Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 08 April, 2023 UPSC CNA in Hindi

08 अप्रैल 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. यमन युद्ध

सामाजिक न्याय:

  1. कैनबिस/भांग की खेती

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

  1. IFA वार्ताओं पर भारत के लिए कुछ सलाह

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. सभी के लिए विज्ञान

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. जेल बंदियों को आर्थिक सहायता
  2. फार्मास्युटिकल निर्यात के लिए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

यमन युद्ध

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव

मुख्य परीक्षा: यमनी गृहयुद्ध के परिणाम

संदर्भ:

  • यमन युद्ध को समाप्त करने के लिए वार्ता हेतु यमन में एक सऊदी-ओमानी प्रतिनिधिमंडल।

भूमिका:

  • यमन युद्ध 2015 में शुरू हुआ था जो अभी भी जारी है। यह युद्ध यमन पर नियंत्रण के लिए होड़ करने वाले दो गुटों, राष्ट्रपति अब्दराबुह मंसूर हादी के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच शुरू हुआ था।
  • यह संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने 2014 में यमन की राजधानी सना पर नियंत्रण कर लिया और राष्ट्रपति हादी को सऊदी अरब भागने के लिए मजबूर कर दिया।
  • हूती, जिन्होंने 2014 के अंत में सना से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को बेदख़ल कर दिया था, उत्तरी यमन में वास्तविक सरकार चलाते हैं और उनका कहना है कि वे एक भ्रष्ट व्यवस्था और विदेशी आक्रमण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
  • एक सऊदी-ओमानी प्रतिनिधिमंडल यमन की राजधानी सना की यात्रा करने की योजना बना रहा है ताकि हूती अधिकारियों के साथ स्थायी युद्धविराम समझौते पर काम किया जा सके और युद्ध को समाप्त किया जा सके।

चित्र स्रोत: Alamy

इस प्रतिनिधिमंडल का महत्व:

  • सना में सऊदी अधिकारियों की यात्रा सरकार और ईरान-समर्थित गठबंधन हूती के बीच ओमान-मध्यस्थता वार्ता में प्रगति का संकेत है, जो संयुक्त राष्ट्र शांति प्रयासों के समानांतर जारी एक वार्ता है।
  • यह क्षेत्रीय तनाव में कमी का भी संकेत है। यह सऊदी अरब और ईरान के बीच वर्षों की दुश्मनी के बाद एक सकारात्मक पहल है, जो यमन सहित विभिन्न मध्य पूर्वी संघर्षों में विरोधी पक्षों का समर्थन करते रहे हैं।
    • मार्च 2023 में, ईरान और सऊदी अरब राजनयिक संबंध फिर से स्थापित करने और अपने दूतावासों को पुनः खोलने पर सहमत हुए थे।
  • यह वार्ता यमन के बंदरगाहों और हवाई अड्डों को पूरी तरह से फिर से खोलने, लोक सेवकों के लिए मजदूरी का भुगतान करने पर केंद्रित है जो पुनर्निर्माण प्रक्रिया और राजनीतिक परिवर्तन में सहायता कर सकता है।

यमनी गृह युद्ध पर और पढ़ें: Yemeni Civil War

भारत के लिए महत्व:

  • यमन भारतीय नौवहन के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग लाल सागर के प्रवेश द्वार पर स्थित होने के कारण भारत के लिए सामरिक महत्व रखता है।
  • बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य, जो यमन और जिबूती के बीच स्थित है, स्वेज नहर से आने-जाने वाले तेल टैंकरों के लिए एक प्रमुख चोक बिंदु है, जिसके माध्यम से भारत के तेल आयात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गुजरता है।
  • भारत के यमन के साथ ऐतिहासिक रूप से सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध भी रहे हैं। यमन युद्ध के प्रारंभ होने से पहले देश में भारतीयों की एक महत्वपूर्ण आबादी रहती और काम करती थी।
  • भारत ने यमन को मानवीय सहायता प्रदान की है, और भारतीय नौसैनिक जहाज भारतीय नागरिकों को निकालने और संघर्ष के दौरान सहायता प्रदान करने में शामिल रहे हैं।
  • इसके अतिरिक्त, यमन की अस्थिरता और संघर्ष के क्षेत्रीय सुरक्षा निहितार्थ हैं, जिसमें हिंद महासागर में समुद्री डकैती का खतरा और उग्रवाद का प्रसार शामिल है।
  • एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में, यमन और व्यापक मध्य पूर्व क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में भारत की रुचि है।

सारांश:

  • यमन युद्ध राष्ट्रपति हादी के नेतृत्व वाली सरकार और ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के बीच जारी संघर्ष है। सऊदी-ओमानी प्रतिनिधिमंडल की सना यात्रा हूती के साथ स्थायी युद्धविराम के लिए बातचीत में प्रगति और क्षेत्रीय तनाव को कम करने का संकेत देती है।

पश्चिम एशिया में संघर्षों के बारे में और पढ़ें: Conflicts in West Asia

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

कैनबिस/भांग की खेती

विषय: सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे

मुख्य परीक्षा: भारत में कैनबिस/भांग का विनियमन

संदर्भ:

  • हिमाचल प्रदेश कैनबिस/भांग की खेती को वैध बनाने पर विचार कर रहा है।

भूमिका:

  • हिमाचल प्रदेश सरकार भांग की खेती को वैध करने पर विचार कर रही है। सरकार ने दवाओं में इसके संभावित उपयोग और अन्य संभावित प्रभावों का अध्ययन करने के लिए विधायकों की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है।
  • राज्य औषधीय और कपड़े बनाने जैसे गैर-मनोरंजक उपयोगों के लिए पौधे की व्यावसायिक खेती को वैध बनाना चाहता है।

हिमाचल प्रदेश का रूख:

  • राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए राज्य के विधायक सालों से भांग के इस्तेमाल की वकालत करते आ रहे हैं।
  • हिमाचल में औद्योगिक और कृषि का विस्तार भौगोलिक बाधाओं के कारण सीमित है, और कोविड-19 महामारी ने पर्यटन क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है।
  • राज्य सरकार कर्ज के बोझ तले दबी हुई है और धन के लिए केंद्र सरकार पर बहुत अधिक निर्भर है।
  • औषधीय और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भारत में भांग की खेती को वैध बनाने से महत्वपूर्ण राजस्व उत्पन्न हो सकता है और रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं।

भांग के उपयोग:

  • भांग से प्राप्त फाइबर का उपयोग विभिन्न प्रकार के औद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है, जिसमें कपड़ा, कागज और निर्माण सामग्री का उत्पादन शामिल है।
  • भांग के बीज का उपयोग मानव और पशु उपभोग के लिए प्रोटीन और तेल के स्रोत के रूप में किया जाता है।
  • हिमाचल के कुछ हिस्सों जैसे कुल्लू और मंडी में, भांग का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से जूते, रस्सी, चटाई, खाद्य पदार्थ आदि बनाने के लिए किया जाता था।

भारत में भांग की खेती:

  • भारत में भांग की खेती स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (NDPS) अधिनियम, 1985 के तहत अवैध है, जो भांग और अन्य दवाओं के उत्पादन, बिक्री और खपत को अपराध बनाता है।
  • हालांकि, निषेध के बावजूद, भांग व्यापक रूप से उगाई जाती है और भारत में औषधीय और मनोरंजक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती है।
  • हालांकि, NDPS अधिनियम, 1985 राज्य सरकारों को औद्योगिक या बागवानी उद्देश्यों के लिए इसके फाइबर और बीज प्राप्त करने के लिए भांग की नियंत्रित और विनियमित खेती की अनुमति देता है।
  • 2018 में, उत्तराखंड ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया, जिसने भांग के पौधे के केवल उन उपभेदों की खेती की अनुमति दी, जिनमें टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (THC) की कम सांद्रता होती है। यह भांग का प्राथमिक मनो-सक्रिय घटक है जो उच्च उत्तेजना पैदा करता है।
  • उत्तर प्रदेश भी इसी तरह की नीति का पालन करता है, जबकि मध्य प्रदेश और मणिपुर भी कथित तौर पर इस पर विचार कर रहे हैं।

चित्र स्रोत: India Today

सारांश:

  • हिमाचल प्रदेश सरकार गैर-मनोरंजक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती को वैध बनाने पर विचार कर रही है। सरकार ने दवाओं में इसके संभावित उपयोग और आर्थिक लाभों का अध्ययन करने के लिए विधायकों की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। राज्य अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कपड़ा और दवा के लिए भांग का उपयोग करने पर विचार कर रही है, जो भौगोलिक और पर्यटन की बाधाओं के कारण सीमित है।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

IFA वार्ताओं पर भारत के लिए कुछ सलाह

विषय: भारत से जुड़े और/या भारत के हित को प्रभावित करने वाले वैश्विक समूह और समझौते

प्रारंभिक परीक्षा: विश्व व्यापार संगठन

मुख्य परीक्षा: विश्व व्यापार संगठन का निवेश सुविधा समझौता।

संदर्भ:

  • विश्व व्यापार संगठन निवेश सुविधा समझौते (IFA) के लिए नियम बना रहा है।

विवरण:

  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) निवेश सुविधा समझौते (IFA) के लिए नियम बनाने के क्षेत्र में कई सारी गतिविधियाँ कर रहा है।
  • प्रस्तावित IFA में निवेश प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रावधान बनाने की कोशिश की गई है।
  • ये नियम 100 से अधिक देशों द्वारा समर्थित हैं। हालांकि, इस समूह में भारत शामिल नहीं है।
  • कानूनी प्रावधानों के तहत राज्यों को विनियामक पारदर्शिता और निवेश उपायों की पूर्वानुमेयता बढ़ाने की आवश्यकता होगी।

निवेशक-राज्य विवाद निपटान (ISDS):

  • प्रस्तावित निवेश सुविधा समझौता (IFA) द्विपक्षीय निवेश संधियों (BITs) जैसे निवेश संरक्षण समझौतों से अलग होगा, जो विदेशी निवेशकों को कथित संधि उल्लंघनों के लिए मेजबान राज्य के खिलाफ दावे करने की सुविधा प्रदान करती हैं। इसे निवेशक-राज्य विवाद निपटान (ISDS) कहा जाता है।
  • भारत इस प्रावधान के बारे में चिंतित है क्योंकि विदेशी निवेशक मौजूदा BIT के तहत दावों को लाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि विदेशी निवेशक IFA से व्यवस्थाओं/नियमों को द्योतित करने या उधार लेने के लिए BIT में निहित सबसे पसंदीदा राष्ट्र (MFN) प्रावधान का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि इसे BIT में दी गई शर्तों की तुलना में अधिक लाभकारी माना जाता है।
  • इसी तरह, वे IFA के गैर-अनुपालन को चुनौती देने के लिए BIT में मौजूद उचित और न्यायसंगत उपचार (FET) के प्रावधान का उपयोग कर सकते हैं।
    • पहले की निवेश संधियाँ FET के अर्थ को स्पष्ट नहीं करतीं, जिससे ISDS ट्रिब्यूनल को इसकी मानक विषय-वस्तु प्रदान करने की अनुमति मिलती है।
    • कई उदाहरणों में, ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया है कि FET प्रावधान में निवेशकों की वैध अपेक्षाएँ शामिल हैं।
  • ऐसा कहा जाता है कि ISDS में IFA का एक और प्रवेश बिंदु ‘अम्ब्रेला खंड’ के माध्यम से हो सकता है।
    • यह ‘अंब्रेला खंड’ एक BIT खंड है जो विदेशी निवेशक को इस अर्थ में सशक्त करता है कि वे अनुबंध और अन्य प्रतिबद्धताओं को संधि के सुरक्षात्मक छत्र के तहत लाएं।
  • हालाँकि, यह प्रतिवाद किया जाता है कि ये केवल धारणाएँ हैं क्योंकि ISDS के विभिन्न कारणों से निवेशकों से सहमत होने की संभावना नहीं होती है:
    • कई BIT में MFN के उपयोग से आर्थिक एकीकरण समझौते को छूट है। इस प्रकार, विदेशी निवेशकों द्वारा IFA प्रावधानों को BIT में सफलतापूर्वक लाने की संभावना बहुत कम है।
    • इसके अलावा, यह संदेहास्पद है कि ISDS ट्रिब्यूनल यह स्वीकार करेगा कि IFA के साथ केवल गैर-अनुपालन एक निवेशक की वैध अपेक्षाओं का उल्लंघन करता है।
    • नई निवेश संधियों में से अधिकांश में ‘अम्ब्रेला खंड’ को शामिल नहीं किया गया है और ये IFA के गैर-अनुपालन के लिए राज्यों पर मुकदमा करने की निवेशकों की संभावना को सीमित करती हैं।
    • इसके अतिरिक्त, IFA को स्पष्ट रूप से यह कहकर BITs से सुरक्षित किया जा सकता है कि इसका उपयोग निवेशों की सुरक्षा के लिए किसी नए नियम की व्याख्या या उसे लागू करने के लिए नहीं किया जा सकता है।
    • IFA यह भी कह सकता है कि यह गैर-हस्ताक्षरकर्ता देशों और उनके निवेशकों के लिए अधिकार नहीं बनाता है। वास्तव में, IFA के मसौदे की भाषा का उद्देश्य IFA को BITs और ISDS से अलग करना है।

द्विपक्षीय निवेश संधि में सुधार:

  • ऐसा कहा जाता है कि IFA, ISDS को बाध्य नहीं कर सकता है।
  • इसके अलावा, ISDS ट्रिब्यूनल के लिए, IFA अंतरराष्ट्रीय कानून का एक साधन है जिसे प्रासंगिक BIT के संदर्भ में व्याख्या और लागू किया जाना चाहिए।
  • जो देश IFA के लिए जोर दे रहे हैं वे संयुक्त रूप से अपने BITs में सुधार करने के लिए सहमत हो सकते हैं।

निष्कर्ष:

  • ISDS ट्रिब्यूनल द्वारा प्रावधानों की व्याख्या करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन यह घरेलू और राष्ट्रीय अदालतों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कानून का विरोध करने का कारण नहीं होना चाहिए।
  • भारत को भी अपने रुख का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए और विश्व व्यापार संगठन में IFA वार्ता में शामिल होना चाहिए।

संबंधित लिंक:

Sansad TV Perspective: Episode on 23rd Nov, 2021: WTO Reforms

सारांश:

  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) निवेश सुविधा समझौते (IFA) के लिए नियम बना रहा है। हालाँकि, निवेशक-राज्य विवाद निपटान और द्विपक्षीय निवेश संधियों के संबंध में विभिन्न चिंताएँ जुड़ी हुई हैं। भारत ने अभी तक समझौते का समर्थन नहीं किया है और इसका पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

सभी के लिए विज्ञान

विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास

प्रारंभिक परीक्षा: LIGO

मुख्य परीक्षा:LIGO-इंडिया

संदर्भ:

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र में गुरुत्वाकर्षण-तरंगों की पहचान से संबंधित एक केन्द्र स्थापित करने की मंजूरी दे दी है।

विवरण:

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र में गुरुत्वाकर्षण-तरंगों की पहचान से संबंधित एक केन्द्र स्थापित करने की मंजूरी दे दी है।
  • यह ₹2,600 करोड़ की परियोजना है जिसमें लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (LIGO) नामक एक डिटेक्टर शामिल होगा। इसे यू.एस. में सेवारत जुड़वां LIGO उपकरणों की तर्ज पर बनाया जाएगा।
  • भारत में तीसरे डिटेक्टर के विकास से आकाश में गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने में सुधार होगा।

साथ ही, इसे भी पढ़िए: Gravitational Waves – Definition, India’s Contribution and LIGO

भारत के लिए अवसर:

  • गुरुत्वाकर्षण भौतिकी अनुसंधान के लिए भारत एक वैश्विक स्थल बन सकता है।
  • यह परिष्कृत नियंत्रण प्रणालियों और सटीक प्रौद्योगिकियों के प्रशिक्षण और संचालन में सहायता करेगा।
  • लीगो-इंडिया विज्ञान के साथ भारतीय समाज के संबंधों को समझदारी से समझने की क्षमता प्रदर्शित करने के अवसर प्रदान करेगा।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत का चल्लकेरे साइंस सिटी और रुकी हुई भारत-आधारित न्यूट्रिनो ऑब्जर्वेटरी (INO) जैसी बड़ी परियोजनाओं के साथ एक विवादित संबंध रहा है। कैबिनेट की मंजूरी से वह अवसर मिलेगा जो ‘बिग साइंस’ प्रदान करता है।
  • यह लीगो-इंडिया के लिए एक ऐसी सुविधा का निर्माण करने का अवसर है जो समुदायों के भरण-पोषण और ज्ञान में योगदान करती है।

संबद्ध चिंताएं:

  • इस तरह की बड़ी विज्ञान परियोजनाओं के लिए बड़े भू-क्षेत्रों की आवश्यकता होती है, जिससे भूमि अधिकारों के मुद्दे उठते हैं।
  • अन्य मुद्दों में प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग, कार्बन पृथक्करण लक्ष्य, और मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ शामिल हैं।
  • एक अन्य विवाद यह है कि भूमि को भौतिक रूप से दुर्गम बना दिया गया है।
  • यह तर्क दिया जाता है कि “विज्ञान उपनिवेशवाद का एजेंट बन गया था”।
  • अक्सर इसकी आलोचना की जाती है कि आर्थिक रूप से विकासशील दुनिया में प्रायोगिक बड़े विज्ञान उपक्रम बहुसंख्यक आबादी की चिंताओं से दूर हैं। ऐसी परियोजनाओं के सार्वजनिक मूल्य को सही ठहराने की जिम्मेदारी है।

भावी कदम:

  • सरकार को संसाधनों का आवंटन करना चाहिए और बिना किसी देरी के धनराशि जारी करनी चाहिए।
  • इसे अंतर्राष्ट्रीय लीगो वैज्ञानिक सहयोग के समान सार्वजनिक संवाद का आयोजन भी करना चाहिए।

संबंधित लिंक:

Giant Metrewave Radiowave Telescope [GMRT]: Overview and Latest Developments

सारांश:

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र में लीगो-इंडिया की स्थापना को मंजूरी दे दी है। यह बड़ी विज्ञान परियोजनाओं के क्षेत्र में भारत के लिए बड़े अवसर प्रदान करेगा। हालाँकि, कुछ चिंताएँ हैं जिनका समुचित सार्वजनिक संवाद के माध्यम से समाधान किया जाना चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

प्रारंभिक परीक्षा: जीनोम; जैव प्रौद्योगिकी

संदर्भ:

  • जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट में प्रगति।

विषय:

  • जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट (GIP) वर्ष 2020 में जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्वीकृत एक जीन मैपिंग परियोजना है।
  • इसका उद्देश्य भारत भर के नागरिकों से 10,000 अनुवांशिक नमूने एकत्र करना है, ताकि विविध भारतीय आबादी वाले रोगों और लक्षणों के प्रकार और प्रकृति को पूरी तरह से समझने के लिए एक संदर्भ जीनोम (reference genome) का निर्माण किया जा सके।
  • इसमें देश के 20 प्रमुख संस्थान शामिल हैं जिसमें भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बैंगलोर का मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र नोडल बिंदु के रूप में शामिल है।
  • अप्रैल 2023 तक, इसके तहत लगभग 7,000 जीनोम का अनुक्रम किया जा चुका है और इनमें से 3,000 पहले से ही शोधकर्ताओं द्वारा सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध हैं।

महत्व:

  • जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट (GIP) ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट (HGP 1990-2003) से प्रेरित है जो एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसके तहत सम्पूर्ण मानव जीनोम को डिकोड किया गया।
  • विविधता HGP की एक प्रमुख समस्या है क्योंकि HGP के तहत मैप किए गए अधिकांश जीनोम (95% से अधिक) शहरी मध्यवर्गीय गोरे लोगों से लिए गए हैं। इस प्रकार, HGP को वास्तव में मानव जीनोम के प्रतिनिधि के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
  • GIP का उद्देश्य भारतीय आबादी के पैमाने और यहां की विविधता दोनों के कारण मानव प्रजातियों पर उपलब्ध जानकारी को व्यापक रूप से जोड़ना और कार्य को आगे बढ़ाना है। इस विविधता को निम्न द्वारा दर्शाया जा सकता है:
    • क्षैतिज विविधता: भारतीय उपमहाद्वीप विशाल प्रवासन का स्थल रहा है, जहाँ पहला प्रवास अफ्रीका से हुआ था। साथ ही, दुनिया भर से विभिन्न आबादी द्वारा समय-समय पर प्रवासन किया गया है, जिससे यह लगभग सभी नस्लों और प्रकारों के आनुवंशिक रूप से परस्पर क्रिया करने का एक बहुत ही विशेष मामला बन गया है।
    • कार्यक्षेत्र विविधता: अलग-अलग समूहों के बीच एंडोगैमी या अंतर-विवाह का प्रचलन रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ बीमारियों को कुछ समूहों के भीतर और कुछ अन्य लक्षणों को केवल कुछ समूहों द्वारा विरासत में मिला है।
  • दोनों विविधताओं का अध्ययन और समझ पृथ्वी पर व्यक्तियों के एक बहुत बड़े समूह के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा का आधार प्रदान करेगा।
  • भारतीय जीनोम का एक डेटाबेस बनाने से शोधकर्ताओं को भारत के जनसंख्या समूहों के लिए अनूठी आनुवंशिक रूपों के बारे में जानने में मदद मिल सकती है और दवाओं तथा उपचारों को अनुकूलित करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।

इंडीजेन पर और पढ़ें: IndiGen

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. जेल बंदियों को आर्थिक सहायता:
  • केंद्र सरकार ने उन कैदियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक विशेष योजना शुरू करने का निर्णय लिया है जो जुर्माना या जमानत राशि वहन करने में असमर्थ हैं।
  • ‘गरीब कैदियों के लिए सहायता’ नाम की योजना, गरीब कैदियों को, जिनमें से अधिकांश सामाजिक रूप से वंचित या निम्न शिक्षा और आय स्तर वाले हाशिए के समूहों से संबंधित हैं, जेल से बाहर निकलने में सक्षम बनाएगी।
  • योजना के अनुसार, केंद्र सरकार उन गरीब कैदियों को राहत देने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी जो जुर्माना नहीं भरने के कारण जमानत लेने या जेलों से रिहा होने में असमर्थ हैं।
  • गरीब कैदियों तक लाभ सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों के साथ वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • इसमें ई-जेल प्लेटफॉर्म का सुदृढ़ीकरण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को मजबूत करना और जरूरतमंद गरीब कैदियों को गुणवत्तापूर्ण कानूनी सहायता उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों का सुग्राहीकरण और क्षमता निर्माण शामिल है।
  • प्रिज़न स्टैटिस्टिक्स ऑफ़ इंडिया रिपोर्ट, 2021 के अनुसार, 5.54 लाख से अधिक लोग जेल में बंद थे और भारत में जेलों की कुल क्षमता लगभग 4.25 लाख थी, अर्थात अधिभोग दर 130% थी।
  1. फार्मास्युटिकल निर्यात के लिए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम:
  • फार्मास्युटिकल निर्माताओं को फार्मास्युटिकल कंसाइनमेंट के निर्यात के लिए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम को लागू करने हेतु 01 अगस्त, 2023 तक का समय दिया गया है।
  • पैकेजिंग स्तरों में अभिभावक-बच्चे के संबंध को बनाए रखने के संबंध में ड्रग फॉर्मूलेशन के निर्यात के लिए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम के कार्यान्वयन की तिथि और केंद्रीय पोर्टल पर इसे अपलोड करने की तिथि को SSI (लघु उद्योग) और गैर-लघु उद्योग निर्मित दवाओं दोनों के लिए 01 अगस्त, 2023 तक बढ़ा दिया गया है।

ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम:

  • इस सिस्टम को पहली बार 2015 में नकली और उत्पाद वापस मंगाने की चुनौतियों से निपटने के उपाय के रूप में शुरू किया गया था।
  • फ़ार्मास्यूटिकल्स के लिए ट्रैक और ट्रेस सिस्टम से आप अपनी आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी वस्तु के वर्तमान और पूर्व की अवस्थिति को इंगित कर सकते हैं।
  • सही तरीके से डिज़ाइन और कार्यान्वित करने पर, फार्मास्यूटिकल्स के लिए ट्रैक और ट्रेस सिस्टम दवा, टीका, चिकित्सा उपकरण को ट्रैक कर सकता है क्योंकि यह आपूर्ति श्रृंखला में घटकों को अग्र और पश्च दोनों प्रकार से ट्रैक करता है।
  • इसके कई लाभों में परिचालन दक्षता और गति को इष्टतम करना; चोरी और डायवर्जन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना; यह सुनिश्चित करना कि उत्पाद सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से स्थिर रहें; और नकली, मिलावटी, या एक्सपायर्ड दवाओं को आपूर्ति श्रृंखला में प्रवेश करने से रोकना शामिल हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन से चिकित्सा उपकरण के रूप में सॉफ्टवेयर (SaMD) के उदाहरण हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. MRI, अल्ट्रासाउंड, या X-Ray परीक्षणों से छवियों को देखने के लिए अनुप्रयोग
  2. सीटी स्कैन
  3. कैंसर का पता लगाने हेतु इमेज पोस्ट-प्रोसेसिंग के लिए कंप्यूटर-एडेड डिटेक्शन सॉफ्टवेयर
  4. इंसुलिन पंप

विकल्प:

  1. केवल 1 और 3
  2. केवल 2, 3 और 4
  3. केवल 1, 2 और 4
  4. 1, 2, 3 और 4

उत्तर: a

व्याख्या:

  • चिकित्सा उपकरण के रूप में सॉफ्टवेयर (SaMD) उस सॉफ्टवेयर को संदर्भित करता है जो चिकित्सा उद्देश्यों के लिए अभिप्रेत है और स्वयं या अन्य चिकित्सा उपकरणों के संयोजन में संचालित होता है। यहाँ SAMD के कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
  • डायग्नोस्टिक सॉफ्टवेयर: SaMD चिकित्सकों को एक्स-रे, MRI और सीटी स्कैन जैसी चिकित्सा छवियों का विश्लेषण करके चिकित्सा परिस्थितियों का निदान करने में मदद कर सकता है।
  • SaMD स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को नैदानिक निर्णय लेने में सहयोग प्रदान करके अधिक सूचित निर्णय लेने में मदद कर सकता है, जिसमें चिकित्सा दिशानिर्देश, डिसीजन एल्गोरिदम या भावी सूचक विश्लेषण शामिल हो सकते हैं।
  • SaMD हृदय गति, रक्तचाप और रक्त शर्करा के स्तर जैसे विभिन्न स्वास्थ्य मेट्रिक्स को ट्रैक करके व्यक्तियों को उनके स्वास्थ्य और कल्याण की निगरानी में मदद कर सकता है।
  • SaMD स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और रोगियों के बीच दूरस्थ परामर्श की सुविधा प्रदान कर सकता है, जिससे अधिक सुलभ और सुविधाजनक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में मदद मिलती है।
  • SaMD चिकित्सकों को रोगी दिशानिर्देशों का प्रबंधन करने में मदद कर सकता है, जिसमें ड्रग इंटरेक्शन, खुराक की सिफारिशें और संभावित दुष्प्रभाव शामिल हैं।
  • SaMD पेसमेकर या इंसुलिन पंप जैसे चिकित्सा उपकरणों को नियंत्रित कर सकता है, जो लोगों को कुछ चिकित्सीय परिस्थितियों का प्रबंधन करने में मदद करते हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)

गांव गांव की अनूठी विरासत

  1. रैणी चिपको आंदोलन
  2. मोढेरा भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित (solar-powered) गाँव
  3. सुकेती एशिया का सबसे पुराना जीवाश्म पार्क
  4. विदुराश्वथ महाभारत से संबंधित

उपर्युक्त युग्मों में से कितना/कितने सुमेलित है/हैं?

  1. केवल एक युग्म
  2. केवल दो युग्म
  3. केवल तीन युग्म
  4. सभी चारों युग्म

उत्तर: d

व्याख्या:

  • युग्म 01 सुमेलित है: उत्तराखंड में रैणी गांव वह जगह है जहां पेड़ों की रक्षा और संरक्षण के लिए 1973 में चिपको आंदोलन शुरू हुआ था। चीन सीमा से सटे इस इलाके का सामरिक महत्व भी है। लेकिन यह अब प्राकृतिक आपदाओं से संकट में है।
  • युग्म 02 सुमेलित है, गुजरात में मोढेरा भारत का पहला गांव है जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित है।
    • मोढेरा अपने सूर्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो एक संरक्षित प्राचीन स्थल है, जो पुष्पावती नदी पर स्थित है। इसे चालुक्य वंश के राजा भीम-प्रथम ने 1026-27 में बनवाया था।
  • युग्म 03 सुमेलित है, हिमाचल प्रदेश के सुकेती गांव में एशिया का सबसे पुराना जीवाश्म उद्यान है जिसे शिवालिक जीवाश्म उद्यान कहा जाता है। इसमें सुकेती में बलुआ पत्थर और मिट्टी के ऊपरी और मध्य शिवालिक भूवैज्ञानिक संरचनाओं से बरामद प्रागैतिहासिक कशेरुक जीवाश्मों और कंकालों का संग्रह है।
  • युग्म 04 सुमेलित है, विदुराश्वथ कर्नाटक का एक गाँव है। इसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे दक्षिणी भारत का जलियांवालाबाग कहा जाता है। यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झंडा फहराते हुए करीब 35 स्वतंत्रता सेनानी शहीद हो गए थे।
    • विदुराश्वथ नाम इस गाँव में स्थित एक बड़े अश्वथ (पवित्र अंजीर) के पेड़ से लिया गया है। महाभारत के समय की एक कथा के अनुसार, यह वृक्ष धृतराष्ट्र के राज्य के एक दरबारी विदुर द्वारा लगाया गया था; और इसलिए नाम विदुराश्वथ है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘मिशन अरिकोम्बन’ (Arikomban) का सर्वोत्तम वर्णन है? (स्तर-मध्यम)

  1. ओडिशा में ओलिव रिडले समुद्री कछुओं के प्रजनन हेतु सुरक्षित मध्य-समुद्र प्रवास ( mid-sea sojourn) सुनिश्चित करने के लिए एक मिशन
  2. कर्नाटक में बाघों को बचाने की दिशा में एक ठोस प्रयास
  3. केरल में जंगली हाथी को पकड़ने के लिए एक ऑपरेशन
  4. राजस्थान में गंभीर रूप से संकटग्रस्त (critically endangered) ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की शेष आबादी का संरक्षण

उत्तर: c

व्याख्या:

  • ‘मिशन अरिकोम्बन’ केरल वन विभाग द्वारा इडुक्की जिले में मानव आवासों के लिए खतरा पैदा करने वाले ‘अरिकोम्बन’ नामक जंगली हाथी को पकड़ने के लिए शुरू किया गया एक मिशन है।
  • पिछले कुछ वर्षों में, अरिकोम्बन ने कम से कम 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और लगभग 60 घरों तथा दुकानों को नष्ट कर दिया।
  • वन विभाग ने अरिकोम्बन को पकड़ने और उसे ‘कुम्की’ के रूप में प्रशिक्षित करने की योजना प्रस्तुत की है। कुम्की एक बंदी हाथी (captive elephant) होता है जिसका इस्तेमाल पागल हाथियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 4. बायोगैस के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. बायो-गैस एक जैव-रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से उत्पन्न होती है जिसमें कुछ प्रकार के बैक्टीरिया जैविक कचरे को उपयोगी बायो-गैस में परिवर्तित करते हैं।
  2. बायो-गैस उत्पादन की प्रक्रिया प्रकृति में अवायवीय (anaerobic) है।
  3. मवेशियों के गोबर को बायो-गैस संयंत्रों के लिए मुख्य कच्चे माल के रूप में मान्यता दी गई है, अन्य सामग्री जैसे मल (night-soil), पोल्ट्री कूड़े और कृषि अपशिष्ट का भी उपयोग किया जा सकता है।

विकल्प:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 01 सही है, बायोगैस एक जैव रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से उत्पन्न होती है जिसमें कुछ प्रकार के बैक्टीरिया जैविक अपशिष्ट को उपयोगी बायो-गैस में परिवर्तित करते हैं। चूंकि उपयोगी गैस एक जैविक प्रक्रिया से उत्पन्न होती है, इसलिए इसे बायो-गैस कहा जाता है। मीथेन गैस बायोगैस का मुख्य घटक है।
  • कथन 02 सही है, बायोगैस अवायवीय पाचन के दौरान उत्पन्न होता है जब सूक्ष्मजीव हवा (या ऑक्सीजन) की अनुपस्थिति में कार्बनिक पदार्थों (खाए गए) को विखंडित करते हैं।
  • कथन 03 सही है, बायोमास जैविक पदार्थ है जो जीवित या हाल ही में जीवित रहे जीवों से प्राप्त होता है, जैसे कि फसल अवशेष, पशु अपशिष्ट, वन मलबा, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट आदि।

प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन सा जलडमरूमध्य अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के निकट है? (स्तर-कठिन)

  1. मलक्का जलडमरूमध्य
  2. बेरिंग जलडमरूमध्य
  3. फ्लोरिडा जलडमरूमध्य
  4. जिब्राल्टर जलडमरूमध्य

उत्तर: b

व्याख्या:

  • बेरिंग जलडमरूमध्य अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के सबसे निकट है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा पूर्व में अमेरिकी महाद्वीपों और पश्चिम में एशिया, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के बीच समान दूरी पर है।
  • 1884 में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा, मध्य-प्रशांत महासागर से होकर गुजरती है और पृथ्वी पर लगभग 180 डिग्री देशांतर उत्तर-दक्षिण रेखा का अनुसरण करती है।

चित्र स्रोत: NOAA

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट भारत को जैव प्रौद्योगिकी, कृषि और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति करने का अवसर प्रदान करता है। चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (GSIII-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)

प्रश्न 2. विश्व व्यापार संगठन के निवेश सुविधा समझौते में शामिल होने की भारत की अनिच्छा उचित है। क्या आप सहमत हैं? समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (GSIII-अर्थव्यवस्था)