25 अप्रैल 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
---|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अफ्रीका में वैगनर समूह की कार्रवाइयाँ:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: वैगनर समूह से संबंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: अफ्रीका में वैगनर समूह की भागीदारी, प्रमुख उद्देश्य और क्षेत्र पर इसका प्रभाव।
प्रसंग:
- सूडान में राजनीतिक संकट के मद्देनजर, जो हाल ही में एक देशव्यापी सशस्त्र संघर्ष में बदल गया है, वैगनर समूह की भागीदारी पर सवाल उठाए गए हैं।
सूडान संकट से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Sudan crisis
वैगनर समूह:
- वैगनर समूह एक रूसी निजी अर्धसैनिक संगठन है, जिसका नेतृत्व एक अमीर व्यापारी येवगेनी प्रिगोज़िन द्वारा किया जाता हैं, जो “पुतिन के शेफ” के रूप में प्रसिद्ध हैं।
- वैगनर समूह के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बहुत करीबी संबंध माने जाते हैं।
- समूह का पहला ऑपरेशन 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्ज़ा करने में रूस की मदद करना था और तब से कई देशों में विभिन्न रूसी सैन्य अभियानों में वैगनर समूह का उपयोग किया गया है।
- हालांकि वैगनर समूह रूसी सुरक्षा तंत्र के साथ मिलकर काम करता है, यह कानूनी रूप से रूस स्थित निजी सैन्य कंपनी के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है क्योंकि रूस में निजी वेतन भोगी समूह अवैध हैं।
- हालाँकि, 2018 में, रूसी राष्ट्रपति ने यह कहते हुए समूह को मान्यता दी कि समूह को दुनिया में कहीं भी अपने हितों को आगे बढ़ाने का अधिकार है जब तक कि वे रूसी कानून को नहीं तोड़ते हैं।
- अफ्रीका में आतंकवाद-रोधी अभियानों में खुद को शामिल करने के अलावा, समूह विभिन्न राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य क्षेत्रों में भी शामिल है।
- यह समूह अफ्रीका में सूडान, माली, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, मोजाम्बिक और लीबिया जैसे देशों में सक्रिय रहा है।
टिप्पणी:
- किराए के सैनिकों की भर्ती, उपयोग, वित्तपोषण और प्रशिक्षण के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन कहता है कि राज्यों को भाड़े के सैनिकों की गतिविधियों के लिए जिम्मेदारी वहन करने की आवश्यकता है जो अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं जो संप्रभु समानता, राजनीतिक स्वतंत्रता, राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता और लोगों के आत्मनिर्णय को खतरे में डालते हैं।
- हालाँकि, वैगनर समूह कानूनी रूप से रूस स्थित निजी सैन्य कंपनी नहीं है।
अफ्रीका में वैगनर समूह की भागीदारी:
चित्र स्रोत:The Hindu
- सूडान: समूह ने 2017 में सूडान के पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के शासन के दौरान वहाँ अपनी गतिविधियाँ शुरू कीं।
- सूडान के साथ इसके संबंधों का मुख्य उद्देश्य देश के खनिज संसाधनों, विशेष रूप से सोने की खानों की रक्षा करना और अंतर्राष्ट्रीय विरोध के खिलाफ सरकार का समर्थन करना था।
- समूह ने 2019 में बशीर के शासन को गिराने वाले सूडानी विद्रोह को दबाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई हैं।
- हाल ही में रूस ने रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSP) और उसके कमांडर, जनरल मोहम्मद हमदान दगालो के साथ काफी मजबूत संबंध विकसित किये हैं, जो सूडानी सेना के खिलाफ लड़ने वाले प्रतिद्वंद्वी नेता हैं।
- रूस लाल सागर पर पोर्ट सूडान में सैन्य अड्डा बनाने के लिए सूडान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने की भी कोशिश कर रहा है।
- हालाँकि हाल के दिनों में, सूडान में जारी हिंसा में वैगनर समूह के शामिल होने के आरोप लगे हैं।
- मध्य अफ्रीकी गणराज्य (CAR): वैगनर समूह ने वर्ष 2018 में देश में विद्रोही समूहों के खिलाफ राष्ट्रपति फॉस्टिन-आर्कचेंज टौडेरा की रक्षा के लिए अपनी गतिविधियाँ शुरू कर दी हैं।
- इस समूह ने देश की सेना और स्थानीय सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित करने में मदद की और बदले में समूह को हीरे और सोने के खनन के लिए लाइसेंस प्राप्त हुआ।
- इसके साथ ही CAR सरकार ने 187000 हेक्टेयर में सहायक अप्रतिबंधित लॉगिंग अधिकार भी प्रदान किए। इसलिए समूह लकड़ी का आयात करके मुनाफा कमाता है।
- माली: माली में वैगनर समूह की तैनाती से फ्रांस-माली संबंधों में गिरावट आई और फ्रांस के ऑपरेशन बरखाने का अंत हुआ।
- यह समूह फ़्रांसीसी-विरोधी भावनाओं द्वारा निर्मित शून्य को भर रहा है जिसके कारण फ़्रांसिसी सेना को अफ़्रीका से वापस जाना पड़ा।
- समूह वर्तमान में स्थानीय बलों को प्रशिक्षण देने और चरमपंथी समूहों से लड़ने में सुरक्षा सेवाएं प्रदान करने में शामिल है।
- लीबिया: वैगनर समूहों के किराये के सैनिक 2019 से लीबिया में तैनात हैं और माना जाता है कि उन्होंने विद्रोही नेता खलीफा हफ्तार के लिए लड़ाई लड़ी थी।
- बदले में वैगनर समूह को नागरिक क्षेत्रों में खनन के लिए लाइसेंस प्राप्त हुआ है।
- मोज़ाम्बिक: मोज़ाम्बिक में सरकार ने 2019 में अल-शबाब विद्रोह के भड़कने की पृष्ठभूमि के खिलाफ वैगनर समूह को आमंत्रित किया था।
- रिपोर्टों के अनुसार यह समूह अभी भी देश में अपनी उपस्थिति बनाए हुए है, और समूह अपने पीछे सरकार द्वारा नियोजित एक छोटा सा साइबर युद्ध प्रकोष्ठ छोड़ गया है।
वैगनर समूह की अफ्रीका में सक्रिय भागीदारी के प्रमुख कारण:
- समूह की भागीदारी का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच प्राप्त करना है।
- रिपोर्टों से पता चलता है कि अफ्रीका के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों तक सुरक्षित पहुंच के लिए वैगनर समूह की उपस्थिति रूस की रणनीतियों में से एक है।
- अफ्रीकी देशों में प्राकृतिक संसाधनों तक रूस की पहुंच यूक्रेन में युद्ध जारी रखने के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
- इसके अलावा, रूस वैगनर समूह को अफ्रीका में कूटनीति के एक साधन के रूप में देखता है।
- इस रूसी रणनीति की आर्थिक लागत न्यूनतम है लेकिन यह भारी राजनीतिक रिटर्न सुनिश्चित करती है।
- हाल के दिनों में रूस की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के खिलाफ रूस 15 अफ्रीकी देशों को इससे अनुपस्थित रखने में सफल रहा है।
अफ्रीका के लिए निहितार्थ:
- वैगनर समूह के किराये के सैनिकों पर बढ़ती निर्भरता अफ्रीकी देशों के लिए अधिक हिंसा, संकट और अनिश्चितता का संकेत देती है।
- जून 2021 में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, निजी सैन्य समूहों, विशेष रूप से वैगनर समूह ने लोगों को हिंसक रूप से परेशान किया है और यौन हिंसा की है।
- इसके अतिरिक्त इन पर मध्य अफ्रीकी गणराज्य और माली में न्यायेतर हत्याओं के आरोप लगे हैं।
- इस समूह की भागीदारी इस क्षेत्र में लोकतांत्रिक शासन और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है।
- रूसी भाड़े के सैनिकों की सहायता लेने के लिए अफ्रीकी देशों के बीच मौजूदा रुझान बढ़ती सुरक्षा चिंताओं और पूरे महाद्वीप में रूस के बढ़ते सत्तावादी पदचिह्नों के संकेत देते हैं।
सारांश:
|
---|
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
लंबित विधेयक, राज्यपाल की निष्क्रियता का मुद्दा:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: राज्यपाल के पद से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियों से जुड़े मुद्दे और पारित विधेयकों पर राज्यपाल की सहमति से जुड़े विवाद।
प्रसंग
- हाल ही में, तमिलनाडु के राज्यपाल फिर से चर्चा में थे क्योंकि तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें केंद्र सरकार और राष्ट्रपति से विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को “एक विशिष्ट अवधि के भीतर” स्वीकृति देने के लिए राज्यपाल को निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।
पृष्ठभूमि:
- प्रस्ताव में अन्य बातों के साथ-साथ केंद्र सरकार और राष्ट्रपति से आग्रह किया गया कि वे राज्यपालों द्वारा विधायकों द्वारा पारित विधेयकों पर अपनी सहमति देने के लिए एक समय सीमा निर्दिष्ट करें।
- प्रस्ताव विधानसभा द्वारा पारित किया गया क्योंकि राज्य के राज्यपाल ने सार्वजनिक रूप से कहा कि यदि विधायिका द्वारा पारित विधेयक संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करता है, तो यह राज्यपाल की जिम्मेदारी है कि वह उस विधेयक को सहमति न दे।
- राज्य विधानसभा द्वारा पारित कई विधेयक अभी भी लंबित हैं क्योंकि राज्यपाल ने ऐसे विधेयकों पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
अधिक जानकारी के लिए –Office of Governor
संवैधानिक प्रावधान:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 355 के अनुसार, यह सुनिश्चित करना संघ का कर्तव्य होगा कि प्रत्येक राज्य की सरकार इस संविधान के प्रावधानों के अनुसार चले।
- जैसी कि संविधान सभा में डॉ. बी. आर. अंबेडकर द्वारा व्याख्या की गई थी कि, अनुच्छेद का सामान्य अर्थ और उद्देश्य “प्रांतीय क्षेत्र पर अतिक्रमण”, जो केंद्र सरकार को करना पड़ सकता है, को औचित्य प्रदान करना था।
- जब एक विधेयक विधानसभा द्वारा पारित किया जाता है और उसे राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तो, संविधान राज्यपाल को अनुच्छेद 200 के तहत दिए गए विकल्पों के आधार पर कार्य करने के लिए बाध्य करता है।
- जब विधायिका द्वारा पारित किए जाने के बाद कोई विधेयक राज्यपाल के सामने प्रस्तुत किया जाता है तो उस स्थिति अनुच्छेद 200 राज्यपाल के पास उपलब्ध विकल्पों का उल्लेख करता है।
- राज्यपाल के पास उपलब्ध विकल्प हैं:
- सहमति देना, या
- सहमति रोकना, या
- इस पर पुनर्विचार करने के लिए इसे विधानसभा को वापस भेजना, या
- विधेयक को राष्ट्रपति के पास उनके विचारार्थ भेजना।
- यदि राज्यपाल किसी विधेयक को पुनर्विचार के लिए विधानसभा को वापस भेजता है और यदि विधानसभा राज्यपाल द्वारा दिए गए किसी भी सुझाव को स्वीकार करके/ उसके बिना एक बार फिर विधेयक पारित कर देती है, तो राज्यपाल अपनी सहमति देने के लिए बाध्य होता है।
- इस प्रकार विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को रोके रखना संविधान के अनुसार राज्यपाल के लिए उपलब्ध विकल्प नहीं है।
- यदि कोई राज्यपाल अनिश्चित काल के लिए विधेयकों को रोके रखता है, तो उसे ऐसी स्थिति उत्पन्न करने वाला माना जाता है जहां राज्य के शासन को संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है।
- इसलिए, राज्य सरकार अनुच्छेद 355 के प्रावधानों को लागू कर सकती है और राष्ट्रपति को सूचित कर सकती है और राष्ट्रपति से अनुरोध कर सकती है कि वे राज्यपाल को इस तरह से कार्य करने का निर्देश दें कि सरकार संविधान के अनुसार चलती रहे।
- इसके अलावा, अनुच्छेद 200 के प्रावधान पर भी सवाल उठे हैं जो राज्यपाल को अपनी विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए किसी विधेयक को स्वीकृति देने से रोकने का विकल्प प्रदान करता है।
- हालाँकि, संविधान के अनुच्छेद 154 के अनुसार, राज्यपाल अपनी कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग केवल “मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह” पर कर सकता है।
- इस प्रकार, राज्यपाल केवल मंत्रिस्तरीय सलाह पर किसी विधेयक पर सहमति रोक सकता है।
अधिक जानकारी के लिए –Discretion of Governor
यूके द्वारा पालन की जाने वाली प्रथा:
- अनुमति रोकने के विकल्प पर उठे सवालों के जवाब यूके में अपनाई जा रही प्रथा का विश्लेषण करके प्राप्त किए जा सकते हैं क्योंकि भारतीय संविधान ने ब्रिटेन की सरकार के मॉडल को अपनाया है।
- यह देखा जा सकता है कि राज्य के राज्यपाल की स्थिति इंग्लैंड में सम्राट के समान है।
- सैद्धांतिक रूप से, सम्राट सहमति देने से इंकार कर सकता है लेकिन रानी ऐनी के शासनकाल के बाद से इस अधिकार का प्रयोग नहीं किया गया है।
- वीटो शक्ति का प्रयोग अब केवल मंत्रिस्तरीय सलाह के आधार पर किया जा सकता है और आमतौर पर, सरकार उन विधेयकों को वीटो नहीं करेगी जो स्वयं द्वारा तैयार किए गए थे।
- शाही सहमति से इस आधार पर इंकार करना असंवैधानिक कहा जाएगा कि सम्राट ने किसी विधेयक को दृढ़ता से अस्वीकृत कर दिया है, या वह विधेयक अत्यधिक विवादास्पद था।
न्यायसंगतता के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख निर्णय:
- पुरुषोत्तम नंबूदरी बनाम केरल राज्य मामला, 1962: इस मामले में, जिस मुद्दे पर चर्चा हुई थी वह यह था कि राज्य के राज्यपाल के समक्ष लंबित विधेयक विधानसभा के भंग होने पर व्यपगत नहीं होता है।
- हालाँकि, यह निर्णय सहमति की प्रक्रिया की न्यायसंगतता से संबंधित नहीं है।
- होचस्ट फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड और अन्य बनाम बिहार राज्य और अन्य मामला, 1983: इस मामले में, न्यायालय ने निर्णय दिया कि एक राज्यपाल अपने विवेक के प्रयोग के आधार पर राष्ट्रपति के विचार के लिए एक विधेयक को आरक्षित रखता है।
- हालाँकि, न्यायालय यह निर्धारित नहीं कर सकता है कि राज्यपाल के लिए राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को आरक्षित करना आवश्यक था और इसलिए यह मामला भी सहमति की न्यायसंगतता से संबंधित नहीं है।
यह भी पढ़ें-Sansad TV Perspective: State Govt vs Governor
सारांश:
|
---|
भारतीय कूटनीति और हित, नैतिकता:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: भारत की विदेश नीति – इसमें परिवर्तन और आलोचना।
पृष्ठभूमि:
- यूक्रेन की विदेश मामलों की प्रथम उप मंत्री एमिन झापरोवा ने हाल ही में भारत की अपनी आधिकारिक यात्रा की।
- भारत की अपनी यात्रा के दौरान, एमीन झापरोवा ने कहा कि वह भारत की यात्रा करके खुश हैं जिसने कई ऋषियों, संतों और गुरुओं को जन्म दिया है।
- उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य “विश्वगुरु” यानी वैश्विक शिक्षक और मध्यस्थ बनना है।
- मंत्री ने आगे कहा कि यूक्रेन वर्तमान में निर्दोष पीड़ितों के खिलाफ आक्रामकता झेल रहा है और यूक्रेन का समर्थन करना ही सच्चे विश्वगुरु के लिए एकमात्र सही विकल्प है।
भारतीय विदेश नीति पर एक व्यापक दृष्टिकोण:
- विभिन्न विदेशी राजनयिकों और विशेषज्ञों ने एक नैतिक शिक्षक बनने की भारत की महत्वाकांक्षाओं और यूक्रेन पर रूस की आक्रामकता की आलोचना नहीं करने में हितों की खोज के बीच व्यापक भिन्नता की ओर इशारा किया है।
- भले ही भारत ने यूक्रेन के खिलाफ रूस की कार्रवाई पर अपनी पीड़ा व्यक्त की है और प्रधानमंत्री ने अक्सर कहा है कि “यह युद्ध का युग नहीं है”, फिर भी विभिन्न देशों ने रूस की खुले तौर पर आलोचना करने के लिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की है।
- भारत वैश्विक समुदाय के लिए जो कुछ निर्धारित करता है और जो वह स्वयं अपनाता है, उसमें विरोधाभासों के लिए अक्सर भारत की आलोचना की जाती रही है।
- जब भारत ने वियतनाम में कार्रवाई की आलोचना की, तो राजनयिकों ने हंगरी, चेकोस्लोवाकिया और अफगानिस्तान में सोवियत अभियानों पर भारत की सापेक्ष “चुप्पी” पर सवाल उठाया था।
- विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी मामलों पर भारतीय विमर्श और विश्व गुरु परियोजना के हिस्से के रूप में अब पेश की जा रही नीतियों के बीच बुनियादी अंतर है।
- इससे पहले, भारत की विदेश नीति के सिद्धांत समकालीन वैश्विक व्यवस्था के सिद्धांतों पर आधारित थे।
- जबकि, अब, भारतीय विदेश नीतियां प्राचीन भारत के ज्ञान और इस विश्वास से संचालित हो रही हैं कि इसका प्रयोग पूरे विश्व के कल्याण में योगदान देगा।
भारत की विदेश नीति में परिवर्तन:
- अक्सर यह बताया जाता है कि भारत अकेला ऐसा देश नहीं है जिसने विश्व स्तर पर स्थापित सिद्धांतों का पालन नहीं करने के लिए दूसरों की आलोचना करते हुए अपने हितों को आगे बढ़ाया है।
- उदाहरण के लिए, यू.एस. ने बाकी के लिए लोकतंत्र की वकालत करते हुए अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ सबसे शक्तिशाली तानाशाहों के साथ भागीदारी की है।
- इसके अलावा, दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद शासन के लिए अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा विस्तारित समर्थन भी उनके पाखंड को उजागर करता है।
- रंगभेद शासन के विरोध में होने और उपनिवेशीकरण की प्रक्रिया में एक नेता की भूमिका निभाने के बावजूद भारत ने अतीत में पश्चिम के पाखंड की आलोचना करने के लिए कठोर भाषा का इस्तेमाल नहीं किया था।
- हालाँकि, यह अब भारतीय विदेश मंत्री के नेतृत्व में बदल गया है।
- विभिन्न उदाहरणों में विदेश मंत्री ने यूक्रेन युद्ध और अपने स्वयं के हितों के संबंध में शेष दुनिया के लिए पश्चिमी रवैये में विरोधाभासों को सीधे तौर पर इंगित किया है।
- उन्होंने यह भी कहा कि भारत की प्रतिष्ठा का निर्धारण न्यूयॉर्क में एक समाचार पत्र द्वारा नहीं किया जा सकता।
- अब यह माना जाता है कि आध्यात्मिक लोकतंत्र की भारतीय परंपरा, विविधता का उत्सव, प्रकृति के साथ सद्भाव, सबसे गरीब लोगों के हितों पर ध्यान देने वाली सामाजिक कल्याण नीतियों का निर्धारण और दुनिया को एक परिवार के रूप में मानने का विचार वर्तमान में दुनिया के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों को हल करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है।
सारांश:
|
---|
प्रीलिम्स तथ्य:
1. ऑपरेशन कावेरी:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारतीय प्रवासियों (diaspora) पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: ऑपरेशन कावेरी से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग:
- भारत ने संघर्ष प्रभावित सूडान से अपने नागरिकों को निकालने के लिए एक अभियान शुरू किया है।
ऑपरेशन कावेरी:
- रिपोर्टों के अनुसार, सूडान के विभिन्न हिस्सों जैसे राष्ट्रीय राजधानी, खार्तूम और दारफुर जैसे अन्य प्रांतों में करीब 3,000 भारतीय फंसे हुए हैं।
- सूडान में फंसे ऐसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए भारत सरकार द्वारा ऑपरेशन कावेरी शुरू किया गया है।
- पोर्ट सूडान के जरिये फंसे हुए भारतीय नागरिकों वहां से बाहर निकाला जा रहा है।
- भारत ने जेद्दाह (सऊदी अरब) में दो C-130J हैवी-लिफ्ट विमान तैनात किए हैं और ऑपरेशन के लिए INS सुमेधा को पोर्ट सईद (मिस्र) भेजा है।
2. भारत में मलेरिया और अधिसूचनीय रोग:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
स्वास्थ्य;
विषय: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: मलेरिया रोग और अधिसूचनीय रोगों से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग:
- मलेरिया के मामलों की संख्या में गिरावट के बावजूद सम्पूर्ण भारत में यह रोग एक अधिसूचनीय रोग के तौर पर उभर रहा है।
विवरण:
- वर्तमान में, मलेरिया भारत के 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एक अधिसूचनीय रोग है।
- यह नवीनतम कदम वर्ष 2027 तक मलेरिया मुक्त होने और वर्ष 2030 तक इस बीमारी को खत्म करने के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में मलेरिया के मामलों में गिरावट देखने के बाद दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में भारत इसके उच्च बोझ, उच्च प्रभाव वाला एकमात्र देश था।
- भारत ने 2015-2022 के दौरान मलेरिया के मामलों में 85.1% की कमी और मृत्यु में 83.36% की कमी का अनुभव किया।
मलेरिया के बारे में:
- मलेरिया एक गंभीर मच्छर जनित संक्रामक रोग है जो प्लास्मोडियम नामक परजीवी प्रोटोजोआ सूक्ष्मजीवों की विभिन्न प्रजातियों के कारण होता है।
- मलेरिया परजीवी की खोज 1880 में एक सैन्य चिकित्सक डॉ.अल्फोंस लावेरन ने की थी।
- मलेरिया रोग एक संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर द्वारा फैलता है।
- प्लाज्मोडियम परजीवी मानव की यकृत कोशिकाओं और लाल रक्त कोशिकाओं के अंदर विकसित होते हैं और गुणन करते हैं।
- लक्षण: बुखार, ठंड लगना और सिरदर्द को हल्के लक्षण माना जाता है, जबकि थकान, ऐंठन और सांस लेने में कठिनाई गंभीर लक्षण हैं।
- मलेरिया के उन्मूलन के लिए प्रभावी वाहक नियंत्रण एक महत्वपूर्ण घटक है। इस रोग के संचरण को कम करने के लिए कीटनाशक-उपचारित जाल और इनडोर अवशिष्ट छिड़काव (indoor residual spraying (IRS)) भी प्रभावी उपाय हैं।
- वर्ष 2007 से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) के रूप में मनाया जाता है।
भारत में अधिसूचनीय रोग:
- अधिसूचनीय रोग वे रोग हैं जिनकी जानकारी कानूनी तौर पर सरकारी अधिकारियों को दी जानी आवश्यक है।
- यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम, 1969 के अनुरूप है, जो संगठन को अपनी वैश्विक निगरानी और सलाहकार भूमिका में मदद करने के लिए बीमारी की रिपोर्ट करना अनिवार्य बनाता है।
- इन सूचनाओं का एकत्रीकरण सरकारी अधिकारियों को बीमारी की निगरानी करने में मदद करता है और संभावित प्रकोपों की प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करता है।
- डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा बीमारियों को कानूनी रूप से अधिसूचनीय घोषित करने से अत्यधिक संक्रामक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए समय पर हस्तक्षेप की सुविधा मिलती है।
- ऐसी बीमारियों को अधिसूचित करने और कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है।
- सरकार ने हैजा, एन्सेफलाइटिस, कुष्ठ, मेनिन्जाइटिस, प्लेग, तपेदिक, एड्स, हेपेटाइटिस, खसरा, पीला बुखार, डेंगू, आदि जैसे रोगों सहित कई बीमारियों को अधिसूचनीय रोगों के रूप में घोषित किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- जैतापुर परियोजना के लिए परमाणु दायित्व मुद्दे अभी तक हल नहीं हुए हैं: फ्रांसीसी फर्म EDF:
- फ्रांसीसी ऊर्जा कंपनी इलेक्ट्रीसाइट डी फ्रांस (EDF) ने अप्रैल 2021 में महाराष्ट्र के जैतापुर में छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के निर्माण के लिए अपना तकनीकी-वाणिज्यिक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
- हालांकि, देयता और प्रति यूनिट बिजली की उच्च लागत जैसे मुद्दों पर भारतीय और फ्रांसीसी अधिकारियों के बीच चर्चा में अभी भी कोई सफलता नहीं मिली है।
- जैतापुर की परियोजना 9,900 मेगावाट की परियोजना है और इसे वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी विचाराधीन परमाणु ऊर्जा उत्पादन साइट कहा जाता है।
- परमाणु ऊर्जा विभाग और भारतीय ऑपरेटर न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) ने EDF के यूरोपीय दाबित रिएक्टरों के लिए EDF के तकनीकी विनिर्देशों पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं क्योंकि इसकी प्रस्तावित लागत काफी अधिक थी।
- प्रमुख अधिकारियों ने कहा है कि वे जल्द से जल्द मुद्दों को हल करने के लिए EDF और NPCIL के बीच वार्ता को “तेज” करने के बारे में सोच रहे हैं।
- भारत – चीन सीमा वार्ता:
- भारत और चीन ने सीमा संकट की शुरुआत के बाद चीनी रक्षा मंत्री की पहली भारत यात्रा से पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दो शेष विवादित क्षेत्रों पर “स्पष्ट और गहन” वार्ता की।
- रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि डेमचोक और डेपसांग में दो शेष विवादित बिंदुओं पर अभी तक कोई सफलता हासिल नहीं हुई है क्योंकि दोनों देश पहले ही LAC पर चार अन्य क्षेत्रों पर सहमति बना चुके हैं, जिनमें से कुछ में बफर जोन स्थापित किए गए हैं।
- 2021 और 2022 में रिपोर्ट किए गए रिकॉर्ड द्विपक्षीय व्यापार आंकड़ों के अलावा, देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध 2020 के बाद से स्थिर स्थिति में हैं, जिसमें भारत द्वारा चीनी सामानों का आयात रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है।
- द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि होने के बावजूद, भारत ने बढ़ते चीनी निवेश के प्रवाह को कम कर दिया है।
- इसके अलावा, भारत ने अभी भी दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की बहाली को मंजूरी नहीं दी है।
- वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम का पीएम गति शक्ति में विलय होगा:
- सरकार के प्रमुख वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (ibrant Villages Programme (VVP)), जिसमें बुनियादी ढांचे के विकास और पर्यटकों के लिए चीन की सीमा से लगे गांवों को खोलने की परिकल्पना की गई है, को प्रधानमंत्री की गति शक्ति मेगा परियोजना (Prime Minister’s Gati Shakti mega project) के साथ एकीकृत किया जाएगा।
- VVP के प्रमुख उद्देश्यों में से एक सीमावर्ती आबादी के पलायन को रोकना है जो सीमावर्ती गांवों के लोगों से खुफिया जानकारी जुटाने में मदद करेगा।
- हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चीन की सीमा से लगे चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश के विभिन्न जिलों में 2,967 गांवों को कवर करने के कार्यक्रम को मंजूरी दी है और इसके लिए वित्तीय वर्ष 2023-24, 2024-25 और 2025-26 के लिए 4,800 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
- पीएम गति शक्ति पहल का डिजिटल प्लेटफॉर्म भारत सरकार के 16 मंत्रालयों और विभागों को एक साथ लाता है, जिसका उद्देश्य अवसंरचना कनेक्टिविटी परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समन्वित कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करना है।
- गुजरात में भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लिकेशन एंड जियोइन्फॉर्मेटिक्स (BISAG-N) को इस योजना के तहत शुरू की जाने वाली परियोजनाओं की उपग्रह छवियाँ और GIS मैपिंग उपलब्ध कराने का काम सौंपा गया है।
- बांग्लादेश ने हिंद-प्रशांत के लिए अपनी प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध किया:
- प्रधानमंत्री शेख हसीना की जापान, यू.एस. और यू.के. की यात्रा से पहले, बांग्लादेश एक महत्वपूर्ण नीति घोषणा लेकर आया है जो नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था तथा मुक्त और निर्बाध आवागमन और व्यापार का समर्थन करता है।
- “बांग्लादेशेर इंडो-पैसिफिक रूपरेखा” (इंडो-पैसिफिक आउटलुक) नामक दस्तावेज जिसे सार्वजनिक किया गया था, बांग्लादेश की हिंद-प्रशांत प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध करता है।
- दस्तावेज़ के अनुसार, बांग्लादेश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में “महिला, शांति और सुरक्षा” के एजेंडे को आगे बढ़ाएगा।
- इसके अलावा, अपनी रणनीति के एक हिस्से के रूप में, बांग्लादेश द्वारा राष्ट्रीय संप्रभुता को बनाए रखने का समर्थन करने और क्षेत्र के सदस्यों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का विरोध करने की उम्मीद है।
- दस्तावेज़ यह भी सुझाव देता है कि संकट और आपात स्थितियों के बावजूद बांग्लादेश व्यापार के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं को मजबूत करने के प्रयास करेगा।
- बयान में “साइबर और बाहरी अंतरिक्ष में जिम्मेदार व्यवहार” की भी मांग की गई है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. SCO के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- SCO की वर्तमान (2023) अध्यक्षता भारत के पास है।
- वर्तमान में 9 देश इसके सदस्य हैं जिनमें भारत और पाकिस्तान इसमें शामिल होने वाले नवीनतम सदस्य हैं।
- इसमें एक स्थायी आतंकवाद विरोधी संरचना RATS है जिसे भारत के प्रयासों से निर्मित किया गया था।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 3
- 1 और 2
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: भारत ने 2023 के लिए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता ग्रहण की है।
- कथन 2 गलत है: SCO में वर्तमान में आठ सदस्य देश शामिल हैं।
- SCO में वर्तमान में भारत, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान (कुल 8) सदस्य देश हैं।
- 9 जून, 2017 को भारत और पाकिस्तान SCO के पूर्ण सदस्य बन गए।
- भारत की अध्यक्षता में अप्रैल 2023 में फोरम में शामिल होने पर ईरान संगठन का सबसे नया सदस्य होगा।
- कथन 3 गलत है: क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (RATS), जिसका मुख्यालय ताशकंद, उज्बेकिस्तान में है, SCO का एक स्थायी अंग है जो आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की तीन बुराइयों के खिलाफ सदस्य देशों के सहयोग को बढ़ावा देने का काम करता है।
- SCO RATS की स्थापना जून 2002 में सेंट पीटर्सबर्ग में SCO सदस्य देशों के प्रमुखों की परिषद की बैठक के दौरान हुई थी और यह 2004 में सक्रिय हो गई थी।
- भारत 2017 में ही संगठन में शामिल हुआ था।
प्रश्न 2. भारत में सर्कस के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कितने सत्य है/हैं? (स्तर – कठिन)
- कीलेरी कुन्हिकन्नन (Keeleri Kunhikannan) को भारतीय सर्कस का जनक माना जाता है।
- भारत की एकमात्र सर्कस अकादमी केरल के थालास्सेरी में थी।
- जेमिनी सर्कस अंतर्राष्ट्रीय सर्कस महोत्सव में भाग लेने वाला पहला भारतीय सर्कस था।
विकल्प:
- केवल एक कथन
- केवल दो कथन
- सभी तीनों कथन
- कोई भी नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: एक मार्शल आर्ट और जिम्नास्टिक शिक्षक कीलेरी कुन्हिकन्नन को “भारतीय सर्कस का जनक” माना जाता है।
- 1888 में, उन्होंने केरल के चिरक्कारा के थालास्सेरी उपनगर में एक तरह का ‘सर्कस ट्रेनिंग हॉल’ खोला।
- कथन 2 सही है: थालास्सेरी में 2010 में शुरू हुई सर्कस अकादमी देश में अपनी तरह की पहली थी।
- कथन 3 सही है: 1964 में, जेमिनी सर्कस USSR में अंतर्राष्ट्रीय सर्कस महोत्सव में भाग लेने वाली पहली भारतीय मंडली बनी।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसी रसद प्रदर्शन सूचकांक जारी करती है? (स्तर – सरल)
- विश्व आर्थिक मंच
- विश्व व्यापार संगठन
- विश्व बैंक
- आर्थिक सहयोग और विकास संगठन
उत्तर: c
व्याख्या:
- रसद प्रदर्शन सूचकांक (LPI) विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
- विश्व बैंक हर दो साल में LPI सर्वेक्षण आयोजित करता है और रसद अनुकूलता को मापकर देशों को उनके व्यापार रसद प्रदर्शन में चुनौतियों और अवसरों की पहचान करने में मदद करता है।
प्रश्न 4. होप स्पेस प्रोब के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- यह किसी भी अरब देश द्वारा लॉन्च किया गया पहला अंतरग्रहीय (Interplanetary) मिशन है।
- इसका उद्देश्य मंगल ग्रह के वातावरण का अध्ययन करना है।
- इसने सऊदी अरब को मंगल ग्रह के लिए एक सफल मिशन लॉन्च करने वाला 5वां देश बना दिया है।
विकल्प:
- केवल 2
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: फरवरी 2021 में, UAE, अपने होप स्पेस प्रोब के माध्यम से, अंतरग्रहीय (Interplanetary) मिशन लॉन्च करने वाला पहला अरब देश बन गया है।
- कथन 2 सही है: “होप प्रोब” के 2021 में लाल ग्रह (मंगल ग्रह) की कक्षा में पहुँचने के बाद ग्रह के वातावरण और इसकी परतों की पूरी तस्वीर प्रदान करने वाला यह पहला प्रोब होगा।
- कथन 3 गलत है: संयुक्त अरब अमीरात इस मिशन के माध्यम से मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला अरब देश और दुनिया का पांचवां देश तथा दूसरा ऐसा देश बन गया है जिसने अपने पहले प्रयास में सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में प्रवेश किया है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (PYQ 2019) (स्तर – मध्यम)
- रामसर सम्मेलन के अनुसार, भारत के राज्यक्षेत्र में सभी आर्द्र भूमियों को बचाना और संरक्षित रखना भारत सरकार के लिए अधिदेशात्मक है।
- आर्द्र भूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2010, भारत सरकार ने रामसर सम्मेलन की संस्तुतियों के आधार पर बनाए थे।
- आर्द्र भूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2010, आर्द्र भूमियों के अपवाह क्षेत्र या जलग्रहण क्षेत्रों को भी सम्मिलित करते हैं, जैसा कि प्राधिकार द्वारा निर्धारित किया गया है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: रामसर सम्मेलन के अनुसार, “प्रत्येक अनुबंधित पक्ष आर्द्रभूमियों पर प्रकृति आरक्षित क्षेत्र स्थापित करके आर्द्रभूमि और जलपक्षी के संरक्षण को बढ़ावा देगा, चाहे वे आर्द्रभूमियाँ सूची में शामिल हों या न हों, साथ ही प्रत्येक अनुबंधित पक्ष इन आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए पर्याप्त रूप से प्रावधान करेगा”।
- इस प्रकार भारत सरकार के लिए भारत के क्षेत्र में सभी आर्द्रभूमि की रक्षा और संरक्षण करना अनिवार्य नहीं है।
- कथन 2 गलत है: आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2010 को पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा बेहतर संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करने और भारत में मौजूदा आर्द्रभूमि के क्षरण को रोकने के लिए अधिसूचित किया गया था।
- ये नियम रामसर सम्मेलन की सिफारिशों के आधार पर तैयार नहीं किए गए थे।
- कथन 3 सही है: नियमों के अनुसार “आर्द्रभूमि” शब्द, कच्छभूमि, पंकभूमि, पीटभूमि, अंतर्देशीय जल जैसे झीलों, जलाशय, टैंकों, पश्चजल, लैगून, खाड़ियों, ज्वारनदमुख जैसे क्षेत्रों को संदर्भित करता है और इसमें केंद्रीय आर्द्रभूमि नियामक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित जल निकासी क्षेत्र या आर्द्रभूमियों का जलग्रहण क्षेत्र भी शामिल है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. किसी विधेयक को स्वीकृति देने की राज्यपाल की शक्तियां विवेकाधीन नहीं हैं। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-2, राजव्यवस्था]
प्रश्न 2. युद्ध के निजीकरण द्वारा उत्पन्न चिंताओं पर उदाहरणों सहित चर्चा कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय संबंध]