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A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: भूगोल:
पर्यावरण:
सुरक्षा:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
16 April 2024 Hindi CNA
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
हाइड्रोकार्बन निष्कर्षण कैसे होता है?
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विकास और उनके अनुप्रयोग और रोजमर्रा की जिंदगी में प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: हाइड्रोकार्बन (hydrocarbons)।
विवरण:
- सम्पूर्ण इतिहास में, हाइड्रोकार्बन के निष्कर्षण ने मानव प्रगति को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, फिर भी इसके महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और आर्थिक निहितार्थ देखे जाते है।
हाइड्रोकार्बन से सम्बन्धित जानकारी:
- हाइड्रोकार्बन, जो मुख्य रूप से प्राकृतिक गैस, कोयला, कच्चे तेल और पेट्रोलियम के रूप में पाए जाते हैं, सहस्राब्दियों से भूगर्भीय प्रक्रियाओं के माध्यम से भूमिगत रूप से जमा होते हैं।
- पेट्रोलियम भूविज्ञानी हाइड्रोकार्बन भंडार के लिए भूमिगत चट्टान संरचनाओं का आकलन करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं, जो ड्रिलिंग स्थानों को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- ड्रिलिंग और जलाशय इंजीनियर सुरक्षित और कुशलतापूर्वक हाइड्रोकार्बन तक पहुंचने और निकालने के लिए परिष्कृत तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
- उन्नत प्रौद्योगिकी और सुरक्षा उपायों से सुसज्जित आधुनिक ड्रिलिंग रिग तट और अपतटीय पर तैनात किए जाते हैं।
- एक बार उत्पादन कुआं खोदने के बाद, इंजीनियर सतह पर हाइड्रोकार्बन प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए समापन गतिविधियां शुरू करते हैं।
- इसमें दबाव के अंतर को नियंत्रित करना और यदि आवश्यक हो तो पंप जैक का उपयोग करना शामिल है।
- एक कुएं की उत्पादन प्रोफ़ाइल में प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक चरण शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक को निष्कर्षण दरों को बनाए रखने के लिए अलग-अलग हस्तक्षेप विधियों की आवश्यकता होती है।
- निष्कर्षण दक्षता को अधिकतम करने के लिए तृतीयक चरण के दौरान भाप इंजेक्शन जैसी उन्नत पुनर्प्राप्ति तकनीकों को नियोजित किया जाता है।
चुनौतियाँ:
- कुओं की कमी से आर्थिक और पर्यावरणीय दोनों तरह की चुनौतियाँ पैदा होती हैं।
- हाइड्रोकार्बन रिसाव और मीथेन उत्सर्जन को रोकने के लिए परित्यक्त (अब जिनका इस्तेमाल नहीं किया जाता हैं) कुओं को ठीक से बंद किया जाना चाहिए।
- अनुचित रूप से छोड़े गए कुएं पर्यावरण प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, जो जिम्मेदार विघटन प्रथाओं के महत्व को उजागर करते हैं।
निष्कर्ष:
- निष्कर्षण प्रौद्योगिकी में प्रगति के बावजूद, हाइड्रोकार्बन निष्कर्षण का पर्यावरणीय प्रभाव चिंता का विषय बना हुआ है। उत्सर्जन को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण के प्रयास सतत विकास सुनिश्चित करते हुए इन चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण हैं।
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
भारत की आर्कटिक अनिवार्यता:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भूगोल:
विषय: महत्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल-निकायों और हिमावरण सहित) में भौगोलिक विशेषताएं और उनका स्थान परिवर्तन।
मुख्य परीक्षा: सतत आर्कटिक अन्वेषण।
विवरण: भारत की आर्कटिक अन्वेषण यात्रा
- दिसंबर 2023 में, चार भारतीय जलवायु वैज्ञानिकों ने नार्वेजियन आर्कटिक क्षेत्र स्वालबोर्ड में स्थित भारत के हिमाद्रि ( Himadri) अनुसंधान केंद्र में भारत के पहले शीतकालीन अभियान की शुरुआत की।
- इस अभियान ने अत्यधिक ठंड और ध्रुवीय रातों की चुनौतियों का सामना करते हुए भारत के पिछले ग्रीष्मकालीन मिशनों से एक महत्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित किया है।
आर्कटिक में भारतीय भागीदारी के लिए प्रेरणाएँ:
- वर्ष भर आर्कटिक का अन्वेषण करने का भारत का निर्णय त्वरित आर्कटिक वार्मिंग और भारत की जलवायु पर इसके संभावित प्रभावों का खुलासा करने वाले वैज्ञानिक आंकड़ों से प्रेरित था।
- व्यापार दक्षता बढ़ाने और लागत कम करने के लिए उत्तरी समुद्री मार्ग जैसे आर्कटिक समुद्री मार्गों का उपयोग करने में आर्थिक हितों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine conflict) से बढ़े तनाव के बीच, क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति और चीन के साथ रूस के सहयोग से भू-राजनीतिक चिंताएँ पैदा हुईं।
ऐतिहासिक संदर्भ और मौजूदा जुड़ाव:
- आर्कटिक में भारत की भागीदारी 1920 से चली आ रही है, जिसकी परिणति स्वालबार्ड संधि पर हस्ताक्षर के रूप में हुई।
- इसके बाद के मिशन और अनुसंधान अड्डों की स्थापना आर्कटिक अन्वेषण और अध्ययन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।
- आर्कटिक परिषद (Arctic Council) में देश की पर्यवेक्षक स्थिति और अनुसंधान बुनियादी ढांचे में निवेश इसकी दीर्घकालिक भागीदारी को दर्शाता है।
भारतीय आर्कटिक नीति से जुड़ी बहसें और चुनौतियाँ:
- भारत की अर्थव्यवस्था पर आर्कटिक जलवायु परिवर्तन के आर्थिक प्रभावों के बारे में भारत के अकादमिक और नीतिगत हलकों में अलग-अलग राय देखी जाती हैं।
- यह बहस विशेष रूप से संसाधन निष्कर्षण के संदर्भ में संभावित पर्यावरणीय जोखिम बनाम आर्थिक लाभ पर केंद्रित है।
- इस निति के पक्षधर संसाधन दोहन के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल देते हैं, जबकि संशयवादी पर्यावरणीय चिंताओं और टिकाऊ नीतियों की आवश्यकता पर जोर देते हैं।
नॉर्वे के साथ सहयोग की संभावना:
- भारत और नॉर्वे दक्षिण एशिया पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करते हुए आर्कटिक अनुसंधान में सहयोग का इतिहास साझा करते हैं।
- वर्तमान नीति का लक्ष्य भारत की जिम्मेदार हितधारक छवि को मजबूत करने के लिए हरित ऊर्जा और टिकाऊ उद्योगों में सहयोग करना है।
- नॉर्वे के साथ साझेदारी आर्कटिक परिषद के कार्य समूहों में भागीदारी के अवसर प्रदान कर सकती है, जिसमें नीली अर्थव्यवस्था (blue economy) और जिम्मेदार संसाधन विकास सहित विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
- एक स्थायी साझेदारी भारत के व्यापक आर्कटिक नीति उद्देश्यों के अनुरूप वैज्ञानिक अनुसंधान और आर्थिक हितों को संतुलित करेगी।
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सारांश:
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वैश्विक CO₂ उत्सर्जन का कितना हिस्सा विमानन से आता है?
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण प्रदूषण।
मुख्य परीक्षा: पर्यावरण प्रदूषण में विमानन क्षेत्र की भूमिका।
विवरण:
- विमानन वैश्विक CO2 उत्सर्जन में 2.5% का योगदान देता है, लेकिन केवल CO2 उत्सर्जन से परे कारकों के कारण ग्लोबल वार्मिंग पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है।
- विमानन के कारण उत्सर्जन के अपेक्षाकृत कम प्रतिशत के बावजूद, यह विश्व स्तर पर सबसे अधिक कार्बन-सघन गतिविधियों में से एक है।
विमानन उत्सर्जन को संचालित करने वाले कारक:
- मांग के रुझान और दक्षता में सुधार:
- विमानन में यात्री और माल ढुलाई की मांग 1990 से 2019 के बीच चौगुनी हो गई है, जो 2019 में 8 ट्रिलियन यात्री किलोमीटर से अधिक तक पहुंच गई है।
- बेहतर डिज़ाइन, प्रौद्योगिकी, बड़े विमान और उच्च यात्री भार कारकों ने ऊर्जा दक्षता बढ़ाने में योगदान दिया है।
- कार्बन तीव्रता और ईंधन उपयोग:
- कार्बन तीव्रता, जो ऊर्जा की प्रति इकाई उत्सर्जित CO2 की मात्रा को दर्शाती है, वर्षों से स्थिर रही है।
- मानक जेट ईंधन, विमानन में उपयोग किया जाने वाला प्राथमिक ईंधन, ऊर्जा की प्रति यूनिट कार्बन उत्सर्जन के मामले में महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है।
- जैव ईंधन जैसे वैकल्पिक ईंधन वैश्विक विमानन ईंधन उपयोग का एक छोटा सा हिस्सा बने हुए हैं।
- CO2 उत्सर्जन पर प्रभाव:
- दक्षता में लाभ के बावजूद, मांग में वृद्धि के कारण 1990 से 2019 तक उत्सर्जन दोगुना हो गया है।
- 1990 में, वैश्विक विमानन ने लगभग 0.5 बिलियन टन CO2 उत्सर्जित किया, जो 2019 में बढ़कर लगभग 1 बिलियन टन हो गया।
- दक्षता में लाभ ने आंशिक रूप से बढ़ी हुई मांग से उत्सर्जन की भरपाई की है लेकिन समग्र उत्सर्जन को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य और उत्सर्जन का वैश्विक हिस्सा:
- 1960 के दशक के बाद से विमानन से वैश्विक CO2 उत्सर्जन चार गुना हो गया है, जो जलवायु परिवर्तन पर एक महत्वपूर्ण दीर्घकालिक प्रभाव का संकेत देता है।
- वैश्विक CO2 उत्सर्जन में विमानन की हिस्सेदारी 1990 के दशक के मध्य से 2% से 2.5% के बीच उतार-चढ़ाव भरी रही है, जिसमें 2010 के बाद से उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
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सारांश:
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सियाचिन: ऑपरेशन मेघदूत के 40 साल
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
विषय: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ और उनका प्रबंधन।
मुख्य परीक्षा: ऑपरेशन मेघदूत (Operation Meghdoot)।
विवरण:
- सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier): काराकोरम पर्वतमाला में स्थित, यह भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच स्थित है, जिसका रणनीतिक महत्व है।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: सियाचिन की स्थिति 1947 (Partition in 1947) में विभाजन से उपजी है, जिसमें भारत और पाकिस्तान द्वारा क्षेत्रीय दावों की परस्पर विरोधी व्याख्याएँ शामिल हैं।
ऑपरेशन मेघदूत की उत्पत्तिः
- पर्वतारोहण अभियान: पाकिस्तानी पर्वतारोहण गतिविधियों ने 1984 में भारत की निवारक कार्रवाई को प्रेरित किया।
- ऑपरेशन मेघदूत: 13 अप्रैल 1984 को शरू किया गया, इसका उद्देश्य कर्नल नरिंदर ‘बुल’ कुमार और कैप्टन संजय कुलकर्णी के नेतृत्व में ग्लेशियर को सुरक्षित करना था।
- मुख्य घटनाएं:1987 में, भारतीय सेना ने ऑपरेशन राजीव के तहत क्वैड पोस्ट पर कब्जा कर लिया, जिसे बाद में बाना टॉप नाम दिया गया।
- ऑपरेशन मेघदूत से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Operation Meghdoot
चुनौतियाँ एवं धैर्य:
- कठोर परिस्थितियाँ: अत्यधिक मौसम और ऊँचाई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ पेश करती हैं।
- सैन्य अभियानों: इस अभियान के प्रारंभिक चरण सीमित उपकरणों पर निर्भर थे, बाद में आईएएफ के संचालन और आधुनिक उपकरणों के साथ की वजह से इसमें प्रगति हुई।
- मानवीय सहनशक्ति: रसद और चिकित्सा सहायता में निरंतर प्रगति के साथ, सैनिक चरम स्थितियों को सहन करते हैं।
हालिया विकास और भविष्य का दृष्टिकोण:
- तकनीकी प्रगति: संचार, गतिशीलता, रसद और चिकित्सा सुविधाओं में सुधार से परिचालन दक्षता में वृद्धि होती है।
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: ग्लेशियर काफी पीछे खिसक गया है, जो पर्यावरणीय चिंताओं को उजागर करता है।
- भू-राजनीतिक निहितार्थ: व्यापक क्षेत्रीय तनाव के बीच सियाचिन की स्थिति विवाद का मुद्दा बनी हुई है, जो किसी भी संभावित समाधान को जटिल बना रही है।
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सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. मार्च में थोक मूल्य मुद्रास्फीति तीन महीने के उच्चतम स्तर 0.53% पर पहुंची:
प्रसंग:
- भारत में थोक मूल्य मुद्रास्फीति मार्च में तीन महीने के उच्च स्तर 0.53% पर पहुंच गई, जो मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में तेज वृद्धि से प्रेरित थी, विशेष रूप से अनाज जो 12 महीने के उच्च स्तर 9.04% पर पहुंच गया।
सम्बन्धित जानकारी:
- धान, आलू और प्याज जैसी आवश्यक वस्तुओं की मुद्रास्फीति में काफी तेजी आई और दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज की गई।
- दलहन और सब्जियों में भी क्रमशः 17.2 प्रतिशत और 19.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- हालांकि, ईंधन, बिजली और निर्मित उत्पादों में अपस्फीति का अनुभव लगातार देखा गया, हालांकि इसकी दर संकीर्ण ही रही।
- थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index (WPI) ) ने महीने-दर-महीने 0.4% की वृद्धि दर्ज की, जो चार महीनों में पहली वृद्धि है।
महत्व:
- अर्थशास्त्री अंतर्राष्ट्रीय जिंसों की कीमतों, विशेष रूप से कच्चे तेल के बढ़ते दबाव के साथ-साथ गर्मी की स्थिति/हीट वेव्स से बिजली की मांग को प्रभावित करने और सब्जी मुद्रास्फीति में योगदान करने पर चिंता व्यक्त करते हैं।
- हाल के उतार-चढ़ाव के बावजूद, थोक कीमतों में पूरे वर्ष के लिए औसतन-0.7% की गिरावट आई, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच निरंतर आर्थिक चुनौतियों का संकेत देती है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत ने आर्कटिक में एक शोध केंद्र (अनुसंधान आधार) का संचालन किया है जिसका नाम है?
(a) हिमाचल
(b) हिमाद्री
(c) हिमगिरी
(d) मैत्री
उत्तर: b
व्याख्या:
- हिमाद्रि भारत का पहला आर्कटिक अनुसंधान स्टेशन है जो नॉर्वे के स्वालबार्ड में स्थित है। यह वहां भारत का एकमात्र अनुसंधान केंद्र है।
प्रश्न 2. अक्सर समाचारों में देखी जाने वाली ‘काया पहचान’ के अनुसार, CO2 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को इनमें से कितने कारकों के उत्पाद के रूप में व्यक्त किया जा सकता है?
1. जनसंख्या
2. प्रति व्यक्ति जी डी पी
3. सकल घरेलू उत्पाद की प्रति इकाई ऊर्जा तीव्रता
4. कार्बन की तीव्रता
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चार
उत्तर: d
व्याख्या:
- ग्रीनहाउस गैस CO2 के कुल उत्सर्जन स्तर को जनसंख्या, प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, ऊर्जा तीव्रता (जीडीपी की प्रति इकाई), और कार्बन तीव्रता के उत्पाद के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
प्रश्न 3. ऑपरेशन मेघदूत के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. संभावित खतरों की खुफिया जानकारी के आधार पर पाकिस्तानी सैन्य कार्रवाई को रोकने के लिए भारत द्वारा इसे शरू किया गया था।
2. ऑपरेशन के परिणामस्वरूप, भारत ने रणनीतिक प्रभुत्व सुनिश्चित करते हुए प्रमुख दर्रों और चोटियों पर सफलतापूर्वक नियंत्रण स्थापित किया।
उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: d
व्याख्या:
- दोनों कथन सही हैं।
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कितने हाइड्रोकार्बन का उपयोग वाणिज्यिक ईंधन प्रयोजनों के लिए किया जाता है?
1. प्रोपेन
2. कैरोटीन
3. ब्यूटेन
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कैरोटीन एक कार्बनिक वर्णक है जो आमतौर पर गाजर में पाया जाता है। प्रोपेन और ब्यूटेन का उपयोग एलपीजी जैसे वाणिज्यिक ईंधन उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित को उत्तर से दक्षिण की ओर व्यवस्थित कीजिए:
1. गलवान घाटी
2. शक्सगाम घाटी
3. देपसांग ला
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) 2-3-1
(b) 1-2-3
(c) 1-3-2
(d) 2-1-3
उत्तर: a
व्याख्या:
- उत्तर से दक्षिण: शक्सगाम घाटी – डेपासंग ला – गलवान घाटी।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. वैश्विक भूराजनीति में आर्कटिक क्षेत्र के रणनीतिक महत्व पर चर्चा कीजिए और भारत की विदेश नीति के निहितार्थ की जांच करें। इसके साथ ही सुझाव दें कि इस क्षेत्र में वैश्विक शक्तियों के प्रतिस्पर्धी हितों के बीच भारत को अपनी स्थिति किस प्रकार संभालनी चाहिए। (10 अंक, 150 शब्द) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध] (Discuss the strategic significance of the Arctic region in global geopolitics and examine the implications for India’s foreign policy. Suggest how India should navigate its position amidst the competing interests of global powers in the region. (10 marks, 150 words) [GS-2, IR])
प्रश्न 2. भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और पाकिस्तान के साथ इसके द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में सियाचिन ग्लेशियर के रणनीतिक महत्व का विश्लेषण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध] (Analyze the strategic significance of the Siachen Glacier in the context of India’s national security and its bilateral relations with Pakistan. (10 marks, 150 words) [GS-2, IR])
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)