A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण एवं आपदा प्रबंधन:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: आंतरिक सुरक्षा:
भारतीय राजव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
एक साथ चुनाव आयोजित कराने का अनुपयुक्त विचार त्याग देना चाहिए:
राजव्यवस्था:
विषय: भारतीय संविधान, संघ और राज्यों के कार्य और जिम्मेदारियाँ, संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ।
मुख्य परीक्षा: चुनाव सुधार एवं उनके प्रभाव।
प्रसंग:
- इस लेख में भारत में राष्ट्रीय और राज्य चुनाव एक साथ कराने के विचार को लेकर चल रही बहस पर चर्चा की गई है, जिसे आम तौर पर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के नाम से जाना जाता है। यह इस प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष दोनों में तर्कों पर प्रकाश डालता है, साथ ही इससे उत्पन्न तार्किक, संवैधानिक और लोकतांत्रिक चुनौतियों पर भी प्रकाश डालता है।
विवरण:
- हाल ही में राष्ट्रीय और राज्य चुनाव एक साथ कराने की संभावना पर चर्चा हुई हैं।
- इस विचार के कार्यान्वयन और संवैधानिक परिवर्तनों का पता लगाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया हैं।
- ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के पक्ष में प्राथमिक तर्क: लागत में कमी और “स्थायी चुनावी अभियान मोड” को समाप्त करना।
एक साथ चुनाव के समर्थक:
- इस विचार के समर्थक लागत में कमी और चुनाव प्रचार खर्च में कमी आने के पक्ष में तर्क प्रस्तुत करते हैं।
- राजनेताओं के लिए पांच साल की अवधि के दौरान शासन और रचनात्मक विपक्ष पर ध्यान केंद्रित करने की संभावना।
आलोचकों का दृष्टिकोण:
- एक साथ चुनावों से वास्तविक वित्तीय बचत न्यूनतम है।
- सुझाव है कि राज्य चुनावों में मुख्य रूप से राज्य पार्टी इकाइयों को शामिल किया जाना चाहिए, तथा राष्ट्रीय राजनेताओं को शासन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए छोड़ देना चाहिए।
- भारतीय चुनाव अभियानों की केंद्रीकृत और अध्यक्षीय प्रकृति इस सुझाव को चुनौती देती है।
तार्किक चुनौतियाँ:
- 1.4 अरब से अधिक लोगों के देश में एक साथ चुनाव संपन्न कराना।
- यहां तक कि भारत की विशालता के कारण राज्य चुनावों के लिए भी कई चरणों की आवश्यकता होती है।
संसदीय लोकतंत्र के साथ असंगति:
- आजादी के समय केंद्र और राज्य के चुनाव एक साथ होते थे लेकिन बाद में अलग अलग समय पर होने लगे।
- संसदीय लोकतंत्र का सार: सरकार को सदन के विश्वास का आनंद लेना चाहिए, जिसके लिए अलग-अलग समय पर चुनाव की आवश्यकता होती है।
- इस मुद्दे के समाधान के लिए प्रस्ताव: नई विधानसभाओं के लिए राष्ट्रपति शासन या कार्यकाल सीमा।
जोखिम एवं प्रतिकूल प्रोत्साहन:
- खरीद-फरोख्त के कारण सरकार गिरने से बचने की संभावना।
- एक साथ चुनाव राजनेताओं को हर कीमत पर सत्ता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, जिससे लोकतांत्रिक सिद्धांत कमजोर हो सकते हैं।
- बार-बार चुनाव होने की संभावना, जिससे शासन व्यवस्था बाधित होगी।
संघवाद और लोकतंत्र संबंधी चिंताएँ:
- एक साथ चुनाव से राज्य-स्तरीय और राष्ट्रीय-स्तर के मुद्दे धुंधले होने का खतरा है।
- भारत में संघीय ढाँचा शक्ति संकेन्द्रण के विरुद्ध जाँच का कार्य करता है।
- सत्ता का संकेंद्रण संघवाद (federalism) के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
- एक ऐसी प्रणाली में सार्वजनिक भागीदारी और बहस के लिए कम गुंजाइश जहां चुनाव भागीदारी का प्राथमिक रूप है।
निष्कर्ष:
- एक साथ चुनाव के प्रशासनिक लाभों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है।
- यह अवधारणा महत्वपूर्ण कार्यान्वयन और वैचारिक लागत वहन करती है।
- यह विचार संविधान के संघीय और लोकतांत्रिक संरचना के लिए जोखिम हैं।
- इन बाध्यकारी कारणों से इस विचार को आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
जलवायु घटनाएँ और खाद्य सुरक्षा:
पर्यावरण एवं आपदा प्रबंधन:
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन। आपदा प्रबंधन।
प्रारंभिक परीक्षा: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सम्बन्धित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: वर्षा के बदलते स्वरूप और उनके पर्यावरणीय प्रभाव, आपदा भेद्यता और बेहतर पूर्वानुमान और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की आवश्यकता।
प्रसंग:
- इस लेख में विघटनकारी मौसम पैटर्न और जलवायु घटनाओं के प्रति भारत की संवेदनशीलता पर चर्चा की गई है, जिसमें कृषि, खाद्य सुरक्षा और जल संसाधनों पर उनके प्रभाव पर जोर दिया गया है।
विवरण:
- भारत जटिल मौसम और जलवायु घटनाओं का अनुभव कर रहा है, जिससे इसकी वर्षा प्रणाली प्रभावित होती है।
- लंबे समय तक पश्चिमी विक्षोभ और अल नीनो (El Niño) चरण की तीव्रता जैसी हालिया घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है।
बुनियादी ढांचे और जीवन पर प्रभाव:
- विस्तारित पश्चिमी विक्षोभ के कारण पश्चिमी हिमालय और उत्तरी भारत में भूस्खलन और बाढ़ आई।
- प्रभावित क्षेत्र 2,124 से 7,362 वर्ग किमी तक फैला है, जिसकी आबादी संभावित रूप से 25 लाख से अधिक है।
अल नीनो एवं उसके परिणाम:
- अल नीनो, प्रशांत महासागर में जलवायु से जुड़ी वार्मिंग, पश्चिमी विक्षोभ से सर्दियों में होने वाली की वर्षा को कमजोर कर सकती है और इसे तीव्र बारिश की घटनाओं में बदल सकती है।
- देर से बारिश और गर्म तापमान सहित भारतीय कृषि पर इसके प्रतिकूल प्रभाव बहुत बड़े चिंता के विषय हैं।
हरित जल और खाद्य सुरक्षा:
- भारतीय कृषि हरे और नीले पानी दोनों पर निर्भर करती है।
- वर्षा आधारित मिट्टी की नमी से हरा पानी, विशेष रूप से वर्षा आधारित फसलों और मुख्य खाद्य पदार्थों के लिए महत्वपूर्ण है।
- खाद्य उत्पादन, आहार संबंधी आवश्यकताएं और खाद्य सुरक्षा का हरे पानी से गहरा संबंध है।
अल नीनो का कृषि पर प्रभाव:
- अल नीनो घटनाएँ भारतीय कृषि को बाधित कर सकती हैं, जिससे सोयाबीन जैसी फसल उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
- भारत में हालिया गर्म और शुष्क मौसम अल नीनो के प्रभावों के बारे में चिंता पैदा करता है।
पूर्वोत्तर मानसून और रबी फसलें:
- दक्षिण-पश्चिम मानसून के बाद जलाशयों और भूजल की स्थिति शीतकालीन फसलों (रबी फसलों) के लिए पानी की उपलब्धता निर्धारित करती है।
- पूर्वोत्तर मानसून और पश्चिमी विक्षोभ जल उपलब्धता में योगदान करते हैं।
मध्य भारत की संवेदनशीलता:
- जल, भोजन और पारिस्थितिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मध्य भारत के उच्चभूमि क्षेत्र, महत्वपूर्ण जल तनाव का सामना करते हैं।
- जल संकट शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को प्रभावित करता है, जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं।
वर्षा पैटर्न में बदलाव:
- 1950 के दशक से मॉनसूनी वर्षा में गिरावट आ रही है, जिससे अधिक तीव्र बारिश की घटनाओं और गर्मी के तनाव के संकेत मिल रहे हैं।
- जलविज्ञान की दृष्टि से असंगत भूमि उपयोग और बुनियादी ढांचा आपदा की संवेदनशीलता को और खराब कर देता है।
अनिश्चितता और भविष्य के अनुमान:
- जलवायु मॉडल में वर्षा के रुझानों का अनुकरण करने की सीमाएँ हैं, जिससे अनिश्चितता पैदा होती है।
- अधिक बार होने वाली तीव्र बारिश की घटनाओं और गर्मी के तनाव को अपनाना आवश्यक है।
अनुकूलन रणनीतियाँ:
- जल-गहन फसलों पर निर्भरता कम करने और बाजरा जैसी फसलों को बढ़ावा देने से खाद्य प्रणाली के लचीलेपन को बढ़ाया जा सकता है।
- कम बढ़ने वाले चक्रों के साथ वैकल्पिक फसल किस्मों में स्थानांतरित होने से इसके जोखिम कम हो सकते हैं।
- आपदा की रोकथाम के लिए बेहतर पूर्वानुमान, पूर्व चेतावनी प्रणाली और बांध प्रबंधन महत्वपूर्ण हैं।
समाज और शासन प्रतिक्रिया:
- कृषि-खाद्य प्रणालियों में विविधता लाना, टिकाऊ जल-बंटवारा और नदी पुनर्जीवन आवश्यक है।
- प्रभावी शासन और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ भारत की जनसंख्या की भलाई का निर्धारण करेंगी।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
एक और सीमा बिंदु को उजागर करते हुए, ‘विश्वासघाती चैनल’:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
आंतरिक सुरक्षा:
विषय: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां और उनका प्रबंधन-संगठित अपराध का आतंकवाद के साथ संबंध।
प्रारंभिक परीक्षा: हरामी नाला, सीमा सुरक्षा बल (BSF) सर क्रीक क्षेत्र, द मूरिंग प्लेस परियोजना, चिडिया मोड-बारबेट लिंक रोड।
मुख्य परीक्षा: सीमावर्ती क्षेत्रों के प्रबंधन में BSF की भूमिका, सर क्रीक क्षेत्र से आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा।
प्रसंग:
- केंद्रीय गृह मंत्री ने भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ गुजरात के कच्छ के सर क्रीक क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के “हरामी नाला” और सीमा अवलोकन चौकियों (BOP) का दौरा किया हैं।
- हरामी नाला अपनी दुर्गम परिस्थितियों के लिए जाना जाता है और यह घुसपैठियों द्वारा सीमा पार उत्पात और शोषण का केंद्र रहा है।
हरामी नाला (Harami Nala):
- हरामी नाला लगभग 25 किलोमीटर लंबा एक प्राकृतिक जल निकाय है जो पाकिस्तान से पश्चिम से पूर्व की ओर विघाकोट सेक्टर के दक्षिण में कच्छ में बहता है।
- चैनल विशाल दलदली कीचड़ से घिरा हुआ है जो निम्न और उच्च ज्वार से प्रभावित होता है।
- चैनल का लगभग 22 किलोमीटर का हिस्सा भारत और पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा की “ऊर्ध्वाधर रेखा” के भारतीय हिस्से में स्थित है, जिस पर कोई विवाद नहीं है।
- ज्वारीय जल पाकिस्तान की ओर से बढ़ता है और भारत की ओर आगे बढ़ता है। यह मछली पकड़ने में बेहद समृद्ध है, विशेषकर झींगा मछली पकड़ने में।
- गर्मियों में तापमान 50° सेल्सियस से ऊपर पहुँच जाता है।
- पाकिस्तान की ओर चीनी-बांध (चाइना बंड) ज्वारीय जल को जलमग्न क्षेत्रों से रोकता है।
- पाकिस्तानी मछली पकड़ने वाली नावें बेहतर मछली पकड़ने की संभावनाओं से आकर्षित होकर भारत की ओर हरामी नाला में प्रवेश करने की कोशिश करती हैं।
- दलदली इलाके के कारण कम ज्वार के दौरान भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए वहां पहुंचना या पैदल गश्त करना असंभव हो जाता है।
- नमक, ब्रोमाइड और अन्य रसायनों का उत्पादन करने वाले कारखानों को छोड़कर हरामी नाले के पूरे विस्तार में भारतीय पक्ष ज्यादातर खाली है।
क्षेत्र में बेहतर निगरानी हेतु किये जा रहे प्रयास:
- मूरिंग प्लेस परियोजना का आवंटित बजट ₹257 करोड़ है और यह फ्लोटिंग बीओपी सहित बड़े जहाजों की बर्थिंग, मरम्मत और रखरखाव की अनुमति देगा, जिससे क्रीक क्षेत्र में बीएसएफ की क्षमताओं में वृद्धि होगी। कच्छ में इसकी आधारशिला रखी गई।
- हरामी नाला क्षेत्र में नवनिर्मित चिड़िया मोड़-बारबेट लिंक रोड और ऑब्जर्वेशन पोस्ट (OP) टॉवर का उद्घाटन।
- ऑब्जर्वेशन पोस्ट टावर पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) की “ऊर्ध्वाधर रेखा” के साथ अत्याधुनिक उच्च रिज़ॉल्यूशन पैन-टिल्ट-जूम कैमरों से सुसज्जित है, जो हरामी नाला से सटे क्षेत्रों पर वास्तविक समय दृश्य निगरानी और निरंतर सतर्कता प्रदान करता है।
- ये पहल प्रधानमंत्री के “सुरक्षित सीमा” के दृष्टिकोण का हिस्सा हैं।
- बुनियादी ढांचे की कमी के कारण भारतीय पक्ष में हरामी नाले के प्रवेश बिंदु तक पहुंचना पहले मुश्किल था, लेकिन चैनल के किनारे ऑल-टेरेन वाहनों (ATV) और विशेष मचान की खरीद ने स्थिति में सुधार किया है, जिससे बीएसएफ कर्मियों को चैनल में छोटी गश्ती नौकाओं को अधिक आसानी से लॉन्च करने की अनुमति मिली है।
- अंतर्राष्ट्रीय सीमा की “ऊर्ध्वाधर रेखा” के साथ तटबंधों और सड़क बुनियादी ढांचे ने नए अवलोकन चौकियों को स्थापित करने में सक्षम बनाया है, जिससे घुसपैठ के प्रयासों की बेहतर निगरानी और नियंत्रण संभव हो सका है।
निष्कर्ष:
- बीएसएफ को आतंकवादियों और अपराधियों द्वारा सीमा पार हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे ड्रोन और मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) के रूप में नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। गृह मंत्री की यात्रा से बीएसएफ कर्मियों का मनोबल बढ़ेगा और सीमा को सुरक्षित करने के उनके प्रयासों में उनका समर्थन करने की सरकार की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होगी।
सारांश:
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भारतीय न्याय संहिता पर पुनर्विचार की आवश्यकता है:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारतीय राजव्यवस्था:
विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय न्याय संहिता, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), धारा 124 ए आईपीसी।
मुख्य परीक्षा: भारतीय न्याय संहिता, 2023 विधेयक के निहितार्थ, आपराधिक न्याय सुधार।
प्रसंग:
- प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता, 2023 विधेयक का उद्देश्य भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार करना है।
- हालाँकि, ऐसे कई क्षेत्र हैं जहाँ विभिन्न अपराधों से निपटने में स्थिरता, स्पष्टता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए आगे की चर्चा आवश्यक है।
प्रावधानों का आलोचनात्मक विश्लेषण:
- राजद्रोह:
- इस विधेयक में राजद्रोह (आईपीसी की धारा 124ए) को “भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य” नामक एक नए अपराध से बदलने का प्रस्ताव रखा गया है।
- हालांकि यह परिवर्तन सकारात्मक प्रतीत हो सकता है, अधिकारियों द्वारा संभावित गलत व्याख्या और दुरुपयोग से बचने के लिए “विध्वंसक गतिविधियों” की परिभाषा स्पष्ट रूप से बताई जानी चाहिए।
- आतंकवाद के कृत्य:
- संहिता में “आतंकवादी कृत्य” की परिभाषा को 1967 के गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) से लिया गया है, लेकिन ‘देश की राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक संरचना को नष्ट करना’ जैसे वाक्यांश अस्पष्ट हैं।
- कुछ मामलों में यू. ए. पी. ए. के साथ असंगतता के कारण मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, यू. ए. पी. ए. की पहली अनुसूची में जहां आतंकवादी संगठनों को अधिसूचित किया गया है, वहीं संहिता में ‘आतंकवादी संगठन’ की भी एक विशिष्ट परिभाषा दी गई है।
- संगठित अपराध:
- संहिता में “संगठित अपराध” नामक एक नया अपराध पेश किया गया है।
- हालाँकि, कुछ प्रावधानों में सुधार की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, “साइबर-अपराधों के गंभीर परिणाम” शब्द में विशिष्टता का अभाव है, और “संगठित अपराध सिंडिकेट” का गठन क्या होता है यह निर्धारित करने के मानदंड स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं हैं।
- अन्य विसंगतियों में छोटे संगठित अपराध को गैर-संज्ञेय अपराध के रूप में वर्गीकृत करना शामिल है।
- सामुदायिक सेवा: छोटे अपराधों के लिए सजा के रूप में सामुदायिक सेवा को शामिल करना एक स्वागत योग्य कदम है।
भावी कदम:
- संसदीय स्थायी समिति की भूमिका: यह सुनिश्चित करने के लिए कि संहिता अपने इच्छित उद्देश्यों को पूरा करे और ऊपर उल्लिखित चिंताओं को दूर करे, संसदीय स्थायी समिति को विधेयक की गहन समीक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्हें सुधार के लिए फीडबैक और सुझाव इकट्ठा करने के लिए विशेषज्ञों, नागरिक समाज संगठनों और अन्य संबंधित हितधारकों के साथ जुड़ना चाहिए।
- सार्वजनिक परामर्श: विधेयक को अंतिम रूप देने से पहले, सरकार को नागरिकों को अपने विचार और राय देने की अनुमति देने के लिए सार्वजनिक परामर्श आयोजित करना चाहिए। इस अभ्यास से विधायी प्रक्रिया में पारदर्शिता, जवाबदेही और स्वामित्व बढ़ेगा।
- अन्य कानूनों के साथ सामंजस्य: संघर्षों को रोकने और निर्बाध कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए यूएपीए जैसे अन्य कानूनों के साथ संहिता का सामंजस्य बनाना आवश्यक है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. केंद्र आज शुरू करेगा आयुष्मान भव: स्वास्थ्य योजना:
- आयुष्मान भव: अभियान का उद्घाटन वस्तुतः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रपति भवन में किया जाएगा।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य भारत के सभी गांवों और कस्बों तक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के नेतृत्व में यह अभियान सार्वभौमिक कवरेज के साथ एक सर्वव्यापी राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य सेवा पहल बनाने का प्रयास करता है।
- इस अभियान का एक महत्वपूर्ण घटक आयुष्मान आपके द्वार 3.0 कार्यक्रम का शुभारंभ है।
- यह कार्यक्रम उन पात्र लाभार्थियों को स्वतंत्र रूप से अपने स्वास्थ्य कार्ड डाउनलोड करने में सक्षम करेगा जो पीएम-जेएवाई योजना (PM-JAY scheme) के तहत नामांकित हैं।
- यह पहल पूरे देश में स्वास्थ्य देखभाल पहुंच और कवरेज में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करती है।
2. नागालैंड विधानसभा ने यूसीसी के दायरे से छूट मांगी:
- नागालैंड विधानसभा ने 12 सितंबर 2023 को मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के नेतृत्व में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें राज्य को प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code (UCC)) से पूरी तरह छूट देने की मांग की गई हैं।
- नागालैंड सरकार और नागा लोगों का मानना है कि यूसीसी उनके प्रथागत कानूनों, सामाजिक प्रथाओं और धार्मिक परंपराओं को खतरे में डाल सकता है, जिससे संभावित रूप से अतिक्रमण हो सकता है।
- यू. सी. सी. का उद्देश्य विवाह, तलाक, अभिरक्षा, गोद लेने, भरण-पोषण, उत्तराधिकार और विरासत जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाला एक एकल कानून स्थापित करना है, जैसा कि मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने समझाया बताया है।
- 4 जुलाई को, राज्य सरकार ने नागालैंड के अनूठे ऐतिहासिक संदर्भ, स्वतंत्रता से पहले की गैर-हस्तक्षेप नीति और अनुच्छेद 371ए के तहत संवैधानिक गारंटी का हवाला देते हुए 22वें विधि आयोग को अपनी आपत्तियां प्रस्तुत कीं हैं।
- राज्य सरकार द्वारा आयोजित बैठकों के दौरान, विभिन्न आदिवासी संगठनों और नागरिक समाजों ने यूसीसी प्रस्ताव पर नाराजगी और आपत्ति व्यक्त की हैं।
- फरवरी 2020 में भारत सरकार द्वारा स्थापित और 31 अगस्त, 2024 तक विस्तारित 22वें विधि आयोग ने पूरे भारत में यूसीसी के कार्यान्वयन के संबंध में हितधारकों से इनपुट एकत्र करने के लिए 14 जून, 2023 को एक सार्वजनिक सूचना जारी की थी।
- नागालैंड के विधायकों ने राज्य में यूसीसी के प्रभावों पर विचार-विमर्श किया और विधानसभा अध्यक्ष शेरिंगेन लोंगकुमेर ने प्रस्ताव की अनुमति दी।
- इसे बिना किसी संशोधन के सर्वसम्मति से ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. नागालैंड के लिए अनुच्छेद 371-ए के प्रावधानों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. नागालैंड में कानून एवं व्यवस्था पर राज्यपाल के पास पूर्ण शक्ति है।
2. राज्य विधान सभा किसी भी उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार के धन को खर्च कर सकती है, भले ही धन किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए प्रदान किया गया हो।
3. नागा प्रथागत कानून से संबंधित मामले राज्य विधान सभा के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 और 2 गलत हैं; राज्यपाल को कार्रवाई करने से पहले मंत्रिपरिषद से परामर्श करना पड़ता है। केंद्र सरकार के फंड को विशिष्ट उद्देश्यों के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग में नहीं लिया जा सकता है।
प्रश्न 2. आयुष्मान भव: अभियान के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
(a) यह एक व्यापक राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य सेवा पहल है।
(b) इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं की सम्पूर्ण कवरेज प्रदान करना है।
(c) इसे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
(d) इसका उद्देश्य केवल शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना है।
उत्तर: d
व्याख्या:
- इसका उद्देश्य हर गांव और शहर तक स्वास्थ्य सेवाओं के कवरेज को पूरा करने के लिए एक व्यापक राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य सेवा पहल प्रदान करना है।
प्रश्न 3. अल नीनो की घटना भारत में वर्षा आधारित कृषि को किस प्रकार प्रभावित करती है?
(a) यह बारिश की शुरुआत को तेज करता है, जिससे फसल की पैदावार में सुधार होता है।
(b) वर्षा आधारित कृषि पर इसका कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ता है।
(c) इससे बारिश शुरू होने में देरी होती है और बुआई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
(d) इससे अत्यधिक वर्षा होती है, जिससे कृषि क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है।
उत्तर: c
व्याख्या:
- अल नीनो घटना बारिश की शुरुआत में देरी करके और बुआई को प्रभावित करके वर्षा आधारित कृषि को प्रभावित करती है, इसके अलावा गर्म तापमान पौधों की वृद्धि और मिट्टी की नमी को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
प्रश्न 4. भारत में एक साथ चुनाव के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. एक साथ चुनाव का लक्ष्य लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ संपन्न कराना है।
2. वर्तमान चुनाव चक्र को बदलने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी।
3. एक साथ चुनाव का प्रमुख उद्देश्य चुनावों के कारण शासन व्यवस्था में बार-बार होने वाले व्यवधान को कम करना है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
- तीनों कथन सही हैं।
प्रश्न 5. श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ (2015) के मामले में, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए को असंवैधानिक घोषित करने का सर्वोच्च न्यायालय का प्राथमिक कारण क्या था?
(a) इसने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन किया।
(b) इसने कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकार को कमजोर कर दिया।
(c) इसने अत्यधिक व्यापक और अस्पष्ट होने के कारण अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन किया है।
(d) यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
उत्तर: c
व्याख्या:
- सुप्रीम कोर्ट ने धारा 66ए को मुख्य रूप से असंवैधानिक ठहराया क्योंकि यह अत्यधिक व्यापक और अस्पष्ट होने के कारण अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन करती है, जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारतीय दंड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता की आवश्यकता का मूल्यांकन कीजिए। (Evaluate the need to have the Bhartiya Nyaya Samhita in place of the Indian Penal Code. ) (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस: II- राजव्यवस्था]
प्रश्न 2. भारत में खाद्य असुरक्षा की समस्या जितनी अर्थशास्त्र से संबंधित है उतनी ही जलवायु से भी जुडी हुई हैं। क्या आप इससे सहमत हैं? विस्तार से बताइए। (The problem of food insecurity in India is as much related to economics as it is to climate. Do you agree? Elaborate.) (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस: III- पर्यावरण और आपदा प्रबंधन]
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)