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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 25 March, 2023 UPSC CNA in Hindi

25 मार्च 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

  1. संसद सदस्य की अयोग्यता

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

सुरक्षा:

  1. प्रतिबंधित संगठनों पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था:

  1. मानहानिकारक टिप्पणी एवं उठते सवाल

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)
  2. प्रतिभूति लेनदेन कर
  3. जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण
  4. तमिल संगमम

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

संसद सदस्य की अयोग्यता

विषय: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं

मुख्य परीक्षा: संसद सदस्यों की अयोग्यता के लिए विभिन्न आधार।

संदर्भ:

  • लोकसभा से राहुल गांधी को अयोग्य ठहराया जाना।

मुख्य विवरण:

  • सूरत की एक अदालत द्वारा 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद, केरल के वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य राहुल गांधी लोकसभा से अयोग्य घोषित हो गए।
  • लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8 के साथ पठित भारत के संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (e) के प्रावधानों के संदर्भ में उन्हें दोषसिद्धि के दिन, यानी 23 मार्च से सदन से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
  • यदि उच्च न्यायालय द्वारा सजा पर रोक नहीं लगाई जाती है, तब गांधी को अगले आठ वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया जाएगा।
  • राहुल गांधी दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य घोषित किए जाने वाले पहले राजनेता नहीं हैं। मोहम्मद फैजल, जे. जयललिता, लालू प्रसाद यादव, कमल किशोर भगत और आशा रानी सहित कई अन्य को भी पूर्व में अयोग्य घोषित किया जा चुका है।

राहुल गांधी की दोषसिद्धि और अयोग्यता के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक कीजिए: Rahul Gandhi’s conviction and disqualification

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

सुरक्षा:

प्रतिबंधित संगठनों पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां पैदा करने वाले बाह्य राज्य और गैर-राज्य अभिकर्ताओं की भूमिका

मुख्य परीक्षा: UAPA का विकास और मौलिक अधिकारों पर इसका प्रभाव

संदर्भ:

  • UAPA के तहत प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला।

भूमिका:

  • 24 मार्च, 2023 को सर्वोच्च न्यायालय की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित किसी संगठन का सदस्य मात्र होने से भी व्यक्ति अपराधी होगा।
  • इस निर्णय के साथ, सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व में दिए गए अपने निर्णयों को बदल दिया है, जिसमें यह कहा गया था कि किसी गैर-कानूनी संघ या संगठन का सदस्य होने मात्र (सक्रिय सदस्यता के विपरीत) से कोई व्यक्ति अपराधी या आतंकवादी नहीं हो जाता है।
    • न्यायालय 2011 में दिए गए अपने तीन निर्णयों (केरल राज्य बनाम रानीफ; अरूप भुइयां बनाम भारत संघ; और इंद्र दास बनाम असम राज्य) की समीक्षा कर रहा था ।
  • 3 फरवरी, 2011 को, अदालत ने संदिग्ध उल्फा सदस्य अरूप भुइयां को बरी कर दिया था, जिसे एक टाडा (TADA) अदालत ने उसके कथित इकबालिया बयान के आधार पर दोषी ठहराया था, और कहा था कि किसी प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होने मात्र से कोई व्यक्ति अपराधी नहीं हो जाता। दो अन्य फैसलों में भी अदालत ने इसी तरह के विचार रखे थे।
  • केंद्र सरकार और असम सरकार ने अरूप भुइयां मामले में फैसले के खिलाफ अपील की थी, जिसके बाद दो न्यायाधीशों की पीठ ने मामले को 2014 में एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला:

  • सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोई व्यक्ति जो प्रतिबंधित संगठन का “मात्र सदस्य” है या बना हुआ है, उसे भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ कार्य करने के लिए UAPA के तहत आपराधिक रूप से उत्तरदायी माना जा सकता है।
  • फैसले में UAPA की धारा 10(a)(i) का जिक्र किया गया है जो किसी गैर-कानूनी संघ की सदस्यता से संबंधित है।
  • प्रावधान के अनुसार, “यदि धारा 3 के तहत जारी एक अधिसूचना द्वारा किसी संगठन को गैर-कानूनी घोषित किया गया है, जो उस धारा के उप-धारा (3) के तहत प्रभावी है, तो कोई भी व्यक्ति जो इस तरह के संघ का एक सदस्य है उसे जुर्माने के साथ-साथ दो साल की कैद की सजा दी जा सकती है”।
  • UAPA की धारा 3 के तहत, केंद्र सरकार को किसी संगठन या संघ को गैर-कानूनी घोषित किए जाने पर खुले तौर पर जनता को सूचित करना चाहिए। न्यायालय ने तर्क दिया कि इसका तार्किक अर्थ यह है कि संगठन के प्रत्येक सदस्य को प्रतिबंध के बारे में पता होगा।
    • अदालत ने कहा कि प्रतिबंध के बारे में जानकारी के बावजूद यदि कोई व्यक्ति सदस्य के रूप में बने रहने का विकल्प चुनता है तो यह माना जाएगा कि वह देश की संप्रभुता के खिलाफ काम रहा है।
  • अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जो व्यक्ति संगठन छोड़ चुके थे और उस समय सदस्य नहीं थे जब इसे गैर-कानूनी घोषित किया गया था, उन्हें UAPA की धारा 10(a)(i) के तहत उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।

मौलिक अधिकारों पर युक्तियुक्त प्रतिबंध:

  • न्यायालय ने अनुच्छेद 19(4) का उल्लेख किया, जिसमें यह कहा गया है कि नागरिकों का संघ या संगठन बनाने का अधिकार भारत की प्रभुता और अखंडता या लोक व्यवस्था या सदाचार के हितों में “युक्तियुक्त प्रतिबंध” लगाने के लिए कानून बनाने की राज्य की शक्ति के अधीन है।
  • पीठ ने अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के कुछ फैसलों पर विश्वास करने वाली पिछली पीठ से भी असहमति जताई और बताया कि दोनों देशों के कानूनों में अंतर है।
    • अमेरिका के विपरीत, भारत में बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार निरपेक्ष अधिकार नहीं है और युक्तियुक्त प्रतिबंधों के अधीन है, और संविधान संसद को सार्वजनिक व्यवस्था और/या भारत की संप्रभुता को ध्यान में रखते हुए कानून बनाने की अनुमति देता है।

स्वतंत्रता के अधिकार के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक कीजिए: Right to Freedom

सारांश:

  • एक महत्वपूर्ण फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि किसी गैर-कानूनी संगठन का सदस्य होना गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एक अपराध है। न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि संघ बनाने का नागरिकों का अधिकार सार्वजनिक व्यवस्था या भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में “युक्तियुक्त प्रतिबंधों” के अधीन है।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था:

मानहानिकारक टिप्पणी एवं उठते सवाल

विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की कार्यप्रणाली और संबंधित चिंताएं

प्रारंभिक परीक्षा: वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

मुख्य परीक्षा: वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संबंधित चिंताएं।

संदर्भ:

  • कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के खिलाफ एक मंत्री के मानहानिकारक बयान।

विवरण:

  • भारत के कानून मंत्री ने कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को अप्रिय ढंग से “भारत-विरोधी” तत्व कहा है और ऐसी टिप्पणियां भी की हैं जिन्हें डराने-धमकाने वाला माना जा सकता है।
  • यह न केवल स्वर में डराने वाला है बल्कि अवधारणा की त्रुटिपूर्ण समझ को भी उजागर करता है।
  • ऐसा कहा गया है कि बयान मानहानिकारक है और भारतीय राजनीति के लिए चिंता का कारण है।

मामले का गंभीर विश्लेषण:

  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि न्यायिक पद छोड़ने वाले न्यायाधीश भारत के नागरिक बने रहेंगे।
  • उन्हें वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है और इस प्रकार “राज्य की नीतियों” पर सवाल उठाने के कार्य को “राष्ट्र-विरोधी” नहीं कहा जाना चाहिए।
  • सरकार को इसके बजाय अपने उपायों को सही ठहराना चाहिए और दी गई सलाह को मानना चाहिए।
  • विशेषत:, मंत्री की टिप्पणी का साहसी लोगों पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन शेष नागरिकों को निश्चित रूप से प्रभावित करेगा।
  • परिणामस्वरूप, “कीमत चुकाने” का डर होगा।
  • इसका राष्ट्र पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है और राज्य की कार्रवाई अनियंत्रित हो सकती है।
  • व्हिटनी बनाम कैलिफोर्निया मामले में (एक सदी पहले), न्यायमूर्ति लुई डी ब्रैंडिस ने इस बात पर प्रकाश डाला कि:
    • जिन लोगों ने अपने राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता हासिल की, वे स्वतंत्रता को साध्य और साधन दोनों के रूप में महत्व देते थे।
    • वे स्वतंत्रता को प्रसन्नता का रहस्य और साहस को स्वतंत्रता का रहस्य मानते थे।
    • राजनीतिक सत्य की खोज और प्रसार के लिए सोचने और बोलने की स्वतंत्रता अपरिहार्य है।
  • कई प्रमुख न्यायविदों ने भी समय-समय पर न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बल्कि अभिव्यक्ति के बाद की स्वतंत्रता पर भी चर्चा की है।
  • नवंबर 2022 को, भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने भारत में विचाराधीन कैदियों की दुर्दशा का मुद्दा उठाया। इस अभिव्यक्ति ने न्यायालय, जेल अधिकारियों और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की शक्ति को दर्शाता है।

साथ ही, इसे भी पढ़िए: Government Employees & Right To Free Speech : RSTV – Big Picture Discussion for UPSC exam

निष्कर्ष:

  • इस समस्या का समाधान करना महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इससे भारत के संवैधानिक लोकाचार को नुकसान हो सकता है।
  • इसके अलावा, भारत में, कानून या किसी प्राधिकरण द्वारा मौन की स्थिति (silence) को बलपूर्वक लागू नहीं किया जाना चाहिए।

संबंधित लिंक:

Sansad TV Perspective: Safeguarding Democratic Values

सारांश:

  • कानून एवं न्याय मंत्री द्वारा कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों पर की गई टिप्पणी ने देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को लेकर चिंता पैदा कर दी है। राज्य को सक्रिय रूप से इन चिंताओं को दूर करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाएगी।

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

विषय: शासन

प्रारंभिक परीक्षा: महत्वपूर्ण सरकारी योजनाएँ; सब्सिडी

संदर्भ:

  • सरकार ने PMUY के तहत 200 रुपए की सब्सिडी एक साल के लिए बढ़ा दी है।

मुख्य विवरण:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को प्रति वर्ष 12 रिफिल तक 14.2 किलोग्राम के एक सिलेंडर पर 200 रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दे दी है।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के 1 मार्च 2023 तक 9.59 करोड़ लाभार्थी हैं।
  • यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की उच्च कीमतों के मद्देनजर लिया गया है।
  • इस पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए कुल व्यय 6,100 करोड़ रुपये और 2023-24 के लिए 7,680 करोड़ रुपये होगा।
  • सब्सिडी सीधे पात्र लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा की जाती है।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना उपभोक्ताओं की औसत एलपीजी खपत 2019-20 के 3.01 रिफिल से 20 प्रतिशत बढ़कर 2021-22 में 3.68 हो गई है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के सभी लाभार्थी इस नियत सब्सिडी के पात्र हैं।
  1. प्रतिभूति लेनदेन कर

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विषय: अर्थव्यवस्था

प्रारंभिक परीक्षा: भारत में कराधान प्रणाली

संदर्भ:

  • डेरिवेटिव पर प्रतिभूति लेनदेन कर

मुख्य विवरण:

  • केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल, 2023 से शेयर बाजार में वायदा और विकल्प अनुबंधों पर प्रतिभूति लेनदेन कर (STT) 25% बढ़ा दिया है।
  • 24 मार्च, 2023 को लोकसभा द्वारा पारित वित्त विधेयक 2023 में, विकल्पों पर प्रतिभूति लेनदेन कर (STT) को 0.05 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.0625 प्रतिशत और वायदा अनुबंधों पर 0.01 प्रतिशत से 0.0125 तक करने का प्रस्ताव है।
  • सरकार का मुख्य उद्देश्य अपने राजस्व को बढ़ाना है और साथ ही बाजार के इस खंड में अत्यधिक अटकलों पर अंकुश लगाना है क्योंकि इस कदम से कारोबार की लागत में वृद्धि होगी।
  • विश्लेषकों का मत है कि उच्च प्रतिभूति लेनदेन कर सरकार के राजस्व को कुछ हद तक बढ़ाएगा और अत्यधिक ट्रेडिंग को हतोत्साहित भी करेगा क्योंकि बड़ी संख्या में खुदरा व्यापारियों को इस खंड में नुकसान उठाना पड़ता है।
  • यह कदम कुछ व्यापारियों को अपतटीय बाजारों की ओर स्थानांतरित कर सकता है जहाँ उन प्रतिभागियों को ऐसे करों का भुगतान नहीं करना होता है जिनकी उन बाजारों तक पहुंच है।
  1. जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विषय: अर्थव्यवस्था

प्रारंभिक परीक्षा: वस्तु एवं सेवा कर

संदर्भ:

  • लोकसभा ने जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना को मंजूरी दी।

मुख्य विवरण:

  • लोकसभा ने 64 संशोधनों के साथ वित्त विधेयक, 2023 पारित किया, जिसमें जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) की स्थापना करना भी शामिल है।
    • वर्तमान में, करदाता अपीलीय न्यायाधिकरण की अनुपस्थिति में उच्च न्यायालयों के समक्ष रिट याचिका दायर कर रहे हैं।
  • संशोधित वित्त विधेयक, 2023 में GSTAT और इसकी पीठों के गठन की सुविधा के लिए केंद्रीय जीएसटी अधिनियम की धारा 109 के प्रतिस्थापन का प्रस्ताव है।
  • संशोधन के अनुसार, जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की पीठ हर राज्य में स्थापित की जाएगी, जबकि दिल्ली में एक प्रमुख पीठ होगी जो ‘आपूर्ति के स्थान’ (place of supply) से संबंधित अपीलों पर सुनवाई करेगी।
  • न्यायाधिकरणों से अपेक्षा की जाती है कि वे उच्च न्यायालयों, सर्वोच्च न्यायालय पर बोझ कम करेंगे और करदाताओं को राहत प्रदान करेंगे।

जीएसटी परिषद के बारे में और जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिए: GST Council

भारत में मौजूद न्यायाधिकरणों के बारे में और जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिए:

Tribunals in India

  1. तमिल संगमम

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

विषय: प्राचीन इतिहास

प्रारंभिक परीक्षा: संगम काल; महमूद गजनवी

संदर्भ:

  • सरकार सौराष्ट्र और उत्तराखंड में तमिल संगमम का आयोजन करेगी।

मुख्य विवरण:

  • केंद्र सरकार एक भारत श्रेष्ठ भारत पहल के तहत काशी-तमिल संगमम के समान 17 से 26 अप्रैल तक गुजरात में सौराष्ट्र-तमिल संगमम आयोजित करने के लिए तैयार है।
  • संगमम गुजरात और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव होगा जिसका विकास सौराष्ट्र तमिल समुदाय की अधिक आबादी के कारण हुआ है।
  • 10 दिवसीय कार्यक्रम चार अलग-अलग स्थानों, यानी सोमनाथ, द्वारका, राजकोट और केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास आयोजित किया जाएगा।
  • इसकी योजना राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुचिरापल्ली और राजकोट के सौराष्ट्र विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई है।
  • तीसरा संगमम केदारनाथ-तमिल संगमम होगा, जो दक्षिणी राज्यों के लोगों और उत्तर में अवस्थित उत्तराखंड के पवित्र मंदिरों के बीच सभ्यतागत संबंधों का उत्सव होगा।
    • यह आयोजन विचाराधीन है और दोनों स्थानों के बीच की कड़ियों के मध्य संबंधों को अंतिम रूप देने पर काम चल रहा है।

गुजरात-दक्षिण संपर्क:

  • सौराष्ट्रियन समुदाय (मूल रूप से गुजरात क्षेत्र से संबंधित) अब ज्यादातर दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में रहता है।
    • सौराष्ट्रियन समुदाय की बड़ी आबादी तमिलनाडु के मदुरै क्षेत्र में रहती है।
  • देश के दक्षिणी हिस्सों में उनके प्रवास का मुख्य कारण 1024 में महमूद गजनवी द्वारा उनके धार्मिक केंद्र सोमनाथ मंदिर को अपवित्र किये जाने को माना जाता है।

केदारनाथ-दक्षिण संबंध:

  • समुद्र तल से 3,583 मीटर ऊपर मंदाकिनी के तट पर स्थित चार धाम (चार तीर्थ) में से एक, केदारनाथ, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों (शिव को समर्पित तीर्थ) में से ग्यारहवां है।
    • चार धाम में बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर भी शामिल हैं।
  • हर साल तमिलनाडु तथा कर्नाटक और केरल समेत अन्य दक्षिणी राज्यों के हजारों लोग केदारनाथ जाते हैं।
  • केदारनाथ के पुजारी रावल द्वारा चुने जाते हैं, जो कर्नाटक के वीरशैव लिंगायत समुदाय के थे।
  • केदारनाथ के अलावा, बद्रीनाथ में स्थित ब्रह्म कपाल मंदिर में पिंड दान और तर्पण (हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार का हिस्सा) करने के लिए भी दक्षिण के लोग बड़ी संख्या में बद्रीनाथ मंदिर जाते हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)

  1. प्रदूषणकर्त्ता द्वारा भुगतान के सिद्धांत (PPP) की पहली बार सिफारिश 1972 में यूरोपीय संघ द्वारा की गई थी।
  2. महाराष्ट्र और केरल में तीन आर्द्रभूमि हैं जिन्हें रामसर कन्वेंशन के तहत “अंतर्राष्ट्रीय महत्व” का माना गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 01 गलत है, प्रदूषण नियंत्रण की लागतों को आवंटित करने के लिए 1972 में OECD द्वारा आर्थिक सिद्धांत के रूप में प्रदूषणकर्त्ता-भुगतान सिद्धांत (PPP) को अपनाया गया था।
  • कथन 02 सही है, महाराष्ट्र और केरल में तीन आर्द्रभूमि हैं जिन्हें रामसर सम्मेलन के तहत “अंतर्राष्ट्रीय महत्व” का माना गया है।
    • केरल- अष्टमुडी आर्द्रभूमि; वेम्बनाड-कोल आर्द्रभूमि; सस्थमकोट्टा झील।
    • महाराष्ट्र- नंदुर मधमेश्वर; ठाणे क्रीक; लोनार झील।

प्रश्न 2. पैरोल के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-कठिन)

  1. यह एक कैदी का अधिकार है।
  2. दोषी की सजा पैरोल अवधि के साथ चलती है।
  3. पैरोल कई बार दिया जा सकता है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 3
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 01 गलत है, यह सजा के निलंबन के साथ एक कैदी को रिहा करने की एक प्रणाली है। रिहाई सशर्त होती है, आमतौर पर व्यवहार के अधीन होती है, और एक निर्धारित अवधि के लिए अधिकारियों को समय-समय पर रिपोर्ट करने की आवश्यकता होती है। पैरोल कोई अधिकार नहीं है।
  • कथन 02 गलत है, दोषी की सजा फरलो अवधि के साथ चलती है। हालांकि, पैरोल के मामले में, छुट्टी के दिनों को सजा की अवधि में शामिल नहीं किया जाता है।
    • फरलो लंबी अवधि के कारावास के मामलों में दिया जाता है। पैरोल के विपरीत, फरलो को एक कैदी के अधिकार के रूप में देखा जाता है।
  • कथन 03 सही है, पैरोल कई बार दिया जा सकता है और एक कैदी को एक विशेष कारण से दिया जाता है, जैसे कि परिवार में किसी की मृत्यु या किसी रिश्तेदार की शादी।

प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सिफारिश तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव के अनुमोदन के बिना बाघ अभयारण्य की सीमाओं में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
  2. प्रोजेक्ट टाइगर भारत सरकार द्वारा भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान शुरू किया गया एक बाघ संरक्षण कार्यक्रम है।
  3. यह पर्यावरण मंत्रालय की केंद्र प्रायोजित योजना है।

विकल्प:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 01 गलत है, बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सिफारिश और राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड के अनुमोदन के बिना बाघ अभयारण्य की सीमाओं में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
  • कथन 02 सही है, भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान भारत सरकार द्वारा नवंबर 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरु किया गया था।
  • कथन 03 सही है, प्रोजेक्ट टाइगर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसके तहत बाघ वाले राज्यों को निर्दिष्ट बाघ अभयारण्यों में बाघ संरक्षण के लिए केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

प्रश्न 4. एबेल पुरस्कार (Abel Prize) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-कठिन)

  1. एबेल पुरस्कार प्रकांड अंतर्राष्ट्रीय गणितज्ञों को प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।
  2. यह नॉर्वे सरकार की ओर से नॉर्वेजियन एकेडमी ऑफ साइंस एंड लेटर्स द्वारा प्रदान किया जाता है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: c

व्याख्या: उत्कृष्ट गणितज्ञों को सम्मानित करने के लिए एबेल पुरस्कार हर साल दिया जाता है। इसका नाम नील्स हेनरिक एबेल के नाम पर रखा गया है, जिन्हें नॉर्वे का सबसे महान गणितज्ञ माना जाता है। इसकी स्थापना नार्वे की संसद द्वारा 2002 में नील्स हेनरिक एबेल की 200वीं जयंती के अवसर पर की गई थी।

एबेल पुरस्कार नॉर्वे के संसद के शिक्षा मंत्रालय की ओर से नार्वेजियन एकेडमी ऑफ साइंस एंड लेटर्स द्वारा दिया जाता है।

प्रश्न 5. टिहरी जलविद्युत परिसर निम्नलिखित में से किस नदी पर स्थित है? (CSE-PYQ-2008) (स्तर-कठिन)

  1. अलकनंदा
  2. भागीरथी
  3. धौलीगंगा
  4. मंदाकिनी

उत्तर: b

व्याख्या: टिहरी बांध उत्तराखंड में भागीरथी नदी पर एक बहुउद्देश्यीय चट्टान और मिट्टी से भरा तटबंध बांध है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत में संसद के सदस्यों को अयोग्य कैसे ठहराया जाता है? 2013 के लिली थॉमस मामले के संदर्भ में व्याख्या कीजिए। (GSII-राजव्यवस्था) (250 शब्द; 15 अंक)

प्रश्न 2. शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत भारत के लोकतंत्र की आधारशिला है। सरकार और न्यायपालिका के बीच जारी संघर्ष के संदर्भ में विस्तारपूर्वक समझाइए। (GSII-राजव्यवस्था) (250 शब्द; 15 अंक)