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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 15 December, 2022 UPSC CNA in Hindi

15 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. भारत का धीमा निर्यात:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. भारत-चीन संबंध:

पर्यावरण:

  1. जलवायु प्रतिरोधकता:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. जीन थेरेपी (Gene Therapy):
  2. अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद न्यायाधिकरण:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. पैट्रियट मिसाइलें (Patriots Missiles):
  2. बेपोर उरु (Beypore Uru):

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भारत का धीमा निर्यात:

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास और रोजगार से संबंधित विषय।

मुख्य परीक्षा: दुनिया भर में निर्यात में हालिया रुझान।

संदर्भ:

  • पिछले साल की तुलना में अक्टूबर 2022 में भारत के निर्यात में लगभग 16.7% की गिरावट आई/दर्ज की गई है।

विवरण:

  • अक्टूबर 2022 में व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में 16.7% की गिरावट आई, यह गिरवाट 20 महीनों में पहली और मई 2020 के बाद से सबसे खराब गिरावट दर्ज की गई हैं,जब कोविड के प्रकोप को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था।
  • आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मार्च 2021 के बाद पहली बार निर्यात 30 अरब डॉलर के निशान से नीचे गिरकर 29.8 अरब डॉलर पर आ गया। हालाँकि आयात 5.7% बढ़कर 56.7 बिलियन डॉलर हो गया हैं।
  • नतीजतन, व्यापार घाटा सितंबर में 25.7 अरब डॉलर से बढ़कर अक्टूबर में 26.9 अरब डॉलर हो गया हैं।
  • दुनिया भर में कमोडिटी (उपयोगी वस्तुओं) की कीमतों में नरमी के कारण आयात में वृद्धि की सबसे अधिक संभावना है।
  • विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation: WTO) ने हाल ही में वर्ष 2023 के अंधकारमय होने की चेतावनी दी है,और अनुमान लगाया गया हैं कि वर्ष 2022 में वैश्विक व्यापार वृद्धि 3.5% से घटकर अगले वर्ष केवल 1% रह जाएगी।

निर्यात क्षेत्र का प्रदर्शन:

  • भारत में इंजीनियरिंग सामानों का निर्यात मुख्य रूप से विकसित क्षेत्रों में उच्च मुद्रास्फीति की मंदी, चीन में गिरती मांग, यूरोपीय संघ और अमेरिका में मंदी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण 21% तक गिर गया है।
  • स्टील और संबद्ध उत्पादों के निर्यात में 2 बिलियन डॉलर की गिरावट का कारण स्थानीय उपलब्धता को बढ़ाने में मदद करने के लिए इन उत्पादों पर निर्यात शुल्क को बताया जाता है।
  • दिवाली के महीने में छुट्टी बढ़ने से भी उत्पादन पर असर पड़ा है।
  • वियतनाम जो एक निर्यात-प्रभुत्व वाला देश हैं, में ‘निरंतर विदेशी मांग’ के बीच एक साल पहले के निर्यात में 4.5% की वृद्धि दर्ज कर $29.18 बिलियन हो गया हैं।
  • इसी तरह फिलीपींस का निर्यात अक्टूबर में 20% बढ़ा है।

घरेलू मांग परिदृश्य:

  • वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर की मासिक समीक्षा में कहा है कि वैश्विक मंदी ‘अत्यधिक उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ती उधारी लागत और भू-राजनीतिक तनाव’ के संगम से प्रेरित है, लेकिन दूसरी ओर स्थानीय मांग में ‘लचीलापन’ भी देखा जा रहा है।
  • अतः एक बार ‘फिर से सक्रिय’ निवेश चक्र की भी उम्मीद की जा रही है जो भविष्य में विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा।
  • सतह ही अंतर्राष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों में कमी और खरीफ फसल की आवक के कारण उच्च खाद्य कीमतों सहित स्थानीय कारकों के कारण मुद्रास्फीति का कम होना तय है।
  • निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में वृद्धि भी अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेतों में से एक है।
  • निजी कैपेक्स आमतौर पर बैंकिंग प्रणाली से क्रेडिट, या ऋण पर निर्भर करता है, जिसने हाल के दिनों में नवंबर 2022 में 18% के उच्च स्तर को छूते हुए एक स्वस्थ वृद्धि देखी है।
  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) लगभग 561 बिलियन डॉलर था जो लगभग 9-10 महीने के आयात के लिए काफी है।
  • आयत कवर में इस कमी को उतना ही अस्वास्थ्यकर (हानिकारक तौर पर) देखा जा रहा है, जितना महामारी के दौरान भारत को 14 से 15 महीने के कवर का था।

सारांश:

  • भारत का धीमा निर्यात चिंता का कारण बन गया है क्योंकि हमारे पास लगभग 9-10 महीने का आयात कवर है। हालांकि सरकार आशावादी है कि घरेलू मांग घटते निर्यात के प्रभावों का सामना करेगी और विदेशी मुद्रा भंडार हाल के हफ्तों में बढ़ रहा है जो भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत से रहा हैं।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

भारत-चीन संबंध:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत और उसके पड़ोसी देशों के साथदेशों के साथ संबंध।

मुख्य परीक्षा: भारत-चीन संबंधों में विभिन्न मुद्दे।

संदर्भ:

  • भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश के तवांग के पास यांग्त्से क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई।

भूमिका:

  • भारतीय सेना के बयान के अनुसार, 09 दिसंबर, 2022 को तवांग के पास भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प हुई, जिससे दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को मामूली चोटें आईं हैं।
  • भारतीय सेना के अनुसार, शांति और स्थिरता को बहाल करने के लिए दोनों देश कमांडर स्तर पर फ्लैग मीटिंग के जरिए से तनावग्रस्त क्षेत्र में संकट को हल करने पर सहमत हुए हैं।
  • दोनों पक्षों के पास लद्दाख में हिमालयी सीमा पर 50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किये जाने की सूचना मिली हैं।

चित्र स्रोत: Hindustan Times

पृष्ठभूमि:

  • चीन और भारत 3,440 किमी लंबी एक विवादित वास्तविक सीमा साझा करते हैं जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहा जाता है।
  • नियंत्रण रेखा की सीमा का सीमांकन बेहद ख़राब है। नदियों, झीलों और हिमाच्छादनों की उपस्थिति का अर्थ है कि सीमा रेखा स्थानांतरित हो सकती है।
  • दोनों तरफ के सैनिक विभिन्न मौकों पर आमने-सामने आ चुके हैं।
  • भारत-चीन सीमा पर संकट अप्रैल 2020 में सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में लद्दाख में PLA के उल्लंघन के साथ शुरू हुआ।
  • जनवरी 2021 में एक और दोनों देशों की सेनाओं का आमना-सामना हुआ जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक घायल हो गए। यह झड़प सिक्किम में चीन-भारत सीमा के बीच हुआ।
  • सितंबर 2022 में, दोनों देश सुदूर पश्चिमी हिमालयी सीमा क्षेत्र के साथ लगे विवादित क्षेत्र से हटने पर सहमत हुए तथा दोनों पक्षों ने सेना की वापसी शुरू की थी।
  • इस संकट का विस्तार अब अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र तक हो गया है।

चित्र स्रोत: Indian Express

तनाव में वृद्धि के निहितार्थ:

  • तनाव में वृद्धि का जोखिम विनाशकारी हो सकता है क्योंकि दोनों देश स्थापित परमाणु शक्तियां हैं।
  • इसके निहितार्थ में आर्थिक प्रभाव भी है क्योंकि चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है।
  • सैन्य गतिरोध में वृद्धि से राजनीतिक तनाव में वृद्धि हुई है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं।
  • हालिया विवादों के व्यापक क्षेत्रीय निहितार्थ भी हैं, क्योंकि इसने भारतीय और अमेरिकी निकटता को उजागर किया है जिसके बाद पाकिस्तान के साथ चीन का गठबंधन मजबूत हुआ है।
    • सबसे हालिया घटना के कुछ दिनों बाद चीन ने उत्तराखंड के औली में भारत-अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यास ऑपरेशन युद्ध अभ्यास पर आपत्ति जताई थी, जिसमें दावा किया गया था कि यह 1993 और 1996 के सीमा समझौतों का उल्लंघन है।
  • 3,000 किमी-की वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ विभिन्न बिंदुओं पर जारी सैन्य तनाव तब शुरू हुआ है,जब भारत G20 की अध्यक्षता के भाग के रूप में आयोजनों की एक श्रृंखला शुरू कर रहा है।

भावी कदम:

  • इस सैन्य और राजनीतिक चुनौती को संबोधित करने के लिए विपक्ष और जनता को साथ लेकर पारदर्शिता की आवश्यकता होगी।
  • उच्च स्तरीय राजनीतिक संवाद की बहाली भारत को उच्चतम स्तर पर अपनी चिंताओं को व्यक्त करने में सक्षम करेगा।
  • दोनों देशों को संयम को बढ़ावा देने और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए राजनयिक अवसरों की तलाश करनी चाहिए।

सारांश:

  • भारत-चीन सीमा के पूर्वी हिस्से में चीनी सेना द्वारा हाल ही में किए गए अतिक्रमण के प्रयास ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ नाजुक स्थिति की याद दिला दी है। दोनों पक्षों को कूटनीतिक रूप से संलग्न होना चाहिए और स्थिति को बढ़ाने से बचना चाहिए जो क्षेत्र की सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकता है।

अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Evolution of India-China Relations

अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Galwan Valley Clash

जलवायु प्रतिरोधकता:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

विषय: अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण अभिकरण तथा समझौते।

मुख्य परीक्षा: जलवायु अनुकूल शहरीकरण का महत्व।

संदर्भ:

  • भारत ने नवंबर 2022 में मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (COP27) के पक्षकारों के 27वें सम्मेलन में अपनी दीर्घकालिक जलवायु कार्य योजना का अनावरण किया हैं ।

भूमिका:

  • भारत ने COP27 में ‘दीर्घकालिक निम्न-कार्बन विकास रणनीति (LT-LCDS)’ शीर्षक वाले दस्तावेज़ का अनावरण किया हैं ।
  • इसमें शुद्ध-शून्य उत्सर्जन स्थिति तथा जलवायु-प्रतिरोधी शहरीकरण तक पहुंचने के लिए बहु-क्षेत्रीय उपाय किये गए हैं।
  • पेरिस समझौते के तहत यह भारत सरकार की रणनीति की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।

जलवायु-प्रतिरोधी शहरीकरण:

  • कार्य योजना में शहरी नियोजन, जलवायु-अनुक्रियाशील एवं जलवायु-प्रतिरोधी भवनों, और नगरपालिका सेवा वितरण में अनुकूलन तथा संसाधन दक्षता पर ध्यान केंद्रित करते हुए शहरी क्षेत्रों के लिए त्रि-आयामी और दीर्घकालिक योजना शामिल है।
  • केंद्र और राज्य सरकारों के कई प्रमुख मिशन हैं, जो एक स्मार्ट, धारणीय तथा लचीला शहरी भारत बनाने की दिशा में विशिष्ट उद्देश्यों को लक्षित करते हैं।
  • दीर्घावधि-निम्न उत्सर्जन विकास रणनीति (lt-leds) तथा अन्य मिशनों के क्रियान्वयन को सुविधाजनक बनाने तथा उनके एकीकरण को सक्षम करने के लिए डेटा-संचालित दृष्टिकोण उपयोगी हो सकता है।
  • उदाहरण के लिए, अर्बन सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट फ्रेमवर्क (USAF), नगर निगम आयुक्तों और शहरी चिकित्सकों के लिए UN-Habitat का एक उपकरण, भारतीय शहरों के सतत और लचीले शहरी नियोजन तथा प्रबंधन का समर्थन करता है।
  • यह शहरों को नियमित रूप से अंतर-क्षेत्रीय डेटा प्राप्त करने तथा शहर के प्रदर्शन की निगरानी के लिए शहरी मेट्रिक्स पर संबंधित विश्लेषण करने में सक्षम बनाता है।
  • पूंजी निवेश योजना से जुड़े शहर-विशिष्ट रणनीतिक कार्यों के माध्यम से केंद्रीय स्तर, राज्य नीतियों और परियोजनाओं, और स्थानीय क्रियान्वयन पर मिशन के उद्देश्यों को एक साथ खींचकर शहर ऊर्ध्वाधर एकीकरण को बढ़ा सकते हैं।
  • उदाहरण के लिए, भोपाल, (मध्य प्रदेश) 43% NMT मॉडल शेयर के साथ गैर-मोटरचालित परिवहन (NMT) का समर्थन करता है, लेकिन अपनी आबादी के केवल 24% लोगों को सार्वजनिक बाइक डॉकिंग स्टॉप तक पहुँच प्रदान करता है; शहर की केवल आधी सड़कों पर फुटपाथ हैं।
  • निजी वाहनों, सार्वजनिक परिवहन, गैर-मोटरचालित परिवहन और पैदल यात्रियों के लिए ‘साझा सड़कों’ को डिजाइन करके और उन्हें भविष्य के आर्थिक गतिविधि क्षेत्रों और कम सेवा वाले क्षेत्रों से जोड़कर, शहर में अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की अपार क्षमता है।
  • ये सड़कें ग्रीन हॉउस गैस उत्सर्जन को कम करने की क्षमता के साथ जल-संवेदनशील शहरी डिजाइन सुविधाओं को एकीकृत करके देशी पौधों की प्रजातियों तथा भूजल पुनर्भरण के लिए वाहक भी हो सकती हैं।
  • भारत की दीर्घकालिक रणनीति को सतत आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन प्राप्त करने के लिए अपने निम्न-उत्सर्जन मार्गों में सबसे कमजोर लोगों को समायोजित करना चाहिए।

सारांश:

  • प्रासंगिक डेटा द्वारा समर्थित विशिष्ट कार्यों के माध्यम से जलवायु लचीलेपन के लिए शहरी नियोजन रणनीतियों का प्रदर्शन करना तथा उन्हें शहरी स्थानीय निकायों के लिए सुलभ विभिन्न वित्त धाराओं से जोड़ना महत्वपूर्ण है। प्रकृति-आधारित समाधान ‘हार्ड ग्रे इंफ्रास्ट्रक्चर’ (मानव निर्मित कठोर बुनियादी ढांचा) की तुलना में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए कई प्रकार के समाधान प्रदान करते हैं।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.जीन थेरेपी (Gene Therapy):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

प्रारंभिक परीक्षा: CRISPR-cas9 प्रणाली।

संदर्भ:

  • यूनाइटेड किंगडम में वैज्ञानिक कैंसर चिकित्सा के एक नए तरीके का परीक्षण कर रहे हैं।

मुख्य विवरण:

  • ब्रिटेन में एक 13 वर्षीय लड़की एलिसिया, जिसे टी-सेल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया है, की प्रायोगिक जीन थेरेपी की गयी हैं, जो ‘बेस एडिटिंग’ नामक एक नई तकनीक पर आधारित थी। इस थेरेपी के बाद अब उसके शरीर में कैंसर कोशिकाएं उपस्थित नहीं हैं।
  • टी-सेल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया या टी-ऑल में, टी-कोशिकाएं,जो श्वेत रक्त कोशिकाओं का एक वर्ग है, जो मानव शरीर पर हुए हमले और शरीर को खतरों से बेअसर करने में सक्षम हैं, लेकिन जब यह शरीर के खिलाफ हो जाती हैं तो स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं जो सामान्य रूप से प्रतिरक्षण में मदद करते हैं।
  • यह रोग तेजी से बढ़ता हैं और प्रसारित होता है और आमतौर पर इसका इलाज कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा द्वारा किया जाता है।
  • टी-सेल ल्यूकेमिया के मामले में चिकित्सा का उद्देश्य उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को इस तरह से ठीक करना था कि वह कैंसर वाली टी-कोशिकाओं को बनाना बंद कर दे।

‘बेस एडिटिंग’ क्या है?

  • एक व्यक्ति के अनुवांशिक कोड में चार आधारों के विभिन्न क्रमपरिवर्तन होते हैं:
    • एडेनिन (ए), गुआनिन (जी), साइटोसिन (सी) और थाइमिन (टी)।
  • इन आधारों के अनुक्रम जीनों की व्याख्या करते हैं जो शरीर के कार्यों के लिए आवश्यक प्रोटीन की विस्तृत श्रृंखला का उत्पादन करने के निर्देश हैं।
  • एलिसिया के मामले में, आधारों के अनुक्रम में गलत व्यवस्था के कारण उसकी टी-कोशिकाएं कैंसर बन गई थीं।
  • इस गलत व्यवस्था को ठीक करने का मतलब स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली हो सकता है।
  • जीन को बदलने और त्रुटियों को ठीक करने की अनुमति देने के लिए सबसे लोकप्रिय दृष्टिकोण CRISPR-cas9 प्रणाली रही है।
  • ऐसा माना जाता है कि CRISPR-cas9 प्रणाली इस तरह के जीन संपादन को प्रभावित करने के लिए सबसे तेज, सबसे बहुमुखी प्रणाली है।
  • CRISPR-cas 9 प्रणाली में एक एंजाइम होता है जो आणविक कैंची की तरह काम करता है।
  • इसे एक सटीक स्थान पर DNA के एक टुकड़े को काटने के लिए बनाया जा सकता है और एक गाइड RNA का उपयोग चीरे के स्थलों पर एक परिवर्तित आनुवंशिक कोड डालने के लिए किया जा सकता है।
  • ब्रॉड इंस्टीट्यूट, मैसाचुसेट्स के डेविड लियू ने CRISPR-cas9 प्रणाली में कुछ आधारों को सीधे बदलने में सक्षम बनाने के लिए सुधार किया गया है:
  • इस प्रकार, C को G और T को A में बदला जा सकता है।
  • बेस एडिटिंग कथित तौर पर रक्त विकारों के इलाज में अधिक प्रभावी है जो एकल बिंदु उत्परिवर्तन के कारण होते हैं, या जब एक बेस पेयर में बदलाव से लाइलाज बीमारी हो सकती है।
  • जीन संपादन पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Gene Editing

2.अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद न्यायाधिकरण:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विषय: मानव संसाधन से संबंधित क्षेत्र एवं सेवाओं का प्रबंधन।

प्रारंभिक परीक्षा: भारत में जल विवाद न्यायाधिकरण।

संदर्भ:

  • सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2022 को केंद्र सरकार को पेन्नैयार नदी के जल विवाद को हल करने के लिए एक अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद न्यायाधिकरण गठित करने के लिए तीन महीने का समय दिया हैं।

मुख्य विवरण:

  • सुप्रीम कोर्ट ने पेनैयार नदी में निर्माण को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच विवाद को हल करने के लिए केंद्र सरकार को एक अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद न्यायाधिकरण गठित करने के लिए तीन महीने का समय दिया हैं।
  • तमिलनाडु ने वर्ष 2018 में नदी में चेक डैम और डायवर्जन संरचनाओं पर कर्नाटक के काम के खिलाफ एक मूल मुकदमा दायर किया था।
  • तमिलनाडु ने तर्क दिया था कि एक अंतर-राज्यीय नदी का बहता हुआ पानी एक राष्ट्रीय संपत्ति होती हैं, और कोई भी एक राज्य इस पर विशेष स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता है और कर्नाटक द्वारा पेन्नैयार नदी के पानी का उपयोग तमिलनाडु के लोगों को हानि पहुंचाता है।

पेन्नैयार नदी:

  • दक्षिण पेन्नार नदी को कन्नड़ में दक्षिण पिनाकिनी और तमिल में थेनपेनई या पेनैयार के नाम से भी जाना जाता है।
  • बैंगलोर, होसुर, तिरुवन्नामलाई और कुड्डालोर दक्षिण पेन्नार नदी के तट पर अवस्थित महत्वपूर्ण शहर हैं।
  • यह कावेरी नदी के बाद 497 किमी की लंबाई के साथ तमिलनाडु की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
  • यह नदी औद्योगिक कचरे की वजह से गंभीर रूप से प्रदूषित है क्योंकि यह बैंगलोर के पूर्वी उपनगरों, होसुर और चेंगम के औद्योगिक पार्कों में प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों से होकर बहती है।
  • यह नदी कर्नाटक में नंदी पहाड़ियों से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले तमिलनाडु से होकर बहती है।
  • यह नदी वर्ष के अधिकांश भाग में सूखी रहती है। जब मानसून के मौसम के दौरान बारिश होती है तब इस नदी के जलग्रहण क्षेत्र में दक्षिण-पश्चिम मानसून और तमिलनाडु में पूर्वोत्तर मानसून द्वारा इसमें जल का भराव होता है।
  • अंतर्राज्यीय जल विवाद न्यायाधिकरणों के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Inter-State Water Disputes Tribunals

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. पैट्रियट मिसाइलें (Patriots Missiles):

  • अमेरिका पैट्रियट मिसाइल बैटरी भेजने की योजना को अंतिम रूप दे रहा है जो यूक्रेन में आने वाली मिसाइलों को मार गिरा सकती है।
  • पैट्रियट (MIM-104) सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलें, क्रूज मिसाइलों और उन्नत विमानों का मुकाबला करने के लिए एक लंबी दूरी, सभी ऊंचाई, सभी मौसम में वायु रक्षा प्रणाली है।
  • यह मैसाचुसेट्स में रेथियॉन और लॉकहीड मार्टिन मिसाइल द्वारा निर्मित है।
  • अमेरिकी सेना पैट्रियट मिसाइल को ऐसी मिसाइल के रूप में वर्णित करती है, जिसमें एक रडार, एक नियंत्रण स्टेशन और आठ लॉन्चरों सहित कई भाग होते हैं, जो इसकी “सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणाली” है।
  • पैट्रियट जर्मनी, ग्रीस, इज़राइल, जापान, कुवैत, नीदरलैंड, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, पोलैंड, स्वीडन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, रोमानिया, स्पेन और ताइवान सहित अमेरिका और संबद्ध देशों में सेवा में है।

2.बेपोर उरु (Beypore Uru):

  • केरल ने प्रसिद्ध बेपोर उरु (नाव) के लिए भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त करने के लिए आवेदन किया है।
  • यह बेपोर, केरल में कुशल कारीगरों और बढ़ई द्वारा दस्तकारी की गई एक लकड़ी की ढो (dhow) (जहाज / नौकायन नाव / नौकायन पोत) है।
  • उरुस विशुद्ध रूप से प्रीमियम लकड़ी से,बिना किसी आधुनिक तकनीक का उपयोग किए बिना बनाया जाता हैं।
  • उपयोग की जाने वाली लकड़ी को पारंपरिक तरीके से चीरा जाता है। प्रत्येक उरु को बनाने में एक से चार साल का समय लगता है और पूरी प्रक्रिया हाथ से की जाती है।
  • बेपोर उरुस केरल के खाड़ी देशों के साथ व्यापारिक संबंधों और दोस्ती का प्रतीक है।
  • बेपोर पहली शताब्दी ईस्वी से दुनिया भर के व्यापारियों के लिए एक प्रसिद्ध समुद्री केंद्र रहा है और प्रतिष्ठित उरु जहाजों की लगभग 2,000 वर्षों से उच्च मांग रही है।

चित्र स्रोत: Kozhikode Directory

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. सर्वोच्च न्यायालय ने किस मामले में एसिड अटैक सर्वाइवर्स (Acid Attack Survivors) की बेहतरी के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं? (स्तर-कठिन)

(a) जीजा घोष एवं अन्य बनाम भारत संघ और अन्य।

(b) विशाखा व अन्य बनाम राजस्थान राज्य।

(c) लक्ष्मी बनाम भारत संघ।

(d) ओल्गा टेलिस बनाम बंबई नगर निगम।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • लक्ष्मी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक सर्वाइवर्स की बेहतरी के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे।
  • जिसमे एसिड हमलों को रोकने और जीवित बचे लोगों को कल्याण हेतु कई आदेश पारित किए गए थे।

प्रश्न 2. अंतर-राज्य नदियों या नदी घाटियों के जल से संबंधित विवादों के न्यायनिर्णय के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम केंद्र सरकार को किसी विवाद के निर्णय के लिए एक तदर्थ न्यायाधिकरण स्थापित करने का अधिकार प्रदान करता है एवं इस न्यायाधिकरण के निर्णय अंतिम और विवाद के पक्षों के लिए बाध्यकारी होते हैं।
  2. इस अधिनियम के तहत ऐसे न्यायाधिकरण को भेजे जाने वाले किसी भी प्रकार के जल विवाद न तो सर्वोच्च न्यायालय और न ही किसी अन्य न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के तहत आते है।

सही विकल्प का चेतन कीजिए:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) दोनों

(d) कोई भी नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: वर्तमान में भारत में जल विवाद समाधान अंतर-राज्यीय जल विवाद अधिनियम, 1956 द्वारा शासित किया जाता है। यह अधिनियम केंद्र सरकार को किसी विवाद के निर्णय के लिए एक तदर्थ न्यायाधिकरण स्थापित करने का अधिकार देता है एवं इस न्यायाधिकरण के निर्णय अंतिम और विवाद के पक्षों के लिए बाध्यकारी होते हैं।
  • कथन 2 सही है: किसी अन्य कानून में कुछ भी निहित होने के बावजूद,इस अधिनियम के तहत ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) को संदर्भित किए जा सकने वाले किसी भी जल विवाद के संबंध में न तो सर्वोच्च न्यायालय और न ही किसी अन्य न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उपयोग होगा।

प्रश्न 3. बेपोर उरु (नाव) (Beypore Uru (boat)) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)

  1. यह तमिलनाडु में कुशल कारीगरों और बढ़ई द्वारा दस्तकारी वाला एक लकड़ी का जहाज है।
  2. इसे हाल ही में भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्रदान किया गया हैं।

ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) दोनों

(d) कोई भी नहीं

उत्तर: d

व्याख्या:

  • बेपोर उरु केरल के बेपोर में कुशल कारीगरों और बढ़ई द्वारा दस्तकारी का एक लकड़ी का ढो ( dhow) (जहाज / नौकायन नाव / नौकायन पोत) है।
  • हाल ही में केरल ने बेपोर उरु के लिए भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त करने के लिए के लिए आवेदन किया है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिएः (स्तर-कठिन)

जनजाति राज्य/संघ राज्य क्षेत्र

  1. भूटिया सिक्किम
  2. ढोडिया गुजरात
  3. गोंड ओडिशा
  4. मालासर तमिलनाडु

ऊपर दिए गए युग्मों में से कितने सही सुमेलित हैं?

(a) केवल एक युग्म

(b) केवल दो युग्म

(c) केवल तीन युग्म

(d) सभी चारों युग्म

उत्तर: d

व्याख्या:

  • युग्म 1 सही सुमेलित है: भूटिया सिक्किम राज्य में रहने वाले सिक्किम के लोगों का एक समुदाय है। भूटिया, भूटान की बहुसंख्यक आबादी हैं, जहाँ वे मुख्य रूप से देश के पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में रहते हैं, एवं नेपाल और भारत में अल्पसंख्यक हैं।
  • युग्म 2 सही सुमेलित है: ढोडिया सर्वोच्च श्रेणी की जनजाति है और गुजरात में तीसरा सबसे बड़ा आदिवासी समूह है। वे भील भाषा ढोडिया बोलते हैं।
  • युग्म 3 सही सुमेलित है: गोंड एक द्रविड़ जातीय-भाषाई समूह हैं। वे भारत के सबसे बड़े जनजातीय समूहों में से एक हैं। वे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार और ओडिशा राज्यों में फैले हुए हैं।
  • युग्म 4 सही सुमेलित है: मालासर आदिवासी समुदाय केरल और तमिलनाडु में निवास करता है। वे केरल के पलक्कड़ जिले के परम्बिकुलम आरक्षित वन और तमिलनाडु के आस-पास के जंगल में रहते हैं साथ ही वे दक्षिणी भारत में अन्नामलाई पहाड़ियों की तलहटी में रहते हैं।

प्रश्न 5. प्राचीन दक्षिण भारत में संगम साहित्य के बारे में, निम्नलिखित में से कौन सा एक,कथन सही है? (CSE-PYQ-2022) (स्तर-कठिन)

(a) संगम कविताओं में भौतिक संस्कृति का कोई संदर्भ नहीं है।

(b) वर्ण का सामाजिक वर्गीकरण संगम कवियों को ज्ञात था।

(c) संगम कविताओं में समर शौर्य का कोई संदर्भ नहीं है।

(d) संगम साहित्य जादुई शक्तियों को असंगत बताया गया है।

उत्तर: b

व्याख्या:

  • वर्ण का सामाजिक वर्गीकरण संगम कवियों को ज्ञात था। इसे अरसार (राजाओं), वैश्यार (व्यापारियों), वेलालार (किसानों) और ब्राह्मणों के उल्लेख के रूप में देखा जा सकता है।
  • हालाँकि, चार गुना वर्ण वर्गीकरण का प्राचीन तमिल समाज में बहुत कम उपयोग किया जाता था।
  • संगम साहित्य पर अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Sangam Literature

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. व्यापारिक निर्यात में मंदी कठिन वैश्विक व्यापार स्थितियों का प्रतिबिंब है। इस कथन के आलोक में चर्चा कीजिए कि भारत का निर्यात क्यों गिर रहा है। (150 शब्द, 10 अंक) [जीएस-3, अर्थव्यवस्था]

प्रश्न 2. तवांग में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर आमने-सामने की लड़ाई चीन द्वारा LAC पर यथास्थिति को बदलने की एक सुनियोजित रणनीति प्रतीत होती है। सरकार के इस सीमोल्लंघन से क्या सबक लिया जा सकता है? (150 शब्द, 10 अंक) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध]