29 जनवरी 2023 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

कला और संस्कृति:

  1. सुंदरबन मंदिर

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:

  1. केरल के डूबते द्वीप को बचाने के लिए शोधकर्ताओं ने दिए सुझाव

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।

E.सम्पादकीय:

आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. .वायु प्रदूषण के स्रोत

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. नोबल हेलेन
  2. मुगल गार्डन
  3. टाइटनोसॉरस

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

सुंदरबन मंदिर

कला और संस्कृति:

विषय: भारतीय संस्कृति – प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक कला रूपों, साहित्य और वास्तुकला के प्रमुख पहलू।

मुख्य परीक्षा: भारत में मौजूद प्राचीन स्मारकों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव।

प्रसंग: सुंदरबन मंदिर समुद्री हवाओं के प्रभाव से तेजी से नष्ट हो रहा है।

मुख्य विवरण:

  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, विशेष रूप से हवा की लवणता में वृद्धि, 11वीं शताब्दी के टेराकोटा शिव मंदिर जतार देउल की बाह्य दीवार को नष्ट कर रही है।
  • यह पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना में मौजूद रैदिघी में स्थित है।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अनुसार, “मंदिर की ईंट की बाह्य दीवार का क्षरण हो रहा है, हवा की लवणता में वृद्धि के कारण ईंटों के किनारे लगातार जंग खा रहे हैं”।
  • हाइड्रोलिक क्रिया या वायु लवणता के कारण मंदिर को क्षरण का सामना करना पड़ रहा है।
  • पेड़ मंदिर के ऊपरी भाग को तटीय हवाओं से बचाते हैं जो इस तरफ के क्षरण को कम करता है।
  • तट के किनारे स्थित पाषाण मंदिर – जैसे कि ओडिशा का प्रसिद्ध कोणार्क मंदिर – लवणता से कम प्रभावित होते हैं क्योंकि पत्थर की सरंध्रता ईंट की तुलना में बहुत कम होती है।
  • मई 2020 में उष्णकटिबंधीय चक्रवात से जातर देउल में पेड़ नष्ट हो गए थे, जिससे मंदिर को लवणीय तटीय हवाओं का सामना करना पड़ा।
  • ASI क्षतिग्रस्त ईंटों को हटाकर और उन्हें समान आकार की नई ईंटों से बदलकर मंदिर में जीर्णोद्धार और संरक्षण कार्य करने की योजना बना रहा है।
  • ASI इस स्थल पर वृक्षारोपण कर रहा है ताकि वे मंदिर की ओर हवा के रास्ते के रूप में अवरोध के रूप में कार्य कर सकें।

जातर देउल मंदिर:

  • ASI वेबसाइट के अनुसार, जातर देउल पारंपरिक रूप से राजा जयंतचंद्र के एक शिलालेख से जुड़ा है, जिसे 975 ईस्वी में जारी किया गया था। इसकी वास्तुकला के आधार पर कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 10वीं या 11वीं शताब्दी में किया गया था।
  • हालांकि, पश्चिम बंगाल के मंदिरों की विशेषज्ञ शर्मिला साहा, तिथि-निर्धारण के अनुमान से असहमत हैं, तथा स्थापत्य सुविधाओं के आधार पर उनका मानना है कि मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी की शुरुआत में किया गया था।
  • जातर देउल में बंगाल के मंदिरों की पारंपरिक संरचना का अनुपालन नहीं किया गया है। स्थापत्य शैली अधिक मीनारों वाली उड़िया शैली की तरह है।
  • हाल के उत्खनन से उड़िया मंदिरों की शैली में ‘जगमोहन’ और ‘गर्भ-गृह’ (आंतरिक पवित्र स्थान) का पता चला है।
  • वर्तमान में स्थानीय लोग मंदिर को भगवान शिव का मंदिर मानते हैं, हालांकि मंदिर के मुख्य कक्ष के अंदर विभिन्न देवी-देवताओं की बहुत सारी तस्वीरें और मूर्तियां हैं।
  • वर्तमान में जातर देउल का रखरखाव ASI द्वारा किया जाता है।

चित्र स्रोत: The Hindu

इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को क्लिक करें Coastal Erosion in India

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

केरल के डूबते द्वीप को बचाने के लिए शोधकर्ताओं ने दिए सुझाव

पर्यावरण और पारिस्थितिकी:

विषय: पर्यावरण क्षरण और संरक्षण।।

मुख्य परीक्षा: केरल की डूबती भूमि को बचाने के तरीके।

पृष्ठभूमि का विवरण:

  • नेशनल सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्टडीज (NCESS) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, केरल के जलवायु शरणार्थियों के पहले समूह (मुनरो थुरुथु के निवासी) की दुर्दशा का मुख्य कारण मानवीय हस्तक्षेप है।
  • इस द्वीप के निवासियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जैसे भूमि का नियमित धंसाव, ज्वारीय बाढ़ तथा कम कृषि उत्पादकता। इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र से बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है।
  • अध्ययन से पता चलता है कि लगभग 39% भूमि क्षेत्र नष्ट हो गया है। इसके अलावा, पेरिंगलम और चेरियाकदावु द्वीपों में क्रमशः लगभग 12% और 47% भूमि में कमी दर्ज की गई है।
  • शोधकर्ताओं ने बताया कि भूमि क्षरण 1980 के दशक में शुरू हुआ था, लेकिन इसकी गंभीरता को 2000 के दशक में महसूस किया गया था।
  • कल्लदा नदी में क्षरण के प्रमुख कारण अनियमित रेत खनन और परिणामी नदी तल पूल हैं। इसके अलावा, थेनमाला बांध के निर्माण के बाद नदी के माध्यम से तलछट की आपूर्ति अवरुद्ध हो गई थी।
  • इस अध्ययन में द्वीप पर रूपात्मक परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए सुदूर संवेदन डेटा और भूमि सर्वेक्षण रिकॉर्ड का उपयोग किया गया। इसमें क्षेत्र के उपसतह भूविज्ञान का विश्लेषण करने के लिए विद्युत प्रतिरोधकता मीटर सर्वेक्षणों का प्रयोग किया गया।
  • कल्लदा नदी का बैथिमीट्रिक सर्वेक्षण भी किया गया था और यह पाया गया कि कई खारे ताल हैं जो मिट्टी की उर्वरता और कृषि उत्पादकता को प्रभावित करते हैं।

इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को क्लिक करें: Joshimath Land Subsidence

भावी कदम:

  • शोध संगठन ने भू-दृश्य की मूल भू-आकृतिक स्थिति को पुनः प्राप्त करने के लिए पृथ्वी और सामाजिक विज्ञान के सभी पहलुओं को एकीकृत करके भू-आकृतिक परिदृश्य को पूर्व स्थिति में लाने का प्रस्ताव दिया है।
  • शोध संगठन द्वारा किए गए अध्ययन में रामसर (Ramsar) में सूचीबद्ध आर्द्रभूमि के सतत प्रबंधन पर भी जोर दिया गया है। अष्टमुडी झील और कल्लदा नदी से रेत खनन को नियंत्रित करने और क्षेत्र में मौजूदा निर्माण विधियों को क्रमशः बदलने के लिए सख्त नियामक उपायों और बेहतर इंजीनियरिंग तकनीकों की आवश्यकता है।
  • गहरे बेसिन के खारे तटों को नष्ट करने के लिए कृत्रिम अवसादन प्रक्रिया का भी सुझाव दिया गया है।
  • पिछले पांच वर्षों के दौरान किए गए बहु-विषयक अनुसंधान में अत्यधिक संवेदनशील नदी के मुहाने के पारिस्थितिक तंत्र ( estuarine ecosystem) की रक्षा के लिए उपयुक्त रणनीतियों की अनुशंसा की गई है।

सारांश:

केरल के मुनरो थुरुथु में निरंतर भूमि धंसाव की स्थिति है एवं कृषि उत्पादकता कम है। शोधकर्ताओं ने रेत खनन के नियमन तथा बेहतर निर्माण दृष्टिकोण जैसे विभिन्न समाधानों की पेशकश की है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.वायु प्रदूषण के स्रोत:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

जैव विविधता और पर्यावरण:

प्रारंभिक परीक्षा: पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण; प्रदूषण स्रोतों की निगरानी

प्रसंग: वायु प्रदूषण के स्रोतों की वास्तविक समय में पहचान की जानी है।

मुख्य विवरण:

  • ऐसी संभावना है कि दिल्ली सरकार एक वेबसाइट और मोबाइल प्रयोगशाला (शहर के विभिन्न हिस्सों से वायु प्रदूषण रीडिंग और स्रोतों को कैप्चर करने वाली एक लैब-ऑन-वैन) का उद्घाटन करेगी, जिसका उपयोग “रीयल-टाइम स्रोत विभाजन अध्ययन” के लिए किया जाता है, जिसके तहत दिल्ली की वायु से संबंधित डेटा एकत्र किया गया है तथा इनपुट के रूप में आसपास की वायु का उपयोग करके वायु प्रदूषण का स्रोत देते हुए एक मॉडल (सॉफ्टवेयर) बनाया जाएगा।
  • स्रोत प्रभाजन (apportionment) अध्ययन, IIT कानपुर, IIT दिल्ली, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) [The Energy and Resources Institute (TERI)] और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER), मोहाली द्वारा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के लिए लगभग 12 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है।
  • दिल्ली कैबिनेट ने जुलाई 2021 में अध्ययन को मंजूरी दी थी तथा अक्टूबर 2021 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • अध्ययन में एक सुपरसाइट शामिल है, जहां पार्टिकुलेट मैटर तथा अन्य गैसीय प्रदूषकों जैसे मापदंडों की निगरानी के लिए उपकरण की स्थापना की गई है, जो रियल टाइम में प्रदूषकों के स्रोत निर्धारित करते हैं, तथा प्रति घंटा, दैनिक और साप्ताहिक आधार पर पूर्वानुमान प्रात होते हैं।
  • रियल टाइम डेटा सरकार को वायु प्रदूषण के स्रोतों की सटीक पहचान करने और उन्हें अधिक प्रभावी ढंग से रोकने के लिए कार्रवाई करने में सहायता करेगा।
  • दिल्ली सरकार से इस विश्लेषण को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ( CAQM) [CAQM (Commission for Air Quality Management) ] के साथ साझा करने की अपेक्षा है ताकि केंद्र सरकार को इस मुद्दे को हल करने में सहायता मिल सके।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1.नोबल हेलेन

  • भारत में पहली बार एक स्वेलोटेल तितली की उपस्थिति दर्ज की गई है।
  • सितंबर 2021 में अरुणाचल प्रदेश के नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान (Namdapha National Park ) में मौजूद तीन स्थानों पर ये “बेहद दुर्लभ” नोबल हेलेन (पैपिलियो नोबेली) तितलियाँ देखी गई थी।
  • फिलीपींस की पैपिलियो एंटोनियो से संबंधित नोबल हेलेन, जिसके शरीर के उपरी भाग पर एक सफ़ेद स्पॉट होता है, कभी उत्तरी थाईलैंड में मध्यम ऊंचाई पर पर्वतीय जंगल में देखी जाती थी।
  • स्वैलटेल तितली की यह प्रजाति म्यांमार, युन्नान और चीन के हुबई क्षेत्रों, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम में भी देखी गई है।
  • प्रजातियाँ धीरे-धीरे उन श्रेणियों में लुप्त हो रही हैं जहाँ पहले देखी गई थीं।
  • अंटार्कटिका को छोड़कर दुनिया भर में तितलियाँ पाई जाती हैं, जिनकी कुल 18,500 प्रजातियां हैं। उन्हें जैव विविधता की स्थिति और प्रमुख पारिस्थितिक तंत्र कार्यों का महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है।

चित्र स्रोत: The Hindu

2.मुगल गार्डन

  • राष्ट्रपति भवन उद्यान, जिसे मुगल गार्डन के नाम से जाना जाता है, को 28 जनवरी, 2023 को “आजादी का अमृत महोत्सव” समारोह के हिस्से के रूप में ‘अमृत उद्यान’ नाम दिया गया।
  • यह एडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया था, जो 15 एकड़ में फैला हुआ है, इसमें मुगल और अंग्रेजी दोनों भूनिर्माण शैलियों को शामिल किया गया है।
  • यह जम्मू और कश्मीर के मुगल गार्डन, ताजमहल के आसपास के बगीचों और यहां तक कि भारत और फारस के लघु चित्रों से प्रेरित है।
  • मुख्य उद्यान में दो चैनल हैं जो समकोण पर प्रतिच्छेद करते हैं और बगीचे को वर्गों के एक ग्रिड एक चारबाग (चार कोनों वाला बगीचा) – मुगल भूनिर्माण की एक विशिष्ट विशेषता में विभाजित करते हैं।
  • चारबाग संरचना का उद्देश्य एक सांसारिक आदर्शलोक – जन्नत – को दर्शाना था, जिसमें मनुष्य प्रकृति के सभी तत्वों के साथ पूर्ण सामंजस्य के साथ सह-अस्तित्व में हैं।
  • दिल्ली में हुमायूं के मकबरे के आसपास के बगीचों से लेकर श्रीनगर में मौजूद निशात बाग तक, सभी इस शैली में बने हैं – उन्हें मुगल गार्डन का उपनाम दिया गया है।
  • इन चैनलों के चौराहे पर 12 फीट की ऊंचाई तक छह कमल के आकार के फव्वारे हैं। बगीचे में लगभग 2,500 किस्म के डहलिया और 120 किस्म के गुलाब हैं।
  • गुलाब की किस्मों में अडोरा, मृणालिनी, ताजमहल, एफिल टॉवर, सेंटिमेंटल, ओक्लाहोमा (जिसे ब्लैक रोज़ भी कहा जाता है), ब्लैक लेडी, ब्लू मून और लेडी एक्स शामिल हैं। व्यक्तित्वों के नाम पर गुलाब भी हैं: मदर टेरेसा, राजा राम मोहन रॉय, अब्राहम लिंकन, जवाहर लाल नेहरू, और महारानी एलिजाबेथ।
  • इस बगीचे को प्रत्येक वर्ष वसंत के दौरान सीमित अवधि के लिए जनता के लिए खोल दिया जाता है।

3.टाइटनोसॉरस

  • मध्य भारत की नर्मदा घाटी में, शोधकर्ताओं ने 92 घोंसले वाले स्थलों की खोज की जिसमें कुल 256 जीवाश्म अंडे हैं जो टाइटनोसॉरस से संबंधित हैं, जो सर्वकालिक बड़े डायनासोरों में से थे।
  • नर्मदा घाटी में स्थित लमेटा फॉर्मेशन, डायनासोर के कंकालों के जीवाश्मों और उत्तर-क्रेटेशियस अवधि के अंडों के लिए प्रसिद्ध है, जो लगभग 145 से 66 मिलियन वर्ष पहले तक का समय था।
  • घोंसलों के विन्यास के आधार पर, यह अनुमान लगाया जाता है कि इन डायनासोरों ने आधुनिक समय के मगरमच्छों की तरह अपने अंडे उथले गड्ढों में दफनाए।
  • अंडों में खोजी गई कुछ विकृति, जैसे कि “एग-इन-एग” का एक दुर्लभ मामला, से पता चलता है कि टाइटनोसॉर सॉरोपोड्स में पक्षियों के समान प्रजनन शरीर क्रिया विज्ञान था और हो सकता है कि उन्होंने अपने अंडे क्रमिक रूप से रखे हों, जैसा कि आधुनिक पक्षियों में देखा गया है।
  • एक ही क्षेत्र में कई घोंसलों की उपस्थिति से पता चलता है कि ये डायनासोर, आधुनिक पक्षियों की तरह, उपनिवेशी घोंसले के व्यवहार (Colonial nesting behaviour) में लगे हुए थे।
  • दूसरी ओर, घोंसलों की नज़दीक अवस्थिति, वयस्क डायनासोर के लिए बहुत कम स्थान छोड़ती है, इस सिद्धांत को सिद्ध करती है कि वयस्कों ने स्वयं के बचाव के लिए हैचलिंग (नवजात शिशु) को छोड़ दिया।
  • परिणाम से जीवाश्म विज्ञानियों को अच्छी जानकारी प्राप्त हुई है कि डायनासोर कैसे रहते थे तथा विकसित हुए थे।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:

पारंपरिक नाट्य रूप राज्य

  1. माच मध्य प्रदेश
  2. शुमंग लीला असम
  3. तमाशा महाराष्ट्र
  4. थेरुकुथु केरल

उपर्युक्त युग्मों में से कितना/कितने सुमेलित है/हैं?

  1. केवल एक युग्म
  2. केवल दो युग्म
  3. केवल तीन युग्म
  4. सभी चारों युग्म

उत्तर: b

व्याख्या:

  • युग्म 01 सुमेलित है, माच मध्य प्रदेश का एक प्रमुख लोक नाट्यरूप है और ऐतिहासिक विवरण से ज्ञात होता है कि यह अठारहवीं शताब्दी की शुरुआत से ही मालवा क्षेत्र की स्थानीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है, जिससे यह 200-250 साल पुराना कला रूप बन गया है।
  • युग्म 02 सुमेलित नहीं है, शुमंग कुम्हेई को शुमंग लीला (‘प्रकोष्ठ अभिनय’ के लिए मेतेई) के नाम से भी जाना जाता है, नाट्यरूप का एक मेतेई पारंपरिक रूप है, जिसका मंचन आमतौर पर मणिपुर में होता है।
  • युग्म 03 सुमेलित है, तमाशा मराठी नाट्यरूप का एक पारंपरिक रूप है, प्रायः गायन और नृत्य के साथ, महाराष्ट्र राज्य के भीतर स्थानीय या यात्रा थिएटर समूहों द्वारा व्यापक रूप से इसका मंचन किया जाता है।
  • युग्म 04 सुमेलित नहीं है, तमिलनाडु और श्रीलंका के तमिल भाषी क्षेत्रों में प्रचलित थेरुकुथु एक तमिल नुक्कड़ नाटक रूप है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. हजारीबाग वन्यजीव अभयारण्य बिहार राज्य में स्थित है।
  2. एक वन्यजीव अभयारण्य में मानवीय गतिविधियों की अनुमति नहीं होती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 01 सही है, हजारीबाग वन्यजीव अभयारण्य झारखंड में स्थित एक वन्यजीव अभयारण्य है। हजारीबाग राष्ट्रीय उद्यान 1955 में स्थापित किया गया था। इसे 1976 में एक वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया था।
  • कथन 02 सही है, वन्यजीव अभ्यारण्य में अत्यधिक सीमित मानवीय गतिविधि की अनुमति होती है। जानवरों के शिकार और अवैध शिकार पर सख्त प्रतिबंध है साथ ही कृषि या किसी अन्य उपयोग के लिए पेड़ और पौधों को नहीं काटा जा सकता है। लोगों को वन्यजीव अभयारण्यों में प्रवेश करने से रोकने के लिए कोई स्पष्ट रूप से नक्काशीदार सीमाएं या बाड़ नहीं हैं। लोगों को शैक्षिक, मनोरंजन या अनुसंधान कारणों से वन्यजीव अभयारण्यों में प्रवेश की अनुमति होती है।

राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य के बीच अंतर जानने के लिए यहाँ क्लिक करें: Difference between National Park and Wildlife sanctuary

प्रश्न 3. निम्नलिखित युग्मों में से कौन सा/से सुमेलित है/हैं?

लड़ाकू विमान संबंधित मूल देश (Origin)

  1. मिराज 2000 रूस
  2. सुखोई Su-30 फ्रांस
  3. SEPECAT जगुआर यूनाइटेड किंगडम

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • युग्म 01 सुमेलित नहीं है, डसॉल्ट मिराज 2000 एक फ्रांसीसी मल्टीरोल, सिंगल-इंजन, चौथी पीढ़ी का जेट फाइटर है जो डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित है।
  • युग्म 02 सुमेलित नहीं है, सुखोई Su-30 रूस के सुखोई एविएशन कॉरपोरेशन द्वारा सोवियत संघ में विकसित एक जुड़वां इंजन एवं दो सीट वाला सुपरमैन्यूएवरेबल लड़ाकू विमान है।
  • युग्म 03 सुमेलित है, SEPECAT जगुआर एक एंग्लो-फ्रेंच जेट अटैक एयरक्राफ्ट है जो मूल रूप से ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स और फ्रेंच एयर फोर्स द्वारा क्लोज एयर सपोर्ट और न्यूक्लियर स्ट्राइक रोल में इस्तेमाल किया जाता है। यह अभी भी भारतीय वायु सेना में है।

प्रश्न 4.

अभिकथन (A): राजस्थान में देश में सबसे ज्यादा बकरी की आबादी है।

तर्क (R) : राजस्थान में मरुस्थलीय क्षेत्रों में वृद्धि के साथ, लोगों ने कृषि और पशुपालन से हटकर बकरी पालन को अपनाया है, क्योंकि बकरियाँ विपरीत वातावरण में जीवित रह सकती हैं।

कूट:

  1. A और R दोनों अलग-अलग तौर पर सत्य हैं तथा R, A की सही व्याख्या है
  2. A और R दोनों अलग-अलग तौर पर सत्य हैं तथा R, A की सही व्याख्या नहीं है
  3. A सत्य है लेकिन R असत्य है
  4. A असत्य है लेकिन R सत्य है

उत्तर: a

व्याख्या:

  • देश में सर्वाधिक बकरियों की आबादी राजस्थान में है।

  • राजस्थान में मरुस्थलीय क्षेत्रों में वृद्धि के साथ, कई छोटे और मध्यम किसान कृषि और पशुपालन से बकरी पालन में स्थानांतरित हो गए क्योंकि बकरियां इस प्रकार के विपरीत वातावरण में जीवित रह सकती हैं।
    • बकरी पालन पूंजी गहन नहीं है, इसलिए इसकी शुरुआत आसान है। आंशिक रूप से विखंडित अरावली पहाड़ियाँ एक प्रकार से निःशुल्क चरागाह प्रदान करती हैं; जिससे पालन लागत का लगभग 70 प्रतिशत बचता है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. 1. भारत में लाल पांडा प्राकृतिक रूप से पश्चिमी हिमालय में ही पाया जाता है।
  2. 2. भारत में स्लो लोरिस (Slow loris) उत्तर पूर्व के घने जंगलों में पायी जाती हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 01 गलत है, लाल पांडा हिमालय के समशीतोष्ण जंगलों के लिए स्थानिक है, तथा पश्चिमी नेपाल की तलहटी से लेकर पूर्व में चीन तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में दक्षिणी तिब्बत, भारत में सिक्किम और असम, भूटान, बर्मा के उत्तरी पर्वत और दक्षिण पश्चिमी चीन में, सिचुआन के हेंगडुआन पर्वत और युन्नान में गोंगशान पर्वत शामिल हैं।
  • कथन 02 सही है, भारत में स्लो लोरिस उत्तर पूर्व के घने जंगलों में पाए जाते हैं। बंगाल स्लो लोरिस (Nycticebus bengalensis) या नॉर्दर्न स्लो लोरिस एक स्ट्रेप्सिरहाइन प्राइमेट है तथा भारतीय उपमहाद्वीप और इंडोचाइना में पाए जाने वाले स्लो लोरिस की एक प्रजाति है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1.जलवायु परिवर्तन से हमारी संस्कृति और विरासत के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए? (10 अंक, 150 शब्द) (GSI- कला एवं संस्कृति)

प्रश्न 2. जलवायु शरणार्थी कौन है? इस नए प्रकार के शरणार्थी के संबंध में मानवतावादी संस्थाओं के लिए क्या निहितार्थ हैं? (10 अंक, 150 शब्द) (GSIII- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण)