19 मार्च 2023 : समाचार विश्लेषण
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A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: भारतीय समाज:
B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
सुरक्षा:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
सामाजिक न्याय:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भारतीय समाज:
भारत में यहूदी
विषय: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं, भारत की विविधता
मुख्य परीक्षा: भारत में यहूदियों की स्थिति
संदर्भ:
- इस लेख भारत में यहूदियों की स्थिति पर चर्चा की गई है।
मुख्य विवरण:
- यहूदियों का भारत में प्राचीन इतिहास रहा है। कुछ अनुमानों के अनुसार, वे ईसा पूर्व छठी शताब्दी में भारत आए थे। आज भारत में लगभग 6000 यहूदी शेष हैं।
- भारत में यहूदियों का एक समुदाय बेने इज़राइल (Bene Israel) है, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य में रहते हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश में भी उनकी मौजूदगी है।
- परंपरा के अनुसार, बेने इज़राइल यहूदियों के उस समूह के वंशज हैं, जिनकी 2,000 साल पहले महाराष्ट्र के कोंकण तट पर जहाज दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
- उनकी अपनी विशिष्ट परंपराएं और रीति-रिवाज हैं, और वे ऐतिहासिक रूप से कृषि, मछली पकड़ने और हीरे के व्यापार में शामिल रहे हैं।
- भारत में एक और यहूदी समुदाय बगदादी यहूदी हैं, जो 18वीं सदी के अंत और 19वीं सदी की शुरुआत में भारत आए थे।
- वे मुख्य रूप से व्यापार और वाणिज्य में शामिल थे, और एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र के रूप में मुंबई के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- बग़दादी यहूदी आमतौर पर बेने इज़राइल से अधिक समृद्ध थे, और अपनी भव्य जीवन शैली तथा फैशनेबल पोशाक पहनने के लिए प्रसिद्ध थे।
- इन समुदायों के अलावा, आंध्र प्रदेश, कोच्चि, मणिपुर, गुजरात और कोलकाता सहित भारत के अन्य हिस्सों में भी यहूदियों की छोटी आबादी निवास करती है।
- तेलुगु यहूदी समुदाय केवल गुंटूर जिले के कोथारेड्डीपालम और कृष्णा जिले के मछलीपट्टनम में निवास करता है। समुदाय के सदस्यों का मानना है कि वे ‘बेने एप्रैम’ (Bene Ephraim) हैं, जो इज़राइल की लुप्त हो चुकी जनजातियों में से एक है।
- जबकि भारत में यहूदी आबादी सदियों से काफी कम हो गई है, वहीं उनकी सांस्कृतिक विरासत यहूदी उपासनागृह, त्योहारों और अन्य परंपराओं के रूप में जीवित है।
- वर्तमान में, भारत सरकार ने यहूदियों को एक अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में मान्यता दी है, और उनकी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा तथा संरक्षण के लिए कदम उठाए हैं।
इज़राइल वापसी:
- यहूदी धर्म के बुनियादी नियमों और शिक्षाओं की उत्पत्ति तोराह से हुई हैं, जो इब्रानी भाषा की प्रथम पाँच पुस्तकों का संकलन है।
- ऐसा माना जाता है कि ‘तोराह’ में समुदाय के सभी सदस्यों से इज़राइल लौटने को कहा गया है।
- 1948 में इस्राइल बनने के बाद से इजराइली सरकार सदस्यों की वापसी हेतु व्यवस्था करती रही है ताकि दुनिया भर में बसे यहूदी लोग वापस लौट सकें।
- मणिपुर से 3,000 से अधिक यहूदी हाल ही में इजरायल के लिए रवाना हुए थे। इजरायल सरकार उन्हें आश्रय और रोजगार के अवसर प्रदान कर रही है।
- आंध्र प्रदेश में यहूदी समुदाय के सदस्य सभी सरकारी अभिलेखों में अनुसूचित जाति के रूप में पंजीकृत हैं। समुदाय ने “सरकार से बार-बार अल्पसंख्यक का दर्जा देने का आग्रह किया है”।
- इज़राइल से यहूदी धार्मिक नेता, जिन्हें रब्बी कहा जाता है, इस समुदाय के दावों को सत्यापित करने के लिए कोथारेड्डीपालम आए थे।
- इजरायल सरकार ने समुदाय के सदस्यों से इज़राइल वापसी से पहले ‘मडिगा’ (अनुसूचित जाति) दर्जे को बदलने की मांग की है।
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सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
भारत का डीप ओशन मिशन
विषय: प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई प्रौद्योगिकी का विकास
मुख्य परीक्षा: गहन समुद्री अन्वेषण का महत्व और निहितार्थ
संदर्भ:
- भारत ने जल के अंदर 6000 मीटर गहराई पर एक मिशन तैयार किया है।
भूमिका:
- भारत का डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission) भारत सरकार द्वारा एक ऐतिहासिक पहल है जिसका उद्देश्य भारतीय प्रायद्वीप के आसपास समुद्र की गहराई में अन्वेषण कार्य और उसका अध्ययन करना है।
- यह मिशन एक बहु-विषयक परियोजना है जो महासागर के विशाल और जटिल पारिस्थितिकी तंत्र, इसके भूविज्ञान और इसके खनिज संसाधनों के बारे में हमारी समझ को और गहरा करेगा।
- इसका उद्देश्य गहन समुद्री अन्वेषण और अनुसंधान के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे का विकास करना, नई समुद्री प्रजातियों की खोज करना, समुद्र तल का मानचित्र बनाना और समुद्र के जैव-भू-रासायनिक चक्रों तथा जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभाव का अध्ययन करना है।
- इसके अतिरिक्त, मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र में पाए जाने वाले खनिजों का पता लगाने और उन्हें निकालने तथा स्थायी रूप से उपयोग करने के लिए प्रौद्योगिकियों को विकसित करना भी है।
मानवयुक्त पनडुब्बी:
- गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास गहरे समुद्र मिशन की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है।
- चेन्नई स्थित राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) मिशन के हिस्से के रूप में ‘मत्स्य-6000’ नामक एक उन्नत जलीय वाहन विकसित कर रहा है।
- यह एक रिमोट संचालित वाहन (ROV) है जिसे तीन लोगों को ले जाने और 6,000 मीटर की गहराई तक संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो इसे दुनिया में सबसे गहराई पर संचालित किए जाने वाले रिमोट संचालित वाहनों में से एक बनाता है।
- 6,000 मीटर की गहराई पर, जल का भार समुद्र के स्तर से लगभग 600 गुना अधिक होता है, जो दाबानुकूलित टाइटेनियम पतवार को पनडुब्बी का सबसे महत्वपूर्ण घटक बनाता है।
- यह सेंसर, कैमरा और सैंपलिंग उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला से लैस है। यह गहरे समुद्री वातावरण और यहाँ मौजूद जीवों के उच्च-रिज़ॉल्यूशन के चित्र और वीडियो एकत्र करने के साथ-साथ पानी, तलछट और जैविक सामग्री के नमूने एकत्र करने में सक्षम है।
- मत्स्य-6000 उन्नत नेविगेशन और पोजिशनिंग सिस्टम से लैस है जो इसे गहरे समुद्री वातावरण में सटीकता के साथ नेविगेट करने में मदद करता है। यह शक्तिशाली थ्रस्टर्स (प्रणोदक) से भी लैस है जो इसे प्रबल धाराओं और अशांत जल में परिवहन में सक्षम बनाता है।
- भारतीय मिशन के 2024 के अंत में या 2025 की शुरुआत में प्रारंभ होने की उम्मीद है। इस मिशन की सफलता भारत को उन देशों (जापान, यूएसए, रूस, फ्रांस और चीन) की क़तार में खड़ा कर देगी, जिन्होंने 5,000 मीटर से अधिक गहराई पर मानवयुक्त समुद्री अभियान चलाया है।
- मत्स्य-6000 भारत की गहन समुद्री अन्वेषण क्षमताओं में एक प्रमुख मील का पत्थर है। यह वैज्ञानिकों को गहरे समुद्री वातावरण का पहले से कहीं अधिक विस्तार से अध्ययन करने में मदद करेगा, जिससे महासागर के विशाल और जटिल पारिस्थितिकी तंत्र में नई खोज और अंतर्दृष्टि प्राप्त होगी।
- इस वाहन के द्वारा डीप ओशन मिशन और हिंद महासागर क्षेत्र में भविष्य के वैज्ञानिक अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए जाने की उम्मीद है।
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सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
खालिस्तान आंदोलन
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां पैदा करने में बाहरी राज्य और गैर-राज्य अभिकर्ताओं की भूमिका
मुख्य परीक्षा: खालिस्तान आंदोलन, इसके उद्देश्य और इसके पतन के कारण।
संदर्भ:
- पंजाब में खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई।
भूमिका:
- पंजाब पुलिस ने 18 मार्च को खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए कई आपराधिक मामलों के सिलसिले में 78 लोगों को गिरफ्तार किया।
- अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे (WPD)’ नामक खालिस्तान समर्थक संगठन का प्रमुख है।
- ‘वारिस पंजाब दे’ के आरोपी कार्यकर्ता वर्गों के बीच वैमनस्य फैलाने, हत्या के प्रयास, पुलिसकर्मियों पर हमले और लोक सेवकों के कर्तव्यों के वैध निर्वहन में बाधा उत्पन्न करने के चार मामलों में शामिल हैं।
- किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए राज्य भर में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था।
- पुलिस ने कई हथियार जब्त किए हैं और लोगों को फर्जी खबरें फैलाने या अभद्र भाषा के इस्तेमाल के खिलाफ आगाह करते हुए शांत रहने की अपील की है।
- विदेश में मौजूद खालिस्तान समर्थकों के साथ अमृतपाल के संबंधों का पता लगाने के लिए एजेंसियां जांच कर रही हैं।
खालिस्तान आंदोलन:
- खालिस्तान आंदोलन एक अलगाववादी आंदोलन है जो 1970 के दशक के अंत में भारतीय राज्य पंजाब में उभरा।
- आंदोलन का उद्देश्य खालिस्तान नामक एक अलग सिख मातृभूमि (देश) बनाना है, जिसमें पंजाब और उत्तरी भारत के अन्य हिस्से शामिल होंगे।
- 1980 का दशक पंजाब में तीव्र हिंसा और राजनीतिक अशांति का दौर था, क्योंकि जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में खालिस्तान आंदोलन चरम पर था।
- भिंडरावाले और उनके अनुयायियों ने 1984 में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया, जो कि सबसे पवित्र सिख तीर्थ स्थान है। भारत सरकार ने मंदिर से अलगाववादियों को बाहर निकालने के लिए एक सैन्य अभियान ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) शुरू किया।
- इन समूहों के द्वारा बम विस्फोटों और हत्याओं की एक श्रृंखला को अंजाम देने के साथ 1980 के दशक के अंत तक खालिस्तान आंदोलन को ताकत मिलती रही।
- भारत सरकार ने भारी-भरकम कार्रवाई करते हुए जवाब दिया, जिससे हिंसा और प्रतिहिंसा का एक दौर शुरू हो गया।
खालिस्तान आंदोलन का पतन:
- 1990 के दशक की शुरुआत में, खालिस्तान आंदोलन ने अपनी गति खो दी थी। भारत सरकार उग्रवादी समूहों को दबाने में काफी हद तक सफल रही थी, और आंदोलन के प्रति जनता का समर्थन कम हो गया था।
- खालिस्तान आंदोलन के पतन के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। मुख्य कारकों में से एक आंदोलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन की कमी थी। अधिकांश देशों ने खालिस्तान आंदोलन को एक वैध अलगाववादी आंदोलन के रूप में मान्यता नहीं दी, और यह आंदोलन अंतरराष्ट्रीय समुदाय से काफी हद तक अलग-थलग था।
- एक अन्य कारक आंदोलन का कई प्रतिस्पर्धी गुटों में विभाजित होना था। आंदोलन में एक सामंजस्यपूर्ण नेतृत्व संरचना का अभाव था और यह अंदरूनी लड़ाई तथा गुटबाजी से त्रस्त था।
- इसके अलावा, भारत सरकार ने 1990 के दशक में आर्थिक और राजनीतिक सुधारों की एक श्रृंखला शुरू की, जिसने खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा देने वाली कई शिकायतों को दूर करने में मदद की। इस अवधि के दौरान पंजाब ने महत्वपूर्ण आर्थिक विकास देखा गया, और राज्य भारतीय अर्थव्यवस्था में अधिक एकीकृत हो गया।
समकालीन प्रासंगिकता:
- इन कारकों के बावजूद खालिस्तान आंदोलन आज भी किसी न किसी रूप में मौजूद है। अभी भी कुछ अलगाववादी समूह (बहुत कम संख्या) हैं जो खालिस्तान विचारधारा का समर्थन करते हैं, हालांकि वे 1980 के दशक की तुलना में बहुत कमजोर और कम सक्रिय हैं।
- समकालीन भारत में खालिस्तान आंदोलन की प्रासंगिकता बनी हुई है। इस आंदोलन ने सिखों की एक नई पीढ़ी को प्रेरित किया है जो खुद को हाशिए पर और भारतीय समाज में भेदभाव महसूस करते हैं।
- हाल के वर्षों में, सिख कार्यकर्ताओं द्वारा खालिस्तान की वकालत करने और विरोध तथा प्रदर्शनों में शामिल होने की कई घटनाएं हुई हैं। 2020 में, भारत सरकार के विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध के दौरान सिख कार्यकर्ताओं के एक समूह ने दिल्ली के लाल किले पर खालिस्तान का झंडा फहराया था।
- भारत सरकार के लिए उन अंतर्निहित शिकायतों को दूर करना महत्वपूर्ण है, जिन्होंने खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा दिया है, जैसे कि सिखों के खिलाफ भेदभाव और उनका राजनीतिक तथा आर्थिक रूप से हाशिए पर होना।
- साथ ही, हिंसा और उग्रवाद को खारिज करना तथा संवाद को बढ़ावा देना और संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
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सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
नेट न्यूट्रलिटी (Net Neutrality) विचार-विमर्श की वापसी
विषय: विभिन्न क्षेत्रों – आईटी और कंप्यूटर में जागरूकता
मुख्य परीक्षा: डिजिटल इंडिया पहल पर नेट तटस्थता का प्रभाव
संदर्भ:
- नेट न्यूट्रलिटी (Net Neutrality) के आसपास विचार विमर्श (बहस) की पुनः शुरुआत।
मुख्य विवरण:
- भारत में तीन प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटरों भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो का प्रतिनिधित्व करने वाले सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) की मांग है कि, नवंबर 2022 से यूट्यूब और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म नेटवर्क लागत के रूप में राजस्व के एक हिस्से का भुगतान करें।
- इस मांग की तत्काल प्रतिक्रिया में, ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF), जो मेटा और गूगल जैसी इंटरनेट फर्मों का प्रतिनिधित्व करता है, ने दूरसंचार विभाग (DoT) को एक पत्र लिखकर सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) की मांगों का खंडन किया।
- 2016 में, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने नेट न्यूट्रलिटी के पक्ष में फैसला सुनाया। नेट न्यूट्रलिटी अवधारणा इंटरनेट नेटवर्क पर मौजूद सभी ट्रैफ़िक के साथ समान व्यवहार किया जाना सुनिश्चित करती है।
- दूरसंचार नियामक (टेलीकॉम रेगुलेटर) ने निष्कर्ष निकाला कि फेसबुक (अब मेटा) द्वारा फ्री बेसिक्स जैसे प्रोग्राम और टेलीकॉम ऑपरेटरों की वाईबर (Viber) जैसे ऐप के उपयोग से की जाने वाली डेटा कॉल के लिए अतिरिक्त शुल्क लेने की योजना निषिद्ध होगी, क्योंकि सभी इंटरनेट एक्सेस के लिए समान मूल्य देय होगा।
- दूरसंचार विभाग ने 2018 में एकीकृत लाइसेंस, जिसकी शर्तों से सभी दूरसंचार ऑपरेटर और इंटरनेट प्रदाता बाध्य हैं, में नेट न्यूट्रलिटी अवधारणा को शामिल किया था।
नेट न्यूट्रलिटी के बारे में और पढने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए: Net Neutrality
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
समलैंगिक (same sex) विवाह पर भारत का रुख
विषय: कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
मुख्य परीक्षा: समलैंगिक विवाह, विशेष विवाह अधिनियम, 1954 से संबंधित मुद्दे
संदर्भ:
- एक विशेष कानून के तहत समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने के लिए अनुरोध।
मुख्य विवरण:
- 13 मार्च को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी रूप से मान्यता देने के लिए दायर याचिकाओं को उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया। न्यायालय ने मामले को अंतिम बहस के लिए 18 अप्रैल को सूचीबद्ध किया है।
- न्यायालय एक विशेष कानून के तहत समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने के लिए कई याचिकाकर्ताओं के अनुरोधों पर सुनवाई कर रहा है।
समान मुद्दों पर न्यायपालिका की प्रतिक्रिया:
- जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देने वाले अनुच्छेद 21 की तरफ झुकाव के साथ न्यायालयों ने समय-समय पर यह इंगित करते हुए अंतर-धर्म और अंतर-जातीय विवाह के पक्ष में फैसला सुनाया है कि, “सभी वयस्कों को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार है।”
- नवतेज सिंह जौहर (2018) मामले में, जब समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था, अदालत ने प्रावधान किया कि LGBT [QIA+] समुदाय के सदस्य बिना किसी भेदभाव के समान नागरिकता के लाभ और समान विधिक सुरक्षा के हकदार हैं।
केंद्र सरकार का रूख:
- केंद्र सरकार ने यह कहते हुए सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिक विवाह का विरोध किया है कि भारत में एक जैविक पुरुष और महिला के बीच विवाह एक पवित्र मिलन और एक संस्कार है।
- सरकार ने कहा कि भले ही इस तरह के अधिकार (समलैंगिक विवाह की अनुमति) का अनुच्छेद 21 के तहत दावा किया गया हो, लेकिन “वैध राज्य हित सहित अनुमेय संवैधानिक आधारों पर सक्षम विधायिका द्वारा अधिकार को कम किया जा सकता है।”
- यहां तक कि अगर अदालत समलैंगिक अर्थात समान-लिंग विवाह के पक्ष में फैसला सुनाती है, तो इसे भारत के विविध समाज में सुस्थापित परंपराओं के साथ लागू करना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।
भारत में समलैंगिक विवाह के बारे में और पढने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए: Same Sex Marriage in India
IPC की धारा 377 के बारे में और पढने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए: Section 377 of IPC
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सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
- भारत-बांग्लादेश मैत्री तेल पाइपलाइन
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
विषय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध
प्रारंभिक परीक्षा: सीमा पार तेल पाइपलाइन; नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड ऑफ इंडिया
संदर्भ:
- भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन का उद्घाटन
मुख्य विवरण:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वर्चुअल रूप से 18 मार्च को भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन का उद्घाटन किया।
- 131.57 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन द्वारा नुमालीगढ़ रिफाइनरी के सिलीगुड़ी मार्केटिंग डिपो से उत्तरी बांग्लादेश के परबतीपुर में डीजल आपूर्ति की जाएगी।
- यह पाइपलाइन बांग्लादेश में 126.57 किलोमीटर और भारत में पांच किलोमीटर तक विस्तृत है।
- पाइपलाइन की क्षमता एक मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) है।
- भारत-बांग्लादेश मैत्री तेल पाइपलाइन के निर्माण की कुल परियोजना लागत 377.08 करोड़ रुपये है।
- यह परियोजना भारत सरकार से प्राप्त अनुदान सहायता के तहत बनाई गई है।
- यह परियोजना भारत की नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड और बांग्लादेश की मेघना पेट्रोलियम लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित की जा रही है।
भारत की नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड:
- नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड असम में स्थित भारत सरकार का उद्यम है।
- इसे 15 अगस्त 1985 को हस्ताक्षरित ऐतिहासिक असम समझौते (Assam Accord) में किए गए प्रावधानों के अनुसार 22 अप्रैल 1993 को एक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था।
- इसके 69% शेयर ऑयल इंडिया लिमिटेड के पास हैं, जबकि 26% शेयर असम सरकार के पास हैं।
- नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड श्रेणी- I के तहत मिनी रत्न सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है और यह असम में 4 रिफाइनरियों में से एक है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- ग्लोबल मिलेट्स सम्मेलन:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 मार्च, 2023 को नई दिल्ली में ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन का उद्घाटन किया।
- भारत सहित 10 देशों के मंत्रियों और अधिकारियों की भागीदारी के साथ मिलेट्स पर एक मंत्रिस्तरीय गोलमेज भी यहां आयोजित किया गया था।
- इस दो दिवसीय सम्मेलन में उत्पादकों, उपभोक्ताओं और अन्य हितधारकों के बीच मिलेट्स के प्रचार और जागरूकता पर सत्र होंगे।
- भारत और अन्य देशों के हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ मिलेट्स की खेती, मिलेट्स अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य लाभ और किसानों की आय जैसे विषयों पर विचार-मंथन सत्र आयोजित किए जाएंगे।
- कोऑपरेटिव रिपब्लिक ऑफ गुयाना के अध्यक्ष मोहम्मद इरफ़ान अली ने एक वीडियो संदेश में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स (मोटा अनाज) वर्ष के रूप में घोषित करने के सम्मान में मिलेट्स अर्थात मोटा अनाज के विशेष उत्पादन के लिए अपने देश में 200 एकड़ भूमि की पेशकश की।
- MQ-9A ‘रीपर’:
- MQ-9A रीपर एक मानव रहित हवाई वाहन (UAV) है जिसका उपयोग मुख्य रूप से संयुक्त राज्य वायु सेना और सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) द्वारा टोही, निगरानी और लक्षित हमलों के लिए किया जाता है।
- यह शुरुआती MQ-1 प्रीडेटर ड्रोन का बड़ा और अधिक उन्नत संस्करण है।
- यह रीपर उन्नत सेंसर, कैमरों और सटीक-निर्देशित मिसाइलों से लैस है, तथा 240 KTAS (नॉट्स ट्रू एयरस्पीड) की गति से 27 घंटे से अधिक समय तक हवा में रह सकता है और 50,000 फीट की ऊंचाई तक काम कर सकता है।
- यह जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स द्वारा निर्मित है।
- यह इराक, अफगानिस्तान और सीरिया के साथ-साथ मध्य पूर्व और अफ्रीका के अन्य देशों में अमेरिकी सैन्य अभियानों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
- रीपर ड्रोन का उपयोग नागरिकों के हताहत होने संबंधी चिंताओं और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के कारण विवादास्पद रहा है।
- 14 मार्च को, क्रीमिया के पश्चिम में अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में दो रूसी Su-27 जेट विमानों के साथ टकराव के बाद, अमेरिकी वायु सेना (USAF) ने काला सागर में एक MQ-9 रीपर गिरा दिया था।
- भारतीय नौसेना वर्तमान में लीज़ पर दो MQ-9A का संचालन कर रही है। प्रीडेटर-B कहे जाने वाले 30 सशस्त्र MQ-9A की खरीद के एक बड़े प्रस्ताव में देरी हुई है।
- MQ-9A यूके, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड्स, स्पेन द्वारा भी संचालित किए जाते हैं और बेल्जियम द्वारा ऑर्डर दिए गए हैं। जापान ने हाल ही में समुद्री विन्यास वाले MQ-9B सी गार्जियन को शामिल किया है।
- फरवरी 2023 में एयरो इंडिया में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और जनरल एटॉमिक्स ने घोषणा की कि MQ-9B को शक्ति देने वाले टर्बो-प्रोपेलर इंजन भारतीय बाजार के लिए HAL के इंजन डिवीजन द्वारा समर्थित होंगे।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर–मध्यम)
- एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) में राज्य बोर्ड पाठ्यक्रम चलता है।
- वर्ष 2010 के मौजूदा EMRS दिशानिर्देशों के अनुसार, क्षेत्र में 50% ST आबादी वाले प्रत्येक एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (ITDA)/एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना (ITDP) में कम से कम एक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की स्थापना की जानी है।
- बजट 2018-19 के अनुसार, 50% से अधिक ST आबादी वाले और कम से कम 20,000 आदिवासी व्यक्तियों वाले प्रत्येक ब्लॉक में वर्ष 2022 तक एक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय होगा।
निम्नलिखित में से सही कूट का चयन कीजिए:
- केवल एक कथन गलत है
- दो कथन गलत हैं
- सभी कथन गलत हैं
- इनमें से कोई भी कथन गलत नहीं है
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 01 गलत है, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) में CBSE पाठ्यक्रम चलता है।
- कथन 02 सही है, वर्ष 2010 के मौजूदा EMRS दिशानिर्देशों के अनुसार, क्षेत्र में 50% ST आबादी वाले प्रत्येक एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (ITDA)/एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना (ITDP) में कम से कम एक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की स्थापना की जानी है।
- कथन 03 सही है, जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) की स्थापना सहित जनजातीय विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए 25% या अधिक अनुसूचित जनजाति (ST) आबादी वाले 163 प्राथमिकता वाले जिलों को मान्यता दी है।
- बजट 2018-19 के अनुसार, 50% से अधिक ST आबादी वाले और कम से कम 20,000 आदिवासी व्यक्तियों वाले प्रत्येक ब्लॉक में वर्ष 2022 तक एक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय होगा।
प्रश्न 2. रवांडा की सीमा निम्नलिखित में से किन देशों के साथ लगी हुई है? (स्तर–कठिन)
- युगांडा
- तंजानिया
- बुरुण्डी
- डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC)
निम्नलिखित में से सही कूट का चयन कीजिए:
- केवल 1 और 3
- केवल 2 और 3
- केवल 1, 3 और 4
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:

चित्र स्रोत: Britannica
प्रश्न 3. मैगलन मिशन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- शुक्र ग्रह के लिए नासा का मैगलन मिशन सबसे सफल गहन अंतरिक्ष मिशनों में से एक था।
- यह शुक्र ग्रह की पूरी सतह की छवि लेने वाला पहला अंतरिक्ष यान था और इसने इस ग्रह के बारे में कई खोजें कीं। इसे 4 मई, 1989 को लॉन्च किया गया था।
- 13 अक्तूबर, 1994 को मैगलन के साथ संचार उस समय टूट गया जब उसे शुक्र के वातावरण में उतरने का निर्देश दिया गया।
निम्नलिखित में से सही टूट का चयन कीजिए:
- केवल एक कथन गलत है
- दो कथन गलत हैं
- सभी कथन गलत हैं
- इनमें से कोई भी कथन गलत नहीं हैं
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 01 सही है, मैगलन अंतरिक्ष यान द्वारा प्रक्षेपित किया गया पहला प्रोब था जिसका नाम पुर्तगाली खोजकर्ता फर्डिनेंड मैगलन (1480-1521) के नाम पर रखा गया था। शुक्र ग्रह के लिए मैगलन मिशन सबसे सफल गहन अंतरिक्ष मिशनों में से एक था।
- कथन 02 सही है, यह शुक्र ग्रह की पूरी सतह की छवि लेने वाला पहला अंतरिक्ष यान था और इसने ग्रह के बारे में कई खोज की।
- कथन 03 सही है, 13 अक्टूबर, 1994 को अंतरिक्ष यान को वायुगतिकीय डेटा एकत्र करने के लिए वातावरण में प्रवेश करने का आदेश दिया गया था। लगभग 10 घंटे बाद अंतरिक्ष यान शुक्र ग्रह के वातावरण में जल गया जो कि सबसे सफल गहन अंतरिक्ष मिशनों में से एक था।
प्रश्न 4. पीएम गति शक्ति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान (2021), ‘समग्र बुनियादी ढांचा’ विकसित करने के लिए 100 लाख करोड़ रूपए की परियोजना है।
- एकीकृत दृष्टिकोण: इसमें बुनियादी ढांचे से संबंधित 16 मंत्रालयों को एक साथ लाने का उद्देश्य निहित है।
- पीएम गतिशक्ति छह स्तंभों पर आधारित है: समग्रता (Comprehensiveness), प्राथमिकता (Prioritization), अनुकूलन (Optimization), समकालिकता (Synchronization), विश्लेषिकी (Analytical), गतिशीलता (Dynamic)।
निम्नलिखित में से सही कूट का चयन कीजिए:
- केवल 1 और 2
- केवल 3
- केवल 2
- 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 01 सही है, पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान देश भर में दो रक्षा गलियारों सहित 1,200 से अधिक औद्योगिक समूहों को मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 100 लाख करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना है।
- कथन 02 सही है, इस योजना का उद्देश्य जमीनी कार्यों में तेजी लाने, लागत बचाने और रोजगार सृजित करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अगले चार वर्षों में एकीकृत योजना और आधारभूत संरचना परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है। इसका लक्ष्य बुनियादी ढांचे से संबंधित 16 मंत्रालयों को एक साथ लाना है।
- कथन 03 सही है, पीएम गतिशक्ति छह स्तंभों पर आधारित है: समग्रता (Comprehensiveness), प्राथमिकता (Prioritization), अनुकूलन (Optimization), समकालिकता (Synchronization), विश्लेषिकी (Analytical), गतिशीलता (Dynamic)। परियोजनाओं को साइलो में अलग से योजना बनाने और डिजाइन करने के बजाय, परियोजनाओं को एक सामान्य दृष्टिकोण के साथ डिजाइन और क्रियान्वित किया जाएगा।
प्रश्न 5. भारत में, न्यायपालिका का कार्यपालिका से पृथक्करण, किससे व्यादेशित है? PYQ (2020) (स्तर – सरल)
- संविधान की उद्देशिका द्वारा
- राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व द्वारा
- सातवीं अनुसूची द्वारा
- परंपरागत व्यवहार द्वारा
उत्तर: b
व्याख्या: हमारे संविधान का अनुच्छेद 36 से अनुच्छेद 51 राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों से संबंधित है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 50 में प्रावधान है कि राज्य, राज्य की सार्वजनिक सेवाओं में न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करने के लिए कदम उठाएगा।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत के समुद्रयान मिशन के उद्देश्यों का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (GSIII-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
प्रश्न 2. खालिस्तान आंदोलन के इतिहास पर चर्चा करते हुए इस चरमपंथी आंदोलन को पुनर्जीवित करने के हालिया प्रयासों का विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (GSIII-आंतरिक सुरक्षा)