।
  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की स्थापना संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी, जिसे राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 कहा जाता है।
  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को चिकित्सा योग्यता के लिए मान्यता प्रदान करने, मेडिकल स्कूलों की मान्यता देने, चिकित्सकों का पंजीकरण और सभी चिकित्सा पद्धतियों की निगरानी और देश में चिकित्सा बुनियादी ढांचे का आकलन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2019 के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: National Medical Commission Bill, 2019

रूपांतरण चिकित्सा (Conversion Therapy) क्या है?

  • रूपांतरण या पुनरावर्ती चिकित्सा एक हस्तक्षेप है जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति के यौन अभिविन्यास या लिंग पहचान को बदलना है, जिसमें मनोवैज्ञानिक उपचार, ड्रग्स, भूत भगाने और यहां तक कि हिंसा का उपयोग किया जाता है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति को विषमलैंगिक बनाना है।
  • रूपांतरण चिकित्सा में ऐसे अन्य उपाय भी शामिल हैं जिनका उद्देश्य उन युवाओं की मूल पहचान को बदलना है जिनकी लैंगिक पहचान उनकी यौन संरचना से असंगत है।

रूपांतरण चिकित्सा से जुड़े जोखिम:

  • ऐसी चिकित्सा आमतौर पर उन लोगों द्वारा की जाती है जो पेशेवर होने का दिखावा करते हैं लेकिन उनके पास कोई विशेषज्ञता नहीं होती है।
  • अमेरिकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड अडोलेसेंट साइकियाट्री (American Academy of Child and Adolescent Psychiatry (AACAP)) के अनुसार, इस तरह के रूपांतरण हस्तक्षेप इस गलत धारणा के तहत किए जाते हैं कि समलैंगिकता और विविध लिंग पहचान पैथोलॉजिकल हैं और वास्तव में रूपांतरण या ऐसे अन्य हस्तक्षेपों की कोई आवश्यकता नहीं है।
  • इसके अलावा, इस तरह की चिकित्सा या हस्तक्षेप गंभीर मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों जैसे चिंता, तनाव और नशीली दवाओं के उपयोग या आत्महत्या का कारण बन सकते हैं।

मद्रास हाई कोर्ट का फैसला:

  • जून 2021 में मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने माता-पिता से सुरक्षा की मांग करने वाले एक समान-लिंग वाले जोड़े की पीड़ा के बारे में सुनवाई करते हुए पुलिस, कार्यकर्ताओं, संघ और राज्य समाज कल्याण मंत्रालयों और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को “उनके द्वारा चुने गए जीवन को सुरक्षित करने के लिए उनकी सुरक्षा और बचाव सुनिश्चित करने के लिए अंतरिम दिशानिर्देश जारी किए थे।
  • इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने LGBTQIA+ समुदाय के व्यक्तियों के यौन अभिविन्यास को चिकित्सकीय रूप से “ठीक” करने या ‘बदलने’ के किसी भी प्रकार के प्रयास पर रोक लगा दी हैं।
  • अदालत ने अधिकारियों को “किसी भी प्रकार के रूपांतरण चिकित्सा करने वाले व्यक्तियों” के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया जिसके परिणामस्वरूप उनका चिकित्सा अभ्यास का लाइसेंस वापस ले लिया जाएगा।
    • (चिकित्सा अभ्यास (practice medicine) चिकित्सा के अभ्यास का अर्थ है-नैदानिक रोकथाम, निदान, या मानव रोग, चोट, या स्थिति के उपचार के लिए एक चिकित्सक को सदस्य राज्य के चिकित्सा अभ्यास अधिनियम के अनुपालन में लाइसेंस प्राप्त करने और बनाए रखने की आवश्यकता होती है।)
  • इसके पश्चात अदालत ने एनएमसी को “रूपांतरण चिकित्सा” को “पेशेवर कदाचार” के रूप में मानने के लिए एक आधिकारिक अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया हैं।

कोर्ट द्वारा जारी अन्य महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश:

  • मद्रास उच्च न्यायालय ने पुलिस को आदेश दिया कि यदि यह पाया जाता है कि व्यक्ति वयस्क है और LGBTQIA+ समुदाय से संबंधित हैं.तथा उसने सहमति दी है तो मामलों में “उत्पीड़न नहीं बल्कि ” लापता व्यक्ति मान कर इसको बंद कर दिया जाए।
  • उच्च न्यायालय ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को गैर सरकारी संगठनों और अन्य संगठनों की एक सूची तैयार करने के लिए भी कहा है,जो LGBTQIA + समुदाय के व्यक्तियों की विभिन्न चुनौतियों को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
  • इसके अलावा, अदालत ने निर्देश दिया हैं कि समुदाय के व्यक्तियों को विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
  • उच्च न्यायालय ने व्यक्तियों की जरूरतों को समझने के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम शुरू करने के महत्व पर प्रकाश डाला और एजेंसियों को ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 और ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 का अक्षरश: पालन करने का भी निर्देश दिया।

सिफारिशें:

  • शैक्षिक संस्थानों में पाठ्यक्रम को बदला जाना चाहिए और इसमें ऐसे अध्याय शामिल होने चाहिए जो इस समुदाय की बेहतर समझ सुनिश्चित करें।
  • शिक्षण संस्थानों और अन्य स्थानों पर अनिवार्य रूप से जेंडर न्यूट्रल वॉशरूम और शौचालय स्थापित किए जाने चाहिए।
  • माता-पिता के बीच जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए क्योंकि ऐसे व्यक्तियों को अक्सर घर पर गलत समझा जाता है और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है,जो व्यक्तियों को रूपांतरण उपचार का विकल्प चुनने के लिए मजबूर करता है।

सारांश:

  • रूपांतरण उपचारों पर प्रतिबंध लगाने और उन्हें “पेशेवर कदाचार” के रूप में मानने के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के कदम को LGBTQIA+ समुदाय के व्यक्तियों की सुरक्षा और बचाव सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

भारत-पाकिस्तान के बीच शांति का रास्ता कठिन

विषय: भारत औरउसके पड़ोसी से संबंध।

मुख्य परीक्षा: भारत-पाकिस्तान संबंध।

संदर्भ: पाकिस्तान में आर्थिक संकट।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति:

  • पाकिस्तान उच्च मुद्रास्फीति और बढ़ते चालू खाता घाटे का सामना कर रहा है। घरेलू अर्थव्यवस्था नकदी की तंगी से जूझ रही है। इसके लिए जिम्मेदार कारक हैं:
    • कोविड-19 महामारी।
    • मानसून के मौसम में अभूतपूर्व बाढ़।
    • लंबे समय से अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति।

पाकिस्तान की बाढ़ के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें : https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-aug31-2022/

अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए किए गए उपाय:

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने छह बिलियन डॉलर की विस्तारित फंड सुविधा के लिए एक वर्ष का विस्तार प्रदान किया है यह 39 महीने लंबा कार्यक्रम था जो 2019 में शुरू हुआ था। इसके अलावा, पाकिस्तान को लगभग 1.17 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त फंड भी प्रदान किया गया था।
  • खाद्य सुरक्षा पर बाढ़ के विनाशकारी प्रभाव को और कम करने के लिए, पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने भारत के साथ विशेष रूप से सब्जियों और खद्यानों के व्यापार को फिर से शुरू करने का संकेत दिया है।

संबद्ध चिंताएं:

  • घरेलू दबाव: दोनों देशों को व्यापार के जबरदस्त आर्थिक लाभ के बावजूद, भारत के साथवार्ता शुरू करते समय पाकिस्तानी सरकार पर हमेशा घरेलू दबाव रहता है। 1953 में भी इसी तरह की स्थिति थी जब पाकिस्तान आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री बोगरा के प्रयासों के बाद भी, दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया पटरी से उतर गई थी।
  • IMF की मांगों को पूरा करने के लिए कड़े कदम उठाने और सार्वजनिक सब्सिडी वापस लेने का दबाव है। इन उपायों ने मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व को मुश्किल में डाल दिया है।
  • राजनीति में कश्मीर विवाद की गहरी पैठ का दोनों देशों के बीच शांति की तलाश कर रहे पाकिस्तान के नेतृत्व के लिए चुनावी निहितार्थ हो सकते हैं।
  • सेना जनरल और सरकार के विचारों की दिशा को लेकर भी चिंता है।

आगे के उपाय:

  • संकट की घड़ी में पाकिस्तान और भारत को साथ आना चाहिए। भारत एक कृषि अधिशेष राष्ट्र होने के कारण खाद्य सुरक्षा की स्थिति से निपटने के लिए इसे आवश्यक सहायता प्रदान कर सकता है।
  • यह भी देखा जाना चाहिए कि आपात स्थिति के समय दोनों पड़ोसियों के बीच सहयोग की प्रधानता होनी चाहिए । वास्तव में, भारत ने पाकिस्तान को COVID-19 के लिए आवश्यक टीकों की आपूर्ति की।
  • पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व को अपने आर्थिक हितों और क्षेत्र में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए भारत के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध बनाए रखने चाहिए।
  • यह भी देखा गया है कि संकट के क्षणों के अलावा नेताओं की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा प्रतिद्वंद्वियों के बीच विश्वास बढाने में मदद कर सकती है। यह विशेष रूप से दोनों देशों के पूर्व प्रधानमंत्रियों- श्री ए.बी. वाजपेयी और श्री नवाज शरीफ के समय देखा गया। उनके उत्तराधिकारियों के पास संबंधित देशों का सर्वोच्च नेतृत्व होने के कारण आज भी स्थिति बहुत अनुकूल है।

सारांश:

जब दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंध बनाने की बात आती है तो कई कारकों की परस्पर क्रिया होती है। संबंधों को सामान्य करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति पर्याप्त नहीं है क्योंकि पाकिस्तान में सरकार के लिए इसके गंभीर चुनावी नतीजे हो सकते हैं। लेकिन फिर भी दोनों देशों को संकट के समय कुछ बैकचैनल वार्ता की शुरुआत करनी चाहिए।

सम्बंधित लिंक्स:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-aug30-2022/

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

सार्वजनिक स्वास्थ्य का नेतृत्व केवल डॉक्टरों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए

विषय: स्वास्थ्य क्षेत्र के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: पब्लिक हेल्थ सेक्टर।

संदर्भ: स्वास्थ्य मंत्रालय ने सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए संवर्ग बनाने का प्रस्ताव रखा है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य की समझ:

  • भारत के इतिहास में सार्वजनिक स्वास्थ्य का चिकित्साकरण किया गया है क्योंकि यह एक मेडिकल विश्वविधालयो द्वारा संचालित अनुशासन था।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य एक बहु-विषयक क्षेत्र है और इसे अलग-अलग लोग अलग-अलग तरह से समझते हैं। यहां तक कि जो लोग सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का हिस्सा हैं, उन्हें भी इसकी कम समझ है। उदाहरण के लिए, केंद्र सरकार के हालिया दिशानिर्देशों के अनुसार एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ बनने के लिए MBBS की डिग्री जरूरी है।
  • इसके अलावा कई लोगों का विचार है कि सहायक नर्स दाइयों और आशा कार्यकर्ताओं जैसे जमीनी स्तर के सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कैडर से बाहर रखा जाना चाहिए।
  • यह भी देखा गया है कि भारत में विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख ऑर्थोपेडिक/कार्डियक सर्जन/नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है।
  • केंद्रीय और राज्य स्वास्थ्य सलाहकार निकायों में सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी भी है।
  • वैश्विक महामारी के दौरान यह बहुत आम बात थी कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के कई डॉक्टरों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर विशेषज्ञ सुझाव दिए।
  • यह चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य समुदाय द्वारा किया गया प्रतिरोध है जो एक सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवर बनने के लिए एक मेडिकल डिग्री होने को न्यायोचित ठहराता है।। परिणाम यह है कि नर्सिंग, दंत चिकित्सा और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों को सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान से वंचित कर दिया जाता है।
  • यह समझा जाना चाहिए कि सार्वजनिक स्वास्थ्य एक अलग पेशा है जिसके लिए अलग-अलग दक्षताओं की आवश्यकता होती है।
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य एक विषय के रूप में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र से अलग है।
    • केंद्र या राज्य सरकार के लिए काम करने वाले सभी सार्वजनिक क्षेत्र के स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं, लेकिन उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
    • इसी तरह, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना व्यक्ति को सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवर नहीं बनाता है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्य के चार A:

  1. अकादमिक(Academics): इसका अर्थ है साक्ष्य निर्माण की उचित समझ और इसे बायोस्टैटिस्टिक्स और महामारी विज्ञान के साथ संश्लेषित करना। मौजूदा कार्यक्रमों / योजनाओं के मूल्यांकन और निगरानी, नियमित रिपोर्टिंग, डेटा-आधारित निर्णय लेने और समग्र निगरानी के लिए ये दक्षताएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्य का मस्तिष्क है।
  2. सक्रियता (Activism): यह सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्य के केंद्र में है। सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जमीनी स्तर पर सामाजिक लामबंदी की आवश्यकता होती है क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से सामाजिक परिवर्तन से जुड़ा होता है। समुदाय की जरूरतों, सामुदायिक संगठन आदि को समझना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, इसे व्यवहार और सामाजिक विज्ञान पर आधारित होना चाहिए। अध्ययन गैर-स्वास्थ्य निर्धारकों का भी किया जाना चाहिए, जिसमें व्यावसायिक और सामाजिक कारकों को शामिल किया गया है, जिनका स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
  3. प्रशासन (Administration): इसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक विभिन्न स्तरों पर व्यवस्था के प्रबंधन के रूप में वर्णित किया गया है। इसमें स्वास्थ्य नीतियों का कार्यान्वयन और प्रबंधन, आपूर्ति और रसद, मानव संसाधन आदि से संबंधित मुद्दों को हल करना शामिल है। इसमें टीम निर्माण, सेवा वितरण और वित्तीय प्रबंधन जैसे पहलू भी शामिल हैं।
  4. वकालत(Advocacy): सरकार के विभिन्न पदानुक्रमित स्तरों पर यथास्थिति को बदलने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े सभी हितधारकों के साथ मजबूत संचार होना बहुत महत्वपूर्ण है। कार्यों के वैकल्पिक सेट और कार्यान्वयन की लागत के विश्लेषण के अलावा आवश्यकता की स्पष्ट अभिव्यक्ति भी जरूरी है। यह सब हासिल करने के लिए संचार और बातचीत के लिए एक अच्छा नेटवर्क जरूरी है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्य का प्रशिक्षण:

  • उपरोक्त चार क्षेत्रों का प्रशिक्षण सामुदायिक चिकित्सा के क्षेत्र में तीन वर्षीय MD पाठ्यक्रम और सार्वजनिक स्वास्थ्य में दो वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम के माध्यम से प्रदान किया जाता है।
  • तीन वर्षीय पाठ्यक्रम विशेष रूप से डॉक्टरों के लिए है जबकि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम गैर-चिकित्सा पेशेवरों के लिए भी खुला है।
  • कक्षा शिक्षण के अलावा, सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रशिक्षुओं को अक्सर विभिन्न समुदायों और स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात किया जाता है ताकि उन्हें सक्षम स्वास्थ्य पेशेवरों के रूप में विकसित होने में मदद मिल सके। यह नैदानिक अनुशासन के विपरीत है।
  • यह समझना महत्वपूर्ण है कि चार प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों के लिए पेशेवर चिकित्सा योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है।

सारांश:

महामारी ने एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा के महत्व पर प्रकाश डाला है। राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए यह महत्वपूर्ण है कि प्रतिभाशाली लोग सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र की ओर आकर्षित हों। इस क्षेत्र के बारे में हमारी समझ को बेहतर करना और इसे योग्य गैर-MBBS पेशेवरों के लिए खोलना भी महत्वपूर्ण है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

सार्वजनिक शिक्षा का वित्तपोषण:

विषय: शिक्षा के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: उच्च शिक्षा।

संदर्भ: शिक्षा मंत्री का लोकसभा में जवाब।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का विजन:

  • NEP 2020 के अनुसार, सार्वजनिक शिक्षा के लिए अधिक से अधिक अवसर जैसे विभिन्न उपायों के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में पहुंच, समानता और समावेश को बढ़ाया जाना चाहिए।
  • इसने यह भी आश्वासन दिया कि सरकारी वित्त पोषण से सार्वजनिक संस्थानों की स्वायत्तता पर्याप्त रूप से समर्थित होगी।
  • NEP में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया था कि शिक्षा क्षेत्र पर सरकारी खर्च की परिकल्पना 1968 की नीति द्वारा की गई थी जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 6% था। यह आंकड़ा 1986 की नीति और 1992 की शिक्षा पर समीक्षा नीति सहित अतीत में कई बार दोहराया गया है।
  • NEP ने उद्धृत किया कि भारत में उच्च गुणवत्ता वाली और समान सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली के लिए सार्वजनिक खर्च बढ़ाना बहुत आवश्यक है। यह देश के आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास और प्रगति के लिए अत्यधिक आवश्यक है।
  • NEP 2020 का अनुमान है कि उच्च शिक्षा में नामांकन अनुपात 2035 तक दोगुना हो जाना चाहिए।

शिक्षा से जुड़े आंकड़े:

  • कोठारी आयोग ने सिफारिश की थी कि उच्च शिक्षा को सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 2% मिलना चाहिए।
  • केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी सहित उच्च शिक्षा पर कुल खर्च 2010-11 में जीडीपी के 0.86% से घटकर 2019-20 में महज 0.52% रह गया।
  • 2010-11 में जीडीपी के 0.33% की तुलना में 2019-20 में केंद्र सरकार द्वारा उच्च शिक्षा क्षेत्र में खर्च सिर्फ 0.16% था।
  • सरकार की राजस्व प्राप्ति में तीन गुना वृद्धि के विपरीत, उच्च शिक्षा पर खर्च (बजट अनुमान के अनुसार) 2011-12 में 2.60% से घटकर 2022-23 में 1.85% हो गया।

शिक्षा का निजीकरण:

  • अधिकांश उच्च शिक्षा संस्थान निजी है और स्व-वित्तपोषित आधार पर चलाए जाते हैं।
  • निजी संस्थानों की लाभ कमाने की प्रवृत्ति सार्वजनिक उच्च शिक्षा प्रणाली में भी प्रवेश कर गयी है।ये प्रवृत्तियों और गहरी होती जा रही हैं जैसे:
    • संसाधन जुटाना और उनकी उपयोग दक्षता
    • आंतरिक राजस्व का सृजन
    • क्रॉस-सब्सिडी
    • लागत में कमी
    • त्वरित लागत वसूली की प्रवृत्ति
    • उपयोगकर्ता शुल्क बढ़ाना
    • उच्च शिक्षा के निजीकरण के परिणामस्वरूप फीस और अन्य शुल्कों में कई गुना वृद्धि हुई है।
  • भारतीय संदर्भ में लोकप्रिय धारणा है कि उच्च शिक्षा पूरी तरह से छात्रों (या विशेष रूप से उनके माता-पिता) द्वारा वित्त पोषित की जानी चाहिए जो पूरी तरह से गलत है।
  • उच्च शिक्षा में भविष्य की वृद्धि सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों के नामांकन पर निर्भर है क्योंकि आर्थिक रूप से कुलीन वर्ग पहले ही पूरी क्षमता के करीब पहुंच चुका है।
  • भारत में उच्च शिक्षा पर अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें: https://byjus.com/free-ias-prep/higher-and-technical-education/

सारांश:

भारत में उच्च शिक्षा ने भारत की 2.8 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और विकसित देश बनने के लिए उच्च शिक्षा में निवेश बढ़ना चाहिए। इसके अलावा, मजबूत सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली भी एक जीवंत लोकतंत्र का आधार है।

सम्बंधित लिंक्स: https://byjus.com/free-ias-prep/measures-for-inclusion-in-higher-education-for-equitable-society/

https://byjus.com/free-ias-prep/higher-education-quality-mandate-rstv-big-picture/

प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. 2021 में निवारक निरोध बढ़ा:

Image Source: The Hindu

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau (NCRB),) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, निवारक निरोध के मामलों में वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में लगभग 23.7% की वृद्धि हुई, जिसमें 1.1 लाख से अधिक व्यक्तियों को निवारक हिरासत में रखा गया था।
  • वर्ष 2021 के अंत तक इनमें से, 24,500 से अधिक लोग या तो हिरासत में थे या अभी भी नजरबन्द थे, जो वर्ष 2017 के बाद से सबसे अधिक संख्या है। निवारक निरोध के तहत रखे गए व्यक्तियों की संख्या वर्ष 2017 से लगातार बढ़ रही है।
  • जिन कानूनों के तहत एनसीआरबी ने निवारक निरोधों का डेटा दर्ज किया है, वे हैं राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम,(National Security Act) गुंडा अधिनियम (राज्य और केंद्र), नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, 1988 में अवैध यातायात की रोकथाम और एक श्रेणी जिसे “अन्य निरोध अधिनियम” के रूप में वर्गीकृत किया गया है
  • दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure (Code of Criminal Procedure (CrPC))) की धारा 151 के प्रावधानों के अनुसार, पुलिस को “किसी भी संज्ञेय अपराध” को रोकने के लिए ऐसा करने की आवश्यकता महसूस होने पर निवारक गिरफ्तारी करने का अधिकार है।

2. जीवन की लागत का संकट गहराते ही यूरोप में मंदी की आहट:

  • ऐसा महसूस किया जा रहा है कि यूरो ज़ोन मंदी के चरण में प्रवेश कर रहा है, क्योंकि सम्बंधित रिपोर्टें एक गहन लागत-जीवन संकट और एक अंधकारपूर्ण दृष्टिकोण का संकेत दे रही हैं जो उपभोक्ताओं को खर्च के बारे में सावधान कर रही है।
  • कहा जाता है कि बढ़ती महंगाई ने यूरोपियन सेंट्रल बैंक पर गहरा दबाव डाला है।
  • रूस द्वारा यूरोप को मुख्य पाइपलाइन के माध्यम से गैस आपूर्ति बंद करने की घोषणा के बाद यूरो 20 वर्षों में पहली बार 99 अमेरिकी सेंट से नीचे गिर गया है।
  • कमी के बढ़ते डर से गैस की कीमतों में 30% से अधिक की वृद्धि हुई है।

3. हसीना के दिल्ली पहुंचने पर पानी, बिजली, रक्षा पर समझौता संभव:

  • बांग्लादेश की प्रधानमंत्री भारत आ चुकी हैं और उनके आगमन पर भारत और बांग्लादेश जल बंटवारे, संपर्क, रक्षा और व्यापार जैसे विविध पहलुओं से सम्बंधित विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते है।
  • बांग्लादेश की पीएम ने दोहराया है कि वह अपनी भारत यात्रा के दौरान नदी जल समझौतों और रोहिंग्या शरणार्थियों से सम्बंधित दोनों मुद्दों को उठाएंगी।
  • इनमे से कुशियारा नदी (असम के पास) समझौता सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक बताया जा रहा है।
  • इसके अलावा, भारत और बांग्लादेश ने रक्षा संबंधी समझौतों पर चर्चा शुरू कर दी है, जिसमें पोर्टेबल (वहनीय) और पूर्वनिर्मित पुल शामिल हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. तेलंगाना में स्थित ऐतिहासिक रामप्पा मंदिर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए – (स्तर-सरल)

  1. यह एक बौद्ध मंदिर है जो भगवान बुद्ध को समर्पित है ।
  2. यह काकतीय वास्तुकला का एक उदाहरण है।
  3. वर्ष 2021 में इस मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्रदान की गई।

उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 2 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है: रामप्पा मंदिर, जिसे रुद्रेश्वर मंदिर भी कहा जाता है, भगवान शिव को समर्पित हिंदू मंदिर है।
  • मंदिर का नाम इसके वास्तुकार – रामप्पा के नाम पर रखा गया है।
  • कथन 2 सही है: यह गणपति देव के अधीन काकतीय जनरल रेचारला रुद्र द्वारा 1213 ईस्वी के आसपास निर्मित काकतीय वास्तुकला का एक उदाहरण है।
  • कथन 3 सही है: इस मंदिर को वर्ष 2021 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया था।

प्रश्न 2. ‘हिल्सा मछली’ किन दो देशों के बीच की कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है? (स्तर-सरल)

(a) भारत एवं श्रीलंका

(b) भारत एवं थाईलैंड

(c) भारत एवं बांग्लादेश

(d) भारत एवं पाकिस्तान

उत्तर: c

व्याख्या:

  • हिल्सा मछली भारतीय उपमहाद्वीप में एक बहुत लोकप्रिय मछली है, जो बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली और पश्चिम बंगाल की राज्य मछली है।
  • बांग्लादेश हिल्सा मछली का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, और भारत को इसका निर्यात क़र अच्छा लाभ कमाता है साथ ही बांग्लादेश दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर करने के लिए हिल्सा कूटनीति का इस्तेमाल करता है।

प्रश्न 3. ‘डार्क स्काई रिजर्व’ निम्न में से किस उद्देश्य की पूर्ति करता है? (स्तर – मध्यम)

  1. खगोलीय प्रेक्षणों को सुगम बनाना।
  2. रात्रिचर पक्षी प्रजातियों की रक्षा करना।
  3. खगोल विज्ञान पर्यटन को बढ़ावा देना।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • एक डार्क स्काई रिजर्व सार्वजनिक या निजी भूमि होती है जिसमें रात का एक विशिष्ट वातावरण और तारों वाली रातें होती हैं जिन्हें प्रकाश प्रदूषण को रोकने के लिए विकसित किया गया है।
  • भारत लद्दाख के ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्रों में देश का पहला डार्क स्काई रिजर्व स्थापित करेगा।

डार्क स्काई रिजर्व के प्रमुख उद्देश्य:

  • एक स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से खगोल विज्ञान पर्यटन को बढ़ावा देना।
  • खगोलीय प्रेक्षणों को सुगम बनाना।
  • रात्रिचर प्रजातियों की रक्षा करना जो शिकार और चारे के लिए अंधेरे पर निर्भर होते हैं।
  • लगातार बढ़ते प्रकाश प्रदूषण से रात्रि आकाश को संरक्षित करने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करना।

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन से कथन सही हैं? (स्तर-कठिन)

  1. प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री) एक नई केंद्र प्रायोजित योजना है।
  2. इस योजना के तहत, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के सभी घटकों को प्रदर्शित करने के लिए मॉडल

स्कूलों की पहचान क़र उनका पोषण किया जायेगा।

  1. ये अनुकरणीय विद्यालयों के रूप में कार्य करेंगे और अपने आसपास के अन्य विद्यालयों को भी परामर्श प्रदान करेंगे।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) केवल 2 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-एसएचआरआई) एक नई केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • कथन 2 सही है: प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री) योजना के तहत पूरे भारत में 14,500 स्कूलों का विकास और उन्नयन किया जायगा। ये मॉडल स्कूल बन जाएंगे, जो एनईपी की समग्र भावना को समाहित करेंगे।
  • ये स्कूल आधुनिक बुनियादी ढांचे जैसे लैब, स्मार्ट क्लासरूम, लाइब्रेरी, खेल उपकरण, आर्ट रूम आदि से सुसज्जित (लैस) होंगे।
  • इन स्कूलों को जल संरक्षण, अपशिष्ट पुनर्चक्रण, ऊर्जा कुशल बुनियादी ढांचे और पाठ्यक्रम में जैविक जीवन शैली के एकीकरण के साथ हरित स्कूलों के रूप में भी विकसित किया जाएगा।
  • कथन 3 सही है: पीएम श्री स्कूल अपने आसपास के अन्य स्कूलों को भी “सलाह देंगे”।

प्रश्न 5. भारत के इतिहास के संदर्भ में ‘उलगुलान’ या महान उपद्रव निम्नलिखित में से किस घटना का विवरण था ? PYQ (2021) (स्तर – कठिन)

(a) 1857 का विद्रोह

(b) 1921 का मोपला विद्रोह

(c) 1859-1860 का नील विद्रोह

(d) 1899-1900 का बिरसा मुंडा का विद्रोह

उत्तर: d

व्याख्या:

  • मुंडा विद्रोह को ‘उलगुलान’ या ‘महान उपद्रव’ ( the great tumult ) के नाम से भी जाना जाता है, जिसका नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया था।
  • इसका मुख्य विद्रोह वर्ष 1899-1900 में रांची के दक्षिण क्षेत्र में हुआ था।
  • उलगुलान शब्द का अर्थ है ‘महान उथल-पुथल’/महान उपद्रव’ जिसके माध्यम से आदिवासियों ने संसाधनों पर अधिकार जताया, जिन्हें जमींदारों और साहूकारों द्वारा उनसे छीन लिया गया था।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. सॉफ्ट डिप्लोमेसी/नरम कूटनीति में भारत और पाकिस्तान के बीच दरवाजे खोलने की क्षमता है। स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

प्रश्न 2. समान आकार की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना करने पर, भारत का शिक्षा पर व्यय निराशाजनक रूप से कम है। विस्तार से समझाइये। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – शिक्षा)