14 अप्रैल 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: भारतीय समाज:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता के नियम:
राजव्यवस्था:
विषय: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय और राज्य दलों से सम्बंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: “राष्ट्रीय या राज्य” पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु मानदंड और इस स्थिति के लाभ।
प्रसंग:
- हाल ही में 10 अप्रैल, 2023 को आम आदमी पार्टी (AAP) को भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया हैं।
- हालांकि, तृणमूल कांग्रेस (TMC), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) जैसी अन्य पार्टियों ने अपनी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया है।
- इसके साथ ही भारतीय चुनाव आयोग ( Election Commission of India (ECI)) ने कुछ राजनितिक दलों की राज्य दलों के रूप में मान्यता को भी रद्द कर दिया हैं।
राष्ट्रीय पार्टी क्या होती है?
- एक राष्ट्रीय दल ऐसे राजनीतिक दल को संदर्भित करता है जिसकी “राष्ट्रीय स्तर पर” उपस्थिति होती है, जबकि क्षेत्रीय दलों की उपस्थिति एक विशेष राज्य या क्षेत्र तक सीमित होती है।
- राष्ट्रीय दल आमतौर पर भारत की बड़ी पार्टियाँ हैं, जैसे कि कांग्रेस और भाजपा तथा एक राष्ट्रीय दल होने के नाते इनका कद (स्तर) काफी बड़ा होता है।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 ( Representation of People Act 1951) के अनुसार, पंजीकृत राजनीतिक दलों को नियत समय में “राज्य” या “राष्ट्रीय” दलों के रूप में मान्यता मिल सकती है।
- वर्तमान में देश में भाजपा, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (BSP), सीपीआई (M), नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) और आप सहित “राष्ट्रीय पार्टी” का दर्जा रखने वाली छह राष्ट्रीय पार्टियां हैं।
- भारतीय चुनाव आयोग (ECI) “राष्ट्रीय पार्टी” ता “राज्य पार्टी” का दर्जा देने के लिए प्रत्येक राज्य विधानसभा चुनाव और लोकसभा के आम चुनाव के बाद मान्यता प्राप्त दलों के प्रदर्शन की समीक्षा करता है।
- एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता के नियम भारतीय चुनाव आयोग द्वारा चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के पैरा 6बी में निर्दिष्ट किए गए हैं।
इसके आदेश के अनुसार, एक पंजीकृत पार्टी राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त करने की पात्र होगी यदि वह निम्नलिखित कार्य करती है:
- पार्टी को चार या अधिक राज्यों में “स्टेट पार्टी” के रूप में मान्यता प्राप्त हो; या
- पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनावों में किन्हीं चार राज्यों में डाले गए कुल मतों का कम से कम 6% प्राप्त करना, और इसके अलावा, इसके कम से कम चार सदस्य लोकसभा के लिए चुने गए हों; या
- पार्टी कम से कम तीन राज्यों से लोकसभा में कम से कम 2% सीटें जीतती हो।
- 1968 के आदेश को वर्ष 2016 में पार्टियों को एक अतिरिक्त “पास ओवर” (Pass over) देने के लिए संशोधित किया गया था।
- यह संशोधन, जो 1 जनवरी, 2014 से लागू हुआ है, के अनुसार यदि कोई राष्ट्रीय या राज्य पार्टी अगले आम चुनाव (अर्थात् 2014 लोकसभा चुनाव) या विधानसभा चुनाव में उस चुनाव के बाद पात्रता नियमों को पूरा करने में विफल रहती है जिसमें इसे मान्यता दी गई थी, तो पार्टी को राष्ट्रीय या राज्य पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त रहेगी यानी इससे उसका दर्जा नहीं छीना जाएगा।
- हालांकि, किसी भी बाद के चुनाव के बाद दलों की मान्यता जारी रहेगी या नहीं, इसकी पात्रता मानदंड भारतीय चुनाव आयोग द्वारा पुनः निर्धारित किया जाएगा।
- इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमारे YouTube चैनल पर निम्न वीडियो देखें: The Big News: Election Commission Criterion For National Party
निम्न मानदंडों के तहत किसी राजनितिक दाल को एक “राज्य पार्टी” के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए:
- एक पार्टी को डाले गए वैध वोटों का कम से कम 6% और विधानसभा चुनावों में दो सीटें या लोकसभा चुनावों में एक सीट हासिल करनी होती है; या
- आम चुनाव या विधान सभा चुनाव में, पार्टी को राज्य की विधान सभा में कम से कम 3% सीटें जीतनी चाहिए (न्यूनतम 3 सीट); या
- लोकसभा आम चुनावों में, पार्टी को राज्य के लिए आवंटित प्रत्येक 25 लोकसभा सीटों के लिए कम से कम एक लोकसभा सीट जीतनी चाहिए; या
- लोकसभा या विधान सभा के आम चुनाव में, पार्टी को डाले गए कुल वैध वोटों का कम से कम 8% प्राप्त होना चाहिए।
राष्ट्रीय और राज्यीय दलों के रूप में मान्यता के लाभ:
- आरक्षित राजनीतिक प्रतीक: ऐसी पार्टियां पूरे भारत या संबंधित राज्यों में अपने उम्मीदवारों को अपने आरक्षित प्रतीक के अनन्य आवंटन की हकदार हैं।
- राष्ट्रीय उपस्थिति: एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी देश भर में चुनाव लड़ सकती है जो इसके प्रभाव को बढ़ाने में मदद करती है।
- अतिरिक्त अनुलाभ और विशेषाधिकार: एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल राज्य द्वारा संचालित टेलीविजन और रेडियो जैसे दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो (AIR) पर मुफ्त प्रसारण समय जैसे विशेषाधिकारों का लाभ उठा सकता है।
- उदार प्रस्तावक और मतदाता सूची की शर्तें: मान्यता प्राप्त राज्य और राष्ट्रीय दलों को नामांकन दाखिल करने के लिए केवल एक प्रस्तावक की आवश्यकता होती है और वे नामावलियों के पुनरीक्षण के समय निर्वाचक नामावली के दो सेट निःशुल्क प्राप्त करने के भी हकदार होते हैं।
- ऐसी पार्टियां चुनावी नियमों और विनियमों को स्थापित करने पर भी अपना सुझाव भी दे सकती हैं।
- अधिक “स्टार प्रचारक”: एक राष्ट्रीय या राज्य पार्टी में अधिकतम 40 “स्टार प्रचारक” ( star campaigners ) हो सकते हैं, जबकि एक गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत पार्टी अधिकतम 20 “स्टार प्रचारक” को नामांकित कर सकती है।
- स्टार प्रचारकों का खर्च चुनाव अभियान के आयोजन की पार्टी की कुल लागत में शामिल नहीं है।
- सरकारी भूमि का अनुदान: एक राष्ट्रीय दल को अपना मुख्यालय बनाने के लिए सरकार से भूमि प्राप्त होगी।
- भारत में राजनीतिक दल से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Political Parties in India
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
दलित एक सामाजिक और राजनीतिक शक्ति के रूप में:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित
भारतीय समाज:
विषय: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं।
मुख्य परीक्षा: सामाजिक न्याय के लिए डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का दृष्टिकोण।
संदर्भ:
- अम्बेडकर की जयंती 14 अप्रैल को दुनिया भर में मनाई जाती है।
भूमिका:
- दलित भारत में ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़ित और हाशिए पर रहने वाला समुदाय है। वे जाति व्यवस्था के सबसे निचले पायदान से संबंधित हैं तथा उन्होंने सदियों से भेदभाव और बहिष्कार का सामना किया है।
- हालाँकि, हाल के वर्षों में, दलित भारत में एक महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरे हैं, जो समान अधिकारों और अवसरों की मांग कर रहे हैं और यथास्थिति को चुनौती दे रहे हैं, जो मुख्य रूप से आधुनिक उदार विचारों, पूंजीवादी विकास और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के कारण संभव हो पा रहा है।
- हालाँकि, दलितों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले नेता डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ( Dr B.R. Ambedkar), जो कि दलितों को एक स्वतंत्र धार्मिक समुदाय या लोकतांत्रिक लड़ाइयों में हावी राजनीतिक ताकत के रूप में उभारने के प्रति संकल्पित थे, के दृष्टिकोण को अभी तक महसूस नहीं किया गया है।
- वर्तमान समय में नवउदारवादी आर्थिक नीतियों को अपनाने से ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों की मुक्ति के लिए बने सामाजिक न्याय सुरक्षा उपाय कमजोर हो गए हैं।
सामाजिक न्याय के लिए अम्बेडकर का दृष्टिकोण:
- सामाजिक न्याय के लिए अम्बेडकर का दृष्टिकोण दलितों को एक स्वतंत्र धार्मिक समुदाय के रूप में ऊपर उठाना और लोकतांत्रिक लड़ाइयों में प्रमुख राजनीतिक शक्ति के रूप में उनकी स्थिति में सुधार करना था।
- अम्बेडकर ने स्वीकार किया कि औपनिवेशिक शासन के तहत, आधुनिक संस्थान कई हाशिए पर पड़े सामाजिक समूहों के लिए सुलभ हो गए थे, जिससे वे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने में सक्षम हो गए थे।
- अम्बेडकर का मानना था कि नौकरी में आरक्षण या विधायी निकायों में दलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने से राजनीतिक सत्ता का पर्याप्त लोकतंत्रीकरण होगा और दलितों को आधुनिक संस्थानों में प्रभावशाली हितधारक बनने में सक्षम बनाया जा सकेगा।
- उन्होंने गैर-राजनीतिक सार्वजनिक स्थानों जैसे शैक्षणिक संस्थानों, मीडिया, संस्कृति और कला उद्योगों को भी लोकतांत्रित करने की कल्पना की, जिससे दलितों को हकदार नागरिकों के रूप में एक प्रभावी भूमिका निभाने की अनुमति मिली।
- उन्होंने आधुनिकता की वकालत न केवल अछूतों को एक विशेष श्रेणी के रूप में स्थायी राज्य सहायता पर निर्भर बनाने के लिए की, बल्कि एक ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए की जहां सभी व्यक्ति स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ सकें।
- अम्बेडकर ने दलितों को ऐतिहासिक रूप से वंचित समूहों के स्वाभाविक नेता के रूप में देखा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि राज्य एक संवेदनशील सार्वजनिक संस्कृति विकसित करने के लिए प्रभावी उपाय करेगा और जाति या समुदाय आधारित भेदभाव करने वाले अपराधियों को दंडित करेगा।
- सामाजिक न्याय के लिए उनका दृष्टिकोण एक ऐसे समाज का निर्माण करना था जहां सभी जातियों और समुदायों के लोग बिना किसी भेदभाव या शोषण के सद्भाव से रह सकें।
दलित अधिकार:
- स्वतंत्रता के बाद, दलित अधिकार का उद्देश्य सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन लाना तथा दलितों के सामाजिक बहिष्कार और हाशिए पर जाने को समाप्त करना था।
- दलित अधिकार के प्रमुख प्रचालकों में से एक भारतीय संविधान था, जिसने दलितों और अन्य हाशिए के समुदायों के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सकारात्मक कार्रवाई और आरक्षित सीटें प्रदान कीं।
- आरक्षण की इस नीति ने सरकार, प्रशासन और अन्य क्षेत्रों में दलित प्रतिनिधित्व को बढ़ाने में मदद की, जिससे उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक दृश्यता और एक मजबूत आवाज मिली।
- दलित सक्रियता के उदय में योगदान देने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक दलित मध्यम वर्ग का विकास है।
- शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण ने कई दलितों को अपने पारंपरिक व्यवसायों से बाहर निकलने और नए क्षेत्रों में प्रवेश करने में सक्षम बनाया है। इससे उन्हें समाज और राजनीति में अधिक दृश्यता और प्रभाव मिला है।
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व के अलावा, दलित अधिकार ने सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलनों का भी रूप ले लिया, जिसमें प्रमुख जाति-आधारित मानदंडों और पदानुक्रमों को चुनौती देने तथा एक अधिक समावेशी और समान समाज बनाने की मांग की गई।
- इन आंदोलनों में भूमि सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और जाति-आधारित भेदभाव और हिंसा के उन्मूलन जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- हालाँकि, दलितों के भीतर के विभिन्न वर्गों ने सामाजिक न्याय आंदोलन के प्रति गंभीर लगाव नहीं दिखाया है और पारंपरिक सांस्कृतिक मूल्यों पर आधिपत्य बनाए हुए हैं, यहाँ तक कि राजनीतिक विकल्पों की ओर बढ़ने को दलित मुक्ति की राजनीति के प्रति विरोधात्मक माना गया।
- चुनावी लड़ाइयों में, उत्तर प्रदेश में एक सराहनीय मुख्यधारा की पार्टी के रूप में बहुजन समाज पार्टी (BSP) की समय-समय पर कमतर होती स्थिति को दलितों के लिए बढ़ते हाशियाकरण के तौर पर देखा गया है।
अम्बेडकर के बाद दलित सक्रियता:
- अम्बेडकर के बाद दलित सक्रियता ने कई रूप धारण किए हैं तथा विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारकों से प्रभावित हुए हैं।
- हालाँकि, दलित सक्रियता का व्यापक लक्ष्य वही रहा है: जाति-आधारित उत्पीड़न और भेदभाव के खिलाफ लड़ना तथा भारत में सभी दलितों के लिए समान अधिकारों और अवसरों को सुरक्षित करना।
- वर्ग और जाति पर आधारित पारंपरिक पदानुक्रम में बहुत कम सुधार देखा गया है, तथा जाति-आधारित हिंसा, उत्पीड़न और हमलों की बढ़ती घटनाओं ने दलितों को सामाजिक मुक्ति प्राप्त करने की संभावनाओं के बारे में निराश कर दिया है।
- इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालयों, न्यायपालिका, मीडिया और सांस्कृतिक उद्योगों जैसे आधुनिक संस्थानों में दलित प्रतिनिधित्व हाशिए पर मौजूद है।
- एक व्यापक दलित कार्यक्रम के निर्माण के लिए एक पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है जो वंचित और हाशिए पर रहने वाले समूहों को अधिक व्यापक मुक्ति प्रयास की ओर ले जाए।
सारांश:
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विनियमन:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विभिन्न क्षेत्रों में जागरूकता – आईटी और कंप्यूटर।
मुख्य परीक्षा: एआई के विकास और उपयोग के प्रति भारत का दृष्टिकोण।
संदर्भ:
- इस आलेख में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास से संबंधित भारत के दृष्टिकोण पर चर्चा की गई है।
भूमिका:
- भारत में नियामक प्रणाली अभी भी विकसित हो रही है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति के साथ पकड़ बना रही है।
- जहाँ भारत में मौजूदा कानून और नियम हैं जो डेटा सुरक्षा, निजता और बौद्धिक संपदा जैसे AI के पहलुओं को नियंत्रित करते हैं, वहीं ऐसा कोई विशिष्ट कानून या ढांचा नहीं है जो AI को व्यापक रूप से संबोधित करता हो।
AI संबंधित चिंताएं:
- भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है तथा सक्रिय रूप से विभिन्न उद्योगों में AI के उपयोग की खोज पर काम कर रहा है। हालांकि, भारत में AI के आर्थिक और निजता संबंधी प्रभावों को लेकर भी चिंताएं हैं।
- आर्थिक प्रभाव:
- AI कई नौकरियों को स्वचालित (ऑटोमेट) कर सकता है तथा विशेष रूप से विनिर्माण, खुदरा और ग्राहक सेवा जैसे उद्योगों में नौकरी के विस्थापन (displacement) की स्थिति को जन्म दे सकता है।
- AI को व्यापक रूप से अपनाने के लिए कार्यबल के एक महत्वपूर्ण कौशल उन्नयन की आवश्यकता हो सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे AI-सक्षम प्रणाली और प्रौद्योगिकियों के साथ काम करने के लिए सुसज्जित हों।
- AI को अपनाने से मौजूदा आर्थिक असमानताएं बढ़ सकती हैं, जहाँ समाज के कुछ वर्ग दूसरों की तुलना में अधिक लाभान्वित होंगे।
- निजता निहितार्थ:
- AI के उपयोग के लिए बड़ी मात्रा में डेटा तक पहुंच की आवश्यकता होती है, तथा इस डेटा को कैसे एकत्र, संग्रहीत और उपयोग किया जाता है, इसको लेकर चिंताएं हैं।
- निगरानी उद्देश्यों के लिए AI का उपयोग, जैसे चेहरे की पहचान तकनीक, निजता के उल्लंघन को लेकर चिंता पैदा करती है।
- AI एल्गोरिदम पक्षपाती हो सकते हैं, जिससे लोगों के कुछ समूहों के खिलाफ भेदभाव हो सकता है। इससे निजता और मानवाधिकारों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
भारत बनाम चीन:
- भारत और चीन ने AI के विकास और उपयोग के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाए हैं। जहाँ AI के सत्तावादी उपयोग के लिए चीन की आलोचना की गई है, जिसमें अपने नागरिकों की निगरानी के लिए चेहरे की पहचान और अन्य निगरानी तकनीकों का उपयोग शामिल है, वहीं भारत ने AI के विकास और परिनियोजन के लिए अधिक सतर्क दृष्टिकोण अपनाया है।
- भारत के सतर्क दृष्टिकोण के मुख्य कारणों में से एक अपने नागरिकों की निजता और नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा करने की प्रतिबद्धता है।
- भारत ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के विकास सहित AI प्रौद्योगिकियों को एक जिम्मेदार और नैतिक तरीके से विकसित और उपयोग किया जाए।
- इसके अतिरिक्त, भारत AI प्रौद्योगिकियों को विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है जो इसकी अनूठी जरूरतों और चुनौतियों के अनुरूप हैं, जिसमें ट्रैफिक भीड़, कृषि उत्पादकता और स्वास्थ्य देखभाल पहुंच जैसे मुद्दों को हल करने के लिए AI प्रणाली का विकास शामिल है।
- 2018 में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय AI रणनीति जारी की, जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास और सामाजिक विकास के लिए AI का लाभ उठाना है।
- यह रणनीति पांच प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है: स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा, स्मार्ट शहर और बुनियादी ढांचा, तथा स्मार्ट गतिशीलता और परिवहन।
- इसके विपरीत, अपने नागरिकों की निगरानी और नियंत्रण के लिए AI का उपयोग करने को लेकर चीन की आलोचना की गई है, जहाँ जातीय अल्पसंख्यकों को ट्रैक करने और हिरासत में लेने के लिए चेहरे की पहचान तकनीक का उपयोग करने और नागरिकों को उनके व्यवहार के आधार पर पुरस्कृत या दंडित करने के लिए सामाजिक क्रेडिट प्रणाली का उपयोग करने की रिपोर्ट आई है।
भावी कदम:
- जैसे-जैसे AI भारत में तेजी से प्रचलित हो रहा है, इसके साथ आने वाली निजता और प्रतिस्पर्धा के खतरों को दूर करने के लिए बेहतर नियमों की आवश्यकता बढ़ रही है।
- भारत व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा को उनकी सहमति के बिना एकत्रित, विश्लेषण और साझा किए जाने से बचाने के लिए सख्त निजता नियमों को अपना सकता है।
- व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 निजता विनियमन का एक ऐसा उदाहरण है जिसे भारत में प्रस्तावित किया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि व्यक्तियों का अपने व्यक्तिगत डेटा पर अधिक नियंत्रण हो और कंपनियों को उस डेटा के किसी भी दुरुपयोग या गलत संचालन के लिए जवाबदेह ठहराया जाए।
- AI के लिए नैतिक दिशानिर्देश जिम्मेदार और नैतिक तरीके से AI प्रौद्योगिकियों के विकास और उपयोग को निर्देशित करने में मदद करेंगे। वे यह सुनिश्चित करने में मदद करेंगे कि AI प्रणाली पारदर्शी, निष्पक्ष हों और भेदभाव न हों या व्यक्तियों या समुदायों को नुकसान नहीं पहुंचाते हों।
- इन चिंताओं को दूर करने के लिए, भारत सरकार ने एक राष्ट्रीय AI रणनीति के निर्माण का प्रस्ताव दिया है जिसमें AI के नैतिक विकास और तैनाती के लिए दिशानिर्देश शामिल हैं।
- मजबूत प्रतिस्पर्धा नियमों को अपनाने से बड़ी कंपनियों को छोटे प्रतिस्पर्धियों पर अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए AI का उपयोग करने से रोका जा सकता है।
- इसमें डेटा शेयरिंग को अनिवार्य करने, इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित करने और बाजार प्रतिस्पर्धा को सीमित करने वाले गैर-प्रतिस्पर्धी प्रथाओं को प्रतिबंधित करने जैसे उपाय शामिल हो सकते हैं।
- नई AI तकनीकों को विकसित करने के लिए अनुसंधान और विकास में अधिक निवेश, जो निजता और नैतिक विचारों के साथ डिजाइन किए गए हों, को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
प्रीलिम्स तथ्य:
1.बायोलुमिनेसेंस (Bioluminescence):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
प्रारंभिक परीक्षा: बायोल्यूमिनेसेंस से सम्बंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग:
- विशाखापत्तनम के पास भीमिली में समुद्र तट का एक खंड बायोल्यूमिनेसेंस (bioluminescence) के कारण चमक रहा है।
बायोलुमिनेसेंस (Bioluminescence):
चित्र स्रोत: National Maritime Foundation
- बायोलुमिनेसेंस (Bioluminescence) मुख्य रूप से एककोशिकीय जीवों की उपस्थिति के कारण होता है जिन्हें डायनोफ्लैगलेट्स ( dinoflagellates) कहा जाता है जो अशांत होने पर प्रकाश उत्पन्न करते हैं।
- स्पंज, जेलिफ़िश, कीड़े, मछली की प्रजातियाँ, आर्थ्रोपोड्स, इचिनोडर्म्स और एककोशिकीय शैवाल जैसी कई अन्य समुद्री प्रजातियाँ भी बायोलुमिनेसेंस प्रदर्शित करती हैं।
- बायोलुमिनेसेंस एक प्रकार का रासायनिक संदीप्ति है, अर्थात इसमें एक प्रकार की रासायनिक प्रतिक्रिया होती है जो प्रकाश उत्पन्न करती है।
- इस तरह की रासायनिक प्रतिक्रियाओं में लूसिफ़ेरिन और लूसिफ़ेरेज़ नामक दो अनूठे रसायन शामिल होते हैं।
- ल्यूसिफरिन वह यौगिक है जो प्रकाश उत्पन्न करता है और यह सब्सट्रेट के रूप में कार्य करता है।
- लूसिफ़ेरेज़ एक एंजाइम या उत्प्रेरक है जो एक रासायनिक प्रतिक्रिया की दर को प्रभावित करने के लिए एक सब्सट्रेट के साथ परस्पर क्रिया करता है।
- ऐसी प्रतिक्रियाओं में फोटोप्रोटीन उत्प्रेरक के रूप में भी कार्य कर सकता है।
- समुद्र तटों पर बायोलुमिनेसेंस की घटना को एक प्राकृतिक घटना के रूप में देखा जाता है।
- बायोलुमिनेसेंस एक “कोल्ड लाइट/ठंडा प्रकाश” (cold light) है।
- कोल्ड लाइट का अर्थ है कि प्रकाश के 20% से कम भाग से थर्मल विकिरण या गर्मी उत्पन्न होता है।
- विशाखापत्तनम के मामले में, बायोल्यूमिनेसेंस को नोक्टिलुका और सेराटियम की डाइनोफ्लैजेलेट प्रजातियों के शैवाल प्रस्फुटन का परिणाम माना/कहा जाता है।
- अंडमान में हैवलॉक द्वीप, चेन्नई में थिरुवनमियूर बीच, कर्नाटक में मट्टू बीच, लक्षद्वीप में बंगाराम द्वीप और केरल के कुंबलंगी सहित भारत के कुछ अन्य समुद्र तटों पर बायोल्यूमिनेसेंस देखा गया है।
- हो सकता है कि बायोलुमिनेसेंस मनुष्यों के लिए हानिकारक न हो, लेकिन समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है क्योंकि मछली द्वारा फाइटोप्लांकटन का सेवन किया जाता है,और अतीत में हानिकारक शैवाल प्रस्फुटन के कारण मछलियों की प्रजातियों की सामूहिक मृत्यु हुई है।
- इसके अलावा नॉक्टिलुका शैवाल की तीव्र वृद्धि पर्यावरणीय परिवर्तनों जैसे अचानक कम लवणता या प्रदूषकों द्वारा अस्थिरता के लिए जिम्मेदार है।
2.डब्बा ट्रेडिंग (Dabba Trading):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
विषय: संसाधनों की योजना बनाने और संग्रहण से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: डब्बा ट्रेडिंग से सम्बंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग:
- हाल ही में, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने “डब्बा ट्रेडिंग” में शामिल संस्थाओं को नोटिस जारी किया हैं।
डब्बा ट्रेडिंग:
- डब्बा ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंजों के दायरे से बाहर होने वाले अनौपचारिक व्यापार को संदर्भित करता है।
- डब्बा का मतलब बॉक्स और एक समानांतर शेयर बाजार है।
- डब्बा ट्रेडिंग व्यापार का एक अवैध रूप है, जिसमें व्यापारी किसी विशेष स्टॉक का भौतिक स्वामित्व लेने के लिए वास्तविक लेन-देन किए बिना स्टॉक की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर दांव लगाते हैं, जैसा कि एक्सचेंज में किया जाता है।
- डब्बा ट्रेडिंग स्टॉक प्राइस मूवमेंट (स्टॉक मूल्य गतिविधयां) के आसपास केंद्रित एक प्रकार का जुआ (gambling) है।
- चूंकि इस तरह का व्यापार नियामक तंत्र के दायरे से बाहर रहता है, तो इसके लेन-देन में नकदी का उपयोग किया जाता है तथा गैर-मान्यता प्राप्त सॉफ़्टवेयर टर्मिनलों का उपयोग करके संचालित किया जाता है।
- कच्चा (रफ) रिकॉर्ड, सौदा (लेन-देन) बही, चालान, डीडी रसीदें, नकद रसीदें, बिल/कॉन्ट्रैक्ट नोट भी ट्रेडिंग के प्रमाण के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
- डब्बा व्यापार व्यापारियों को कराधान से बचने में मदद करता है क्योंकि आय या लाभ का कोई उचित रिकॉर्ड नहीं होता है।
- साथ ही इसमें शामिल ट्रेडर अपने लेन-देन पर कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी) और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) का भुगतान करने से भी बचते हैं।
- इसलिए डब्बा ट्रेडिंग से सरकारी खजाने को नुकसान होता है।
- इसके अलावा चूंकि यह नियामक तंत्र के दायरे से बाहर आता हैं, इसलिए निवेशक संरक्षण, विवाद समाधान तंत्र और शिकायत निवारण तंत्र के लिए कोई औपचारिक प्रावधान भी उपलब्ध नहीं हैं।
- डब्बा व्यापार काले धन के विकास को प्रोत्साहित कर सकता है, समानांतर अर्थव्यवस्था को अविरत कर सकता है, तथा मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दे सकता है।
- इस प्रकार डब्बा व्यापार को प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम (SCRA), 1956 की धारा 23(1) के तहत एक अपराध के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- इस अपराध के दोष सिद्ध होने पर, व्यक्तियों को 10 साल तक की कैद या 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना, या दोनों की सजा सुनाई जा सकती है।
3. सीविजिल ऐप (cVIGIL App):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: भारतीय चुनाव आयोग।
प्रारंभिक परीक्षा: cVIGIL ऐप से सम्बंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग:
- अब जब कर्नाटक में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct (MCC)) लागू है, अब तक सीविजिल मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से दो हजार से अधिक शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
सीविजिल ऐप (cVIGIL App):
चित्र स्रोत: The Election Commission of India
- सीविजिल ऐप नागरिकों को चुनाव के दौरान अनुमत समय से परे रिश्वतखोरी, उपहार, शराब वितरण, लाउडस्पीकर के उपयोग जैसे MCC उल्लंघनों की रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करता है।
- cVIGIL ऐप को भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है।
- अक्टूबर से दिसंबर 2018 के बीच पांच राज्यों के विधानसभा आम चुनावों के दौरान पहली बार cVIGIL ऐप का उपयोग किया गया था।
- सीविजिल ऐप की सहायता से नागरिक एक साधारण मोबाइल ऐप का उपयोग कर लाइव फोटो और वीडियो बना सकते हैं।
- यह ऐप नागरिकों को उनकी पहचान प्रकट किए बिना (गुमनाम रूप से) शिकायतें दर्ज करने की सुविधा भी प्रदान करता है।
- इसके अलावा, हर cVIGIL मामले पर कार्रवाई की जाती है और 100 मिनट की समय-सीमा में की गई कार्रवाई के साथ जवाब दिया जाता है। इस “100-मिनट” के नियम ने इस ऐप को विश्वसनीय बना दिया है।
- cVIGIL मामलों की जांच करने और स्वत: संज्ञान के आधार पर रिपोर्टिंग करने के लिए फ्लाइंग स्क्वॉड और स्टेटिक सर्विलांस टीम जैसी फील्ड इकाइयों के लिए cVIGIL इन्वेस्टिगेटर ऐप विकसित किया गया है।
- साथ ही, cVIGIL मॉनिटर ऐप मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) और ECI अधिकारियों को क्षेत्राधिकार में दायर सभी मामलों तक पहुंच प्रदान करता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. विश्व खाद्य कार्यक्रम: भारत अफगानिस्तान को गेहूं भेजेगा:
- भारत ने अफगानिस्तान के लोगों को 10,000 टन गेहूं भेजने के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम ( World Food Programme (WFP) ) के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- विदेश मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र WFP के अधिकारियों के बीच हस्ताक्षर समारोह मुंबई में आयोजित किया गया था जिसमे डब्ल्यूएफपी ने अफगान आबादी के सबसे कमजोर वर्गों को गेहूं की शीघ्र डिलीवरी का वादा किया है।
- पांचवीं शृंखला, जिसे ईरान के चाबहार बंदरगाह (Chabahar port) के माध्यम से भेजा जाएगा, अफगानिस्तान में WFP द्वारा पहले से ही जरूरतमंद लोगों को दी गई सहायता पर आधारित है।
- भारत ने चाबहार के ईरानी बंदरगाह के माध्यम से 20,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने के लिए अफगानिस्तान पर भारत मध्य एशिया संयुक्त कार्य समूह में प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।
- भारत की इस प्रतिबद्धता ने संकेत दिया कि भारत पाकिस्तान के ऊपर से पारगमन मार्ग के माध्यम से अफगानिस्तान को मानवीय सहायता जैसे भोजन और दवाइयां नहीं भेजेगा।
- WFP के अनुसार, 10 में से नौ अफगान परिवार पर्याप्त भोजन का खर्च नहीं उठा सकते हैं और लगभग 20 मिलियन अफगान निवासी भुखमरी के खतरे का सामना कर रहे हैं, जिनमें से छह मिलियन लोग अकाल से सिर्फ एक कदम दूर हैं।
- भारत ने अगस्त 2021 में कार्यभार संभालने वाली काबुल में तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है, लेकिन भारत ने देश के कमजोर लोगों को मानवीय सामान भेजना जारी रखा है।
2.मैसूर में बनी लोकतंत्र की निशानी : शाही युग की इकाई से अमिट स्याही का निर्माण
- भारत में होने वाले सभी चुनावों का मैसूरु से एक खास संबंध है, जो कर्नाटक में महलों के शहर के रूप में प्रसिद्ध है क्योंकि मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड देश में आम चुनावों में उपयोग की जाने वाली अमिट स्याही का उत्पादन करने के लिए अधिकृत एकमात्र कंपनी है।
- मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड की स्थापना 1937 में मैसूर के तत्कालीन महाराजा नलवाड़ी कृष्णराज वाडयार ने की थी।
- मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड वर्ष 1947 में एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई थी।
- वर्ष 1962 में, चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय, भारत की राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला और राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के सहयोग से मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड के साथ ऐसी स्याही बनाने के लिए एक समझौता किया था जिसे आसानी से मिटाया नहीं जा सकता हो।
- तब से, कंपनी ने पूरे भारत में हर लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव के लिए अमिट स्याही की आपूर्ति की है।
- इसके अलावा, कंपनी ने 30 से अधिक देशों को स्याही का निर्यात भी किया है।
- कंपनी लाख भी बनाती है, जिसका इस्तेमाल सीलिंग वैक्स और पेंट के लिए किया जाता है।
- अमिट स्याही एक प्रयोगशाला में तैयार किए गए रसायनों से बनी होती है और इसके मिश्रण, बॉटलिंग, सीलिंग, पैकिंग और परिवहन की पूरी प्रक्रिया एक सुरक्षित क्षेत्र में होती है।
- इस स्याही को सिल्वर नाइट्रेट के रूप में जाना जाता है और लगाने के बाद यह लगभग 10 दिनों तक चमकता रहता है, जिसके बाद यह फीका पड़ने लगता है।
- प्रत्येक शीशी में 10 मिली स्याही होती है और यह लगभग 700 मतदाताओं को कवर करने में सक्षम होती हैं।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. GN-z11 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – कठिन)
- यह उरसा मेजर तारामंडल (constellation) में पाई जाने वाली एक उच्च-रेडशिफ्ट आकाशगंगा है।
- यह एक सर्पिल आकाशगंगा है और मिल्की वे आकाशगंगा की तुलना में, GN-z11 उसके आकार का 1/25 है, और द्रव्यमान का 1% भाग है।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: GN-z11 एक उच्च-रेडशिफ्ट आकाशगंगा है जो उर्सा/उरसा मेजर तारामंडल में पाई जाती है और पृथ्वी से अब तक खोजी गई सबसे दूर की ज्ञात आकाशगंगाओं में से एक हैं।
- कथन 2 गलत है: GN-z11 सर्पिल आकाशगंगा नहीं है, यह एक अनियमित प्रकार की आकाशगंगा है।
- मिल्की वे आकाशगंगा की तुलना में GN-z11 उसके आकार का 1/25 है, तथा उसके द्रव्यमान का 1% है, और लगभग बीस गुना तेजी से नए तारों का निर्माण कर रहा है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
अभ्यास मेजबानी वाले देश
- ओरियन फ्रांस
- कोबरा गोल्ड वियतनाम
- मिलन जापान
- रिमपैक संयुक्त राज्य अमेरिका
उपर्युक्त युग्मों में से कितना/कितने सुमेलित है/हैं?
(a) केवल एक युग्म
(b) केवल दो युग्म
(c) केवल तीन युग्म
(d) सभी चारों युग्म
उत्तर: b
व्याख्या:
- युग्म 1 सुमेलित है: ओरियन (Orion) फ्रांसीसी रक्षा बलों द्वारा किए जा रहे सबसे बड़े बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में से एक है।
- युग्म 2 सुमेलित नहीं है: कोबरा गोल्ड (Cobra Gold) एक वार्षिक एशिया-प्रशांत सैन्य अभ्यास है और थाईलैंड द्वारा आयोजित सबसे बड़ा एशिया-प्रशांत सैन्य अभ्यास है।
- युग्म 3 सुमेलित नहीं है: मिलन (MILAN) 1995 में अंडमान और निकोबार कमान में भारतीय नौसेना द्वारा शुरू किया गया एक द्विवार्षिक बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास है।
- युग्म 4 सुमेलित है: द रिम ऑफ द पैसिफिक एक्सरसाइज (RIMPAC), दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय समुद्री युद्ध अभ्यास है,जिसकी मेजबानी यू.एस.द्वारा की जाती हैं।
प्रश्न 3. लिस्टेरियोसिस (Listeriosis) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- यह एक जीवाणु संक्रमण है जो लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स से दूषित खाद्य पदार्थों के सेवन से होता है।
- यह एक गंभीर संक्रमण है और वृद्ध वयस्कों, गर्भवती महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं के लिए जानलेवा हो सकता है।
- लिस्टेरियोसिस के लक्षण बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, भ्रम, संतुलन की हानि तथा बेहोशी एवं ऐंठन है।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: लिस्टेरियोसिस एक गंभीर जीवाणु संक्रमण है जो लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स के कारण होता है।
- कथन 2 सही है: रोग मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, वृद्ध वयस्कों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले अन्य लोगों को प्रभावित करता है।
- कथन 3 सही है: लिस्टेरियोसिस के लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, भ्रम, संतुलन की हानि, तथा बेहोशी एवं ऐंठन शामिल हैं।
प्रश्न 4. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- पशुपालन और डेयरी विभाग स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण तथा गोजातीय आबादी के आनुवंशिक उन्नयन के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन को लागू कर रहा है।
- यह मिशन 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान राष्ट्रीय गोजातीय प्रजनन और डेयरी विकास कार्यक्रम (NPBBD) के तहत शुरू किया गया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: दिसंबर 2014 से, पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा देशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण और गोजातीय आबादी के आनुवंशिक उन्नयन के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन को लागू किया गया है।
- कथन 2 सही है: 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान राष्ट्रीय गोजातीय प्रजनन और डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय गोकुल मिशन शुरू किया गया था।
प्रश्न 5. बौधायन प्रमेय (बौधायन शुल्बसूत्र) निम्नलिखित में से किससे संबंधित है? (PYQ (2008)) (स्तर – सरल)
(a) एक समकोण त्रिभुज की भुजाओं की लंबाई
(b) पाई के मूल्य की गणना
(c) लॉगरिदमिक गणना
(d) सामान्य वितरण वक्र (Normal distribution curve)
उत्तर: a
व्याख्या:
- 1000 ईसा पूर्व के बौधायन शुल्बसूत्र को आज पाइथागोरस प्रमेय के रूप में जाना जाता है, जिसमें कहा गया है कि एक समकोण त्रिभुज में, कर्ण का वर्ग अन्य दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है।
- बौधायन प्रमेय के अनुसार, एक दीर्घचतुर्श (त्रिकोण) में, रज्जू (कर्ण) का चेत्र (वर्ग) पार्श्वमानी (आधार) और त्रियांगमणि/तिर्यङ्मानी (लंबवत रेखा) के वर्गों के योग के बराबर होता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. वंचित वर्गों के सामाजिक उत्थान में डॉ. अम्बेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका को स्पष्ट कीजिए। क्या अंबेडकर का सपना पूरा हो पाया है? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।(250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-2, सामाजिक न्याय]
प्रश्न 2. AI, विशेष रूप से जनरेटिव AI के उदय ने कई आर्थिक, नैतिक और नीतिगत चिंताओं को जन्म दिया है। व्याख्या कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-3, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी]