21 मार्च 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
क्या अब विदेशी विधि फर्मों को भारत में अनुमति है?
राजव्यवस्था:
विषय: न्यायपालिका की कार्यप्रणाली।
प्रारंभिक परीक्षा: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से संबंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: भारत में विदेशी वकीलों और विदेशी विधि फर्मों के पंजीकरण और विनियमन के नियम, 2022 एवं इसका महत्व और निहितार्थ।
प्रसंग:
- हाल ही में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने विदेशी विधि फर्मों और विदेशी वकीलों को भारत में अपना कार्यालय खोलने की अनुमति देने के लिए नियम बनाए हैं।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI):
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पृष्ठभूमि:
- मार्च 2018 में, सर्वोच्च न्यायालय ने विदेशी विधि फर्मों और विदेशी वकीलों को अपने मुवक्किलों को कानूनी सलाह देने के लिए अस्थायी अवधि के लिए भारत आने की अनुमति प्रदान की थी।
- शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि विदेशी विधि फर्मों या वकीलों पर भारत आने और अपने मुवक्किलों को कानूनी सलाह देने पर कोई प्रतिबंध नहीं है और BCI को इस संबंध में उपयुक्त नियम बनाने के लिए कहा था।
- सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के पांच साल बाद, BCI ने अब “भारत में विदेशी वकीलों और विदेशी लॉ फर्मों के पंजीकरण और विनियमन के नियम, 2022” तैयार किए हैं।
भारत में विदेशी वकीलों और विदेशी लॉ फर्मों के पंजीकरण और नियमन के नियम, 2022:
- अधिवक्ता अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अकेले BCI के साथ पंजीकृत अधिवक्ता और अन्य सभी भारत में विधि व्यवसाय (प्रैक्टिस) करने के हकदार हैं, जैसे कि एक वादी, केवल उस अदालत या प्राधिकरण की अनुमति से उपस्थित हो सकता है जिसके समक्ष संबंधित मामले की कार्यवाही लंबित है।
- नए नियमों की यह अधिसूचना अब विदेशी वकीलों और विधि फर्मों को भारत में पारस्परिक आधार पर विदेशी कानून, अंतर्राष्ट्रीय कानून, अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता, संयुक्त उद्यम, विलय और अधिग्रहण, बौद्धिक संपदा मामलों आदि के मामले ने विधि व्यवसाय (प्रैक्टिस) करने की सुविधा प्रदान करती है।
- हालाँकि विदेशी वकील और फर्म भारतीय कानून की प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं।
- इसके अलावा, विदेशी वकीलों और विधि फर्मों को भारत में विधि व्यवसाय (प्रैक्टिस) करने के लिए BCI के साथ पंजीकरण करने की अनुमति तभी दी जाएगी जब वे अपने देश में विधि व्यवसाय (प्रैक्टिस) करने के हकदार होंगे।
- ऐसे विदेशी वकील और फर्म केवल कानूनी क्षेत्र के गैर-मुकदमेबाजी पहलुओं में संलग्न होने के लिए अधिकृत हैं और इसलिए उन्हें किसी भी अदालतों, न्यायाधिकरणों या अन्य अर्ध-न्यायिक प्राधिकरणों के समक्ष उपस्थित होने की अनुमति नहीं है।
- नए नियमों की शुरुआत के साथ ही विदेशी विधि फर्मों के साथ काम करने वाले भारतीय वकील अब केवल “गैर-मुकदमेबाजी” में संलग्न होने तक ही सीमित रहेंगे।
नए नियमों के निहितार्थ:
- BCI के अनुसार, इस कदम से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के प्रवाह के संबंध में चिंताओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
- इस कदम से भारत को अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता का केंद्र बनाने में मदद मिलने की भी उम्मीद है।
- इसके अलावा देश में कानूनी बिरादरी को प्रतिबंधित और विनियमित तरीके से विदेशी वकीलों के लिए विधि व्यवसाय (प्रैक्टिस) की अनुमति देने से किसी भी प्रकार के नुकसान होने की संभावना नहीं है।
- इन नियमों में पारस्परिकता का सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि नियम भारतीय और विदेशी दोनों वकीलों को पारस्परिक रूप से लाभान्वित करेंगे।
- विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि विदेशी विधि फर्मों को भारत में अपने कार्यालय स्थापित करने की अनुमति देश में कॉर्पोरेट विधि व्यवसाय (प्रैक्टिस) के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगी क्योंकि प्रतिस्पर्धा से कानूनी सेवाओं में सुधार होता है।
- यह कदम विदेशी विधि फर्मों को भारतीय वकीलों को नियुक्त करने की अनुमति देगा जो विधि व्यवसाय (प्रैक्टिस) के रोज़गार बाजार का विस्तार कर सकते हैं और विभिन्न तकनीकी प्रगति जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को कानूनी सेवा वितरण में भी लागू करने में मदद मिलेगी।
- हालांकि, आलोचकों का मानना है कि इस कदम के परिणामस्वरुप अधिवक्ता भारत में वास्तविक आवश्यकता अर्थात देश में विधि व्यवसाय (प्रैक्टिस) के अधिकारों और “निगमीकरण” के लिए पैरवी और लड़ाई से विमुख हो रहे हैं।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
मैनहट्टन में एक सफल बिंदु पर समापन:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान।
मुख्य परीक्षा: UNSC में भारत की सदस्यता।
प्रारंभिक परीक्षा: UNSC और इसकी सदस्यता।
विवरण:
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता (अस्थायी) दिसंबर 2022 को समाप्त हो गई।
अधिक जानकारी के लिए, यहाँ पढ़ें: United Nations Security Council (UNSC) – India Elected to the Non-Permanent Council
UNSC में भारत की दो साल की सदस्यता के बारे में विवरण:
- भारत ने 1 जनवरी 2021 को एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में परिषद में प्रवेश किया था।
- इसने समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद, संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना, नवीन बहुपक्षवाद और वैश्विक दक्षिण जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया था।
- इसके अलावा, भारत को UNSC की तीन महत्वपूर्ण समितियों के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था:
- तालिबान प्रतिबंध समिति
- लीबिया प्रतिबंध समिति
- आतंकवाद विरोधी समिति
- भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने समुद्री सुरक्षा पर UNSC की बैठक की अध्यक्षता की और समुद्री डकैती, नौवहन की स्वतंत्रता, एवं समुद्र में आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराध का मुकाबला करने का आह्वान किया।
- भारत ने अफगानिस्तान, म्यांमार, फिलिस्तीन, इथियोपिया, यूक्रेन आदि में संघर्ष से संबंधित मामलों पर ध्रुवीकृत परिषद को एक साथ लाने की कोशिश की।
- उदाहरण के लिए:
- म्यांमार में, 1 फरवरी 2023 को एक सैन्य तख्तापलट हुआ था। स्थायी-5 (P-5) सदस्यों के विचार विरोधी थे।
- भारत ने संतुलित और व्यापक परिषद घोषणाओं का आश्वासन दिया। इसके प्रयासों का समापन दिसंबर 2022 में म्यांमार पर एक प्रस्ताव के रूप में हुआ।
विवरण के लिए, यहां पढ़ें: Myanmar Coup d’état 2021: Background and Events [UPSC Notes]
- भारत ने UNSC आतंकवाद विरोधी समिति (CTC) के अध्यक्ष के रूप में आतंकवाद पर अपना ध्यान केंद्रित किया। हालांकि UNSC संकल्प 1267 प्रतिबंधों के तहत आतंकवादी को सूचीबद्ध करने के भारत के प्रयासों को विफल कर दिया गया था, लेकिन भारत लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख (अब्दुल रहमान मक्की) के लिए अनुमोदन प्राप्त करने में कामयाब रहा।
- भारत ने परिषद में धार्मिक भय के समकालीन रूपों के बारे में भी चिंता जताई और बढ़ते घृणा अपराधों को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- भारत ने अंततः परिषद में सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर चर्चा की।
यह भी पढ़ें: UN Global Counter-Terrorism Strategy (GCTS) – UPSC Notes
भारत की सदस्यता के दौरान चुनौतियाँ:
- अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया। UNSC संकल्प 2593 के निर्माण में भारत महत्वपूर्ण था। संकल्प ने अफगानिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को रोकने, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने, मानवीय सहायता प्रदान करने आदि के लिए मानदंड निर्धारित किए।
- यूक्रेन के संघर्ष (Ukraine’s conflict) के दौरान, भारत ने एक स्वतंत्र रुख अपनाया तथा बातचीत और शांति का आह्वान किया। भारत ने तेल, भोजन और उर्वरकों पर प्रतिबंधों के खिलाफ भी बात की।
शांति स्थापना के लिए भारत के प्रयास:
- भारत ने शांति सैनिकों की रियल-टाइम सुरक्षा के लिए यूनाइट (UNITE) अवेयर टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था।
- इसने शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों की जवाबदेही के लिए UNSC के प्रस्ताव को भी आगे बढ़ाया।
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षकों को दो लाख टीके भी मुहैया कराए।
- दिसंबर 2021 में, भारत ने उस प्रस्ताव के मसौदे को परास्त कर दिया जिसमें पश्चिम ने जलवायु परिवर्तन को UNSC के दायरे में लाने की कोशिश की थी क्योंकि P-5 प्रमुख ऐतिहासिक प्रदूषक हैं।
- इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन की संरचना में संशोधन करने का प्रयास वैश्विक दक्षिण, विशेष रूप से लघु द्वीपीय विकासशील राज्यों की आवाज को दबा सकता है।
यह भी पढ़ें: United Nations Peacekeeping: Force, Formation, Finance and India’s Role
संबंधित लिंक:
UNSC & Permanent Seat for India: RSTV – Big Picture
सारांश:
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मानव विकास में व्यापक असमानताएँ:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
विषय: समावेशी विकास और मानव विकास।
मुख्य परीक्षा: उप-राष्ट्रीय स्तर पर मानव विकास असमानताएँ।
प्रारंभिक परीक्षा: मानव विकास सूचकांक।
विवरण:
- उच्च आर्थिक विकास के बावजूद, भारत ने अपने मानव विकास सूचकांक (HDI) में समान वृद्धि हासिल नहीं की है।
- HDI को 1990 में पेश किया गया था और यह तीन पहलुओं में देश की औसत उपलब्धि का आकलन करता है:
- लंबा और स्वस्थ जीवन।
- ज्ञान।
- उचित जीवन स्तर।
मानव विकास सूचकांक 2021-22 के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां पढ़ें: Human Development Report – HDR 2021-22 HDR 2020, UNDP
राज्यवार असमानताओं की गणना:
- भारत के वृहद आकार और जनसंख्या के कारण, मानव विकास में उप-राष्ट्रीय या राज्य-वार असमानताओं को दूर करना महत्वपूर्ण है। यह देश की जनसांख्यिकीय क्षमता को साकार करने में मदद करेगा।
- UNDP और राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा सुझाए गए तरीकों का उपयोग करते हुए लेखक द्वारा एक नया सूचकांक विकसित किया गया है। यह उप-राष्ट्रीय स्तर पर मानव विकास की तुलना करेगा।
- यह चार संकेतकों का उपयोग करता है:
- जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (अनुमान नमूना पंजीकरण सर्वेक्षण से लिए गए हैं)
- स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष (NFHS-5 से डेटा)
- स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष (NFHS-5 से डेटा)
- प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) [प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) एक प्रॉक्सी संकेतक के रूप में प्रयोग किया जाता है]।
- विधि तीन आयामों के लिए सामान्यीकृत सूचकांकों के ज्यामितीय माध्य की गणना करती है और UNDP और NSO द्वारा अनुशंसित अधिकतम (1) और न्यूनतम (0) मानों को लागू करती है। उच्च मूल्य मानव विकास के उच्च स्तर को इंगित करता है।
यह भी पढ़ें: National Sample Survey Office (NSSO) – Merger of NSSO with Central Statistics Office (CSO)
उप-राष्ट्रीय HDI का विश्लेषण:
- दिल्ली शीर्ष स्थान पर है और बिहार सबसे नीचे है। हालाँकि, बिहार को अब निम्न मानव विकास वाला राज्य नहीं माना जाता है।
- शीर्ष 5 राज्य दिल्ली, गोवा, केरल, सिक्किम और चंडीगढ़ हैं। दिल्ली और गोवा दोनों में मानव विकास का उच्च स्तर (0.799 से ऊपर) है, इस प्रकार इसने उन्हें पूर्वी यूरोप के समकक्ष बना दिया गया है।
- उन्नीस राज्यों के स्कोर 0.7 से 0.799 के बीच हैं और उन्हें उच्च मानव विकास वाले राज्यों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इनमें से कुछ राज्य केरल, हरियाणा, गुजरात, पंजाब आदि हैं।
- मानव विकास के मध्यम स्तर वाले नीचे के 5 राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड और असम हैं।
- केरल में उच्च HDI के लिए उच्च साक्षरता दर, एक मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली और उच्च आय को जिम्मेदार माना जा सकता है।
असमानता के कारण:
- आर्थिक विकास असमान रूप से वितरित है। उदाहरण के लिए, शीर्ष 10% आबादी के पास 77% आय है।
- गरीबी को कम करने और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा में सुधार के बावजूद सेवा की गुणवत्ता चिंता का कारण है।
भावी कदम:
- मानव विकास को प्राथमिकता देना सरकार के लिए जरूरी है।
- निम्नलिखित पहलुओं को शामिल करते हुए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए:
- आय और लैंगिक असमानता को संबोधित करना।
- सामाजिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार।
- पर्यावरण संबंधी चिंताओं से निपटना।
- स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे में निवेश।
- बेहतर स्वच्छता, साफ पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच में सुधार।
- उपरोक्त के अलावा रोजगार के अवसर सृजित किए जाने चाहिए।
संबंधित लिंक:
Inclusive Growth, Government Schemes – Yojana
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- जलवायु परिवर्तन के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता: संयुक्त राष्ट्र पैनल
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) ) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु परिवर्तन मानव कल्याण और ग्रहों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है और सभी के लिए रहने योग्य और टिकाऊ भविष्य को सुरक्षित करने के अवसर कम हो रहे हैं।
- IPCC संयुक्त राष्ट्र के तहत एक वैज्ञानिक सरकारी निकाय है। हालाँकि,संयुक्त राष्ट्र का पैनल स्वयं वैज्ञानिक मूल्यांकन नहीं करता है बल्कि जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर केवल वैज्ञानिक साक्ष्य की स्थिति का मूल्यांकन करता है।
- संयुक्त राष्ट्र के पैनल की भावी रिपोर्ट 2030 तक जारी होने की अपेक्षा नहीं है, जिसे एक सीमा बिंदु वर्ष के रूप में चिह्नित किया गया है, जिसके बाद यदि उत्सर्जन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण उपाय नहीं किए जाते हैं, तो पृथ्वी को पूर्व-औद्योगिक स्तर के सापेक्ष 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म होने से रोकना असंभव होगा।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने से ध्रुवीय, पर्वतीय और तटीय पारिस्थितिक तंत्र जैसे कम लचीलापन वाले कुछ पारिस्थितिक तंत्रों पर अपरिवर्तनीय प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
- रिपोर्ट सभी के लिए रहने योग्य स्थायी भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अधिक महत्वाकांक्षी कार्रवाई शुरू करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डालती है।
- भारतीय पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि भारत ने इस रिपोर्ट का स्वागत किया है।
- SCO देशों के विद्वान एवं विशेषज्ञों ने बौद्ध संस्कृति को पुनर्जीवित करने के तरीकों पर चर्चा की:
- हाल ही में भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation (SCO) ) के दायरे में ‘साझा बौद्ध विरासत’ पर एक सम्मेलन की मेजबानी की और इसे अपनी तरह का पहला आयोजन कहा जा रहा है।
- इस कार्यक्रम में रूस, चीन, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, बेलारूस, बहरीन, म्यांमार, संयुक्त अरब अमीरात और कजाकिस्तान जैसे देशों के विद्वानों की भागीदारी देखी गई।
- इस सम्मेलन का आयोजन संस्कृति मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) द्वारा किया गया।
- इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ट्रांस-सांस्कृतिक संबंधों को पुनः स्थापित करना और मध्य एशिया की बौद्ध कला, कला शैलियों और पुरातात्विक स्थलों के बीच की समानताओं का पता लगाना था।
- मध्य एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच ट्रांस-सांस्कृतिक संबंध अत्यंत महत्व रखते हैं और अब इन्हे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है, क्योंकि बौद्ध धर्म सभी SCO देशों के बीच एक साझा सांस्कृतिक रेखा निर्मित करने में मदद कर सकता है।
- भारत वर्ष 2023 में विश्व बौद्ध सम्मेलन की मेजबानी भी करेगा।
- बौद्ध धर्म से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Buddhism
- CAD कम करने के लिए, वैश्विक जोखिमों के मुकाबले रुपए को मजबूत करना:
चित्र स्रोत: The Hindu
- वित्त मंत्रालय के मुताबिक दूसरी तिमाही (6.3%) की तुलना में तीसरी तिमाही (4.4%) में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर धीमी होने के बावजूद, विकास की रफ़्तार कम नहीं हुई है एवं वर्ष 2022-23 के दौरान यह गति बनी हुई है।
- मंत्रालय का यह भी मानना है कि व्यापक आर्थिक स्थिरता को और बढ़ावा मिलेगा क्योंकि शुद्ध सेवाओं के निर्यात में उछाल, तेल की कीमतों में कमी और आयात-गहन खपत मांग में गिरावट के कारण चालू खाता घाटे का साल के शुरुआती अनुमानों से कम होना तय है।
- चालू खाता घाटा (current account deficit (CAD)) जो देश में और बाहर माल, सेवाओं और निवेश के प्रवाह को मापता है, के वित्त वर्ष 24 में कम होने का अनुमान है।
- CAD को कम करने से अर्थव्यवस्था को आवश्यक लचीलापन मिलने की उम्मीद है, खासकर ऐसे समय में जब फेडरल रिजर्व दरों को और बढ़ाने की सोच रहा है।
- मंत्रालय ने यह भी तर्क दिया है कि यदि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में कमजोर मांग के कारण विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धित ( Gross Value Added (GVA) ) में संकुचन नहीं हुआ होता तो विकास की गति अधिक हो सकती थी।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. सही कथनों की पहचान कीजिए: (स्तर – सरल)
- केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित होती हैं।
- केंद्र प्रायोजित योजनाएं पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित होती हैं लेकिन राज्य सरकारों द्वारा क्रियान्वित की जाती हैं।
- नीति आयोग के पास उपरोक्त दोनों योजनाओं का मूल्यांकन करने का अधिकार है।
विकल्प:
- 1 और 2
- 2 और 3
- 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्त पोषित होती हैं और केंद्र सरकार की मशीनरी द्वारा क्रियान्वित की जाती हैं।
- केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं मुख्य रूप से संघ सूची के विषयों पर तैयार की जाती हैं।
- कथन 2 गलत है: केंद्र प्रायोजित योजनाओं को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित किया जाता है।
- केंद्र प्रायोजित योजनाएं राज्य सूची के विषयों पर तैयार की जाती हैं और राज्य सरकारों द्वारा क्रियान्वित की जाती हैं।
- कथन 3 सही है: नीति आयोग के पास उपरोक्त दोनों योजनाओं का मूल्यांकन करने का अधिकार है।
- विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (DMEO), नीति आयोग का एक संबद्ध कार्यालय, केंद्रीय क्षेत्र के साथ-साथ केंद्र प्रायोजित योजनाओं दोनों का स्वतंत्र मूल्यांकन अध्ययन करता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सुमेलित हैं? (स्तर – मध्यम)
क्र. |
इंटरपोल नोटिस |
उद्देश्य |
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1 |
रेड नोटिस |
वांछित व्यक्ति |
2 |
पर्पल नोटिस |
मोडस ओपरेंडी |
3 |
ग्रीन नोटिस |
अतिरिक्त जानकारी |
4 |
ब्लू नोटिस |
अज्ञात लाशें |
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 3 और 4
- केवल 1 और 4
उत्तर: a
व्याख्या:
चित्र स्रोत: Interpol
प्रश्न 3. हाल ही में चर्चा में रहे LVM-3 से आप क्या समझते हैं? (स्तर – मध्यम)
- यह हाल ही में HAL द्वारा विकसित एक हल्का विमान है।
- यह भारत का एक निम्न भू-कक्षीय उपग्रह है।
- यह देश का एक भू-तुल्यकालिक प्रक्षेपण यान है।
- यह हाल ही में खोजा गया एक कवक एंजाइम है जो प्लास्टिक के अपघटन में मदद करता है।
उत्तर: c
व्याख्या:
- लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM3) इसरो का मीडियम-हैवी लिफ्ट प्रक्षेपण यान है।
- LVM3 रॉकेट को पहले भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क III (GSLV Mk3) के रूप में जाना जाता था।
प्रश्न 4. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा / से गलत है / हैं? (स्तर – मध्यम)
- खिलाड़ियों को टॉप्स (TOPS) द्वारा वित्त पोषण केवल ओलंपिक खेलों में पदक जीतने के उद्देश्य से किया जाता है।
- यह उन नए खिलाड़ियों को दिया जाता है जिन्होंने अभी तक ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व नहीं किया है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: टारगेट ओलंपिक पोडियम (TOP) युवा मामले और खेल मंत्रालय के अधीन खेल विभाग के राष्ट्रीय खेल विकास कोष के तहत एक योजना है।
- टॉप (TOP) योजना का उद्देश्य ओलंपिक और पैरालंपिक में भारत के प्रदर्शन में सुधार करना है।
- इसके अलावा, टॉप योजना के तहत ओलंपिक खेलों और एशियाई खेलों सहित पदक की संभावनाओं के अनुकूलित प्रशिक्षण के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
- कथन 2 गलत है: ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है कि टॉप्स वित्त पोषण केवल उन्हीं नए खिलाड़ियों को दी जाती है जिन्होंने अभी तक ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व नहीं किया है।
- नीरज चोपड़ा, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2020 में एथलेटिक्स में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता था, को ग्लोरिया स्पोर्ट्स एरिना, तुर्की में प्रशिक्षण के लिए टॉप्स वित्त पोषण प्रदान किया जा रहा है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन सा कथन औद्योगिक क्रांति के द्वारा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में भारत पर पड़े प्रभाव की सही व्याख्या करता है? PYQ 2020 (स्तर – सरल)
- भारतीय दस्तकारी-उद्योग नष्ट हो गए थे।
- भारत के वस्त्र उद्योग में मशीनों का बड़ी संख्या में प्रवेश हुआ था।
- देश के अनेक भागों में रेलवे लाइनें बिछाई गईं थीं।
- ब्रिटिश उत्पादन के आयत पर भारी शुल्क लगाया गया था।
उत्तर: a
व्याख्या:
- औद्योगिक क्रांति ने कृषि और हस्तशिल्प पर आधारित अर्थव्यवस्थाओं में क्रांति लाकर उन्हें बड़े पैमाने के उद्योगों वाली, मशीनीकृत विनिर्माण और कारखाना प्रणाली पर आधारित अर्थव्यवस्थाओं में बदल दिया था।
- औद्योगिक क्रांति के बाद, ब्रिटेन ने मशीन-निर्मित वस्तुओं और वस्त्रों का उत्पादन शुरू किया जो भारतीय वस्तुओं की तुलना में बहुत सस्ता था जिसने भारतीय हस्तशिल्प के लिए बाजार को बर्बाद कर दिया।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. “भारत की यूएनएससी अध्यक्षता ने फोकस, नीति और संकल्पों के संबंध में स्तर को ऊपर उठाया है” स्पष्ट कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय संबंध]
प्रश्न 2. क्या विदेशी विधि फर्में भारत में विधि व्यवसाय कर सकती हैं? बार काउंसिल द्वारा निर्धारित नियमों और विनियमों पर चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) [जीएस-2, राजव्यवस्था]