07 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
राजव्यवस्था:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री तीस्ता एवं अन्य मुद्दों के जल्द समाधान के पक्ष में:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत एवं उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध।
मुख्य परीक्षा: भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय बैठक के महत्वपूर्ण परिणाम और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में नवीनतम विकास/घटनाक्रम।
संदर्भ:
- वर्तमान में बांग्लादेश के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।
विवरण:
- बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष से मुलाकात के बाद कहा कि भारत बांग्लादेश का सबसे महत्वपूर्ण और निकटतम पड़ोसी है,क्योंकि दोनों देश 54 से अधिक नदियों और 4,000 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं।
- भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि “1971 की भावना को जीवित रखने के लिए, यह आवश्यक है कि हम उन ताकतों का सामना करें जो हमारे साझा मूल्यों को चोट पहुंचाना चाहती हैं।
- दोनों देशों के नेताओं ने रेलवे, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष सहयोग, मीडिया और जल साझाकरण जैसे विभिन्न क्षेत्रों को कवर करने वाले लगभग सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
द्विपक्षीय बैठक के प्रमुख निष्कर्ष:
- तीस्ता जल बंटवारा संधि पर चर्चा: दोनों देशों के बीच हुई बैठक के दौरान तीस्ता जल बंटवारा विवाद (Teesta Water Sharing dispute) सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।
- तीस्ता नदी ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी है, जो असम में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना (ब्रह्मपुत्र) के साथ मिलने से पहले सिक्किम और पश्चिम बंगाल से होकर निकलती है।
- कुशियारा जल बंटवारा समझौता: इस बैठक का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम बांग्लादेश में सिलहट क्षेत्र और भारत में दक्षिणी असम के बीच बहने वाली कुशियारा नदी के पानी के बंटवारे पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करना था।
- ऐसा बताया जा रहा है कि वर्ष 1996 के गंगा जल समझौते के बाद लगभग 28 वर्षों में यह पहला ऐसा समझौता है।
- रीयल-टाइम सूचना साझाकरण: भारत ने रीयल-टाइम (तात्कालीन समय) में बाढ़ के पानी की जानकारी साझा करने के लिए समय-सीमा को आगे बढ़ाया, जिससे बांग्लादेश को हर साल आने वाली बाढ़ की विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने में मदद मिलेगी।
- रेलवे: दोनों देशों के रेल मंत्रालयों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत भारत बांग्लादेशी रेलवे के कर्मियों को प्रशिक्षण देगा।
- रूपशा रेल पुल: एक अन्य महत्वपूर्ण विकास रूपशा रेल पुल का उद्घाटन है, जो दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।यह पुल खुलना को मोंगला बंदरगाह और पश्चिम बंगाल में पेट्रापोल और गेदे को जोड़ने में मदद करेगा।
- ऊर्जा: दोनों देशों ने मैत्री पावर प्लांट की यूनिट 1 की घोषणा की, जो बांग्लादेश के खुलना डिवीजन के रामपाल में 1,320 मेगावाट का सुपरक्रिटिकल कोयले से चलने वाला थर्मल पावर प्लांट है।
- इससे बांग्लादेश को मौजूदा ऊर्जा संकट का मुकाबला करने और सस्ती बिजली मिलने की उम्मीद है।
- यह परियोजना 2 अरब डॉलर से अधिक की अनुमानित लागत से बनाई जा रही है, जिसमें से 1.6 अरब डॉलर भारतीय विकास सहायता के रूप में होंगे।
- व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreement (CEPA)) की चर्चा: यह स्वीकार करते हुए कि बांग्लादेश के निर्यात के लिए भारत एशिया का सबसे बड़ा बाजार है और बांग्लादेश भारत का इस क्षेत्र में सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। सीईपीए पर चर्चा जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
- रोहिंग्या मुद्दा: रोहिंग्या मुद्दा दोनों देशों के नेताओं के बीच चर्चा का एक अन्य प्रमुख मुद्दा था और भारत रोहिंग्या प्रवासियों की सुरक्षित और शीघ्र वापसी की मांग करता रहेगा।
बांग्लादेश ने भारत से ख़रीदे जाने वाली रक्षा उपकरणों की सूची साझा की :
- बांग्लादेश ने सैन्य प्लेटफार्मों और प्रणालियों की एक सूची साझा की है जिसे उसके सशस्त्र बल भारत से खरीदने के इच्छुक हैं।
- यह भारत द्वारा बांग्लादेश को दी गई 500 मिलियन डॉलर की रक्षा लाइन ऑफ क्रेडिट (Line of Credit (LoC)) के अनुरूप है।
- इस एलओसी को वर्ष 2018 में बढ़ाया गया था और अप्रैल 2029 तक इसका उपयोग किया जा सकता है।
- इच्छा सूची में उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है जिसमें बांग्लादेशी नौसेना के लिए एक फ्लोटिंग डॉक, रसद जहाज, तेल टैंकर और समुद्री टग (ocean-going tug ) बोट्स शामिल है।
- बांग्लादेश “बल लक्ष्य 2030” (Forces Goal 2030) के अपने दृष्टिकोण के अनुरूप नए हथियारों की खरीद और बुनियादी ढांचे में सुधार करके अपने सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण करना चाहता है।
- इसने भारत को बांग्लादेश की मदद करने और उनके बीच रक्षा सहयोग में सुधार करने का अवसर प्रदान किया है।
बांग्लादेशी सेना ने पहले ही इसकी खरीद को मंजूरी दे दी है:
- लगभग 10 मिलियन डॉलर की लागत वाले पांच ब्रिज लेयर टैंक (बीएलटी-72)।
- $2.2 मिलियन से अधिक की लागत वाले सात पोर्टेबल स्टील ब्रिज (बेली)।
- लगभग 2.2 मिलियन डॉलर की लागत वाले टाटा समूह द्वारा निर्मित 11 माइन प्रोटेक्टिव व्हीकल्स।
बांग्लादेशी सेना को उपलब्ध कराए जाने वाले अन्य रक्षा उपकरण हैं:
- महिंद्रा एक्सयूवी 500 ऑफ-रोड वाहन।
- लगभग 2.35 मिलियन डॉलर की लागत से महिंद्रा के डोर हार्डटॉप वाहन
- भारी वसूली वाहन
- बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन
- बुलेट प्रूफ हेलमेट
- भारत तोपखाने, मोर्टार, रॉकेट, मिसाइल, सहायक वाहन, इलेक्ट्रॉनिक और इंजीनियरिंग उपकरण, रडार, हेलीकॉप्टर, सैन्य रेक और जहाज निर्माण सेवाओं की आपूर्ति करके बांग्लादेशी सेना के आधुनिकीकरण में योगदान दे सकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज-यमुना लिंक नहर विवादपर पंजाब व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से मिलने को कहा:
राजव्यवस्था:
विषय: संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ – अंतर्राज्यीय संबंध।
मुख्य परीक्षा: सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद।
संदर्भ:
- सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल से अधिक समय से विलंबित सतलुज-यमुना लिंक नहर के विवाद को हल करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री से आश्वासन मांगा है कि वह अपने समक्ष हरियाणा के मुख्यमंत्री से मुलाकात करें।
सतलुज-यमुना लिंक नहर:
Image Source: www.thehansindia.com
- सतलुज-यमुना लिंक (Sutlej-Yamuna Link (SYL)) नहर के पूरी होने के बाद रावी और ब्यास नदियों के पानी को पंजाब और हरियाणा राज्यों के बीच साझा करने में मदद मिलेगी।
- सतलुज-यमुना लिंक (Sutlej-Yamuna Link (SYL)) नहर का निर्माण अप्रैल 1982 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के कर कमलों द्वारा पंजाब के पटियाला जिले के कपूरी गांव में शुरू किया गया था।
- सतलुज-यमुना लिंक (Sutlej-Yamuna Link (SYL)) नहर के निर्माण में 214 किलोमीटर के खंड का निर्माण शामिल था, जिसमें से 122 किलोमीटर पंजाब और 92 किलोमीटर हरियाणा में किया जाना था।
- हालाँकि, नहर के पंजाब के हिस्से का निर्माण विवादास्पद रहा है,जिससे सतलुज-यमुना लिंक नहर के पूरा होने में देरी हुई है।
विवाद की समयसीमा:
Image source: Indian Express
- वर्ष 1960: भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) के अनुसार भारत रावी, ब्यास और सतलुज के पानी का इस्तेमाल ” स्वतंत्र और निर्बाध रूप से ” (free and unrestricted use) कर सकता है।
- वर्ष 1966: में पंजाब के पुनर्गठन और एक नए राज्य के रूप में हरियाणा के गठन ने दोनों राज्यों के बीच नदी के पानी के बंटवारे की समस्याओं को जन्म दिया।
- चूंकि हरियाणा को सतलुज और उसकी सहायक ब्यास नदी के पानी के एक हिस्से की आवश्यकता थी, अतः सतलुज को यमुना से जोड़ने वाली एसवाईएल नहर का निर्माण प्रस्तावित किया गया था।
- हालाँकि, पंजाब ने रिपेरियन सिद्धांत (Riparian principle) का उल्लंघन करते हुए पानी को साझा करने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया है कि “एक नदी का पानी केवल उस राज्य या उस देश या उन राज्यों और देशों का होता है जहाँ से वह नदी बहती है”।
- वर्ष 1981: में पंजाब और हरियाणा ने नदी के पानी के पुनर्वितरण पर सहमति व्यक्त की।
- वर्ष 1982: में सतलुज-यमुना लिंक (Sutlej-Yamuna Link (SYL)) नहर के निर्माण का शुभारंभ हुआ।
- अकाली दल ने सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण के खिलाफ कपूरी मोर्चा के नाम से धरना देना शुरू किया।
- वर्ष 1985: में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के प्रमुख ने एक नया न्यायाधिकरण स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- वर्ष 1987: एराडी ट्रिब्यूनल (Eradi Tribunal) ने दोनों राज्यों को पानी के हिस्से में वृद्धि का सुझाव दिया।
- वर्ष 1980 का दशक: सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण के खिलाफ हिंसक उग्रवादी हमले हुए।
- वर्ष 1996: सतलुज-यमुना लिंक नहर की निर्माण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए हरियाणा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
- वर्ष 2002 और 2004: सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब में तत्कालीन सरकारों को अपने-अपने क्षेत्र में निर्माण कार्य शरू करने के निर्देश जारी किए।
- वर्ष 2004: पंजाब सरकार ने वर्ष 2004 के विवादास्पद पंजाब टर्मिनेशन ऑफ वॉटर एग्रीमेंट्स एक्ट (Punjab Termination of Water Agreements Act of 2004)को एकतरफा लागू किया।
- वर्ष 2016: पंजाब टर्मिनेशन ऑफ वॉटर एग्रीमेंट एक्ट को संविधान पीठ ने रद्द कर दिया।
- वर्ष 2020: सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों की सरकारों को सतलुज-यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर उच्स्तरीय चर्चा करने और उसका निपटारा करने का आदेश दिया, जिसकी मध्यस्थता केंद्र सरकार द्वारा की जानी थी।
- हालांकि, जल शक्ति मंत्रालय, जो केंद्र सरकार की ओर से मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा था, ने शिकायत की थी कि पंजाब वार्ता में शामिल नहीं हुआ है।
- अदालत ने कहा कि नहर पानी की कमी को दूर करने के लिए हैं तथा पानी एक प्राकृतिक संसाधन है और लोगो को इसे साझा करना सीखना चाहिए, चाहे वह व्यक्ति,राज्य या देश हों”।
- अदालत ने यह भी माना है कि देश के व्यापक हित में, दोनों राज्यों को बैठकर इस पर काम करना होगा और इसे एक कच्चे घाव के रूप में नहीं छोड़ा जा सकता है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
विझिंजम के लिए, हमेशा की तरह व्यापार कोई विकल्प नहीं है
विषय: बुनियादी ढांचा: बंदरगाह
प्रारम्भिक परीक्षा: विझिंजम पोर्ट।
मुख्य परीक्षा: इंफ्रास्ट्रक्चर- पोर्ट्स; पर्यावरण और पारिस्थितिकी।
संदर्भ: अदानी समूह द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह के निर्माण का विरोध।
विझिंजम बंदरगाह के बारे में:
- विझिंजम बंदरगाह एक गहरे पानी का बंदरगाह है।
- यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है क्योंकि:
- यह पूर्व-पश्चिम शिपिंग मार्गों के निकट है।
- इसमें लगभग 20 मीटर का प्राकृतिक अविच्छिन्न ड्राफ्ट है।
- यह बड़े जहाजों के लिए उपयुक्त है जो इसे एक अद्वितीय स्थल बनाते हैं।
- इसके अलावा, यह दुबई, सिंगापुर और शंघाई के केंद्रों की तरह ही आय अर्जित करने और आर्थिक विकास को गति देने का केंद्र बन सकती है।
Source: Vizhinjam Seaport Limited
बंदरगाह से जुडी समस्यांए:
- स्थानीय आबादी पर प्रभाव:
- इससे राजस्व सृजनतो होगा लेकिन वह स्थानीय निवासियों को हानि पहुंचा कर होगा , क्योंकि एक वर्ष की अवधि में लगभग 350 परिवारों ने अपने घरों को तटीय कटाव के कारण खो दिया है। इस क्षेत्र में निरंतर तटीय कटाव और लगातार चक्रवातों के अलावा इस नई परियोजना से स्थति और भी खराब हो जायगी।
- स्थानीय निवासियों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है।
- पारिस्थितिकी पर प्रभाव:
- क्षेत्र की पारिस्थितिकी अपरिवर्तनीय रूप से नष्ट हो सकती है और अधिक खतरों को पैदा कर सकती है।
- बंदरगाह का विकास समुद्री जैव विविधता की स्थिति में भी सुधार कर सकता है।
- पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में बंदरगाह चैनलों के गहरे होने से तटीय क्षरण और अभिवृद्धि तेज हो सकती है, जैसा कि चेन्नई और विशाखापत्तनम बंदरगाहों की गाद से स्पष्ट है। परिमाण के क्रम के कारण विझिंजम में जोखिम कहीं अधिक है।
- 2017 में एक अध्ययन ने समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और तटरेखा पर ब्रेकवाटर और ड्रेजिंग के निर्माण से होने वाले नुकसान के बारे में चेतावनी दी थी।
- इसी तरह, एक अध्ययन से पता चला है कि 2006-20 की अवधि के दौरान अकेले तिरुवनंतपुरम के तट से लगभग 2.62 वर्ग किलोमीटर (लगभग 650 एकड़) का क्षरण हुआ था।
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT), चेन्नई ने एक तटरेखा रिपोर्ट जारी की जो समुद्र तट प्रोफाइल और उपग्रह विश्लेषण पर आधारित थी। रिपोर्ट में बंदरगाह के उत्तरी और दक्षिणी तट के महत्वपूर्ण क्षरण पर प्रकाश डाला गया। 2015 से 2021 तक बंदरगाह निर्माण के दौरान अभिवृद्धि की भी सूचना मिली थी।
- केरल में तटरेखा परिवर्तन से संबंधित एक अन्य अध्ययन, जिसे नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट द्वारा किया गया था। 1972-2010 के दौरान इसके तट के साथ बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अधिक कठोर तटरेखा को परिवर्तनों का श्रेय दिया जाता है।
- परियोजना दस्तावेजों के साथ मुद्दे:
- परियोजना स्थल पर नगण्य गाद और न्यूनतम बहाव का हवाला देते हुए एक झूठा आधार प्रस्तुत किया गया है।
- दस्तावेज समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता पर बंदरगाह के प्रभावों को नजरअंदाज करते हैं, इस तथ्य के बावजूद कि विझिंजम-पूवर खंड एक जैव विविधता हॉटस्पॉट और समुद्री संरक्षित क्षेत्र है।
- तिरुवनंतपुरम में कटाव सबसे अधिक है। हालांकि, पर्यावरण मंजूरी के दौरान इन तथ्यों की अनदेखी की जाती है।
- EIA से सरोकार
- प्रभाव मूल्यांकन (EIA) में जीवों, वनस्पतियों और झीलों पर प्रभाव की चर्चा विशुद्ध रूप से पर्यावरणीय नियमानुरूप है।
- महत्वपूर्ण तटरेखा मूल्यांकन (मई 2013) पर EIA में तथ्यात्मक त्रुटियां हैं। उदाहरण के लिए, परियोजना के लिए चट्टानें उपलब्ध कराने के लिए पश्चिमी घाट में दो पहाड़ियों को तोड़ने से पैदा होने वाले पारिस्थितिक परिणामों का कोई उल्लेख नहीं है।
- इनके अलावा, निकर्षण को बनाए रखने के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है।
भावी कदम:
- क्षति पहुँचाने वालों पर उच्च प्रदूषण दंड लगाया जाना चाहिए।
- बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के मामले में समुद्री प्रदूषण और जैव विविधता के विनाश से बचने के लिए उधारकर्ता और फाइनेंसर को पर्याप्त सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने चाहिए।
- इसके अलावा, परियोजना को समुद्र और उसके संसाधनों पर लोगों के सदियों पुराने अधिकारों के बदले पर्याप्त धन आवंटित करना चाहिए। दुनिया भर में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के मामले में व्यवसाय का पहला क्रम विस्थापित लोगों को पर्याप्त मुआवजा प्रदान करना और उनके अधिकारों को बहाल करना है।
- हार्ड-इंजीनियरिंग सॉल्यूशंस जैसे सीवॉल और सॉफ्ट रिस्पांस जैसी वनरोपण सुधारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
- समुद्री जैव विविधता को होने वाले नुकसान की घोर उपेक्षा को उचित EIA द्वारा संबोधित किया जाना चाहिए, जिसमें पारिस्थितिकी और समुद्र विज्ञान के विशेषज्ञों के इनपुट शामिल हो।
- उपरोक्त बिंदुओं के अलावा, किसी भी अन्य निर्माण कार्य के लिए उपायों का एक स्वतंत्र मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इसकी निगरानी बंदरगाह अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए।
सारांश: चूंकि केरल के लगभग दो-तिहाई तटों का क्षरण हो रहा है, इसलिए पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में किसी भी विकास कार्य को करने से पहले पर्याप्त सावधानियां बरतना अनिवार्य हैं। मध्य-जलमार्ग परिवर्तन के दायरे के साथ सतत विकास होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। |
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सम्बंधित लिंक्स:
https://byjus.com/free-ias-prep/coastal-regulation-zone/
https://byjus.com/free-ias-prep/coastal-erosion-india/
https://byjus.com/free-ias-prep/major-ports-in-india/
प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1.SC ने केंद्र और राज्यों से EWS कोटे से सम्बंधित चिंताओं को दूर करने को कहा:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों वाली एक संविधानिक पीठ 103वें संविधान संशोधन की वैधता की जांच कर रही हैं,जिसमें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (economically weaker sections (EWS)) को 10% आरक्षण का प्रावधान है।
- सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र और राज्यों की सरकारों को विशुद्ध रूप से आर्थिक आधार पर आरक्षण देने पर अदालत में व्यक्त की गई चिंताओं को दूर करने के लिए कहा हैं कि क्या देश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य सबसे गरीब सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को इसके दायरे से बाहर करना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है।
- संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करके और राज्य सरकारों को आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण देने का अधिकार देने वाले खंडों को जोड़कर आर्थिक आरक्षण की शुरुआत की गई थी।
- भारत में 103वां संविधान संशोधन अधिनियम एवं आरक्षण प्रणाली को गहराई से समझने के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: 103rd Constitutional Amendment Act.
2.स्वच्छ वायु कार्यक्रम योजना के तहत शहरों में ‘सीमित बदलाव’:
- सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के एक विश्लेषण में बताया गया है कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत शहरों के समूह और इसके दायरे से बाहर के शहरों के पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण (पीएम2.5) के रुझानों में “मुश्किल से कोई अंतर” (barely any difference) है।
- वर्ष 2019 में शरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम ( National Clean Air Programme (NCAP)) का उद्देश्य वर्ष 2017 के प्रदूषण स्तरों को आधार के रूप में इस्तेमाल करते हुए, वर्ष 2024 तक PM2.5 और PM10 कणों के संबंध में प्रदूषण के स्तर को 20% -30% तक कम करना है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board (CPCB)) जो इस कार्यक्रम का समन्यवय करता है, केवल PM10 के स्तर पर प्रदुषण के सम्बन्ध में धन के आवंटन पर विचार करता है जबकि PM2.5 कण जो छोटे और अधिक खतरनाक होते हैं, में उपकरणों की कमी के कारण सभी शहरों में उतनी सख्ती से निगरानी नहीं की जाती है।
- सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने शहरों में PM2.5 स्तरों पर किए गए अपने राष्ट्रीय विश्लेषण में बताया है कि 43 में से केवल 14 (NCAP) शहरों ने वर्ष 2019 और 2021 के बीच अपने PM2.5 स्तर में 10% या उससे अधिक की कमी दर्ज की।
- उपलब्ध आंकड़ों में कहा गया है कि पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के शहरों में 2019 और 2021 के बीच PM2.5 के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जबकि चेन्नई, वाराणसी और पुणे जैसे शहरों ने NCAP शहरों में सुधार हुआ है।
3. भारत को अपना पहला नासिका संबंधी COVID वैक्सीन मिला:
- iNCOVACC जो भारत बायोटेक द्वारा विकसित भारत की पहली नासिका COVID-19 वैक्सीन है, को आपातकालीन स्थितियों में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण के लिए अनुमोदित किया गया है।
- iNCOVACC से इंट्रा-नासिका वैक्सीन तकनीक और डिलीवरी सिस्टम में गेम चेंजर होने की उम्मीद है।
- iNCOVACC एक ChAd36-SARS-CoV-S COVID-19 (चिंपांज़ी एडेनोवायरस वेक्टरेड-Chimpanzee Adenovirus Vectored) पुनः संयोजक वैक्सीन है और दो से आठ डिग्री सेल्सियस के बीच स्थिर (उपयोगी बनी रहती ) रहती है और भंडारण और वितरण में भी आसान है।
- यह वैक्सीन विभिन्न प्रकार के टीकों के तेजी से विकास और नासिका के जरिये आसानी से शरीर में प्रविष्ठ होने में सक्षम हैं जिसके कारण इससे दोहरा लाभ मिलता है जो व्यक्तियों में COVID-19 के उभरते हुए रूपों से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण की सुविधा प्रदान करती है, जिससे यह भविष्य की वैश्विक और स्थानीय महामारियों का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बनेगी।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. कोविड-19 टीकों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- भारत बायोटेक के COVID-19 पुनः संयोजक नासिका संबंधी टीके को स्वास्थ्य मंत्रालय के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा आपातकालीन स्थितियों में 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण के लिए अनुमोदित किया गया है।
- नासिका संबंधी टीके का उद्देश्य बड़े पैमाने पर टीकाकरण की कठिनाइयों को दूर करना और सुइयों और सीरिंज की आवश्यकता को कम कर इसकी कुल लागत को घटाना है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, अब तक नासिका के टीके की प्रभावशीलता को प्रमाणित करने वाले बहुत कम सबूत हैं और कुछ फ्लू के टीकों के अलावा, इस तरह के टीके लगाने के प्रयास सफल नहीं हुए हैं।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) इनमें से केवल एक कथन गलत है
(b) इनमें से केवल दो कथन गलत हैं
(c) तीनों कथन गलत हैं।
(d) कोई भी कथन गलत नहीं है
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: भारत बायोटेक की COVID-19 पुनः संयोजक नासिका वैक्सीन को स्वास्थ्य मंत्रालय के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा आपातकालीन स्थितियों में 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण के लिए अनुमोदित किया गया है।
- कथन 2 सही है: नासिका के टीके का उद्देश्य सामूहिक टीकाकरण की संभावित कठिनाइयों को दूर करना और सुइयों और सीरिंज की आवश्यकता को समाप्त कर उसकी कुल लागत को कम करना है।
- कथन 3 सही है: विशेषज्ञों के अनुसार, अब तक नासिका के टीके की प्रभावशीलता को प्रमाणित करने वाले बहुत कम सबूत हैं और कुछ फ्लू के टीकों के अलावा, इस तरह के टीके लगाने के प्रयास सफल नहीं हुए हैं।
प्रश्न 2. सतलुज यमुना लिंक नहर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- एक बार पूरा होने के बाद, यह हरियाणा और पंजाब के बीच रावी और ब्यास नदियों के पानी को साझा करने में मददगार साबित होगी।
- वर्ष 1982 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण का शुभारंभ किया था।
- जल संसाधन राज्य सूची के विषय के अंतर्गत आता है, जबकि संसद के पास संघ सूची के तहत अंतर्राज्यीय नदियों के संबंध में कानून बनाने की शक्ति है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर एक बार पूरी होने के बाद रावी और ब्यास नदियों के पानी को पंजाब और हरियाणा राज्यों के बीच साझा करने में मदद करेगी।
- कथन 2 सही है: सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर का निर्माण अप्रैल 1982 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा पंजाब के पटियाला जिले के कपूरी गाँव में शुरू किया गया था।
- कथन 3 सही है: जल संसाधन राज्य सूची के विषय के अंतर्गत आता हैं, जबकि संसद के पास संघ सूची के तहत अंतर्राज्यीय नदियों के संबंध में कानून बनाने की शक्ति है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन से सर्वोच्च न्यायालय के मामले सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66A से संबंधित हैं? (स्तर – सरल)
(a) लिली थॉमस केस, 2013
(b) श्रेया सिंघल मामला, 2015
(c) सुरेश कुमार कौशल मामला, 2013
(d) न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी मामला, 2017
उत्तर: b
व्याख्या:
- 2015 के श्रेया सिंघल मामले, में उच्चतम न्यायालय ने आईटी अधिनियम की धारा 66A को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) का उल्लंघन बताया था और स्पष्ट किया था कि यह अनुच्छेद 19(2) में परिभाषित युक्तियुक्त प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आता है। ज्ञात हो कि आईटी अधिनियम की धारा 66A जिसमें सूचना की ऑनलाइन पोस्टिंग को “घोर आपत्तिजनक” माना जाता था, जो दंडनीय अपराध था और जेल की सजा का प्रावधान था।
- उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया था कि धारा 66 A में प्रयुक्त बिंदुएँ अस्पष्ट, अपरिभाषित हैं और इसलिए एकपक्षीय अर्थात मनमाना हैं।
प्रश्न 4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- माना जाता है कि चीता तब भारतीय परिदृश्य से गायब हो गया था, जब वर्तमान छत्तीसगढ़ में जिला कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने वर्ष 1947 में भारत में दर्ज अंतिम तीन एशियाई चीतों का शिकार किया था।
- वर्ष 1952 में चीता को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
- मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में अंतरमहाद्वीपीय चीता स्थानान्तरण परियोजना के तहत आठ चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाया जा रहा है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपरोक्त
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: वर्तमान में छत्तीसगढ़ के कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव के बारे में माना जाता है कि उन्होंने वर्ष 1947 में भारत में दर्ज अंतिम तीन चीतों का शिकार कर उन्हें मार डाला था।
- कथन 2 सही है: वर्ष 1952 में चीता को भारत से विलुप्त घोषित किया गया था।
- कथन 3 सही नहीं है: मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में अंतरमहाद्वीपीय चीता स्थानान्तरण परियोजना के तहत आठ चीतों को नामीबिया से लाया जा रहा है।
प्रश्न 5. मेथैन हाइड्रेट के निक्षेपों के बारे में, निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही है? PYQ (2019) (स्तर – मध्यम)
1. भूमंडलीय तापन के कारण इन निक्षेपों से मेथैन गैस निर्मुक्त हो सकती है।
2. ‘मेथैन हाइड्रेट” विशाल निक्षेप उत्तर ध्रुवीय टुंड्रा में तथा समुद्र अधस्तल के नीचे पाए जाते हैं।
3. वायुमंडल के अंदर मेथैन एक या दो दशक के बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाती है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ पिघलती है,जिससे इन जमाओं से मीथेन गैस निकलती है और जलवायु परिवर्तन पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- कथन 2 सही है: आर्कटिक टुंड्रा और समुद्र तल के नीचे ‘मीथेन हाइड्रेट’ के बड़े भंडार पाए जाते हैं।
- कथन 3 सही है: वातावरण में मीथेन एक या दो दशक के बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाती है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. भारत-बांग्लादेश संबंधों से जुडी नवीनतम घटनाओं का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
प्रश्न 2. विझिंजम बंदरगाह परियोजना के आसपास का विवाद तटीय प्रबंधन के साथ बंदरगाह विकास को एक स्थायी ट्रैक पर रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – पर्यावरण)