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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 16 June, 2023 UPSC CNA in Hindi

16 जून 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

  1. भारत में गैर-संचारी रोग:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर मित्र या शत्रु के रूप में विचार:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों के अगले चरण की शुरुआत:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. भारत 31 MQ-9 रीपर खरीदेगा:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. बैंकॉक विजन 2030:
  2. व्यापार घाटा:
  3. पापुआ न्यू गिनी में सैन्य बेस (अड्डा):
  4. पोक्कली धान:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारत में गैर-संचारी रोग:

सामाजिक न्याय:

विषय: स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: भारत में NCDs द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ।

प्रसंग:

  • इस लेख में भारत में गैर-संचारी रोगों के प्रसार पर चर्चा की गई है।

विवरण:

  • गैर-संचारी रोग (Non-communicable diseases (NCDs)), जिन्हें चिरस्थायी बीमारियों के रूप में भी जाना जाता है, ऐसी चिकित्सीय स्थितियाँ हैं जो संक्रामक घटकों के कारण नहीं होती और इन्हें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित भी नहीं किया जा सकता है।
  • NCDs भारत सहित वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य बोझ पैदा करते हैं।
  • हाल के वर्षों में, भारत में गैर-संचारी रोगों के बढ़ते प्रसार का अनुभव किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्तियों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणाम एवं सामाजिक आर्थिक रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  • मधुमेह और अन्य गैर-संचारी रोगों (NCD) के लिए नए राष्ट्रीय अनुमान बताते हैं कि चार वर्षों (2019-2021) में 31 मिलियन से अधिक भारतीय मधुमेह रोगी बन गए हैं।

मुख्य निष्कर्ष:

  • हाल ही में भारत में किए गए एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन जो भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है, ने महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंताओं का खुलासा किया।
  • एक अध्ययन में पाया गया कि वर्ष 2021 में देश में 10.1 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित थे और 13.6 करोड़ लोग प्रीडायबिटीज से पीड़ित थे।
  • एक अध्ययन में अन्य स्वास्थ्य स्थितियों की व्यापकता पर भी प्रकाश डाला गया है, जो यह दर्शाता है कि भारत में 315 मिलियन लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, जबकि 254 मिलियन लोग मोटापे से तथा 351 मिलियन लोग पेट के मोटापे से पीड़ित थे।
    • ये स्थितियाँ व्यक्तियों के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करती हैं।
  • इसके अलावा, एक अध्ययन में हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया से संबंधित खतरनाक आंकड़ें देखने को मिलते हैं , जो एक ऐसी स्थिति है जिसमे धमनियों में वसा जमा हो जाती है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
    • इसने बताया कि 213 मिलियन लोगों को हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया था, और 185 मिलियन लोगों में कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (LDL) कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर था, जिसे आमतौर पर “खराब” कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है।

इस अध्ययन का महत्व:

  • यह पहला व्यापक महामारी विज्ञान शोध पत्र है, जिसमें 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिभागियों को शामिल किया गया है।
  • इसमें वृहद स्तर पर 1,13,043 व्यक्तियों का नमूना शामिल किया गया था, जो देश में चयापचय गैर-संचारी रोगों के प्रसार में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
  • अध्ययन ने दो महत्वपूर्ण प्रवृत्तियों की पहचान की:
    • सबसे पहले, यह पता चला कि मधुमेह और अन्य चयापचय NCDs, जिनमें उच्च रक्तचाप, मोटापा और डिसलिपिडेमिया शामिल हैं, भारत में पहले के अनुमान से अधिक प्रचलित हैं।
    • दूसरा, जबकि, शहरी क्षेत्रों में वर्तमान में प्रीडायबिटीज के अपवाद के साथ ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में चयापचय NCDs की उच्च दर देखने को मिल रही है, यदि उचित उपायों को लागू नहीं किया गया तो ग्रामीण भारत में अगले पांच वर्षों में मधुमेह के मामलों में वृद्धि होने की आशंका है।
  • शोध के निष्कर्ष अंतरराज्यीय और अंतर-क्षेत्रीय विविधताओं पर भी प्रकाश डालते हैं।
    • गोवा, पुडुचेरी और केरल राज्यों ने मधुमेह के उच्चतम प्रसार को प्रदर्शित किया, जबकि सिक्किम में प्रीडायबिटीज के प्रसार की दर उच्च थी।
    • पंजाब ने उच्च रक्तचाप की उच्चतम दर प्रदर्शित की, और पुडुचेरी में सामान्यीकृत और पेट के मोटापे का प्रसार उच्चतम था।
    • केरल में हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया और उच्च LDL कोलेस्ट्रॉल के विस्तार की उच्च दर देखने को मिली।
    • इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश (U.P.), मिजोरम, मेघालय और झारखंड में गैर-संचारी रोगों का प्रसार सबसे कम था।
  • गैर-संचारी रोगों (NCD) का यह बढ़ता बोझ एक प्रारंभिक चेतावनी संकेत के रूप में कार्य करता है, जो यह दर्शाता है कि प्रभावी नियंत्रण उपायों के बिना, भारत की जनसंख्या स्ट्रोक सहित जीवन-परिवर्तनकारी चिकित्सा स्थितियों की वृद्धि के उच्च जोखिम में है।
  • यह अध्ययन भारत में चयापचय गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए राज्य-विशिष्ट नीतियों और हस्तक्षेपों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है, क्योंकि मधुमेह की महामारी अधिक विकसित राज्यों में स्थिर होती दिख रही है, यह अधिकांशत अन्य राज्यों में बढ़ रही है, जो पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव का संकेत देती है।

भारत पर इस अध्ययन का प्रभाव:

  • भारत कुपोषण और मोटापे की दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है। प्रचुर मात्रा में भोजन की उपलब्धता के बावजूद, फास्ट-फूड की खपत, अपर्याप्त नींद, व्यायाम की कमी और बढ़े हुए तनाव के स्तर ने गैर-संचारी रोगों के लिए एक आदर्श वातावरण तैयार किया है।
  • पोषण संबंधी असंतुलन और जीवन शैली कारकों के संयोजन ने गैर-संचारी रोगों के लिए भारतीय आबादी को सुभेद्य बना दिया है।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने गैर-संचारी रोगों (NCD) को एक महत्वपूर्ण चिंता के रूप में मान्यता दी है और चार प्रमुख श्रेणियों की पहचान की है: हृदय रोग, कैंसर, पुरानी सांस की बीमारियां और मधुमेह।
  • ये रोग चार सामान्य व्यवहारिक जोखिम कारकों को साझा करते हैं, अर्थात् अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक निष्क्रियता, तंबाकू का उपयोग और शराब का सेवन।
  • इसलिए, इन पुरानी स्थितियों से जुड़े जोखिम कारकों को कम करने के लिए स्वस्थ आहार विकल्पों, नियमित शारीरिक गतिविधि, पर्याप्त आराम और तनाव प्रबंधन तकनीकों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

सारांश:

  • गैर-संचारी रोगों (NCD) पर हालिया किया गया राष्ट्रव्यापी अध्ययन प्रभावी निवारक उपायों, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे में सुधार और पुरानी बीमारियों के बढ़ते बोझ को दूर करने और देश में बेहतर स्वास्थ्य परिणामों को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियानों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर मित्र या शत्रु के रूप में विचार:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: आईटी और कंप्यूटर – कृत्रिम बुद्धिमत्ता

मुख्य परीक्षा: आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) के उपयोग और सीमाएं

प्रसंग:

  • इस लेख में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विभिन्न मापदंडों और इसके नियमन पर चर्चा की गई है।

भूमिका:

  • मीडिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence (AI)) का व्यापक कवरेज इसके महत्त्व और क्षेत्र में विशेषज्ञों द्वारा उठाई गई चिंताओं दोनों पर प्रकाश डालता है।
  • इन चिंताओं के जवाब में, एसोसिएशन फॉर कंप्यूटिंग मशीनरी ने अक्टूबर 2022 में एक बयान जारी किया, जिसे ‘जिम्मेदार एल्गोरिथम सिस्टम के लिए सिद्धांत’ कहा जाता है, जिसमें सिस्टम की व्यापक श्रेणी शामिल है जिसमें AI शामिल है।
  • फ्यूचर ऑफ लाइफ इंस्टीट्यूट, एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेंटर फॉर एआई सेफ्टी सहित अन्य सम्मानित संगठनों ने सतर्क करने वाले संदेश जारी किए हैं, जो AI के बारे में पर्याप्त ज्ञान रखने वालों के बीच व्यापक बेचैनी का संकेत देते हैं।

आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) के उपयोग और सीमाएं:

  • वर्तमान AI सिस्टम संकीर्ण कार्यों में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहे हैं, सुपरह्यूमन प्रदर्शन प्रदर्शित कर रहे हैं और मनुष्यों के लिए मूल्यवान सहायक बन रहे हैं।
  • हालाँकि, उनके प्रदर्शन में तब गिरावट आती है जब उनका सामना अधिक सामान्य या अ-परिभाषित कार्यों से होता है जिसके लिए सामान्य ज्ञान के आधार पर एकीकृत अनुमानों की आवश्यकता होती है।
  • आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) उस बुद्धिमत्ता को संदर्भित करता है जो प्रतिबंधित या विशिष्ट नहीं है। इसमें मानव जैसा “सामान्य ज्ञान” शामिल है जो वर्तमान AI सिस्टम में अनुपस्थित है।
    • AGI के निर्माण की व्यवहार्यता के बारे में विशेषज्ञों की कई राय हैं, कुछ का कहना है कि मशीनें इसे कभी हासिल नहीं कर सकती हैं, जबकि अन्य अनुमान लगाते हैं कि यह दूरस्थ भविष्य में संभावित रूप से उभर सकता है।
  • चैटजीपीटी (ChatGPT) की रिलीज के साथ AI क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकास हुआ है जो टेक्स्ट उत्पन्न करने के लिए एक लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) का उपयोग करता है।
    • LLM बड़े पैमाने पर कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क हैं जो सांख्यिकीय “मॉडल” स्थापित करने के लिए बड़ी मात्रा में टेक्स्ट डेटा के लिए प्रशिक्षित होते हैं।
  • सुसंगत पैराग्राफ उत्पन्न करने में ChatGPT की उल्लेखनीय सफलता ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया, जिससे भविष्य में GPT-4 जैसे पुनरावृत्तियों में AGI के उद्भव के बारे में अटकलें लगाई गईं।
  • हालांकि, आलोचक इस तरह के दावों के खिलाफ इस बात पर जोर देते हुए तर्क देते हैं कि LLMs अपने सांख्यिकीय मॉडल के आधार पर सबसे संभावित या प्रासंगिक शब्दों की भविष्यवाणी करके मौलिक स्तर पर काम करते हैं।
    • अर्थ की किसी भी समझ से रहित उन्हें अक्सर “रट्टू तोते” के रूप में संदर्भित किया जाता है।
    • LLMs गलत सूचना उत्पन्न करने और गैर-मौजूद शैक्षणिक पत्रों के लिए उद्धरण गढ़ने के लिए भी कुख्यात हैं।
  • सही AGI के आगमन का गहरा प्रभाव पड़ेगा। AGI संभावित रूप से विभिन्न बौद्धिक या मानसिक कार्यों में मनुष्यों से आगे निकल सकता है।

सुपरह्यूमन AL के साथ चुनौतियां:

  • AGI सिस्टम प्राकृतिक विकास को दरकिनार कर मानव द्वारा बनाई गई एक बेहतर प्रजाति का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
  • नतीजतन, AGI का आगमन विचार और तैयारी के गंभीर मुद्दे उत्पन्न करता है।
  • AI उपकरण बनाना अपेक्षाकृत सुलभ हो गया है, और दुर्भावनापूर्ण इरादे से उपयोग किए जाने पर भी छोटे एआई उपकरण महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) विश्वास दिलाने वाली झूठी खबरें उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे मानसिक कष्ट होता है और यहां तक कि कोई व्यक्ति खुद को नुकसान भी पहुंच सकता है। वे वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक चुनावों को प्रभावित करते हुए जनता की राय में हेरफेर भी कर सकते हैं।
  • इस तरह के दुर्भावनापूर्ण व्यवहार के खिलाफ प्रभावी रक्षा की अनुपस्थिति चिंता पैदा करती है, विशेष रूप से AI-संचालित हथियारों और लागू करने योग्य प्रतिबंधों की कमी के बारे में।
  • जैसा कि AI सिस्टम मनुष्यों की सहायता करते हैं, इसके अनपेक्षित नुकसान हो सकते हैं, यह प्रशिक्षण के लिए उपयोग किए गए डेटा में निहित पूर्वाग्रहों के कारण कुछ समूहों को असमान रूप से प्रभावित कर सकता है।
  • उदाहरण के लिए, चेहरे की पहचान करने वाली प्रणाली ने काली त्वचा वाली महिलाओं की तुलना में गोरी त्वचा वाले पुरुषों पर अधिक सटीकता प्रदर्शित की है।
  • इस तरह के पूर्वाग्रहों के ऑटोनोमस वाहनों और चिकित्सा निदान में भयावह परिणाम हो सकते हैं। गोपनीयता भी खतरे में है, क्योंकि एल्गोरिथम सिस्टम निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हुए लगातार व्यक्तियों की निगरानी करते हैं।
  • AI में हाल की प्रगति मुख्य रूप से पर्याप्त कम्प्यूटेशनल, डेटा और मानव संसाधन वाली कंपनियों में हुई है, लेकिन इनके प्रभावी सार्वजनिक निरीक्षण की कमी है।
  • नैतिक प्रथाओं को सुनिश्चित करना और सार्वजनिक हितों के साथ AI सिस्टम का संरेखण महत्वपूर्ण हो जाता है।

भारत के लिए अनुकूलित रूपरेखा:

  • भारत में, AI से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता और व्यापक चर्चाओं का अभाव है। यह समाज पर AI के संभावित प्रभाव की समझ को बाधित करता है और सूचित सार्वजनिक संभाषण को सीमित करता है।
    • AI में सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि, परिवहन और शासन जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण क्षमता है।
    • इन फायदों का पूरी तरह से फायदा उठाने के लिए, भारतीय समाज के भीतर जिम्मेदारी, निष्पक्षता और न्याय को बढ़ावा देने वाले तरीके से एआई सिस्टम को आकार देने हेतु और अधिक चर्चाओं और विचार-विमर्श करना आवश्यक है।
  • विदेशी निर्मित एआई सिस्टम पर निर्भरता भारतीय संदर्भों के साथ उनकी अनुकूलता और अधिक स्थानीय दृष्टिकोण की आवश्यकता के बारे में सवाल उठाती है।
  • इसलिए, उनकी प्रभावशीलता और कमियों को समझने के लिए भारतीय सेटिंग्स में एआई सिस्टम का व्यवस्थित मूल्यांकन करना आवश्यक है।
    • यह मूल्यांकन उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करेगा जहां सुधार की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करेगा कि एआई सिस्टम भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप हों।
  • एआई सिस्टम के व्यापक प्रयोग से पहले, नियंत्रण और संतुलन के तंत्र स्थापित करना महत्वपूर्ण है।
    • यह सुनिश्चित करता है कि संभावित जोखिमों को कम करने तथा नैतिक और जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करने के लिए AI प्रौद्योगिकी का कार्यान्वयन उचित नियमों, सुरक्षा उपायों और निरीक्षण के अधीन हो।
  • भारत को भारी-भरकम नियमों के साथ-साथ शिथिल प्रवर्तन के पिछले अनुभवों को ध्यान में रखते हुए अपना स्वयं का ढांचा विकसित करना चाहिए। नागरिकों के अधिकारों और हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सही संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है।

भावी कदम:

  • विनियमन और नवाचार को बढ़ावा देने के बीच संतुलन से समझौता किए बिना व्यक्तियों पर AGI के संभावित नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए विनियमन की आवश्यकता है।
  • AI अनुसंधान और विकास पर प्रतिबंध लगाने या रोकने जैसे चरम उपायों का सहारा लेने (जो अव्यावहारिक और अप्रभावी हैं) की बजाय, अपर्याप्त जांच और AI के कारण होने वाले संभावित अनजाने नुकसान पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
  • सार्वजनिक चर्चाओं को ठोस प्रयासों के माध्यम से इन मुद्दों की समाधेयता पर जोर देना चाहिए, उन मापदंडों पर विचार करना चाहिए जिनमें रचनात्मकता को प्रभावित किए बिना सावधानीपूर्वक निगरानी और प्रभावी विनियमन लागू करने की आवश्यकता होती है।

सारांश:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की व्यापक मीडिया कवरेज इसकी सफलताओं और विशेषज्ञों द्वारा उठाई गई चिंताओं दोनों पर प्रकाश डालती है। सुपरह्यूमन AI विभिन्न चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, जो नैतिक अभ्यास और सार्वजनिक निरीक्षण को आवश्यक बनाता है। भारत में AI के प्रभाव पर चर्चा की कमी है, तथा एक अनुरूप ढांचे और व्यवस्थित मूल्यांकन की आवश्यकता है।

अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों के अगले चरण की शुरुआत:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत को शामिल करने वाले द्विपक्षीय समझौते।

मुख्य परीक्षा: सहयोग और भारत-अमेरिका संबंधों की चुनौतियां।

प्रसंग:

  • इस लेख में अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों में बढ़ती गति पर चर्चा की गई है।

भूमिका:

  • अमेरिका-भारत संबंध ने विशेष रूप से रक्षा सहयोग, रणनीतिक संरेखण और आर्थिक सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति की है।
  • प्रगति के ये क्षेत्र दोनों देशों के बीच एक गहरी साझेदारी का संकेत देते हैं, जो साझा हितों और क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि को बढ़ाने की इच्छा से प्रेरित है।

हालिया घटनाक्रम:

  • जून 2023 में संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन की यात्रा के दौरान रक्षा साझेदारी को मजबूत करने और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए थे।
  • इस यात्रा के दौरान, रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए एक रोडमैप स्थापित किया गया।
    • यह क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) समझौते पर अमेरिका-भारत पहल का हिस्सा है।
  • इस रोडमैप का उद्देश्य आयात निर्भरता को कम करने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य के साथ संरेखित करते हुए, तकनीकी सहयोग में वृद्धि के माध्यम से भारत में रक्षा निर्माण को बढ़ाना है।
  • यह यात्रा तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने और सैन्य सहयोग बढ़ाने पर भी केंद्रित थी।
  • इंडस-एक्स (Indus-X) पहल की शुरूआत अमेरिका और भारत के बीच रक्षा नवाचार जुड़ाव के लिए एक नई प्रेरणा प्रदान करती है।
    • यह पहल 2022 में हस्ताक्षरित यूएस-भारत द्विपक्षीय अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता व्यवस्था का निर्माण करती है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्र में सूचना साझाकरण और सहयोग को बढ़ाना है।
  • इसके अतिरिक्त, अमेरिकी अंतरिक्ष कमान और भारत की रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के बीच सहयोग के आधार पर, रक्षा अंतरिक्ष आदान-प्रदान में सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान की गई है।
  • भारत के “प्रमुख रक्षा भागीदार” के दर्जे और यू.एस. के साथ चार मूलभूत समझौतों पर हस्ताक्षर के साथ, अब प्रौद्योगिकी साझा करने और अधिक सहयोग के लिए रास्ते खुल गए हैं।
    • ये समझौते भारत को अमेरिका का सहयोगी बनने की आवश्यकता के बिना संवेदनशील प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान को सक्षम करते हैं और प्रक्रियात्मक चुनौतियों या संरचनात्मक मतभेदों को दूर करने और संबंधों में असफलताओं को रोकने के लिए प्रभावी तंत्र के रूप में भी काम करते हैं।

हिंद-प्रशांत सहयोग:

  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी उनकी भागीदारी का एक मूलभूत पहलू है।
  • क्षेत्र में भारत और अमेरिका के संयुक्त खतरे के आकलन ने चीन की एक साझा और प्रमुख चुनौती के रूप में पहचान की है, जैसा कि अमेरिका द्वारा प्रकाशित चीन की सैन्य शक्ति रिपोर्ट 2022 में उजागर किया गया है।
    • रिपोर्ट से पता चलता है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नौसेना वर्तमान में जहाजों की संख्या के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, यह दर्शाता है कि हिंद और प्रशांत महासागरों में चीन की उपस्थिति बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि यह क्षेत्र अधिक प्रतिस्पर्धी हो गया है।
  • हिंद-प्रशांत में अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों में यूक्रेन के प्रति रूस की आक्रामक कार्रवाइयाँ, तथा आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी अंतर्राष्ट्रीय चिंताएँ शामिल हैं।
  • हिंद-प्रशांत के अलावा, भारत में अमेरिकी निवेश का मौजूदा पैमाना रक्षा क्षेत्र में भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच व्यापक औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत मूल कारण के रूप में कार्य करता है।
    • अमेरिकी सरकार सक्रिय रूप से अपनी कंपनियों को भारत के रक्षा आधुनिकीकरण के प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे संयुक्त उद्यमों का विकास हो सकता है, भारतीय रक्षा निर्माण में अमेरिकी हिस्सेदारी बढ़ सकती है, और सह-विकास और सह-उत्पादन में मौजूदा बाधाओं का समाधान हो सकता है।
    • बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, रेथियॉन और टेक्सट्रॉन जैसी प्रमुख अमेरिकी कंपनियां पहले से ही विभिन्न रक्षा-संबंधी विनिर्माण गतिविधियों में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और टाटा समूह जैसी भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग करती हैं।
  • हाल के कदमों ने विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र में सह-उत्पादन और सह-विकास के संदर्भ में रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) को पुनर्जीवित करने का संकेत भी दिखाया है।
  • प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की 22 जून को अमेरिका की आगामी आधिकारिक यात्रा से कई प्रमुख घोषणाओं की उम्मीद है, विशेष रूप से रक्षा सहयोग के क्षेत्र में, जो दोनों देशों के बीच उभरती रक्षा साझेदारी की असीम क्षमता को प्रदर्शित करता है।

सारांश:

  • अमेरिका-भारत संबंध ने साझा हितों और क्षेत्रीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करके रक्षा सहयोग में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। हाल के घटनाक्रमों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के प्रयास महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी की आगामी राजकीय यात्रा से बढ़ती रक्षा साझेदारी को मजबूत करने वाली और घोषणाएं होने की उम्मीद है।

भारत-अमेरिका संबंधों पर और पढ़ें: India-U.S. relations

प्रीलिम्स तथ्य:

1.भारत 31 MQ-9 रीपर खरीदेगा:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विषय: सुरक्षा

प्रारंभिक परीक्षा: चालक विहीन विमान

प्रसंग:

  • भारत अमेरिका से 31 MQ-9 रीपर UAV खरीदेगा।

मुख्य विवरण:

  • रक्षा अधिग्रहण परिषद ने जनरल एटॉमिक्स से 31 सशस्त्र MQ-9 रीपर मानव रहित हवाई वाहन (UAVs) की खरीद को मंजूरी दे दी है।
    • सौदे के लिए अंतिम मंजूरी सुरक्षा पर कैबिनेट समिति से लंबित है।
  • सौदा अमेरिकी सरकार के विदेशी सैन्य बिक्री मार्ग के माध्यम से किया जाएगा।
  • 31 UAVs में से 15 नौसेना के लिए निर्दिष्ट हैं, जबकि सेना और वायु सेना को आठ-आठ प्राप्त होंगे।
  • भारतीय अधिकारियों के अनुसार अनुमानित लागत, $ 3 बिलियन से अधिक होगी जिसमें रखरखाव, ओवरहाल और प्लेटफार्मों की मरम्मत भी शामिल है।
  • MQ-9 रीपर UAVs को शामिल करने से हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की समुद्री निगरानी क्षमताओं में महत्‍वपूर्ण वृद्धि होगी, जिससे P-8I समुद्री गश्ती विमान पर दबाव कम होगा।
    • नौसेना ने 2020 में दो MQ-9As को लीज पर लिया था और लीज को बढ़ा दिया गया है।
  • फरवरी 2023 में एयरो इंडिया के दौरान, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और जनरल एटॉमिक्स ने MQ-9 को शक्ति देने वाले टर्बो-प्रोपेलर इंजन के संबंध में एक सहयोग की घोषणा की थी।

MQ-9 रीपर के बारे में:

  • MQ-9 रीपर एक मानव रहित हवाई विमान (UAV) है जिसका उपयोग मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका की वायु सेना और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सैन्य बलों द्वारा किया जाता है।
  • इसे लंबे समय तक उड़ते रहने, ऊंचाई पर निगरानी और जमीनी लक्ष्यों पर सटीक हमले के लिए डिजाइन किया गया है।
  • रीपर उन्नत सेंसर और कैमरों से लैस है, जिसमें सिंथेटिक एपर्चर रडार और इन्फ्रारेड कैमरे शामिल हैं, जो इसे रीयल-टाइम इंटेलिजेंस इकट्ठा करने और बड़े क्षेत्रों में निगरानी करने में सक्षम बनाता है।
  • MQ-9 रीपर की अधिकतम पेलोड क्षमता 3,750 पाउंड है, जो इसे लेजर-गाइडेड बम, हेलफायर मिसाइल और JDAM (ज्वाइंट डायरेक्ट अटैक म्यूनिशन) किट सहित कई तरह के हथियार ले जाने की अनुमति देता है।
    • यह इसे दुश्मन के लड़ाकों, वाहनों और बुनियादी ढांचे जैसे लक्ष्यों पर सटीक हमले करने के लिए एक बहुमुखी प्लेटफ़ॉर्म बनाता है।
  • रीपर के महत्वपूर्ण फायदों में से एक इसकी लंबी सहनशक्ति है। यह विस्तारित मिशन और लगातार निगरानी की अनुमति देते हुए 27 घंटे तक हवा में रह सकता है।
    • यह क्षमता उन स्थितियों में महत्वपूर्ण है जहां निरंतर निगरानी की आवश्यकता होती है, जैसे कि हाई-वैल्यू लक्ष्यों को ट्रैक करना या जमीनी बलों के लिए ओवरवॉच प्रदान करना।
  • रीपर की प्रतिस्पर्धी और अनुमेय दोनों वातावरणों में काम करने की क्षमता इसे सैन्य अभियानों के लिए एक मूल्यवान संपत्ति बनाती है। अफगानिस्तान, इराक और सीरिया जैसे युद्ध क्षेत्रों में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. बैंकॉक विजन 2030:
  • 2023 के अंत के लिए निर्धारित “बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation (BIMSTEC) )” शिखर सम्मेलन में बैंकॉक विजन 2030 को अपनाए जाने की उम्मीद है।
  • बैंकॉक विजन 2030 का उद्देश्य बिम्सटेक को एक समृद्ध, लचीले और खुले क्षेत्र की ओर प्रेरित करना है और यह संगठन को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले एक व्यापक दस्तावेज के रूप में काम करेगा।
  • इसे मार्च 2023 में बैंकॉक से वर्चुअल रूप से 19वीं बिम्सटेक मंत्रिस्तरीय बैठक में अनुमोदित किया गया था।
  • वर्तमान अध्यक्ष, थाईलैंड ने क्षेत्रीय अंतर-संबद्धता, हितधारक भागीदारी और आंतरिक क्षमता निर्माण के माध्यम से बिम्सटेक को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
  • बिम्सटेक में बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड सदस्य देश हैं।
  1. व्यापार घाटा:
  • मई 2023 में, भारत का व्यापारिक निर्यात 10.3% घटकर 34.98 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि आयात 6.6% की धीमी दर से घटकर 57.1 बिलियन डॉलर हो गया। नतीजतन, व्यापार घाटा 22.1 अरब डॉलर के पांच महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया।
    • यह पिछले आठ महीनों में वस्तु निर्यात में छठी गिरावट है।
  • दूसरी ओर अप्रैल में 15 महीने के निचले स्तर की तुलना में मई में आयात में 13.8% की वृद्धि हुई, जिसे 49.9 अरब डॉलर के पिछले अनुमान से थोड़ा संशोधित कर 50.15 अरब डॉलर कर दिया गया है।
  • दिसंबर 2022 के बाद यह पहली बार है जब वस्तु व्यापार घाटा 20 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है।
  • 2023 में निर्यात वृद्धि में मंदी मुख्य रूप से चल रहे भू-राजनीतिक तनाव और मौद्रिक तंगी-प्रेरित मंदी के कारण है, जिससे उन्नत देशों में उपभोक्ता खर्च में कमी आई है।
  • 2022 में, आउटबाउंड वस्तु शिपमेंट का मूल्य 6.7% बढ़कर 450 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया, जबकि आयात 714 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो कि 2021-22 के पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 16.5% की वृद्धि दर्शाता है।
  • मई 2023 में आयात में महत्वपूर्ण वृद्धि का कारण उर्वरक, सोना और ईंधन जैसी विभिन्न वस्तुओं के उच्च आयात को माना जा सकता है, जो आमतौर पर इस महीने के दौरान देखा जाता है।
    • हालांकि, इंजीनियरिंग सामानों का निर्यात, जो हाल के वर्षों में भारत की निर्यात टोकरी का एक प्रमुख घटक रहा है, 4% से अधिक घटकर 9.3 बिलियन डॉलर रह गया है।
  1. पापुआ न्यू गिनी में सैन्य बेस (अड्डा):
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और पापुआ न्यू गिनी के बीच एक महत्वपूर्ण सुरक्षा समझौता हुआ है, जिससे अमेरिकी सेना देश में बेस स्थापित करने और संचालित करने में सक्षम हो गई है।
    • इस कदम को प्रशांत क्षेत्र में चीन की तुलना में अपनी रणनीतिक स्थिति को मज़बूत करने के अमेरिकी प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।
  • समझौते के अनुसार, अमेरिका के पास उपकरण, आपूर्ति और सामग्री की प्री-पोजिशनिंग के उद्देश्य से इन स्थानों तक अप्रतिबंधित पहुंच होगी।
    • इसके अतिरिक्त, कुछ क्षेत्रों को विशेष रूप से अमेरिका के लिए आरक्षित किया जाएगा, जिससे विकास और निर्माण गतिविधियों की अनुमति होगी।
  • रणनीतिक समर्थन हासिल करने के प्रयास में, अमेरिका प्रशांत देशों को कूटनीतिक और वित्तीय पेशकश कर रहा है, जो बीजिंग द्वारा की गई समान कार्रवाइयों की नक़ल है। संयुक्त राज्य अमेरिका विभिन्न प्रोत्साहनों के माध्यम से इन देशों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है।
  • चीनी कंपनियां सक्रिय रूप से पूरे प्रशांत क्षेत्र में खानों और बंदरगाहों का अधिग्रहण कर रही हैं, और उन्होंने सोलोमन द्वीप समूह के साथ एक गुप्त सुरक्षा समझौता भी किया है, जो चीन को क्षेत्र में सैनिकों को तैनात करने की क्षमता प्रदान करता है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने दक्षिण प्रशांत में चीनी सैन्य उपस्थिति की संभावना पर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि यह संभावित रूप से गुआम में अमेरिकी इकाईयों को कमजोर कर सकता है और चीनी आक्रमण की स्थिति में ताइवान की रक्षा को जटिल बना सकता है।

चित्र स्रोत: National Online Project

  1. पोक्कली धान:
  • पोक्कली धान केरल के तटीय क्षेत्रों, विशेष रूप से अलप्पुझा, एर्नाकुलम और त्रिशूर जिलों में खेती की जाने वाली एक अनूठी और पारंपरिक चावल की किस्म है।
  • इसकी विशिष्टता और स्थानीय महत्व को उजागर करते हुए इसे भौगोलिक संकेत (GI) उत्पाद के रूप में मान्यता दी गई है।
  • पोक्कली धान अपनी खारे पानी की सहिष्णु प्रकृति के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे खारे और दलदली क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त बनाता है।
  • इस विशेषता के लिए इसकी उच्च स्तर की लवणता को सहन करने की क्षमता को जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिससे यह जलवायु परिवर्तन और बढ़ते समुद्र के स्तर की चुनौतियों का सामना करने वाले तटीय किसानों के लिए एक मूल्यवान फसल बन जाती है।
  • पोक्कली धान की खेती एक अद्वितीय और पारिस्थितिक रूप से स्थायी कृषि प्रणाली का अनुसरण करती है जिसे पोक्कली खेती के रूप में जाना जाता है।
  • इस पद्धति में मानसून के मौसम में चावल की खेती और शेष वर्ष के दौरान मछली और झींगा की खेती शामिल है। धान के खेत प्राकृतिक मछली और झींगा नर्सरी के रूप में कार्य करते हैं, जो कृषि और जलीय कृषि के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।
  • पोक्कली धान न केवल अनुकूल गुणों के लिए बल्कि इसके पोषण मूल्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह आहार फाइबर, विटामिन और खनिजों में समृद्ध है, तथा आयरन और जिंक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की उच्च मात्रा के लिए विख्यात है।
  • पोक्कली धान की खेती से जुड़े अद्वितीय पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए पोक्कली धान का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण है।
  • केरल कृषि विश्वविद्यालय और केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान सहित विभिन्न संगठनों द्वारा इस स्वदेशी चावल की किस्म के संरक्षण और इसकी टिकाऊ खेती प्रथाओं को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-मध्यम)

  1. राजा परबा मुख्य रूप से ओडिशा राज्य में मनाया जाने वाला त्यौहार है।
  2. यह धरती माता और नारीत्व का जश्न मनाने वाला 3 दिवसीय त्यौहार है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: c

व्याख्या:

  • राजा परबा तीन दिवसीय त्यौहार है जो आमतौर पर जून के मध्य में मनाया जाता है, जो मानसून के मौसम की शुरुआत को चिह्नित करता है।
  • यह मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है और उर्वरता, स्त्रीत्व और कृषि के लिए मानसून की बारिश के महत्व के उत्सव को समर्पित है।
  • त्यौहार अनुष्ठानों और परंपराओं से जुड़ा हुआ है जो एक महिला के मासिक धर्म चक्र और पृथ्वी की उर्वरता से उसके संबंध का प्रतीक है।
    • राजा परबा के दौरान, महिलाएं पृथ्वी के सम्मान के प्रतीक के रूप में घरेलू काम और कृषि कार्य करने से बचती हैं, जिसे इस समय के दौरान मासिक धर्म माना जाता है।
  • राजा परबा के मुख्य आकर्षणों में से एक झूला उत्सव है, जिसे “पहिली राजा” के रूप में जाना जाता है, जहाँ लड़कियाँ और महिलाएँ पेड़ों से बंधे विशेष रूप से सजाए गए झूलों पर झूलने का आनंद उठाती हैं।
  • राजा परबा ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत और कृषि परंपराओं को दर्शाता है। यह स्थायी कृषि के महत्व और कृषि चक्र के पोषण में महिलाओं की भूमिका पर बल देते हुए लोगों और भूमि के बीच गहरे संबंध को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-सरल)

  1. पेरिस सम्मेलन ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करने का आह्वान करता है।
  2. इस सीमा को मापने के लिए वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि की गणना पिछले हिम युग के समाप्त होने के बाद वैश्विक तापमान को आधार बनाकर की जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: a

व्याख्या:

  • पेरिस समझौते का व्यापक लक्ष्य “वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों (1850-1900) से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है” और तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर तक सीमित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाना है।

प्रश्न 3. नाटो के संबंध में इनमें से कितने कथन सत्य हैं? (स्तर-कठिन)

  1. इसकी स्थापना 1949 में USSR के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए राष्ट्रों के एक समूह द्वारा की गई थी।
  2. इसमें 12 संस्थापक सदस्य थे, और सदस्यता बढ़कर 31 हो गई है।
  3. फिनलैंड नाटो का सदस्य बनने वाला नवीनतम देश है।

विकल्प:

  1. कोई नहीं
  2. केवल एक कथन
  3. केवल दो कथन
  4. सभी तीनों कथन

उत्तर: d

व्याख्या:

  • उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization (NATO)) एक सामूहिक सुरक्षा प्रणाली है: इसके स्वतंत्र सदस्य देश तीसरे पक्ष के हमलों के खिलाफ एक दूसरे की रक्षा करने के लिए सहमत हैं। शीत युद्ध के दौरान, नाटो ने सोवियत संघ द्वारा उत्पन्न खतरे के निरोध के रूप में कार्य किया।
  • वर्तमान में नाटो के 31 सदस्य देश हैं। नाटो सहयोगी कहे जाने वाले ये देश संप्रभु राज्य हैं जो राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करने और आम सहमति से सामूहिक निर्णय लेने के लिए नाटो के माध्यम से एक साथ आते हैं। नाटो का गठन यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 12 देशों ने 4 अप्रैल 1949 को किया था।
  • ब्रसेल्स में नाटो मुख्यालय में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ उत्तरी अटलांटिक संधि में प्रवेश के अपने विलय पत्र को जमा करने के बाद फ़िनलैंड 4 अप्रैल 2023 को NATO का सबसे नया सदस्य बन गया।

प्रश्न 4. अमेरिकी फेड द्वारा दरों में वृद्धि के भारतीय बाजारों पर निम्नलिखित में से कितने प्रभाव हो सकते हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. भारत की सरकारी प्रतिभूतियों में धन का अधिक प्रवाह।
  2. डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट।
  3. शेयर बाजारों से पैसे का बहिर्गमन।

विकल्प:

  1. केवल एक कथन
  2. केवल दो कथन
  3. सभी तीनों कथन
  4. कोई नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: जब फेड ब्याज दरें बढ़ाता है, तो यह वैश्विक निवेशकों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में निवेश को अधिक आकर्षक बनाता है। नतीजतन, भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी का बहिर्वाह होकर और अमेरिका में पूंजी प्रवाह हो सकता है। इससे विदेशी निवेश में कमी आ सकती है और भारतीय रुपये पर दबाव पड़ सकता है।
    • दर में वृद्धि के जवाब में, निवेशक अपने पोर्टफोलियो को अमेरिकी परिसंपत्तियों, जैसे कि अमेरिकी सरकार के बॉन्ड के पक्ष में पुनः आवंटित कर सकते हैं। यह भारत सरकार के बॉन्ड की मांग को कम कर सकता है और प्रतिफल बढ़ा सकता है, जिससे भारत सरकार के लिए उधार लेने की लागत अधिक हो सकती है।
  • कथन 2 सही है: यदि पूंजी का बहिर्वाह होता है, तो यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के मूल्यह्रास का कारण बन सकता है। एक कमजोर रुपया आयात को और अधिक महंगा बना सकता है, संभावित रूप से मुद्रास्फीति के दबावों को बढ़ा सकता है और विदेशी ऋण की सेवा लागत में वृद्धि कर सकता है।
  • कथन 3 सही है: वैश्विक निवेशक अक्सर ब्याज दरों में बदलाव के जवाब में अपनी निवेश रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करते हैं। यदि अमेरिका में दर वृद्धि से विदेशी निवेशकों की मनोभावों में गिरावट आती है, तो इसका भारतीय शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

प्रश्न 5. बौधायन प्रमेय (बौधायन शुल्व सूत्र) किससे संबंधित है? (PYQ-CSE-2008) (स्तर-कठिन)

  1. समकोण त्रिभुज की भुजाओं की लंबाई
  2. पाई के मूल्य की गणना
  3. लघुगणक (लॉगरिदमिक) गणना
  4. सामान्य वितरण वक्र

उत्तर: a

व्याख्या:

  • बौधायनसूत्र वैदिक संस्कृत ग्रंथों का एक समूह है जो धर्म, दैनिक अनुष्ठान, गणित आदि को कवर करता है। वे कृष्ण यजुर्वेद संप्रदाय की तैत्तिरीय शाखा से संबंधित हैं और सूत्र शैली के शुरुआती ग्रंथों में से हैं, जिन्हें शायद 8वीं से 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व में संकलित किया गया है।
  • बौधायनसुल्बसूत्र को कई प्रारंभिक गणितीय परिणामों के लिए जाना जाता है, जिसमें 2 के वर्गमूल का अनुमान और पाइथागोरस प्रमेय के एक संस्करण का कथन शामिल है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्षमता और खतरों पर चर्चा कीजिए।

(250 शब्द, 15 अंक) (GSIII – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)

प्रश्न 2. “भारत कुपोषण और मोटापे की दोहरी समस्या का सामना कर रहा है” चर्चा कीजिए।

(150 शब्द, 10 अंक) (GSII-स्वास्थ्य)