15 नवंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
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A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
सामाजिक न्याय:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: सामाजिक न्याय:
भारतीय अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
भारत की परमाणु ऊर्जा, हाइड्रोजन शक्ति एवं नेट जीरो योजना:
पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण संरक्षण और संबद्ध वैश्विक संगठन एवं बैठकें।
मुख्य परीक्षा: जलवायु-परिवर्तन-संबंधी वार्ता- UNFCCC COP27।
प्रारंभिक परीक्षा: COP27 से सम्बंधित तथ्य।
संदर्भ:
- भारत ने COP27 में अपनी दीर्घकालिक रणनीति की घोषणा की है।
विवरण:
- भारत ने 27वें पार्टियों के सम्मेलन (CoP27) के दौरान जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मलेन (UNFCCC) के समक्ष अपनी दीर्घकालिक “कम-उत्सर्जन” विकास रणनीति प्रस्तुत की है।
- भारत द्वारा प्रस्तुत यह दृष्टिकोण अगले दशक में इसकी परमाणु ऊर्जा क्षमता को कम से कम तीन गुना बढ़ाने, हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनने और पेट्रोल में इथेनॉल के अनुपात को बढ़ाने पर आधारित है।
- यह दृष्टिकोण भारत की “पांच दशक की यात्रा” के अनुरूप शून्य उत्सर्जन या वर्ष 2070 तक कार्बन तटस्थ देश बनने की दिशा में है, जैसा कि COP26 (COP26) में भारत द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
- सभी 195 देश जो संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौतों के हस्ताक्षरकर्ता हैं, वर्ष 2022 तक ये दीर्घकालिक दस्तावेज जमा करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि अभी तक सिर्फ 57 देशों ने ही इस पर हस्ताक्षर किये है।
- भारत की दीर्घकालिक-निम्न उत्सर्जन विकास रणनीति (LT-LEDS) को वैश्विक कार्बन बजट के न्यायसंगत और उचित हिस्से के भारत के अधिकार के अनुरूप तैयार किया गया है।
- यह सुनिश्चित किया गया है कि इस रणनीति में आत्मनिर्भर भारत ( Atmanirbhar Bharat) के दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करते हुए ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा पहुंच और रोजगार पर जोर दिया जाए।
- LT-LEDS एक गुणात्मक दृष्टिकोण हैं और यह वर्ष 2015 के पेरिस समझौते (Paris Agreement) से एक आवश्यकता के रूप में निर्गत हुआ था।
- इसमें देशों को निकट अवधि के NDC के लक्ष्यों को प्राप्त करने और वर्ष 2030 तक उत्सर्जन को 45% तक कम करने और वर्ष 2050 तक नेट ज़ीरो लक्ष्य प्राप्त करने के जलवायु उद्देश्य की दिशा में काम करने से परे अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बदलने की अपनी रणनीति की व्याख्या करने के लिए बाध्य किया गया है।
- यह दोहराया गया है कि इस दीर्घकालिक रणनीति की घोषणा में नेट ज़ीरो की यात्रा में भारत का दृष्टिकोण लचीला और विकासवादी है जो तकनीकी विकास के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था और सहयोग में विकास को समायोजित करता है।
- इस दस्तावेज़ में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह परिवर्तन “ट्रिलियन डॉलर” लागत (विभिन्न अनुमानों से अनुमानित) के रूप में होगा, क्योंकि इसके लिए नई प्रौद्योगिकियों, बुनियादी ढांचे और अन्य लेनदेन लागतों के विकास की आवश्यकता होगी।
- जलवायु वित्त UNFCCC के निर्धारित सिद्धांतों को प्राप्त करने में पैमाने, कार्यक्षेत्र और गति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- COP27 पर अधिक जानकारी के लिए Sharm El-Sheikh Climate Change Conference – UNFCCC COP27 [UPSC Notes] लिंक पर क्लिक कीजिए:
भारत की विस्तृत रणनीति:
- भारत का लक्ष्य इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को अधिकतम करना एवं यात्री और माल यातायात दोनों के लिए सार्वजनिक परिवहन की ओर एक मजबूत बदलाव करना है।
- यह 2025 तक इथेनॉल सम्मिश्रण को वर्तमान में 10% से बढ़ाकर 20% करने का भी इच्छुक है।
- भारत वर्ष 2032 तक अपनी परमाणु क्षमता को भी कम से कम तीन गुना बढ़ाना चाहता है।
- प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT) योजना, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (National Hydrogen Mission), सभी प्रासंगिक प्रक्रियाओं और गतिविधियों में विद्युतीकरण के उच्च स्तर, भौतिक दक्षता को बढ़ाने और चक्रीय अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए पुनर्चक्रण एवं स्टील, सीमेंट, एल्युमिनियम और अन्य जैसे कठिन क्षेत्रों में अन्य विकल्पों की खोज आदि के माध्यम से ऊर्जा दक्षता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- दस्तावेज़ में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि भारत वर्ष 2030 तक वृक्षों के आवरण द्वारा 2.5 से 3 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन अवशोषण की अपनी NDC ( Nationally Determined Contributions (NDC) ) प्रतिबद्धता को पूरा करने के मार्ग पर है।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत में वनाग्नि की घटनाएं वैश्विक स्तर से काफी नीचे है, जबकि देश में वन और वृक्षों का आवरण वर्ष 2016 में कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन का 15 प्रतिशत अवशोषित करने वाला शुद्ध सिंक मौजूद है।
- UNFCCC के बारे में अधिक जानकारी के लिए UNFCCC – United Nations Framework Convention on Climate Change [UPSC GS-III] से सम्बंधित लिंक पर क्लिक कीजिए:
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सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
बाली G-20 शिखर सम्मेलन का महत्व:
विषय: महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियां, मंच – उनकी संरचना, जनादेश।
प्रारंभिक परीक्षा: बाली G20 शिखर सम्मेलन।
मुख्य परीक्षा: G20 शिखर सम्मेलन का महत्व।
प्रसंग:
- सत्रहवाँ (17वां) G20 शिखर सम्मेलन बाली में आयोजित किया जा रहा हैं।
विवरण:
- G-20 देशों के नेता 17वें शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बाली के नुसा दुआ रिसॉर्ट में एकत्रित होंगे।
- हालाँकि, रूस के राष्ट्रपति इस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे और उनके स्थान पर रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव द्वारा किया जाएगा।
- इस शिखर सम्मेलन में महामारी के बाद की रिकवरी और यूक्रेन में रूसी युद्ध से गंभीर रूप से प्रभावित खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा।
G-20 से सम्बंधित पृष्ठभूमि विवरण:
- G-20 की स्थापना वर्ष 1999 में अभिजात वर्ग G-7 (पहले G-8) और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development (OECD)) के बीच एक स्वीकार्य माध्यम के रूप में हुई थी।
- इसे एक अधिक एकीकृत समूह माना जाता था और समय बीतने के साथ यह अब यह एक अधिक प्रतिनिधि और समतावादी संगठन बन गया है।
- इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, विशेष रूप से 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट और बैंकिंग संकट के बाद।
- G-20 के देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85%, वैश्विक व्यापार का 75% और वैश्विक जनसंख्या का 66% का नेतृत्व करते है।
- यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि आने वाले वर्ष में G-20 का “ट्रोइका/तिकड़ी” पहली बार भारत, इंडोनेशिया और ब्राजील के साथ उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से बनेगा। यह वैश्विक आर्थिक एजेंडे का वैश्विक दक्षिण की ओर बदलाव का संकेत देता है।
- G20 के बारे में अधिक जानकारी के लिए:G20 शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका – ओसाका से सम्बंधित लिंक पर क्लिक कीजिए:India ‘s Role in G20 Summit – Osaka
सत्रहवें G20 शिखर सम्मेलन का एजेंडा:
- 17वें जी-20 शिखर सम्मेलन का आदर्श वाक्य है: एक साथ उबरें, मजबूत बनें (Recover Together, Recover Stronger)।
सदस्य देशों के प्रतिनिधि तीन अधिवेशनो में निम्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे:
- खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा।
- वैश्विक बुनियादी ढांचे और निवेश के लिए स्वास्थ्य भागीदारी।
- डिजिटल परिवर्तन।
- इसके अतिरिक्त इंडोनेशियाई राष्ट्रपति श्री जोको विडोडो मेहमानों को तमन हुतन राया (इंडोनेशियाई मैंग्रोव) ले जाएंगे, जिन्हें लगभग 700 एकड़ में फैली 30 साल की परियोजना के माध्यम से बहाल किया गया है।
- रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine conflict) और परिणाम स्वरूप लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद यह पहला G-20 शिखर सम्मेलन है। इस मुद्दे पर वैश्विक सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा।
- यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इंडोनेशिया आगामी वर्ष के लिए G-20 की अध्यक्षता भारत को सौंपेगा। भारत 1 दिसंबर 2022 को G20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।
- भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस आगामी भारत की G20 अध्यक्षता के लिए अपना एजेंडा भी बताएंगे।
- यह अनुमान लगाया गया है कि भारत वैश्विक दक्षिण पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ भू-राजनीतिक तनावों के कारण उत्पन्न भोजन और ईंधन की कमी जैसी समस्याओं पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
- इसके अलावा यह दूसरी बार होगा जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग महामारी के बाद विदेश यात्रा करेंगे।
- भारत की G20 अध्यक्षता के बारे में अधिक जानकारी के लिए: भारत की G20 अध्यक्षता: 8 नवंबर 2022 की संसद टीवी परिप्रेक्ष्य चर्चा से सम्बंधित लिंक पर क्लिक कीजिए:India’s G20 Presidency: : Sansad TV Perspective Discussion of 8 Nov 2022
शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देश:
- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका के नेता बाली, इंडोनेशिया में हो रहे शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
- स्पेन इसका एक स्थायी आमंत्रित सदस्य है।
- शिखर सम्मेलन के विशेष आमंत्रित सदस्य कंबोडिया, फिजी, नीदरलैंड, रवांडा, सेनेगल, सिंगापुर, सूरीनाम और संयुक्त अरब अमीरात के नेता हैं। वस्तुतः यूक्रेनी राष्ट्रपति भी इस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
- इसके अतिरिक्त, संयुक्त राष्ट्र, IMF, आसियान और अफ्रीकी संघ जैसे कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख 2022 के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
- रूस के राष्ट्रपति और मेक्सिको तथा ब्राजील के नेता (नेतृत्व में परिवर्तन के कारण) शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे।
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सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
आदिवासियों के लिए स्कूल बनाने में क्या बाधाएँ हैं?
सामाजिक न्याय:
विषय: शिक्षा के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक: ईएमआरएस योजना।
मुख्य परीक्षा: आदिवासी छात्रों के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (Eklavya Model Residential Schools (EMRS))।
विवरण:
- भारत सरकार (Government of India : GoI) आदिवासी छात्रों के लिए लगभग 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (Eklavya Model Residential Schools (EMRS)) स्थापित करने पर जोर दे रही है।
- कम से कम 20,000 की जनजातीय आबादी वाले प्रत्येक उप-जिले में एक स्कूल स्थापित किया जाएगा, जिसमें उस आबादी का उस क्षेत्र की कुल आबादी में 50% हिस्सा शामिल होना चाहिए।
- सामाजिक न्याय और मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति द्वारा जनसंख्या मानदंड पर आपत्ति जतायी जाने के इस तथ्य के बावजूद भी सरकार इस मिशन को आगे बढ़ा रही है। समिति ने इस दृष्टिकोण को “अव्यावहारिक” और “तत्काल समीक्षा” की आवश्यकता करार दिया है।
पृष्ठभूमि विवरण:
- EMRS मॉडल पहली बार वर्ष 1997-98 में देश के दूरदराज के कोनों में आवासीय सुविधाओं वाले आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए लाया गया था।
- EMRS खोलने के पीछे का प्रमुख उद्देश्य आदिवासी छात्रों के लिए जवाहर नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों के समान स्कूलों का निर्माण करना था।
- यह योजना वर्ष 2018-19 तक राज्य सरकारों के पास नए स्कूलों की पहचान, भर्ती, प्रबंधन और प्रवेश के प्रमुख नियंत्रण के साथ जनजातीय मामलों के मंत्रालय के दायरे में आती थी।
- इन विद्यालयों के लिए धनराशि अनुच्छेद 275(1) (Article 275(1)) के तहत प्रदान की जानी थी।
- इन दिशा-निर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि जब तक राज्य पहले से स्वीकृत विद्यालयों का निर्माण पूरा नहीं कर लेते, तब तक नए विद्यालयों के निर्माण के लिए धनराशि प्रदान नहीं की जाएगी।
- इस योजना में प्रत्येक EMRS के लिए 20 एकड़ भूखंडों की ढांचागत आवश्यकताओं का प्रावधान भी शामिल था।
संशोधित EMRS योजना:
- वर्ष 2018-19 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इन स्कूलों को मंजूरी देने और प्रबंधित करने के लिए केंद्र सरकार को अधिक अधिकार देते हुए योजना को नया रूप दिया था।
- जनजातीय छात्रों के लिए एक राष्ट्रीय शिक्षा सोसायटी (National Education Society for Tribal Students : NESTS) की स्थापना की गई और उसे जनजातीय छात्रों के लिए राज्य शिक्षा सोसायटी (State Education Society for Tribal Students : SESTS) का प्रबंधन सौंपा गया।
- जमीनी स्तर पर EMRS को चलाने के लिए SESTS को जिम्मेदार बनाया गया था।
नए दिशानिर्देश:
- जनसंख्या के आधार पर प्रत्येक आदिवासी उप-जिले में एक EMRS स्थापित किया जाना चाहिए।
- न्यूनतम भूमि की आवश्यकता 20 एकड़ से घटाकर 15 एकड़ कर दी गई है।
- संशोधित योजना के शुभारंभ के बाद वर्ष 2021-22 तक जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा लक्षित 452 स्कूलों में से 332 को मंजूरी दी गई है।
- हालांकि,स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला कि क्षेत्र (15 एकड़) की आवश्यकता और जनसंख्या मानदंड के कारण बड़ी संख्या में स्कूलों में देरी हो रही है।
- इसने विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों और पूर्वोत्तर भारत में भूमि की पहचान और अधिग्रहण को “अधिक बोझिल” बना दिया है।
- यह भी देखा गया कि नए दिशानिर्देशों में दी गई छूट के बावजूद भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दे जारी हैं।
- स्थायी समिति ने कहा कि जनसंख्या मानदंड में “बिखरी हुई जनजातीय आबादी” को EMRS के लाभ से वंचित करने का जोखिम है।
EMRS योजना की वर्तमान स्थिति:
- एक आधिकारिक घोषणा के अनुसार, लगभग 688 स्कूलों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 392 काम कर रहे हैं।
- इनमें से कुल 688 स्कूलों का निर्माण 230 में पूरा हो चुका है और 234 अभी भी निर्माणाधीन हैं। वहीं करीब 32 स्कूल जमीन अधिग्रहण के मामले में फंसे हुए हैं।
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सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
सामाजिक न्याय:
जहां कोई बच्चा पीछे न छूटे:
विषय: शिक्षा के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: शैक्षिक पहल और संबंधित चिंताएं।
विवरण:
- मानव विकास सूचकांक (HDI) राष्ट्रों के स्वास्थ्य, औसत आय और शिक्षा को मापता है। भारत को वर्ष 2021 में इस सूचकांक में 191 देशों की सूची में 132 वां स्थान प्राप्त हुआ है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy (NEP) ) 2020 में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (Foundational Literacy and Numeracy- FLN) पर राष्ट्रीय मिशन शामिल है जो 2025 तक सभी प्राथमिक विद्यालयों में सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता को प्राप्त करने पर केंद्रित है।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: Human Development Report – HDR 2021-22 HDR 2020, UNDP
विभिन्न वर्षों में किए गए उपाय:
- 1987 में राजस्थान के दूरदराज के गांवों में शिक्षकों की अनुपस्थिति के मुद्दे से निपटने के लिए शिक्षाकर्मी परियोजना शुरू की गई थी। इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण तत्व स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी थी। इस परियोजना ने स्थानीय व्यक्तियों को प्रशिक्षण देकर सफलतापूर्वक शिक्षकों का सृजन किया।
- इसके अलावा, जोमटियन सम्मेलन में सभी के लिए शिक्षा पर विश्व घोषणा पत्र 1990 में सभी बच्चों को स्कूल लाने पर जोर दिया गया था।
- 1990 के दशक की शुरुआत में बिहार शिक्षा परियोजना ने प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को बढ़ावा दिया। इसने उजाला (UJALA) नामक एक मॉड्यूल विकसित किया जो शिक्षकों के लिए 10-दिवसीय आवासीय सेवाकालीन प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- 1992 में राजस्थान में सभी के लिए शिक्षा हेतु जन आंदोलन (या लोक जुम्बिश) शुरू किया गया था। इसने नागरिक समाज की भागीदारी और नवाचार पर जोर दिया। आदिवासी जिलों में तो सफलता प्राप्त हुई लेकिन मुख्य धारा की आबादी में जड़ता बनी रही।
- उन्नी कृष्णन बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले (1993) में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि 14 साल तक के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।
- 1994 में, प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता को रूपांतरित करने और सार्वभौमिक बनाने के लिए जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया गया था।
- 2001 में सर्व शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan) को शुरू किया गया था। इसके पीछे की मंशा प्रारंभिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण करना था। यह स्कूल के बुनियादी ढांचे में सुधार, वर्दी, शौचालय का उपयोग, पानी, पाठ्यपुस्तक की उपलब्धता और स्कूल की भागीदारी जैसे विभिन्न पहलुओं में सफल रहा। हालाँकि, कक्षा की प्रक्रिया अभी भी एक चुनौती बनी हुई है।
संबद्ध चिंताएं और भावी कदम:
- बेहतर शिक्षकों की भर्ती और शिक्षक विकास संस्थानों की स्थापना में प्रणालीगत चुनौतियाँ हैं। शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए शिक्षकों और प्रशासकों की भर्ती को प्राथमिकता देनी होगी।
- सामुदायिक संबंध और माता-पिता की भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करने के प्रयासों की आवश्यकता है। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (self-help groups(SHG)) जैसे सामाजिक पूंजी वाले सामुदायिक समूह पहल के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और पंचायतें संसाधन प्रदान कर सकती हैं।
- समुदाय शिक्षकों को सक्षम और अनुशासित कर सकते हैं यदि धन, कार्यों और पदाधिकारियों को उनकी जिम्मेदारी बना दी जाए। इसके अलावा,यदि पंचायती राज संस्थान तथा ग्रामीण और शहरी विकास मंत्रालय सामुदायिक जुड़ाव के पहलुओं पर काम करते हैं तो अधिगम के परिणामों को स्थानीय सरकार की जिम्मेदारी बनाया जा सकता है । NEP के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए यह एक बेहतरीन पहल हो सकती है।
- यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि खराब शासन शिक्षक विकास पहलों (भौतिक और आभासी दोनों) की प्रभावशीलता को बाधित करता है। सरकारी स्कूलों में सुधार के लिए प्रथम के रीड इंडिया अभियान और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के बड़े पैमाने पर प्रयास भी स्कूलों और शिक्षकों के खराब शासन से प्रभावित हैं।
- विभिन्न नागरिक समाज संगठन जैसे सक्षम, ज्ञान शाला आदि द्वारा कई नवाचारों के बावजूद, जन शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ है।
- संपर्क फाउंडेशन द्वारा एक पहल की गई है जो मौजूदा मुद्दों का कुछ समाधान प्रदान कर सकती है:
- यह फाउंडेशन ऑडियो के लिए बैटरी चालित साउंड बॉक्स तथा नवीन शिक्षण और अधिगम सामग्री का उपयोग करता है। इसने एक टीवी भी लॉन्च किया है जो कक्षाओं को अधिक संवादात्मक और आनंदमय बनाने के लिए पाठ योजनाओं, सामग्री वीडियो, गतिविधि वीडियो आदि का उपयोग करने में शिक्षकों की मदद करेगा।
- इन तकनीकी हस्तक्षेपों में शिक्षकों की योग्यता में सुधार करने की क्षमता है।
- यह ध्यान देना चाहिए कि प्री-स्कूल और कक्षा 3 के बीच का समय बच्चों के लिए परिवर्तनकारी हो सकता है। पंचायत स्तर से लेकर केंद्र सरकार में उच्च अधिकारियों तक प्रत्येक हितधारक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 2025 तक सभी बच्चे स्कूल में हों और सीख रहे हों।
सम्बंधित लिंक्स:
NIPUN Bharat Programme | Ministry of Education
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सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
भारतीय अर्थव्यवस्था:
भारतीय आर्थिक पाई का आकार बदलना होगा:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: आर्थिक विचारधारा और इससे संबंधित चिंताएं।
संदर्भ:
- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय की पृष्ठभूमि में, आर्थिक असमानता पर प्रकाश डाला गया है।
विवरण:
- आरक्षण और सब्सिडी (विशेष रूप से ‘मुफ्त’) दोनों मामलों पर न्यायालय द्वारा निर्णय दिया गया है।
- एक बुनियादी प्रश्न जो न्यायालय के समक्ष उठाया गया था कि क्या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) ने 50% की सीमा का उल्लंघन किया है।
- इस बात को लेकर मतभेद था कि क्या आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिए उनकी सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना अवसर आरक्षित किए जा सकते हैं क्योंकि संविधान केवल ऐतिहासिक रूप से वंचित जातियों और समुदायों के लिए सकारात्मक कार्रवाई की अनुमति देता है।
अर्थव्यवस्था में चुनौतियां:
- भारतीय अर्थव्यवस्था विरूपित अवस्था में है क्योंकि अच्छी नौकरी और सामाजिक सुरक्षा बहुत कम लोगों को उपलब्ध है एवं अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल भी सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध नहीं है। यह आगे अवसरों के उचित वितरण को प्रभावित करता है और तत्पश्चात सब्सिडी की आवश्यकता कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों के लिए और कठिन हो जाएगी।
- अमीर देशों सहित सभी देशों में आर्थिक असमानताएं अभूतपूर्व रूप से बढ़ रही हैं। इसके अलावा, लोकलुभावनवाद भी बढ़ रहा है। एक तरफ लोकलुभावनवाद में एक “समाजवादी” आवाज है और यह सभी जातियों और धर्मों के श्रमिकों का समर्थन करता है, जो पर्याप्त कमाई करने में असमर्थ हैं और उनके पास बहुत कम सामाजिक सुरक्षा है। जबकि, दूसरी ओर, लोकलुभावनवाद का उद्देश्य सीमित आर्थिक अवसरों के लिए उनके साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले आप्रवासियों और अल्पसंख्यकों से नस्लीय और धार्मिक बहुसंख्यकों की रक्षा करना है।
- पिछली शताब्दियों में (विशेष रूप से औद्योगीकरण से पहले) समाज और अर्थव्यवस्था ने एक साथ मिलकर काम किया। उदाहरण के लिए, यूरोप में समाज को तीन वर्गों (एक लिपिक और धार्मिक वर्ग, एक कुलीन और योद्धा वर्ग, और एक सामान्य, श्रमिक वर्ग) में विभाजित किया गया था और भारत में जाति को ऐतिहासिक रूप से कार्य के आधार पर विभाजित किया गया था।
- धनाढ्य वर्ग को विभिन्न संस्कृतियों में दूसरों के काम का लाभ लेने वाले साहूकारों के रूप में तिरस्कृत किया गया था। धनाढ्य वर्ग के विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और युद्धों का वित्तपोषण प्रदान किया गया। धन कल्याण से बढ़कर गुरु हो गया।
- लेखक द्वारा यह सुझाव दिया गया था कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों की भूमिका अपने लिए मुनाफा कमाने के बजाय अर्थव्यवस्था के पहियों को चिकनाई प्रदान करना है। 21वीं सदी तक, असमानताएं और बढ़ गईं क्योंकि धन का एक बड़ा हिस्सा वित्तीय क्षेत्र में चला गया।
- अर्थव्यवस्था के नियम सबसे धनी लोगों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं क्योंकि वे सरकार की नीतियों को प्रभावित करते हैं। धन और श्रम के बीच व्यापार की शर्तें उनके पक्ष में निर्धारित की जाती हैं क्योंकि वे क्रमशः मजदूरों और छोटे उद्यमों की मजदूरी और कीमतें निर्धारित करते हैं।
- बड़े उद्यमों में औपचारिक नौकरियों (जहां कर्मचारी नियोक्ताओं से उचित व्यवहार की मांग करने के लिए एकजुट हो सकते हैं) की हिस्सेदारी वर्तमान परिदृश्य में घट रही है।
- भारत में कामकाजी उम्र के व्यक्तियों की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन इसमें सबसे कम रोजगार लोच भी है, जिससे भारत सामाजिक और आर्थिक रूप से सबसे असमान समाजों में से एक है।
- रोजगार लोच का अर्थ है सकल घरेलू उत्पाद में प्रत्येक इकाई की वृद्धि के साथ सृजित नौकरियों की संख्या।
भावी कदम:
- अर्थव्यवस्था को इस तरह का आकार दिया जाना चाहिए कि बहुसंख्यक आबादी शीर्ष के अल्पसंख्यक की तुलना में तेजी से लाभान्वित हो। इसके लिए संस्थानों और आर्थिक विचारधारा दोनों में सुधार की आवश्यकता होगी।
- सरकार को बड़े व्यापारिक लॉबियों की तुलना में आम नागरिकों की जरूरतों पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
- सरकारी नीतियों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस विचारधारा से अधिक ईज ऑफ लिविंग द्वारा संचालित करना चाहिए।
संबंधित लिंक:
Income Inequality In India: Background, Factors and Conclusion
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सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1.छोटे मछली पकड़ने वाले जहाजों को ट्रैक करने की परियोजना अब प्रगति पर है:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
आंतरिक सुरक्षा
विषय: समुद्री सुरक्षा।
प्रारंभिक परीक्षा: ‘सी विजिल -22अभ्यास।
संदर्भ:
- 15 और 16 नवंबर, 2022 को समुद्र-निरीक्षण अभ्यास ‘सी विजिल -22’ आयोजित किया जाएगा।
विवरण:
- तमिलनाडु में 20 मीटर से कम लंबाई वाले छोटे मछली पकड़ने वाले जहाजों पर ट्रांसपोंडर स्थापित करने की एक विलंबित परियोजना चलाई जा रही है।
- यह परियोजना 26/11 के मुंबई हमलों के बाद तटीय सुरक्षा उपायों के हिस्से के रूप में शुरू की गई थी।
- राष्ट्रीय समुद्री और तटीय सुरक्षा समिति द्वारा 20 मीटर से ऊपर के सभी जहाजों के लिए एक स्वचालित पहचान प्रणाली (Automatic Identification System (AIS)) अनिवार्य कर दी गई थी।
- हालांकि 20 मीटर से कम के जहाजों के लिए इस प्रक्रिया में कई कारणों से देरी हुई थी।
- तमिलनाडु में 5,000 जहाजों के लिए एक पायलट परियोजना के साथ उप-20 मीटर नौकाओं पर ट्रांसपोंडर स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
- यह ध्यान दिये जाने योग्य बात यह हैं कि यहाँ लगभग तीन लाख पंजीकृत मछली पकड़ने वाले जहाज़ हैं जिनमे से लगभग 2.5 लाख 20 मीटर से नीचे हैं।
सी विजिल अभ्यास:
- इससे संबंधित विकासक्रम में ‘पैन-इंडिया’/’अखिल भारतीय’ तटीय रक्षा अभ्यास ‘सी विजिल-22’ का तीसरा संस्करण 15 और 16 नवंबर, 2022 को भारत में आयोजित किया जाएगा।
- समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के उपायों को मान्यता प्रदान करने के लिए वर्ष 2018 में सी-विजिल अभ्यास की अवधारणा रखी गई थी।
- यह अभ्यास पूरे 7516 किलोमीटर के समुद्र तट और भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में किया जाएगा।
- इसमें मछली पकड़ने और तटीय समुदायों सहित अन्य समुद्री हितधारकों के साथ सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया जाएगा।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1.पिछले दो वर्षों में भारत के साथ व्यापार दोगुना होकर $2 बिलियन हो गया: नॉर्वे राजदूत
- पिछले दो वर्षों में भारत और नॉर्वे के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होकर लगभग 2 बिलियन डॉलर हो गया है।
- नॉर्वे के एक राजदूत ने कहा हैं कि नॉर्वे की जलवायु निवेश, स्वच्छ ऊर्जा और महासागर प्रौद्योगिकी में रुचि है।
- चूंकि भारत में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं,इसलिए अधिकांश निवेश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में किया जा रहा है।
- नॉर्वे अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं को विकसित करने के लिए भारत के राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान के साथ भी काम कर रहा है।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पवन ऊर्जा परियोजनाओं को व्यवहार्य बनाने के लिए केवल तमिलनाडु और गुजरात में स्थिर हवा पाई जाती हैं।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर- मध्यम)
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 युक्तियुक्त प्रतिबंधों के अधीन सभी नागरिकों को अंतःकरण की स्वतंत्रता, धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
- भारत का संविधान भारत में न केवल व्यक्तियों बल्कि धार्मिक समूहों को भी धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 युक्तियुक्त प्रतिबंधों के अधीन सभी नागरिकों को अंतःकरण की स्वतंत्रता, धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
- कथन 2 सही है: भारत के संविधान का अनुच्छेद 26 न केवल व्यक्तियों को, बल्कि भारत में धार्मिक समूहों को भी धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। यह धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संस्थान बनाने और बनाए रखने का अधिकार प्रदान करता है।
प्रश्न 2. वैश्विक उष्मन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।(स्तर- मध्यम)
- विगत बीस वर्षों में वैश्विक सतह के तापमान में अनवरत वार्षिक वृद्धि हुई है। सन1880 में इसकी रिकार्डिंग की शुरूआत होने के बाद से वर्ष 2021 सबसे गर्म वर्ष रहा है।
- आर्कटिक क्षेत्र में उष्मन विश्व के अन्य भागों की तुलना में अधिक तीव्र रहा है।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: सन 1880 में गरम वर्ष रिकार्डिंग की शुरूआत होने के बाद से सबसे गर्म वर्ष 2016 और 2020 है।
- कथन 2 सही है: आर्कटिक क्षेत्र वैश्विक औसत से दोगुना गर्म हो गया है। इस घटना को आर्कटिक प्रवर्धन (Arctic Amplification) के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 3. मैंग्रोव वृक्षों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। (स्तर- कठिन)
- जरायुजता (Vivipary) मैंग्रोव वृक्षों में पाया जाने वाला एक विशेष अनुकूलन है, जो उन्हें उच्च खारे वातावरण में सफलतापूर्वक जनन करने में सहायक होता है।
- भारत के नवीनतम वन सर्वेक्षण के अनुसार, पूर्व के आकलन की तुलना में भारत में मैंग्रोव आच्छादन में कमी आई है।
- एविसेनिया, राइजोफोरा, सोनारटिया और ब्रुगुएरा भारत में पाई जाने वाले मैंग्रोव वृक्षों की कुछ प्रजातियाँ हैं।
निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: पौधों में, जरायुजता (Vivipary) तब घटित होता है जब अपने जनक से अलग होने से पहले बीज या भ्रूण विकसित होने लगते हैं। अत्यधिक खारे वातावरण में पुनरुत्पादन के लिए मैंग्रोव वृक्षों में यह अनुकूलन देखा जाता है।
- कथन 2 गलत है: पिछले आकलन में मैंग्रोव कवर में 0.34% की वृद्धि हुई है।
- कथन 3 सही है: भारत की मैंग्रोव वृक्ष प्रजातियों में एविसेनिया ऑफ़िसिनैलिस, मोरिंडा सिट्रिफ़ोलिया, राइज़ोफ़ोरा म्यूक्रोनाटा, सोननेरटिया अल्बा, एविसेनिया अल्बा, ब्रुगुएरा सिलिंड्रिका, हेरिटेरा लिटोरेलिस, फीनिक्स पालुडोसा आदि शामिल हैं।
प्रश्न 4. हाल ही में घोषित राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर- कठिन)
- ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान है और वर्ष 2022 में यह पुरस्कार श्री शरथ कमल अचंत को प्रदान किया गया है।
- अंतर-राज्यीय टूर्नामेंटों में समग्र शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ट्रॉफी प्रदान की जाती है।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: खेल रत्न पुरस्कार, जिसे आधिकारिक तौर पर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के रूप में जाना जाता है, भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान है। यह प्रतिवर्ष युवा मामले और खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। टेबल टेनिस खिलाड़ी श्री शरथ कमल अचंत ने वर्ष 2022 का यह पुरस्कार प्राप्त किया है।
- कथन 2 गलत है: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ट्रॉफी भारत के राष्ट्रपति द्वारा हर साल एक ऐसे विश्वविद्यालय को प्रदान की जाती है, जिसने अंतर-विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया हो।
प्रश्न 5. किस प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भारत के संविधान में नौवीं अनुसूची को पुरःस्थापित किया गया था? (स्तर-मध्यम)
(a) जवाहरलाल नेहरू
(b) लाल बहादुर शास्त्री
(c) इंदिरा गांधी
(d) मोरारजी देसाई
उत्तर: a
व्याख्या:
- जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में प्रथम संवैधानिक (संशोधन) अधिनियम, 1951 द्वारा भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची को जोड़ा गया था।
- इसमें केंद्रीय और राज्य कानूनों की एक सूची शामिल है, जिन्हें अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती है। पहले संशोधन द्वारा इस सूची में 13 कानूनों को जोड़ा गया था।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. जब तक भारत पर्याप्त उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियों का सृजन नहीं करता, तब तक नौकरियों में आरक्षण के लिए हमेशा होड़ लगी रहेगी। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) [जीएस 3- आर्थिक विकास]
प्रश्न 2. वैश्विक दक्षिण के लिए अपने शुद्ध शून्य लक्ष्यों का सम्मान करने के लिए विकसित दुनिया को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को वित्तपोषित करना होगा। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) [जीएस 3- पर्यावरण]