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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 13 April, 2023 UPSC CNA in Hindi

13 अप्रैल 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

  1. संसदीय समितियों की भूमिका:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. लार्ज हैड्रान कोलाइडर:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

शासन:

  1. संस्थागत मध्यस्थता:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. ओमिक्रॉन का XBB.1.16 सबवेरिएंट:
  2. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. US एविएशन वॉचडॉग ने समीक्षा के बाद भारत की सुरक्षा श्रेणी बरकरार रखी:
  2. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या मिश्रा रिपोर्ट का इस्तेमाल धर्मान्तरित दलितों के लिए कोटा तय करने के लिए किया जा सकता है:
  3. उपभोक्ता मुद्रास्फीति इस वर्ष पहली बार 6% से नीचे आई:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

संसदीय समितियों की भूमिका:

राजव्यवस्था:

विषय: संसद – संरचना, कामकाज, कार्य संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: संसदीय समितियों से सम्बंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: भारत में संसदीय समितियां – उनका विकास, भूमिका और महत्व, सम्बंधित मुद्दे और भावी कदम।

प्रसंग:

  • इस लेख में भारतीय संसदीय प्रणाली में संसदीय समितियों की भूमिका और महत्व पर चर्चा की गई है।

संसदीय समितियाँ:

  • संसदीय समितियाँ ऐसे पैनल हैं जिनमें संसद के विभिन्न सदस्य शामिल होते हैं जिन्हें सदन द्वारा नियुक्त या निर्वाचित किया जाता है या सदन के अध्यक्ष/सभापति द्वारा नामित किया जाता है।
  • संसदीय समितियों को ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए अधिदेशित किया जाता है जो सदन के पटल पर उठाने के लिए व्यवहार्य नहीं होते हैं और विभिन्न क्षेत्र-विशिष्ट चिंताओं पर भी चर्चा करते हैं।

भारतीय संविधान में दो प्रकार की संसदीय समितियों का उल्लेख किया गया है:

  • स्थायी समितियाँ: सरकार के मंत्रालयों/विभागों के विधेयकों, बजटों और नीतियों की जाँच के लिए गठित समितियाँ।
  • तदर्थ समितियाँ: ऐसी समितियाँ जो एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए स्थापित की जाती हैं, और इनका कार्य या जनादेश पूरा होने के बाद इन समितियों का अस्तित्व समाप्त हो जाता हैं।
  • संसदीय समितियाँ अनुच्छेद 105 (संसद सदस्यों के विशेषाधिकार) और अनुच्छेद 118 (संसद का अपनी प्रक्रिया और कार्य संचालन को विनियमित करने के लिए नियम बनाने का अधिकार) से अपना अधिकार प्राप्त करती हैं।

संसदीय समितियों का विकास:

  • संसदीय समितियों की स्थापना की अवधारणा ब्रिटिश संसद से उधार ली गई है।
  • भारत में पहली लोक लेखा समिति की स्थापना वर्ष 1950 में की गई थी।
  • विधेयकों को समितियों को भेजने की प्रथा वर्ष 1989 में शुरू हुई थी,क्योंकि सरकार के विभिन्न विभागों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अपनी स्थायी समितियों का निर्माण शुरू किया था।
  • वर्ष 1993 में एक संरचित संसदीय समिति प्रणाली अस्तित्व में आई थी। हालाँकि, भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भी विभिन्न कारणों से अलग-अलग समितियाँ बनाई गईं थी।

संविधान सभा की कई महत्वपूर्ण समितियों में से पाँच की चर्चा नीचे की गई है:

  • नागरिकता खंड पर तदर्थ समिति: भारतीय नागरिकता की प्रकृति और दायरे पर चर्चा करने के लिए गठित।
  • पूर्वोत्तर सीमांत (असम) जनजातीय और बहिष्कृत क्षेत्र उप-समिति: इस समिति की अध्यक्षता जी.एन. बोरदोलोई ने की और इसने नागा, खासी, गारो, जयंतिया और मिकिर हिल्स से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की और लोगों के अनुभवों, मांगों, विश्वासों और रीति-रिवाजों के बारे में जानकारी एकत्र की गई।
    • इस समिति ने भूमि और जंगलों की स्थिति, स्थानीय सरकार, स्थानीय अदालतों, वित्त और कराधान जैसे पहलुओं पर भी चर्चा की।
  • छोटा नागपुर पठार में अनुसूचित क्षेत्रों के संबंध में जयपाल सिंह मुंडा की असहमति रिपोर्ट समिति की विशेषता थी।

संघीय संविधान के वित्तीय प्रावधानों पर गठित विशेषज्ञ समिति:

  • इस समिति को संघ और राज्य कर संग्रह, उत्पाद शुल्क, शराब राजस्व, आयकर के विभाज्य पूल, आय के बंटवारे, अवशिष्ट शक्तियों, वित्त आयोग की स्थापना, महालेखा परीक्षक के पद/कार्यालय आदि पर सरकार की सिफारिश करने के लिए अधिदेशित किया गया था।
  • अल्पसंख्यकों के लिए राजनीतिक सुरक्षा के विषय पर सलाहकार समिति: सरदार पटेल की अध्यक्षता वाली इस समिति ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण की समाप्ति का मूल्यांकन किया।
  • विभिन्न संसदीय समितियाँ और उनके कार्य से सम्बंधित अधिकजानकरी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Different Parliamentary committees and their functions

संसदीय समितियों की भूमिका एवं महत्व:

  • संसदीय समितियां कानून का एक विशिष्ट हिस्सा हैं और वे समिति के पटल पर भेजे गए विषय पर समग्र रूप से तथा विस्तार से अध्ययन/चर्चा करती हैं, तथा इसके इसके प्रभाव का विश्लेषण करती हैं और फिर सदन को अपनी सिफारिशें देती हैं।
  • तत्पश्चात सरकार को समिति की सिफारिशों के आधार पर की गई प्रगति या परिवर्तनों को उजागर करने के लिए सदन में एक “कार्रवाई की गई” (Action Taken) रिपोर्ट पेश करने की आवश्यकता होती है।
  • हालांकि इन समितियों की सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन इससे विधायिका को कार्यपालिका पर निगरानी या नियंत्रण रखने में मदद मिलती है।
  • उदाहरण: केंद्रीय बजट सत्र 2023 के दौरान, अनुदान की मांग पर पेश रिपोर्ट में सरकार की ओर से कुछ विसंगतियों की ओर इशारा किया गया था।
  • इसके अलावा ग्रामीण विकास और पंचायती राज समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला कि संशोधित अनुमान हमेशा बजट अनुमानों से कम होते हैं साथ ही यह भी बताया कि वर्ष 2022-23 में, पंचायती राज मंत्रालय ने ₹905 करोड़ के आवंटन में से केवल ₹701 करोड़ खर्च किए।
  • कार्यपालिका के कामकाज के कुछ महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ आकलन केवल एक समिति कक्ष के भीतर ही किए जा सकते हैं क्योंकि विभिन्न राजनीतिक दलों और विचारधाराओं के सदस्य एक साथ बैठकर चर्चा करते हैं और आम सहमति के लिए रास्ता बनाते हैं।
  • जबकि सदन के पटल पर जब चर्चा की जाती हैं तो उन पर कैमरे और जनता का ध्यान शामिल होता है जो सदस्यों को उनकी संबंधित पार्टी लाइनों और मतदाता आधार के अनुसार कार्य करने के लिए मजबूर करता है।
  • इसके अलावा संसदीय समितियां संसद को एक गतिशील और कार्यात्मक स्थान बनाने में भी मदद करती हैं, जो सदस्यों के लिए एक मंच के रूप में कार्य करती हैं और राष्ट्र से संबंधित मामलों पर चर्चा करती हैं।

दो सबसे महत्वपूर्ण अभी तक कम चर्चा वाली समितियों में शामिल हैं:

  • कार्य मंत्रणा समिति संसद के दोनों सदनों के लिए संपूर्ण कार्यक्रम तैयार करती है।
  • पटल पर रखे गए विषय से सम्बन्धित समिति सदन के पटल पर रखे गए पत्रों से निपटने के लिए समर्पित होती है और प्रत्येक व्यक्तिगत पत्र विचार-विमर्श की सावधानीपूर्वक और लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार किया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त जिन विधेयकों को समितियों को भेजा जाता है, उन्हें अक्सर महत्वपूर्ण मूल्यवर्धन के साथ सदन में वापस आते देखा जाता है।

कुछ सबसे प्रमुख हालिया विधान जिन्हें समितियों को संदर्भित किया गया है, उनमें शामिल हैं:

  • डिजिटल डेटा संरक्षण विधेयक: न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण समिति की स्थापना की गई थी और पुट्टास्वामी के फैसले ( Puttaswamy judgment) के बाद भारत के लिए एक डेटा सुरक्षा ढांचा तैयार करने का कार्य सौंपा गया था, जिसके आधार पर व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था।
  • इसे एक बार फिर PP चौधरी की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया और दिसंबर 2021 में इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर, पहले के विधेयक को वापस ले लिया गया और नवंबर 2022 में एक नया मसौदा डिजिटल डेटा संरक्षण विधेयक (Draft Digital Data Protection Bill ) पेश किया गया।
  • बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक: विधेयक जो महिलाओं की कानूनी विवाह योग्य आयु को 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रयास करता है।
  • एंटी-मैरीटाइम पाइरेसी विधेयक: गहरे समुद्र में समुद्री डकैती का मुकाबला करने के लिए समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UN Convention on the Law of the Sea (UNCLOS)) के अधिनियमन की सुविधा प्रदान करता है।
  • जन विश्वास विधेयक: कृषि और मीडिया जैसे क्षेत्रों में 42 कानूनों में संशोधन विधेयक।
  • वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) विधेयक: संरक्षित प्रजातियों के दायरे का विस्तार।
  • अन्य विधेयक: प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, बिजली (संशोधन) विधेयक, और बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक।

संसदीय समितियों से जुड़े मुद्दे:

चित्र स्रोत: Moneycontrol

  • हाल के दिनों में राजनीतिक विद्वेष और ध्रुवीकरण ने इन संसदीय समितियों के कामकाज को प्रभावित किया है और इसमें गंभीर दोषों को उजागर किया है।
  • ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं जहां इन समितियों के बीच विचार-विमर्श और सहमति प्रभावित हुई है।
  • इसके अलावा, संसदीय समितियों को विधेयकों को संदर्भित करने की घटनाओं में तेजी से गिरावट आई है और इसके परिणामस्वरूप, विधान विशेषज्ञ जांच के अधीन नहीं हैं।
  • एक रिपोर्टों के अनुसार, 15वीं और 14वीं लोकसभा में क्रमशः 71% और 60% की तुलना में 16वीं लोकसभा में पेश किए गए विधेयकों में से केवल 25% को समितियों को भेजा गया था।
  • इसके अलावा 17वीं लोक सभा के दौरान, केवल लगभग 14 विधेयकों को समितियों के पास भेजा गया था।

भावी कदम:

  • ऐसी समितियाँ यू.एस. कांग्रेस में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और विधेयकों को एक बार सदन में पेश करने के बाद जांच के लिए समितियों के पास भेजा जाता है।
  • समितियों द्वारा विषयों की जांच से पूर्व मतदान प्रक्रिया से पहले विधेयक में परिवर्तन और संशोधन की अनुमति होती है।
  • यू.एस. के पूर्व राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने कहा था कि “यह कहना सत्य से बहुत दूर नहीं है कि अधिवेशन में कांग्रेस सार्वजनिक प्रदर्शनी में कांग्रेस है, जबकि समिति कक्षों में कांग्रेस काम पर कांग्रेस है “।
  • भारत को सभा पटल पर रखे गए विधेयकों को उपयुक्त समितियों को अनिवार्य रूप से भेजने पर भी विचार करना चाहिए।
  • इन समितियों को अधिक शक्तियां दिए जाने से कार्यपालिका से अधिक जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
  • भारत में संसदीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए यह समय की मांग है कि संसदीय समितियों को मजबूत किया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजनीतिक विचार कानून बनाने में जल्दबाजी न करें।

सारांश:

  • भारतीय संसद के संचालन का वृहद स्तर और बड़े पैमाने के कारण संसद के सदनों के लिए सभी मुद्दों पर चर्चा और विश्लेषण करना संभव नहीं है। इस प्रकार संसदीय समितियाँ सार्वजनिक सरोकार के मामलों का मूल्यांकन करने, गहराई से विचार करने और विशेषज्ञ राय के साथ आने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और इन समितियों को राष्ट्र निर्माण के दृष्टिकोण से सुरक्षित और मजबूत करना महत्वपूर्ण है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

लार्ज हैड्रान कोलाइडर:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास और उनके अनुप्रयोग और रोजमर्रा की जिंदगी में प्रभाव।

प्रारंभिक परीक्षा: लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC)।

मुख्य परीक्षा: लार्ज हैड्रोन कोलाइडर (LHC) से सम्बंधित विवरण, यह कैसे कार्य करता है और इसके निष्कर्ष।

लार्ज हैड्रान कोलाइडर:

  • लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली कण त्वरक (accelerator) है।
  • इसे दुनिया के सबसे बड़े विज्ञान प्रयोगों में से एक माना जाता है।
  • LHC एक कोलाइडर है जो विपरीत दिशाओं में कणों की दो बीमों (किरणों) को त्वरित करता है,जो उनके सिरे से टकराता हैं।
  • कणों के ये पुंज हैड्रोन कहलाते हैं।
  • हैड्रोन क्वार्क, ग्लून्स और एंटी-क्वार्क से बना एक उप-परमाण्विक कण है।
  • हैड्रोन सबसे भारी कण होते हैं और दो या दो से अधिक क्वार्क से बने होते हैं जो विद्युत चुम्बकीय बल द्वारा मजबूती से बंधे होते हैं।
  • LHC यूरोपियन ऑर्गेनाइज़ेशन फ़ॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) द्वारा बनाया गया है।

लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर की कार्यप्रणाली:

  • LHC प्रोटॉन का उपयोग करता है, जो क्वार्क और ग्लून्स से बने होते हैं और यह प्रोटॉन को 27 किमी लंबी एक संकीर्ण गोलाकार पाइप के माध्यम से गति देकर सक्रिय करता है।
  • यह गोलाकार पाइप करीब 9,600 चुम्बकों द्वारा निर्मित दो डी-आकार (D-shaped) के चुंबकीय क्षेत्रों को घेरता है।
  • पाइप में, प्रोटॉन को चुंबक के एक गोलार्ध पर घुमाकर और दूसरे को बंद करके स्थानांतरित किया जाता है और एक बार जब यह एक विशिष्ट स्थिति में पहुंच जाता है तो पहले गोलार्ध को बंद करके दूसरे को चालू करके चुंबकीय ध्रुवता को उलट दिया जाता है।
  • यह प्रोटॉन को वामावर्त दिशा में गतिमान बनाता है और चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को तेजी से बदलकर बीम पाइप के माध्यम से प्रोटॉन को त्वरित किया जाता है।
  • पाइप में कुछ अन्य घटक रखे गए हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि कण पाइप की दीवारों से न टकराएं।
  • यह प्रक्रिया प्रोटॉन को प्रकाश की गति के 99.999999% पर गतिमान बनाती है जो उन्हें सापेक्षता के विशेष सिद्धांत के अनुसार भारी मात्रा में ऊर्जा अर्जित करने में मदद करती है।
  • जब ऊर्जावान कणों के दो एंटीपैरलल बीम आपस में टकराते हैं, तो टक्कर के बिंदु पर ऊर्जा दो बीमों द्वारा वहन की जाने वाली ऊर्जा के योग के बराबर होती है। (एंटीपैरलल-समानांतर, लेकिन विपरीत दिशाओं में गतिमान या उन्मुख।)
  • टक्कर के समय, विशृंखलता देखी जाती है और प्रकृति के मौलिक बलों के आधार पर ऊर्जा के हिस्से अलग-अलग उप-परमाणु कणों में विलीन हो जाते हैं।
  • उपलब्ध ऊर्जा की मात्रा और विशिष्ठ्ता और उनके आसपास कौन से अन्य कण बनाए या नष्ट किए जा रहे हैं, के आधार पर कण आकार लेते हैं।
  • कुछ कण बहुत ही दुर्लभ रूप से उत्पन्न किए जाते हैं यानी ये 0.00001% की संभावना के साथ उत्पन्न किए जाते हैं।
  • कुछ अन्य कण काफी विशाल होते हैं और उन्हें उत्पन्न करने के लिए सही प्रकार की ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  • कुछ अन्य कण अत्यंत अल्पकालिक होते हैं और उनका अध्ययन करने वाले डिटेक्टरों को उन्हें समान समय सीमा में रिकॉर्ड करने की आवश्यकता होती है।
  • LHC इस तरह से बनाया गया है कि वैज्ञानिक इन सभी मापदंडों को अलग-अलग कण परस्पर क्रियाओं का अध्ययन करने के लिए बदल सकते हैं।

LHC के निष्कर्ष:

  • LHC में नौ डिटेक्टर होते हैं जो बीम पाइप पर विभिन्न बिंदुओं पर रखे जाते हैं।
  • इन संसूचकों का उपयोग विभिन्न तरीकों से कण अंतःक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।
  • वार्षिक रूप से, ये डिटेक्टर भंडारण के लायक लगभग 30,000 टीबी डेटा उत्पन्न करते हैं, भौतिक विज्ञानी विशिष्ट पैटर्न की पहचान और विश्लेषण करने के लिए कंप्यूटर की मदद से इस डेटा को फ़िल्टर करते हैं।
  • यह उसी तरह है जैसे ATLAS और CMS डिटेक्टरों ने हिग्स बोसोन की खोज में मदद की थी।
  • LHC को हैड्रोनिक कणों के एक बीम को कुछ विशिष्टताओं के लिए तेज करने और इसे वितरित करने के लिए जाना जाता है जो वैज्ञानिकों को बीम के साथ अलग-अलग काम करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • इन सभी टक्करों से उत्पन्न डेटा की मदद से,शोधकर्ताओं ने कण भौतिकी के मानक मॉडल की भविष्यवाणियों का परीक्षण किया है, उप-परमाणु कणों के शासन सिद्धांत, पेंटाक्वार्क और टेट्राक्वार्क जैसे विदेशी कणों का अवलोकन किया और बिग बैंग के ठीक बाद मौजूद चरम प्राकृतिक परिस्थितियों की जांच की हैं।

भावी कदम:

  • LHC आज तक “नई भौतिकी” खोजने में विफल रहा है, यह कणों या प्रक्रियाओं का सामूहिक नाम है,जो डार्क मैटर की प्रकृति या गुरुत्वाकर्षण इतना कमजोर बल क्यों है, और अन्य रहस्यों की व्याख्या कर सकता है।
  • LHC के प्रकाश को बढ़ाने के प्रयास चल रहे हैं,जो अंतक्रिया द्वारा मशीन की स्वरुचि के कण उत्पन्न करने की क्षमता का एक उपाय है।
  • LHC का एक बड़ा संस्करण विकसित करने के लिए एक विवादास्पद विचार है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ऐसी मशीन उच्च ऊर्जा पर “नई भौतिकी” खोजने में सक्षम होगी।
  • जैसा कि CERN और चीन ने बड़ी मशीनों को विकसित करने की अपनी योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय अरबों डॉलर के उपयोग पर विभाजित है।
  • कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि काल्पनिक परिणामों के बजाय गारंटीकृत परिणामों के साथ कोलाइडर जैसे कम खर्चीले उपकरण बनाने के लिए धन का उपयोग किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • द लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC),जो भौतिकी अनुसंधान की ऊर्जा सीमा पर अवस्थित है, अत्यधिक सक्रिय उप-परमाण्विक कणों के साथ प्रयोग करने से मई के मध्य से फिर से डेटा एकत्र करना शुरू होने की उम्मीद है और LHC वर्तमान में उन्नयन के दौर से गुजर रहा है जो अधिक संवेदनशील और सटीक डेटा को पकड़ने के लिए कोलाइडर और उसके संसूचकों को बेहतर बनाएगा।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

संस्थागत मध्यस्थता:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और विकास के लिए हस्तक्षेप

मुख्य परीक्षा: भारतीय न्यायपालिका के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान की संभावनाएं।

संदर्भ:

  • यह लेख भारत में संस्थागत मध्यस्थता की क्षमता पर चर्चा करता है।

परिचय:

  • भारत में संस्थागत मध्यस्थता दो या दो से अधिक पार्टियों के बीच मध्यस्थता प्रक्रिया को प्रशासित करने के लिए विशेष संस्थानों के उपयोग को संदर्भित करती है।
  • ये संस्थान मध्यस्थता की कार्यवाही के संचालन के लिए एक ढांचा प्रदान करते हैं और मध्यस्थों की नियुक्ति, प्रक्रिया का प्रबंधन और निर्णयों को लागू करने सहित सेवाओं की एक श्रृंखला प्रदान करते हैं।
  • भारत की छवि कई कारणों से ‘मध्यस्थता-अमित्र’ की है – तदर्थ मध्यस्थता पर संस्थागत मध्यस्थता के लिए वरीयता की कमी, न्यायपालिका से मध्यस्थों की नियुक्ति से लेकर निर्णयों के प्रवर्तन तक लगातार हस्तक्षेप, और ‘सार्वजनिक नीति’ के आधार पर मध्यस्थता निर्णयों को अलग करना ।
    • विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में ‘एनफोर्सिंग कॉन्ट्रैक्ट्स’ में भारत 163वें स्थान पर है। रिपोर्ट कहती है कि भारत में एक अनुबंध को लागू करने में लगभग चार साल और दावे की लागत का 31% खर्च करना पड़ता है।
  • भारत में संस्थागत मध्यस्थता के उपयोग ने हाल के वर्षों में भारत में विदेशी निवेश में वृद्धि और अधिक कुशल और विश्वसनीय विवाद समाधान तंत्र की आवश्यकता सहित विभिन्न कारणों से महत्वपूर्ण गति प्राप्त की है।
  • फिर भी, भारतीय व्यवसायों के बीच विवादों के लिए भी भारत एक पसंदीदा मध्यस्थता गंतव्य नहीं है।
    • सिंगापुर एक वैश्विक मध्यस्थता केंद्र के रूप में उभरा है और ‘अनुबंधों को लागू करने’ के मामले में पहले स्थान पर है। भारतीय कंपनियां इसके टॉप यूजर्स में शामिल हैं।

ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR):

  • भारत में ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) पार्टियों के बीच विवादों के समाधान की सुविधा के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को संदर्भित करता है।
  • भारत में ओडीआर को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कानून सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 है। नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 89, विवादों को हल करने के लिए ओडीआर सहित वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के उपयोग का भी प्रावधान करती है।
  • कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन तकनीक को व्यापक रूप से अपनाने, जिसका नेतृत्व न्यायपालिका ने ऑनलाइन सुनवाई के माध्यम से किया था, ने भारत को अपनी तकनीकी ताकत को भुनाने और ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) में एक अग्रणी प्रतिभागी बनने का अवसर प्रदान किया है।
  • भारत सरकार सक्रिय रूप से ODR को न्याय तक पहुंच बढ़ाने के साधन के रूप में बढ़ावा दे रही है, खासकर उन लोगों के लिए जो दूरस्थ या ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।

ODR के लाभ:

  • सरकार ने भारत में ODR को बढ़ावा देने के लिए कई पहलें शुरू की हैं। उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने विवादों के समाधान के लिए एक ऑनलाइन मंच प्रदान करने के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है।
  • इसमें मल्टी-चैनल कम्युनिकेशन, केस मैनेजमेंट सिस्टम, ऑटोमेटेड केस फ्लो, डिजिटल सिग्नेचर और स्टैम्पिंग, और यहां तक कि ब्लॉकचैन, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी उन्नत तकनीकों के अनुप्रयोग जैसे उपकरणों का एकीकरण शामिल है।
  • ODR प्लेटफॉर्म पार्टियों के बीच विवादों के समाधान के लिए एक सुरक्षित, उपयोग में आसान मंच प्रदान करता है। पार्टियां अपना विवाद ऑनलाइन जमा कर सकती हैं और मंच मध्यस्थता या मध्यस्थता के माध्यम से विवाद के समाधान की सुविधा प्रदान करता है।
  • यह अदालतों पर बोझ कम कर सकता है, समय और लागत बचा सकता है और प्रभावी समाधान प्रदान कर सकता है।
  • ODR प्लेटफॉर्म छोटे विवादों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जैसे कि उपभोक्ता की शिकायतें या छोटे व्यवसायों के बीच विवाद। यह उन विवादों के लिए भी उपयोगी है जिनमें देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित पक्ष शामिल हैं।

भावी कदम:

  • कुल मिलाकर, भारत में ODR का उपयोग अभी भी अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन इसकी लोकप्रियता बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि अधिक लोग इसके लाभों के बारे में जागरूक होंगे।
  • भारत में ODR को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देने के लिए विधायी, कार्यकारी और न्यायिक शाखाओं के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम, और डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क जैसे कुछ संस्थानों ने अपनी पहल में ODR तंत्र को एकीकृत करके पहले ही पहल कर दी है।
    • हालाँकि, भारत में ODR को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए इन प्रयासों को व्यापक दर्शकों तक पहुँचाना आवश्यक है।
  • सरकार ODR प्लेटफॉर्म को विकसित और बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग कर सकती है। निजी कंपनियां ओडीआर प्रौद्योगिकी और प्लेटफार्मों के विकास में निवेश कर सकती हैं और सरकार ऐसे निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन और सहायता प्रदान कर सकती है।
  • ODR के उपयोग को विधायी उपायों के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा सकता है, जैसे कि ऑनलाइन लेनदेन से उत्पन्न होने वाले विवादों की विशिष्ट श्रेणियों के लिए ओडीआर को डिफ़ॉल्ट विवाद समाधान तंत्र के रूप में स्थापित करना।
  • सरकार को अवसंरचनात्मक चुनौतियों को हल करने पर काम करना चाहिए, डिजिटल डिवाइड पर अंकुश लगाना चाहिए, और ODR कियोस्क के रूप में कार्य करने के लिए आधार केंद्रों जैसे मौजूदा सेटअपों का अनुकूलन करके ODR के विकास को उत्प्रेरित करना चाहिए।
    • वित्तमंत्री द्वारा तीसरे चरण के लिए 7,000 करोड़ रुपये आवंटित करने की तर्ज पर ई-न्यायालय परियोजना ( e-Courts project ) केंद्रीय बजट 2023 में, ओडीआर को आगे बढ़ाने के लिए एक समर्पित कोष स्थापित किया जाना चाहिए।
  • शामिल पक्षों की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए ODR प्लेटफार्मों का उपयोग मजबूत डेटा सुरक्षा उपायों के साथ होना चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश और नियम विकसित करने चाहिए कि ODR प्लेटफॉर्म सुरक्षित हैं और डेटा सुरक्षा कानूनों का पालन करते हैं।

सारांश:

  • भारत में संस्थागत मध्यस्थता में मध्यस्थता प्रक्रिया को प्रशासित करने वाले विशेष संस्थान शामिल हैं। गति प्राप्त करने के बावजूद, तदर्थ मध्यस्थता और न्यायिक हस्तक्षेप के लिए भारत की प्राथमिकता ने इसे ‘मध्यस्थता-अमित्र’ गंतव्य बना दिया है। दूसरी ओर, भारत में ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन इसके बढ़ने की उम्मीद है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. ओमिक्रॉन का XBB.1.16 सबवेरिएंट:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विभिन्न रोगों के बारे में जागरूकता।

प्रारंभिक परीक्षा: ओमिक्रॉन के XBB.1.16 सबवेरिएंट से सम्बंधित तथ्यात्मक जानकारी।

प्रसंग:

  • ओमिक्रॉन के XBB.1.16 सबवेरिएंट को देश में COVID-19 मामलों में नवीनतम उछाल के कारण के रूप में देखा जा रहा है।

XBB.1.16 ओमिक्रॉन का सबवैरिएंट:

  • XBB.1.16 जिसे “आर्कटुरस” (Arcturus) के रूप में भी जाना जाता है, वर्तमान में भारत में COVID मामलों में वृद्धि का कारण बना हुआ है।
  • XBB.1.16 वैरिएंट की अब तक लगभग 22 देशों में पहचान की जा चुकी है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization (WHO)) XBB.1.16 की निगरानी कर रहा है और कहा है कि यह “निगरानी का एक मुख्य विषय” है।
  • XBB.1.16 उन 600 से अधिक ऑमिक्रॉन सब वैरिएंट्स में से एक है, जिन पर WHO नज़र रख रहा है।
  • XBB.1.16, BA.2.10.1 और BA.2.75 का पुनः संयोजक है और इसके मूल वंश XBB की तुलना में SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन (E180V, F486P और K478R) में तीन अतिरिक्त म्यूटेशन की परवर्ती हैं।
  • विषेशज्ञों का मानना हैं की इन म्यूटेशनों ने एंटीबॉडी न्यूट्रलाइजेशन को कम किया है, जिससे संक्रामकता (संचारण) और रोगजनकता में वृद्धि हुई है।
  • हालांकि, वैरिएंट के कारण अस्पताल में भर्ती होने, मौतों में वृद्धि या बीमारी की गंभीरता में वृद्धि दिखाने वाली कोई रिपोर्ट नहीं मिली है।

2. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

इतिहास:

विषय: महत्वपूर्ण व्यक्तित्व।

प्रारंभिक परीक्षा: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद से सम्बंधित तथ्यात्मक जानकारी।

  • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का संदर्भ राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council for Educational Research and Training (NCERT)) द्वारा प्रकाशित एक संशोधित राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से हटा दिया गया है।

मौलाना अबुल कलाम आजाद:

  • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सबसे प्रभावशाली स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं में से एक थे।
  • 1923 में, वे 35 वर्ष की आयु में कांग्रेस पार्टी के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने।
  • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की पत्रिकाओं में अल-हिलाल (Al-Hilal ) और अल-बालाघ (Al-Balagh) शामिल हैं।
  • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने 1948 से 1958 तक देश के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया था।
  • मौलाना आज़ाद की जयंती को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्हें 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
  • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद से सम्बंधित अधिक जानकरी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Maulana Abul Kalam Azad

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. US एविएशन वॉचडॉग ने समीक्षा के बाद भारत की सुरक्षा श्रेणी बरकरार रखी:

  • फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन, जो यू.एस. का विमानन सुरक्षा नियामक है, ने भारत की विमानन सुरक्षा निरीक्षण के लिए “श्रेणी 1” का दर्जा बरकरार रखा है।
  • यूएसए का फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन अपने इंटरनेशनल एविएशन सेफ्टी एसेसमेंट (IASA) कार्यक्रम के अंतर्गत यह निर्धारित करता है कि क्या किसी देश की अमेरिका में परिचालन करने वाली, या परिचालन करने या अमेरिका की विमानन कंपनियों के साथ कोडशेयर करने की इच्छुक विमानन कंपनियां इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (International Civil Aviation Organization (ICAO)) द्वारा स्थापित सुरक्षा मानकों का अनुपालन करती हैं।
  • IASA कार्यक्रम मुख्य रूप से तीन व्यापक क्षेत्रों अर्थात् कार्मिक लाइसेंसिंग, विमान के संचालन और विमान की उड़ान योग्यता पर केंद्रित है।
  • फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation (DGCA) ) ने शिकागो कन्वेंशन के विमानन सुरक्षा निरीक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा किया है।

2. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या मिश्रा रिपोर्ट का इस्तेमाल धर्मान्तरित दलितों के लिए कोटा तय करने के लिए किया जा सकता है:

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वर्ष 2007 की धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग की जस्टिस रंगनाथ मिश्रा की रिपोर्ट पूरी तरह “बेपरवाह” नहीं है,और सरकार से रिपोर्ट पर अपने रुख की “फिर से जांच” करने को कहा हैं।
  • धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए रंगनाथ मिश्रा आयोग ने ईसाई और इस्लाम में परिवर्तित दलितों के लिए अनुसूचित जाति आरक्षण की सिफारिश की थी।
  • केंद्र सरकार ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालाकृष्णन को इससे सम्बंधित एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो साल का समय दिया है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या मिश्रा रिपोर्ट के अनुभवजन्य डेटा का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है कि क्या संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 से ईसाई धर्म और इस्लाम में परिवर्तित दलितों का बहिष्करण भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक था।
  • सरकार ने तर्क दिया है कि दलित जो जाति के बोझ को दूर करने के लिए ईसाई या इस्लाम में परिवर्तित हो गए हैं, वे हिंदू धार्मिक व्यवस्था का पालन करने वाले लोगों द्वारा प्राप्त आरक्षण लाभों का दावा नहीं कर सकते हैं।
  • हालांकि, अदालत ने नोट किया है कि हिंदुओं में ऐतिहासिक रूप से पिछड़े समुदायों के सदस्यों के साथ सामाजिक कलंक जुड़ा रह सकता है अतः वे लोग जातिगत उत्पीड़न को दूर करने के लिए इस्लाम और ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाते हैं।

3. उपभोक्ता मुद्रास्फीति इस वर्ष पहली बार 6% से नीचे आई:

  • वर्ष 2023 में पहली बार खुदरा मुद्रास्फीति भारत में 6% के निशान से नीचे आ गई है और पिछले 15 महीनों में केवल तीसरी बार ऐसा हुआ है।
  • हालांकि, वित्त वर्ष 2022-23 के आखिरी महीने में नरमी के बावजूद, भारतीय उपभोक्ताओं को 2022-23 के दौरान 6.66% की औसत मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ा है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अनुमानित 6.5% औसत मूल्य वृद्धि से अधिक है।
  • ग्रामीण उपभोक्ताओं ने मुद्रास्फीति में तेज गिरावट देखी, क्योंकि यह फरवरी 2023 में 6.72% से घटकर मार्च 2023 में 5.51% हो गई।
  • शहरी उपभोक्ताओं ने इसी अवधि में मूल्य वृद्धि में 6.1% से 5.89% की गिरावट देखी हैं।

खाद्य पदार्थों में:

  • सब्जियों के संबंध में मुद्रास्फीति में गिरावट आई है, तेल की कीमतों में भी गिरावट आई है और साथ ही मांस और मछली की कीमतों में भी गिरावट आई है।
  • हालांकि, अनाज, फल, दूध और मसालों की मुद्रास्फीति काफी अधिक बनी हुई है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. सही कथनों की पहचान कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता के संबंध में भारत विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है।
  2. सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का एक PSU है।
  3. भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से कुल स्थापित बिजली का 40% उत्पादन करने का अपना 2015 INDC हासिल कर लिया है।

विकल्प:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: REN21 नवीकरणीय 2022 वैश्विक स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, भारत अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता (बड़ी हाइड्रो सहित) में विश्व स्तर पर चौथे, पवन ऊर्जा क्षमता में चौथे और सौर ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है।
  • कथन 2 सही है: सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) भारत और विदेशों में योजनाओं के कार्यान्वयन और अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।
  • कथन 3 सही है: COP 21 में, भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) के हिस्से के रूप में 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 40% प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध किया था।
    • भारत ने यह लक्ष्य नवंबर 2021 में ही हासिल कर लिया है।

प्रश्न 2. नई प्रस्तावित तथ्य जांच इकाई के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सत्य हैं: (स्तर – सरल)

  1. इसकी स्थापना प्रस्तावित डिजिटल इंडिया एक्ट के तहत की जाएगी।
  2. इसकी सदस्यता में मीडिया और कानून के क्षेत्र से 2-2 विशेषज्ञ शामिल होंगे।
  3. वे वेबसाइटें जो FCU के आदेश के अनुसार सामग्री को हटाने के लिए सहमत नहीं होंगी, उनकी “सुरक्षित व्यापारिक शर्तों” की प्रतिरक्षा को खतरे में आ जाएगी।

विकल्प:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) केवल 1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: तथ्य जांच इकाई की स्थापना प्रस्तावित सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत की जाएगी।
  • कथन 2 सही है: फ़ैक्ट चेक यूनिट (तथ्य जांच इकाई) में चार सदस्य होंगे जिनमें शामिल हैं:
    • आईटी मंत्रालय के एक प्रतिनिधि
    • सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय का एक प्रतिनिधि
    • एक “मीडिया विशेषज्ञ”
    • एक “कानूनी विशेषज्ञ”
  • कथन 3 सही है: निकाय द्वारा “नकली” या “भ्रामक” के रूप में चिह्नित सामग्री को ऑनलाइन बिचौलियों द्वारा हटाना होगा यदि वे अपने “सुरक्षित व्यापारिक शर्तों” को बनाए रखना चाहते हैं जो कानूनी प्रतिरक्षा है और वे तृतीय-पक्ष सामग्री के खिलाफ इसका लाभ उठाते हैं।

प्रश्न 3. दुर्लभ रोगों के संबंध में निम्नलिखित में से कितने कथन सत्य हैं? (स्तर – कठिन)

  1. लगभग 95% दुर्लभ बीमारियों का कोई प्रमाणित उपचार उपलब्ध नहीं है ।
  2. सभी दुर्लभ रोग अनुवांशिक उत्पत्ति के कारण होते हैं।
  3. भारत में दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए एक राष्ट्रीय नीति उपलब्ध है।

विकल्प:

(a) केवल 1 कथन

(b) केवल 2 कथन

(c) सभी 3 कथन

(d) कोई भी कथन नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: दुर्लभ रोग वह रोग है जो जनसंख्या के एक छोटे से प्रतिशत को प्रभावित करता है।
    • दुर्लभ बीमारियां व्यक्ति को आजीवन दुर्बल (कमजोर) कर रही हैं और उनमें से लगभग 95% के पास कोई स्वीकृत उपचार नहीं है।
  • इसलिए, दुर्लभ बीमारियों में से कुछ के लिए अनुमोदित उपचार उपलब्ध है।
  • कथन 2 गलत है: दुर्लभ रोगों में आनुवंशिक रोग, दुर्लभ कैंसर, संक्रामक उष्णकटिबंधीय रोग और अपक्षयी रोग शामिल हैं।
  • केवल लगभग 80% दुर्लभ बीमारियों का आनुवंशिक मूल होने का अनुमान है।
  • कथन 3 सही है: सरकार ने दुर्लभ रोग रोगियों के उपचार के लिए मार्च, 2021 में राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति (NPRD), 2021 शुरू की है।

प्रश्न 4. पेट्रोलियम के संबंध में सही कथनों का चयन कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. कच्चे तेल (Crude oil) को इसकी सल्फर सामग्री के आधार पर मीठा या खट्टा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
  2. मीठा कच्चा तेल शोधन और परिवहन में सुलभ होता है।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: सल्फर के स्तर के आधार पर कच्चे तेल को “मीठा” या “खट्टा” के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • स्वीट/मीठा क्रूड में सल्फर की मात्रा वजन के हिसाब से 0.5% या उससे कम होती है।
  • सॉर/खट्टा क्रूड में वजन के हिसाब से सल्फर की मात्रा 1% या उससे अधिक होती है।
  • कथन 2 सही है: स्वीट/मीठा क्रूड अपने कम घनत्व के कारण डिस्टिल और ट्रांसपोर्ट (शोधन और परिवहन) करना सुलभ है।
  • स्वीट क्रूड भी अत्यधिक कुशल है और इसकी शोधन प्रक्रिया में न्यूनतम अवशेष छोड़ता है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (PYQ 2018) (स्तर – मध्यम)

एक संकल्पना के रूप में मानव पूंजी निर्माण की बेहतर व्याख्या उस प्रक्रिया के रूप में की जाती है जिसके द्वारा

  1. किसी देश के व्यक्ति अधिक पूंजी का संचय कर पाते हैं।
  2. देश के लोगों के ज्ञान, कौशल स्तरों और क्षमताओं में वृद्धि हो पाती हैं।
  3. गोचर धन का संचय हो पाता हैं।
  4. अगोचर धन का संचय हो पाता हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) 1 और 2

(b) केवल 2

(c) 2 और 4

(d) 1, 3 और 4

उत्तर: c

व्याख्या:

एक संकल्पना के रूप में मानव पूंजी निर्माण की बेहतर व्याख्या उस प्रक्रिया के रूप में की जाती है जिसके द्वारा-

  • जो देश के लोगों के ज्ञान, कौशल स्तरों और क्षमताओं को बढ़ाने में सक्षम बनाता है जो ज्ञान और कौशल के साथ मानव संसाधनों को सशक्त बना रहा है।
  • मानव पूंजी निर्माण अमूर्त संपत्ति के संचय को सक्षम बनाता है।
  • किसी राष्ट्र की अमूर्त संपदा से तात्पर्य किसी राष्ट्र की कुशल जनसंख्या, मानव संसाधन आधार, संस्कृति और कला से है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत में वैकल्पिक विवाद समाधान की आवश्यकता की व्याख्या कीजिए। भारत को मध्यस्थता के लिए एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनाने के लिए क्या उपाय किए जाने की आवश्यकता है? (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-2, राजव्यवस्था]

प्रश्न 2. संसदीय समितियों की भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-2, राजव्यवस्था]