23 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: सुरक्षा:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
राजव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
उपग्रहों का अनियंत्रित पुनः प्रवेश:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।
मुख्य परीक्षा: रॉकेट के पुर्जों और उपग्रहों का अनियंत्रित तरीके से पुन: प्रवेश के परिणाम और संभावित समाधान।
संदर्भ:
- आउटर स्पेस इंस्टीट्यूट(Outer Space Institute (OSI) द्वारा प्रकाशित एक खुले पत्र पर सैकड़ों विशेषज्ञों द्वारा हस्ताक्षर किए हैं,जिसमे उन्होंने उपग्रहों के अनियंत्रित पुन: प्रविष्टियों के उदाहरणों को सीमित करने के लिए राष्ट्रीय और बहुपक्षीय प्रयासों का आग्रह किया है।
पृष्ठभूमि:
- सोवियत संघ द्वारा वर्ष 1957 में अब तक का पहला कृत्रिम उपग्रह प्रक्षेपित किया गया था और वर्तमान में अंतरिक्ष की कक्षा में 6,000 से अधिक उपग्रह हैं, उनमें से अधिकांश उपग्रह पृथ्वी की निम्न और भूस्थैतिक कक्षाओं ( low-earth and geostationary orbits) में स्थित हैं, जिन्हें 5,000 से अधिक प्रक्षेपणों की सहायता से वहां स्थापित किया गया है।
- लॉन्च व्हीकल के रूप में उपयोग किए जाने वाले इन रॉकेटों के कई चरण होते हैं और एक बार जब यह उपग्रहों को लेकर निश्चित ऊंचाई और वेग पर पहुंच जाता है तो रॉकेट इन चरणों को वहां छोड़/उतार देता है।
- अंतिम कक्षा तक पहुँचने वाले पेलोड के साथ केवल एक छोटे इंजन के साथ गंतव्य कक्षा तक पहुँचने से पहले कुछ रॉकेट अपने सभी बड़े चरणों को छोड़ देते हैं।
- कुछ अन्य रॉकेट पेलोड को अंतिम कक्षा में ले जाते हैं और फिर नीचे उतरने के लिए एक डोरबिट युक्ति का प्रयोग करना शुरू करते हैं।
- ऐसे दोनों मामलों में रॉकेट अपने चरणों में नियंत्रित या अनियंत्रित तरीके से पृथ्वी की सतह पर वापस प्रवेश करते हैं।
अनियंत्रित पुन: प्रवेश/प्रविष्टियां क्या हैं?
- उपग्रहों का अनियंत्रित पुन:प्रवेश उन उदाहरणों को संदर्भित करता है जहां रॉकेट के पुर्जे अपने मिशन के पूरा होने के बाद एक अनियंत्रित तरीके से पृथ्वी की सतह पर वापस आ जाते हैं।
- एक अनियंत्रित पुन: प्रवेश के दौरान, किसी रॉकेट के चरण जब पृथ्वी पर गिरते हैं और इसका मार्ग अवतरण, आकार, वायु धाराओं और ऐसे अन्य पहलुओं के कोण से निर्धारित होता है।
- इसके साथ ही रॉकेट के पुर्जे गिरते ही बिखर जाते हैं और इसके छोटे टुकड़े बाहर फैल जाते हैं।
- पृथ्वी की ओर आते समय कुछ टुकड़े पूरी तरह से जल जाते हैं, जबकि कुछ नहीं जलते हैं, और उच्च गति के कारण टुकड़े जिस गति से चलते हैं, उससे बना मलवा घातक हो सकता है।
अनियंत्रित पुनः प्रविष्टियों के संभावित परिणाम:
- इंटरनेशनल स्पेस सेफ्टी फाउंडेशन की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 300 ग्राम से अधिक द्रव्यमान के मलबे के साथ किसी एक विमान के टकराने से एक भयावह दुर्घटना हो सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप सभी लोगों की मौत हो सकती है।
- हालाँकि अधिकांश समय रॉकेट के पुर्जे महासागरों में ही गिरे हैं, क्योंकि पृथ्वी की सतह पर भूमि की तुलना में पानी का विस्तार अधिक है।
- हालांकि, गिरने वाला इन रॉकेटों का हिस्सा जमीन पर भी गिर सकता है जो मानव बस्तियों को प्रभावित कर नुक्सान पहुंचा सकता है।
- OSI द्वारा प्रकाशित पत्र में 2018 में एक रूसी रॉकेट और 2020 और 2022 में चीन के लॉन्ग मार्च 5B रॉकेट के उदाहरणों का संदर्भ दिया गया है, जहां इन रॉकेटों के गिरने वाले हिस्से इंडोनेशिया, पेरू, भारत और आइवरी कोस्ट आदि में कुछ स्थानों पर गिरे थे।
- यूएस के ऑर्बिटल डेब्रिस मिटिगेशन स्टैंडर्ड प्रैक्टिसेज (ओडीएमएसपी) के अनुसार सभी लॉन्चों को ग्रह में फिर से प्रवेश करने से हताहत होने की संभावना को 0.01% से कम करना चाहिए।
- हालाँकि, इस शर्त को अमेरिकी वायु सेना और नासा द्वारा विभिन्न उदाहरणों में छोड़ दिया गया है।
- इसके अतिरिक्त, कनाडा में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन ने संकेत दिया कि इन देशों द्वारा अपनाई गई ऐसी सीमाएं मनमानी हैं और एक समय में बहुत कम प्रासंगिकता पाती हैं,जब ऐसी प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं जो नियंत्रित पुन: प्रविष्टियों की सुविधा प्रदान करती हैं।
- साथ ही, फिलहाल ऐसा कोई अंतरराष्ट्रीय बाध्यकारी समझौता भी नहीं है जो रॉकेट चरणों के नियंत्रित पुन: प्रवेश को सुनिश्चित करता हो।
अनुशंसाएँ/सिफारिशें:
- ओएसआई का पत्र अंतरिक्ष एजेंसियों को इनके पुनः प्रवेश के दौरान मानव हताहतों से बचने के लिए इन्हे किसी एक महासागर में गिराने का लक्ष्य रखने की सिफारिश करता है।
- ओएसआई का यह पत्र भविष्य के समाधान पर बढ़ते शोध की सिफारिश करता है ताकि उपग्रह के पुन: प्रवेश के प्रभावों से भी निपटा जा सके।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और इनके निर्माण में सुधार ने छोटे उपग्रहों के विकास की सुविधा प्रदान की है,जिससे न केवल बड़ी संख्या में इनको बनाना आसान होगा बल्कि ये लॉन्च करने में भी आसान होंगे, साथ ही पुनः प्रवेश के दौरान उनके जलने की भी अधिक संभावना है।
- इसके अलावा, नियंत्रित री-एंट्री करने वाली तकनीकों के उपयोग पर एक बाध्यकारी समझौता होना चाहिए।
- इस तरह की तकनीकों में विंग-जैसे अटैचमेंट, डी-ऑर्बिटिंग ब्रेक और डिज़ाइन परिवर्तन शामिल हैं जो मलबे के एकत्र हने की संभावना को कम करते हैं।
रिसैट-2 का केस स्टडी:
- भारत का 300 किलोग्राम वजनी RISAT-2 उपग्रह जिसे 2009 में PSLV-C12 द्वारा प्रक्षेपित किया गया था, ने हाल ही में पृथ्वी के वायुमंडल में अनियंत्रित तरीके से पुन: प्रवेश किया हैं।
- हालाँकि, ISTRAC, बेंगलुरु में स्थित इंडियन सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस ऑपरेशंस मैनेजमेंट (IS4OM) सुविधा ने लगातार उपग्रह के पुन: प्रवेश की निगरानी की और विश्लेषण सॉफ्टवेयर के माध्यम से लगातार विश्लेषण किया गया।
- श्रीहरिकोटा में मल्टी ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग राडार (MOTR) का उपयोग करते हुए एक महीने पहले ही पुनः प्रवेश के मार्ग पर नज़र रखी गई थी।
- RISAT-2 अंततः 30 अक्टूबर 2022 को जकार्ता, इंडोनेशिया के पास हिंद महासागर में गिर गया।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम, 2022 क्या है?
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप और उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम -2022 से सम्बंधित विवरण – इसके प्रभाव और संबंधित चिंताएँ।
संदर्भ:
- जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम -2022 के तहत नए भूमि नियमों को अधिसूचित किया है, जो जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम 1960 को प्रतिस्थापित करते है।
पृष्ठभूमि:
- जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम-1960 भूतपूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य में पट्टे पर सरकारी भूमि के अनुदान पर विशेष नियमों से संबंधित है।
- जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम-1960 के तहत, श्रीनगर, जम्मू, गुलमर्ग और पहलगाम जैसे प्रमुख स्थानों को होटल, वाणिज्यिक संरचनाओं और आवासीय भवनों के निर्माण के लिए खोल दिया गया था।
जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम-2022:
- जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम-2022 के अनुसार, भूस्वामियों के मौजूदा पट्टों की अवधि समाप्त होने की स्थिति में उनका विस्तार नहीं किया जाएगा।
- नए नियमों के अनुसार, “इन नियमों के लागू होने से पहले समाप्त या निर्धारित आवासीय पट्टों को छोड़कर, इन नियमों के तहत जारी किए गए पट्टों को नवीनीकृत नहीं किया जाएगा और निर्धारित किया जाएगा”।
- जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम-2022 ने लीज अवधि को पहले के 99 साल के लीज की तुलना में घटाकर 40 साल कर दिया है।
- एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा जो उन सभी संपत्तियों को सूचीबद्ध करेगी जहां पट्टा समाप्त हो गया था और उसके लिए नए सिरे से ई-नीलामी की जाएगी।
जम्मू-कश्मीर में लीज अधिकारों के लिए पात्रता:
- निरस्त किए गए पुराने भूमि कानूनों के अनुसार, ऐसे व्यक्ति को कोई भी भूमि पट्टे पर नहीं दी जा सकती थी, जो राज्य का स्थायी निवासी न हो और इसमें सरकार को छूट प्रदान की गई थी की औद्योगिक या वाणिज्यिक विकास के हित में या एक पंजीकृत धर्मार्थ समाज के पक्ष में शर्तों को शिथिल कर सकते हैं।
- नए नियमों ने भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 11 के तहत कानूनी रूप से सक्षम किसी भी व्यक्ति के लिए बोली लगाने की अनुमति दी है।
- हालांकि, नए नियमों के अनुसार जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान अधिनियम, 1960 के तहत सरकार को अर्जित सरकारी राजस्व के डिफ़ॉल्ट में एक व्यक्ति या एक संस्था या मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002) की रोकथाम के तहत दोषी को नीलामी में भाग लेने के लिए अपात्र माना जाएगा।
मुख्य संशोधन:
- लेफ्टिनेंट गवर्नर का प्रशासन विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन, और पारंपरिक कला, शिल्प, संस्कृति और भाषाओं के विकास के लिए पट्टे पर भूमि के उपयोग में विविधता लाया है।
- इसके अलावा, पनबिजली परियोजनाओं, स्टेडियमों, व्यायामशालाओं और अन्य मनोरंजक उद्देश्यों के निर्माण के लिए भूमि को पट्टे पर भी दिया जा सकता है।
- इन संशोधनों में स्वरोजगार के लिए या भूतपूर्व सैनिकों, युद्ध विधवाओं और शहीदों के परिवारों के लिए भूमि को पट्टे पर देने के प्रावधान भी शामिल किये गए हैं जिन्होंने देश सेवा के कर्तव्य के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया है।
- साथ ही पहली बार प्रवासी श्रमिकों और अन्य निर्माण श्रमिकों के लिए सुविधाओं के विकास के लिए भूमि का उपयोग करने की अनुमति दी गई है।
संशोधनों का तत्काल प्रभाव:
- नए नियमों द्वारा उन सैकड़ों संपत्तियों की नई नीलामी प्रक्रिया शरू की जाएगी, जिनकी लीज अवधि समाप्त हो गई है।
- इसके अलावा, राज्य के बाहरी लोग भी सरकारी भूमि को पट्टे पर देने के लिए नीलामी में भाग ले सकते हैं।
- विशेषज्ञों के मुताबिक नए नियमों का गुलमर्ग, पहलगाम, श्रीनगर और जम्मू के पटनीटॉप जैसे पर्यटन स्थलों पर काफी महत्व होगा क्योंकि कई होटलों के पट्टे की अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी हैं।
संशोधनों पर आलोचना:
- आलोचकों ने कहा है कि नए संशोधन दुर्भाग्यपूर्ण हैं, क्योंकि उनका उद्देश्य बाहरी लोगों को बसाना है।
- आलोचकों का मानना है कि ऐसी संपत्तियों को पट्टे पर देने का पहला अधिकार उन व्यक्तियों का है जो पहले से ही क्षेत्र में बसे हुए हैं और ऐसे व्यक्तियों को वरीयता दी जानी चाहिए।
- इसके अलावा, जम्मू और कश्मीर के व्यापारियों के निकायों ने कहा है कि नए संशोधनों के कारण जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित होगी और ठप हो जाएगी और प्रशासन से निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
आतंकवाद के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
विषय:: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां पैदा करने में बाहरी राज्य और गैर-राज्य अभिकर्ताओं की भूमिका
मुख्य परीक्षा: आतंकवाद विरोधी नीतियां
संदर्भ:
- आतंकवाद का मुकाबला करने के मुद्दे पर हाल के दिनों में कई बैठकें और सम्मेलन पूरे विश्व में आयोजित किए जा रहे हैं ।
विवरण:
- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समिति, आतंक के लिए धन नहीं सम्मेलन, और आतंकवाद पर मुख्य ध्यान देने वाला इंटरपोल सम्मेलन ने आतंकवाद से निपटने के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने और आतंकवाद के खिलाफ एक समन्वित लड़ाई छेड़ने के लिए बैठकें की।
- ये बैठकें बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देकर आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अनुकूलन और नवाचार करके आतंकवाद मुक्त विश्व के उद्देश्य से आयोजित की जाती हैं।
- लेकिन ऐसा लगता है कि इन बैठकों ने नए आतंकी समूहों की उपेक्षा की है जिनकी गतिविधियों का दायरा और अधिक व्यापक हो गया था और प्रमुख रूप से अल-कायदा और आईएस पर केंद्रित था।
नए युग का आतंकवाद:
- दुनिया ने 11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क में हुए आतंकी हमले और 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में कई ठिकानों पर हुए हमलों सहित कई ऐतिहासिक आतंकी हमले देखे, जिनके गंभीर रणनीतिक निहितार्थ थे।
- 9/11 के हमले को ‘नए युग का आतंकवाद’ माना गया, जबकि मुंबई हमलों ने देश प्रायोजित आतंकवाद के खतरों को दिखाया। इन घटनाओं ने आतंकवाद के संज्ञानात्मक मानचित्र को बदल दिया।
- नवंबर 2015 में पेरिस में हुए आतंकवादी हमलों ने ‘नए युग’ के आतंकवाद के उदय का संकेत दिया और साथ ही इस्लामिक स्टेट (IS) और अल कायदा जैसी नई आतंकवादी संस्थाओं के उदय का भी संकेत दिया – प्रत्येक अपने स्वयं के खलीफाओं के साथ।
- एशिया, यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में आईएस के हमले विभिन्न आतंकवादी समूहों के बीच संबंधों के एक नए जटिल पैटर्न का संकेत देते हैं।
- इसने आतंकवाद की प्रवृत्ति वाले कई चरमपंथी समूहों को बढ़ावा दिया है।
- जबकि कई आतंकवादी संगठनों द्वारा यूरोप और एशिया को निशाना बनाना जारी है, अल-कायदा और आईएस के उग्रवादियों ने अपना ध्यान अफ्रीका और उत्तर-पश्चिम एशिया की ओर लगाया है।
- हाल के दिनों में आतंकवादी समूहों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं। इसे अलकायदा और तालिबान के हालिया बयानों और गतिविधियों में देखा जा सकता है।
- अल-कायदा को अफगानिस्तान के अलावा अफ्रीका के साहेल क्षेत्र और पूर्वी अफ्रीका में उपजाऊ जमीन मिल रही है।
- तालिबान आज अल-कायदा के सबसे मजबूत सहयोगियों में से एक है। नई तालिबान सरकार के भीतर हक्कानी नेटवर्क अल-कायदा को पूरे क्षेत्र में अधिक से अधिक कर्षण खोजने के लिए कई अवसर प्रदान करता है।
- गंभीर आतंकवादी घटनाओं का घटता स्तर आतंकवाद में गिरावट में परिवर्तित नहीं होता है।
- हालांकि, कम ज्ञात लक्ष्यों के हमले अपेक्षाकृत महत्वहीन दिखाई दे सकते हैं, वे बढ़ते कट्टरता के लक्षण हैं और इस तथ्य का सुझाव देते हैं कि भारत के दक्षिणी क्षेत्र में एक बड़ा आधार बनाया जा रहा है, जिससे इंडियन मुजाहिदीन का मॉडल जैसे संगठनों का निर्माण हो सकता है।
भावी कदम:
- इन गतिविधियों और छोटे वैश्विक आतंकवादी संगठनों द्वारा स्थापित किए जा रहे लिंक के प्रकार पर नज़र रखने के लिए आतंकवाद-रोधी विशेषज्ञों द्वारा निरंतर और सावधानीपूर्वक निगरानी की आवश्यकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (CCIT), जो अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के सभी रूपों को अपराधी बनाने का इरादा रखता है और आतंकवादियों, उनके फाइनेंसरों और समर्थकों को धन, हथियार और सुरक्षित ठिकानों तक पहुंच से वंचित करता है, को UNGA में धकेला जाएगा।
- वैश्विक आतंकवाद विरोधी एजेंसियां ‘नए युग के आतंकवाद’ का मुकाबला करने के लिए अपने कौशल और क्षमताओं का उन्नयन करेंगी। वे खुफिया और रणनीति का आदान-प्रदान करते हुए अधिक समन्वित तरीके से भी काम करेंगे।
- उन्हें ‘सक्षम आतंकवाद’ और ‘रिमोट कंट्रोल आतंकवाद’ जैसे आतंक के नए पैटर्न पर विचार करना चाहिए और उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो सैकड़ों मील दूर नियंत्रकों द्वारा नियोजित और निर्देशित हिंसा के कृत्यों को संदर्भित करता है और इंटरनेट-सक्षम आतंकवादी जोखिम पैदा करता है।
सारांश:
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अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव
मुख्य परीक्षा: WTO में विवाद निपटान के प्रावधान
संदर्भ:
- विश्व व्यापार संगठन ने स्टील और एल्यूमीनियम आयात पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ पर एक फैसला 08 दिसंबर 2022 को दिया।
विवरण:
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) पैनल की चार अलग-अलग रिपोर्ट ने फैसला सुनाया है कि स्टील और एल्युमीनियम पर क्रमशः 25% और 10% के टैरिफ, जो संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) ने 2018 में लगाए थे, डब्ल्यूटीओ कानून के साथ असंगत हैं।
- मामले को चीन, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड और तुर्की द्वारा उठाया गया।
- डब्ल्यूटीओ के पैनलिस्टों ने माना कि इन टैरिफ दरों ने टैरिफ एंड ट्रेड (जीएटीटी) पर सामान्य समझौते के अनुच्छेद II.1 के तहत अमेरिका के दायित्वों का उल्लंघन किया है, जो देशों को बाध्य दरों से परे टैरिफ नहीं लगाने के लिए बाध्य करता है।
- टैरिफ ने जीएटीटी के अनुच्छेद I का भी उल्लंघन किया क्योंकि उन्होंने स्टील और एल्यूमीनियम के कुछ विदेशी उत्पादकों के बीच भेदभाव किया।
- अमेरिका ने एक बयान में रिपोर्ट में की व्याख्या और निष्कर्ष को दृढ़ता से खारिज कर दिया।
पृष्ठभूमि:
- अमेरिका ने जीएटीटी के अनुच्छेद XXI के तहत अपने टैरिफ बढ़ोतरी को उचित ठहराया है जो देशों को राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर अपने व्यापार दायित्वों से विचलित करने की अनुमति देता है।
- जीएटीटी का अनुच्छेद XXI (b) (iii) एक देश को कोई भी कार्रवाई करने की अनुमति देता है जिसे वह युद्ध या अन्य ‘अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में आपात स्थिति’ के समय अपने आवश्यक सुरक्षा हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक समझता है।
- अमेरिका ने दावा किया कि उसने वैश्विक अतिक्षमता के कारण टैरिफ दरों में वृद्धि की, जिसके परिणामस्वरूप रक्षा उत्पादन में उपयोग की जाने वाली इन दो वस्तुओं का अत्यधिक आयात हो सकता है और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है। पैनल ने इस दावे को खारिज कर दिया।
- पैनल के अनुसार, क्योंकि अमेरिका की स्थिति में गंभीरता का अभाव था, यह अनुच्छेद XXI (b) (iii) के तहत “अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में आपातकाल” के रूप में योग्य नहीं था।
- पैनल का निर्णय रूस-ट्रांजिट और सऊदी अरब-आईपीआर मामलों में निर्धारित पिछले डब्ल्यूटीओ कानून के अनुरूप है।
नवउदारवादी से भू-आर्थिक व्यवस्था की ओर:
- अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था शीत युद्ध के बाद की नवउदारवादी व्यवस्था से एक नई भू-आर्थिक व्यवस्था की ओर बढ़ रही है।
- नवउदारवाद अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों में गैर-भेदभाव और तटस्थ अंतरराष्ट्रीय अदालतों के माध्यम से विवादों के शांतिपूर्ण समाधान जैसे सिद्धांतों पर आधारित है।
- इसने अन्योन्याश्रितता को प्राथमिकता दी। विश्व व्यापार संगठन, मुक्त व्यापार और निवेश समझौतों जैसे वैश्विक संस्थानों ने इस सिद्धांत को वैधता प्रदान की।
- विशेष रूप से वैश्विक वित्तीय संकट के बाद स्वतंत्र आर्थिक और सुरक्षा ट्रैकों के अभिसरण के कारण भू-आर्थिक व्यवस्था उभरने लगी।
- व्यापार खुलापन सूचकांक, जो युद्ध के बाद की अवधि में लगातार बढ़ रहा था, 2008 के बाद गिरावट शुरू हुई।
- हाल के दशकों में, चीन व्यापार और विकास में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में विकसित हुआ।
- चल रही COVID महामारी ने “डीग्लोबलाइजेशन” प्रक्रिया को तेज कर दिया है। यह प्रक्रिया डोनाल्ड ट्रम्प के तहत अमेरिका और चीन के बीच मौजूद व्यापार विवादों से भी प्रभावित थी।
- इन सभी परिवर्तनों का परिणाम आर्थिक राष्ट्रवाद है। चीन और अमेरिका दोनों अपनी घरेलू क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। इसी तरह, अन्य महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर अपनी निर्भरता का पुनर्मूल्यांकन कर रही हैं।
- अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर शुल्क भू-आर्थिक व्यवस्था पर अमेरिकी सहमति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- कई विशेषज्ञों का मानना है कि भू-आर्थिक व्यवस्था अनिवार्य रूप से ‘अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अराजकता’ की ओर ले जाएगी।
- फैसले का अमेरिका द्वारा कड़ा विरोध और वह पिछले कई वर्षों से विश्व व्यापार संगठन के अपीलीय निकाय में न्यायाधीशों की नियुक्ति को रोक रहा है, इसे अंतर्राष्ट्रीय विवाद निपटान में एक महत्वपूर्ण बाधा के रूप में देखा जाता है।
- अमेरिका द्वारा वैश्विक व्यापार में नियम-आधारित आदेश के खिलाफ जाने से अन्य देशों को एकपक्षीयता और आर्थिक राष्ट्रवाद का बिना संकोच के पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
सारांश:
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न्यायपालिका के लिए अवकाश:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: न्यायपालिका
मुख्य परीक्षा: मामलों के लंबित होने और न्यायिक विलंब का प्रभाव
संदर्भ:
- सुप्रीम कोर्ट का दो सप्ताह का शीतकालीन अवकाश 19 दिसंबर, 2022 से शुरू हुआ। अदालत 2 जनवरी, 2023 से कामकाज फिर से शुरू करेगी।
पृष्ठभूमि:
- केंद्रीय कानून मंत्री ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में “लंबी छुट्टियों” और वादियों को होने वाली असुविधा पर सवाल उठाया था।
- संसद में न्यायपालिका में सुधार पर विधि आयोग की 230 वीं रिपोर्ट का हवाला देते हुए, केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि सरकार ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को छुट्टियों को कम से कम 10-15 दिनों तक कम करने और अदालतों के काम के घंटों को कम से कम 30 मिनट बढ़ाने का सुझाव दिया था।
- भारत का सर्वोच्च न्यायालय दो सप्ताह के शीतकालीन अवकाश पर है जो 2 जनवरी, 2023 को फिर से खुलेगा।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक कामकाज के लिए वर्ष में 193 कार्य दिवस हैं, जबकि उच्च न्यायालय लगभग 210 दिनों के लिए कार्य करते हैं, ट्रायल कोर्ट और 245 दिन कार्य करते हैं।
- उच्च न्यायालयों के पास सेवा नियमों के अनुसार अपने कैलेंडर की संरचना करने की शक्ति है।
- सुप्रीम कोर्ट अपनी वार्षिक गर्मी की छुट्टी के लिए आम तौर पर सात सप्ताह का अवकाश लेता है। अदालत दशहरा और दिवाली के लिए एक-एक सप्ताह का अवकाश लेता है और दिसंबर के अंत में दो सप्ताह का अवकाश लेता है।
- प्रथा के अनुसार, अवकाशकालीन पीठों का गठन केवल लंबी ग्रीष्मावकाश के दौरान किया जाता है।
छुट्टियों के दौरान लंबित मामले:
- सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन खंडपीठ भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित एक विशेष खंडपीठ है।
- याचिकाकर्ता सर्वोच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं और, यदि अदालत यह निर्णय लेती है कि याचिका एक “अत्यावश्यक मामला” है, तो अवकाशकालीन पीठ मामले की गुण-दोष के आधार पर सुनवाई करती है।
- हालांकि इस बात की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं है कि “अत्यावश्यक मामला” क्या है, छुट्टियों के दौरान अदालत आमतौर पर किसी मौलिक अधिकार के प्रवर्तन के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण, उत्प्रेषण, निषेध और अधिकार-पृच्छा मामलों से संबंधित रिटों को स्वीकार करती है।
भारत में रिट से संबंधित अन्य जानकारी के लिए इस लिंक को क्लिक करें :Writs in India
न्यायालय की छुट्टी के पक्ष में तर्क:
- कानूनी बिरादरी के भीतर लंबे अवकाश का बचाव किया जाता है, क्योंकि इस पेशे में बौद्धिक दृढ़ता और लंबे समय तक काम करने की आवश्यकता होती है।
- जज आमतौर पर रोजाना 10 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। सुप्रीम कोर्ट में रोजाना कम से कम 50-75 मामले आते हैं।
- बड़ी फ़ाइलों और जटिल मुद्दों को पढ़ने, समझने और उनका मूल्यांकन करने के लिए समय और प्रयास की आवश्यकता होती है।
- भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में दुनिया भर की शीर्ष अदालतों में सबसे अधिक केसलोड है और यह सबसे अधिक काम भी करता है।
- ऑस्ट्रेलिया के सुप्रीम कोर्ट के पास केवल 97 कार्य दिवस हैं जब मौखिक दलीलें पेश की जाती हैं।
- सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट में 145 छुट्टियां हैं, यूके के सुप्रीम कोर्ट में लगभग 180 छुट्टियां हैं, और कनाडा में लगभग 120 छुट्टियां हैं।
- न्यायपालिका का काम, जैसे फैसले लिखना और शोध करना, छुट्टियों के दौरान बड़े हिस्से में किया जाता है, जो अदालत के घंटों के दौरान नहीं किया जा सकता है।
- कानूनी पेशेवर यह भी बताते हैं कि अदालती छुट्टियों को कम करने से लंबित मामलों की संख्या में महत्वपूर्ण कमी नहीं आएगी।
न्यायालयों की छुट्टियों पर विभिन्न सुझाव:
- न्यायालयों की छुट्टियों की आलोचना की जाती है, विशेष रूप से लंबित मामलों की बढ़ती संख्या और न्यायिक कार्यवाही की धीमी गति के आलोक में।
- अतीत में, भारत के मुख्य न्यायाधीशों ने आलोचना को ध्यान में रखते हुए अवकाश चक्रों में सुधार करने का प्रयास किया है।
- 2000 में,न्यायमूर्ति मालिमथ समिति (Justice Malimath Committee) ने सुझाव दिया कि छुट्टी की अवधि को 21 दिन कम किया जाना चाहिए। इसने सुझाव दिया कि सर्वोच्च न्यायालय 206 दिनों के लिए काम करता है, और उच्च न्यायालय हर साल 231 दिनों के लिए कार्य करते हैं।
- 2014 में, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए नियमों को अधिसूचित किया, तो उसने कहा कि ग्रीष्मकालीन अवकाश की अवधि पहले के 10-सप्ताह की अवधि से सात सप्ताह से अधिक नहीं होगी।
- 2014 में पूर्व सीजेआई लोढ़ा ने सुझाव दिया था कि प्रत्येक न्यायाधीश के शेड्यूल को वर्ष की शुरुआत में मांगा जाना चाहिए और उसी के अनुसार कैलेंडर की योजना बनाई जानी चाहिए।
- पूर्व सीजेआई टीएस ठाकुर ने भी छुट्टियों के दौरान न्यायालय का कार्य किए जाने का सुझाव दिया, अगर पक्ष और वकील परस्पर सहमत हों।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1.साहित्य अकादमी पुरस्कार 2022’
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
कला और संस्कृति:
विषय:भारतीय सक्रांति के मुख्य पहलु।
प्रारंभिक परीक्षा: साहित्य अकादमी पुरस्कार 2022
संदर्भ:
- साहित्य अकादमी पुरस्कार 2022 की घोषणा।
साहित्य अकादमी पुरस्कार:
- साहित्य अकादमी की स्थापना 12 मार्च 1954 को केंद्र सरकार द्वारा की गई थी।
- पहला पुरस्कार वर्ष 1955 में दिया गया था।
- अकादमी अपनी मान्यता प्राप्त भाषाओं में साहित्यिक कार्यों के लिए सालाना 24 पुरस्कार प्रदान करती है।
- मान्यता प्राप्त भाषाएँ: संविधान की आठवीं अनुसूची (Eighth Schedule of the Constitution) के तहत सूचीबद्ध 22 भाषाओं के अलावा, अकादमी ने अंग्रेजी और राजस्थानी को भी मान्यता दी है।
साहित्य अकादमी पुरस्कार 2022:
- 23 भाषाओं में पुरस्कारों की घोषणा की गई थी और बंगाली भाषा के लिए पुरस्कारों की घोषणा करना अभी बाकी है।
- ये पुरस्कार 1 जनवरी, 2016 से 31 दिसंबर, 2020 के बीच पहली बार प्रकाशित पुस्तकों से में से सर्वश्रेष्ट पुस्तकों को दिए जाते हैं।
- उदय नाथ झा को पूर्वी क्षेत्र में शास्त्रीय और मध्यकालीन साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भाषा सम्मान प्रदान किया गया हैं।
- बाल साहित्य पुरस्कार संथाली में गणेश मरांडी को उनकी पुस्तक “हपन माई” (Hapan Mai) के लिए प्रदान किया गया था।
- 35 वर्ष से कम आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए युवा पुरस्कार पवन नालत को उनके मराठी कविता संग्रह “मी सन्दर्भ पोखरतोय” (Mi Sandarbha Pokharatoy) के लिए प्रदान किया गया हैं।
चित्र स्रोत: sahitya-akademi.gov.in
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ‘ग्रीनवाशिंग’ से बचने के लिए वर्गीकरण, परिभाषाओं की जरूरत: राव
चित्र स्रोत: The Hindu
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने ग्रीनवाशिंग ( greenwashing) के जोखिमों को दूर करने के लिए “ग्रीन फाइनेंस/हरित वित्तपोषण” पर एक वर्गीकरण का आह्वान किया है।
- ग्रीन फाइनेंस/हरित वित्तपोषण (green finance ) का तात्पर्य पर्यावरणीय रूप से स्थायी आर्थिक गतिविधियों के लिए ऋण प्रदान करने से है।
- आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा है कि हरित क्षेत्रों में वित्त प्रवाह की अधिक सटीक ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए वर्गीकरण के साथ-साथ हरित वित्त की एक औपचारिक परिभाषा समय की आवश्यकता है।
- उन्होंने आगे कहा कि एक वर्गीकरण बैंकों और वित्तीय संस्थानों को उनके ऋण पोर्टफोलियो में जलवायु जोखिम का आकलन करने और स्थायी वित्त को बढ़ाने में सहायता करेगा जो ग्रीनवाशिंग के जोखिमों को कम करने में मदद करता है।
- उन्होंने विनियमित संस्थाओं से उनकी व्यावसायिक रणनीति और संचालन में जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों के संभावित परिणामों की बेहतर समझ और मूल्यांकन के लिए समग्र रूपरेखा तैयार करने और लागू करने का भी आग्रह किया।
- निम्नलिखित लेख में ग्रीन फाइनेंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Sansad TV Perspective: Green Finance
2.विदेशी जेलों में बंद भारतीय कैदियों में से आधे से अधिक खाड़ी देशों में हैं:
छवि स्रोत: The Hindu
- विदेश मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, विदेशी जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों एवं दोषियों सहित 50% से अधिक भारतीय कैदी खाड़ी देशों में हैं।
- आंकड़ों के अनुसार लगभग 8,441 भारतीय 69 देशों की विदेशी जेलों में हत्या और घरेलू हिंसा जैसे विभिन्न अपराधों के सिलसिले में जेलों में बंद हैं।
- इन कुल लोगों में से 4,389 लोग खाड़ी देशों की जेलों में बंद हैं।
- इसके अलावा, लगभग 1,858 व्यक्ति संयुक्त अरब अमीरात की जेलों में बंद हैं, जो किसी बाहरी देश में सबसे अधिक भारतीय दोषियों को जेल में बंद करने के लिए जिम्मेदार हैं, इसके बाद नेपाल का स्थान आता है।
- अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, सिंगापुर, स्पेन आदि की जेलों में बड़ी संख्या में भारतीय अपराधी भी बंद हैं।
- विदेश मंत्रालय के अनुसार, केरल में भारत में सबसे अधिक पासपोर्ट धारक हैं और केरल का मलप्पुरम जिला मुंबई और बेंगलुरु के बाद सबसे अधिक पासपोर्ट जारी करने वाले जिलों की सूची में तीसरे स्थान पर है।
- NoRKA रूट्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा है कि एजेंसी ने प्रवासी कानूनी सहायता प्रकोष्ठ की शुरुआत की है, जो विदेशों में, विशेष रूप से पश्चिम एशिया की विभिन्न जेलों में बंद अनिवासी केरलवासियों (NRK) को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करता है।
- NoRKA रूट्स केरल सरकार के अधीन एजेंसी है जिसकी स्थापना 2002 में दुनिया भर में अनिवासी केरलवासियों (NRKs) की कल्याणकारी गतिविधियों के लिए समर्थन बढ़ाने और सहायता प्रदान करने के लिए की गई थी।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कितने युग्म सही सुमेलित हैं? (स्तर – कठिन)
मार्शल आर्ट राज्य
1. इनबुआन रेसलिंग (कुश्ती) मिजोरम
2. परी खंडा आंध्र प्रदेश
3. थांग ता मणिपुर
4. सिलंबम तमिलनाडु
विकल्प:
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चार
उत्तर: c
व्याख्या:
- युग्म 1 सही सुमेलित है: इनबुआन कुश्ती का एक रूप है जो मिजोरम के मूल निवासी से जुड़ा है।
- युग्म 2 गलत है: परी खंडा राजपूतों द्वारा शुरू किया गया एक प्रसिद्ध मार्शल आर्ट रूप है जो बिहार में प्रचलित है।
- युग्म 3 सही सुमेलित है: थांग ता जो तलवार और भाला की एक कला है, मणिपुर की पारंपरिक मार्शल आर्ट है।
- युग्म 4 सही सुमेलित है: सिलंबम तमिलनाडु से जुड़ा एक प्राचीन हथियार-आधारित मार्शल आर्ट रूप है।
प्रश्न 2. सेबी द्वारा केकी मिस्त्री समिति का गठन किस विषय से संबंधित नियमों की समीक्षा के लिए किया गया था: (स्तर-मध्यम)
(a) शेयर बायबैक
(b) क्रिप्टोकरेंसी
(c) वैकल्पिक निवेश फंड और वेंचर कैपिटल फंड।
(d) एल्गो-ट्रेडिंग
उत्तर: a
व्याख्या:
- शेयर बायबैक नियमों की समीक्षा हेतु सेबी द्वारा केकी मिस्त्री समिति ( Keki Mistry committee) का गठन किया गया था।
- केकी मिस्त्री समिति की सिफारिश के अनुसार, सेबी 1 अप्रैल, 2025 से स्टॉक एक्सचेंज मार्ग के माध्यम से बायबैक को समाप्त कर देगा।
- शेयर बायबैक/शेयर पुनर्खरीद उस उदाहरण को संदर्भित करता है जब एक सूचीबद्ध कंपनी मौजूदा शेयरधारकों से अपने शेयर खरीदती है।
प्रश्न 3. नई रोशनी योजना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-मध्यम)
1. यह अल्पसंख्यक महिलाओं के नेतृत्व विकास के लिए शुरू की गई एक कल्याणकारी योजना है।
2. यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत आती है।
3. यह प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (PM VIKAS) योजना का एक घटक है।
दिए गए कथनों में से कितने सही हैं?
(a) केवल एक कथन
(b) केवल दो कथन
(c) सभी तीनों कथन
(d) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: नई रोशनी योजना अल्पसंख्यक महिलाओं के नेतृत्व विकास के लिए शुरू की गई एक कल्याणकारी योजना है।
- कथन 2 गलत है: अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने नई रोशनी योजना शुरू की हैं।
- कथन 3 सही है: नई रोशनी योजना को वित्त वर्ष 2022-23 से प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास) योजना के एक घटक के रूप में विलय कर दिया गया है।
प्रश्न 4. NABH प्रत्यायन को अक्सर किस प्रत्यायन के संदर्भ में देखा जाता है: (स्तर – कठिन)
(a) स्वास्थ्य देखभाल संगठन
(b) उच्च शिक्षण संस्थान
(c) हवाई अड्डों
(d) खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां
उत्तर: a
व्याख्या:
- NABH भारतीय गुणवत्ता परिषद का एक घटक बोर्ड है और स्वास्थ्य सेवा संगठनों के लिए मान्यता कार्यक्रम स्थापित करने और संचालित करने के लिए स्थापित किया गया था।
- यह स्वास्थ्य उद्योग की प्रगति के लिए बेंचमार्क निर्धारित करता है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए : (PYQ-2017) (स्तर-मध्यम)
राष्ट्रव्यापी ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना’ का उद्देश्य है?
1. सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करना।
2. मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर किसानों को दिए जाने वाले ऋण की मात्रा का आकलन करने में बैंकों को सक्षम बनाना।
3. खेतों में उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग की जाँच करना।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड का उपयोग मृदा स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति का आकलन करने के लिए और भूमि प्रबंधन से प्रभावित मृदा स्वास्थ्य में परिवर्तन का निर्धारण करने हेतु समय के साथ इसका उपयोग किया जाता है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड मृदा स्वास्थ्य संकेतकों और संबंधित वर्णनात्मक शब्दों को प्रदर्शित करता है।
- इस कार्ड में मृदा स्वास्थ्य संकेतकों को सूचीबद्ध किया गया है जिनका मूल्यांकन तकनीकी या प्रयोगशाला उपकरणों की सहायता के बिना किया जा सकता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. जिस प्रकार भारतीय न्यायिक प्रणाली में लंबित मामले बढ़ते जा रहे हैं, क्या अदालती छुट्टियों में कटौती करना इसका एक समाधान है? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।(10 अंक, 150 शब्द) (जीएस II – राजव्यवस्था )
प्रश्न 2.उपग्रहों की अनियंत्रित पुनर्प्रविष्टियों से उत्पन्न खतरों पर चर्चा कीजिए।(10 अंक, 150 शब्द) (जीएस III – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)