A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

  1. ‘सप्ताह में 70 घंटे’ की कार्यपद्धति के साथ समस्या:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. कांगो में बड़े पैमाने पर विस्थापन:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

भारतीय अर्थव्यवस्था:

  1. एक निर्णय जो अंतर्राष्ट्रीय कानून दायित्वों को बाधित करता है:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. कतर में संकटग्रस्त स्थिति:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. बिजली संचरण के बुनियादी सिद्धांतों को समझना:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. WHO ग्लोबल टीबी रिपोर्ट:
  2. मिग 21 लड़ाकू विमानों को चरणबद्ध तरीके से किस प्रकार हटाया जा रहा है?

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

‘सप्ताह में 70 घंटे’ की कार्यपद्धति के साथ समस्या:

सामाजिक न्याय:

विषय: कमजोर वर्गों के लिए कल्याण योजनाएं, सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे, एवं गरीबी और भूख से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: प्रस्तावित 70 घंटे के कार्य सप्ताह के निहितार्थ और अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों, व्यापार समझौतों और आपूर्ति श्रृंखला नियमों से इसका संबंध।

प्रसंग:

  • इंफोसिस के सह-संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति ने सुझाव दिया कि भारतीय युवाओं को देश की प्रतिस्पर्धात्मकता क्षमता बढ़ाने के लिए सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए, इस प्रस्ताव को भारतीय व्यापार समुदाय के कुछ लोगों का समर्थन प्राप्त हुआ हैं।

विवरण:

  • इंफोसिस के सह-संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति ने सुझाव दिया है कि भारतीय युवाओं को देश की प्रतिस्पर्धात्मकता क्षमता बढ़ाने के लिए सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए।
  • हालाँकि इस सुझाव को भारतीय व्यापार समुदाय में कुछ लोगों का समर्थन प्राप्त हुआ है, लेकिन इस लेख में तर्क दिया गया है कि यह सुझाव कई मायनों में त्रुटिपूर्ण है।

नारायण मूर्ति द्वारा दिए गए त्रुटिपूर्ण तर्क (लेखक के अनुसार):

1. उन्नत देशों में काम के घंटों की गलत व्याख्या:

    • वास्तव में, उन्नत देशों (Advanced Countries) में पिछले 150 वर्षों में प्रति कर्मचारी काम के घंटों में लगातार गिरावट देखी गई है।
    • जैसे-जैसे देश अधिक उत्पादक होते जाते हैं, वहां काम के घंटे कम होते जाते हैं, जिससे लोगों को अधिक ख़ाली समय मिलता है।

2. उत्पादकता बढ़ाने के लिए श्रमिकों/कर्मचारियों पर बोझ डालना:

    • नारायण मूर्ति का तर्क उत्पादकता बढ़ाने का बोझ श्रमिकों के कंधों पर डालता है, जबकि असली मुद्दा नवप्रवर्तन में कम निवेश का है।
    • उत्पादकता किसी देश की नवाचार प्रणाली की ताकत पर निर्भर करती है, और वहीँ दूसरी ओर भारत अनुसंधान और विकास खर्च में पीछे है।
    • मजबूत नवाचार प्रणालियों वाले देशों की तुलना में भारत में अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र का योगदान काफी कम है।

3. अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों (ILS) का उल्लंघन:

    • नारायण मूर्ति का 70 घंटे के कार्यसप्ताह का प्रस्ताव अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों (ILS) का उल्लंघन करता है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization’s (ILO)) का शालीन कार्य एजेंडा भी शामिल है।
    • आईएलएस का पालन न करने से वैश्विक स्तर पर विस्तार करने की भारतीय उद्योग की आकांक्षाओं पर असर पड़ सकता है क्योंकि उन्नत देश द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों (free trade agreements (FTAs)) में आईएलएस को शामिल करने पर जोर दे रहे हैं।
    • यूरोपीय संघ (European Union) और यूनाइटेड किंगडम के साथ एफटीए में “शालीन कामकाजी परिस्थितियों” को बढ़ावा देने और आईएलओ के मौलिक सम्मेलनों का सम्मान करने की धाराएं शामिल हैं।

आईएलएस का महत्व:

  • उन्नत देशों में बाज़ार तक पहुंच और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भाग लेने के लिए आईएलएस महत्वपूर्ण होता जा रहा है।
  • एफटीए और अंतर्राष्ट्रीय समझौते आपूर्ति श्रृंखलाओं में श्रम अधिकारों, कामकाजी परिस्थितियों और सामाजिक सुरक्षा पर जोर दे रहे हैं।
  • विकसित देश “सप्लाई चेन ड्यू डिलिजेंस/आपूर्ति शृंखला का उचित परिश्रम” (Supply Chain Due Diligence) जैसे नियम बना रहे हैं जो कंपनियों को उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं में मानवाधिकारों के उल्लंघन, श्रम शोषण और पर्यावरणीय क्षरण को संबोधित करने के लिए बाध्य करते हैं।

सारांश:

  • यह राय इस लेख में नारायण मूर्ति के 70 घंटे के कार्य सप्ताह के आह्वान को चुनौती देता है, जो उनके तर्कों में खामियों को उजागर करता है। यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों के महत्व, उन्नत देशों में काम के घंटों में कमी और वैश्विक बाजार तक पहुंच के लिए श्रम अधिकारों को प्राथमिकता देने के लिए इंडिया इंक की आवश्यकता पर जोर देता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

कांगो में बड़े पैमाने पर विस्थापन:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत के हितों, भारतीय प्रवासियों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव। महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ, एजेंसियाँ, उनकी संरचना और अधिदेश।

मुख्य परीक्षा: संघर्ष और विस्थापन, क्षेत्रीय तनाव, मानवीय संकट और इस पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया।

प्रसंग:

  • कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (Democratic Republic of Congo (DRC)) को विशेष रूप से अपने पूर्वी प्रांतों में चल रहे संघर्ष और आंतरिक विस्थापन का सामना करना पड़ा है। यह लेख इस जटिल संकट के कारणों, प्रमुख कारकों और परिणामों की पड़ताल करता है।

विवरण:

  • डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) लंबे समय से संघर्ष का सामना कर रहा है, जिससे आंतरिक विस्थापन हो रहा है।
  • इस संघर्ष की जड़ें 1990 के दशक में निहित हैं जहाँ से इसकी शरुआत हुईं, इसके साथ ही विभिन्न विद्रोही समूहों, जातीय तनाव और क्षेत्रीय भागीदारी के कारण अभी भी स्थिति जटिल बनी हुई है।
  • हाल के वर्षों में, M23 विद्रोही समूह के फिर से उभरने और असफल युद्धविराम ने स्थिति को और अधिक खराब कर दिया है।
  • यह लेख संघर्ष, प्रमुख कारकों, विस्थापन के कारणों और मानवीय संकट का एक अवलोकन प्रदान करता है।

डीआरसी में संघर्ष:

  • डीआरसी में संघर्ष 1990 के दशक से चला आ रहा है, जो 1994 में रवांडा नरसंहार (Rwandan genocide) के बाद उत्पन्न हुआ था।
  • रवांडा की सीमा से लगा पूर्वी डीआरसी, कई विद्रोही आतंकवादी समूहों द्वारा विद्रोह का केंद्र रहा है।
  • पूर्वी प्रांतों में 120 से अधिक विद्रोही समूह सक्रिय हैं, जिससे हिंसा, न्यायेतर हत्याएं और पड़ोसी देशों के साथ तनाव बढ़ रहा है।
  • वर्ष 2021 में M23 विद्रोही समूह के पुनरुत्थान ने इस क्षेत्र में हिंसा बढ़ा दी है।

प्रमुख अभिनेता:

  • M23 के अलावा प्रमुख विद्रोही समूहों में एलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेज (ADF) और कोऑपरेटिव फॉर डेवलपमेंट ऑफ द कांगो (CODECO) शामिल हैं।
  • रवांडा और डीआरसी द्वारा एक दूसरे पर विभिन्न जातीय मिलिशिया का समर्थन करने, तनाव पैदा करने का परस्पर आरोप लगाया जाता है।
  • पूर्वी अफ्रीकी समुदाय (East African Community (EAC)) ने नवंबर 2022 में पूर्वी डीआरसी में सैनिकों को तैनात किया, लेकिन उनकी वापसी की मांग को लेकर विरोध का सामना करना पड़ा।

विस्थापन के कारण:

  • जातीय असहिष्णुता और विद्रोह: रवांडा से हुतु शरणार्थियों की आमद के कारण जातीय मिलिशिया का गठन हुआ, जिससे जातीय तनाव बढ़ गया।
  • राजनीतिक अनिश्चितता: आगामी चुनावों में देश के कुछ हिस्सों में असुरक्षा और समावेशी शासन की कमी के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • क्षेत्रीय तनाव: सशस्त्र समूहों को पड़ोसी देशों से समर्थन प्राप्त हुआ है, जो क्षेत्र में अपने हितों के लिए प्रॉक्सी के रूप में कार्य कर रहे हैं।
  • मानवीय संकट: इस संघर्ष के कारण व्यापक हिंसा हुई, जिससे मानवीय संकट पैदा हो गया और दस लाख से अधिक लोगों को भोजन एवं सहायता की आवश्यकता है।
  • कमज़ोर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: धन की कमी और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में कमी ने भूख और मानवीय संकटों का सामना कर रही कांगो की आबादी को सहायता में बाधा उत्पन्न की है।

सारांश:

  • डीआरसी के लगातार संघर्ष के कारण 6.9 मिलियन से अधिक आंतरिक रूप से विस्थापित हुए है, इस विस्थापन की जड़ें जातीय तनाव, कई विद्रोही समूहों और क्षेत्रीय भागीदारी में निहित हैं। M23 नामक विद्रोही समूह के पुनरुत्थान से स्थिति और भी जटिल हो गई है जिससे मानवीय संकट गहरा गया है, ऐसे में लाखों लोगों को सहायता की आवश्यकता है। साथ ही क्षेत्र में स्थायी स्थिरता के लिए संघर्ष की जटिलताओं को समझना और अंतर्निहित मुद्दों का समाधान करना आवश्यक है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

एक निर्णय जो अंतर्राष्ट्रीय कानून दायित्वों को बाधित करता है:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भारतीय अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाने, संवृद्धि, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: दोहरा कराधान बचाव समझौता, सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (Most-Favored Nation), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, आयकर अधिनियम की धारा 90

मुख्य परीक्षा: भारत में विदेशी निवेश के लिए कर अनिश्चितता एक बड़ी चुनौती है।

प्रसंग:

  • भारत में विदेशी निवेशकों के लिए बड़ी चुनौती कराधान उपायों में अनिश्चितता है।
  • मूल्यांकन अधिकारी सर्कल (अंतर्राष्ट्रीय कराधान) नई दिल्ली बनाम मेसर्स नेस्ले एसए मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India ) का हालिया फैसला इस मुद्दे पर प्रकाश डाला गया हैं।

मामला क्या है?

  • मामले में नेस्ले (स्विस बहुराष्ट्रीय कंपनी) और स्टेरिया (यूरोपीय कंपनी) जैसे निगम शामिल हैं।
  • भारत का नीदरलैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, स्लोवेनिया, कोलंबिया और लिथुआनिया सहित कई देशों के साथ दोहरा कराधान बचाव समझौता (double taxation avoidance agreements (DTAAs)) है।
  • नीदरलैंड, फ्रांस और स्विट्जरलैंड के साथ डीटीएए को उन देशों के निवासियों को भारतीय संस्थाओं द्वारा भुगतान किए गए लाभांश पर 10% विदहोल्डिंग टैक्स की आवश्यकता होती है।
  • इन डीटीएए में सबसे पसंदीदा राष्ट्र (MFN) प्रावधान भी शामिल है, जिसका अर्थ है कि यदि भारत किसी अन्य देश को तरजीही कर उपचार देता है जो आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ((OECD) का सदस्य है तो उसे नीदरलैंड, फ्रांस और स्विट्जरलैंड के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए।
  • स्लोवेनिया, कोलंबिया और लिथुआनिया के साथ डीटीएए में 5% की कम विदहोल्डिंग टैक्स आवश्यकता है।
  • जब भारत ने इन देशों के साथ डीटीएए पर हस्ताक्षर किए, तो वे ओईसीडी के सदस्य नहीं थे, लेकिन बाद में इसमें शामिल हो गए।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुरू में फैसला सुनाया कि भारत के साथ डीटीएए के तहत स्लोवेनिया को दिया गया अधिमान्य कर उपचार एमएफएन प्रावधान के कारण भारत-नीदरलैंड डीटीएए पर भी लागू होना चाहिए।
  • हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि चूंकि भारत-नीदरलैंड डीटीएए पर हस्ताक्षर किए जाने के समय स्लोवेनिया ओईसीडी का सदस्य नहीं था, इसलिए स्लोवेनिया को दिए गए लाभ भारत-नीदरलैंड डीटीएए पर लागू नहीं होते हैं।
  • इस फैसले के परिणामस्वरूप विदेशी निवेशकों पर लगभग 11,000 करोड़ रुपये का कर बोझ पड़ेगा और इससे पिछले मामलों को फिर से खोला जा सकता है।
  • मामले में मुख्य सवाल यह था कि क्या दोहरे कराधान बचाव समझौते (DTTA) जैसी कर संधियों में सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र/मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) खंड को आयकर अधिनियम की धारा 90 के तहत अधिसूचना के बिना भारत में लागू किया जा सकता है।
  • यह धारा भारत को दोहरे कराधान से बचने के लिए अन्य देशों के साथ कर संधियों पर हस्ताक्षर करने की अनुमति देती है।

फैसले का आलोचनात्मक विश्लेषण:

  • सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय संधि के प्रावधानों पर रोक लगाता है और इस बात को ध्यान में नहीं रखता है कि एमएफएन प्रावधान का एक कारण यह सुनिश्चित करना था कि भविष्य में किसी देश को दिए गए किसी भी लाभ को संधि पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य देशों के साथ स्वचालित रूप से साझा किया जाएगा।
  • सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सरकार को दोहरे कराधान बचाव समझौते (DTAA) में सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र/मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) प्रावधान को प्रभावी करने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 90(1) के तहत एक अधिसूचना जारी करनी चाहिए।
  • अदालत का निर्णय द्वैतवाद के विचार पर आधारित था, जिसमें कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय कानून स्वचालित रूप से किसी देश के कानूनों का हिस्सा नहीं है जब तक कि सरकार इसे बनाने के लिए कानून पारित नहीं करती है।
  • हालाँकि, अदालत ने कभी-कभी अद्वैतवाद नामक एक अलग दृष्टिकोण का उपयोग किया है, जो कहता है कि अंतर्राष्ट्रीय कानून किसी देश की कानूनी प्रणाली का हिस्सा हो सकता है, भले ही इसे विशेष रूप से शामिल नहीं किया गया हो, जब तक कि यह राष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ न जाए।
  • आलोचकों को चिंता है कि यह निर्णय पीयूसीएल बनाम भारत, विशाखा बनाम राजस्थान राज्य, और पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ (Puttaswamy vs Union of India) जैसे पहले के मामलों में हुई प्रगति से पीछे चला गया है, जहां अदालत ने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में अंतरराष्ट्रीय कानून के महत्व को मान्यता दी थी।
  • अदालत की व्याख्या कार्यपालिका को घरेलू स्तर पर प्रासंगिक अधिसूचनाएं जारी नहीं करके भारत के अंतर्राष्ट्रीय कानून दायित्वों को कमजोर करने की अनुमति देती है, जिससे भारत अंतर्राष्ट्रीय कानून के अन्य साधनों के तहत अंतर्राष्ट्रीय दावों के प्रति संवेदनशील हो जाता है।

भावी कदम:

  • सरकार को विदेशी निवेशकों के लिए कराधान उपायों के आसपास अनिश्चितता को स्पष्ट करना चाहिए, खासकर डीटीएए में एमएफएन प्रावधान के आवेदन के संबंध में।
  • भारत को विभिन्न देशों के साथ अपने डीटीएए की समीक्षा और संशोधन करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे इसमें शामिल सभी पक्षों के लिए निष्पक्ष और न्यायसंगत हों।
  • कराधान उपायों से उत्पन्न होने वाले विवादों को दूर करने और न्यायिक अनिश्चितता को रोकने के लिए विवाद समाधान तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • नेस्ले एसए मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय का फैसला भारत में विदेशी निवेशकों के लिए कराधान उपायों में अनिश्चितता को उजागर करता है। अदालत ने फैसला सुनाया कि डीटीएए में एमएफएन प्रावधान आयकर अधिनियम की धारा 90 के तहत अधिसूचना के बिना लागू नहीं किया जा सकता है। यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय कानून के स्वचालित अनुप्रयोग के विचार के खिलाफ जाता है और भारत के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दावों को जन्म दे सकता है। सरकार को विदेशी निवेशकों के लिए कराधान उपायों को लेकर अनिश्चितता को स्पष्ट करना चाहिए और निष्पक्षता और इक्विटी सुनिश्चित करने के लिए अपने डीटीएए की समीक्षा करनी चाहिए।

कतर में संकटग्रस्त स्थिति:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, भारतीय प्रवासी।

प्रारंभिक परीक्षा: भारत-कतर संबंध, कतर से प्राकृतिक गैस का आयात।

मुख्य परीक्षा: जासूसी के आरोपों का भारत-कतर संबंधों पर प्रभाव।

प्रसंग:

  • 26 अक्टूबर को, कतर की एक अदालत ने स्थानीय सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में आठ भारतीय नौसेना के दिग्गजों को मौत की सजा सुनाई हैं।
  • कतर की नौसेना को प्रशिक्षण और सहायता सेवाएं प्रदान करने वाली एक स्थानीय कंपनी के लिए काम करने वाले दिग्गजों पर जासूसी का आरोप लगाया गया था।
  • इस मामले ने भारत में सदमे की लहर पैदा कर दी है, विदेश मंत्रालय ने पूर्व सैनिकों को “पूर्ण समर्थन” प्रदान करने और उन्हें घर वापस लाने की दिशा में काम करने का वादा किया है।

कतर का महत्व:

  • कतर भारत का सबसे बड़ा एलएनजी आपूर्तिकर्ता देश है, जो भारत के कुल एलएनजी आयात का 54% है। वित्त वर्ष 2022-23 में कतर से भारत का कुल आयात 16.81 अरब डॉलर था, जिसमें से अकेले एलएनजी आयात 8.32 अरब डॉलर या 49.5 प्रतिशत था।
  • भारत के ऊर्जा परिवर्तन के लिए प्राकृतिक गैस महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे पारंपरिक पेट्रोलियम ईंधन का एक स्वच्छ विकल्प माना जाता है और यह कच्चे तेल की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ता है।
  • सरकार के स्वामित्व वाले पेट्रोनेट एलएनजी अनुबंध के विस्तार के लिए भी बातचीत चल रही है, जो वर्ष 2028 में समाप्त हो रहा है।

जासूसी का एंगल और संबंधों पर प्रभाव:

  • यह पहली बार है कि खाड़ी देशों में जाने वाले भारतीयों पर इतने गंभीर अपराधों का आरोप लगाया गया है और उन्हें कठोर दंड दिया गया है।

दावे और अटकलें:

  • रिपोर्टों से पता चलता है कि अधिकारियों ने एक इतालवी पनडुब्बी के बारे में जानकारी का खुलासा किया होगा जिसे कतर इज़राइल को खरीदने की योजना बना रहा था।
  • हालाँकि, ये दावे विवादित रहे हैं, और चल रहे पनडुब्बी अनुबंध या किसी भी इजरायली भागीदारी की कोई पुष्टि नहीं हुई है।
  • कुछ भारतीय टिप्पणीकारों का मानना है कि नौसेना अधिकारियों को पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा फंसाया गया था।
  • एक भारतीय लेखक ने यह भी सुझाव दिया है कि इस वाक्य का उद्देश्य इज़राइल-यूएई-सऊदी धुरी के साथ भारत की बढ़ती निकटता को पटरी से उतारना है, लेकिन इस दावे के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है।
  • एक अन्य सिद्धांत यह है कि कतर वैश्विक मामलों में अपनी मुखरता को सीमित करने के लिए भारत को चेतावनी संदेश भेज सकता है।
  • भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने अनुमान लगाया है कि हमास के प्रति भारत की शत्रुता ने कठोर सजा में योगदान दिया होगा।
  • कुछ टिप्पणीकार इस वाक्य को भारत और कतर के बीच मजबूत संबंधों के लिए एक चुनौती के रूप में देखते हैं, लेकिन यह दृष्टिकोण तथ्यों द्वारा समर्थित नहीं है।

राजनयिक संबंध और क्षेत्रीय गतिशीलता:

  • कतर के अमेरिका, ईरान और तुर्की सहित कई शक्तिशाली देशों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं और उसका सफल क्षेत्रीय कूटनीति का इतिहास रहा है।
  • राजदूत तलमीज़ अहमद का मानना है कि कतर के नेता कूटनीतिक चुनौतियों का सामना सोच-समझकर और सूचित तरीके से करते हैं।
  • सजा सुनाए जाने से पहले जासूसी मामले और भारतीय नौसेना के दिग्गजों की संलिप्तता की पूरी तरह से जांच की गई होगी।
  • सभी देश राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीरता से लेते हैं, और वे आम तौर पर जनता के सामने जांच और कानूनी प्रक्रियाओं का पूरा विवरण प्रकट नहीं करते हैं।
  • राजनयिक को यह भी लगता है कि यह एक अलग सुरक्षा मुद्दा है और अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों या क्षेत्र की वर्तमान घटनाओं से संबंधित नहीं है।

निष्कर्ष:

  • वर्तमान स्थिति को देखते हुए, मीडिया आउटलेट्स के लिए संयम बरतना और उचित शांतचित्त बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
  • नाम-पुकारने, काल्पनिक रिपोर्टिंग और घृणास्पद भाषण (hate speech) से परहेज करने से न केवल बढ़ते तनाव से बचने में मदद मिलती है, बल्कि दिग्गजों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राजनयिक प्रयासों के लिए अधिक अनुकूल माहौल भी बनता है।
  • भारत को कतर के साथ सकारात्मक संबंधों के महत्व पर सार्वजनिक रूप से जोर देते हुए दिग्गजों को मुक्त कराने के कूटनीतिक प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

सारांश:

  • कतर में मौत की सजा पाए आठ भारतीय नौसेना के दिग्गजों से जुड़े जासूसी मामले ने एक महत्वपूर्ण ऊर्जा आपूर्तिकर्ता कतर के साथ भारत के संबंधों को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। हालांकि मामले का विवरण अस्पष्ट है,भारत को कतर के साथ सकारात्मक संबंधों के महत्व पर सार्वजनिक रूप से जोर देते हुए दिग्गजों को मुक्त करने के राजनयिक प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. बिजली संचरण के बुनियादी सिद्धांतों को समझना:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

प्रारंभिक परीक्षा: बिजली कैसे संचारित होती है इसकी बुनियादी बातें।

विवरण:

  • 1954 में, भारत के प्रथम प्रधान मंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने देश के विकास में बिजली पारेषण और उत्पादन के महत्व पर जोर देते हुए बांधों को “आधुनिक भारत के मंदिर” कहा था।
  • विद्युत शक्ति का संचरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें वोल्टेज, प्रतिबाधा और आवृत्ति जैसे कई कारक शामिल होते हैं।
  • विद्युत पारेषण में तीन घटक होते हैं: उत्पादन, पारेषण और वितरण, प्रत्येक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विद्युत संचारण की मूल बातें:

  • कम धारा और उच्च वोल्टेज के परिणामस्वरूप विद्युत धारा ले जाने वाले किसी भी कंडक्टर में उच्च संचरण क्षमता होती है।
  • ट्रांसफॉर्मर का उपयोग वोल्टेज बढ़ाने और करंट को कम करने, ट्रांसमिशन के दौरान ऊर्जा हानि को कम करने के लिए किया जाता है।
  • ट्रांसमिशन केबल की मोटाई ऊर्जा हानि को प्रभावित करती है,मोटी केबल के साथ अधिक लागत पर नुकसान कम हो जाता है।
  • लंबी संचरण दूरी संचरण लागत को कम करती है, जिससे बिजली को अधिक दूरी पर ले जाया जा सकता है।

AC पावर ट्रांसमिशन:

  • विद्युत शक्ति आमतौर पर तीन-चरण प्रत्यावर्ती धारा (AC) के रूप में प्रसारित होती है।
  • AC वोल्टेज ध्रुवीयता को बदल देता है, जिससे विभिन्न अनुप्रयोगों में बिजली के नियंत्रण और वितरण की अनुमति मिलती है।
  • तीन-चरणीय AC परिपथ में, तीन तार होते हैं, जिनमें से प्रत्येक एक अलग चरण में AC करंट संचारित करता है।
  • ये चरण उपभोक्ताओं को वितरित किए जाते हैं, जो AC का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए अपने उपकरणों के लिए बिजली का उपयोग कर सकते हैं।

विद्युत संचरण प्रक्रिया:

  • बिजली उत्पादन सुविधाएं बिजली का उत्पादन करती हैं जो ट्रांसफार्मर, सबस्टेशन और केबल के नेटवर्क के माध्यम से प्रसारित होती हैं।
  • ट्रांसमिशन टावर और केबल लंबी दूरी तक उच्च-वोल्टेज बिजली ले जाते हैं।
  • सुरक्षित और स्थिर संचरण सुनिश्चित करने के लिए इंसुलेटर, सर्किट-ब्रेकर, ग्राउंडिंग और अरेस्टर का उपयोग किया जाता है।
  • सबस्टेशन विभिन्न कार्य करते हैं, जैसे बिजली एकत्र करना, एसी आवृत्ति को संशोधित करना और वितरण के लिए वोल्टेज कम करना।

ग्रिड संचालन:

  • एक राष्ट्रीय ग्रिड में उत्पादन, पारेषण और वितरण घटक शामिल होते हैं, और प्रत्येक को बिजली उत्पादन और खपत की विशिष्टताओं के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।
  • ग्रिड में अधिशेष बिजली का प्रबंधन करने और घाटे के दौरान ऊर्जा प्रदान करने के लिए भंडारण सुविधाएं होती हैं।
  • वे उन स्रोतों से भी जुड़ते हैं जो मांग में बदलाव का जवाब दे सकते हैं और लोड प्रबंधन के लिए स्वचालित सिस्टम रखते हैं।
  • ग्रिड एक हिस्से में विफलताओं को दूसरे हिस्से में प्रभावित होने से रोकने, AC आवृत्ति को नियंत्रित करने और पावर फैक्टर बनाए रखने के लिए काम करते हैं।

वाइड-एरिया सिंक्रोनस ग्रिड:

  • एक वाइड-एरिया सिंक्रोनस ग्रिड तब होता है जब सभी जुड़े जनरेटर एक ही आवृत्ति पर AC करंट उत्पन्न करते हैं।
  • भारत का राष्ट्रीय ग्रिड इस प्रकार के ग्रिड का एक उदाहरण है, जो लागत दक्षता को बढ़ावा देता है लेकिन कैस्केडिंग विफलताओं को रोकने के उपायों की आवश्यकता होती है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. WHO ग्लोबल टीबी रिपोर्ट:

विवरण:

  • हाल ही में WHO द्वारा वर्ष 2022 की जारी ग्लोबल टीबी रिपोर्ट में दो साल के COVID-19 से संबंधित व्यवधानों के बाद तपेदिक (TB) से पीड़ित और इलाज किए गए लोगों की संख्या में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण सुधार दिखाया गया है।
  • इस सुधार के बावजूद, टीबी दुनिया में एक ही संक्रामक एजेंट से होने वाली मौत का दूसरा प्रमुख कारण बनी हुई है, और वैश्विक टीबी लक्ष्य या तो चूक गए हैं या पटरी से उतर गए हैं।

मुख्य निष्कर्ष:

  • 2022 में, टीबी (TB) के नए निदान वाले लोगों की वैश्विक संख्या 7.5 मिलियन थी, जो 1995 में डब्ल्यूएचओ द्वारा वैश्विक टीबी निगरानी शुरू करने के बाद से सबसे अधिक संख्या है।
  • यह संख्या वर्ष 2019 में 7.1 मिलियन की पूर्व-कोविड आधार रेखा को पार कर गई,और वर्ष 2020 में 5.8 मिलियन और 2021 में 6.4 मिलियन से अधिक थी।
  • वर्ष 2022 की संख्या में संभावित रूप से उन लोगों का बैकलॉग शामिल है, जिन्हें पिछले वर्षों में टीबी हुआ था, जिनमें स्वास्थ्य देखभाल पहुंच और सेवाओं को प्रभावित करने वाले सीओवीआईडी ​​-19 व्यवधानों के कारण निदान और उपचार में देरी हुई थी।

क्षेत्रीय पुनर्प्राप्ति:

  • भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों में 2020 और 2021 में टीबी से पीड़ित नए लोगों की संख्या में लगभग 60% की कमी आई है। वर्ष 2022 में यह वर्ष 2019 के स्तर से ऊपर पहुंच गया।
  • टीबी के कारण 2022 में अनुमानित 1.30 मिलियन मौतें हुईं, जो वर्ष 2019 के समान स्तर पर वापस आ गईं।
  • अनुमान है कि कोविड-19 से संबंधित व्यवधानों के परिणामस्वरूप 2020 से 2022 तक तीन वर्षों में लगभग पांच लाख से अधिक मौतें टीबी के कारण हुईं थी।

वैश्विक लक्ष्य और प्रगति:

  • सुधार के बावजूद, वर्ष 2015 से 2022 तक टीबी के मामलों में शुद्ध कमी केवल 8.7% थी, जो वर्ष 2025 तक 50% की कमी के डब्ल्यूएचओ एंड टीबी रणनीति मील के पत्थर से बहुत दूर है।
  • वैश्विक टीबी लक्ष्य चूक गए हैं या पटरी से उतर गए हैं, जो इस बीमारी से निपटने में चुनौतियों का संकेत देता है।

2. मिग 21 लड़ाकू विमानों को चरणबद्ध तरीके से किस प्रकार हटाया जा रहा है?

विवरण:

  • 31 अक्टूबर, 2023 को, भारतीय वायु सेना (IAF) ने मिग-21 लड़ाकू विमानों की अंतिम उड़ान भरी, जो उनकी सेवा की समाप्ति थी।
  • मिग-21, भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान, 1963 में शामिल होने के बाद से सेवा में था। इसने विभिन्न संघर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह छह दशकों से अधिक समय से सेवा में है।

मिग-21 का सर्विस रिकॉर्ड:

  • मिग-21 फाइटर जेट भारतीय वायुसेना का एक अभिन्न अंग रहा है, जिसने प्रमुख संघर्षों और अभियानों में भाग लिया है।
  • इस सुपरसोनिक लड़ाकू विमान के 800 से अधिक वेरिएंट को सेवा में शामिल किया गया और यह काफी समय तक भारतीय वायुसेना का अग्रणी लड़ाकू विमान बना रहा।
  • इसने भारत-पाक संघर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1971 के बांग्लादेश युद्ध (1971 War of Bangladesh) के दौरान अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
  • मिग-21 ने 1999 के कारगिल संघर्ष के दौरान रात्रि संचालन की सफलता में भी योगदान दिया, जिससे दुश्मन की लचीलापन और लड़ने की इच्छा प्रभावित हुई।

मिग-21 को चरणबद्ध तरीके से हटाना:

  • मिग-21 को चरणबद्ध तरीके से हटाने में बहुत समय लग गया है, क्योंकि एलसीए तेजस (LCA Tejas) और राफेल लड़ाकू जेट जैसे नए शामिल होने में देरी हुई थी।
  • एलसीए तेजस के दो स्क्वाड्रन और राफेल लड़ाकू जेट के दो स्क्वाड्रन पहले ही भारतीय वायु सेना में एकीकृत किए जा चुके हैं, जिससे स्क्वाड्रन की संख्या 30 से अधिक हो गई है।
  • IAF ने जनवरी 2021 में 83 LCA Mk1A विमानों के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, जिसकी डिलीवरी वर्ष 2024 की शुरुआत में शुरू होने की उम्मीद है।
  • LCA Mk1A भारतीय वायुसेना में मिग-21 का प्राथमिक प्रतिस्थापन होगा, जिसमें अतिरिक्त 97 एलसीए एमके1ए वैरिएंट हासिल करने की योजना है।

नये विमान की भूमिका:

  • भारतीय वायुसेना (IAF) अपने बेड़े को मजबूत करने के लिए एक बड़ा LCA-Mk2 और पांचवीं पीढ़ी का एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Advanced Medium Combat Aircraft (AMCA)) भी विकसित कर रही है।
  • हालांकि ये विमान विकास प्रक्रिया के अधीन हैं और बड़ी संख्या में उपलब्ध होने में समय लगेगा,जबकि LCA Mk1A भारतीय वायुसेना की ताकत का एक बड़ा हिस्सा होगा।

मिग-21 को चरणबद्ध तरीके से हटाने का महत्व:

  • मिग-21 की सेवानिवृत्ति आधुनिकीकरण की दिशा में एक बदलाव और भारतीय वायु सेना में उन्नत, स्वदेशी लड़ाकू विमानों को शामिल करने का प्रतीक है।
  • भारतीय वायुसेना अपनी लड़ाकू तत्परता और क्षमताओं को बनाए रखने के लक्ष्य के साथ नए और अधिक सक्षम विमानों के साथ अपनी स्क्वाड्रन ताकत को मजबूत करना जारी रखेगी।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. क्षय रोग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. यह एक संक्रामक रोग है जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है।

2. यह रोग खांसने और छींकने से हवा के माध्यम से फैलता है।

3. टीबी की रोकथाम के लिए कोई उपाय उपलब्ध नहीं हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीनों

(d) कोई नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • क्षय रोग हवा के माध्यम से फैलता है और यह फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह रोकथाम योग्य और इलाज योग्य है। अतः कथन 3 गलत है; क्षय रोग की रोकथाम और इलाज संभव है।

प्रश्न 2. मोवेमेंट डु 23 मार्स (M23) निम्नलिखित में से किस देश में सक्रिय एक विद्रोही समूह है?

(a) माली

(b) नाइजीरिया

(c) कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य

(d) दक्षिण सूडान

उत्तर: c

व्याख्या:

  • मौवेमेंट डू 23 मार्स (M23) कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में सक्रिय एक विद्रोही समूह है। यह पूर्वी कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में सक्रिय है जिससे कांगो की सेना के साथ संघर्ष हो रहा है।

प्रश्न 3. AC पावर ट्रांसमिशन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. AC पावर ट्रांसमिशन DC पावर ट्रांसमिशन की तुलना में कम कुशल है।

2. तीन-फेज AC परिपथ में केवल दो तार होते हैं।

3. AC की बिजली घरेलू उपकरणों के लिए उपयुक्त नहीं है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीनों

(d) कोई नहीं

उत्तर: d

व्याख्या:

  • लंबी दूरी के ट्रांसमिशन के लिए AC पावर अधिक कुशल है, और तीन-चरण एसी सर्किट में आमतौर पर तीन तार होते हैं। नियंत्रण में आसानी के कारण AC की बिजली घरेलू उपकरणों के लिए उपयुक्त है।

प्रश्न 4. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन गलत है/हैं?

1. इसकी स्थापना 1960 में एशियाई देशों द्वारा समृद्धि, समानता और कल्याण की नीतियों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।

2. इसका उद्देश्य दुनिया भर में रिश्वतखोरी और अन्य वित्तीय अपराध को खत्म करना है।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है – आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development (OECD)) की स्थापना 1960 में यूरोपीय, अमेरिकी और कनाडाई देशों द्वारा आर्थिक और सामाजिक नीतियों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।

प्रश्न 5. भारत के AMCA कार्यक्रम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. इसका लक्ष्य 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान विकसित करना है।

2. इसका डिजाइन एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा विकसित किया जा रहा है।

3. यह एक सीट वाला, दो इंजन वाला विमान होगा।

उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीनों

(d) कोई नहीं

उत्तर: d

व्याख्या:

  • इसका लक्ष्य स्वदेशी 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट विकसित करना है। जिसका डिजाइन एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा किया गया है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. क्या काम के घंटे बढ़ाना लोगों को ‘राष्ट्र निर्माण’ की ओर धकेलने का एक स्वीकार्य हथकंडा है? टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस: II- सामाजिक न्याय] (Is extended working hours an acceptable ploy to push people towards ‘nation building’? Comment. (250 words, 15 marks) [GS: II- Social Justice]​)

प्रश्न 2. यह कर व्यवस्था की पूर्वानुमेयता है न कि कर स्लैब का स्तर जो किसी अर्थव्यवस्था में निवेशक के विश्वास को निर्धारित करता है। क्या आप इससे सहमत हैं? विस्तार से बताइये। (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस: III- अर्थशास्त्र] (It is the predictability of the tax regime and not the level of tax slab that determines an investor’s confidence in an economy. Do you agree? Elaborate. (250 words, 15 marks) [GS: III- Economics])

(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)