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07 दिसंबर 2022 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. भारत का वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित 500 गीगावॉट बिजली क्षमता प्राप्त करने की दिशा में एक और बड़ा कदम: 
  2. भारतीय इस्पात अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मिशन (SRTMI):
  3. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड:

1.भारत का वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित 500 गीगावॉट बिजली क्षमता प्राप्त करने की दिशा में एक और बड़ा कदम:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा: ऊर्जा 

विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।  

प्रारंभिक परीक्षा: गैर-जीवाश्म ईंधन।  

मुख्य परीक्षा:  गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करते हुए बताइये की इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को किसी प्रकार की रणनीतियों एवं प्रयासों की आवश्यकता है? 

प्रसंग: 

  • केंद्रीय विद्युत और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह ने  नई दिल्ली में “वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के एकीकरण के लिए पारेषण प्रणाली” योजना की शुरुआत की है। 

उद्देश्य:

  • देश में वर्तमान में स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 409 गीगा वॉट है जिसमें गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 173 गीगा वॉट क्षमता शामिल है, जो कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग 42 प्रतिशत है। 
  • वर्ष 2030 तक नियोजित नवीकरणीय क्षमता से बिजली उत्पादन के लिए, एक मजबूत पारेषण प्रणाली को पहले से स्थापित करने की आवश्यकता है क्योंकि पवन और सौर ऊर्जा आधारित उत्पादन परियोजनाओं की निर्माण अवधि संबद्ध पारेषण प्रणाली की तुलना में बहुत कम है। 
  • इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक व्यापक योजना को अंतिम रूप दिया गया है।  

विवरण:  

  • विद्युत मंत्रालय ने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था जिसमें भारतीय सौर ऊर्जा निगम, भारतीय केंद्रीय पारेषण उपयोगिता लिमिटेड, भारतीय पावर ग्रिड कॉरपोरेशन लिमिटेड, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान और राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान के प्रतिनिधि शामिल थे। 
  • वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित 500 गीगा वॉट बिजली की स्थापित क्षमता के लिए आवश्यक संचरण प्रणाली की योजना की आवश्यकता है।
  • समिति ने राज्यों और अन्य हितधारकों के परामर्श से “वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के एकीकरण के लिए पारेषण प्रणाली” शीर्षक से एक विस्तृत योजना तैयार की। 
  • यह योजना गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित 500 गीगा वॉट बिजली को एकीकृत करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। 
  • वर्ष 2030 तक 537 गीगा वॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए आवश्यक पारेषण प्रणाली की व्यापक योजना की आवश्यकता है।
  • पारेषण योजना में 0.28 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर गुजरात और तमिलनाडु में स्थित 10 गीगा वॉट अपतटीय पवन से बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक पारेषण प्रणाली भी शामिल है। 
  • नियोजित पारेषण प्रणाली के साथ, वर्तमान में 1.12 लाख मेगावाट से वर्ष 2030 तक अंतर-क्षेत्रीय क्षमता बढ़कर लगभग 1.50 लाख मेगावाट हो जाएगी।
  • दिन के समय के दौरान सीमित अवधि के लिए नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली उत्पादन की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ताओं के लिए चौबीसों घंटे बिजली प्रदान करने के लिए योजना में वर्ष 2030 तक 51.5 गीगा वॉट की बैटरी ऊर्जा भंडारण क्षमता की स्थापना की भी परिकल्पना की गई है।
  • इस योजना ने देश में प्रमुख गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित उत्पादन के लिए आगामी केंद्रों की पहचान की है, जिसमें राजस्थान में फतेहगढ़, भादला, बीकानेर, गुजरात में खावड़ा, आंध्र प्रदेश में अनंतपुर, कुरनूल नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र, तमिलनाडु और गुजरात में अपतटीय पवन क्षमता नवीकरणीय ऊर्जा शामिल हैं।
  • लद्दाख आदि में पार्क और इन संभावित उत्पादन केंद्रों के आधार पर पारेषण प्रणाली की योजना बनाई गई है।
  • अनुमानित नियोजित पारेषण प्रणाली अक्षय ऊर्जा विकासकर्ताओं को संभावित उत्पादन स्थलों और निवेश के अवसरों के पैमाने के बारे में एक अवसर प्रदान करेगी। 
  • इसके अलावा, यह पारेषण सेवा प्रदाताओं को लगभग 2.44 लाख करोड़ रुपये के निवेश अवसर के साथ-साथ पारेषण क्षेत्र में उपलब्ध विकास अवसर की परिकल्पना भी प्रदान करेगा।
  • 2030 तक 500 गीगा वॉट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता के लिए उपरोक्त संचरण योजना के साथ, पारदर्शी बोली प्रणाली, एक खुला बाजार, एक त्वरित विवाद समाधान प्रणाली के साथ, भारत अक्षय ऊर्जा में निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थलों में से एक बना रहेगा।
  • भारत दुनिया में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमताओं के विकास की सबसे तेज वृद्धि दर के साथ ऊर्जा परिवर्तन में दुनिया के नेतृत्व करने वालों में से एक के रूप में उभरा है 
  • भारत की ऊर्जा परिवर्तन में बड़ी महत्वाकांक्षाएं हैं और वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली क्षमता स्थापित करने की योजना है, ताकि स्वच्छ ईंधन में वर्ष 2030 तक स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत हिस्सा शामिल हो।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. भारतीय इस्पात अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मिशन (SRTMI) :

  • भारतीय इस्पात अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मिशन (SRTMI) एक उद्योग संचालित पहल है, जो औद्योगिक, राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं तथा शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोगी अनुसंधान करने के लिए 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम XXI के तहत पंजीकृत है।
  • स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल), राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल), टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, जेएसपीएल, एनएमडीसी और मेकॉन एसआरटीएमआई गवर्निंग बोर्ड के सदस्य हैं। 
  • गवर्निंग बोर्ड की अध्यक्षता उद्योग के सदस्यों में से किसी एक के द्वारा रोटेशनल आधार पर की जाती है।
  • इस्पात मंत्रालय के संयुक्त सचिव भी भारतीय इस्पात अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मिशन के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य हैं। 
  • सभी आवश्यक निर्णय गवर्निंग बोर्ड द्वारा ही लिए जाते हैं। अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं पर गवर्निंग बोर्ड द्वारा चर्चा और अनुमोदन किया जाता है।
  • एसआरटीएमआई एक पंजीकृत संस्थान है। यह सरकार की स्वायत्त संस्था नहीं है। 
  • इसलिए, सरकार न तो इसकी अनुसंधान परियोजनाओं, न ही उनके प्रभावों, मानव संसाधन परिनियोजन, या किसी अन्य उपाय का आकलन नहीं करती है।

2. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड:

  • हाल के दिनों में, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) के संज्ञान में आया है कि कुत्तों के खिलाफ अत्याचार, कुत्तों को खिलाने और देखभाल करने वालों के खिलाफ और शहरी नागरिकों के बीच के विवाद दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। 
  • एडब्ल्यूबीआई ने आवारा कुत्तों और पालतू कुत्तों के संबंध में निम्नलिखित परामर्श जारी किया है।
  • केंद्र सरकार द्वारा पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 तैयार किया गया है, जिसे आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय प्राधिकरण द्वारा लागू किया जाता है। 
    • नियमों का मुख्य केंद्रबिंदु आवारा कुत्तों में रेबीज रोधी टीकाकरण और उनकी जनसंख्या स्थिर करने के साधन के रूप में आवारा कुत्तों को नपुंसक बनाना है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न आदेशों में विशेष रूप से उल्लेख किया है कि कुत्तों को स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और नगर निगमों को एबीसी तथा रेबीज रोधी कार्यक्रम को संयुक्त रूप से लागू करने की आवश्यकता है। 
    • भारत के संविधान ने देश के नागरिक को 51 ए(जी) के अंतर्गत ऐसा करने की अनुमति प्रदान की है।

पृष्ठभूमि:

  • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्लूबीआई) पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 (पीसीए अधिनियम) के अंतर्गत स्थापित किया गया एक सांविधिक निकाय है। 
    • एडब्ल्यूबीआई, केंद्र सरकार और राज्य सरकार को पशुओं के मामलों में सलाह देने वाला एक निकाय है और यह पीसीए अधिनियम, 1960 त‍था इस अधिनियम के अंर्गतम बनाए गए नियमों के कार्यान्वयन संबंधित मामलों को भी देखता है।

 

07 December Hindi PIB:- Download PDF Here

लिंक किए गए लेख में 06 दिसंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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