UPSC की सिविल सेवा परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है- प्रारंभिक, मुख्य और व्यक्तित्त्व परीक्षण। UPSC की सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के लिये प्रतियोगियों को एक वैकल्पिक विषय चुनना पड़ता है। यह IAS परीक्षा में प्रतियोगियों की रैंकिंग तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालिया रुझानों से ज्ञात होता है कि साहित्यिक विषयों की सफलता दर विगत कई वर्षों के साथ लगातार बढ़ रही है।
हिंदी भारत में सबसे लोकप्रिय भाषाओं में से एक है और अधिकांश जनसंख्या इसे समझती है। भारत सरकार अंग्रेजी के साथ-साथ विभिन्न विभागों के बीच संचार के लिये आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी का उपयोग करती है। UPSC सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में हिंदी को वैकल्पिक साहित्यिक विषयों की सूची में शामिल किया गया है। IAS मुख्य परीक्षा में अनिवार्य भाषा के प्रश्नपत्र के लिये हिंदी भी एक विकल्प है।
इस लेख में, हम आपको UPSC की सिविल सेवा परीक्षा के वैकल्पिक विषय हिंदी साहित्य का पाठ्यक्रम और इसकी PDF प्रदान करेंगे।
IAS मुख्य परीक्षा के लिये हिंदी वैकल्पिक विषय से संबंधित पाठ्यक्रम
हिंदी में कविता, गद्य और निबंध संग्रह, वैज्ञानिक साहित्य और धार्मिक महाकाव्यों के रूप में कथा और गैर-कथा सहित साहित्य का एक विशाल निकाय है। हिंदी की कई बोलियाँ हैं, जिनका साहित्य UPSC सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है।
इस विषय के पाठ्यक्रम में संपूर्ण उपमहाद्वीप में प्रयुक्त प्राचीन लिपियों से देवनागरी लिपि का विकास, स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देश की भाषा के रूप में हिंदी का विकास और हिंदी व्याकरण की संपूर्णता शामिल है। यह हिंदी में विभिन्न कार्यों की साहित्यिक आलोचना और कई प्रमुख लेखकों और उनके कार्यों पर भी केंद्रित है।
हिंदी वैकल्पिक विषय में 500 अंक होते हैं, जो 250-250 अंकों के दो प्रश्न पत्रों में विभाजित होते हैं।
वैकल्पिक विषय हिंदी साहित्य के प्रश्नपत्र- I का पाठ्यक्रम
सिविल सेवा परीक्षा के लिये हिंदी साहित्य प्रश्नपत्र- I का पाठ्यक्रम नीचे दिया गया है:
- हिंदी भाषा और नागरी लिपि का इतिहास
- अपभ्रंश, अवहट्ट और प्रारंभिक हिंदी का व्याकरणिक तथा अनुप्रयुक्त स्वरूप।
- मध्यकाल में ब्रज और अवधी का साहित्यिक भाषा के रूप में विकास।
- सिद्ध एवं नाथ साहित्य, खुसरो, संत साहित्य, रहीम आदि कवियों और दक्खिनी हिंदी में खड़ी बोली का प्रारंभिक स्वरूप।
- उन्नीसवीं शताब्दी में खड़ी बोली और नागरी लिपि का विकास।
- हिंदी भाषा और नागरी लिपि का मानकीकरण।
- स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी का विकास।
- भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी का विकास।
- हिंदी भाषा का वैज्ञानिक और तकनीकी विकास।
- हिंदी की प्रमुख बोलियाँ और उनका परस्पर संबंध।
- नागरी लिपि की प्रमुख विशेषताएँ और उसके सुधार के प्रयास तथा मानक हिंदी का स्वरूप।
- मानक हिंदी की व्याकरणिक संरचना।
- हिंदी साहित्य का इतिहास
- हिंदी साहित्य की प्रासंगिकता और महत्त्व तथा हिंदी साहित्य के इतिहास-लेखन की परंपरा।
- हिंदी साहित्य के इतिहास के निम्नलिखित चार कालों की साहित्यिक प्रवृत्तियाँ
- (क) आदिकालः सिद्ध, नाथ और रासो साहित्य। प्रमुख कविः चंदबरदाई, खुसरो, हेमचन्द्र, विद्यापति।
- (ख) भक्ति कालः संत काव्य धारा, सूफी काव्यधारा, कृष्ण भक्तिधारा और राम भक्तिधारा। प्रमुख कवि : कबीर, जायसी, सूर और तुलसी।
- (ग) रीतिकालः रीतिकाव्य, रीतिबद्ध काव्य, रीतिमुक्त काव्य प्रमुख कवि : केशव, बिहारी, पदमाकर और घनानंद।
- (घ) आधुनिक कालः (क) नवजागरण, गद्य का विकास, भारतेन्दु मंडल
- (ख) प्रमुख लेखक : भारतेन्दु, बाल कृष्ण भट्ट और प्रताप नारायण मिश्र।
- (ड.) आधुनिक हिंदी कविता की मुख्य प्रवृत्तियाँ। छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता, नवगीत, समकालीन कविता और जनवादी कविता।
- प्रमुख कवि : मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, गजानन माधव मुक्तिबोध, नागार्जुन।
- कथा साहित्यः
- (क) उपन्यास और यथार्थवाद
- (ख) हिंदी उपन्यासों का उद्भव और विकास
- (ग) प्रमुख उपन्यासकार : प्रेमचन्द, जैनेन्द्र, यशपाल, रेणु और भीष्म साहनी।
- (घ) हिंदी कहानी का उद्भव और विकास।
- (ड़) प्रमुख कहानीकार: प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, मोहन राकेश और कृष्णा सोबती।
- नाटक और रंगमंच:
- (क) हिंदी नाटक का उद्भव और विकास
- (ख) प्रमुख नाटककार : भारतेन्दु, जयशंकर प्रसाद, जगदीश चंद्र माथुर, रामकुमार वर्मा, मोहन राकेश।
- (ग) हिंदी रंगमंच का विकास।
- आलोचना :
- (क) हिंदी आलोचना का उद्भव और विकास- सैद्धांतिक, व्यावहारिक, प्रगतिवादी, मनोविश्लेषणवादी आलोचना और नई समीक्षा।
- (ख) प्रमुख आलोचक – रामचन्द्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा और नगेन्द्र।
- हिंदी गद्य की अन्य विधाएँ: ललित निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रा वृत्तान्त।
वैकल्पिक विषय हिंदी साहित्य के प्रश्नपत्र- II का पाठ्यक्रम
सिविल सेवा परीक्षा के लिये हिंदी साहित्य प्रश्न पत्र- II का पाठ्यक्रम नीचे दिया गया है:
- पद्य साहित्य
- कबीर : कबीर ग्रंथावली (आरंभिक 100 पद) सं. श्याम सुन्दर दास
- सूरदास : भ्रमरगीत सार (आरंभिक 100 पद) सं. रामचंद्र शुक्ल
- तुलसीदास : रामचरित मानस (सुंदर काण्ड), कवितावली (उत्तर काण्ड)
- जायसी : पदमावत (सिंहलद्वीप खंड और नागमती वियोग खंड) सं. श्याम सुन्दर दास
- बिहारी : बिहारी रत्नाकर (आरंभिक 100 दोहे) सं. जगन्नाथ दास रत्नाकर
- मैथिलीशरण गुप्त : भारत भारती
- जयशंकर प्रसाद : कामायनी (चिंता और श्रद्धा सर्ग)
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ : राग-विराग (राम की शक्ति पूजा और कुकुरमुत्ता) सं. रामविलास शर्मा
- रामधारी सिंह ‘दिनकर’ : कुरुक्षेत्र
- अज्ञेय : आंगन के पार द्वार (असाध्यवीणा)
- मुक्ति बोध : ब्रह्मराक्षस
- नागार्जुन : बादल को घिरते देखा है, अकाल और उसके बाद, हरिजन गाथा।
- गद्य साहित्य
- भारतेन्दु : भारत दुर्दशा
- मोहन राकेश : आषाढ़ का एक दिन
- रामचंद्र शुक्ल : चिंतामणि (भाग-1), (कविता क्या है, श्रद्धा-भक्ति)।
- निबंध निलय : संपादक : डॉ. सत्येन्द्र। बाल कृष्ण भट्ट, प्रेमचन्द, गुलाब राय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा, अज्ञेय, कुबेरनाथ राय।
- प्रेमचंद : गोदान, ‘प्रेमचंद’ की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ (संपादक : अमृत राय)
- प्रसाद : स्कंदगुप्त
- यशपाल : दिव्या
- फणीश्वरनाथ रेणु : मैला आंचल
- मन्नू भण्डारी : महाभोज
- राजेन्द्र यादव (सं.) : एक दुनिया समानांतर (सभी कहानियाँ)
IAS परीक्षा के प्रतियोगियों के बीच हिंदी साहित्य एक लोकप्रिय विकल्प है क्योंकि इस परीक्षा की तैयारी हेतु उपलब्ध अध्ययन सामग्री काफी समग्र और सरलतापूर्वक उपलब्ध है।
इस प्रश्नपत्र में उच्च अंक लाना संभव है क्योंकि अन्य साहित्यिक विषयों की तुलना में हिंदी पाठ्यक्रम का एक बड़ा भाग पुरानी NCERT पुस्तकों के माध्यम से कवर किया जा सकता है।
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