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विषयसूची:

  1. नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (NPG) ने पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों पर 63 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सिफारिश की:
  2. रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को महत्वपूर्ण बढ़ावा:
  3. सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0:
  4. ग्रीन स्टील को बढ़ावा:
  5. 2020-21 की तुलना में 2021-22 में कॉफी का निर्यात 38% बढ़ा:
  6. ‘आईईईई सी-डॉट सर्टीफाइड एक्सपर्ट प्रोग्राम (ICCTEP)’ का शुभारंभ:
  7. जिम्मेदार साइबर आदतों को बढ़ावा देने के लिए क्वाड सहयोग: 

1.नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (NPG) ने पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों पर 63 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सिफारिश की:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ। 

प्रारंभिक परीक्षा: पीएम गति शक्ति से संबंधित जानकारी। 

मुख्य परीक्षा: पीएम गति शक्ति योजना बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किस प्रकार एक मार्गदर्शक सिद्धांत हैं ?  

प्रसंग: 

  • वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश ने संसद में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि पीएम गतिशक्ति के तहत नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (NPG) ने अब तक पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों पर 63 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सिफारिश की है।

उद्देश्य:

  • लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के हस्तक्षेप और कमियों को दूर करना।
  • व्यवधानों को कम करना, लागत दक्षता के साथ कार्यों को शीघ्र पूर्णता सुनिश्चित करना पीएम गतिशक्ति NMP के अनुसार बुनियादी ढांचे के विकास के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।  

विवरण:  

  • अक्टूबर, 2021 में इसे समग्र रूप से एकीकृत करने के उद्देश्यों के साथ लॉन्च किया गया था।
  • पीएम गति शक्ति NMP में GIS आधारित प्लेटफॉर्म के रूप में एक डिजिटल घटक है जो देश में बुनियादी ढांचे से संबंधित भू-स्थानिक डेटा और सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के नियोजन पोर्टलों को एकीकृत करता है।
  • पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP) संबंधित मंत्रालयों/विभागों में एकीकृत और समग्र योजना के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है।
  • विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों के बीच बेहतर निर्णय लेने और समन्वय सुनिश्चित करने के लिए, सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (EGoS), नेटवर्क योजना समूह (NPG) और तकनीकी सहायता इकाई (TSU) के रूप में केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर तीन स्तरीय संस्थागत व्यवस्था की गई है।  
  • नीति आयोग के अलावा, पीएम गति शक्ति के हिस्से के रूप में 24 केंद्रीय मंत्रालय/विभाग हैं, जो अपने संबंधित सचिवों के माध्यम से EGoS में प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सभी बुनियादी ढांचे और आर्थिक मंत्रालयों/विभागों ने अपने स्वयं के अनुकूलित योजना पोर्टल बनाए हैं जो पीएम गति शक्ति NMP से एकीकृत हैं।
  • ये डिजिटल सिस्टम इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समकालिक कार्यान्वयन के लिए डेटा-आधारित निर्णय लेने में मदद करते हैं।
  • पीएम गति शक्ति तंत्र को अपनाकर 150 से अधिक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की पहचान की गई है।
  • इसका उद्देश्य रसद लागत को कम करना और देश में आर्थिक गतिविधियों का समर्थन करना है।

2.रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को महत्वपूर्ण बढ़ावा:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), मॉड्यूलर ब्रिज। 

प्रसंग: 

  • रक्षा मंत्रालय ने ‘आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के तहत रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के क्रम में भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के लिए मॉड्यूलर पुलों के 41 सेट के स्वदेशी निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। 

उद्देश्य:

  • इन बहुउपयोगी एवं परिवर्तनकारी पुलों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा डिजाइन तथा विकसित किया गया है। 
    • मॉड्यूलर पुलों को लार्सन एंड टुब्रो (L&T) द्वारा DRDO-नामित उत्पादन एजेंसी के रूप में तैयार किया जाएगा। 
    • मॉड्यूलर ब्रिज की खरीद के लिए 08 फरवरी, 2023 को L&T के साथ 2,585 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत पर अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए।  

विवरण:  

  • मॉड्यूलर ब्रिज के प्रत्येक सेट में 8×8 हैवी मोबिलिटी व्हीकल पर आधारित सात कैरियर व्हीकल और 10×10 हेवी मोबिलिटी व्हीकल पर लगने वाले दो लॉन्चर व्हीकल शामिल होंगे।  
    • पुल को त्वरित लॉन्चिंग और पुनर्प्राप्ति क्षमताओं के साथ नहरों एवं खाइयों जैसी विभिन्न प्रकार की बाधाओं पर काबू पाने के लिए स्थापित किया जा सकता है। 
    • यह अत्यधिक सचल है, बहुमुखी है और पहिएदार तथा किसी भी तरह की परिस्थितियों में इस्तेमाल करने में सक्षम है। 
    • मॉड्यूलर ब्रिज ट्रैक किए गए यंत्रीकृत वाहनों के साथ तालमेल रखने में सक्षम है।
  • मॉड्यूलर ब्रिज मैन्युअल रूप से लॉन्च किए गए मध्यम गर्डर ब्रिज (MGB) का स्थान लेंगे, जो वर्तमान में भारतीय सेना में उपयोग किए जा रहे हैं। 
    • MGB की तुलना में स्वदेशी रूप से डिजाइन एवं निर्मित मॉड्यूलर ब्रिज के कई फायदे होंगे जैसे कि इनके बढ़े हुए मेहराब, निर्माण के लिए कम समय और रिट्रीवल क्षमता के साथ मैकेनिकल लॉन्चिंग। 
    • इन पुलों की खरीद से पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना की ब्रिजिंग क्षमता को काफी बढ़ावा मिलेगा।
    • यह परियोजना विश्व स्तरीय सैन्य उपकरणों के डिजाइन एवं विकास में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करेगी और मित्र देशों को रक्षा निर्यात बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

3.सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0:

सामान्य अध्ययन: 2

स्‍वास्‍थ्‍य: 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय। 

प्रारंभिक परीक्षा: सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 कार्यक्रम से संबंधित जानकारी।  

मुख्य परीक्षा:सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 जैसे कार्यक्रम का पात्र लाभार्थियों के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार में योगदान पर चर्चा कीजिए ।    

प्रसंग: 

  • सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के तहत आंगनवाड़ी सेवाएं छह सेवाओं का पैकेज प्रदान करने वाली राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र प्रायोजित योजना है।

उद्देश्य:

  • प्री-स्कूल शिक्षा के तहत जून 2022 तक 3-6 साल के कुल 303.17 लाख बच्चों को कवर किया गया, जिनमें 154.67 लाख लड़के और 148.50 लाख लड़कियां थीं।  

विवरण:  

  • सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के तहत आंगनवाड़ी सेवाएं राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जो छह सेवाओं का पैकेज प्रदान करती है, 
    • (i) पूरक पोषण; (ii) प्री-स्कूल गैर-औपचारिक शिक्षा; (iii) पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा; (iv) टीकाकरण; (v) स्वास्थ्य जांच; और (vi) देश भर में आंगनवाड़ी केंद्रों के मंच के माध्यम से सभी पात्र लाभार्थियों, अर्थात् 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को रेफरल सेवाएं।
  • यह तीन सेवाओं अर्थात टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवाएं स्वास्थ्य से संबंधित हैं और NHRM और सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना के माध्यम से प्रदान की जाती हैं।
  • वर्तमान में 12.72 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और 11.69 लाख आंगनवाड़ी सहायिकाओं के माध्यम से 951.35 लाख लाभार्थियों को सेवाएं प्रदान की जा रही हैं, जिनमें 770.98 लाख छह वर्ष से कम उम्र के बच्चे और 180.37 लाख गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं हैं।  
  • कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि पूरक पोषण सहित सभी लाभ लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचें, सरकार ने पोषण सामग्री, वितरण पहुंच और परिणामों को मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं, जिसमें विकास प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो रोग और कुपोषण, स्वास्थ्य, कल्याण और प्रतिरक्षा का पोषण करते हैं। 
  • मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में पोषण की गुणवत्ता और परीक्षण में सुधार के लिए कदम उठाए गए हैं, वितरण को मजबूत करने और प्रशासन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए कदम उठाए गए हैं।
  • राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि पूरक पोषण की गुणवत्ता खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत निर्धारित मानकों के अनुरूप हो।
  • आहार विविधता अंतर को पूरा करने और पारंपरिक ज्ञान और आयुष प्रथाओं का लाभ उठाने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में पोषण वाटिकाओं के विकास का समर्थन करने के लिए एक कार्यक्रम भी शुरू किया गया है।
  • पोषण ट्रैकर नामक एक मजबूत आईसीटी सक्षम प्लेटफॉर्म को देश भर में आंगनवाड़ी सेवाओं के कार्यान्वयन और निगरानी पर लगभग रीयल-टाइम डेटा प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 
  • पोषण ट्रैकर प्रबंधन एप्लिकेशन आंगनवाड़ी केंद्र (AWC) में गतिविधियों की निगरानी करता है, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (AWWs) की सेवा प्रदान करता है और पूर्ण लाभार्थी प्रबंधन की सुविधा देता है।

4.ग्रीन स्टील को बढ़ावा:

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास एवं पर्यावरण:

विषय: औद्योगिक विकास; संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।  

प्रारंभिक परीक्षा: जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC)।

मुख्य परीक्षा: ग्रीन स्टील को बढ़ावा देने से क्या तातपर्य हैं ?  

प्रसंग: 

  • वर्ष 2010 के लिए जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) में भारत की पहली, दूसरी और तीसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (BUR) में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा जारी कि गई रिपोर्ट में लोहा और इस्पात क्षेत्र से CO2 उत्सर्जन वर्ष 2014 से 2016 तक क्रमशः 95.998 मिलियन टन, 154.678 मिलियन टन और 135.420 मिलियन टन था।

उद्देश्य:

  • इस्पात मंत्रालय वर्ष 2070 तक नेट-जीरो लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है।
  • इसके लिए लघु अवधि (वित्त वर्ष 2030) में ऊर्जा और संसाधन दक्षता के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देकर इस्पात उद्योग में कार्बन उत्सर्जन में कमी पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
  • मध्यम अवधि (2030-2047) के लिए, ग्रीन हाइड्रोजन और कार्बन कैप्चर, उपयोगिता और भंडारण का उपयोग फोकस क्षेत्र हैं।
  • लंबी अवधि (2047-2070) के लिए, विघटनकारी वैकल्पिक तकनीकी नवाचार नेट-शून्य में संक्रमण प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।
  • इस उद्देश्य के लिए, इस्पात मंत्रालय विभिन्न हितधारकों के साथ लगातार काम कर रहा है।  

विवरण:  

इस्पात उद्योग में डीकार्बोनाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों में शामिल हैं:

  • स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति, 2019 स्टील बनाने में कोयले की खपत को कम करने के लिए घरेलू स्तर पर उत्पन्न स्क्रैप की उपलब्धता को बढ़ाती है।
  • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने हरित हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की है। मिशन में इस्पात क्षेत्र को भी हिस्सेदार बनाया गया है।
  • मोटर वाहन (पंजीकरण और वाहनों के स्क्रैपिंग सुविधा के कार्य) नियम सितंबर 2021, इस्पात क्षेत्र में स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाएंगे।
  • MNRE द्वारा जनवरी 2010 में शुरू किया गया राष्ट्रीय सौर मिशन सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है और इस्पात उद्योग के उत्सर्जन को कम करने में भी मदद करता है।
  • नेशनल मिशन फॉर एनहैंस्ड एनर्जी एफिशिएंसी के तहत परफॉर्म, अचीव एंड ट्रेड (PAT) योजना स्टील उद्योग को ऊर्जा की खपत कम करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • इस्पात क्षेत्र ने आधुनिकीकरण के लिए विश्व स्तर पर उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध तकनीकों (BAT) को अपनाया है।
  • इस्पात संयंत्रों में ऊर्जा दक्षता सुधार के लिए जापान की नई ऊर्जा और औद्योगिक प्रौद्योगिकी विकास संगठन (NEDO) मॉडल परियोजनाओं को लागू किया गया है।
  • मंत्रालय निर्माताओं के बीच हरित इस्पात के लिए उभरते बाजार पर जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.2020-21 की तुलना में 2021-22 में कॉफी का निर्यात 38% बढ़ा:

  • वर्ष 2021-22 के दौरान भारतीय कॉफी का निर्यात 1.016 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष 2020-21 से 38% बढ़ा है। 
  • वर्ष 2021-22 में, वैश्विक कॉफी निर्यात में लगभग 6% की हिस्सेदारी के साथ भारत दुनिया में कॉफी का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक था।
  • भारतीय कॉफी निर्यात 1960-61 के दौरान 19.7 हजार टन से बढ़कर 2021-22 में 416 हजार टन हो गया है। 

2021-22 के दौरान दुनिया के शीर्ष 5 कॉफी निर्यातक देश इस प्रकार हैं: 

      देश     कॉफी निर्यात (लाख टन)
      ब्राज़िल     23.70
    वियतनाम     15.48
    कोलंबिया   7.51
    इंडोनेशिया   4.24
    भारत   4.16

2.‘आईईईई सी-डॉट सर्टीफाइड एक्सपर्ट प्रोग्राम (ICCTEP)’ का शुभारंभ:

  • केंद्रीय संचार और डिजिटल संचार आयोग ने ‘आईईईई सी-डॉट सर्टीफाइड एक्सपर्ट प्रोग्राम (ICCTEP)’ का शुभारंभ किया, जिसमें आईईईई (इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स) और सी-डॉट (सेंटर फॉर डेवलप्मेंट ऑफ टेलीमैटिक्स) ने सहयोग किया है। 
  • इस कार्यक्रम के तहत संचार के विभिन्न क्षेत्रों में सीखने की प्रक्रिया को संचालित किया जायेगा, जिसमें 5G, साइबर सुरक्षा और क्वॉन्टम संचार को शामिल किया गया है, ताकि कौशल के अंतराल को पाटा जा सके। 
  • इस कार्यक्रम की शुरूआत आईईईई मानक संघ कार्यशाला के दौरान हुई। इस कार्यशाला का विषय “नेक्स्ट जनरेशन कनेक्टिविटी” पर केंद्रित था। 
  • ICCTEP उन्नत प्रौद्योगिकीय विषयों पर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू करेगा, जो समझने में आसान होगा, ताकि सीखने की प्रक्रिया के अंतराल को पाटा जा सके। 
    • सी-डॉट और आईईईई कार्यक्रम को विस्तार देने की योजना में 6G, क्वॉन्टम संचार और साइबर सुरक्षा सहित अन्य उदीयमान क्षेत्रों में समर्पित पाठ्यक्रम को शामिल किया जायेगा।
  • ICCTEP एक ठोस कदम है, जिसके आधार पर सी-डॉट और आईईईई के बीच विस्तृत सहयोग को और बढ़ाया जा रहा है। 
    • यह मंच विशेष रूप से तैयार प्रमाणीकरण कार्यक्रम की पेशकश करेगा, जिसका लक्ष्य दूरसंचार के विविध क्षेत्रों में सीखने की बेहतर प्रक्रिया उपलब्ध कराई जायेगी। 
    • इसमें उन कौशलों के निर्माण को केंद्र में रखा गया है, जिनसे शिक्षार्थियों, अकादमिक जगत, प्रौद्योगिकीविदों, उद्योग, स्टार्ट-अप और अन्य संबंधित हितधारकों की भागीदारी को गति देना है, ताकि वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धा करने योग्य दूरसंचार प्रौद्योगिकियों तथा समाधानों का विकास किया जाये। 
    • पहला कार्यक्रम 5G और उसके आगे के मार्ग पर शुरू किया गया है।
  • इस सहयोग का उद्देश्य संयुक्त रूप से दूरसंचार पाठ्यक्रमों को तैयार करना, शिक्षार्थियों और प्रोफेशनलों को प्रोत्साहित व प्रशिक्षित करना, रोजगार के अवसरों का सृजन और डिजिटल अंतराल को भरना है।
  • आईईईई ब्लेंडेड लर्निंग प्रोग्राम (BLP) का लक्ष्य है वायरलेस, ऑप्टिकल, प्रसारण, दूरसंचार प्रमाणीकरण और सुरक्षा में युवा प्रोफेशनलों की कुशलता बढ़ाना। 
  • BLP प्रमाणीकरण कार्यक्रम को उद्योग जगत के साथ मिलकर विकसित किया गया है तथा इसका मूल्यांकन विशेषज्ञों ने किया है, ताकि विषयवस्तु और सीखने के अनुभव के प्रभाव को सुनिश्चित किया जा सके। 
    • इसे माइक्रो लर्निंग मॉड्यूल्स, एप्लीकेशन मॉड्यूल्स और डाटा मूल्यांकन का सहयोग प्राप्त है। 
    • इन सबके आधार पर यह संयुक्त प्रमाणीकरण प्रक्रिया तैयार होती है, जिसका लक्ष्य कौशल अंतराल को भरना है।
  • आईईईई दुनिया का सबसे बड़ा तकनीकी प्रोफेशनल संगठन है, जो मानवता के लाभ के लिये प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाने के प्रति समर्पित है। 
    • आईईईई और उसके सदस्य अपने उच्च दर्जे के प्रकाशनों, सम्मेलनों, प्रौद्योगिकी मानकों तथा प्रोफेशनल और शैक्षिक गतिविधियों के जरिये विश्व समुदाय को प्रेरित करते हैं।
  • सी-डॉट (सेंटर फॉर डेवलप्मेंट ऑफ टेलीमैटिक्स), भारत सरकार के संचार मंत्रालय के अधीन दूरसंचार विभाग का प्रमुख अनुसंधान व विकास केंद्र है। 
    • सी-डॉट ने विभिन्न उत्कृष्ट दूरसंचार प्रौद्योगिकियों को स्वदेश में ही डिजाइन किया है, जिनमें 4G/5G, आपदा प्रबंधन, साइबर सुरक्षा और क्वॉन्टम संचार शामिल हैं।

3.जिम्मेदार साइबर आदतों को बढ़ावा देने के लिए क्वाड सहयोग:

  • क्वाड देशों में साइबर सुरक्षा में सुधार के लिए क्वाड राष्ट्र एक सार्वजनिक अभियान – क्वाड साइबर चैलेंज – की शुरुआत कर रहे हैं। 
    • भारत-प्रशांत क्षेत्र व अन्य क्षेत्रों से इंटरनेट-उपयोगकर्ताओं को इस साइबर चैलेंज में शामिल होने तथा सुरक्षित और जिम्मेदार साइबर आदतों का अभ्यास करने का संकल्प लेने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। 
    • यह साइबर चैलेंज, व्यक्तियों और समुदायों की साइबर सुरक्षा जागरूकता और कार्रवाई को मजबूत करने से संबंधित निरंतर चल रहे क्वाड प्रयासों को दर्शाता है, ताकि सभी जगह अर्थव्यवस्थाओं और उपयोगकर्ताओं को लाभान्वित करने के क्रम में एक अधिक सुरक्षित और सहनीय साइबर इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया जा सके।
  • दुनिया भर में इंटरनेट-उपयोगकर्ता साइबर अपराध और अन्य दुर्भावनापूर्ण साइबर खतरों के निशाने पर होते हैं, जिनके कारण हर साल खरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है और संवेदनशील, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। 
    • सरल निवारक उपायों के जरिये कई साइबर हमलों से बचा जा सकता है। साथ में, इंटरनेट उपयोगकर्ता और सेवा-प्रदाता साइबर सुरक्षा और साइबर संरक्षा में महत्वपूर्ण सुधार के लिए विभिन्न छोटे कदम उठा सकते हैं। 
    • इन चरणों में नियमित रूप से सिक्यूरिटी अपडेट करना, बहु-कारक प्रमाणीकरण के माध्यम से विस्तारित जांच को सक्षम करना, मजबूत और नियमित रूप से बदलते पासवर्ड का उपयोग करना और फ़िशिंग जैसे सामान्य ऑनलाइन घोटालों की पहचान करना शामिल है।
  • साइबर चैलेंज सभी उपयोगकर्ताओं – निगमों, शिक्षा संस्थानों, छोटे व्यवसायों से लेकर स्कूल-छात्रों, बुजुर्गों तक आम लोगों के लिए प्राथमिक साइबर सुरक्षा सूचना और प्रशिक्षण जैसे संसाधन प्रदान करती है। 
    • 10 अप्रैल से शुरू हो रहे सप्ताह के दौरान इन कार्यक्रमों की समाप्ति होगी। 
    • क्वाड सहयोगी यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि ऑनलाइन और स्मार्ट उपकरणों का उपयोग करते हुए सूचना-आधारित निर्णय लेने के लिए आवश्यक संसाधनों तक सभी की पहुंच हो। 
  • भारत में, इस कार्य का समन्वय राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के साथ राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक के कार्यालय द्वारा किया जा रहा है।

 

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